मानवता की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा के जीवन दर्शन से प्रेरणा ले विश्व की नई पीढ़ी।
यूक्रेन रूस संघर्ष, फलस्तीन इजराइल संघर्ष ,पश्चिम एशियाई देशों मे संघर्ष, म्यांमार में संघर्ष एवं चीन ताइवान संघर्ष समाप्त करने की सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने पुनः की अपील।
“विश्व शांति दूत एवं मानवता की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा की 113 वीं जन्मदिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्वारा भव्य कार्यक्रम का आयोजन ।.”
बेतिया पश्चिम चंपारण।
सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में विश्व शांति एवं मानवता की प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा की 113 वीं जन्मदिवस पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ बुद्धिजीवियों, शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर विश्व शांति के लिए सर्व धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। जिसमें सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर संपूर्ण विश्व एवं विशेष रुप से दक्षिण एशिया में सुख, शांति, समृद्धि एवं विकास के लिए प्रार्थना की गई ,साथ ही यूक्रेन रूस संघर्ष
,फलस्तीन इजरायल संघर्ष ,पश्चिम एशियाई देशों में संघर्ष ,म्यांमार में संघर्ष एवं ताइवान चीन संघर्ष समाप्त करने की अपील के साथ ही इन देशों में युद्ध समाप्ति के लिए एवं स्थाई शांति स्थापित करने के लिए विशेष प्रार्थना की गई। इस अवसर पर अंतराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ0 एजाज अहमद (अधिवक्ता) एवं डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड ने संयुक्त रूप से कहा कि मदर टेरेसा विश्व शांति दूत एवं मानवता की प्रतिमूर्ति थी। युगोस्लाविया गणराज्य में 26 अगस्त 1910 ई0 को उनका जन्म हुआ था। 18 वर्ष की आयु से ही उन्होंने मानव सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया। गरीब एवं असहाय बच्चों के लिए 1948 में कोलकाता स्थित एक विद्यालय की स्थापना की। इसके साथ ही मिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना हुई। मदर टेरेसा ने यह साबित कर दिया कि सच्ची लगन एवं मेहनत से किया गया काम कभी निष्फल नहीं होता। 1996 उनकी संस्था मिशनरी ऑफ चैरिटी ने विश्व के 125 देशों में 755 निराश्रित गृह खोलें।
जिसमें लगभग विश्व के 05 लाख लाख भूखे लोगों के लिए पेट भर भोजन उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हमें कोलकाता में मदर टेरेसा के साथ मिलकर मानवीय कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।मदर टेरेसा ने यह साबित कर दिया कि जीवन का लक्ष्य दुखी मानवता की सच्ची सेवा ही है एवं प्रेम के रूप से ही ईश्वर को पाया जा सकता है। आज विश्व में मदर टेरेसा के प्रेरणा और संबल से लाखों लोग जाति धर्म से ऊपर उठकर मानवता की सेवा में लगे हैं। मदर टेरेसा ने दिन-रात गरीबों की सेवा में लगी रहती थी। वह जरूरतमंदों तक खुद ही पहुंच जाती थी। कहते हैं कि एक बार एक गरीब परिवार में खाना नहीं बना था।
इस बात की जानकारी मदर टेरेसा को हुई। मदर टेरेसा खुद चावल का पात्र लेकर उस गरीब परिवार की घर पहुंची। दरवाजे पर मानो वह महिला खड़े होकर पहले से किसी के आने का इंतजार कर रही हो। घर पहुंचते ही दरवाजे पर उसे चावल का पात्र दिया। चावल का पात्र पाते ही महिला ने मदर टेरेसा का धन्यवाद किया। उस महिला ने मदर टेरेसा से कहा कि “मदद आप बैठिए मैं तुरंत आ रही हूं “। घर में पड़े टूटे हुए कुर्सी पर मदर टेरेसा बैठ गई। कुछ देर बाद वह महिला वापस लौटती है और मदर टेरेसा ने देखा कि चावल का दिया हुआ पात्र खाली है। यह देखकर मदर टेरेसा बोली. ..आप कहां गई थी..? महिला बोली …मेरे बगल की झोपड़ी में एक मुस्लिम परिवार रहता है। उनका परिवार कई दिनों से भूखा है। उस परिवार में छोटे-छोटे बच्चे हैं। उस परिवार को चावल की आवश्यकता मेरे परिवार से कहीं ज्यादा थी। मैं उन्हें चावल देने गई थी। मदर ने महिला की ओर गर्व से देखती रह गई। तभी महिला का पुत्र एक डिब्बा लेकर आया और बोला मदर लीजिए… ! मदर टेरेसा ने हैरानी से देखते हुए बोली इसमें क्या है?..
बालक ..बोला मुझे चीनी बहुत पसंद है। मेरी मां हमेशा मुझे खाने के बाद थोड़ा चीनी देती थी। मैं हर बार चीनी बचाकर इस डब्बे में जमा कर लेता था कि मन करने पर खाऊंगा। हमारी बस्ती में अनेक बच्चे भूखे हैं और आप भूखे लोगों के लिए भोजन बांट रही हैं! वह बच्चे चीनी के साथ सूखी रोटी अच्छी से खा लेंगे। मदर टेरेसा का बच्चे एवं महिला की मानवता देखकर अभिभूत हो गए और बोली … धन्य है यह भारत देश जहां स्वयं भूखे रहकर भी लोग दूसरों की भूख मिटाने का प्रयास करते हैं।
इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल ने संयुक्त रूप से युवाओं से आह्वान करते हुए कहा हुए कि हजारों हजार बरस की भारतवर्ष की परंपरा जहां भूखे रहकर भी लोग दूसरों की भूख मिटाने का प्रयास करें, इस परंपरा को जीवित रखने की आवश्यकता है। यही है राष्ट्र एवं मानवता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि। डॉ एजाज अहमद, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल , डॉ अमित कुमार लोहिया,बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी डॉ शाहनवाज अली, वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल ने संयुक्त रूप से कहा कि हमें मानवीय मूल्यों को जीवित रखते हुए भारतीय समाज में सुख,
शांति, समृद्धि एवं विकास के साथ प्रेम, भाईचारा एवं आपसी सौहार्द की आवश्यकता है ताकि मानव जीवन को और भी सरल एवं सुलह बनाया जा सके। साथ ही विश्व के संघर्षरत देशों में युद्ध विराम एवं स्थाई शांति ही होगी मानवता की प्रतिमूर्ति विश्व शांति दूत मदर टेरेसा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि।
Aug 26 2023, 20:29