*आजमगढ़ : नाम रोशन कर रही जकिरा दोवा नकवी ,कम उम्र में कर रही खिताब*
सिद्धेश्वर पाण्डेय
आजमगढ़ । कहते है कि किसी भी कार्य में कामयाबी हासिल करने के लिए उम्र का बंधन नही होता है। ऐसा मानना है माहुल कस्बा निवासी शिया जाकिरा दोवा नकबी का है। उन्होंने 18 वर्ष की उम्र में करबला के वाकयात पर मजलिस को मक्सूस अंदाज में पढ़कर लोगो को प्रभावित कर उच्च कोटि की कामयामी मिलने पर दोवा ने जिले का नाम रोशन किया है । दोवा के पिता अली नसीर नकवी एक अध्यापक है।
दोवा की इस कामयाबी से उनके परिवार के लोगो को गर्व है ।यही वजह रही है की दोवा को कई स्थानों पर मजलिस को खिताब करने का मौका मिला और महिलाओ की अंजुमनों ने उन्हें सम्मानित भी किया। अब सोशल मीडिया पर छा जाने से उनकी एक पहचान बन गई है। दोवा ने बताया कि पढ़ाई के दौरान से ही मुझे मौला अली ने मेरी जिÞंदगी को एक ऐसा रास्ता दिखाया जो हर किसी के नसीब में नहीं है । यही वजह रही है की प्रदेश के कई जिलों में जाकिरी करने का मुझे मौका मिला है।
मेरे नाना मरहूम डॉक्टर फिरोज नाहरपुरी जो एक उर्दू के मशहूर शायर थे उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया गया था। उनका लिखा गया करबला के वाकयात पर शेर बड़ी बड़ी मजलिसो में पेश किया जाता रहा है। जो आज भी प्रसागिग है। उनका एक मशहूर कलाम है। ,हम अहले इश्क का रिश्ता है, उस घराने से जहां कटे हुये सर भी कलाम करते हैं । हमारी मौत भी बनती है बाइसे मजलिस हम अपनी मौत भी नजरे इमाम करते हैं । इसी शेर ने मेरे जीवन में एक नई ऊर्जा पैदा करने का काम किया। जो मेरे जीवन को सही राह दिखाने का काम किया है।
Aug 26 2023, 19:38