आप सांसद संजय सिंह को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका, गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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दिल्ली शराब घोटाले मामले में तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को दिल्ली हाइकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने संजय सिंह की ओर से गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया। इतना ही नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने संजय सिंह की गिरफ्तारी को कानून के नियमों के मुताबिक माना है।दिल्ली हाईकोर्ट ने संजय सिंह की उस दलील को भी खारिज किया, जिसमें उनकी तरफ से कहा गया था कि ईडी ने राजनीतिक दुर्भावना के कारण गिरफ्तार किया है। बता दें कि दिल्ली शराब घोटाले मामले में ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार किया था। 

दिल्ली शराब कांड में जेल में बंद आप नेता संजय सिंह ने ईडी द्वारा गिरफ्तारी का आधार न बताने पर गिरफ्तारी को अवैध घोषित किए जाने की मांग की थी, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की जज जस्टिस स्वर्णकांता ने संजय सिंह की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी कानून के नियमों के मुताबिक है।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कानून सबके लिए बराबर है। चाहे वह नेता हो या आम नागरिक हो। इसके अलावा जांच प्रारंभिक स्थिति पर है। इस तर्क पर कि यह एक राजनीति से प्रेरित मामला है, न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि ईडी देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है और अदालत रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री के अभाव में चर्चा का हिस्सा नहीं बन सकती है जो इसे साबित करती हो।न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा अदालतों को ऐसे प्रभावों से अछूता रहना और केवल शपथ से बंधा रहना ही बेहतर है। अदालत ने कहा कि हालांकि सिंह एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, लेकिन उन्हें आपराधिक मामले में किसी अन्य आरोपी के बराबर ही रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि प्रत्येक व्यक्ति को सार्वजनिक छवि की रक्षा करने का अधिकार है, तथापि उस अधिकार को बरकरार रखना किसी अपराध की जांच करने के राज्य के अधिकार के रास्ते में नहीं आ सकता है।

बता दें कि संजय सिंह की भी गिरफ्तारी उसी मामले में हुई है, जिसमें मनीष सिसोदिया भी गिरफ्तार हैं और अभी जेल में हैं। ईडी ने आरोप लगाया है कि सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा ने अपने बयान में कहा है कि संजय सिंह ने मनीष सिसोदिया से उसकी मुलाकात कराई थी।

राहुल गांधी को राहतः सुप्रीम कोर्ट ने संसद सदस्यता बहाली को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर लगाया जुर्माना

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता की बहाली को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर सुप्रीम कोर्ट सख्ती दिखाई है। सदस्यता बहाली के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इनकार कर दिया।कोर्ट ने जनहित याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।बता दें कि पिछले कर्नाटक चुनावों में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी की वजह से उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी। उन्हें इस मामले में निचली अदालत ने सजा सुनाई थी। राहुल गांधी इस सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए, जहां उन्हें राहत मिली और सदस्यता बहाल हो गई। 

राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाली के बाद सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने जनहित याचिका दाखिल की। इस याचिका में मांग की गई कि राहुल गांधी को सदस्यता रद्द की जाए। आज शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई तो कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले वकील पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। 

याचिकाकर्ता ने कहा था कि जब तक ऊपरी अदालत निर्दोष न ठहराए, सदस्यता बहाल होना गलत है। जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिका कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है क्योंकि याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता वकील अशोक पांडे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

बीजेपी पूर्णेश मोदी ने 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ उनके सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी कैसे है? पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। यह टिप्पणी 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान की गई थी।इसको लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अन्य पिछड़ा वर्ग का अपमान किया है। राहुल गांधी को 24 मार्च को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। गुजरात के सूरत में मेट्रोपॉलिटन अदालत ने उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। दरअसल 7 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी थी।

बांग्लादेश के विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल ने की प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने की योजना की घोषणा

 कहा, पार्टी चुनाव में भाग लेने के बजाय जबरन सत्ता पर कब्जा कर सकती है, इस पार्टी ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को भी सबक सिखाने की धमकी दी 

बांग्लादेश के विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने की योजना की घोषणा करते हुए कहा है कि पार्टी चुनाव में भाग लेने के बजाय जबरन सत्ता पर कब्जा कर सकती है।

इस पार्टी ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को भी सबक सिखाने की धमकी दी है। आलमगीर ने यह टिप्पणी बुधवार शाम को ढाका के नया पल्टन इलाके में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय के सामने की।

हिंदुओं को सबक सिखाने की धमकी पर गरजा विपक्ष... PM शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ फेंकने का लिया संकल्प

आलमगीर ने यह भी कहा कि पार्टी के कार्यवाहक नेता तारिक रहमान के नेतृत्व में बीएनपी सत्ता हासिल करने का इंतजार कर रही है। जियाउर रहमान फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में आलमगीर ने सैकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया।

बांग्लादेश वापस लो... के लगेंगे नारे

उन्होंने कहा कि सड़कों पर लड़ो, हम इसका सामना करने के लिए तैयार हैं। आलमगीर ने कहा कि हिंदू समुदाय के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा के बाद 28 अक्टूबर (लक्ष्मी पूजा के दिन) को हम राजधानी में इकट्ठा होंगे और आंदोलन चलाएंगे। हमें कोई नहीं रोक सकता। यह रैली 'बांग्लादेश वापस लो' के नारे के साथ समाप्त हुई। यह नारा बिना चुनाव के सत्ता हथियाने के इरादे को दर्शाता है। इस अभियान को लंदन से तारिक रहमान चला रहे हैं।

रहमान, पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के बेटे हैं। उन्हें मनी लांड्रिंग, उल्फा और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के साथ मिलीभगत, हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी और आतंकियों के साथ मिलकर हसीना की हत्या करने के लिए ग्रेनेड हमले सहित कई मामलों में दोषी ठहराया गया है। अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं और राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा, यह एक खुली धमकी है, जो अतीत में बीएनपी-जमात के लोगों द्वारा किए गए अत्याचार की यादें ताजा करती है।

इसने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में चिंता पैदा कर दी है।

एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कट्टरपंथी संगठन के सदस्य पहले ही राजधानी में घुस चुके हैं। ये गुंडे पहचान छुपाकर उत्तरा इलाके के होटलों और मेस में रह रहे हैं।

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार रहमान खेमे ने रुहुल कुद्दुस ताल्कडर डुलु, खैरुल कबीर खोकोन, अबुल खैयर भुइया, सहाबुद्दीन साबू, शाहिद उद्दीन एनी जैसे आतंकियों को इस अभियान की देखरेख के लिए नियुक्त किया है। हाल के दिनों में, तारिक रहमान की धमकियों ने अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में चिंता पैदा कर दी है।

कैश फॉर क्वेश्चन केसःमहुआ मोइत्रा के वकील ने छोड़ा साथ, जानें क्या है वजह

#mahua_moitra_lawyer_withdraws

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा के वकील ने हाईकोर्ट में दायर उस याचिका से जुड़े मामले में शुक्रवार को अपना नाम वापस ले लिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं सांसद निशिकांत दुबे, एक वकील, कई सोशल मीडिया मंचों और मीडिया संस्थानों को मोइत्रा के खिलाफ कोई भी अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने, प्रसारित करने या प्रकाशित करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। 

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ के खिलाफ पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। महुआ ने इन आरोपों के जवाब में दुबे के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया था। पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद महुआ मोइत्रा ने 17 अक्टूबर को दायर याचिका में दुबे, वकील देहाद्रई, सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’, सर्च इंजन गूगल, यूट्यूब और 15 मीडिया संस्थानों को उनके खिलाफ अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण बयानों के प्रकाशन, प्रसारण से स्थायी रूप से रोके जाने का अनुरोध किया था।

शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान महुआ की पैरवी कर रहे वकील ने खुद को इस केस से अलग कर लिया।महुआ के वकील ने इम मामले में हितों के टकराव की बात कहते हुए इस केस की आगे कोई भी पैरवी करने से इंकार कर दिया।वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने इस मामले से खुद को उस समय अलग कर लिया, जब वकील जय अनंत देहाद्रई ने हाईकोर्ट को बताया कि मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई में उनकी शिकायत वापस लेने के लिए शंकरनारायणन ने गुरुवार रात को फोन पर उनसे संपर्क किया था।

दरअसल महुआ मोइत्रा के मित्र और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहद्राई महुआ के निजी मित्र रह चुके हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि महुआ के वकील गोपाल शंकरनारायण ने देहद्राई को कॉल करके मामला वापस लेने को कहा, जिसकी कॉल रिकॉर्डिंग उनके पास मौजूद है। ऐसे में जज ने कहा, अगर ऐसा है तो शंकरनारायण इस मामले की पैरवी कैसे कर सकते हैं। इसके बाद गोपाल शंकरनारायण ने अपने आप को इस मामले से अलग कर लिया।

गाज़ा में घुसकर आतंकी हमास का सफाया करेंगे..', इजराइल के रक्षा मंत्री बोले- जल्द जारी करेंगे जमीनी हमले का आर्डर

सात अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास के घातक हमले के जवाब में दो सप्ताह के हवाई हमलों के बाद, गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजरायल का जमीनी आक्रमण जल्द शुरू होगा। गाजा सीमा के पास इंतजार कर रहे सैनिकों से बात करते हुए, इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा कि हमास द्वारा संचालित फिलिस्तीनी क्षेत्र में प्रवेश करने के आदेश "जल्द ही" आएंगे।

टाइम्स ऑफ इज़राइल की एक रिपोर्ट के अनुसार, गैलेंट ने गिवाती ब्रिगेड के सैनिकों से कहा कि, "अभी आप गाजा को दूर से देखते हैं, जल्द ही आप इसे अंदर से देखेंगे।" कहा कि, ''आदेश आ जाएगा।'' हम सटीक और घातक होंगे और मिशन पूरा होने तक इसे जारी रखेंगे। गैलेंट ने दो सप्ताह पहले दक्षिणी इज़राइल पर हमास के आतंकवादी हमले को रोकने में विफलता की भी ज़िम्मेदारी ली। गैलेंट ने कहा कि, 'मैं रक्षा प्रतिष्ठान के लिए जिम्मेदार हूं। पिछले दो हफ्तों में, यहां तक कि कठिन घटनाओं में भी, मैं इसके लिए जिम्मेदार था, और मैं इसे लड़ाई में जीत दिलाने के लिए जिम्मेदार हूं।'

वहीं, प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी सेना के अग्रिम मोर्चों का दौरा किया, गाजा सीमा के पास गोलानी सैनिकों के एक समूह को रैली की और उन्हें बताया कि इज़राइल एक बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि, 'हम अपनी पूरी ताकत से जीतने जा रहे हैं। पूरा इज़राइल आपके पीछे है, और हम अपने दुश्मनों पर हमला करने जा रहे हैं ताकि हम जीत हासिल कर सकें।'प्रत्याशित जमीनी आक्रमण के बारे में बात करते हुए, इजरायली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि यह एक बड़े पैमाने पर ऑपरेशन होगा, जिसका उद्देश्य गाजा से आतंकी संगठन हमास का सफाया करना है।

सीमा क्षेत्र का दौरा करते हुए जहां हजारों टैंक और बख्तरबंद वाहनों सहित एक बड़ा इजरायली सैन्य जमावड़ा है, अधिकारियों ने सैनिकों से कहा कि लड़ाई "कठिन, लंबी और तीव्र" होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि इज़राइल अंततः युद्ध जीतेगा। इजराइली रक्षा बलों (IDF) दक्षिणी कमान के प्रमुख मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने कहा कि अपेक्षित जमीनी आक्रमण "लंबा और तीव्र" होगा। सीमा पर सैनिकों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ''यह युद्ध हम पर थोपा गया है, एक क्रूर दुश्मन के साथ जिसने हमें बहुत नुकसान पहुंचाया। लेकिन हमने उन्हें रोक दिया, हम उन पर जोरदार प्रहार कर रहे हैं।''

मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने कहा कि, 'अब, युद्धाभ्यास लड़ाई को उनके क्षेत्र में स्थानांतरित करने जा रहा है। हम उन्हें उनके क्षेत्र में हराने जा रहे हैं। " उन्होंने कहा कि "यह कठिन, लंबा और तीव्र होने वाला है।' बता दें कि, इज़राइल एक सप्ताह से गाजा, विशेषकर गाजा शहर पर जमीनी हमले की तैयारी कर रहा है, और पट्टी के उत्तरी हिस्से में नागरिकों को दक्षिण की ओर जाने की चेतावनी दे रहा है। 13 अक्टूबर को इज़राइल रक्षा बल ने गाजा शहर में रहने वाले 1।1 मिलियन लोगों को वाडी गाजा के दक्षिण में जाने के लिए कहा था। कई नागरिकों को निकाला गया है, लेकिन आतंकी संगठन हमास लगातार फिलिस्तीनियों को निकलने से रोक रहा है। इजराइल का आरोप है कि हमास नागरिकों को निकलने नहीं दे रहा है, क्योंकि वह उन्हें ढाल के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है।

'गाज़ा में घुसकर आतंकी हमास का सफाया करेंगे..', इजराइल के रक्षा मंत्री बोले- जल्द जारी करेंगे जमीनी हमले का आर्डर

सात अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास के घातक हमले के जवाब में दो सप्ताह के हवाई हमलों के बाद, गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजरायल का जमीनी आक्रमण जल्द शुरू होगा। गाजा सीमा के पास इंतजार कर रहे सैनिकों से बात करते हुए, इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा कि हमास द्वारा संचालित फिलिस्तीनी क्षेत्र में प्रवेश करने के आदेश "जल्द ही" आएंगे।

टाइम्स ऑफ इज़राइल की एक रिपोर्ट के अनुसार, गैलेंट ने गिवाती ब्रिगेड के सैनिकों से कहा कि, "अभी आप गाजा को दूर से देखते हैं, जल्द ही आप इसे अंदर से देखेंगे।" कहा कि, ''आदेश आ जाएगा।'' हम सटीक और घातक होंगे और मिशन पूरा होने तक इसे जारी रखेंगे। गैलेंट ने दो सप्ताह पहले दक्षिणी इज़राइल पर हमास के आतंकवादी हमले को रोकने में विफलता की भी ज़िम्मेदारी ली। गैलेंट ने कहा कि, 'मैं रक्षा प्रतिष्ठान के लिए जिम्मेदार हूं। पिछले दो हफ्तों में, यहां तक कि कठिन घटनाओं में भी, मैं इसके लिए जिम्मेदार था, और मैं इसे लड़ाई में जीत दिलाने के लिए जिम्मेदार हूं।'

वहीं, प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी सेना के अग्रिम मोर्चों का दौरा किया, गाजा सीमा के पास गोलानी सैनिकों के एक समूह को रैली की और उन्हें बताया कि इज़राइल एक बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि, 'हम अपनी पूरी ताकत से जीतने जा रहे हैं। पूरा इज़राइल आपके पीछे है, और हम अपने दुश्मनों पर हमला करने जा रहे हैं ताकि हम जीत हासिल कर सकें।'प्रत्याशित जमीनी आक्रमण के बारे में बात करते हुए, इजरायली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि यह एक बड़े पैमाने पर ऑपरेशन होगा, जिसका उद्देश्य गाजा से आतंकी संगठन हमास का सफाया करना है।

सीमा क्षेत्र का दौरा करते हुए जहां हजारों टैंक और बख्तरबंद वाहनों सहित एक बड़ा इजरायली सैन्य जमावड़ा है, अधिकारियों ने सैनिकों से कहा कि लड़ाई "कठिन, लंबी और तीव्र" होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि इज़राइल अंततः युद्ध जीतेगा। इजराइली रक्षा बलों (IDF) दक्षिणी कमान के प्रमुख मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने कहा कि अपेक्षित जमीनी आक्रमण "लंबा और तीव्र" होगा। सीमा पर सैनिकों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ''यह युद्ध हम पर थोपा गया है, एक क्रूर दुश्मन के साथ जिसने हमें बहुत नुकसान पहुंचाया। लेकिन हमने उन्हें रोक दिया, हम उन पर जोरदार प्रहार कर रहे हैं।''

मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने कहा कि, 'अब, युद्धाभ्यास लड़ाई को उनके क्षेत्र में स्थानांतरित करने जा रहा है। हम उन्हें उनके क्षेत्र में हराने जा रहे हैं। " उन्होंने कहा कि "यह कठिन, लंबा और तीव्र होने वाला है।' बता दें कि, इज़राइल एक सप्ताह से गाजा, विशेषकर गाजा शहर पर जमीनी हमले की तैयारी कर रहा है, और पट्टी के उत्तरी हिस्से में नागरिकों को दक्षिण की ओर जाने की चेतावनी दे रहा है। 13 अक्टूबर को इज़राइल रक्षा बल ने गाजा शहर में रहने वाले 1।1 मिलियन लोगों को वाडी गाजा के दक्षिण में जाने के लिए कहा था। कई नागरिकों को निकाला गया है, लेकिन आतंकी संगठन हमास लगातार फिलिस्तीनियों को निकलने से रोक रहा है। इजराइल का आरोप है कि हमास नागरिकों को निकलने नहीं दे रहा है, क्योंकि वह उन्हें ढाल के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है।

निठारी कांड का आरोपी मोनिंदर पंढेर जेल से हुआ रिहा, जानें कोर्ट ने क्यों किया बरी

#nithari_case_accused_maninder_pandher_released

दिल्ली से सटे नोएडा में हुआ निठारी हत्याकांड एक ऐसा आपराधिक मामला था जिसनें क़रीब 17 साल पहले पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया था। महीनों तक यह मामला सुर्ख़ियों में छाया रहा था। इस मामले में पिछले कई वर्षों से जेल में बंद मोनिंदर सिंह पंढेर आज शुक्रवार को जेल से रिहा कर दिया गया। इससे पहले सोमवार 16 अक्टूबर को जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निठारी हत्याकांड से सुरिंदर कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को बरी कर दिया तो ये एक चौंकाने वाली ख़बर थी। हाई कोर्ट ने कोली और पंढेर को यह कहते हुए बरी कर दिया कि प्रॉसिक्यूशन या अभियोजन पक्ष इन दोनों का अपराध साबित करने में नाकाम रहा। कोर्ट के आदेश के बाद आज मोनिंदर पंढेर जेल से बाहर आ गया।

कोर्ट ने कहा-पुलिस आरोपी साबित करने में विफल रही

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी नरसंहार में सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा पाए सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को दोषमुक्त करार दिया था। कोर्ट ने कहा, पुलिस दोनों के खिलाफ आरोपी साबित करने में विफल रही। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने जांच पर नाखुशी जताते हुए कहा, जांच बेहद खराब थी सबूत जुटाने की मौलिक प्रक्रिया का पूरी तरह उल्लंघन किया गया। जांच एजेंसियों की नाकामी जनता के विश्वास से धोखाधड़ी है।हाईकोर्ट ने कहा, जांच एजेंसियों ने अंग व्यापार के गंभीर पहलुओं की जांच किए बिना एक गरीब नौकर को खलनायक की तरह पेश कर उसे फंसाने का आसान तरीका चुना। ऐसी गंभीर चूक के कारण मिलीभगत सहित कई तरह के निष्कर्ष संभव हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी अपीलकर्ताओं की निचली अदालत से स्पष्ट रूप से निष्पक्ष सुनवाई का मौका नहीं मिला।

18 मासूमों और एक महिला से दुष्कर्म व हत्या का आरोप

सीबीआई की विशेष अदालत ने 13 फरवरी 2009 को दोनों को दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानकर फांसी की सजा सुनाई थी। पंढेर और कोली पर 18 मासूमों और एक महिला से दुष्कर्म व हत्या का आरोप था। इस मामले अदालत में पहला केस 8 फरवरी, 2005 को दर्ज किया गया था। 

जानिए कौन हैं मोनिंदर पंढ़ेर और सुरेंद्र कोली

मोनिंदर सिंह मूल रूप से पंजाब का रहने वाला था और साल 2000 में दिल्‍ली आया था। वहीं, सुरेंद्र कोली, जो उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला था दिल्ली में एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था। कहा जाता है कि कोली खाना बेहतरीन बनाता था। साल 2003 में वह पंढे़र से मिला और उसके घर पर नौकर बनकर का काम करने लगा। सुरेंद्र कोली के आने के बाद मोनिंदर सिंह की फैमिली उसे छोड़कर पंजाब चली गई। तब से वह कोली के साथ रहने लगा। 

बता दें कि नोएडा के सेक्टर-31 स्थित निठारी गांव निवासियों के बच्चे वर्ष 2004 से लापता हो रहे थे। इसी क्रम में सेक्टर-19 निवासी नंदलाल ने सेक्टर-31 स्थित डी-5 नंबर की कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर पर बेटी के अपहरण का शक जाहिर करते हुए पुलिस से शिकायत की। इसी दौरान हुए जांट पड़ताल में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से बच्चों और महिलाओं के दर्जनों कंकाल बरामद किए गए थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया था।

एमपी विधानसभा चुनाव, 'अरे भाई छोड़ो अखिलेश-वखिलेश...', कांग्रेस और सपा के घमासान पर बोले कमलनाथ

लोकसभा चुनाव के लिए बना विपक्षी दलों का गठबंधन ‘INDIA’ प्रदेशों के चुनाव में बिखरा दिखाई दे रहा है। सपा के प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस से नाराज हो गए हैं। उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सीट की चाहत थी, जो पूरी नहीं हुई। इसके साथ ही यह भी बोल रहे हैं कि गठबंधन के रूपरेखा को वह ‘शायद समझ नहीं पाए.’ पिछले दिनों उन्होंने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को निशाने पर लेते हुए ‘चिरकुट नेता’ बोल दिया। अब मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे कमलनाथ ने भी अखिलेश को इसी लहजे में जवाब दिया तथा पत्रकारों के सवाल को अनसुना करते हुए कहा, “छोड़िए अखिलेश, वखिलेश…”

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चरम पर है। तीन दिवसीय प्रवास पर छिंदवाड़ा पहुंचे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि कांग्रेस की दूसरी लिस्ट आने पर सभी कार्यकर्ताओं में गजब का उत्साह है तथा हमें जितनी उम्मीद थी उससे भी कहीं अधिक सीटों पर हम चुनाव जीतेंगे। इनके अतिरिक्त मध्य प्रदेश में गठबंधन नहीं होने पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की नाराजगी के सवाल पूछने पर कमलनाथ ने कहा, “छोड़िए अखिलेश, वखिलेश…”

आपको बता दें कि 3 दिवसीय प्रवास के चलते पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जिले भर में विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक तथा धार्मिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होंगे। इसके साथ ही पहली सूची में गोटेगांव से कांग्रेस उम्मीदवार बनाए गए शेखर चौधरी का नाम कट गया है। दूसरी लिस्ट में नाम कट जाने से नाराज शेखर चौधरी आज शाम को छिंदवाड़ा पहुंचकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात भी कर सकते हैं।

क्या चीन भी कर रहा है युद्ध की तैयारी? गुपचुप तरीके से बढ़ा रहा परमाणु हथियारों की संख्या, जानें 2030 तक बनाएगा न्यूक्लियर बम?

#pentagon_latest_report_on_china_nuclear_bombs

एक तरफ इजराइल-हमास के बीच युद्ध छिड़ा हुआ है, इसके पहले से रूस-युक्रेन के बीच जंग जारी ही है। इन हालातों में चीन खुद को परमाणु हथियारों में मजबूत कर रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने चीन के परमाणु हथियार भंडार में तेजी से बढ़ोतरी पर नई रिपोर्ट जारी की है। 

रूस-यूक्रेन युद्ध से सबक

पेंटागन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन अपनी मिलिट्री पावर बढ़ा रहा है। इसके साथ ही वह लगातार अपनी परमाणु क्षमता बढ़ाने में लगा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से चीन सीख रहा है, ताकि वह समझ सके कि ताइवान का संघर्ष कैसा हो सकता है। गुरुवार को जारी रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि चीन एक नई अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल प्रणाली विकसित कर सकता है, जिसमें पारंपरिक हथियारों का ही इस्तेमाल होगा। 

अब तक 500 से ज्यादा परमाणु बमों का निर्माण

रिपोर्ट के मुताबिक अपने विरोधियों से निपटने के लिए चीन तेजी से अपने परमाणु हथियार शस्त्रागार को बढ़ा रहा है और अब तक वह 500 से ज्यादा परमाणु बमों का निर्माण कर चुका है।रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक वह एक हजार से ज्यादा परमाणु हथियार बना लेगा।

इंटरकांटिनेंटल मिसाइल भी तैयार कर रहा चीन

गुरुवार को सार्वजनिक हुई रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि चीन नई इंटरकांटिनेंटल मिसाइल भी तैयार कर रहा है जिनसे वह परमाणु हथियारों का ज्यादा सटीक प्रहार कर सके। चीन ये मिसाइल अमेरिका पर हमले के लिए बना रहा है। यह रिपोर्ट अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से प्रस्तावित मुलाकात से एक महीने पहले आई है।

यह रिपोर्ट अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से प्रस्तावित मुलाकात से एक महीने पहले आई है। यह मुलाकात सैन फ्रांसिस्को में होने वाली एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग समिट में होगी।

'मेरी वजह से वसुंधरा राजे को दंड न दे भाजपा..', अशोक गहलोत के बयान से राजस्थान की सियासत में मची हलचल

 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के बारे में व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए सुझाव दिया कि उन्हें (पार्टी को) अपनी पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे को उनके (गहलोत के) कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए। गहलोत ने 2020 में उनकी सरकार को उखाड़ फेंकने के प्रयासों का समर्थन नहीं करने में राजे की रचनात्मक भूमिका को स्वीकार करते हुए अपने पिछले बयानों का उल्लेख किया।

बता दें कि, मई में, गहलोत ने धौलपुर में कहा था कि वह 2020 में कांग्रेस विधायकों के विद्रोह से बच गए, क्योंकि भाजपा नेता वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल ने धन बल के माध्यम से उनकी (गहलोत की) सरकार को "गिराने की साजिश" का समर्थन नहीं किया था। भाजपा में राजे को कथित तौर पर दरकिनार किए जाने के बारे में पूछे जाने पर, गहलोत ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि यह भाजपा का आंतरिक मामला है और वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।

 कहा कि, "लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि मेरी वजह से उन्हें (राजे को) सजा नहीं मिलनी चाहिए। यह उनके साथ अन्याय होगा। मैं एक घटना बताना चाहूंगा, जब मेरी सरकार संकट का सामना कर रही थी। जब मैं राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष था, तत्कालीन सीएम भैरों सिंह शेखावत बाईपास सर्जरी के लिए विदेश में अमेरिका में थे और उनके अपने लोग सरकार गिराने की फिराक में थे। राज्य कांग्रेस प्रमुख के रूप में, मैंने इसका विरोध किया और कहा कि यह उचित नहीं था।''

अशोक गहलोत ने कहा कि उन्होंने सरकार गिराने को गलत बताते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और राज्यपाल बाली राम भगत के समक्ष अपनी असहमति व्यक्त की थी। उन्होंने आगे कहा कि कैलाश मेघवाल ने यह विचार तब साझा किया जब उनकी सरकार पर संकट था, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह से सरकारों को अस्थिर करने की कोई परंपरा नहीं है। गहलोत ने वसुंधरा राजे के साथ जुड़े विधायकों के साथ अपनी बातचीत का भी उल्लेख किया और स्वीकार किया कि वह कैलाश मेघवाल के समान राय रखती हैं। वहीं, धौलपुर में गहलोत की टिप्पणी के जवाब में, वसुंधरा राजे ने उनकी आलोचना की और कहा कि उनकी प्रशंसा में सद्भावना की कमी है और यह "द्वेष" से प्रेरित है।