नहाय खाय संग प्रकृति उपासना का महापर्व कल से शुरू
 
भदोही। सूर्य उपासना का चार दिवसीय छठ पूजा शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो  जाएगा। चार  दिनों तक चलने वाली पूजा  जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में होती है। 
गोपीगंज  के रामपुर गंगा घाट, सीतामढ़ी घाट, ज्ञानपुर नगर के ज्ञानसरोवर के अलावा  अन्य छोटे सरोवरों में छठ पूजा की तैयारी शुरू हो गई है।  गोपीगंज, भदोही के बाजारों में महिलाओं ने पूजन सामग्री की खरीदारी की। कभी बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला छठ पर्व धीरे-धीरे पश्चिमी जिलों में भी अपनी पैठ बना चुका है। जिले में भी काफी संख्या में लोग पर्व को मनाते हैं। 
शुक्रवार को आस्था का महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। पहले दिन महिलाएं खाने में लौकी की सब्जी और चने की दाल संग घी खाएंगी। शनिवार को छोटी छठ होगी। खरना में 60 दिन में  तैयार साठी धान के लाल चावलों से बना गुड़ का रसियाव और रोटी खाते हैं।रविवार को डूबते सूर्य और सोमवार को उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा। 
व्रत रहने वाली महिलाएं पूजा में लगने वाले कोसी, सूप, शहद, काला तिल, पान का पत्ता, अदरक, हल्दी, नीबू,  सुपारी, गन्ना, सुथनी, अनार, अनानास, नारियल, बेर, संतरा, इमली और शरीफा की खरीदारी की। आटा और गुड़ से ठेकुआ और साठी के चावल के लड्डू संग  पूड़ी भी बनाई जाती है। बांस की टोकरी-दउरा में सामग्री रखकर घाट पर जाकर  छठ पूजा की  जाती है। पंडित प्रभुनाथ शुक्ला ने बताया कि सूर्य देव सभी ग्रहों के अधिपति कहे जाते हैं, कार्तिक माह के  षष्ठी तिथि को सूर्य की उपासना करना खास लाभकारी होता है। 
छठ  पर्व पर तांबे के पात्र में डूबेत एवं उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष  महत्व है। इसकी वैज्ञानिक महत्ता भी है, तांबे के पात्र एवं जल से टकराकर  सूर्य की किरणें  जब व्यक्ति के शरीर पर पड़ती  हैं  तो वह लाभकारी होता है।
Nov 17 2023, 13:53
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