म्यूजिक थैरेपी से मन और तन दोनों होते हैं स्वस्थ संदर्भ : मरीजों की थमती सांसों में जान फूंक रहा संगीत मरीजों के स्वस्थ होने में लग रहा कम समय
संगीत के बारे में एक अच्छी बात यह है कि जब यह आप पर प्रभाव डालता है तो आपको कोई दर्द महसूस नहीं होता। आधुनिक युग में हुए  कई शोधों  से हमें  मालूम होता है कि संगीत सुनते वक्त मानव मस्तिष्क कुछ प्राकृतिक रसायन छोड़ता है। शरीर का तंत्रिका तंत्र एंडोर्फिन नामक रसायन का उत्सर्जन करता है जो दर्द और तनाव को कम करने में मदद करता है।
काफी कारगर है : संगीत थैरेपी तनाव को कम करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में काफी कारगर मानी जाती है। म्यूजिक थैरेपी सभी उम्र और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों की मदद करती है। संगीत सुनने से मस्तिष्क के उन क्षेत्रों में रक्त प्रवाह बढ़ जाता है जो भावनाओं को उत्पन्न और नियंत्रित करते हैं।
संगीत चिकित्सा आमतौर पर काफी सुरक्षित होती है और इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है, लेकिन बहुत तेज या विशेष प्रकार का संगीत कुछ लोगों को परेशान कर सकता है।
संगीत सुनने से शरीर डोपामाइन नामक हार्मोन रिलीज करता है जो लोगों को अच्छा महसूस कराता है। संगीत सुनने से चिंता, रक्तचाप और दर्द कम हो सकता है। साथ ही नींद की गुणवत्ता, मानसिक सतर्कता और यादाश्त में सुधार हो सकता है।
सैड सांग्स ज्यादा कारगर : 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ऐसे लोगों को विभिन्न प्रकार के शास्त्रीय संगीत सुनने को कहा जो पहले अवसाद से पीड़ित थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिभागियों ने अधिक तेज संगीत के बजाय सैड सांग्स ज्यादा पसंद किये क्योंकि उन्हें यह ज्यादा आरामदायक लगे। सैड सांग्स सुनने से लोगों को अपनी भावनाओं को स्वस्थ तरीके से अभिव्यक्त करने की ताकत मिलती है। सच में संगीत भगवान् की ऐसी देन है जो बीमार और अस्वस्थ मनुष्यों को नयी ताजगी और स्वास्थ्य दुबारा प्रदान करता है।
ध्वनि प्रदूषण से मानव व्यवहार में आ रहा परिवर्तन संदर्भ : दुर्गा पूजा में अत्यधिक रहा ध्वनि प्रदूषण
साधारणतया एक मनुष्य की क्षमता 30 से 40 डेसिबल ध्वनि सहन करने की होती है। इससे अधिक तीव्रता वाली ध्वनि मनुष्य पर हानिकारक प्रभाव डालती है। आधुनिक युग ने हमें उच्च शक्ति वाली मशीनों से परिचित करवाया। ये हमारे चारों तरफ हैं और इनसे उच्च ध्वनि निकलती है। हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन और कारखानों के आसपास रहने वाले लोग ध्वनि प्रदूषण के अधिक शिकार होते हैं। दुनिया भर में ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत बड़ी- बड़ी मशीनें, परिवहन प्रणाली और प्रसार प्रणालियां हैं।
क्या होता है असर : ध्वनि प्रदूषण का वायुमंडल पर भी व्यापक असर पड़ता है। लोगों की श्रवण शक्ति कम होने लगती है। अनिद्रा की बीमारी हो सकती है। साथ ही हृदय रोग  तथा रक्तचाप की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ध्वनि प्रदूषण केवल मनुष्यों पर ही बुरा प्रभाव नहीं डालता पशु- पक्षी भी इससे प्रभावित होते हैं। ध्वनि प्रदूषण का असर समुद्रीय जीवन फर भी पड़ता है।
कैसे करें कम : ध्वनि प्रदूषण के नकारात्मक प्रभावों को लेकर सरकार ने भी इसे कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाये हैं। साथ ही सरकार जागरूकता अभियान भी चला रही है। पौधारोपण से भी ध्वनि प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। दूसरी तरफ ऐसी तकनीक का उपयोग करना होगा जिससे कम ध्वनि प्रदूषण हो। साथ ही ध्वनि अवशोषक का प्रयोग करना होगा। वहीं अनावश्यक ध्वनि पैदा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी होगी।
क्यों दरक रहे हैं पति और पत्नी के बीच के रिश्ते संदर्भ : सिपाही पत्नी की हत्या का मामला पत्नी की हत्या के बाद करना चाहता खुदकुशी
क्या प्रेम विवाह का अंत ऐसा होता है। क्यों दरक रहे हैं पत्नी और पति के रिश्ते। हाल के दिनों में आपसी संबंधों में मनमुटाव ज्यादा दिखायी दे रहा है। पति- पत्नी, भाई- भाई, पिता- पुत्र, मां-बेटी के बीच रिश्तों में कटुता धीरे- धीरे बढ़ती जा रही है।
पति - पत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका रहता है। जरा सी भी गलतफहमी से परिवार टूट जाते हैं। दोनों रेल की पटरियों की तरह होते हैं अगर पटरियां  सीधी हैं तो जिंदगी आराम से गुजर जाती है। वहीं पटरियां उबड़ - खाबड़ या टूटी हैं तो जिंदगी रूपी ट्रेन ड्रेल कर जाती है।
क्या हैं कारण : पति- पत्नी के बीच संबंध बिगड़ने के कुछ कारण हो सकते हैं : - शादी के बाद पति या पत्नी का किसी दूसरे के साथ संबंध होना, विचारों का नहीं मिलना, एक दूसरे को समय नहीं देना और यदि प्रेम विवाह हुआ है तो शादी से पहले सजाये सपने टूटने पर आये दिन झगड़ा होना।
कहते हैं कि शक का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं था। इस लिए अगर प्रेम विवाह किया गया है तो एक- दूसरे पर पूर्ण विश्वास भी होना चाहिए। कोशिश होनी चाहिए कि बीच में कोई तीसरा नहीं आये। आपसी कलह  बातचीत से दूर की जा सकती है।
आज एकल परिवार ज्यादा हैं। कोई बड़ा - बूढ़ा समझाने वाला नहीं है। जरा सी बहस हुई बस निकल गये घर छोड़कर। इससे समस्या का समाधान नहीं होता। आपस में बातें करें और कुछ समस्या नहीं सुलझ पाये तो काउंसलिंग करवा कर समस्या को दूर कर सकते हैं।

वक्त ही कुछ बेरहम सा हो रहा है।
जिसको देखो वही कांटे बो रहा है।।
आदमी की भीड़ में किस- किस से पूछें।
जिंदगी वो जी रहा या ढो रहा है।।
आटो में सफर करते हैं तो रहें सावधान संदर्भ : आटो गैंग ने विदेशी नागरिक को लूटा सूबे की छवि को कर रहे धूमिल
सावधानी हटी दुर्घटना घटी।अगर आपकी आटो में सफर करना मजबूरी है तो जरा सतर्क रहें।हाल के दिनों में बिहार की राजधानी पटना में आटो गैंग सक्रिय हो गया है।यह गिरोह यात्रियों को उनके गंतव्य  स्थान पर पहुंचाने के नाम पर सुनसान रास्ते में ले जाकर मारपीट कर सारा सामान लूट कर फरार हो जाता है।
अभी त्योहार सीजन चल रहा है।इसलिए आपको संभल कर सफर करने की जरूरत है।इस गिरोह के निशाने पर रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से अपने गंतव्य स्थान जाने वाले यात्री होते हैं। बाहर से आने वाले लोग ही इस गिरोह के शिकार बन जाते हैं।बैस्टिली सीजन में इस गिरोह की कारगुजारी बढ़ जाती है।
अतिथि देवो भव की भावना को लग रही ठेस : हाल की घटना एक विदेशी नागरिक के साथ हुई,जो बेल्जियम का निवासी था।वह गया से पटना आ रहा था। संपतचक से पटना जंक्शन जाने के क्रम में इलाही बाद के पास सुनसान सड़क पर उसके साथ मारपीट कर सारा सामान लूट कर भाग निकले।
पुलिस ने दो को पकड़ा : हालांकि पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए दो लुटेरों को धर दबोचा है। पुलिस का कहना है कि गैंग के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। त्योहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए सुनसान रास्तों पर गस्त बढ़ायी जा रही है।
बिहार की संस्कृति को करीब से महसूस करतीं हैं देश की राष्ट्रपति संदर्भ : चौथे कृषि रोड मैप का हुआ शुभारंभ
बुधवार को पटना में  देश की राष्ट्रपति ‌द्रौपदी मुर्मू ने बिहार की धरती से चौथे कृषि रोड मैप का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि इससे कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के साथ- साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार भगवान् बुद्ध और राजा अशोक की धरती है, जिन्होंने पूरी मानव जाति को शांति और सद्भाव का पाठ पढ़ाया। इसलिए आज हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जहां आपसी कलह और द्वेष की कोई गुंजाइश ही नहीं हो।
कब-कब लागू हुआ कृषि रोड मैप--2008 में पहला, 2012 में दूसरा, 2017 में तीसरा और कोरोना के कारण एक साल के विलंब के कारण 2023 में चौथे कृषि रोड मैप का शुभारंभ हुआ।
मालूम हो कि पहले कृषि रोड मैप में किसान पंचायत के साथ- साथ उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश की गयी। दूसरे कृषि रोड मैप में 18 विभागों को शामिल कर कृषि कैबिनेट का गठन किया गया। वहीं तीसरे कृषि रोड मैप में रासायनिक खादों के दुष्परिणाम से मानवता को बचाने के लिए आर्गेनिक खाद पर जोर दिया गया। वहीं चौथे कृषि रोड मैप, जो एक अप्रैल, 2023 से लागू होगा, जिसमें किसानों की आय बढ़ाना, उत्पादकता बढ़ाना आदि पर विशेष ध्यान दिया गया है। कृषि रोड मैप का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में इंद्रधनुषी क्रांति लाना और किसानों का सर्वांगीण विकास करना है।
संदर्भ पटना में बढ़ता डेंगू का प्रकोप चेंज आफ सीजन में रहे सतर्क और जागरूक
सावधानी हटी दुर्घटना घटी, यह कहावत आज डेंगू के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए और भी सामयिक हो जाती है। बस सतर्क रहें। डेंगू में होने वाला तेज बुखार प्लेटेट्स को तेजी से कम कर देता है जिससे शरीर में काफी कमजोरी महसूस होती है। चिंतित न होकर बस अपने खान- पान पर ध्यान रखें। तैलीय पदार्थ न खायें। तरल पदार्थ ज्यादा लें। प्लेटेट्स बढ़ने में पपीता खूब मदद करता है। कच्चा या पका दोनों फायदा पहुंचाया करते हैं। कच्चे पपीता का सूप, जूस या सब्जी के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
सूबे में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। वार्डों में फागिंग
की क्या स्थिति है यह पटना नगर निगम ही जानता है। नियमित रूप से नहीं होती है। डेंगू के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए सभी वार्डों में फागिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
चिंतित न हों बस सतर्क और जागरूक रहे और अपने शरीर की अंदरूनी शक्ति को मजबूत रखें और मस्त रहें।
कैमरे की नजर से
पुलिस क्या सच में संवेदना हीन बन गयी है? मामला : मुजफ्फरपुर में पुल से शव फेंकने का
पुलिस, यह शब्द ध्यान में आते ही आपके मन में क्या तस्वीर बनती है? ईमानदार, सेवा में तत्पर और घटना के बाद तुरंत घटना स्थल पहुंचना। पर आज ये नहीं दिखायी देता है। मुजफ्फरपुर की घटना ने पुलिस को शर्मसार कर दिया है।
क्या कोई इस तरह का कृत्य कर सकता है। कोई आम आदमी ऐसा काम नहीं कर सकता है। यूं कहा जाये तो 'पावर' वर्दी का पावर ही इस तरह के कृत्य करवाता है।
भला हो वीडियो बनाने वाले का, जिसने उसे वायरल कर दिया वरना जिसकी मृत्यु हुई उसके परिजन उसके शव को कहां- कहां तलाशते फिरते।
वहीं दूसरी ओर पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर बिहार सरकार से पुलिस को संवेदनशील बनाने को कहा है। पुलिस मुख्यालय के एडीजी भी कहा कि यह अमानवीय कृत्य है। दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।
नदियों को प्रदूषण से मुक्ति की कवायद प्रदूषण नियंत्रण पर्षद का निर्देश दूर्गा पूजा : मूर्तियों का नदियों में नहीं होगा विसर्जन
कहा जाता है कि अगला विश्वयुद्ध पानी को लेकर होगा। वही भारत में नदियों को जीवन रेखा माना जाता है। पर हमारी गैर जिम्मेदाराना हरकत और लापरवाही के कारण हमारी अधिकतर नदियां प्रदूषित होती जा रही हैं।कारण  घरों व कारखानों का कचरा, सीवेज और तरल अपशिष्ट को नदियों में प्रवाहित करना है। ग्लोबल वार्मिंग भी इसका एक कारण है।
परंपरा के कारण पर्व- त्योहार पर बनने वाली मूर्तियों को पूजा के बाद नदियों में विसर्जित कर दिया जाता है। मालूम हो कि अधिकतर मूर्तियां पीओपी (प्लास्टर आफ पेरिस) से निर्मित की जाती हैं। उनकी सजावट के लिए पेंट व अन्य कैमिकल का उपयोग किया जाता है। नदियों में विसर्जन करने से सारे कैमिकल पानी में घुल जाते हैं जिससे वे प्रदूषित हो जाती हैं।
इस कारण प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने नदियों में विसर्जन करने पर रोक लगा दी है। पर्षद का कहना है कि मूर्तियों के निर्माण में पीओपी का इस्तेमाल नहीं किया जाये। पर्षद ने बड़ी- बड़ी मूर्तियों के निर्माण पर भी सवाल उठाया है।
पर पर्षद के निर्देश से ही काम बनने वाला नहीं है। इसके लिए सभी को जागरूक करना होगा और नदियां कम से कम प्रदूषित हों इस पर विचार करना होगा। केंद्र सरकार भी गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नमामि गंगे योजना चला रही है। नदियां प्रदूषण मुक्त हो कर कलकल करती हुईं अनवरत बहती रहें तभी इस पृथ्वी पर मानव जाति सहित अन्य जीव-जंतु बच पायेंगे।

रवि शंकर शर्मा
पटना।
बिहार में ट्रिन-ट्रिन की आवाज होगी गुजरे जमाने की बात BSNL की लैंडलाइन सेवा होगी बंद
बिहार में बीएसएनएल की लैंडलाइन सेवा बंद हो जायेगी, निगम ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। वहीं उसकी जगह आर्टिकल फाइबर के माध्यम से इंटरनेट के साथ कनेक्शन दिया जायेगा, जिससे बाधा रहित इंटरनेट सेवा उपभोक्ताओं को मिल सके।
निजी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों की तुलना में पिछड़े बीएसएनएल ने भी अब बिहार में उपभोक्ताओं को बाधा रहित इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने की ठान ली है।
भारत में टेलीफोन☎ सेवा की शुरुआत 1881 में अंग्रेजों के शासन में शुरू हुई थी। उस समय बाम्बे ( मुंबई), कलकत्ता (कोलकाता) और मद्रास (चेन्नई) में सेवा शुरू की गयी थी। धीरे- धीरे इसे अन्य शहरों में भी चालू कर दिया गया। 20 वीं सदी में तो ये आम साधन बन गया‌।
वहीं इंटरनेट सेवा के आने के बाद टेलीफोन सेवा में बहुत बदलाव हुए।
सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म की मदद से लोग अपने विचार और प्रस्ताव एक- दूसरे से साझा कर सकते हैं। आज मोबाइल फोन का भी अधिक उपयोग किया जा रहा है।वहीं आप्टिकल फाइबर  से  मिलने वाली इंटरनेट सेवा के माध्यम से आप कहीं भी और किसी भी वक्त अपने लोगों से बाधा रहित संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

रवि शंकर शर्मा
पटना