आलू बोआई के लिए चल रहा उपयुक्त समय, भरपुर मात्रा में उपलब्ध हैं बीज
वैशाली: आलू रोपाई का अभी उपयुक्त समय चल रहा हैं. दूसरी ओर पिछली साल आलू की कीमत में कमी को देखते हुए इस बार आलू की खेती कम होने की उम्मीद हैं. आलू बीज की कमी अभी बाजार में नहीं है.
         किसान व व्यापारी बीज के लिए आलू कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं. वहां से अब आलू निकालकर बेच रहे हैं. किसान बताते हैं कि वह हर साल आलू की खेती करते हैं. इस बार रकवा कम रहेगा.
      बताया कि आलू का बीज बाजार में 8 से 10 रूपये किलो बिक रहा हैं. जब आलू की फसल निकल रही थी. उस समय आलू की कीमत चार रुपये किलो थी. किसान उसको कोल्ड स्टोरेज में रखे. अब जब बोआई के समय आलू वहां से निकाल रहे तो खर्च करीब पांच रूपये तक जा रहा हैं. अब आलू की खेती करने में उतना फायदा नहीं हैं. बीज वाला आलू छह रूपये किलो बेचना पड़ रहा हैं. अगर किसान कोल्ड स्टोरेज से लाकर उसको प्रोसेसिंग करके यानी सुखाकर तैयार करने के बाद बेच रहा हैं तो उसकी कीमत 8 से 10 के बीच हैं. अधिकांश किसान बड़े पैमाने पर पर आलू की खेती नहीं करेंगें. आलू की बीज आसानी से मिल रही हैं
     रबी की फसल के लिए उपयुक्त समय चल रहा हैं. किसान गेहूं के साथ-साथ आलू की रोपाई कर रहे हैं उर्वरक व बीज की कमी नहीं रहें. इसको लेकर निगरानी की जा रही हैं.
        उपचार के बाद करें रोपाई
        ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, कृषि मौसम विभाग जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केन्द्र डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविधालय पूसा के विज्ञानी डा. गुलाब सिंह ने किसानों को सुझाव दिया कि आलू की रोपाई प्राथमिकता से करें.
      कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अशोका, कुमारी बादशाह, कुफरी ज्योति, कुफरी सिंदुरी, कुफरी अरूण, राजेन्द्र आलू-1, कुफरी सिंदुरी, कुफरी अरूण, राजेन्द्र आलू-3 इस क्षेत्र के लिए अनुबंधित किस्में हैं. बीज दर 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रखें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 50-60 सेमी एवं बीज से बीज की दूरी 15-20 सेमी रखें.
     बताया कि आलू को काट कर लगाने पर 2 से 3 स्वस्थ आंख वाले टुकड़े को उपचारित कर 24 घंटे के अन्दर लगाएं . बीज को एगलौल या एमीसान के 0.5 प्रतिशत घोल या एथेन एम 45 के 0.2 प्रतिशत घोल या एथेन एम 45 के 0.2 प्रतिशत घोल में 10 मिनट तक उपचारित कर छाया में सुखाकर रोपनी करें. समूचा आलू लगाना श्रेयस्कर हैं. खेत की जुताई में कम्पोस्ट 200-250 क्विंटल, 75 किलोग्राम नाइट्रोजन, 90 किलोग्राम फास्फोरस एवं 10 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टर की दर से प्रयोग करें. इस विधि से आलू की खेती करने से बेहतर लाभ होगा.
      
अरता पात से दूर होती है निगेटिव एनर्जी......छपरा में बनता हैं: विदेशों में भी है डिमांड
वैशाली:  छठ महापर्व में अरता के पात का खास महत्व हैं. इसे अर्घ्य के दौरान इस्तेमाल किया जाता हैं.  ये प्राकृतिक संसाधन से बनाया जाता हैं. पूजा के बाद इसे घर के मुख्य दरवाजे पर लगाया जाता हैं. अरता को शुभ का प्रतीक माना जाता हैं. माना जाता है कि इससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं.
          इसे छपरा के अवतार नगर थाना क्षेत्र के झौवा ढाला के आसपास स्थित गांव में बनाया जाता हैं इस कुटीर उद्योग में ज्यादातर महिलाएं शामिल होती हैं. जिनसे संपर्क कर व्यापारी देश के कोने-कोने और विदेशों में इसे निर्यात करते हैं. अरता को बनाने में महिलाएं मई से लग जाती हैं.
        अरता को अकवन के फल से निकली रूई से बनाया जाता हैं. 5 महीने पहले ही इसे बनाने का काम शुरू हो जाता हैं. जो छठ पूजा में खत्म हो जाता हैं.   
   अकवन के बीज से निकाली जाती हैं रूई
      सुगंती देवी बताती है कि तपती गर्मी के बीच अकवन के फल को चुना जाता है. आसपास के क्षेत्रों सहित मथुरा और हरियाणा तक लोग फल चुनने के लिए जाते हैं. चुनने के बाद रूई की धुनाई की जाती हैं. धुनाई के बाद एक्सपर्ट लोग सांचे पर रूई से अरता  का निर्माण करते हैं. जिसके बाद सफेद अरता लाल हो जाता हैं. फिर उसे धूप में सूखने के लिए रखा जाता हैं
    निगेटिव एनर्जी का रिफ्लेक्टर भी कहा जाता
        पंडित केएम तिवारी बताते हैं कि छठ पूजा प्राकृतिक संसाधनों के बीच मनाया जाने वाला एक त्योहार हैं. पूजा के बाद अरता को मुख्य दरवाजे या पूजा घर में चिपकाया जाता हैं. इसे निगेटिव एनर्जी का रिफ्लेक्टर भी कहा जाता हैं. इससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं, सकारात्मक शक्ति को बढ़ावा मिलता हैं.
गोदी के बलकवा के दिह, छठी ममता दुलार
वैशाली: पहिले पहिले छठ हम कईनी छठ के बरतिया, रूनकी झुनकी बेटी मांगीला, पढल लिखल दामाद छठी मैया  केलवा के पात पर उगेला हो सुरजदेव जैसे छठ के पारंपरिक लोकगीतों के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के दूसरे दिन शनिवार को करना को लेकर छठव्रतियों में खासा उत्साह रहा. आस्था के महापर्व छठ का करना छठ व्रतियों ने रोटी एवं खीर का प्रसाद चढ़ाकर सम्पन्न किया. कल रविवार भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा. छठ पर्व के दूसरे दिन सुबह से ही खरना को लेकर बाजार से दूध चावल एवं गुड़ चीनी की व्यवस्था करने में लोग लगे रहे. मालूम हो कि छठ व्रती महिलाएं ने वस्त्र धारण कर चार दिवसीय पर्व के दूसरे दिन निर्जला रह कर छठ का करना करती हैं. खरना पर्व में प्रसाद के लिए गुड़ से बनी खीर एवं रोटी बनाकर पूजा अर्चना किया जाता हैं तत्पश्चात घर के सदस्य महाप्रसाद ग्रहण  करते हैं.
    वही छठ पर्व को लेकर बाजारों में फल खरीदारी को लेकर बाजार में रौनक रही.
वि०प० में महान स्‍वतंत्रता सेनानी बटुकेश्‍वर दत्त की जयंती मनाई गई।
महान स्‍वतंत्रता सेनानी और पूर्व विधान परिषद् सदस्‍य बटुकेश्‍वर दत्त की जयंती बिहार विधान परिषद् में मनाई गई। बिहार विधान परिषद् के माननीय उप सभापति प्रो . ((डॉ.) रामचन्द्र पूर्वे ने बटुकेश्‍वर दत्त की प्रतिमा पर मालर्यापण किया। उन्‍होने कहा की आजादी में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों में बटुकेश्‍वर दत्त का नाम श्रद्धा पूर्वक लिया जाता है। शहिद-ए-आजम भगत सिंह के साथ दिल्‍ली के केंद्रीय असेम्‍बली में बम फेंक कर अंग्रेजी हुकूमत को दहलाने का काम किया था। बटुकेश्‍वर दत्त पर सेंट्रल असेंबली पर बम फेंकने का मुकदमा चलाया गया। इस केस में उन्हें आजीवन कारावास कालापानी की सजा सुनाई गई और सेलुलर जेल, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भेज दिया गया। कई सालों बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने फिर से आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया और महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। जिसके कारण उन्हें चार साल के लिए फिर से जेल जाना पड़ा।
                      उक्‍त अवसर पर विधान परिषद् के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों ने बटुकेश्‍वर दत्त की प्रतिमा पर मार्ल्‍यापण किया।
आज से शुरु हुआ छठ का पर्व, जानें इसका महत्व
छठ पूजा का सनातन धर्म में बड़ा धार्मिक महत्व हैं. इस पर्व पर व्रती भगवान सूर्य और छठ माता से प्रार्थना करते हैं और उनके आर्शीवाद की कामना करते हैं. साथ ही लोग सूर्य के प्रति अपना सम्मान और आभार भी व्यक्त करते हैं क्योंकि वो सभी जीवित प्राणियों को प्रकाश सकारात्मकता और जीवन प्रदान करते हैं.
     छठ पूजा सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक हैं, जो बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता हैं. इस शुभ दिन पर, भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ भगवान सूर्य और छठ माता की पूजा करते हैं. यह व्रत पूरी तरह से छठी मैया को समर्पित हैं. यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू होता हैं और पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता हैं
       इस साल यह पर्व 17 नवंबर से शुरू होगा और 20 नवंबर को समाप्त होगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग इस व्रत को रखते हैं, उन्हें पवित्रता का खास ख्याल रखना चाहिए, जिससे बिना किसी बाधा के व्रत संपूर्ण हो सके. छठ पूजा का सनातन धर्म में बड़ा ही धार्मिक महत्व हैं. इस पर्व पर व्रती भगवान सूर्य और छठ माता से प्रार्थना करतें हैं और उनके आर्शीवाद की कामना करते हैं, क्योंकि वो सभी जीवित प्राणियों को प्रकाश, सकारात्मकता और जीवन प्रदान करते हैं.
   छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, डाला छठ, प्रतिहार और छठी के नाम से भी जाना जाता हैं.यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा परिवार और बच्चों की सलामती के लिए रखा जाता हैं और वे सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान सूर्य और छठी मैया की प्रार्थना करती हैं.
नहाय खाय से होती हैं छठ महापर्व की शुरूआत, जानिए इसका महत्व
छठ पर्व की शुरूआत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से होती हैं. इस पर्व के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना की जाती हैं. छठ का‌ व्रत महिलाएं अपनी संतान की सलामती और उज्जवल भविष्य के लिए करती हैं. छठ पर्व के पहले दिन नहाए खाएं मनाया जाता हैं. छठ मनाने वाले लोगों में इस दिन का विशेष महत्व हैं.
      छठ पर्व चार दिनों तक मनाया जाता हैं, जिसकी शुरूआत आज यानी 17 नवंबर, शुक्रवार के दिन से हो रही हैं. आइए जानते हैं नहाए खाय का महत्व और इससे जुड़े कुछ जरूरी नियम.
      नहाय खाय के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 45 मिनट पर होगा. वहीं सूर्यास्त शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा. ऐसे में 17 नवंबर शुक्रवार के दिन सुबह 11 बजकर 38 बजे तक नहाय खाय बरौना कर लेना चाहिए. नहाय खाय जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता हैं- स्नान करके भोजन करना. इस दिन नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं. इसके बाद कच्चे चावल का भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करती हैं.
      माना जाता हैं कि नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक उर्जा का संचार बढ़ता हैं. साथ ही यह भी माना जाता हैं कि इस दिन व्रत करने वाले साधक इस सात्विक द्वारा खुद को पवित्र कर छठ पूजा के लिए तैयार होते हैं
        नहाय खाय के नियम: नहाय खाय के दिन साफ-सफाई का विशेष महत्व होता हैं. इस दौरान कई  
नियमों का भी ध्यान रखा जाना जरूरी हैं. ऐसे में इस दिन प्रसाद का भोजन बनाते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. भोजन बनाने से पूर्व स्नान कर लें हाथों की स्वेच्छा का ध्यान रखें. भूलकर भी किसी जूठी चीज जैसे बर्तन का इस्तेमाल न करें. साथ ही इन व्रती के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
10 वर्षों बाद भी मनरेगा भवन निर्माण नहीं हो सका; 2013 में हुआ था शिलान्यास
गोरौल: श्रमिकों के रोजगार की गारंटी हेतु केंद्र सरकार द्वारा लांच किये गये मनरेगा योजना के फलीभूत करने के लिए प्रत्येक प्रखंड में मनरेगा भवन के लिए केंद्र सरकार ने राशि मुहैया करायी थी. इसी निर्देश के आलोक में गोरौल प्रखंड परिसर में मनरेगा भवन हेतु भूमि चिंहित की गई थी. निर्देशानुसार उक्त तत्कालीन सूचना एवं जन संपर्क विभाग के मंत्री सह वैशाली विधानसभा के विधायक वृषिण पटेल ने 30 सितम्बर 2013 को विधिवत किया था.
      निर्माण क्रम में  दिखावा के लिए मात्र प्रस्तावित भवन का कार्य मात्र डीपीसी तक छोड़ दिया गया. इसके बाद कोई सरकारी कर्मी ने इस निर्माणाधीन स्थल की ताक-झांक भी नहीं की. बीते 10 वर्षो में उक्त प्रस्तावित भवन अब झाड़ियों के बीच छिप गया हैं. लेकिन अबतक योजना स्थल पर प्राक्कलित राशि सहित निर्माण कार्य का कोइ डिस्प्ले नहीं लगा हैं जिससे प्रस्तावित मनरेगा भवन कथित घोटाले की संभावना को लेकर चर्चा का विषय बना हैं.
      वर्तमान में प्रखंड परिसर के एक अन्य पुराने जर्जर छोटे परिसर के दूसरे भवन में किसी मनरेगा  कार्यालय संचालित हैं. इस छोटे परिसर के दूसरे भवन में किसी मनरेगा कार्यालय में कार्यालय कर्मियों, डेटा ऑपरेटिंग रूम तथा वरीय अधिकारियों के निरीक्षण में सुयोग्य चैम्बर सहित अन्य सुविधाओं का अभाव हैं.  साथ ही श्रमिकों एवं आगंतुकों हेतु कोई भी सुविधा नहीं हैं.  
    जानकारी यह है कि इस परिसर में न योजना का डिस्प्ले है और न बीडीओ, सीओ से लेकर मनरेगा कर्मियों द्वारा बताया गया कि आखिर इस योजना मद की प्राक्कलित राशि कितनी हैं, अग्रिम ली गयी राशि तथा योजना 10 वर्षो में पूर्ण न होने का कारण क्या हैं
       
ट्रेन से लेकर बस तक में जगह नही; दूसरे राज्यों से अपने घर आने में लोगों को हो रही परेशानी
लोक आस्था के महापर्व छठ में बिहार के बाहर रहनेवालों को अपने घर आने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं. ट्रेन और बस में जगह नहीं हैं. कई लोग अब ट्रक पर सवार होकर अपने घर लौट रहे हैं.   
       इस बीच, रेलवे का दावा है कि कई विशेष ट्रेनें चलाई गई हैं. पटना रेलवे स्टेशन पर बाहर से आने वाले यात्रियों की भीड़ उतर रही हैं. स्टेशन पर दिल्ली से आए एक यात्री ने बताया कि कहीं सीट नहीं हैं. सभी ट्रेनें फुल हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली से खडे़ होकर पटना पहुंच गए. इधर बसों में भी सीट नहीं मिल पा रही हैं. दिल्ली से आनेवाली बसें खचाखच भरी आ रही हैं. कई यात्री खड़े होकर दिल्ली से दरभंगा जाने के लिए निकले थे. एक बस में 80 से 100 यात्रियों को बैठाया गया हैं.      
         महापर्व के मौके पर घर आने की मजबूरी में लोग अब मालवाहक ट्रकों से वापस घर आ रहे हैं. लौटे लोगों का कहना है कि ट्रेनों में टिकट लेने के बाद भी जगह नहीं मिल रही हैं कि घर लौट सके. बस और ट्रेन में जगह नहीं हैं, तो ट्रक ही एकमात्र साधन बचा हैं.
          पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी वीरेन्द्र कुमार बताते हैं कि छठ महापर्व के दौरान देश के विभिन्न स्टेशनों से पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार में आने-जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए भीड़ प्रबंधन तथा यात्रियों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए गए हैं. उन्होंने बताया कि नई दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, सिकंदराबाद, पुणे सहित कई स्टेशनों से पूर्व मध्य रेल के विभिन्न स्टेशनों के मध्य स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा हैं इस साल त्योंहारों के सीजन के दौरान अक्टूबर-दिसंबर माह में लगभग 126 जोड़ी स्पेशल ट्रेन चलायी जा रही हैं
         इन स्पेशल ट्रेनों द्वारा लगभग 1500 से अधिक फेरे लगाये जा रहे हैं. इसके साथ ही यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर पटना-रांची तथा पटना-हावड़ा रेलखंड पर 2 वंदे भारत ट्रेनें पहले से चलायी जा रही हैं. पटना और नई दिल्ली के बीच वंदे भारत स्पेशल तथा क्लोन संपूर्ण क्रांति स्पेशल, गतिशक्ति स्पेशल जैसी ट्रेनों का भी परिचालन किया जा रहा हैं. भीड़ के कारण अतिरिक्त सर्तकता बरती जा रही हैं. रेलवे सुरक्षा बल की तैनाती की गई हैं.
दिग्गज क्रिकेटर ने बताया कौन हैं भारत की जीत का असली हीरो
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने रोहित शर्मा को वर्ल्ड कप 2023 में भारतीय अभियान का असली हीरो बताया हैं. बुधवार 15 नवंबर को वानखेड़े स्टेडियम में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत की सेमीफाइनल जीत के बाद स्काई स्पोर्टस से बात करते हुए नासिर हुसैन ने कहा कि रोहित शर्मा ने भारतीय टीम का पूरा नजरिया ही बदल दिया. 2021 टी20 वर्ल्ड कप के बाद से भारत की बैटिंग अप्रोच की आलोचना हो रही थी. भारत 2021 टी20 वर्ल्ड कप की लीग स्टेज से बाहर हुआ था, वहीं अगले साल 2022 में सेमीफाइनल में इंग्लैंड से मिली हार से उनका सफर समाप्त हुआ था. दोनों ही वर्ल्ड कप के दौरान भारत की बैटिंग अप्रोच पर सवाल उठ रहे थे. क्योंकि टीम बड़ा स्कोर खड़ा करने में कामयाब नहीं हो रही थी. हुसैन ने इस बारे में कहा कि रोहित शर्मा ने भारत की अप्रोच को बदल दिया हैं और टीम को आश्वस्त किया कि आक्रामक क्रिकेट ही आगे बढ़ने का रास्ता हैं.
    नासिर हुसैन ने इंडिया वर्सेस न्यूजीलैंड सेमीफाइनल के बाद कहा ॓ कल सुर्खियां विराट कोहली के बारे में होगी, श्रेयस अय्यर के बारे में होगी और मोहम्मद शमी के बारे में होगी, लेकिन भारतीय टीम के असली हीरो, जिन्होंने इस भारतीय टीम की कल्चर को बदल दिया है, वह रोहित शर्मा हैं. दिनेश कार्तिक उस टीम के साथ थे जब भारत ने इंग्लैंड से टी20 विश्व कप का सेमीफाइनल खेला था, वहां उन्होंने नम्र, डरपोक क्रिकेट खेला, स्कोर कम था और इंग्लैंड ने उन्हें 10 विकेट से हरा दिया. तब उन्होंने (रोहित) डीके से कहा कि भारत‌ को बदलाव की जरूरत हैं.
      नासिर हुसैन ने न्यूजीलैंड के खिलाफ नॉकआउट मैच में अपनी लय बरकरार रखने के लिए रोहित की सराहना की. हिटमैन ने न्यूजीलैंड के खिलाफ भी टीम को तेज तर्रार  शुरूआत दी और आउट होने से पहले केवल 29 गेंदों पर 47 रन बनाए. जब भारत का रन रेट बीच के ओवर में गिरा तो रोहित शर्मा ने मैदान पर मैसेज भेजकर उसे बढ़ाने के लिए कहा.
पूर्व इंग्लिश कप्तान ने आगे कहा ॓ मुझे लगता हैं कि आज के असली‌ हीरो रोहित थे. ग्रुप स्टेज अलग है और नॉकआउट स्टेज अलग हैं और कप्तान ने सभी को दिखाया कि वे नॉकआउट में भी निडर खेलते जा रहे हैं, रोहित शर्मा ने दृष्टिकोण के साथ एक स्पष्ट संदेश दिया
भैया दूज व गोवर्धन पूजा का महत्व
वैशाली: इस बार भैया दूज या गोवर्धन पूजा बुधवार को मनाया गया. यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम भरे रिश्ते का हैं. इस पर्व पर हर उम्र के बहनों ने अपने भाई के सुख-समृद्धि के साथ लंबी उम्र की कामना करते हुए गोधन कूटकर भाई के अजर अमर होने के लिए भगवान सहित यमराज से भी प्रार्थना किया. जानकारी के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि को भैया दूज पर्व मनाने की परंपरा के अनुसार बुधवार को भाई के लंबी उम्र के लिए बहनों ने भैया दूज का पर्व किया. यह पर्व हर उम्र की महिलाओं सहित कुमारी कन्याओं ने अपने-अपने भाई के चहुं दिशा से सुरक्षित रखने के साथ भाई के‌ सुख-समृद्धि के लिए वर्त रखती‌ हैं. प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्लपक्ष में द्वितीया तिथि को‌ भैया दूज का पर्व होना सुनिश्चित हैं. जहां पर्व‌ में बहन अपने भाईयों के लंबी उम्र की कामना करते हुए भैयादूज पर्व करने के परम्परागत विधिवत पुजा अर्चना करते हुए पहले भाई को श्रापती हैं फिर श्राप से मुक्ति के लिए जीभ में रेंगनी का कांटा चुभाती हैं       इस दिन श्रीकृष्ण के स्वरूप गोर्वधन पर्वत(गिरिराज) और गाय की पूजा का विशेष महत्व होता हैं. गोवर्धन पूजा करने के‌ लिए सबसे पहले घर के आंगन में गाय के गोबर से गोवर्धन की‌ आकृति बनाएं. इसके बाद रोली, चावल, खीर, बतासे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन‌ भगवान‌ की पूजा करें. इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से एवं गायों को गुड़ व चावल खिलाने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा बनी रहती हैं. इस दिन गाय की पूजा करने से सभी पाप उतर जाते हैं और मोक्ष प्राप्त होता हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में इंद्र ने कुपित होकर जब मूसलाधार बारिश की तो श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों व गायों की रक्षार्थ और इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत, छोटी ऊंगली पर उठा लिया था. उनके सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी. इन्द्र के अभिमान को चूर करने के‌ बाद भगवान श्रीकृष्ण ने सभी‌ गोकुलवासियों सहित कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग बनाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी.