*सीतामढ़ी महर्षि वाल्मीकि आश्रम में हजारों की संख्या में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। सीतामढ़ी महर्षि वाल्मीकि तपोस्थली एवं लवकुश कुमारो की जन्मस्थली त्रेता युग में माता सीता की शरण स्थली 88 हजार ऋषि मुनियों की तप स्थली एवं सृष्टि के पहले महाकाव्य वाल्मीकि रामायण की रचना स्थली के रूप में ये आश्रम जाना जाता है। कभी निर्जल जंगल के रूप में रहे इस स्थल पर आज विकास की छाप पड़ने लगी है।
सीतामढ़ी की पावन धरती पवित्र गंगा तट के किनारे पर स्थित है धन्य है यहां पर स्थित गंगा तट पर वटवृक्ष की आयु का अब तक कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सका है जो माता सीता के यादों को वर्षों से समेटे हुए हैं ।वही सीतामढ़ी महर्षि वाल्मीकि के प्रबंधक पुत्र ज्ञानी कुमार ने बताया कि कवितावली में स्पष्ट वर्णन है गोस्वामी तुलसीदास जी ने कवितावली के 138 कविताओं में सीता समाहित स्थल का वर्णन करते हुए सीतामढ़ी का उल्लेख किया गया है ।
इसमें विटप महिप सूर सहित समीप, सोहेल सीता वटु पेखत पुनित होत पातकी। इसका अर्थ जहां की छाया का स्पर्श होते ही शरीर का ताप शांत हो जाता है वह वृक्ष राज सीता वट गंगा के तट पर शोभायमान है। इसके दर्शन मात्र से सारे पापों का नाश हो जाता है और यहां पर यात्रियों की सुख सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है।
Oct 28 2023, 12:55