अखिल भारतीय क्षत्रिय कल्याण परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश सिंह के नेतृत्व में अयोध्या जिला कोषाध्यक्ष को दी गई श्रद्धांजलि

अयोध्या।अखिल भारतीय क्षत्रिय कल्याण परिषद,अयोध्या के जिला कोषाध्यक्ष स्व रविन्द्र नाथ सिंह को राम नामी चादर ओढ़ाकर श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश कुमार सिंह, प्रदेश सचिव सूर्यभान सिंह, जिलाध्यक्ष अम्बरीष सिंह,जिला उपाध्यक्ष शिवमोहन सिंह मुन्ना।

श्रद्धांजलि देने में संरक्षक आर डी सिंह,सन्तोष सिंह,अनिल सिंह बीकापुर, चन्द्रदेव सिंह,देवेंद्र सिंह मया,समर बहादुर सिंह, भूपेंद्र सिंह,दुर्गेश सिंह, सुरेश सिंह,परिक्रमा सिंह, डॉ एस बी सिंह,शिवप्रताप सिंह,रामजी सिंह,अमरदीप सिंह,मदनविहारी सिंह,विपिन सिंह, शिवकुमार सिंह,विनय सिंह, नागेंद्र सिंह बंटी, धर्मेंद्र सिंह कल्लू सहित कल्याण परिषद अयोध्या के अधिकतम सदस्य / पदाधिकारी गणों ने पहुंचकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

विदेशी नहीं बल्कि वैदिक सनातनी संविधान की आवश्यकता

मनीष पांडेय

अयोध्या।अयोध्या हिंदू महासभा के प्रवक्ता, सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी, एवं अधिवक्ता मनीष पांडेय ने संविधान दिवस के अवसर पर कहा कि आज संविधान दिवस है, 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया ।

उन्होने कहा है सवाल यह उठता है कि इस संविधान के लागू होने की तिथि के 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी क्या संविधान अपने सिद्धांतों पर खरा उतरा? क्या वह भारत की आत्मा को आत्मसात कर पाया ?और क्या कहीं ऐसा तो नहीं है कि संविधान दिवस एक षड्यंत्र कारी राजनैतिक इच्छाओं का शिकार हो गया ।

श्री पांडेय ने कहा कि कहीं ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा यह कहावत संविधान पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है, और इसी का फायदा उठाकर ना सिर्फ और राजनैतिक दलों ने बल्कि न्यायपालिका ने भी समय-समय पर इसे अपने अनुसार तोड़ मरोड़ कर भरपूर इस्तेमाल किया विशेषकर राजनीतिक दलों द्वारा चीन के दबाव में कहीं ना कहीं न्यायपालिका ने भी संविधान को ताक पर रखते हुए अपने निर्णय इस देश की जनता पर थोपे ।

उन्होने कहा कि यह कैसी विडंबना है यह कैसा संविधान है जो आज तक इस देश को मकड़जाल की तरह लपेट चुके भ्रष्टाचार ,जातिवाद, भाषावाद, प्रांतवाद, और सामाजिक विखंडिताओ को समाप्त नहीं कर पाया ।

अधिवक्ता मनीष पांडेय ने संविधान दिवस पर अपने विचार रखते हुए कहा कि इतिहास गवाह रहा है कि न जाने कितने सैकड़ों मौकों पर राजनीतिक दलों द्वारा इसी संविधान का सहारा लेकर उसे तोड़ मरोड़ कर अपने अनुसार अपनी व्याख्या के अनुसार निर्णय अपने पक्ष में किए गए हैं । उन्होने कहा कि सबसे ताजा मामला महाराष्ट्र प्रकरण का है जहां खुलेआम संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं ।

श्री पांडेय ने कहा कि हमें बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संविधान को नहीं भूलना चाहिए जिसमें संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय में पढ़ाने एवं कर्मकांड कराने हेतु किसी हिंदू को ही रखनी की संस्तुति की गई है पर दुर्भाग्य से अपनी स्वार्थ पर राजनीति एवं वोट बैंक के चलते पंडित महामना मदन मोहन मालवीय की आत्मा को घायल करते हुए उनके द्वारा प्रदत्त संविधान कि एक तरह से होली ही जला दी गई ।

श्री पांडेय ने कहा कि अगर अपनी राष्ट्रीय संविधान की बात की जाए तो उसका उपयोग भी राजनीतिक दलों ने समय-समय पर अपने अपने अनुसार किया है, इसका प्रयोग किस तरह हुआ इसे समझने की आवश्यकता है ।

उन्होने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी ने संविधान का लेखक माना जाता है वास्तव में वे प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे ,राजनीतिक दलों ने डॉक्टर अंबेडकर की आड़ लेकर और दलित वोट बैंक को साधने की फिराक में उन्हें संविधान का रचयिता बना दिया, और संविधान की मूल लेखक प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को नेपथ्य में ढकेल दिया गया ।

उन्होने कहा कि आज संविधान दलित आरक्षण की तो बात करता है किंतु सवर्ण आरक्षण पर मौन था मौन है और शायद इस देश के स्वार्थी राजनीतिज्ञों की चलती रही तो हमेशा मौन ही रहेगा । उन्होंने कहा कि जिस संविधान ने 10 वर्ष के अंदर से आरक्षण को समाप्त करने की बात कही थी उसे हमारे स्वार्थी राजनेताओं ने हर 10 वर्ष बढ़ाकर उसे जैसे स्थाई कर दिया है ।

दो वर्ष 11 महीना 18 दिन में बने संविधान में विदेशी आत्मा का प्रभाव तो पूरे संविधान में दिखलाई पड़ता है पर भारतीय आत्मा का दर्शन इसमें कहीं नहीं होता है । स्पष्ट कहा जाऐ तो पूरे संविधान पर विदेशी प्रभाव ज्यादा दिखाई देता है, जबकि भारतीय प्रभाव इसमें पूरी तरह से नगण्य है, संविधान अपने आप में पूर्ण नहीं था इसका सबसे अच्छा उदाहरण यही है कि संविधान में अब तक 103 संशोधन होने के बावजूद भी इसे पूरी तरह से शुद्ध नहीं किया जा सका है , बल्कि अपने स्वार्थ की वजह से इसे निरंतर अशुद्ध किया जाता रहा है ।

उन्होंने कहा कि 1976 में 42 वें संविधान संशोधन मैं इसमें समाजवाद पंथनिरपेक्ष और अखंडता शब्द को जोड़ा गया था जिसमें सेकुलर शब्द अर्थात पंथनिरपेक्षता को लेकर आज तक विवाद है और जिसका समाधान किए जाने की परम आवश्यकता है ।

श्री पांडेय ने कहा कि पंथनिरपेक्षता का अर्थ होता है पंथ से निरपेक्ष अर्थात पंथ से विरक्त अगर इसे अंग्रेजी में कहें तो सेकुलर कहा जाता है अंग्रेजी डिक्शनरी ऑक्सफोर्ड के अनुसार सेकुलर शब्द का अर्थ धर्म हीनता है क्या संविधान के माध्यम से भारत को एक धर्म हीन राष्ट्र के रूप में प्रतिपादित करने का यह षड्यंत्र मात्र तो नहीं है? सवाल यह है कि क्या हमें एक ऐसे संविधान की आवश्यकता है।

जो हमें धर्म से विहीन या पंथ से निरपेक्ष दिखलाता हो, अधिवक्ता मनीष पांडेय ने यह भी कहा है कि सवाल यह भी उठता है कि क्या हमें आज एक ऐसे वैदिक सनातनी संविधान की आवश्यकता है जो भारतीय आत्मा भारतीय संस्कृति और सभ्यता के अनुरूप हो जो अंग्रेजों द्वारा प्रदत संविधान ना हो बल्कि पूर्ण रूप से भारतीय आत्मा में रचा बसा एक ऐसे संविधान, जिस पर पूर्ण रूप से गर्व कहते हुए हम यह कह सकें कि हां यही है हमारा असली संविधान ।

कृषि विवि में संविधान दिवस पर शिक्षकों ने ली शपथ

कुमारगंज अयोध्या । आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रद्योगिक विवि के क्रीड़ा मैदान में संविधान समारोह दिवस मनाया गया। इस दौरान विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं ने संविधान की रक्षा के प्रति शपथ को एक साथ दोहराया। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने भारतीय संविधान के महत्व को गीत के जरिए प्रस्तुत किया। एक के बाद एक छात्रों ने मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारे में विस्तार से बताया।

इस अवसर पर एनसीसी कैडेटों ने कमान अधिकारी कर्नल मनोज कुमार सिंह व डा. नवीन कुमार सिंह के नेतृत्व में तालाबों व मैदान की साफ-सफाई की। संविधान दिवस समारोह कार्यक्रम का संयोजन कृषि महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. प्रतिभा सिंह ने किया। इस मौके पर विवि के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक, शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

कबड्डी पुरुष वर्ग में पिंक व महिला में पर्पल हाउस चैंपियन

कुमारगंज अयोध्या । आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में चलने वाला तीन दिवसीय परंपरागत खेलकूद प्रतियोगिता दूसरे दिन भी जारी रहा। खेल के दूसरे दिन पुरुष व महिला वर्ग में कबड्डी का फाइनल मैच खेला गया। पुरुष वर्ग में गुल्ली डंडा अन्य खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। दूसरे दिन खेल मैदान पर कबड्डी पुरुष वर्ग का रोमांचक मुकाबला देखने को मिला। पिंक हाउस ने शानदार 40 प्वाइंट हासिल किया। रेड हाउस भी हार मानने के लिए तैयार नहीं था लेकिन पिंक हाउस का पीछा करते-करते आखिर रेड हाउस को हार का सामना करना पड़ा।

रेड हाउस ने कड़ी मेहनत करते हुए मात्र एक प्वाइंट से फाइनल मैच हार गई। वहीं दूसरी तरफ कबड्डी महिला वर्ग का फाइनल मैच पर्पल व ब्लू हाउस के बीच खेला गया। पर्पल हाउस ने 38 अंक हासिल कर ब्लू हाउस को करारी शिकस्त दी। ब्लू हाउस को 20 अंक पर ही संतोष करना पड़ा। पुरुष वर्ग में गुल्ली डंडा प्रतियोगिता हुई जिसमें पिंक हाउस ने 35 अंक हासिल कर जीत दर्ज की और ब्लू हाउस को 34 अंक के साथ हार का सामना करना पड़ा। मैच रेफरी की भूमिका डा. देवनारायण, अमरनाथ सिंह, डा. ऋषिकांत, अभिषेक सिंह, पंकज सिंह, डा. आस्तिक झा, डा. देवेंद्र निभा रहे हैं।

17 वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल में देश-दुनिया से चुनिंदा फिल्में आफिशियली सेलेक्ट, ज्यूरी सदस्यों की लगी मुहर

अयोध्या। अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के 17वें संस्करण के लिए इस समारोह की ज्यूरी ने फिल्मों का चयन कर लिया है। पूरे विश्व से इस वर्ष विभिन्न श्रेणियों में कुल 286 फिल्में प्राप्त हुई थीं। जिसमें प्रमुख रूप से भारत, चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, इटली, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, श्रीलंका, स्पेन, रोमानिया, पुर्तगाल, तुर्की, नॉर्वे, नेपाल, लीबिया, इजराइल, ब्राजील आदि देश शामिल हैं।

अयोध्या फिल्म फेस्टिवल में आफिशियली सेलेक्ट फिल्मों की लिस्ट जारी करते हुए फेस्टिवल ज्यूरी चैयरमैन और डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. मोहन दास ने बताया कि ज्यूरी में मेरे सहयोगी ऑस्ट्रेलिया के चर्चित अभिनेता और एंकर चार्ल्स थॉमसन, फिल्म निर्देशक और लेखिका डॉ. अनुषा श्रीनिवासन अय्यर, संगीतकार और गीतकार राहुल बी सेठ, ईरान की फिल्म निर्माता और कला निर्देशक सना नोरोजबेगी और फिल्म निर्माता और निर्देशक दिब्य चटर्जी शामिल थे। जिन फिल्मों का चयन किया गया है उनकी कैटेगरी के साथ लिस्ट इस तरह से है।फीचर फिल्म (भारत)मंडली, रूप नगर के चीते, बाल नरेन, बनवारी की अम्मा, चिड़ियाखाना, सत्यशोधक, टीटू अंबानी, कृपया ध्यान दें, मैला, जिंदगी कशमकश, बेड नंबर 17, बाघ, हैंगमैन आदि।

फीचर फिल्म (अंतर्राष्ट्रीय)एनीमेशन फिल्म टेका एंड टुटी: ए नाइट एट द लाइब्रेरी फ्रॉम ब्राजील, द सेफ फ्रॉम स्विटजरलैंड, पॉसम किंगडम फ्रॉम यूनाइटेड स्टेट्स और ऑल पॉलिटिक्स इज लोकल फ्रॉम ऑस्ट्रेलिया, फ्लावर ब्लूम एंड वेट फॉर द ग्रूम टू कम, द सांग ऑफ स्प्रिंग, टाइगर मॉम, द वेकेशन शो, गो बियोंड, थ्रू लाइफ ऐंड डेथ, यू आर माइ यूथ, द ईयर ऑफ ब्लॉसम्स । शार्ट फिल्म (भारत)गठबंधन, बीड्स ऑफ ब्रेथ, वीरांगना, तमाशबीन, साइलेंट टाईज, थैंक्स मॉम, द मैजिक प्लेट, गुडबाय फॉरएवर, यस सर!, वैन गॉग, यू कम्प्लीट मी, टर्माइट, रैट इन द किचन, टू वर्ल्ड्स, स्वेच्छा, अगस्त्य-स्पेशल आर वेरी स्पेशल, कान्हाजी, बड़बोली भावना, बाजोना, इपसा, इयान पत्ता और साधु।डॉक्यूमेंट्री फिल्म आंगन 'ए ब्लूमिंग स्पेस', शलेचिये द्वारी, जनादा: रिफ्लेक्शंस ऑफ लाइट एंड शेड और कटाई।

पार्थ सारथी महानता, डीआइजी असम निर्देशित एनीमेशन फिल्म "लछित द वॉरियर" जो आईएफएफआई गोवा 2023 में प्रतियोगिता में शामिल हुई है और "ब्लू गोल्ड" कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2023 में प्रतियोगिता में शामिल हुई औस साथ ही पूरी वीएफएक्स फिल्म "वेवलेंथ" भी कोलकाता से चयनित हुई है। शार्ट फिल्म (अंतर्राष्ट्रीय)यूएसए से "द चाय वाला गाइ", "द हार्ट्स आई", एंटर द रूम, परमिशन, ला पिएट्रा। नॉर्वे से "मोर वुमन, मोर क्राई"। कनाडा से "लैमेंट"। संयुक्त अरब अमीरात से "द अपार्टमेंट"।

इजराइल से "शो मी एवरीवन"। श्रीलंका से "टैंक्ड फिश"। रोमानिया से "एनिमल्स टॉक टू"। स्पेन से "टॉरनेडो टुमॉरो"। इटली से "होराइजन"। यूके से "घनीमह"। इटली से "लॉस एंड गेन इन ट्रांसलेशन'' और ताइवान से 'ग्रोइंग विद अवर फैमिली ट्री'' और साथ ही ताइवान से 'लव लॉस्ट एंड फाउंड'। द चाइनीज पैकेज इनक्लूड्स गेज, फिल्थी सोल, द कनेक्शन, सॉलिडिफाइड स्टेयर्स, द ब्लू सन, गुड बाय सुसन, द टेस्ट ऑफ द सी और द फीमेल जनरल्स मोसतचे शामिल हैं।अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक-निदेशक डॉ. शाह आलम राना ने कहा कि ज्यूरी सदस्यों द्वारा चयनित चुनिंदा सरोकारी फिल्में समारोह के दौरान प्रदर्शित एवं पुरस्कृत की जाएंगी।

अयोध्या फिल्म समारोह स्थानीय और विश्व के सिनेमाप्रेमियों के बीच एक सेतु बना है। इस मंच पर तमाम कला प्रेमियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका अवसर मिलता रहा है। कला को समेटे विविध आयोजन दो दिनों तक सतरंगी छटा बिखेरेंगे। शहीद-ए-वतन अशफाक उल्लाह खां और महान क्रांतिकारी पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की स्मृति में प्रति वर्ष जनसहयोग से आयोजित हो रहा ‘अयोध्या फिल्म फेस्टिवल’ उत्तर प्रदेश का पहला फिल्म समारोह है।

अयोध्या में कार्तिक पूर्णिमा स्नान की तैयारी पूरी

अयोध्या। कार्तिक पूर्णिमा स्नान को लेकर प्रशासन ने पूरी की तैयारी । इस अवसर पर अयोध्या में आयोजित मेला क्षेत्र को 3 जोन और 15 सेक्टर में बांटा गया । श्रद्धालुओं के आवागमन मार्ग पर भी भीड़ नियंत्रण पर होगा प्रशासन का फोकस । श्रद्धालुओं के सुविधा के लिए बनाई गयी पार्किंग ।

श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर दी जाएगी प्राथमिकता, घाटों पर भी सुरक्षा के रहेंगे सख्त इंतजाम,जल पुलिस एसडीआरएफ, बाढ़ राहत के जवान स्नान घाटों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा कर रखेंगे ध्यान, गहरे पानी में जाने के रोक के लिए लगाया गया है जल बेरिकेट, मेला क्षेत्र में एटीएस कमांडो टीम के साथ पीएसी और सिविल पुलिस के जवानों को किया गया है तैनात। कल लाखों श्रद्धालु लगाएंगे सरयू में आस्था की डुबकी, कल दोपहर 3:36 तक चलेगा पूर्णिमा स्नान।

अग्नि शमन विभाग ने पुलिस के साथ किया माक ड्रिल

अयोध्या।रेलवे अग्नि दुर्घटना रोकने के लिए किया गया मॉक ड्रिल, फायर विभाग ने कैंट रेलवे स्टेशन पर जीआरपी के साथ किया मॉक ड्रिल, जीआरपी व आरपीएफ के जवानों को मुख्य अग्निशमन अधिकारी महेंद्र सिंह ने दिया आग बुझाने की टिप्स, पहले तो आग लगे ना, अगर ट्रेन में आग लगती है तो कैसे बुझाए जाए इसकी दी गई।

जानकारी, फायर विभाग के कर्मचारियों ने सीएफओ के साथ जीआरपी व आरपीएफ के जवानों को दी आग पर काबू पाने की जानकारी, अयोध्या कैंट रेलवे स्टेशन पर किया गया मॉक ड्रिल, ट्रेनों में आग लगने से धनहानि के साथ-साथ होती है जनहानि।

अविवि के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में दीक्षांत सप्ताह के तहत व्याख्यान का आयोजन

अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में 28 वें दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में दीक्षांत सप्ताह के अन्तर्गत “शुद्ध शुन्य उत्सर्जन के लिए पंचामृत को डिकोड करना” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता पूर्व संकायाध्यक्ष वाणिज्य एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के प्रो0 पी0के0 घोष ने कहा कि पृथ्वी के लिए पिछला वर्ष जलवायु परिवर्तन का रहा है। भारत सहित एशिया के पांच करोड़ लोगों को अपनी चपेट में लिया है। इसके पीछे हरितगृह गैसों का बढ़ता उत्सर्जन, वैश्विक गर्माहट तथा जलवायु परिवर्तन प्रमुख कारण रहा हैं। उन्होंने कहा कि इन स्थितियों पर अंकुश पाने के लिए विश्व की अनेक संस्थाएं आगे आयी है।

कार्यक्रम में प्रो0 घोष ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की रोकथाम के लिए 2015 में पेरिस के बीच अनुबंध हुआ। जिसमें वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न बढ़ने पर जोर दिया गया। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नवम्बर 2021 में भारत ने अपनी महत्वपूर्ण पहल पंचामृत की घोषणा की गई जो विश्व के लिए भारत का एक बहुत बड़ा योगदान है। कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि पंचामृत के अंतर्गत भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता बनाने और अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 60 प्रतिशत भाग पुनर्नवीकरण स्त्रोतों से पूरा करने तथा कार्बन उत्सर्जन में एक बिलियन टन की कमी लाने व कार्बन सघनता में 45 प्रतिशत की कमी करने के साथ-साथ 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य प्राप्त करने का निश्चय किया है।

इसके लिए भारत में सौर, पवन, जल तथा परमाणु के नवीन ऊर्जा स्त्रोतों तथा उनके उपयोग को तेजी से बढ़ाते हुए नयी रणनीतिया अपना कर जलवायु अनुकूल स्थितियां तैयार की जा रही है। ताकि पृथ्वी को और अधिक गर्म होने से बचाया जा सके।कार्यक्रम की अध्यक्षता कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने बताया कि पंचामृत की घोषणा के बाद देश की भूमिका बढ़ गई है। नवीन ऊर्जा के स्त्रोतों को जलवायु के अनुकूल परिस्थितियां बनाई जा सकती है। इससे पृथ्वी की संरक्षा में मदद मिल सकती है। कार्यक्रम का शुभारम्भ माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। इसके उपरांत कुलगीत की प्रस्तुति की गई। अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिन्ह भेटकर की गई।

कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रो० विनोद कुमार श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो० मृदुला मिश्रा, प्रो० शैलेन्द्र कुमार, डाॅ0 अनिल कुमार, डॉ० त्रिलोकी यादव, डॉ० प्रिया कुमारी, डॉ० मनीषा यादव, डॉ० प्रशान्त कुमार सिंह, डॉ० डी० एन० वर्मा, डॉ० सुधीर श्रीवासाव, डॉ० अलका श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता सिंह, डॉ० मीनू वर्मा, दिलीप पाल, विजय कुमार शुक्ला, हीरा लाल यादव, शिव शंकर यादव सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रही।

कलात्मक कलाकृति के सृजन का आधार भारतीय वाॅस पेंटिंगः प्रो. राजेन्द्र प्रसाद

अयोध्या।डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में दीक्षांत सप्ताह के अन्तर्गत ललित कला (फाईन आर्ट्स) विभाग में भारतीय कला में वाॅस पद्धति का योगदान विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन के साथ प्रारम्भ किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डाॅ0 शकुन्तला मिश्रा, राष्ट्रीय पुर्नवास विश्वविद्यालय, लखनऊ के पूर्व संकायाध्यक्ष एवं विभागाध्यक्ष, फाईन आर्ट्स के प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद ने वाॅस पेन्टिग कलात्मक कलाकृति के सृजन का आधार बताया। उन्होंने बताया कि जल रंगों के द्वारा किसी भी कलाकृति के सृजन की तकनीक से लोक संस्कृति आधारित पौराणिक लोक कलाओं को उत्पे्ररित एवं विकसित करती है। इस पद्धति का प्रादुर्भाव बंगाल से स्वमाटी की कलात्मक पेंन्टिग से हुआ है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो0 आशुतोष सिन्हा ने सभी छात्र-छात्राओं को कला की विभिन्न विधाओं से अवध की लोक संस्कृति को संरक्षित करने का आहवान किया। विभाग के समन्वयक प्रो0 विनोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि वाॅश पेन्टिंग पद्धति भारतीय चित्रकला को बहुआयामी स्वरूप प्रदान करती है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो0 पी0 के0 घोष ने जलरंग भर कर छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित किया। विभाग की डाॅ0 सरिता द्विवेदी ने भारतीय वाॅश पेन्टिग के विकास से अवगत कराया।

कार्यक्रम में श्रीमती रीमा सिंह द्वारा अतिथियों प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर प्रो0 मृदुला मिश्रा, प्रो0 शैलेन्द्र कुमार, डाॅ0 अनिल कुमार, डाॅ0 त्रिलोकी यादव, डाॅ0 प्रिया कुमारी, डाॅ0 मनीषा यादव, डाॅ0 प्रशान्त कुमार सिंह, डाॅ0 डी0 एन0 वर्मा, डाॅ0 सुधीर श्रीवास्तव, डाॅ0 अलका श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता सिंह, डाॅ0 मीनू वर्मा, दिलीप पाल, विजय कुमार शुक्ला, हीरा लाल यादव, शिव शंकर यादव सहित अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

वास्तविक दुनियां में मित्रता की मंदीः डाॅ. पूनम शुक्ला

अयोध्या।डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 28 वें दीक्षांत समारोह के अंतर्गत आवासीय परिसर में संचालित समाजशास्त्र विभाग में ‘‘सोशल मीडिया और हमारी युवा पीढ़ी‘‘ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता राजा मोहन गल्र्स पी.जी. कॉलेज, अयोध्या के समाजशास्त्र विभाग की सहायक आचार्य डॉ. पूनम शुक्ला रहीं।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया एक बड़ा प्लेटफार्म है जो समाज में एक दूसरे को जोड़ने के लिए बनाया गया है। आज की युवा पीढ़ी इसका इस्तेमाल फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि पर लाइक, कमेंट, शेयर करने के लिए कर रहा है, जिसके कारण वह अनिद्रा आत्महत्या, चिंता आदि का शिकार हो रहा है। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर इतने मित्र होते हुए भी वास्तविक दुनिया में मित्रता की मंदी चल रही है। आज की पीढ़ी को जेनजी पीढ़ी कहा जाता है, जिसे पहले की तुलना में ज्यादा सुख सुविधा मिल रही है परंतु इसी से सबसे ज्यादा मानसिक पीड़ा भी मिल रही है।

कार्यक्रम में विभाग के समन्वयक प्रो0 अनूप कुमार ने छात्र-छात्राओं को सोशल मीडिया के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं से परिचित कराया। कार्यक्रम में समाजशास्त्र की शिक्षिका डॉ. प्रतिभा द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। इसी दौरान विभाग के समन्वयक ने मुख्य वक्ता का स्वागत रामचरितमानस भेंटकर किया। कार्यक्रम का संचालन छात्रा आशुकरी यादव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ .श्याम बहादुर द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉ. सुरेंद्र मिश्रा, डॉ. प्रतिभा त्रिपाठी, डॉ. सरिता पाठक, श्रीमती विनीता पटेल, श्रीमती शालिनी पांडे, रत्नेश यादव सहित अन्य छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।