*राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वाधान में तुवन मन्दिर में विजयदशमी उत्सव आयोजित किया गया।*
ललितपुर।इस अवसर पर मुख्यवक्ता जिला प्रचारक वीर जी ने कहा कि हमें भारत माता को परम वैभव तक पहुंचाना है और इसकी शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि गुणी व्यक्ति ही गुणवान लोगों का चयन कर सकता है। भारत देश आने वाले समय में विश्व गुरु बनेगा। जिसमें हम सबका गिलहरी जैसा सहयोग रहेगा।
हमें सभी को शिक्षित करने है। सभी को आपस में सभी मर्यादाओं में रह कर अपने जीवन में विकसित करने की प्रक्रिया को सदैव जाग्रत रखना है। इस देश के हमारे पूर्वजों ने अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए अनेकों कुर्वानी दी है। हमें भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के बताए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। हमें आज के परिवेश में देश के अन्दर छिपे गद्दार को भी पहचान कर कार्य करना है।
आने वाले समय में हमें अपनी भूमिका का निर्वहन किस प्रकार करना है इसके बारे में विचार करना है। हमें अपने लिए नहीं बल्कि समाज व राष्ट्र के कल्याण करना है। हमें अपने आप को जगा कर समाज और राष्ट्र निर्माण का कार्य करना है। हम सबको अपने क्षेत्र में अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा। उन्होंने बताया कि
हिंदू समाज को सक्रिय जागरूक और शक्ति संपन्न बनाने के लिए अपने देश के मनीषियों ने समाज जीवन के विशेष प्रसंग पर अनेकानेक उत्सवों का सृजन किया हिंदू समाज के इन उत्सव में से कुछ सामाजिक समरसता के लिए है कुछ शुद्ध स्वाभिमान को जागृत करने के लिए हैं विजयदशमी शक्ति उपासना का उत्सव है
विजयदशमी आसुरी शक्ति के ऊपर सात्विक और देवीय शक्ति की विजय का प्रतीक है, आज ही के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और इस पृथ्वी को राक्षसों से विहीन किया ,अधर्म पर धर्म की जय हुई असत्य पर सत्य की विजय हुई मां दुर्गा ने नवरात्रि के दसवें दिन महिषासुर का वध किया इस कारण आज के दिन को दशम तिथि को दसोहर दशहरा कहते हैं जब पांडव द्रुत कीड़ा में सब कुछ हार गए तब उन्हें 12 वर्ष का वनवास व 13 वे वर्ष का अज्ञातवास मिला अज्ञातवास के समय उन्होंने अपने शस्त्र शमी नामक वृक्ष के ऊपर बांधकर रख दिए थे ।
विरार युद्ध में गौ रक्षा तथा अज्ञातवास कि समाप्ति के पश्चात पांडवों ने विजयादशमी के दिन ही शास्त्रों को समी वृक्ष उतार कर उनका पूजन किया तब से हिंदू संस्कृति और परंपरा में शस्त्र पूजन की परंपरा प्रारंभ हुई विजयदशमी की दिन ही महाराणा प्रताप ने दिवेर के युद्ध में बहलोल खां के सिर पर अपनी तलवार से भीषण प्रहार करते हुए उसको टॉप बख्तर और घोड़े सहित बराबर दो भागों में काट दिया और दिवेर विजय प्राप्त की, युद्ध न होने पर भी शिवजी विजयादशमी के दिन अपने राज्य की सीमा का विस्तार करते थे हिंदू समाज और संस्कृत में सीमोलंघन की परंपरा तब से हुई।
उन्होंने बताया कि सैकड़ो बरसों के आक्रमणों के कारण पतित पराभूत आत्म शून्य आत्म विस्मित हिंदू समाज में नव चैतन्य आत्मविश्वास एवं विजय की आकांक्षा के निर्माण के लिए परम पूजनीय डॉक्टर केशव राव बलिराम हेडगेवार ने10 12 नवयुवक को लेकर अपने घर पर ऊपर कमरे बैठक करते हुए आज के दिन विजयदशमी के दिन ही हिंदू समाज के संगठन का कार्य प्रारंभ करने की घोषणा की साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की
शस्त्रेण रक्षिते राष्ट्रे शास्त्रः राष्ट्र की रक्षा के लिए शास्त्र जरूरी है एवं शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र जरूरी है।
विनय न मानत जलधि जड़ गए तीन दिन बीत ,बोले राम सकोप तब भयभीत हुए न प्रीत ,संसार शक्ति की भाषा समझता है जब भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई के लिए समुद्र से रास्ता मांगा तो समुद्र ने रास्ता नहीं दिया भगवान राम ने तीन दिन तक प्रतीक्षा करने के बाद अपना धनुष बाण उठाकर संधान किया तो समुद्र ने मार्ग दिया समाज के शक्ति संपन्न होने पर मार्ग की बाधाएऺ स्वत दूर हो जाती है।
इस अवसर पर जिला संघ चालक रमेश सोनी, नगर संघ चालक जितेन्द्र वैद्य, जिला कार्यवाह आशीष चौबे, मनीष श्रीवास्तव, नगर कार्यवाह विवेक बोहरे, नगर प्रचारक अरुण सन्यासी, , प्रताप गुप्ता, के एल मालवीय, अमर सिंह, छक्की लाल साहू, राजेंद्र , विनोद शर्मा,हरपाल चंदेल, ब्रजेंद्र गौर, राम रतन कुशवाहा, राम कुमार नामदेव, विनोद चंदेल, हाकिम सिंह, गिरीश साहू, हर्ष नामदेव ध्रुव सिंह, सहित अन्य स्वयं सेवक उपस्थित रहे।
Oct 27 2023, 18:34