*टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों को मिलेगा पुरस्कार, जल्द शुरू होगा अभियान*
सीके सिंह(रूपम)
सीतापुर- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2025 तक भारत को टीबी (क्षय) रोग से मुक्त करने के संकल्प को पूरा करने के लिए जल्द ही 'टीबी मुक्त पंचायत' अभियान की शुरूआत की जा रही है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। इस अभियान में ग्राम प्रधान के साथ ही पंचायत स्तर कार्यरत ग्राम विकास अधिकारी, पंचायत मित्र, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसके लिए जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) और जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) के स्तर पर बैठक कर पंचायत को टीबी मुक्त बनाने पर मंथन किया जाएगा। जिला से लेकर ब्लॉक स्तर तक के अभियान से जुड़े कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो कि अपने-अपने क्षेत्र के ग्राम प्रधानों को प्रशिक्षित करेंगे। इसके साथ ही जिला क्षय रोग केंद्र के सहयोग से पंचायतों को टीबी मुक्त पंचायत की स्थिति के लिए तैयार किया जाएगा। टीबी मुक्त करने के प्रयासों की गतिविधियों को पंचायत विकास योजनाओं (पीडीपी) में भी शामिल किया जाएगा। इसको लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक ने सूबे के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) और जिला क्षय रोग अधिकारियों (डीटीओ) को पत्र जारी किया है।
इस अभियान के पहले चरण में पूर्व से ही टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों की जानकारी और उनका विवरण एकत्र किया जाना है। इसके बाद ग्राम प्रधान, ग्राम विकास अधिकारी, पंचायत मित्र, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा समुदाय को टीबी के लक्षण, रोकथाम, भ्रांतियों को दूर करने, उपचार, जांच और उपलब्ध सुविधाओं समेत टीबी रोगियों के लिए सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले विभिन्न लाभों के बारे में जागरूक किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत बीडीओ संबंधित ब्लॉक की टीबी मुक्त पंचायत की सूची डीटीओ को सत्यापन के लिए भेजेंगे। डीटीओ स्तर से इसकी जांच कर सत्यापित सूची जिलाधिकारी को भेजेंगे। इसी के आधार पर हर साल विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) पर जिलाधिकारी एक साल की वैधता के साथ टीबी मुक्त पंचायत का प्रमाण पत्र जारी करेंगे।
सभी की तय की गई जिम्मेदारी
सीएमओ डॉ. हरपाल सिंह ने बताया कि टीबी मुक्त पंचायत बनाने में पंचायत विभाग के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की अहम भूमिका होगी। डीटीओ के साथ ही सीएचसी व पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस), टीबी होम विजिटर (टीबीएचवी), सीनियर टीबी लैब सुपरवाइजर, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की इस मुहिम में अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गयी है। आशा कार्यकर्ता टीबी मरीजों की जानकारी आशा डायरी में दर्ज करेंगी, टीबी रोगियों की पहचान करेंगी और जांच में मदद करेंगी। टीबी मरीजों को दवा मुहैया कराएंगी और पोषण सलाह के साथ उपचार पालन और पूरा इलाज का परामर्श देंगी। वह बैंक खाते का विवरण दर्ज कराएंगी ताकि इलाज के दौरान टीबी रोगियों को सही पोषण के लिए हर माह 500 रुपये मिल सकें।
Sep 30 2023, 18:41