नाबालिग को बहला फुसलाकर अगवा करने के मामले में आरोपी को कोर्ट ने दिया दोषी करार

औरंगाबाद - आज़ व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद में स्पेशल पोक्सो कोर्ट ने दाउदनगर थाना कांड संख्या -296/21 में निर्णय पर सुनवाई करते हुए काराधीन अभियुक्त जितेंद्र कुमार गोला रोड़ दाउदनगर को विभिन्न धाराओं में लगे आरोप में दोषी ठहराया गया है। 

 स्पेशल पीपी शिवलाल मेहता ने बताया कि अभियुक्त को भादंवि धारा 363,366ए,376 और पोक्सो एक्ट की धारा 04 में दोषी पाते हुए सज़ा के बिन्दु पर सुनवाई के तिथि -12/10/23 निर्धारित किया गया है।  

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक पीड़िता के माता ने जून 2021 में अभियुक्त पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें कहा था कि पीड़िता शाम 07 बजे बाजार से समान लाने गई थी दो घंटे तक नहीं लौटने पर काफी खोजबीन के बाद घर पर पीड़िता के मोबाइल चेक की तो देखी की घटना से पहले एक फोन आया था,तब वह नम्बर से अभियुक्त का नाम पता चला। 

अभियुक्त के घर से जानकारी मिली कि अभियुक्त भी घटना के समय से घर से फरार था जो संदेह को पक्का किया इस लिए अभियुक्त को नामजद करते हुए न्याय के लिए थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने प्रेस-वार्ता का किया आयोजन, केन्द्र सरकार द्वारा उत्तरी कोयल जलाशय एवं एक अंतर-राज्यीय प्रमुख सिंचाई परियोजना के लिए आवंटित किए राशि की दी जानकारी


औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में पिछले दो चुनाव से चुनावी मुद्दा बने बिहार-झारखंड के चार जिलों में 1 लाख 11 हजार 521 हेक्टेयर खेतों की सिचाईं के लिए जीवनदायिनी बनने वाली अटकती, भटकती तथा लटकती उतर कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को पूरा कराने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा राशि की मंजूरी दिए जाने के बावजूद परियोजना के समय पर पूरा होने में बाधा आने और 2024 के चुनाव में भी चुनावी मुद्दा बनने के आसार प्रबल है।

औरंगाबाद के बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के एक प्रस्ताव पर उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को संशोधित 2,430.76 करोड़ के केंद्रांश की मंजूरी दी है।जबकि इससे पहले अगस्त, 2017 में परियोजना की स्वीकृत शेष लागत राशि 1,622.27 करोड़ रुपये थी। परियोजना के शेष कार्यों के पूरा होने पर झारखंड के पलामू, गढ़वा और बिहार के औरंगाबाद तथा गया जिले के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना एक अंतर-राज्यीय प्रमुख सिंचाई परियोजना है। इसका कमान क्षेत्र दो राज्यों बिहार और झारखंड में है। इस परियोजना में झारखंड के लातेहार जिले के कुटकू गांव के पास उत्तरी कोयल नदी पर एक बांध, बांध के नीचे 96 किमी. पर झारखंड के ही पलामू जिले में मोहम्मदगंज बराज, राईट बटाने कैनाल (आरएमसी) और बैराज से बाए मुख्य नहर लेफ्ट बटाने कैनाल(एलएमसी) शामिल हैं। नवंबर 2009 में झारखंड के अस्तित्व में आने के पहले बिहार सरकार ने अपने संसाधनों से वर्ष 1972 में कुटकु में डैम(बांध) के निर्माण के साथ-साथ अन्य सहायक गतिविधियां शुरू की थी। 1993 तक काम भी जारी रहा लेकिन उसी साल बिहार सरकार के वन विभाग की आपत्ति पर काम रोक दिया गया। 

वन विभाग ने बांध में जमा पानी से बेतला नेशनल पार्क और पलामू टाइगर रिजर्व को खतरा होने की आशंका जताई थी। इसी कारण बांध निर्माण का काम रुक गया था। बांध के निर्माण का काम रुकने के बावजूद यह परियोजना 71,720 हेक्टेयर में वार्षिक सिंचाई प्रदान कर रही थी। नवंबर 2009 में बिहार विभाजन के बाद परियोजना का बांध और बैराज का मुख्य कार्य झारखंड में हैं। इसके अलावा मोहम्मदगंज बैराज से 11.89 किमी की दूरी पर बाई मुख्य नहर (एलएमसी) झारखंड में है। हालांकि, दाहिनी मुख्य नहर (आरएमसी) के 110.44 किमी में से पहला 31.40 किमी झारखंड में है और शेष 79.04 किमी बिहार में है। वर्ष 2016 में, भारत सरकार ने परिकल्पित लाभों को प्राप्त करने के लिए परियोजना को संचालित करने के लिए उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को पूरा करने के लिए सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया।इसके तहत पलामू टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र को बचाने के लिए जलाशय के स्तर को कम करने का निर्णय लिया गया। 

परियोजना के शेष कार्यों को 1622.27 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय पर पूरा करने के प्रस्ताव को अगस्त 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। दोनों राज्य सरकारों के अनुरोध पर कुछ अन्य घटकों को परियोजना में शामिल करना आवश्यक पाया गया था। परिकल्पित सिंचाई क्षमता प्राप्त करने के लिए तकनीकी दृष्टि से आरएमसी और एलएमसी की पूर्ण लाइनिंग को भी आवश्यक माना गया। इस प्रकार वितरण प्रणाली के कार्य, आरएमसी और एलएमसी की लाइनिंग, रास्ते में संरचनाओं की रीमॉडलिंग, कुछ नई संरचनाओं का निर्माण और परियोजना से प्रभावित परिवारों (पीएएफ) के राहत एवं पुनर्वासन(आर एंड आर) के लिए एकबारगी विशेष पैकेज को अद्यतन लागत अनुमान में प्रदान किया जाना था। इसी वजह से परियोजना के लिए संशोधित लागत अनुमान तैयार किया गया था। शेष कार्यों की लागत 2430.76 करोड़ रुपये में से केंद्र 1836.41 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगा।

सांसद ने कहा कि बिहार और झारखंड की सरकार ने बेहतर सहयोग किया तो यह परियोजना तीन महीने में पूरी हो जाएगी। परियोजना के लिए कुटकु डैम पहले ही बना हुआ है। डैम से सिर्फ लोहे का फाटक लगाने का काम बाकी है। लेफ्ट मेन कैनाल(एलएमसी) में बिहार के क्षेत्र में 103 आरडी से लेकर कररबार तक कंक्रीट लाईनिंग के लिए टेंडर हो चुका है। बरसात बाद इस पर काम भी शुरू हो जाएगा। उन्होने कहा कि उतर कोयल नहर परियोजना देश की ऐसी परियोजना है, जिसके लिए विस्थापितों को दो बार मुआवजा दिया जाएगा। कहा कि सरकार परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन का शुरु में ही मुआवजा भुगतान कर चुकी है। इसके बाद बंद परियोजना का काम जब आगे बढ़ा तो अधिग्रहित जमीन पर काबिज विस्थापितों ने यह कहकर कब्जा छोड़ने से इंकार कर दिया कि उनके पूर्वजों को मुआवजा मिलने की कोई जानकारी नही है। बिना मुआवजा भुगतान के वें कब्जा नही छोड़ेंगे। इस मामले में केंद्र सरकार ने पुनः मुआवजा देना स्वीकार कर लिया है। साथ ही शर्त रखा है कि मुआवजा की आधी राशि मिलने के बाद वें कब्जा छोड़ देंगे। कब्जा छोड़ने के बाद ही उन्हे मुआवजा की शेष 50 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाएगा। 

सांसद की बातों में ही परियोजना के पूरा हाेने में विलंब और रोड़ा अटकाये जाने का संकेत मिला। उन्होने कहा कि 2009 तक यह परियोजना मृतप्राय पड़ी थी। परियोजना बंद होने के बाद की सरकारों ने इसमें रुचि नही ली। जब केंद्र सरकार इसे लेकर चिंतित हुई तो राज्य सरकारों ने रुचि नही ली जबकि सिंचाई राज्य का विषय है। जब भारत सरकार परियोजना के लिए धन देने और कानूनी बाधाओं को दूर करने को तैयार हुई तो राज्य सरकारों ने सहयोग नही किया। झारखंड सरकार ने सुरक्षा मुहैया कराने तक में रुचि नही ली। सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए भवन बनवाने की भी जिम्मेवारी नही ली। अब केंद्र सरकार अपने खर्च पर सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए भवन बनवा रही है। कहा कि अब यदि असहयोग के बजाय राज्य सरकारो का बेहतर सहयोग मिला तो परियोजना तीन माह में पूरी हो जाएगी और किसानों के खेतों में उतर कोयल नहर का लाल पानी आने लगेगा। 

प्रेसवार्ता में भाजपा के वरीय नेता सुनील सिंह, जिला महामंत्री मुकेश सिंह, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अशोक सिंह एवं मीडिया प्रभारी मितेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

पुलिस को मिली बड़ी सफलता, तीन चोरों को किया गिरफ्तार

औरंगाबाद : शहर में चोरी और छीनतई की लगातार बढ़ती घटनाओं के बीच पुलिस ने तीन चोरों को गिरफ्तार किया है। औरंगाबाद के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अमानुल्लाह खान ने गुरूवार को प्रेसवार्ता में बताया कि दो अलग अलग मामलों में एक स्नैचर और दो चोरों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया है। 

उन्होने बताया कि 04 अक्टूबर को शाम 05 बजे रमेश चौक पर दो महिलाओं के झोले को ब्लेड से काटकर दो मोबाईल एवं क्रमशः 1,700 व 1,500 गायब कर दिया गया था। इसी मामले में पुलिस ने एक स्नैचर को पकड़ा है, जिसका नाम विजय माली है। वह बक्सर के मुफ्फसिल थाना के अन्यायपुर का निवासी है। उसके पास से छीनतई के 26 हजार 700 रूपये बरामद किए गए है।

इसी प्रकार शहर के चुड़ी मॉर्केट में बीती रात चोरी के प्रयास में लगे दो चोरो को भी गिरफ्तार किया गया है। दोनों चोरी करने के उद्देश्य से एक दुकान के छत के करकट को काट रहे थे। इसी दौरान गश्ती दल द्वारा दोनों को खदेड़कर रंगेहाथ पकड़ा गया। पकड़े गए चोरो की पहचान नावाडीह निवासी मो. शमशाद(22) एवं आजाद नगर निवासी राजू खलीफा(21) के रूप में की गई है। 

दोनो ने पूछताछ में बताया कि तीन-चार दिन पहले चुड़ी मॉर्केट में की गयी चोरी एवं औरंगाबाद कोर्ट परिसर के दुकान में की गयी चोरी को दोनों ने अन्य चोरो के साथ मिलकर कारित किया था। अन्य चोरो को चिन्हित कर उनके विरुद्ध अग्रेतर अनुसंधान किया जा रहा है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

ओबरा प्रखंड के बीडीओ युनुस सलीम अचानक हुए गायब, तलास जारी

औरंगाबाद : जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां ओबरा प्रखंड के बीडीओ युनूस सलीम अचानक गायब हो गए। जिनकी पुलिस द्वारा तलाश जारी है। 

ओबरा प्रखंड के बीडीओ युनुस सलीम के अचानक से गायब होने की सूचना जैसे ही पुलिस को मिली,पुलिस इसे लेकर सक्रिय हो गई। बीडीओ के होने की सभी संभावित ठिकानों पर उनकी खोजबीन में पुलिस जुट गई।

इसी कड़ी में जब नजदीकी रेलवे स्टेशन अनुग्रह नारायण रोड के सीसीटीवी को जब खंगाला गया तब वहां के सीसीटीवी फुटेज में वे नजर आए। स्पष्ट देखा जा सकता है कि बीडीओ युनुस स्टेशन के प्लेटफार्म पर टहल रहे हैं।शायद किसी ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच प्लेटफार्म के सीमेंटेड बेंच पर बीडीओ बैठे भी दिख रहे हैं।अगली फुटेज में बीडीओ सासाराम-धनबाद इंटरसिटी ट्रेन पर सवार होते नजर आ रहे हैं।

हालांकि,पुलिस ने सासाराम रेलवे स्टेशन का सीसीटीवी फुटेज भी खंगाला मगर वहां उनका कुछ पता नहीं चल पाया ।फिलहाल पुलिस की कोशिशें जारी हैं।

गौरतलब है कि ओबरा के बीडीओ यूनुस सलीम के भाई जफर इमाम भी नासरीगंज में बतौर बीडीओ कार्यरत हैं और उन्ही के द्वारा ओबरा थाने में उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

औरंगाबाद में जिउतिया व्रत का 6 को नहाय खाय, सात को उपवास व 8 को होगा पारण

औरंगाबाद : इस बार जिउतिया व्रत के उपवास को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। कुछ 6 को उपवास तो कुछ सात को उपवास रखने की बात कह रहे हैं। जिसको लेकर व्रतियों में भ्रम है।लेकिन कामख्या के ज्योतिषाचार्य के अनुसार ग्रंथों के निर्णय के आधार पर जिउतिया व्रत 7 अक्टूबर को मनाया जाएगा। 

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश पाण्डेय ने कहा कि माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत सप्तमी रहित अष्टमी यानी शनिवार को ही रखे। छह अक्टूबर को नहाय-खाय, सात को व्रत व आठ अक्टूबर को पारण करें।

बताया कि जीवित्पुत्रिका व्रत भविष्योत्तर पुराण की कथा के अनुकूल की जाती है, जिसमें स्पष्ट निर्देश है कि सप्तमी रहित अष्टमी का ही व्रत किया जाए। बताया कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को दो तरह के व्रत होते हैं। चंद्रोदय काल में जब अष्टमी हो तो महालक्ष्मी व्रत और जब सूर्योदय काल में अष्टमी हो तो जीवित्पुत्रिका व्रत होता है। भ्रांत अवधारणाओं में सप्तमीयुक्त अष्टमी का व्रत करना हर तरह से हानिकारक है। सप्तमीयुक्त अष्टमी के व्रत को निषेध किया है। अल्पकाल भी सूर्योदय काल में अष्टमी हो तो वही उपासना के योग्य है। उचित तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत के रूप में स्त्रियां करती हैं।

इस वर्ष सात अक्टूबर यानी शनिवार को जीवित्पुत्रिका व्रत तथा आठ अक्टूबर रविवार को सूर्योदय के पश्चात सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही पारण करना चाहिए। पंडित राकेश ने बताया कि व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। कुश से बनी जीमूतवाहन भगवान की प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप, चावल व पुष्प अर्पित करें। गाय के गोबर और मिट्टी से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं। इनके माथे पर सिंदूर से टीका लगाएं। पूजा करे। जीउतिया व्रत की कथा श्रवण करें। उसके बाद जिउतिया धारण करें।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

फसल देखने गए युवा किसान की बिजली करंट के चपेट में आने से मौत

औरंगाबाद : जिले नवीनगर प्रखंड के बड़ेम ओपी थानाक्षेत्र अन्तर्गत रहरा गांव में बिजली करंट के चपेट में आकर एक युवक की मौत हो गई। मृतक 38 वर्षीय जगत पासवान उसी गांव का रहने वाला था। 

जानकारी के अनुसार वह बाधार की ओर धान देखने गया था।जहां पहले से टूट कर कम ऊंचाई पर झूल रहे बिजली तार के चपेट में आकर उसकी मौत हो गई। 

घटना की सूचना मिलते ही बड़ेम ओपी थानाध्यक्ष सिमरन राज व एएसआई अरविंद प्रसाद दल बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे तथा शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। 

पोस्टमार्टम के बाद शव अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंप दिया गया है। वहीं परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। 

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

चोरी गई बाइक पर बीमा कंपनी ने दिया लाभ, दावा कर्ता को हस्तगत किया चेक

औरंगाबाद - आज जिला उपभोक्ता आयोग औरंगाबाद के अध्यक्ष संजय कुमार और सदस्य बद्रीनारायण सिंह के उपस्थित में प्रबंधक बजाज आलियांज जेनरल एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड औरंगाबाद ने जिला उपभोक्ता आयोग में दावाकर्ता नन्द किशोर सिंह बेला औरंगाबाद तीस हजार रुपए का चेक हस्तगत कराया। 

यह अन्तरिम क्षतिपूर्ति राशि चेक से प्रदान किया गया, दावाकर्ता के अधिवक्ता भूषण जी ने 40 हजार क्षतिपूर्ति और जानबूझकर मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न के लिए एक लाख क्षतिपूर्ति राशि के लिए 01/04/21को केश दर्ज कराई थी। 

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि नन्द किशोर सिंह 18/06/20 को इलाज के लिए डिहरी अवस्थित सुनील बोस के अस्पताल में गए थे। वहीं से अज्ञात चोरों ने उनकी बाइक चोरी कर ली। नन्द किशोर सिंह ने डिहरी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई और अनुसंधानकर्ता ने घटना को सत्य पाया। इसकी लिखित जानकारी बीमा कंपनी को आवेदक ने दिया और बीमा समय संविदा के आधार पर क्षतिपूर्ति की मांग की। 

जिसपर बीमा कंपनी ने टालमटोल किया करते थे, आवेदक ने वकालत नोटिस भेजकर न्याय के लिए जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर किया। 

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

दहेज की मांग किये जाने के मामले में कोर्ट ने पति और ससुर को दिया दोषी करार, सुनाई 3 साल कारावास की सजा

औरंगाबाद - आज़ व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद में अनुमंडलीय न्यायिक दंडाधिकारी योगेश कुमार मिश्रा ने महिला थाना कांड संख्या-02/20 जी आर -177/20, टी आर -2408/23 में निर्णय पर सुनवाई करते हुए दो अभियुक्तों को दोषी ठहराया है और पांच अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया।  

सहायक अभियोजन पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि अभियुक्त पियुस कुमार टंडवा दरिहट रोहतास को भादंवि धारा -498 ए/34 में तीन साल की सजा और तीन हजार जुर्माना लगाया है। दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 04 में एक साल की सजा और दो हजार जुर्माना लगाया है।  

वही विंध्याचल सिंह को भादंवि धारा -498 ए /34 में एक साल की सजा और दो हजार जुर्माना लगाया है तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 04 में एक साल की सजा और दो हजार जुर्माना लगाया है। दोनों सजाएं साथ साथ चलेंगी। 

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक कल्पनिक नाम राधा कुमारी गायत्री नगर मिशन रोड औरंगाबाद ने 09/01/20 को प्राथमिकी पति पियुस कुमार,ससुर विंध्याचल सिंह सहित परिवार के अन्य सदस्यों पर दहेज उत्पीड़न को लेकर कराईं थी जिसमें आरोप लगाया था कि अभियुक्तों ने कार ,सोना के चैन, रूपए की मांग करते हुए नैहर से बातचीत बंद करा दिया था और एक दिन मारपीट करते हुए घर से निकाल दिया था उसके बाद कभी वापस नहीं लाए थे। 

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

जिलाधिकारी ने टाउन हॉल और सम्राट अशोक भवन का किया निरीक्षण, दिए कई जरुरी निर्देश

औरंगाबाद : जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री द्वारा आज टाउन हॉल औरंगाबाद का निरीक्षण किया गया। जिसमें कार्यपालक पदाधिकारी औरंगाबाद को टाउन हॉल का जीर्णोद्धार एवं मरम्मती कराने का यथाशीघ्र दिशानिर्देश दिए गए। 

जिलाधिकारी द्वारा सम्राट अशोक भवन औरंगाबाद का भी निरीक्षण किया गया। सम्राट अशोक भवन के बाहर हरे पेड़–पौधे, पीसीसी कार्य, एवं सुयोग्य स्थान पर टॉयलेट बनाने और कार्य यथाशीघ्र संपन्न कराने का निर्देश कार्यपालक पदाधिकारी नगर पारिषद औरंगाबाद को दिया गया।

समाहरणालय औरंगाबाद का निरीक्षण किया गया, विभिन्न शाखों में पेंटिंग एवं सभी महत्वपूर्ण कागजात को सुसज्जित रखने हेतु तथा कार्यपालक अभियंता भवन प्रमंडल औरंगाबाद को समाहरणालय भवन औरंगाबाद की मरम्मती का निर्देश दिया गया।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

औरंगाबाद का जम्होर क्यों है प्रथम पिण्डदान का सबसे बड़ा केंद्र, जानिए स्ट्रीट बज्ज के इस रिपोर्ट में

औरंगाबाद : जिले के नवीनगर में टंडवा के पास से निकली आदि गंगा के रूप में वर्णित पुनपुन नदी को गया श्राद्ध तर्पण की प्रथम वेदी और प्रवेश द्वार माना गया है। यहां भारी संख्या में नेपाली पिंडदानी पितरों को खरमास में पिंडदान करने के लिए आते हैं। जम्होर के पुनपुन घाट पर प्रथम पिंडदान देना श्रेष्ठ माना गया है, जहां देश-विदेश के श्रद्धालु आकर पूजा एवं तर्पण करते हैं। 

 

वैदिक परंपरा और मान्यता के मुताबिक पितरों के लिए श्राद्ध करना एक महान और उत्कृष्ट कार्य है। कहा जाता है कि पुत्र का पुत्रत्व तभी सार्थक माना जाता है जब वह अपने जीवन काल में जीवित माता-पिता का सेवा करे और उनकी मृत्यु तिथि तथा महालय पितृपक्ष में उसका विधिवत श्राद्ध करे। कहा जाता है कि पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है।

खरमास का शुभांरभ होते ही पिंडदानियों का पुनपुन नदी घाट पर आने का सिलसिला निरंतर जारी हो जाता है। लोग दूर-दराज एवं देश-विदेश से अपने पितरों की आत्मा की शांति हेतु पुनपुन नदी में तर्पण करने आते हैं, ताकि उनके पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

पुनपुन का नामकरण के बारे में बहुत सी कथाएं वर्णित हैं। 'गुरूड़ पुराण पूर्व खंड, अध्याय 84 में पुनः पुना महानद्यां श्राद्वों स्वर्ग निर्यत पितृन जो मगध के संबंध में यह भी कहा जाता है, 'कीकटेषु गया पुण्या, पुण्यं राजगृहं वनम् । च्यवनस्याज्ञश्रम पुण्यं नदी पुण्या पुनः पुना ।।'

मगध में गया, राजगृह का जंगल, च्यवन ऋषि का आश्रम तथा पुनपुन नदी पुण्य है 

 

जनश्रुति है कि प्राचीन काल में झारखंड राज्य के पलामू के जंगल में सनक, सुनन्दन, सनातन कपिल और पंचषिख घोर तपस्या कर रहे थे. जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हूए। ऋषियों ने ब्रह्माजी का चरण धोने के लिए पानी खोजा। नहीं मिलने पर ऋषियों ने अपने स्वेद् (यानि अपने शरीर का निकले पसीने जमा किये)। जब पसीना कमंडल में रखा जाता था तब कमंडल उलट जाता था।

इस तरह बार-बार कमंडल उलटने से ब्रह्मा जी के मुंह से अनायास ही निकल गया पुनः पुना। उसके बाद वहां से जल अजस्र धारा निकली। उसी से ऋषियों ने नाम रख दिया पुनः पुना, जो अब पुनपुन के नाम से मशहूर है। उस समय ब्रह्माजी ने कहा था कि जो इस नदी के तट पर पिंडदान करेगा, वह अपने पूवजों को स्वर्ग पहुंचायेगा। ब्रह्माजी ने पुनपुन नदी के बारे में कहा ''पुनःपुना सर्व नदीषु पुण्या, सदावह स्वच्छ जला शुभ प्रदा.' उसी के बाद से ही पितृपक्ष में पहला पिंड पुनपुन नदी के ही तट पर का विधान है। तब से पुनपुन में पहला पिंड देते हैं। 

कहा तो यहां तक जाता है कि जब प्रभु श्री रामचन्द्र जी का अपने पिता के आदेश पर चौदह साल का वनवास मिला था, उसी क्रम में कुछ दिनों बाद उनके पिता राजा दशरथ की मृत्यु हो गयी, जिसकी सूचना प्रभु श्रीरामचन्द्र जी को आकाशवाणी के माध्यम से ज्ञात हुआ।

ज्ञात होते ही प्रभु श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता से इच्छा जाहिर की कि इन्हें अपने पिता राजा दशरथ की आत्मा की शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति के लिए ब्रह्माजी के अशीर्वाद से उत्पन्न हुई पुनपुन नदी में पिंडदान करना है. तब प्रभु श्रीराम पुनपुन नदी के इसी तट पर आकर अपने पिता राजा दशरथ का सर्वप्रथम पिंडदान किया था और दूसरा पिंडदान माता सीता ने गया में जाकर किया था।

बताते चलें कि पुनपुन नदी के तट पर सन् 1909 में राजस्थान के खेतड़ी के सेठ राय सुर्यमलजी शिव प्रसाद झुनझुन वाला बहादुर ने भव्य धर्मशाला का निर्माण कराया था, ताकि दुर-दराज से आए राहगीर और पिंडदानी यहां विश्राम कर सकें। लेकिन आज यह धर्मशाला खुद उपेक्षित है।

आज जम्होर का यह स्थान प्रथम पिण्डदानिओं के लिए श्रेष्ठ है। पर , प्रशासनिक उपेक्षा का दंश यहां आज भी देखा जा सकता है। पिंडदानियों के लिए प्राप्त सुविधा की कमी रहती है। प्रचार-प्रसार की कमी के कारण अधिकांश लोग यहां पहली पिंड दान किए हुए बिना गया चले जाते हैं जिसका उन्हें पूरा फल नहीं मिल पाता। स्थानीय नेता भी यहां कुछ करने की जगह चुप रहते हैं।

सरकार को चाहिए कि इसे गया की तरह पिंडदानियों के लिए सुविधा उपलब्ध कराए और जम्होर को पर्यटन के मानचित्र पर लाये। वैसे, यहां कार्तिक पूर्णिमा पर भारी मेला लगता है और लोग पुनपुन में स्न्नान कर भगवान विष्णु मंदिर में दर्शन कर पुण्य की भागी बनते हैं।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र पाण्डेय