आजमगढ़:कभी लोग विद्यालय की एक और दो उंगली दिखाकर करते थे इशारा आज विद्यालय क्षेत्र में बना शिक्षा के आकर्षण का केंद्र
फूलपुर(आजमगढ़)। कंपोजिट विद्यालय अंबारी आज शिक्षा के क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह विद्यालय अंबारी के कान्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहा है। इस विद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर मुख्यमंत्री, राज्यपाल, सांसद, विधायक, डॉक्टर, इंजीनियर सहित कई बड़े पदों पर चयनित होकर देश सेवा में लगे हैं। विभाग द्वारा विद्यालय का चयन अभ्युदय योजना के तहत किया गया है।
शिक्षा क्षेत्र पवई के कंपोजिट विद्यालय की स्थापना प्राइमरी पाठशाला के रूप में 1902 में हुई थी। विद्यालय में आज भी अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण पंजिका उपलब्ध है। शुरुआती दौर में विद्यालय काफी अच्छा चला था। 1990 के बाद से गिरावट आती गयी। सन 2013 में अंबारी निवासी राजेश यादव की नियुक्ति इस विद्यालय पर हुई।
उस समय लोग लघु और दीर्घ शंका के लिए विद्यालय की तरफ एक और दो अंगुली दिखाकर इशारा किया करते थे। उसका कारण विद्यालय का रख रखाव सही ढंग से न होने के कारण झाड़ियां और गंदगी का अंबार लगा था। पिछले 10 साल में प्रधानाध्यापक राजेश यादव ने अपनी लगन से विद्यालय की तस्बीर बदल दी।
विद्यालय का हरा भरा वातावरण एवं शैक्षिक गुणवत्ता अभिभावकों को आकर्षित कर रही है। विद्यालय में छात्रों की संख्या 600 तक पहुँच गयी है। ग्रीन एवं क्लीन स्कूल, रेन हार्वेस्टिंग, उच्च स्तरीय पुस्तकालय,औषधीय पौधे,ताजी हरी सब्जियां विद्यालय में मिल रही हैं।
विद्यालय में एक प्रधानाध्यापक, 8 सहायक, 3 अनुदेशक, 2 शिक्षामित्र एवं एक चपरासी की नियुक्ति विभाग द्वारा की गई है। प्रधानाध्यापक राजेश यादव ने बताया कि 120 वर्ष से पुराने दस्तावेजों को सुरक्षित रखा गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री स्व रामनरेश यादव 1934 में प्रवेश दर्जा 2 में प्रवेश लिए थे। इनके अलावा पूर्व सांसद रामकृष्ण यादव, अजीजुल्ला आज़मी पूर्व सांसद जौनपुर, रामआसरे विश्वकर्मा पूर्व मंत्री, बलिहारी बाबू पूर्व सांसद, रमाकांत यादव, दिनेश यादव डीजीपी। डॉ नन्दकिशोर यादव, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, रामसुंदर यादव, रामबचन यादव, रामप्रताप यादव सहित काफी संख्या में यहाँ पर लोगों ने शिक्षा ग्रहण किया है।
विश्व विख्यात लेखक अंबारी में जन्में बाद में बटवारे के समय पाकिस्तान चले गए सय्यद सिब्ते हसन भी यहीं से पढ़े थे। 1948 में पाकिस्तान चले गए। विश्वप्रसिद्ध लेखक बने। 20 से अधिक रचनाएं की हैं। मूसा से मार्क्स तक प्रसिद्ध रचना है।
Nov 07 2023, 18:03