*हमारा जीवन सुसंस्कृत हो, विकृत नहीं : भाईश्री*
विवेक शास्त्री
नैमिषारण्य(सीतापुर)। जीवन में संस्कृत का विस्तार हो, बच्चों में संस्कार बढ़े हमारी संस्कृति बढ़े हम विकृत ना बने इसलिए हम स्वयं और अपनी संतानों को सुसंस्कारिक बने । जब हम संस्कृत होंगे तब हमारे अंदर सेवा का भाव बनेगा और हम अपनी पद, प्रतिष्ठा, धन, परिस्थिति का स्वेच्छापूर्वक सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय प्रयोग में ला सकेंगे। यह प्रवचन भगवताचार्य रमेश भाई ओझा ने भागवत कथा में कहे । नैमिष स्थित कालीपीठ संस्थान द्वारा कालीपीठाधीश गोपाल शास्त्री के पावन सानिध्य में आठ दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है ।
कथा प्रारम्भ से पूर्व कालीपीठ गोपाल शास्त्री, भाष्कर शास्त्री, बिन्दा प्रसाद त्रिपाठी, शुबेन्दु शर्मा, गायत्री प्रसाद भट्ट, चेतन त्यागी, राजाराम त्रिपाठी ने व्यास जी का माल्यार्पण किया । कथा विश्राम आरती में अंजू बाला सदस्य अनुसूचित जनजाति आयोग अभिषेक पांडये, नीलू सिंह आदि सम्मिलित रहे । कथा की भूमिका बनाते हुए व्यासजी ने कहा कि समय को रोकना संभव नहीं है, प्राणायाम के माध्यम से हम थोड़ी देर सांस रोक सकते हैं लेकिन समय नहीं, समय को सार्थक करना संभव है । नैमिषारण्य तीर्थ में हम सत्संग के माध्यम से इस समय को सार्थक कर रहे हैं । सत्संग स्वयं को चार्ज करने की व्यवस्था है इसके लिए कोई चार्ज भी नहीं लगता । यदि आपका मोबाईल डिस्चार्ज हो जाए तो आपको मोबाइल चार्ज करना पड़ता है । ऐसे ही जब आपका शरीर डिस्चार्ज हो जाता है तो उसे सत्संग रूपी चार्जर से चार्ज क्यों नहीं करते।
Oct 02 2023, 19:50