भारत बनाम इंडिया विवाद पर शशि थरूर ने बीजेपी को घेरा, बोले- जिन्ना भी “इंडिया” नाम के खिलाफ थे, उस सोच का समर्थन कर रही बीजेपी

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देश में इन दिनों भारत बनाम इंडिया को लेकर सियासी लड़ाई जोरों पर है।जी-20 के रात्रिभोज का निमंत्रण 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम से भेजे जाने के बाद से ये विवाद शुरू हुआ। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना कर रही है तो दूसरी ओर तमाम हिंदू संगठन सरकार से देश का नाम 'भारत' करने का अपील कर रहे हैं। अब अटकलें ये लगाई जा रही है कि 18 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक मोदी सरकार द्वारा बुलाए जा रहे संसद के विशेष सत्र में हमारे देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ रखने वाला संविधान संशोधन लाया जाएगा, यानी ‘India’ को हटा दिया जाएगा।अब इस मामले पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा- मोहम्मद अली जिन्ना भी इंडिया नाम का विरोध करते थे, भाजपा भी वही कर रही है।

'इंडिया' की सदियों से बेहिसाब ब्रांड वैल्यू है-थरूर

शशि थरूर ने आगे कहा- इंडिया को 'भारत' कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सरकार इतनी मूर्ख नहीं होगी कि 'इंडिया' को पूरी तरह से त्याग दे, जिसकी बड़ी ब्रांड वैल्यू है।थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, इंडिया को 'भारत' कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है। देश के दो आधिकारिक नामों में से एक है भारत। मुझे उम्मीद है कि सरकार इतना नासमझी भरा कदम नहीं उठाएगी कि 'इंडिया' को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा, जिसकी सदियों से बेहिसाब ब्रांड वैल्यू है। हमें इतिहास के गौरवपूर्ण नाम, एक ऐसा नाम जिसे दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है, पर अपना दावा छोड़ने के बजाय दोनों शब्दों का उपयोग जारी रखना चाहिए।

बीजेपी जिन्ना की सोच का समर्थन कर रही-थरूर

एक अन्य पोस्ट में थरूर ने कहा कि जब इस विषय पर चर्च हो रही है, हमें यह याद रखना चाहिए कि जिन्ना ने ही 'इंडिया' नाम पर आपत्ति जताई थी। थरूर ने अपने एक ट्वीट में लिखा कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना थे जिन्होंने इंडिया नाम पर आपत्ति जताई थी, क्योंकि उनका ये कहना था कि हमारा देश ब्रिटिश राज का उत्तराधिकारी राष्ट्र था और पाकिस्तान एक अलग राष्ट्र था। कांग्रेस सांसद ने लिखा कि सीएएकी तरह, भाजपा सरकार जिन्ना के विचारों का समर्थन कर रही है!

दरअसल, राष्ट्रपति भवन में जी20 समिट के दौरान 9 सितंबर को डिनर का आयोजन किया जाना है, इस डिनर का आमंत्रण 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के बजाय 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम पर भेजा गया है। जबकि इससे पहले किसी भी पत्र या सूचना में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' का प्रयोग किया जाता रहा है। इस बात की जानकारी कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने दी। कांग्रेस सांसद जयराम ने लिखा , "तो ये खबर वाकई सच है... राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी 20 रात्रिभोज के लिए सामान्य 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के बजाय 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम पर निमंत्रण भेजा है।

जिल बाइडन के कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद जी-20 समिट के लिए भारत आएंगे जो बाइडन, कोविड नियमों का करेंगे पालन

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जी-20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत आएंगे। कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद बाइडेन का दौरा तय हो गया है। प्रथम महिला जिल बाइडन सोमवार को कोविड-19 पॉजिटिव पाई गईं। हालांकि, बाइडन की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है, पर फिर भी व्हाइट हाउस सभी आवश्यक कदम उठा रहा है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि जो बाइडन भारत यात्रा और वियतनाम यात्रा के दौरान रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करेंगे।

व्हाइट हाउस ने मंगलवार 5 सितंबर को बाइडन के भारत दौरे को लेकर जानकारी दी। व्हाइट हाउस ने कहा कि 80 वर्षीय राष्ट्रपति बाइडन की लगातार दो दिन कोविड जांच की गई। दोनों बार रिपोर्ट निगेटिव आई है। इसलिए, इस सप्ताह के अंत में भारत और वियतनाम की उनकी यात्रा योजना में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कहा गया कि राष्ट्रपति सभी आवश्यक सावधानियां बरत रहे हैं और सीडीसी दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं।

बाइडेन जी-20 शिखर सम्मेलन से दो दिन पहले ही भारत के लिए यात्रा शुरू करेंगे। शिखर सम्मेलन से पहले वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को घोषणा की थी कि बाइडन जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सात सितंबर को भारत की यात्रा करेंगे और 8 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।

बाइडेन सात तारीख़ को भारत पहुंचेंगे उनके आने से पहले हवाई सुरक्षा और साथ में ज़मीनी सुरक्षा की पूरी तैयारी हो गई है। जो बाइडेन एयरफ़ोर्स-वन में भारत आएंगे। आपको बता दें इसकी तैयारी की गई है यह एयरफ़ोर्स-वन 4 हज़ार स्क्वायर फ़ीट का है और यह तीन मंज़िला एयरक्राफ़्ट है।इसके सेंसर्स की निगरनी पूरे समय होती है।

भारत या इंडिया, देश में छिड़ी एक नई बहस, जानिए क्या है आर्टिकल-1?

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देश का नाम आधिकारिक रूप से भारत होने वाला है, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं। जिसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है। जहां सत्ता पक्ष इसके समर्थन में है, वहीं विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। दरअसल, राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी-20 समिट का आयोजन होने जा रहा है। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तरफ से विभिन्न राजनीतिक दलों, प्रमुख संगठनों एवं जानी-मानी हस्तियों को न्योता भेजा जा रहा है। लेकिन लेटर हेड पर 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखे होने पर विवाद हो गया है।

दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया है कि जी-20 सम्मेलन के सम्मान में जो डिनर आयोजित किया गया है, उसके निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा है।जयराम रमेश का दावा है कि इसमें इंडिया शब्द को हटाया गया और प्रेसिडेंट ऑफ भारत का इस्तेमाल किया गया है। अगर संविधान के आर्टिकल 1 को पढ़ें तो उसमें लिखा है कि भारत जो कि इंडिया है एक राज्यों का समूह होगा। कांग्रेस नेता ने लिखा कि अब तो राज्यों के समूह पर भी खतरा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई तो पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इंडिया और भारत पर संविधान का हवाला दे दिया। राहुल गांधी ने 'आर्टिकल 1' में लिखा एक वाक्य ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा, 'इंडिया यानी भारत, राज्यों का एक संघ है।' इसी आधार पर उन्होंने 'एक देश एक चुनाव' के विचार का भी खंडन किया। उन्होंने लिखा, 'एक देश एक चुनाव का विचार भारतीय संघ और इसके सभी राज्यों पर हमला है।' 

क्या है आर्टिकल-1

भारत बनाम इंडिया की बहस के बीच भारतीय संविधान के आर्टिकल-1 की चर्चा शुरू हो गई है। दोनों नेताओं ने संविधान के अनुच्छेद 1 में वर्णित भारत के 'राज्यों का संघ' होने का जिक्र किया है। इसके बाद सोशल मीडिया पर 'आर्टिकल 1' ट्रेंड करने लगा। लोग चर्चा कर रहे हैं कि आखिर संविधान के अनुच्छेद में इंडिया और भारत के बारे में क्या कहा गया है। तो जानते हैं है आर्टिकल-1, इसका देश के नाम से क्या कनेक्शन है और विपक्ष अपने ट्वीट में इसका जिक्र क्यों कर रहा है?

भारतीय संविधान का आर्टिकल-1 यानी अनुच्छेद 1 कहता है कि भारत राज्यों का संघ होगा। 

राज्यों का संघ क्या है?

स्पष्ट है कि राहुल गांधी और जयराम रमेश जिस 'इंडिया अर्थात् भारत' की बात कर रहे हैं, वह वाकई में संविधान के अनुच्छेद में हू-ब-हू वर्णित है।तो यहां एक और सवला पैदा होता है-राज्यों का संघ क्या है?यूरोपियन यूनियन में शामिल सभी देश संप्रभु हैं। उनकी अपनी सरकारें हैं, अपनी सीमा है, पूरी तरह संप्रभु हैं, लेकिन व्यापार एवं अन्य राजनीतिक-आर्थिक गतिविधियों को सुचारू तौर पर अंजाम देने के मकसद से सभी ने मिलकर एक संघ बना लिया है। निश्चित रूप से भारत के राज्यों की भी अपनी-अपनी सरकारें हैं और उनका अपना-अपना सीमा क्षेत्र भी है। लेकिन यह भी सच है कि भारत सरकार उनके सीमा क्षेत्रों में बदलाव भी कर सकती है। संविधान का अनुच्छेद 2 ही कहता है, 'संसद, विधि द्वारा, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।' आर्टिकल 2 का शीर्षक ही है- 'नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना।'

फिर आर्टिकल 3 भारत की संसद को 'नए राज्यों के निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन' का अधिकार देता है। इन दोनों अनुच्छेदों से साफ है कि भारत की संसद, राज्यों से ऊपर है। इस तरह, राज्य स्वायत्त हैं, स्वतंत्र नहीं। वो भारत राष्ट्र में समाहित हैं और उनकी स्वतंत्र सत्ता नहीं हो सकती और जब बात राज्य बनाम भारत की होगी तो भारत हमेशा सर्वोपरि होगा। भारत अपने राज्यों में जब चाहे, जैसा चाहे बदलाव कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- नफरत मत फैलाओ ! लेकिन नहीं माने उदयनिधि, अब CJI के पास पहुंची कई जजों और IAS की शिकायत

 हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों और नौकरशाहों सहित लगभग 262 प्रतिष्ठित नागरिकों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को पत्र लिखकर DMK नेता और तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के उस भाषण पर ध्यान देने को कहा है, जिसमें उन्होंने (उदयनिधि ने) कहा था कि सनातन धर्म सामाजिक न्याय के खिलाफ है और इसे पूरी तरह ख़त्म किया जाना चाहिए। पत्र के हस्ताक्षरकर्ताओं ने शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने सरकारों और पुलिस अधिकारियों को औपचारिक शिकायतों के दर्ज होने की प्रतीक्षा किए बिना ऐसे मामलों में स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

रिपोर्ट के अनुसार, इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में तेलंगाना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के श्रीधर राव, दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगरा, योगेन्द्र नारायण (आईएएस) और अन्य प्रमुख नागरिक शामिल हैं। पत्र में कहा गया है कि, "हम, हस्ताक्षरकर्ता, आपका ध्यान एक हालिया घटनाक्रम की ओर आकर्षित करने के लिए लिख रहे हैं, जिसने भारत के आम नागरिकों और विशेष रूप से सनातन धर्म में विश्वास करने वालों के दिल और दिमाग में बहुत पीड़ा पैदा की है।" पत्र में आगे कहा गया है कि, 'कुछ दिन पहले, तमिलनाडु राज्य सरकार में एक सेवारत मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने चेन्नई में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था, ‘कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता है, उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें ख़त्म करना है। इसी तरह, हमें सनातन धर्म का विरोध करने के बजाय उसे खत्म करना होगा।' हस्ताक्षरकर्ताओं ने आगे कहा कि तमिलनाडु के उस मंत्री ने जानबूझकर कहा कि सनातन धर्म महिलाओं को गुलाम बनाता है और उन्हें अपने घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं देता है।

पत्र में कहा गया है कि, 'शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत संघ और अन्य [रिट याचिका (सिविल) संख्या 940/2022)] के मामले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब तक विभिन्न धार्मिक समुदाय आपसी सद्भाव से रहने के लिए सक्षम नहीं होंगे, तब तक भाईचारा नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है और सरकारों और पुलिस अधिकारियों को औपचारिक शिकायत दर्ज होने का इंतजार किए बिना ऐसे मामलों में स्वत: कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए ऐसी कार्रवाई की आवश्यकता है।' 

पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा, 'बहुत गंभीर मुद्दों' पर कार्रवाई करने में प्रशासन की ओर से कोई भी देरी अदालत की अवमानना को आमंत्रित करेगी।' उन्होंने कहा कि जूनियर स्टालिन ने न केवल नफरत भरा भाषण दिया बल्कि उन्होंने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगने से भी इनकार कर दिया है। पत्र में कहा गया है कि, "बल्कि उन्होंने अपनी टिप्पणी के संदर्भ में, मैं यह लगातार कहूंगा" कहकर खुद को उचित ठहराया कि सनातन धर्म को खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि वह अपनी टिप्पणियों पर कायम हैं और उन्होंने अस्पष्टताएं और बारीकियां पेश कीं, जिससे लोगों द्वारा उठाई गई चिंताओं का समाधान नहीं हुआ।

ये कहां कहां नाम बदलेंगे, हमें गर्व है कि हम इंडियन हैं, भारतीय हैं, तेजस्वी यादव ने भाजपा पर जमकर साधा निशाना

आगामी 9 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में जी 20 रात्रिभोज के लिए दिए जा रहे आमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया के बदले प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखने पर सियासत और तेज हो गई है। कांग्रेस और जदयू के बाद आरजेडी ने भी इस पर आपत्ति जाहिर कर दिया है। पार्टी नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने बीजेपी से सवाल किया है कि कहां-कहां नाम बदलेंगे? हमे इंडियन होने पर गर्व है। तेजस्वी ने कहा है कि हमारे नारा में तो दोनों है। इंडिया गठबंधन का टैगलाइन है, 'जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया'।

मंगलवार को पार्टी की ओर से आयोजित परिचर्चा में भाजपा की साजिश से पार्टी कार्यकर्ताओं को सावधान किया। उन्होंने कहा कि ये लोग तरह तरह का दुष्प्रचार करेंगे। लेकिन, इनसे बच के रहना है। उन्होंने इंडिया गठबंधन की चर्चा की और कहा कि भाजपा की सरकार कार्ड में प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिख रही है। ये कहां कहां नाम बदलेंगे। हमें गर्व है कि हम इंडियन हैं, भारतीय हैं। तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।

तेजस्वी यादव ने कहा कि कल होके प्रधानमंत्री भी विदेश जाएंगे तो इंडियन प्रधानमंत्री ही कहे जाएंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा इंडिया गठबंधन से घबरा गई है। तेजस्वी ने शहीद जगदेव प्रसाद की चर्चा करते हुए कहा कि शोषितों और वंचितों के प्रेरणा स्रोत है, शक्ति भी देते है। संघर्ष के लिए लड़ने के लिए शक्ति देते हैं। ये जातीय गणना के भी विरोधी है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि सम्राट अशोक अखंड भारत में बुद्ध की शांति और सबकी बराबरी के प्रति समर्पित थे।

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने इसे लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, 'तो खबर सच है। राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 डिनर के लिए 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' के बजाए 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' नाम से न्योता भेजा है। अब संविधान का अनु्च्छेद पढ़ा जाएगा: भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा। उन्होंने आगे लिखा कि लेकिन अब इस राज्यों के संघ पर भी हमला किया जा रहा है'

जदयू ने भी इसे लेकर बीजपी पर करारा प्रहार किया है। पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बीजेपी संविधान के साथ छेड़छाड़ कर रही है। बीजेपी सांसद नरेश बंसल और हरनाथ सिंह यादव ने संविधान से INDIA शब्द हटाने की मांग की है। मॉनसून सत्र में उन्होंने कहा कि इंडिया गुलामी के दिनों का अहसास दिलाभारत के संविधान में संशोधन कर INDIA का नाम भारत करने की मांग की है। नीरज कुमार ने इस पर तंज कसा कि यह कहते हुए कि INDIA शब्द अंग्रेजों का दिया हुआ है, उनको ज्ञान की कमी है। भाजपा वाले चंद्रयान पर से पढ़ कर आए हैं। दरअसल बीजेपी और केंद्र सरकार हम लोगों के इंडिया गठबंधन से भयभीत हो गई है। इसी वजह से फेरबदल कर रहे हैं।

*मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक, इन 32 एजेंडो को दी गई मंजूरी*

डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में कुल 32 एजेंडों को मंजूरी दी गई है। 

कैबिनेट ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक कल्याण, कृषि, ऊर्जा, गृह, नगर विकास एवं आवास, पर्यटन, विज्ञान प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा, सामान्य प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजस्व एवं भूमि सुधार, पशु एवं मत्स्य संसाधन, योजना एवं विका, मंत्रिमंडल सचिवालय, जल संसाधन और वित्त विभाग से जुड़े 32 प्रस्तावों पर अपनी स्वीकृति दी है।

नीतीश कैबिनेट ने छुट्टी कैलेंडर 2024 की मंजूरी दी है। 2024 के लिए सरकार के ऑफिस में छुट्टी और निगोसियेवल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत अवकाश की घोषणा की है। बिहार सरकार के कैलेंडर 2024 में कुल 56 दिन छुट्टी होगी, हालांकि रविवार की वजह से 6 छुट्टियां बर्बाद भी होंगी। कैलेंडर 2024 में बिहार राजस्व दंडाधिकारी न्यायालयों के तहत 15 दिन, ऐच्छिक छुट्टी कुल 20 दिन और एनआईए के तहत कुल 21 दिन छुट्टी होगी।

कैबिनेट ने पटना विश्वविद्यालय को सौगात दी है। पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत विज्ञान ब्लॉक G+ 7, नए बालिका छात्रावास 02 ब्लॉक G+9 एवं स्टाफ क्वार्टर के निर्माण के लिए कैबिनेट ने दी मंजूरी दे दी है। इसपर कुल एक अरब 63 करोड़ 60 लाख 29 हजार रुपए की राशि खर्च की जाएगी। इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है।

पुनौराधाम मंदिर विकास के लिए कुल 72 करोड़ 47 लाख रुपए की राशि की स्वीकृति कैबिनेट ने दी है। गया जी धाम में धर्मशाला के निर्माण के लिए कुल 120 करोड़ 15 लाख 25 हजार रुपए की स्वीकृति दी गई है। शहरी गरीबों के लिए सामाजिक जागरूकता, संस्थागत विकास एवं जीविकोपार्जन से जुड़ी तमाम योजनाओं को नगर निकाय में जीविका के माध्यम से कराने का फैसला लिया है।

बागेश्वर सीट के लिए उपचुनाव के दौरान भाजपा को उलझाए रही कांग्रेस, BJP ने भी निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक की भूमिका पर उठाया सवाल


उत्तराखंड के बागेश्वर उपचुनाव में सहानुभूति की लहर पर सवार भाजपा आखिरकार कड़ी मशक्कत को विवश हो गई। कांग्रेस की रणनीति सत्तारूढ़ दल को उलझाए रखने पर रही। दोनों दलों के बीच जोर-आजमाइश का अंदाजा इससे लग सकता है कि मतदान की तारीख समीप आते-आते विपक्ष की शिकायतों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने भी निर्वाचन आयोग के केंद्रीय पर्यवेक्षक की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए। इस चुनावी जंग को लेकर उत्साहित कांग्रेस की नजरें आज हो रहे मतदान पर टिकी हैं।

उपचुनाव को सधी रणनीति के तहत लड़ रही कांग्रेस

कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से रिक्त हुई बागेश्वर आरक्षित सीट (अनुसूचित जाति) पर उपचुनाव को कांग्रेस सधी रणनीति के तहत लड़ रही है। प्रमुख विपक्षी दल ने इस उपचुनाव को लोकसभा चुनाव से पूर्व तैयारी के रूप में लिया है। यही कारण है कि भाजपा के हर दांव की काट के लिए कांग्रेस ने अपनी ओर से कसर नहीं छोड़ी।

भाजपा ने अपनाया सहानुभूति का पैंतरा

लगातार चार बार इस सीट से विधायक रहे कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से उपजी सहानुभूति लहर को ध्यान में रखकर भाजपा ने उनकी पत्नी पार्वती देवी को चुनाव मैदान में उतारा। जवाब में कांग्रेस ने उपचुनाव को एकतरफा नहीं होने देने पर जोर लगाया। माहरा और आर्य ने डाला डेरा मजबूत प्रत्याशी पर दांव खेलने के लिए पार्टी ने बाहर से अपेक्षाकृत अधिक दमदार समझे जा रहे बंसत कुमार को अपने पाले में खींचा और फिर प्रत्याशी बनाने में देर नहीं लगाई।

लोकसभा से पहले तैयारी

सरकार और सत्तारूढ़ दल से मिल रही चुनौती को भांपकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य पूरे उपचुनाव के दौरान क्षेत्र में ही डटे रहे। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर नजर कांग्रेस इस उपचुनाव को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व तैयारी के रूप में ले रही है।

अल्मोड़ा संसदीय सीट भी है आरक्षित

बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र अल्मोड़ा संसदीय सीट के अंतर्गत है। अल्मोड़ा संसदीय सीट भी आरक्षित है। बागेश्वर उपचुनाव के परिणाम अगर कांग्रेस के पक्ष में रहते हैं तो पार्टी को नई ऊर्जा मिलना तय है। इसे ध्यान में रखकर ही पार्टी ने अधिक संख्या में मतदाताओं में पैठ बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और पांच-पांच बूथों पर बड़े नेताओं की चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी।

बागेश्वर सीट के लिए उपचुनाव के दौरान भाजपा को उलझाए रही कांग्रेस, BJP ने भी निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक की भूमिका पर उठाया सवाल

उत्तराखंड के बागेश्वर उपचुनाव में सहानुभूति की लहर पर सवार भाजपा आखिरकार कड़ी मशक्कत को विवश हो गई। कांग्रेस की रणनीति सत्तारूढ़ दल को उलझाए रखने पर रही। दोनों दलों के बीच जोर-आजमाइश का अंदाजा इससे लग सकता है कि मतदान की तारीख समीप आते-आते विपक्ष की शिकायतों पर पलटवार करते हुए भाजपा ने भी निर्वाचन आयोग के केंद्रीय पर्यवेक्षक की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए। इस चुनावी जंग को लेकर उत्साहित कांग्रेस की नजरें आज हो रहे मतदान पर टिकी हैं।

उपचुनाव को सधी रणनीति के तहत लड़ रही कांग्रेस

कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से रिक्त हुई बागेश्वर आरक्षित सीट (अनुसूचित जाति) पर उपचुनाव को कांग्रेस सधी रणनीति के तहत लड़ रही है। प्रमुख विपक्षी दल ने इस उपचुनाव को लोकसभा चुनाव से पूर्व तैयारी के रूप में लिया है। यही कारण है कि भाजपा के हर दांव की काट के लिए कांग्रेस ने अपनी ओर से कसर नहीं छोड़ी।

भाजपा ने अपनाया सहानुभूति का पैंतरा

लगातार चार बार इस सीट से विधायक रहे कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन से उपजी सहानुभूति लहर को ध्यान में रखकर भाजपा ने उनकी पत्नी पार्वती देवी को चुनाव मैदान में उतारा। जवाब में कांग्रेस ने उपचुनाव को एकतरफा नहीं होने देने पर जोर लगाया। माहरा और आर्य ने डाला डेरा मजबूत प्रत्याशी पर दांव खेलने के लिए पार्टी ने बाहर से अपेक्षाकृत अधिक दमदार समझे जा रहे बंसत कुमार को अपने पाले में खींचा और फिर प्रत्याशी बनाने में देर नहीं लगाई।

लोकसभा से पहले तैयारी

सरकार और सत्तारूढ़ दल से मिल रही चुनौती को भांपकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य पूरे उपचुनाव के दौरान क्षेत्र में ही डटे रहे। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर नजर कांग्रेस इस उपचुनाव को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व तैयारी के रूप में ले रही है।

अल्मोड़ा संसदीय सीट भी है आरक्षित

बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र अल्मोड़ा संसदीय सीट के अंतर्गत है। अल्मोड़ा संसदीय सीट भी आरक्षित है। बागेश्वर उपचुनाव के परिणाम अगर कांग्रेस के पक्ष में रहते हैं तो पार्टी को नई ऊर्जा मिलना तय है। इसे ध्यान में रखकर ही पार्टी ने अधिक संख्या में मतदाताओं में पैठ बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और पांच-पांच बूथों पर बड़े नेताओं की चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी।

'मेरे विरोधी भी मेरे शिक्षक, क्योंकि..', राहुल गांधी ने शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए विपक्षियों को घेरा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अनोखे तरह से शिक्षक दिवस की बधाई दी है। राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि उनके विरोधी भी उनके शिक्षक हैं क्योंकि "उनका व्यवहार, झूठ और शब्द" उन्हें सही रास्ते पर बने रहने और "हर कीमत पर उस पर आगे बढ़ते रहने" में मदद करते हैं। उन्होंने शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को धन्यवाद भी दिया। 

उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि, 'एक शिक्षक का जीवन में बहुत ऊंचा स्थान है, क्योंकि एक शिक्षक आपके जीवन का मार्ग रोशन करता है और आपको सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। भारत के लोग भी शिक्षकों की तरह हैं, क्योंकि वे विविधता में एकता का उदाहरण देते हैं, हमें हर समस्या से साहस के साथ लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं और विनम्रता और तपस्या के प्रतीक हैं।' बता दें कि, शिक्षक दिवस हर साल 5 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था।

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह “महात्मा गांधी, गौतम बुद्ध और श्री नारायण गुरु जैसे महापुरुषों” को अपना गुरु मानते हैं। उन्होंने कहा कि इन विभूतियों ने "हमें समाज में सभी लोगों की समानता और सभी के प्रति दया और प्रेम दिखाने का ज्ञान दिया।" उन्होंने कहा, "मैं अपने विरोधियों को भी अपना शिक्षक मानता हूं क्योंकि वे अपने व्यवहार, झूठ और शब्दों से मुझे सिखाते हैं कि मैं जिस रास्ते पर चल रहा हूं वह बिल्कुल सही है और हर कीमत पर उस पर आगे बढ़ते रहना है।"

Article 370 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, पांच जजों की संविधान पीठ ने सुरक्षित रखा फैसला, हसनैन मसूदी ने कहा, दी गई दलीलों से संतुष्ट हैं


आर्टिकल 370 मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 16 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि 5 अगस्त 2019 को संसद ने जम्मू कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत मिला विशेष दर्जा खत्म करने का प्रस्ताव पास किया था। इसके साथ ही उसे 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का भी फैसला लिया गया था।

हम दलीलों से संतुष्ट हैं : हसनैन मसूदी

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और अनुच्छेद 370 मामले में याचिकाकर्ता न्यायमूर्ति (रिटायर्ड जज) हसनैन मसूदी ने कहा, हम दलीलों से संतुष्ट हैं। कोर्ट में सभी पहलुओं पर ठोस दलीलें दी गईं।

कौन-कौन रहे सुनवाई के समापन दिन में शामिल

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई में पांच जजों की संविधान पीठ ने आर्टिकल 370 पर सुनवाई की। इसमें पीठ के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत भी शामिल रहे। इस दौरान जजों ने सुनवाई के समापन दिन 370 को बहाल करने के पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य की दलीलें सुनीं।