“दुनिया को भारत दिखाएगा रास्ता”, विश्व हिंदू सम्मेलन में बोले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस में हिस्सा लेने बैंकॉक गए हुए हैं। यहां उन्होंने शुक्रवार 24 नवंबर को कहा कि पूरा विश्व एक परिवार है और वह सभी को आर्य यानी एक संस्कृति बनाएँगे।उन्होंने कहा कि कोविड के बाद लोग खुश नहीं है। उन्होंने पुनर्विचार शुरू कर दिया है और भारत की ओर देख रहे हैं कि भारत उनको रास्ता दिखाएगा।संघ प्रमुख भागवत ने यह भी कहा कि हिंदू परंपराओं में भले ही कुछ मतभेद हों, लेकिन ये धर्म का अच्छा उदाहरण पेश करती हैं। हम हर जगह जाते हैं, सबके दिल को छूने की कोशिश करते हैं, कुछ लोग राजी होते हैं तो कुछ राजी नहीं भी होते, लेकिन फिर हम सभी से जुड़ते हैं।

दुनिया अब शांति के पथ से लड़खड़ा रही है-भागवत

राष्ट्रीय स्वयं सेवक प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, आज की दुनिया अब शांति के पथ से लड़खड़ा रही है। इसने दो हजार वर्षों से खुशी, आनंद और शांति लाने के लिए कई सारे प्रयोग किए हैं। इतना ही नहीं, भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद की कोशिश की है। सब भौतिक सुख प्राप्त कर लिया है, लेकिन फिर भी संतुष्टि, साधना नहीं है। हमने भौतिकवादी ज्ञान लिया लेकिन हम और हिंसक होते गए… इसलिए कोई शांति और सुख नहीं है।

दुनिया को भारत से उम्मीद है-भागवत

भगवत ने आगे कहा कि दुनिया ने कोविड काल के बाद पुनर्विचार शुरू कर दिया है। ऐसे में लगता है कि वे इस सोच में एकमत हैं कि भारत रास्ता दिखाएगा क्योंकि भारत पहले भी ऐसा कर चुका है। उन्हें भारत से उम्मीद है और वहीं हमारे समाज और राष्ट्र का भी यही उद्देश्य है।

भारत के सभी संप्रदायों को शुद्ध करने की जरूरत-भागवत

अपने संबोधन में मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया एक परिवार है। हम सभी को आर्य यानी एक संस्कृति बनाएंगे। हालांकि, संस्कृति शब्द काफी नहीं है, एक बेहतर दुनिया के लिए मुझे संस्कृति कहना होगा। अनुशासन का पालन करने के लिए भारत के सभी संप्रदायों को शुद्ध करने की जरूरत है।

जान लीजिए, महाकाल की नगरी में होगी सलमान और शाहरुख खान की नीलामी, शुरू हो रहा है खास मेला

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में प्रत्येक वर्ष शिप्रा नदी के किनारे गधों का अनोखा मेला लगता है। मेले को लगने में अभी 4 दिन शेष है। उससे पहले ही कारोबारी अपने गधे और खच्चरों को लेकर यहां पहुंच चुके हैं। इस मेले में गधे की खरीद का दाम उम्र के हिसाब से निर्धारित किया जाता है। गधों की उम्र उनके दांत देखकर निर्धारित की जाती है। 

खास बात यह है कि इस मेले में फिल्म अभिनेता शाहरुख, सलमान, आमिर आदि के नाम से गधों को बेचा जाता था। गधा बेचने आए कारोबारी मनोज प्रजापत ने बताया कि गधे के मेले में 15 - 20 हजार के गधे हैं, 25 हजार के खच्चर और घोड़े सभी उपस्थित हैं। 7 दिन तक लगने वाले इस मेले में दूर-दूर से गधे के मालिक अपने गधों को लेकर आते हैं तथा बेचते हैं। इस साल भी मेले में कई गधे और खच्चरों की बोली लगाई जा रही है। गधों की बिक्री के लिए आए कारोबारियों ने बताया कि आहिस्ता-आहिस्ता अब गधों की मांग कम होती जा रही है। इनकी जगह टेक्नोलॉजी ले रही है। अब अधिकतर भार उठाने के काम मशीनों के द्वारा ही कर लिया जाता है। इसलिए जहां इन मशीनों को जाने का रास्ता नहीं है तथा गालियां पतली हैं वहीं खच्चर से काम लिया जाता है।

हालांकि, कारोबारियों का कहना है कि लोगों को माल ढुलाई के लिए गधों को अवश्य खरीदना चाहिए। आधुनिक साधनों से ये काम करने में लागत अधिक होती है। वहीं इस काम में गधों के इस्तेमाल में लोगों को लागत न के बराबर आएगी। फिलहाल, पहाड़ी प्रदेशों एवं दुर्गम स्थानों पर आवागमन और सामानों को ले आने तथा ले जाने में अब भी गधों का ही उपयोग किया जाता है। दरअसल इन स्थानों पर वाहनों का उपयोग करना बहुत मुश्किल होता है।

आजादी के 76 साल बाद सुप्रीम कोर्ट परिसर की शोभा बढ़ाएगी बाबा साहेब आंबेडकर की प्रतिमा

आजादी के 76 साल बाद, संविधान के निर्माताओं में से एक बीआर अंबेडकर की प्रतिमा सुप्रीम कोर्ट के परिसर की शोभा बढ़ाएगी। इसकी स्थापना 26 नवंबर को संविधान दिवस, जिसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है, के उत्सव के साथ मेल खाने के लिए किया गया है।

देश भर में विभिन्न स्थानों पर, छोटे गांवों से लेकर हलचल भरे शहरों तक, प्रगति का प्रतीक अपने प्रतिष्ठित हाथ उठाए हुए बीआर अंबेडकर की मूर्तियां आम हैं। मामले से परिचित सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट परिसर में मूर्ति स्थापित करने की इस पहल का नेतृत्व भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने किया था। वकील की पोशाक में और 3 फीट के आधार पर 7 फीट ऊंची खड़ी बीआर अंबेडकर की मूर्ति, उनके हाथ में संविधान की एक प्रति है। 

कलाकार नरेश कुमावत द्वारा निर्मित, यह प्रतिमा सुप्रीम कोर्ट परिसर की शोभा बढ़ाने वाली पहली भारतीय निर्मित प्रमुख प्रतिमा के रूप में एक ऐतिहासिक क्षण का प्रतीक है। इससे पहले, अदालत में भारतीय मूल के ब्रिटिश कलाकार चिंतामणि कर द्वारा निर्मित भारत माता की एक भित्तिचित्र और एक ब्रिटिश मूर्तिकार द्वारा तैयार की गई महात्मा गांधी की एक मूर्ति प्रदर्शित की गई थी। इस स्थापना के साथ, सुप्रीम कोर्ट परिसर, 76 वर्षों में पहली बार, दूरदर्शी नेता, बाबा साहेब अम्बेडकर को श्रद्धांजलि देने वाली एक प्रतिमा की उपस्थिति से सुशोभित होगा।

उत्तरकाशी टनल हादसाः ड्रिलिंग का काम एक बार फिर शुरू, जल्द अच्छी खबर आने की उम्मीद

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उत्तरकाशी की सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए ड्रिलिंग का काम एक बार फिर शुरू हो गया है।गुरुवार रात को इसको रोक दिया गया था। ऑगर मशीन में तकनीकी खराबी के बाद ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया था।बता दें कि उत्तराखंड में टनल हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन आज 13वें दिन में प्रवेश कर गया। 12 दिन से 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे हैं। जिन्हें निकालने का प्रयास लगातार जारी है। 

12 घंटे में पूरा खत्म बोने की उम्मीद

प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि यह एक कठिन काम है, इसलिए इसमें समय लग रहा है। हर नए दिन एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उम्मीद है 12 घंटे में पूरा काम खत्म हो जाएगा। जीपीआर ने बताया है कि अगले 5 मीटर में कोई मैटेलिक बाधा नहीं है यानी हम 52 मीटर तक आसानी से पहुचेंगे। एक पाइप का मुंह पिचक गया है, इसलिए हम दो मीटर पीछे हो गए हैं। अब 46 मीटर से काम शुरू होगा। शाम 6 बजे तक मजदूरों तक पहुंचने की उम्मीद है।

पीएम मोदी ने ली मजदूरों की जानकारी

इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बातचीत की और टनल में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली। पीएम ने सीएम को निर्देश दिए कि जब श्रमिक टनल से बाहर निकलेंगे तो उनके स्वास्थ्य की जांच की जाए और अगर जरूरत पड़े तो उनको अस्पताल भेजे जाने की उचित व्यवस्था भी सुनिश्चित कि जाए।

उत्तरकाशी ड्रोन सेंसर रेडार का शुरू हुआ इस्तेमाल

उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में पहली बार ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल किया जा रहा है। बेंगलुरु से ड्रोन सेंसर रेडार के साथ टीम उत्तरकाशी पहुंची है। देश में पहली बार डिजास्टर मैनेजमेंट के मामले में इस ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह ऑटोमेटेड ड्रोन अपने सेंसर के जरिए रेस्क्यू ऑपरेशन में आने वाली बाधाओं के बारे में अलर्ट करेगा। इससे तेजी और सावधानी से ऑपरेशन को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। ड्रोन एक्सपर्ट सिरियाक जोसेफ ने बताया कि पहली बार देश में इस प्रकार के ड्रोन का प्रयोग रेस्क्यू मिशन या फिर आपदा प्रबंधन के लिए किया जा रहा है। हमारी टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुड़े अधिकारियों को जरूरी सूचनाएं उपलब्ध करा रही है।

41 जिंदगियां बचाने की जंग

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चार धाम प्रोजेक्ट के तहत बन रहे सिलक्यारा टनल धंसने के चलते 41 मजदूर 13 दिन से फंसे हुए हैं। मजदूरों को सुरक्षित निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं मजदूरों को पाइप के जरिए भोजन-पानी, दवाई और ऑक्सीजन भेजी जा रही है।

फिर खौफ के साये में चीन! तेजी से फैल रही रहस्यमयी बीमारी, क्या कोरोना की तरह होगा ?

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कोरोना वायरस की पहचान चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में हुई थी। धीरे-धीरे इस महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी ज़द में ले लिया था। हालांकि अब अधिकतर देश इस महामारी से निजात पा चुके हैं। लेकिन, चीन अभी भी कोरोना वायरस के मामलों से जूझ रहा हैं। इस बीच, यहां एक और रहस्यमयी निमोनिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है।इस बार वुहान की जगह रहस्यमयी संक्रमण के मामले बीजिंग और लिओनिंग में सामने आए हैं।ये बीमारी बच्चों को अपना शिकार बना रही है। 

इन नई रहस्यमयी बीमारी का खुलासा अंतरराष्ट्रीय संस्था ProMED ने किया है। ये वहीं संस्थान है जिसने कोरोना महामारी के बारे में सबसे पहले दुनिया को आगाह किया था।आमतौर पर सर्दियों के मौसम में निमोनिया के मरीज काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। खासतौर पर इसका खतरा, कमजोर इम्यीनिटी वाले लोगों, अस्थमा मरीजों और छोटे बच्चों पर मंडराता है या फिर डायबिटीज या ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी इसकी चपेट में आने का डर रहता है। मगर चीन में पसर रहा ये, खौफनाक रहस्यमयी निमोनिया बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। जिससे उन्हें फेफड़ों में दर्द, तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी और फेफड़ों में सूजन जैसी शिकायत हो रही हैं।

चीन के बीजिंग और लिओनिंग में फिलहाल जिस तरह के हालात हैं, वो कोविड संकट के शुरुआती दिनों की याद दिलाती है। मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखकर स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई है। इस बीमारी से अधिकतर बच्चे शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अलर्ट कर चुका है। वह पहले ही चीन से अधिक जानकारी देने को कह चुका है।  

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में चीन में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में वृद्धि हुई। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि कोविड-19 उपायों को हटाने अर्थात् इन्फ्लूएंजा और सामान्य जीवाणु संक्रमण के प्रसार के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जो माइकोप्लाज्मा निमोनिया सहित बच्चों को प्रभावित करते हैं।

कतर कोर्ट ने स्वीकार की भारत की अर्जी, मौत की सजा पाए आठ पूर्व नेवी अफसरों को मिलेगी राहत?

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कतर में जासूसी के आरोप में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को उम्मीद की किरण दिख रही है। कतर की अदालत ने 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील स्वीकार कर ली है।जल्द ही इस मामले पर सुनवाई होगी।बता दें कि नौसेना के इन आठ पूर्व अफसरों को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई है।

भारत सरकार ने दायर की थी याचिका

आठ पूर्व नेवी अफसरों की मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार ने यह याचिका दायर की है। कतर की अदालत ने 23 नवंबर 2023 को इसे स्वीकार कर लिया और अब अपील का अध्ययन कर जल्द इस पर सुनवाई शुरू करेगी। कतर की अदालत ने कहा है कि वह इस मामले को स्टडी कर रहे हैं और जल्दी ही सुनवाई के लिए तारीख तय करेंगे। दोषी करार दिए गए सभी पूर्व नौसैनिकों के लिए इसे एक राहत की खबर के तौर पर देखा जा रहा है।

अगस्त 2022 में गिरफ्कार किए गए थे सभी अफसर

बता दें कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर कतर में अल-दहरा कंपनी के लिए काम कर रहे थे। यह कंपनी कतर के सशस्त्र बलों को ट्रेनिंग देती थी साथ ही उससे जुड़ी सर्विस मुहैया कराती थी। अगस्त 2022 में इन सभी को गिरफ्तार किया गया। कतर की सरकार ने नौसेना के पूर्व अफसरों पर लगाए गए आरोपों की जानकारी नहीं दी है। 26 अक्तूबर 2023 को कतर की अदालत ने इन पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई थी। 

इन पूर्व अधिकारियों को सुनाई गई है सजा

गृह मंत्रालय की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, जिन 8 पूर्व अधिकारियों को सजा सुनाई गई है उनमें कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागे शामिल हैं। इन अधिकारियों में ज्यादातर की उम्र 60 साल से ज्यादा है। बताया जाता है कि जब इन आधिकारियों की गिरफ्तारी हुई थी, तब उनके परिजनों को कतर ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी कि उनपर किस आधार पर आरोप तय किए गए हैं। गिरफ्तारी के कई दिनों तक इस मामले को गुप्त रखा गया और कतर में मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई।

भारत में स्थायी रूप से बंद हुआ अफगानिस्तान का दूतावास, जानें इस फैसले के पीछे की वजह

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भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित अफगानिस्तान के दूतावास को आखिरकार बंद कर दिया गया है।अफगानिस्तान ने भारत में अपने दूतावास को बंद करने की आधिकारिक घोषणा कर दी है।अफगानिस्तान की सरकार का कहना है कि उन्हें भारत सरकार की तरफ से लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते यह फैसला किया गया है।अफगानिस्तान के डिप्लोमैटिक मिशन बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई है।

दूतावास ने नोटिस जारी करते हुए बताया है कि हमें 23 नवंबर 2023 से नई दिल्ली में अपने राजनयिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने की घोषणा करते हुए खेद है। नोटिस में ये भी कहा गया है कि अफगान गणराज्य का कोई भी राजनयिक भारत में नहीं बचा है। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास में सेवा देने वाले लोग सुरक्षित रूप से तीसरे देशों में पहुंच गए हैं।

नोटिस में कहा गया है कि भारत में राजनयिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय दूतावास द्वारा 30 सितंबर 2023 को परिचालन बंद करने के बाद लिया गया है। नोटिस में ये भी कहा गया है कि यह कदम इस उम्मीद में उठाया गया था कि भारत सरकार का रुख नई दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास की सामान्य निरंतरता के लिए अनुकूल रूप से विकसित होगा। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। 

साथ ही दूतावास ने पिछले 22 वर्षों में अफगानिस्तान को उनके समर्थन और सहायता के लिए भारत के लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया है। अफगान दूतावास ने अपने बयान में यह भी कहा कि दूतावास अफगान मिशन समर्थन के लिए भारत का हार्दिक धन्यवाद करता है। हालांकि, हमने संसाधनों में कमी के बावजूद और काबुल में वैध सरकार की अनुपस्थिति में अफगानी लोगों की बेहतरी के लिए अथक प्रयास किया है। इसके बावजूद पिछले 2 सालों और 3 महीनों में भारत में अफगान समुदाय में छात्रों और व्यापारियों के देश छोड़ने के साथ उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।

और कितना करना होगा इंतजार, कब टनल में फंसे 41 मजदूर निकलेंगे बाहर? जानें वहां के हालात

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दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिक जल्द बाहर आ सकते हैं। रेस्क्यू का आज 13वां दिन है।12 दिन से 41 जिंदगियां खुला आकाश देखने के लिए जूझ रहीं हैं। पिछले तीन दिनों से यही उम्मीद की जा रही है कि आज रेस्क्यू ऑपरेशन सफल होगा। ऑगर ड्रिलिंग मशीन में तकनीकी खराबी आने के बाद ड्रिलिंग कार्य जो रोक दिया गया था, हालांकि शुक्रवार सुबह को मशीन ठीक कर लिया गया। जल्द ही ड्रिलिंग कार्य फिर से शुरू होगा।संबावना है कि सिलक्यारा में टनल में फंसे 41 मज़दूरों के आज बाहर निकल जाएं।

करीब 10 मीटर पाइप डाला जाना बाकी

मलबे में 50 मीटर तक पाइप डाला जा चुका है जबकि करीब 10 मीटर पाइप डाला जाना बाकी है। 23 नंवबर को केवल तीन मीटर पाइप ही अंदर डाला जा सका। अब केवल 10 मीटर की ड्रिलिंग बाकी रह गई है लेकिन चैलेंज ये है कि कल शाम से रेस्क्यू ऑपरेशन पर रोक लग गई है। ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया था। ऑगर मशीन में खराबी के बाद रेस्क्यू रोकना पड़ा है। पूरी रात मशीन को ठीक करने का काम चलता रहा।ऑगर मशीन का बेस हिलने के चलते ड्रिलिंग का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। ड्रिलिंग के दौरान कंपन तेज होने से मशीन का बेस हिल गया था।

आज शाम तक बड़ी खबर मिलने की उम्मीद- भास्कर खुल्बे

पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर कुल्बे ने कहा कि टनल के भीतर जियो मैपिंग कैमरे के जो रिज़ल्ट आये है उसके मुताबिक़ जहां तक ड्रिल हुई है उसके आगे 5 मीटर तक कोई लोहा या स्टील का स्ट्रक्चर नहीं है यानि कुछ देर बाद जब ड्रिल का काम शुरू होगा तो 5 मीटर आगे तक पाइप आसानी से फ़िट किया जा सकेगा. उसके बाद फिर आगे की स्थिति मैपिंग के ज़रिये देखी जायेगी. यानि आज शाम तक बड़ी खबर मिलने की उम्मीद है।

हाई टेक्नीक ड्रोन का इस्तेमाल

टनल में एक टीम जहां ड्रिलिंग के काम में लगी है वहीं रेस्क्यू के काम में लगे लोगों की सेफ्टी के लिए ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल किया जा रहा है। हिंदुस्तान में पहली बार टनल के अंदर ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल हो रहा है। बेंगलोर से एक्सपर्टस की टीम इस ड्रोन को लेकर टनल के अंदर गई है।बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रही ड्रोन तकनीक पर स्क्वाड्रन इंफ्रा माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ सिरिएक जोसेफ ने बताया, यह (ड्रोन) नई टेक्नीक वाला है, जो सुरंग के अंदर और बाकी दुर्गम जगहों पर भी जा सकता है। इस ड्रोन के जरिए लाइव स्ट्रीम भी किया जा सकता है। इसकी मदद से हम पल-पल की नजर बनाए हुए हैं, अगर हल्की हलचल भी हो जाती है तो हमें पता लग जाएगा।

राजस्थान में बुरी तरह हार रही भाजपा, 25 तारीख के बाद मुंह नहीं दिखाएंगे पीएम मोदी..', सीएम अशोक गहलोत का बड़ा दावा

 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज गुरुवार (23 नवंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह 25 नवंबर के बाद यहां नहीं आएंगे और लोगों को अपना चेहरा नहीं दिखाएंगे, जिस दिन राज्य भर में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम गहलोत ने कहा कि, ''आपकी (भाजपा) महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सरकार नहीं गिरा सकी, इसलिए अब पीएम और उनकी पूरी टीम यहां राजस्थान में डेरा डाल रही है, लेकिन वे 25 नवंबर के चुनाव तक यहीं रहेंगे। उसके बाद पीएम मोदी आप सबको अपना मुंह नहीं दिखाएंगे।''

पीएम पर हमला बोलते हुए गहलोत ने कहा कि पीएम और उनकी पार्टी भाजपा इस समय घबराई हुई है, क्योंकि उन्हें पता है कि वे राजस्थान में बुरी तरह हार रहे हैं। महादेव ऐप विवाद का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि, 'जिस तरह से ये लोग साजिशें करते हैं, हाल ही में महादेव ऐप का मामला सामने आया था और उन्होंने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को गिरफ्तार करने की साजिश रची थी, मुझे दुख हो रहा है, ये लोग साजिश रच रहे हैं।'' गहलोत ने कहा कि पीएम महादेव ऐप और लाल डायरी के बारे में योजना बनाकर बात करते हैं, कोई उचित जांच नहीं है, कुछ भी ठोस नहीं है और पीएम इसके बारे में बोल रहे हैं। उन्होंने उन्हें (भूपेश बघेल) गिरफ्तार करने की साजिश रची, ED और IT ने राजस्थान में 50 बार छापेमारी की, क्या कोई नेता या नौकरशाह पकड़ा गया?'

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने केंद्र की भाजपा सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में सरकारें गिराने के लिए ED और CBI जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। सीएम गहलोत ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि, ''ये एजेंसियां (ED, IT) महत्वपूर्ण हैं, इनका असली काम आर्थिक अपराधियों के लिए है। इनका ध्यान उधर जाना चाहिए, ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत रहे और आर्थिक अपराध न हों।'''

राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता ने आगे कहा कि, ''उनका काम (उस दिशा में) नौ साल से बंद है, बस सरकार गिराना और उठना है और इसके लिए वे विधायकों को अपनी पार्टी बदलने के लिए धमकाते हैं। वे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं। ED के दबाव और IT छापे से, लोगों को यह पसंद नहीं आ रहा है।' गहलोत ने यह भी कहा कि उनके राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा। गहलोत ने कहा कि, "मेरी भूमिका हमेशा वही रही है, जो आलाकमान चाहता है। मैं अपनी भूमिका खुद तय नहीं करता हूं। आलाकमान मुझे जो भूमिका देगा, मैं उस पर कायम रहूंगा।"

सीएम गहलोत की ये प्रतिक्रियाएं पीएम नरेंद्र मोदी की उस भविष्यवाणी के जवाब में आईं, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस इस बार राज्य में सरकार नहीं बना पाएगी। पीएम मोदी ने कहा था कि, "आज मैं मावजी महाराज जी का आशीर्वाद लेकर एक भविष्यवाणी करने का साहस कर रहा हूं। यह इस पवित्र भूमि की शक्ति है कि मेरे मन में यह विचार आया और मैं मावजी महाराज से क्षमा मांगकर यह साहस कर रहा हूं। प्रदेशवासियों मैं जो कह रहा हूं वो राजस्थान को लिखना चाहिए- भविष्यवाणी ये है कि राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार कभी नहीं बनेगी।''

पीएम मोदी ने यह टिप्पणी चुनावी राज्य राजस्थान के डूंगरपुर के सागवाड़ा में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए की थी। उन्होंने पेपर लीक मामले पर भी गहलोत सरकार की आलोचना की और कहा कि शिक्षा के प्रति उसकी भयानक नीतियों के कारण युवाओं के सपने चकनाचूर हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार पर सभी सरकारी नियुक्तियों में 'घोटाले' करने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि, "कांग्रेस के कुशासन के कारण युवाओं के सपने चकनाचूर हो गए हैं। राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने सभी सरकारी नियुक्तियों में घोटाले किए, यह आपके बच्चों के साथ अन्याय है।"

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मोदी की गारंटी वहां से शुरू होती है, जहां लोग कल्याणकारी योजनाओं के मुद्दे पर कांग्रेस से उम्मीदें छोड़ देते हैं। पीएम ने कहा था कि, "गरीब कल्याण, जन कल्याण के प्रति जहां कांग्रेस से उम्मीद खत्म होती है वहां से मोदी की गारंटी शुरू होती है।" उन्होंने लोगों से भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाने का आग्रह किया और कहा कि कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना महत्वपूर्ण है, ताकि केंद्र सरकार की सभी योजनाओं को राज्य में तेजी से लागू किया जा सके। पीएम मोदी ने राजस्थान के सीएम पर तंज कसते हुए कहा कि जनता इस बार अशोक गहलोत को वोट देने से इनकार कर रही है। कांग्रेस नेता जहां भी वोट मांगने जा रहे हैं, उन्हें एक ही जवाब मिल रहा है- 'गहलोत जी, कोनी मिले वोट जी।'

बता दें कि, राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर 25 नवंबर को चुनाव होंगे, क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कूनर के निधन के कारण करणपुर निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव स्थगित कर दिया गया था। 2018 में, हुए चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीतीं थी, जबकि भाजपा ने 73 सीटें जीतीं थी। गहलोत ने बसपा विधायकों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सीएम पद संभाला था। 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच दोतरफा मुकाबला होने की संभावना है, यहां तक ​​कि विभिन्न क्षेत्रीय और छोटी पार्टियां भी प्रभाव डालने की कोशिश करेंगी।

एक युग का अंत, सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश रहीं फातिमा बीबी का 96 वर्ष की आयु में निधन

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने वाली अग्रणी महिला न्यायविद न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी का 96 वर्ष की आयु में कोल्लम में निधन हो गया है। निधन के समय उनका कोल्लम के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। 

1927 में पथानामथिट्टा में रोथर परिवार के अन्नवेत्तिल मीर साहब और खदीजा बीवी के घर जन्मी फातिमा बीवी ने अपने कानूनी करियर में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने तिरुवनंतपुरम के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 14 नवंबर, 1950 को अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू करने के बाद, वह लगातार कानूनी पदानुक्रम में आगे बढ़ीं और आठ साल बाद मुंसिफ बन गईं। अगस्त 1983 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के साथ उनकी यात्रा जारी रही। अभूतपूर्व क्षण 1989 में आया जब उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पहली महिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने उन्हें भारतीय न्यायिक प्रणाली में इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचने वाली पहली मुस्लिम महिला के रूप में भी चिह्नित किया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी सेवा 1992 में उनकी सेवानिवृत्ति तक जारी रही।

न्यायपालिका में अपने योगदान के अलावा, फातिमा बीवी ने मुख्यमंत्री जयललिता के कार्यकाल के दौरान 1997 से 2001 तक तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में कार्य किया। अपनी कई व्यावसायिक उपलब्धियों के बावजूद, वह जीवन भर अविवाहित रहीं। न्यायमूर्ति फातिमा बीवी की विरासत उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों से परे फैली हुई है, जो भारतीय न्यायपालिका के भीतर लिंग और धार्मिक विविधता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक है। उनका निधन एक युग के अंत का प्रतीक है, लेकिन देश के कानूनी परिदृश्य के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ गया है।