विचारधारा की लड़ाई जारी रहेगी, 3 राज्यों में करारी हार के बाद बोले राहुल गांधी

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मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल गया है। वहीं कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस को चार राज्यों में सिर्फ एक तेलंगाना में ही जीत मिली है। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्‍होंने कहा कि जनादेश को हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं। विचारधारा की लड़ाई जारी रहेगी। तेलंगाना में कांग्रेस पहली बार सरकार बनाने जा रही है। इसपर उन्‍होंने कहा कि प्रजालु तेलंगाना बनाने का वादा हम जरूर पूरा करेंगे।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान का जनादेश हम विनम्रतापूर्वक स्वीकार करते हैं - विचारधारा की लड़ाई जारी रहेगी। तेलंगाना के लोगों को मेरा बहुत धन्यवाद - प्रजालु तेलंगाना बनाने का वादा हम ज़रूर पूरा करेंगे। सभी कार्यकर्ताओं को उनकी मेहनत और समर्थन के लिए दिल से शुक्रिया।

प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, तेलंगाना की जनता ने इतिहास रचते हुए कांग्रेस पार्टी के पक्ष में जनादेश दिया है। यह प्रजाला तेलंगाना की जीत है। यह प्रदेश की जनता और कांग्रेस पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता की जीत है।

सनातन का श्राप ले डूबा..'! कांग्रेस नेताओं ने खुलेआम स्वीकारा- हिन्दू धर्म के अपमान और जातिवादी कार्ड के कारण हारी पार्टी

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव परिणामों के शुरुआती रुझानों से जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) खेमे में खुशी की लहर है, वहीं कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। संकेतकों के अनुसार, भाजपा तीन राज्यों में सरकार बनाने के लिए तैयार है जबकि कांग्रेस तेलंगाना में सत्तारूढ़ BRS को मात दे रही है। अब, कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन ने पार्टी के भीतर से अपनी नाराजगी व्यक्त करने और सवाल उठाने की आवाज उठाई है। प्रमुख कांग्रेस नेता और प्रियंका गांधी वाड्रा के राजनीतिक सलाहकार, आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि ये आंकड़े हिंदू धर्म के विरोध और पार्टी की हिंदू विरोधी मानसिकता का परिणाम हैं।

मीडिया से बातचीत करते हुए एक सवाल के जवाब में प्रमोद कृष्णम ने कहा कि यह तय करना जल्दबाजी होगी कि कांग्रेस का सफाया हो गया है या नहीं। उन्होंने कहा कि, 'हालाँकि जहाँ ट्रेन चली है वहाँ अंधेरा है। यह कांग्रेस पार्टी के कार्यों का परिणाम है, जो पहले महात्मा गांधी की शिक्षाओं का पालन करती थी, लेकिन अब कार्ल मार्क्स की शिक्षाओं का पालन करती है। सनातन धर्म का विरोध करके कोई भी पार्टी भारत में राजनीति नहीं चल सकती। कांग्रेस इसे ध्वस्त करने के इरादे की घोषणा करने वालों का समर्थन करती है।' इसे महात्मा गांधी का अनुकरण करने वाली पार्टी के रूप में संदर्भित नहीं किया जाएगा। वह एक सच्चे धर्मनिरपेक्षतावादी थे।” बता दें कि, तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को ख़त्म करने की बात कही थी, और कई कांग्रेस नेताओं ने उनका समर्थन किया था। इस मुद्दे पर राहुल गांधी से भी उम्मीद की गई थी कि, वे अपने नेताओं को सनातन के खिलाफ न बोलने के लिए समझाएंगे, लेकिन उन्होंने इसे तवज्जो देना ही उचित नहीं समझा। उस समय राहुल गांधी 'मोहब्बत की दूकान' का नारा दे रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने ही नेताओं को भारत की बहुसंख्यक आबादी के धर्म के खिलाफ नफरती बयान देने से नहीं रोका, इससे जनता के बीच गलत सन्देश गया। क्योंकि, किसी अन्य धर्म पर टिप्पणी होने पर राहुल फ़ौरन बयान देते दिखाई देते हैं, लेकिन सनातन पर उनकी चुप्पी कई लोगों को अखरी थी।

 

प्रमोद कृष्णम ने एक ट्वीट में भी यही भावना व्यक्त की, जिसमे उन्होंने लिखा, "सनातन का श्राप ले डूबा," क्योंकि कांग्रेस ने धर्म का अनादर किया। आध्यात्मिक गुरु और राजनेता प्रमोद कृष्णम ने बताया कि कांग्रेस ने उन्हें 2018 में स्टार प्रचारक के पद पर बिठाया था, जिसके बाद उन्होंने तीनों राज्यों में जीत हासिल की, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि, 'तब कांग्रेस ने पहली बार किसी हिंदू धार्मिक नेता को अपना प्रचार अभियान बनाया था। कांग्रेस के रणनीतिकारों की कोई मजबूरी रही होगी कि मुझे इन चुनावों में जिम्मेदारी नहीं दी गई। कुछ कांग्रेसी भगवान राम का जिक्र ही नहीं करना चाहेंगे। वे सनातन पर कोई चर्चा नहीं चाहते। जो हिंदू धर्म को गाली देता है, उसे पार्टी में सबसे बड़ा नेता बना दिया जाता है।'

उन्होंने चुनाव परिणाम पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि, ''हमें उम्मीद है। हालाँकि, हर समय मैंने कहा कि सनातन का विरोध मत करो। मैंने उनसे कहा कि वे भाजपा से लड़ें, भगवान राम से नहीं। मैंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री भारत के हैं, सिर्फ भाजपा के नहीं। उनका अपमान मत करो। प्रधानमंत्री का सम्मान करें। चाहे कोई भी प्रधानमंत्री हो, लोग अपना अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता हैं जो हिंदुत्व से नाराज़ हैं और इसे कमज़ोर करने के लिए जाति की राजनीति को बढ़ावा देते हैं।'

कांग्रेस के एक अन्य महत्वपूर्ण समर्थक तहसीन पूनावाला, जिन्हें नियमित रूप से समाचार बहसों में पार्टी का समर्थन करते देखा जाता है, ने चुनाव परिणामों के लिए कांग्रेस के हिंदू विरोधी रुख और अन्य पिछड़ा वर्ग के मुद्दे को आगे बढ़ाने को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने "सचिन पायलट के साथ हुए अन्याय" को उठाया और कहा कि इससे राजस्थान में पार्टी को नुकसान हुआ। भाजपा चैहाटीगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस से सत्ता छीनने में सफल रही है और अगले पांच वर्षों तक मध्य प्रदेश में शासन जारी रखेगी। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व पंद्रह वर्षों से अधिक समय से मध्य भारतीय राज्य में सत्ता में है। तेलंगाना में राजनीतिक जनादेश हासिल करने के लिए कांग्रेस ने के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति को उखाड़ फेंका है।

जनता-जनार्दन को नमन, आइए मिलकर विकसित भारत बनाएं’ जानें चार राज्यों में आए चुनाव परिणाम पर और क्या बोले पीएम मोदी

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रविवार को चार राज्यों के नतीजे आ गए। इन चारों राज्यों में तीन राज्यों में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई है। इस जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन प्रदेशों की जनता के प्रति अपना धन्यवाद व्यक्त किया है।

पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट करके जनता का आभार जताया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, 'जनता-जनार्दन को नमन! मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम बता रहे हैं कि भारत की जनता का भरोसा सिर्फ और सिर्फ सुशासन और विकास की राजनीति में है, उनका भरोसा भाजपा में है। भाजपा पर अपना स्नेह, विश्वास और आशीर्वाद बरसाने के लिए मैं इन सभी राज्यों के परिवारजनों का, विशेषकर माताओं-बहनों-बेटियों का, हमारे युवा वोटर्स का हृदय से धन्यवाद करता हूं। मैं उन्हें भरोसा देता हूं कि आपके कल्याण के लिए हम निरंतर अथक परिश्रम करते रहेंगे।'  

उन्होंने आगे लिखा, 'इस अवसर पर पार्टी के सभी परिश्रमी कार्यकर्ताओं का विशेष रूप से आभार! आप सभी ने अद्भभुत मिसाल पेश की है। भाजपा की विकास और गरीब कल्याण की नीतियों को आपने जिस तरह लोगों के बीच पहुंचाया, उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है। हम विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। हमें ना रुकना है, ना थकना है। हमें भारत को विजयी बनाना है। आज इस दिशा में हमने मिलकर एक सशक्त कदम उठाया है।'

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जनता के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना की जनता को भी अपना धन्यवाद दिया है। उन्होंने लिखा- तेलंगाना की मेरी प्यारी बहनों और भाइयों, आपके समर्थन के लिए धन्यवाद। पिछले कुछ सालों में यह समर्थन बढ़ता ही जा रहा है और आने वाले समय में भी यह सिलसिला जारी रहेगा। उन्होंने लिखा, तेलंगाना के साथ हमारा रिश्ता अटूट है और हम लोगों के लिए काम करते रहेंगे। मैं प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के मेहनती प्रयासों की भी सराहना करता हूं।

छह दिसंबर को दिल्ली में 'इंडिया' का जुटान, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुलाई गठबंधन की बैठक

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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में आज वोटों की गिनती जारी है। इसी बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 6 दिसंबर को दिल्ली में विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की बैठक बुलाई है।बता दें कि रुझानों में मध्यप्रदेश-राजस्थान में बीजेपी बहुमत के पार पहुंच गई है।जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर चल रही है।

पहले ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने साफ किया था कि 5 राज्यों में चुनाव नतीजे आने के बाद विपक्षी गठबंधन की बैठक बुलाई जाएगी।इसमें सीटों के बंटवारे से लेकर गठबंधन के संयोजक के नाम समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी।बता दें कि इंडिया गठबंधन की पहली बैठक पटना में आयोजित की गई थी। वहीं दूसरी बैठक बंगलूरू में और तीसरी बैठक मुंबई में, जबकि खरगे ने चौथी बैठक दिल्ली में बुलाई थी।

इंडिया गठबंधन में ये पार्टियां शामिल 

विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, आप, जदयू, राजद, झामुमो, राकांपा (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), सपा, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, माकपा, भाकपा, रालोद, एमडीएमके, कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके), वीसीके, आरएसपी, भाकपा-माले (लिबरेशन), फॉरवर्ड ब्लॉक, आईयूएमएल, केरल कांग्रेस (जोसेफ), केरल कांग्रेस (मणि), अपना दल (कमेरावाड़ी) और मणिथनेया मक्कल काची (एमएमके) शामिल हैं।

बंगाल की खाड़ी में सक्रिय हो रहा चक्रवाती तूफान, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

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बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दाब का क्षेत्र बन रहा है। निम्न दाब का ये क्षेत्र शनिवार को डीप डिप्रेशन में बदल गया। भारत मौसम विभाग के मुताबिक, रविवार को अगले 24 घंटे में यह चक्रवाती तूफान मिचौंग में बदल जाएगा। इस चक्रवात का प्रभाव तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश पर ज्यादा पड़ेगा। इसके साथ ही तेलंगाना, केरल और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी इस चक्रवात की वजह से बारिश हो सकती है।

मौसम विभाग का कहना है कि 4 दिसंबर की शाम तक यह चक्रवाती तूफान मिचौंग आंध्र प्रदेश में माचिलीपत्तनम और चेन्नई के तट से टकरा सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में निम्न दाब का जो क्षेत्र बन रहा है, उसका केंद्र चेन्नई के समुद्र तट से 800 किलोमीटर, माचिलीपत्तनम से 970 किलोमीटर, आंध्र प्रदेश के ही बापातला से 990 किलोमीटर और पुडुचेरी के तट से 790 किलोमीटर दूर समुद्र में स्थित है।

मौसम विभाग के अनुसार गहरे अवसाद के 3 दिसंबर के आसपास दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक चक्रवाती तूफान में बदलने की संभावना है। इसके बाद यह उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ेगा और दक्षिण आंध्र प्रदेश और आसपास के इलाकों को पार करेगा। मौसम विभाग के मुताबिक 4 दिसंबर की शाम के आसपास चेन्नई और मछलीपट्टनम के बीच उत्तरी तमिलनाडु तट एक चक्रवाती तूफान के रूप में सामने आ सकता है।

भारतीय मौसम विभाग ने मिचौंग तूफान के चलते तमिलनाडु के तटीय इलाकों, पुडुचेरी और कराइकल में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार, 3 दिसंबर से लेकर 4 दिसंबर तक 204 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश हो सकती है। 

भारत मौसम विज्ञान विभाग की इस चेतावनी को देखते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य के सभी अधिकारियों से चक्रवात से प्रभावित होने की संभावना वाले स्थानों से लोगों को निकालने समेत सभी ऐहतियाती कदम उठाने का निर्देश दिया है।

दक्षिण में कर्नाटक के बाद तेलंगाना में खुला कांग्रेस के लिए एक और द्वार, जानिए कांग्रेस की अच्छी बढ़त का किसे दिया जा रहा श्रेय

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मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में मतगणना जारी है।रुझानों में तेलंगाना में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है।तेलंगाना में हुए पिछले दो विधानसभा चुनावों के दौरान तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब भारत राष्ट्र समिति) को कोई सीधी टक्कर नहीं दे पाया था लेकिन साल 2023 में परिस्थितियां अलग दिखीं। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस की रैलियों में भीड़ जमकर उमड़ रही थी और इसी से अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि कांग्रेस इस बार केसीआर (बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव) के लिए कड़ी चुनौती बनने वाली है।आज आ रहे चुनाव परिणाम इसे साबित भी कर रही है।

तेलंगाना जीत से दक्षिण में एक और द्वार कांग्रेस के लिए खुल जाएगा। कहा जा रहा है कि तेलंगाना फतह से आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस बढ़त ले लेगी क्योंकि जगन मोहन रेड्डी और चन्द्रबाबू नायडू की हालत पतली है। बीजेपी के हाथ से भले आंध्र चला जाए, लेकिन केंद्र के सियासी गणित से बीजेपी छेड़छाड़ नहीं करेगी। ऐसे में आंध्र में बीजेपी जगन रेड्डी के मामले में बैकफुट पर ही रहना पसंद करेगी। इस तरह कांग्रेस दक्षिण में बेहद मजबूत हो जाएगी। कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, आंद्र प्रदेश में एक से दो पोजीशन पर ही होगी।

बता दें कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। पार्टी भारत राष्ट्र समिति को सत्ता से बेदखल करने में कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती थी।यही वजह है कि उसने अपने सभी बड़े नेताओं को यहां उतार दिया था।कांग्रेस ने यहां के वोटरों को अपनी तरफ खींचने के लिए कर्नाटक के सीएम, डिप्टी सीएम समेत करीब 3/4 नेताओं को यहां उतार दिया था। कर्नाटक सरकार का 75% मंत्रिमंडल तेलंगाना में चुनावी प्रचार संभाले हुए थे। कर्नाटक में कांग्रेस ने बीजेपी को बड़ी शिकस्त दी थी। इसके अलावा उसकी पांच गारंटी भी वहां काफी चर्चित रही। इसी योजना को अपनाते हुए कांग्रेस ने तेलंगाना में 6 गारंटी पेश की।

कन्हैयालाल का क़त्ल, सांप्रदायिक दंगे, हिन्दू त्योहारों पर प्रतिबंध ! क्या राजस्थान में कांग्रेस के पिछड़ने की वजह 'तुष्टिकरण' ? , पढ़िए, पूरी खबर

चार राज्यों में मतगणना जारी है। इसमें भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आसानी से सरकार बनाती नज़र आ रही है। वहीं, तेलंगाना में सत्ताधारी BRS के हाथ से सत्ता जाती नज़र आ रही है और कांग्रेस बढ़त में है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी और अब वहाँ भाजपा आगे चल रही है। वहीं, मध्य प्रदेश में भाजपा सत्ता में वापसी करती नज़र आ रही है।

इन सब चुनावों में राजस्थान के चुनाव का एक अलग ही महत्व था। यहाँ काँटे की टक्कर की उम्मीद थी, लेकिन भाजपा यहाँ सत्ता में आती दिख रही है। कुछ सियासी जानकारों का मानना था कि राज्यों में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार फिर से वापसी करेगी और हर पाँच वर्ष पर सरकार बदलने का यहाँ का पुराना रिवाज टूटेगा। हालाँकि, पीएम नरेंद्र मोदी ने राजस्थान की एक रैली में कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने की अपील की थी। राजस्थान के चुनाव में आतंकी हमले के शिकार हुए दर्जी कन्हैया लाल का मुद्दा भी जमकर उठा था। 

राजस्थान कांग्रेस की सरकार में महिला उत्पीड़न और हिंदुओं पर हमलों हुए निरंतर हमलों ने कांग्रेस सरकार को बैकफुट ला दिया था। राज्य में आतंकियों के मनोबल ने इतना बढ़ गया था कि वे खुलेआम हमले कर रहे थे और सरकार भी हिंदुओं के रामनवमी और हनुमान जयंती पर्व में शोभायात्रा निकालने पर बैन लगा रही थी। कांग्रेस सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की पुरानी नीति ने राजस्थान में हिंदुओं को उद्वेलित किया और एक बार फिर पुरानी सियासी दल को दोहराते हुए भाजपा की वापसी का रास्ता स्पष्ट किया। सामने आ रहे रूझानों से स्पष्ट पता चल रहा है कि राजस्थान में कन्हैयालाल के क़त्ल वाले फैक्टर ने काफी असर दिखाया है। हालाँकि, ‘लाल डायरी’, परीक्षा पत्र का आउट होना, भर्तियों में भ्रष्टाचार, महिलाओं के प्रति हिंसा आदि ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई।

 

बता दें कि 28 जून 2022 को उदयपुर के कन्हैयालाल की ही दुकान में घुसकर कट्टरपंथी मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने उनकी निर्मम हत्या कर दी थी। उनकी अस्थियों को आज भी विसर्जन की प्रतीक्षा है, क्योंकि कातिलों को अब तक सजा नहीं हुई है। कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के बाद कट्टरपंथियों ने इसका वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट भी किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने चितौड़गढ़ की एक जनसभा को संबोधित करते हुए 2 अक्टूबर को कहा था कि, “यहाँ अशोक गहलोत सोते-जागते अपनी कुर्सी बचाने में लगे थे और आधी कांग्रेस उनकी कुर्सी गिराने में लगी हुई थी। जनता को अपने हाल पर छोड़कर ये लोग आपसी जंग में व्यस्त रहे। कांग्रेस ने राजस्थान को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी।'

पीएम मोदी ने जनसभा में कहा था कि, '5 वर्षों में कांग्रेस सरकार ने राजस्थान की साख को नष्ट कर दिया है। मैं बेहद दुखी मन से कहता हूँ कि जब अपराध, दंगे, महिलाओं-दलितों पर जुल्म की बात होती है, तो राजस्थान शीर्ष पर आता है। मैं बेहद दुःख के साथ आपने पूछता हूँ कि क्या 5 वर्ष पूर्व आपने इसलिए राजस्थान को वोट दिया था?' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि उदयपुर में जो हुआ, उसकी किसी ने सोचा भी नहीं होगा था। लोग कपड़े सिलवाने के बहाने आते हैं और बगैर किसी डर या दहशत के दर्जी का गला काट देते हैं, इस मामले में भी कांग्रेस को वोट बैंक दिखाई दिया। उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया कि उदयपुर दर्जी हत्याकांड में कांग्रेस पार्टी ने क्या किया, वोट बैंक की सियासत की?'

 राजस्थान में परीक्षाओं में हिजाब-बुर्के की अनुमति दी गई, लेकिन अन्य बच्चियों के सलवार-कमीज़ की आस्तीनें काटकर उनकी तलाशी ली गई, इससे भी जनता में आक्रोश पनपा। REET परीक्षा में महिलाओं के मंगलसूत्र, कान की बालियां​ तक उतरवा ली गई थीं, लेकिन हिजाब में युवतियां परीक्षा देने पहुंची थीं।​ वहीं, राजस्थान के करौली में हिन्दू नव वर्ष के अवसर पर हिंदुओं की शोभायात्रा पर कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा हमला कर दिया गया था। वो अपने घरों की छतों पर हिंदुओं की प्रतीक्षा ही कर रहे थे। जैसे ही जुलूस मुस्लिम बहुल इलाके से निकलने लगा, तो पथराव शुरू हो गया। बाइक पर सवार हिंदुओं को पत्थर मारे गए। जुलूस में शामिल 40-50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। इस दौरान भी राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगा। करौली में दंगों से पीड़ित हिन्दू अपने घरों पर 'यह घर बिकाऊ है' के पोस्टर लगाने और पलायन करने के लिए भी मजबूर हो गए थे। इसी तरह के हमले जोधपुर और भीलवाड़ा में भी हुए थे। ये एक ट्रेंड की तरह था, कोई भी हिन्दू त्यौहार हो, लोग शोभायात्रा निकालें तो, मुस्लिम इलाके में उसपर हमला होना ही है। ये ट्रेंड देश के कई राज्यों में देखा गया, हालाँकि, कई जगह आरोपियों पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन कांग्रेस सरकारों पर उचित कार्रवाई न करने के आरोप लगे। अजमेर और अलवर में हज़ारों लोगों ने सड़कों पर 'सर तन से जुदा' के नारे लगाए, लेकिन गहलोत सरकार उन्हें रोकने में भी विफल दिखी। 

इन हमलों में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) का नाम सामने आया था। ये संगठन 2047 तक भारत में इस्लामी शासन लागू करने के मिशन पर काम कर रहा था। लेकिन, ये PFI राजस्थान में खुलेआम रैलियां निकाल रहा था। इसे भी कांग्रेस सरकार की बड़ी भूल माना गया और पार्टी पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगे। सियासी जानकारों का मानना है कि, कन्हैयालाल की हत्या, बढ़ता कट्टरपंथ, हिन्दू त्योहारों पर प्रतिबंध, तुष्टिकरण के चलते आरोपियों पर कार्रवाई न करना, राजस्थान में कांग्रेस को पीछे रखने में इन सभी चीज़ों की भूमिका रही है। चुनाव आयोग के अनुसार, राजस्थान में भाजपा 113 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि कांग्रेस को 70 पर बढ़त है, राज्य में बहुमत का आंकड़ा 101 है, जिसे भाजपा आसानी से हासिल करती दिख रही है।

क्या दतिया से चुनाव हार जाएंगे लगातार 3 बार के विधायक व एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ? लगातार चल रहे पीछे

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री और दतिया विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार नरोत्तम मिश्रा को इन चुनावों में बड़ा झटका मिलता दिखाई दे रहा है। लगातार तीन बार दतिया से विधायक रहे नरोत्तम मिश्रा लागतार पीछे चल रहे हैं। उनके सामने कांग्रेस ने भारती राजेंद्र को मैदान में उतारा है। चुनाव आयोग के मुताबिक, दतिया में 2 राउंड की काउंटिंग पूरी हो चुकी है और इसमें कांग्रेस उम्मीदवार भारती राजेंद्र को 15348 वोट मिले हैं, वहीं, नरोत्तम मिश्रा 13105 वोट प्राप्त हुए हैं। इस तरह से नरोत्तम मिश्रा 2243 वोटों से पीछे चल रहे हैं। 

वहीं, दिमनी से भाजपा प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दो हजार से अधिक मतों से आगे हैं। इंदौर-1 से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय आठ हजार से अधिक मतों से आगे चल रहे हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार निवास से भाजपा के प्रत्याशी एवं केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते पांच हजार से अधिक वोटों से पीछे हैं। नरसिंहपुर से केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा उम्मीदवार प्रहलाद पटेल एक हजार से अधिक मतों से बढ़त बनाए हुए हैं। 

कुल मिलाकर मध्य प्रदेश की सत्ता में भाजपा वापसी करती हुई नज़र आ रही है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में भाजपा ने 155 सीटों पर बढ़त बना रखी है और कांग्रेस 73 सीटों पर आगे चल रही है । राज्य में बहुमत का आंकड़ा 116 है, जिसे भाजपा आसानी से पार करती नज़र आ रही है।

राजस्थान में कौन संभालेगा “कुर्सी”, बीजेपी वसुंधरा राजे को देगी कमान या होगा कोई नया चेहरा

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राजस्‍थान में 199 सीटों पर हुए मतदान पर आज 3 दिसंबर को वोटिंग सुबह 8 बजे से शुरू हो चुकी है।इलेक्‍शन कमीशन के रुझानों में बीजेपी बहुमत में दिख रही है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी 110 सीटों पर बढ़ बनाए हुए है।जबकि अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस धूल चाटते हुए दिख रही है। ऐसे में लोगों के बीच ये सवाल फिर से उठने लगा है कि क्‍या इस बार भी राजस्‍थान की कुर्सी को वसुंधरा राजे ही संभालेंगी या सूबे की कमान किसी दूसरे के हाथ आएगी। 

चुनावी नतीजों में अब तक नतीजों में भाजपा बढ़त बनाए हुए है। इसको देखते हुए सीएम फेस को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। खास बात यह है कि इस बार अभी तक कांग्रेस या भाजपा दोनों ही दलों ने अपने सीएम फेस से पर्दा नहीं हटाया है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि आखिर राजस्थान का नया सीएम कौन होगा? क्या बीजेपी की जीत पर वसुंधरा राजे को एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? या फिर पार्टी अपने दिग्गजों को छोड़कर किसी नए चेहरे को कमान सौंपेगी।

राजस्थान में वसुंधरा राजे सहित सीएम पद के कई दावेदार हैं। मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर वसुंधरा राजे, अर्जुन राम मेघवाल, गजेंद्र सिंह शेखावत, राजेंद्र राठौड़ से लेकर दीयाकुमारी तक के नाम चल चुके हैं। अब दिल्ली से ओम बिरला के नाम की भी एंट्री इस रेस में जुड़ गई है। राजस्थान में हाड़ौती से बीजेपी के सबसे कद्दावर चेहरों में शुमार ओम बिड़ला फिलहाल लोकसभा अध्यक्ष हैं। उनका कार्यकाल मई में पूरा हो रहा है। ऐसे में उनकी अगली भूमिका राजस्थान में ही होगी। क्या होगी फिलहाल इस पर कुछ भी कहना मुश्किल है।

सीएम बनने की रेस में वसुंधरा राजे सबसे आगे हैं। वह राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्हें सरकार चलाने का अनुभव है। इसके साथ ही राज्य की सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। ऐसे में पार्टी अपनी दिग्गज और अनुभवी नेता पर एक बार फिर भरोसा जता सकती है।

हालांकि, यहां एक और प्रश्चचिन्ह है। दरअसल, भाजपा आलकमान और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बीच लंबे समय से खटपट चल रही है। ये नाराजगी उस समय और बढ़ गई थी जब भाजपा ने राजस्थान चुनाव में सीएम फेस के बिना उतरना तय किया था। यह फैसला वसुंधरा राजे को कतई पसंद नहीं आया था। उनके कई समर्थकों ने तो खुलकर इस बात पर नाराजगी जताई थी और राजे को सीएम फेस घोषित करने की मांग की थी। हालांकि भाजपा ने चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर ही लड़ा था। इसके बाद ही ये तय मान लिया गया था कि भाजपा पूर्व सीएम राजे को तीसरी बार सीएम बनाने के मूड में नहीं हैं।

दरअसल, राजस्थान की राजनीति में वसुंधरा राजे की अपनी एक अलग धमक है, फिर भी बीते पांच साल वह सक्रिय तौर पर नजर नहीं आईं। खास तौर से 2020 में ऑपरेशन लोटस की असफलता का ठीकरा भी राजे के सिर ही फोड़ा गया था, जब एक तरह से ये मान लिया गया था कि राजस्थान से गहलोत सरकार जा सकती है। इसके अलावा सचिन पायलट ने खुद अपनी ही सरकार पर वसुंधरा राजे के खिलासफ कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए पद यात्रा निकाली थी। इसके बाद भी वसुंधरा राजे पार्टी के चुनाव अभियान से एक किनारा किए हुए नजर आईं थीं। न तो गहलोत सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में दिखीं और न ही भाजपा की बैठकों में। इसके बाद से ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि राजे और भाजपा आलकमान में सब कुछ ठीक नहीं है।

फ्रांस में अल्लाहु अकबर चिल्लाकर 3 लोगों को मारे चाक़ू, गिरफ्तार होने पर बोला- गाज़ा में मुस्लिमों की मौत से परेशान था...

 फ्रांस की राजधानी पेरिस से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। आंतरिक मंत्री गेराल्ड डर्मैनिन ने शनिवार को बताया है कि मध्य पेरिस में एफिल टॉवर के पास एक व्यक्ति ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। डार्मिनिन ने प्रेस वालों को बताया कि पुलिस ने 26 वर्षीय फ्रांसीसी नागरिक को टेसर स्टन गन का इस्तेमाल करते हुए अरेस्ट कर लिया है।

आंतरिक मंत्री ने कहा कि संदिग्ध को एक और हमले की योजना बनाने के लिए 2016 में चार साल जेल की सजा सुनाई गई थी और वह फ्रांसीसी सुरक्षा सेवाओं की निगरानी सूची में था, और उसे मानसिक विकारों के लिए भी जाना जाता था। यह हमला 1900 GMT के आसपास हुआ जब व्यक्ति ने एफिल टॉवर से कुछ फीट की दूरी पर क्वाई डी ग्रेनेले पर एक पर्यटक जोड़े पर चाकू से हमला किया, जिसमें एक जर्मन नागरिक घायल हो गया। फिर पुलिस ने उसका पीछा किया और गिरफ्तार होने से पहले दो अन्य लोगों पर हथौड़े से हमला किया।

दारमानिन ने कहा कि, संदिग्ध आरोपी ने "अल्लाहु अकबर" चिल्लाया था और पुलिस को बताया था कि वह परेशान था क्योंकि "अफगानिस्तान और फिलिस्तीन में इतने सारे मुसलमान मर रहे थे" और गाजा की स्थिति से भी परेशान था। आतंकवाद विरोधी अभियोजक के कार्यालय ने कहा कि वह जांच का प्रभारी था। मध्य पेरिस में शनिवार रात की घटना फ्रांसीसी राजधानी में ओलंपिक खेलों की मेजबानी से आठ महीने से भी कम समय पहले हुई और इससे वैश्विक खेल आयोजन में सुरक्षा पर सवाल उठ सकते हैं। पेरिस सीन नदी पर एक अभूतपूर्व उद्घाटन समारोह की योजना बना रहा है जिसमें 600,000 से अधिक दर्शक आ सकते हैं।