*सुल्तानपुर का ऐतिहासिक दुर्गा पूजा महोत्सव देशभर में मशहूर, बड़ी संख्या में मां के दर्शन को पहुंच रहे भक्त*
सुल्तानपुर । जिले में रावण का पुतला दहन कर दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाया जाता है आपको बता दें कि देशभर में यहां की दुर्गा पूजा सबसे अलग है देश में जहां दशमी का दशहरा खत्म होता है तो वही यहां रावण का पुतला दहन कर दुर्गा पूजा मिलेगी शुरुआत होती है।
गौरतलब है कि 1959 में ततेरी बाजार में शुरू हुई दुर्गा पूजा पहली मूर्ति है। जिले में दुर्गा पूजा का शुभारंभ लाटरी बाजार में भिखारी लाल सोनी व उनके सहयोगियों ने किया था यहां से शुरू हुई दुर्गा पूजा का सिलसिला समय के साथ ही बढ़ता रहा दूसरी मूर्ति की स्थापना रह जाता गली में बंगाली प्रसाद सोनी ने 1961 में कराई थी वही 1970 में हुए दो प्रतिमाएं और जुड़ी इसके अगले वर्ष कालीचरण ने श्री संतोषी माता और राजेंद्र प्रसाद रंजन सेठ निर्माण सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना की थी 1973 में श्री अष्टभुजी माता श्री अंबे माता श्री गायत्री माता श्री अन्नपूर्णा माता की स्थापना के साथ ही दुर्गा पूजा महोत्सव में तब्दीली होती गई।
सुल्तानपुर में 63 वर्ष से लगाते चले आ रहे दुर्गा पूजा महोत्सव में पिछले वर्ष तक जिले में कुल लगभग हजारों स्थान पर दुर्गा प्रतिमाही स्थापित होती हैं लेकिन जिले में दुर्गा पूजा महोत्सव का बड़ा महत्व है पूरे जनपद में इस महोत्सव को उल्लास के साथ मनाया जाता है शहर में ही करीब 200 से 250 पंडाल बनाए जाते हैं ग्रामीण अंचलों को भी मिल लिया जाए तो यह संख्या लगभग हजारों की हो जाती है इसमें देवी की अलग-अलग रूप की प्रतिमाएं स्थापित होती हैं कहीं सुपारी से निर्मित प्रतिमाएं तो कहीं रुद्राक्ष से निर्मित तो कहीं चावल और काजू बादाम से भी देवी प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं ठठेरी बाजार में बड़ी दुर्गा की स्थापना की जाती है बता गली में गुफा बनाकर देवी प्रतिमा स्थापित होती है वही विवेक नगर करौंदिया लखनऊ नाका शाहगंज चौराहा समेत अन्य प्रमुख स्थानों में देवी प्रतिमाएं स्थापित कर दुर्गा पूजा महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।
वही दिल्ली से आई हुई पल्लवी ने बताया कि पहले स्थान पर कोलकाता में दुर्गा पूजा माना जाता है और उसके बाद दूसरे स्थान पर सुल्तानपुर में दुर्गा पूजा माना जाता है जिसकी प्रशंसा सुनकर दिल्ली से सुल्तानपुर पहुंची पल्लवी सिंह ने बताया कि दुर्गा पूजा का अनुभव करने के लिए आई हुई है जो की सुल्तानपुर में बड़े-बड़े मंदिरों के प्रतिरूप मंदिर यहां तैयार किए जाते हैं जैसा कि जानते हैं कि मां की प्रतिमा को लाने के लिए गाजे बाजे के साथ धूमधाम से उन्हें लाकर स्थापित किया जाता है जबकि यहां पर दुर्गा पूजा पूर्णिमा तक चलता है और यहां प्रत्येक दिन भंडारे और जागरण का आयोजन भी होता है जो की अन्य शहरों व जिलों से लोग आकर भव्य भव्य तरीके का प्रस्तुति करते हैं जॉकी आए हुए श्रद्धालुओं के दिलों को मनमोहित करते हैं इन्हीं सब चीजों को अनुभव करने के लिए पल्लवी सिंह सुल्तानपुर आज पहुंची हुई है महाराष्ट्र का ढोल कभी अनुभव करने के लिए वह ज्यादा उत्साहित है।
Oct 22 2023, 10:26