हिंदी आज वैश्विक भाषा बन गई है, उसे व्यवहार में लाना
फर्रुखाबाद-अंतर्राष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती के तत्वधान में काव्य गोष्ठी रविवार को नगर के कादरी गेट स्थित भारती मिश्रा के आवास कर संपन्न हुई ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला अध्यक्ष प्रोफेसर रामबाबू मिश्र रत्नेश कहा ने कहा हिन्दी आज वैश्विक भाषा बन गई है हमें अपनी भाषा को व्यवहार की भाषा बनानी होगी और अंग्रेजी के शब्दों को छोड़कर हिन्दी के शब्दों को अपनाना होगा उन्होंने पक्तियां पढ़ी देखकर चन्द पत्तियां पीली आंख हो गई नीलीये कहा का अर्थ शास्त्र लाए हो हो गई सब धोतियां ढीली ।सागर चौहान ने कहा बोलो मेरे देश गीत मैं किस वैभव के गाऊं, डा0 पीडी शुक्ला ने हम जिनसे मुहब्बत करते हैं, वो मेरे चेहरे से नफरत करते हैं पंक्तियां पढ़कर एक तरफा प्रेम को रेखांकित किया।
प्रतीक शुक्ला ने तुम्हारी याद में गुजरी हुई हर शाम को जाऊं, अगर ओंठो से छू लो तो छलकता जाम हो जाऊं,तुम अपने दिल से मेरी भाषा मानकर देखो, मैं नटखट नंद मुरलीधर तेरा घनश्याम हो जाऊं।
भारती मिश्रा ने निज शक्ति को अपना मानों तुम, अपने को अपना मानों तुम,जब खुद से होती प्रीत तुम्हें तब मिल जाएगी जीत तुम्हें। शिवओम चौहान ने फिर आसुओं से खत्म कहानी जो, शुरू हुई थी कभी मुस्कुराने से ।
संजीव उर्फ देवा यादव ने आंख है बेचैन न जाने कब आओगे बीत गए दिन रैन न जाने कब आओगे।
स्मृति अग्निहोत्री ने आज उसको नई जिंदगी मिल जिला सुहागन हुई मांग भी भर गई गोद ले पालकी में बिठा तो दिया अब वहां सब उतरेंगे कैसे । राम मोहन शुक्ल, अनुपम मिश्र, उपकार मणि उपकार,अमित त्रिवेदी,पूनम पाठक, आकाश मिश्रा आदि ने काव्यपाठ कार्यक्रम का संचालन दिलीप कश्यप कलमकार ने किया ।
भारतीय महाविधालय के प्रोफेसर आलोक बिहारी लाल,वरिष्ठ अधिवक्ता प्रभात अवस्थी एडवोकेट श्रीकांत अवस्थी, शिवओम पाठक,दर्शना शुक्ला, प्रखर दीक्षित आदि वरिष्ठ जन मंच पर उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संयोजन भारती मिश्रा ने किया।
Oct 08 2023, 18:22