सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन का आह्वान परमाणु परीक्षण निषेध एवं निशस्त्रीकरण के दिशा में आगे आएं परमाणु संपन्न राष्ट्र एवं विश्व बिरादरी
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बेतिया : आज दिनांक 29 अगस्त 2023 को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में परमाणु परीक्षण निषेध दिवस पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने लिया। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया ,पश्चिम चंपारण की संयोजक शाहीन परवीन मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा डॉ अमानुल हक डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रुप से कहा कि प्रत्येक वर्ष 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण निषेध दिवस के रूप में दुनिया भर में मनाया जाता है।
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ, परमाणु संपन्न राष्ट्रो एवं विश्व बिरादरी से परमाणु निशस्त्रीकरण के दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग करते हुए कहा कि 02दिसम्बर, 2009 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 64वें सत्र में 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण निषेध अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया गया था। यह पहली बार वर्ष 2010 में मनाया गया था।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि बीसवीं सदी में कई देशों ने परमाणु परीक्षण किए थे। पहला परमाणु परीक्षण अमेरिका ने 16 जुलाई, 1945 में किया था, जिसमें 20 किलोटन का परीक्षण किया गया था। अब तक का सबसे बड़ा परमाणु परीक्षण सोवियत रूस में अक्टूबर, 1961 को किया गया था, जिसमें 50 मेगाटन के हथियार का परीक्षण किया गया था। 2009 में उत्तरी कोरिया ने परमाणु परीक्षण किया था, जिसे विश्व के अधिकांश देशों ने निंदनीय बताया। विश्व के परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों ने अब तक कम से कम 2000 परमाणु परीक्षण किये हैं।
परमाणु अप्रसार संधिपरमाणु अप्रसार संधि (नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी) को एनपीटी के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य विश्व भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ परमाणु परीक्षण पर अंकुश लगाना है। 1 जुलाई, 1968 से इस समझौते पर हस्ताक्षर होना शुरू हुआ।
अभी इस संधि पर हस्ताक्षर कर चुके देशों की संख्या 190 है। जिसमें पांच के पास आण्विक हथियार हैं। ये देश हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, फ़्राँस, रूस और चीन।सिर्फ चार संप्रभुता संपन्न देश इसके सदस्य नहीं हैं। ये हैं- भारत, इजरायल, पाकिस्तान और उत्तरी कोरिया। एनपीटी के तहत भारत को परमाणु संपन्न देश की मान्यता नहीं दी गई है। जो इसके दोहरे मापदंड को प्रदर्शित करती है।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि भारत का परमाणु कार्यक्रम विश्व शांति एवं मानवता की रक्षा के लिए है। इस संधि का प्रस्ताव आयरलैंड ने रखा था और सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाला राष्ट्र फिनलैंड था।इस संधि के तहत परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र उसे ही माना गया है, जिसने 1 जनवरी, 1967 से पहले परमाणु हथियारों का निर्माण और परीक्षण कर लिया हो। इस आधार पर ही भारत को यह दर्जा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं प्राप्त है। क्योंकि भारत ने पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया था।
उत्तरी कोरिया ने इस सन्धि पर हस्ताक्षर किये, फिर इसका उल्लंघन किया एवं इससे बाहर आ गया।व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधिव्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को ही कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी कहा जाता है। यह एक ऐसा समझौता है, जिसके जरिए परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित किया गया है। यह संधि 24 सितंबर, 1996 को अस्तित्व में आयी। अब तक इस पर 183 देशों ने हस्ताक्षर कर दिए हैं।भारत और पाकिस्तान ने सीटीबीटी पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किया है। इसके तहत परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित करने के साथ यह प्रावधान भी किया गया है कि सदस्य देश अपने नियंत्रण में आने वाले क्षेत्रें में भी परमाणु परीक्षण को नियंत्रित करेंगे।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि123 समझौता' नाम से प्रसिद्ध यह समझौता अमेरिका के परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1954 की धारा 123 के तहत किया गया है। इसलिए इसे 123 समझौता कहते हैं। सत्रह अनुच्छेदों के इस समझौते का पूरा नाम है- "भारत सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के बीच नाभिकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए सहयोग का समझौता। "इसके स्वरूप पर भारत और अमेरिका के बीच 1 अगस्त, 2007 को सहमति हुई। अमेरिका अब तक लगभग पच्चीस देशों के साथ यह समझौता कर चुका है। इस समझौते के अभिलेख में अमेरिका ने भारत को आणविक हथियार संपन्न देश नहीं माना है, बल्कि इसमें यह कहा गया है कि आणविक अप्रसार संधि के लिए अमेरिका ने भारत को विशेष महत्व दिया है।
वैश्विक परमाणु शक्तियों को आपस में हथियारों की होड़ से बचकर परमाणु ऊर्जा का मानवता की भलाई के लिए उपयोग करना चाहिए। जापान में परमाणु बम से हुई त्रासदी विश्व के लिए एक कटु उदाहरण है। भविष्य में होने वाले किसी भी परमाणु परीक्षण के विरोध में पूरे विश्व को एकसाथ खड़ा होना चाहिए तथा सभी परमाणु हथियारों से संपन्न देशों को परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में कार्य करना चाहिए।
Aug 29 2023, 16:23