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Aug 17 2023, 19:54

1966 में मिज़ोरम में ऐसा क्या हुआ था की अपने ही देश में सरकार को करनी पड़ी बमबारी, जानें पूरी कहानी

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हाल ही में संपन्न हुए संसद के मॉनसून सत्र में विपक्ष ने केन्द्र सररकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बहस का जवाब देते हुए इंदिरा गांधी के दौर में हुई मिज़ोरम पर भारतीय वायु सेना की बमबारी का जिक्र किया। जिसके बाद बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने हैं। दोनों पक्ष की ओर से वार-पलटवार का दौर जारी है।ऐसा दावा किया जाता है कि बम बरसाने वाले फाइटर जेट के पायलट राजेश पायलट और सुरेश कलमाड़ी थे। इस बीच बुधवार को कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने उनके पिता राजेश पायलट को लेकर किए किए गए भारतीय जनता पार्टी के दावे का करारा जवाब दिया है।सचिन पायलट ने बीजेपी के दावे को तथ्यहीन बताया है। 

ऐसा माना जाता है कि मिज़ोरम में भारतीय वायु सेना की कार्रवाई देश के भीतर किसी नागरिक इलाके में एयर फोर्स का पहला हवाई हमला था। हालांकि भारत सरकार ने उस वक़्त इन हमलों से इनकार किया था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मिज़ोरम में 1966 में वास्तव में हुआ क्या? 1966 में मिजोरम में वायु सेना से बमबारी कराने का फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को क्यों लेना पड़ा?

मिजोरम में 28 फरवरी 1966 को भारतीय सुरक्षाबलों को बाहर निकालने के लिए एक ऑपरेशन शुरू किया गया था। इसका नाम था ‘ऑपरेशन जेरिको’। यह ऑपरेशन शुरू किया था मिजो नेशनल फ्रंट ने। यह वो दौर था जब ताशकंद में तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो चुका था। इसके ठीक 13 दिन बाद इंदिरा गांधी ने देश की कमान संभाली थी, लेकिन पीएम की कुर्सी संभालते ही उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती मिजो नेशनल फ्रंट से निपटने की थी। 19 जनवरी, 1966 को इंदिरा गांधी देश की पहली बार प्रधानमंत्री बनी थीं और 5 मार्च को इंडियन एयरफोर्स के लड़ाकू विमान मिजोरम के सबसे प्रमुख शहर ऐजवाल (आइजॉल) पर मंडरा रहे थे। अचानक से उन विमानों से मशीनगन की गोलियां बरसने लगीं, पूरे शहर में अफरा-तफरी मच गई। अगले दिन वे विमान फिर आकाश में दिखे, लोगों में दहशत फैल गई। वे कुछ करते, उससे पहले ही एयरफोर्स के विमानों से बम बरसने लगे, कइयों की मौत हो गई। शहर के चार प्रमुख इलाके रिपब्लिक वेंग, हमेच्चे वेंग, डवपुई वेंग और छिंगा वेंग पूरी तरह इस बमबारी के चलते तबाह हो गए। आजादी के बाद का यह पहला और आखिरी मामला है, जब अपने ही देश की वायुसेना ने अपने ही देश के नागरिकों पर बमबारी की हो और यह इंदिरा गांधी के आदेश से हुआ।

विद्रोह कैसे शुरू हुआ

मिजो विद्रोह की जड़ असम राज्य से जुड़ी थी। मिजोरम के लोग असम प्रशासन के खिलाफ थे और एक अलग राज्य की मांग कर रहे थे। इंदिरा गांधी के पीएम बनने से ठीक तीन दिन पहले मिजो नेशनल फ्रंट के नेता लालडेंगा ने इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो को पत्र लिखकर असम से जुड़े मिजोरम को अलग देश बनाने की इच्छा जाहिर की थी। लालडेंगा ने 28 फरवरी, 1966 को एक बड़े विद्रोह का ऐलान किया और 1 मार्च को मिजोरम को एक अलग देश घोषित कर दिया और उसके साथ ही 'ऑपरेशन' शुरू करके असम के सरकारी दफ्तरों कब्जा और सुरक्षा बलों पर हमला करना शुरू कर दिया।मिज़ो हिल्स के इलाके में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां 28 फरवरी, 1966 को शुरू हुईं। मिज़ो नेशनल फ्रंट के सशस्त्र बलों ने आइज़ोल, लुंगलेई, वैरेंग्टे, चॉन्ग्टे, छिमुलांग और अन्य जगहों पर सरकारी प्रतिष्ठानों पर एक साथ धावा बोला। लुंगलेई के तहसील कार्यालय में पहला हमला हुआ।एमएनएफ के लगभग एक हज़ार सशस्त्र लड़ाकों ने लुंगलेई में असम राइफल्स की चौकी पर हमला किया। 28 फरवरी और 1 मार्च, 1966 की दरमियानी रात को आइज़ोल के ट्रेज़री ऑफ़िस पर हमला किया गया। एमएनएफ के लड़ाकों ने वहां मौजूद नकदी, हथियार, गोला-बारूद ज़ब्त कर लिए। 

उग्रवाद को दबाने के लिए भारतीय वायुसेना ने अपने ही देश में बम बरसाए

मिजो नेशनल फ्रंट का हमला रणनीतिक तौर पर इतना मजबूत था कि उसका मुकाबला ही नहीं किया जा सका।चंफाई में सैनिकों से हथियार लूट लिए गए। जवानों को बंधक बना लिया गया और आईजोल की मुख्य टेलीफोन एक्सचेंज को निशाना बनाया गया, ताकि दिल्ली तक जानकारी न पहुंचे।किसी तरह सूचना दिल्ली तक पहुंची, दो शहर मिजो नेशनल फ्रंट के कब्जे में थे, पहले हेलीकॉप्टर भेजे गए, ताकि सैनिक और हथियार पहुंचाए जा सकें, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। हालत ये हो गई थी असम राइफल्स के हेडक्वार्टर से तिरंगे को उतारकर मिजो नेशनल फ्रंट का झंडा फहरा रहा था। इसके बाद वायुसेना को जिम्मेदारी दी गई। ईस्ट मोजो की एक रिपोर्ट के मुताबिक 5 मार्च 1966 को भारतीय वायुसेना के चार विमानों ने आईजोल को घेरकर बमबारी शुरू की।वायुसेना की जवाबी कार्रवाई से उग्रवादियों का मनोबल टूटा और भारतीय सेना ने फिर से मिजोरम पर कब्जा जमाया।

आजादी से पहले ही शुरू हो चुका था ये विवाद

दरअसल, यह विवाद तो आजादी से पहले का है, जब 1895 में मिजो आदिवासियों के साथ कई दौर की लड़ाई के बाद अंग्रेजों ने 1895 में इस इलाके पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद वहां ईसाई मिशनरियां पहुंचीं और लगभग सारी जनता का धर्मांतरण कर दिया गया। अंग्रेजी फौज के आगे उनकी क्या बिसात थी, वैसे भी कई सुविधाएं उन्हें ईसाई बनने के बाद ही मिलनी थीं। वहां 87 फीसदी से ज्यादा जनता अब भी ईसाई है। आजादी के बाद अंग्रेज तो चले गए, लेकिन मिशनरियां छोड़ गए। मिजोरम का ज्यादातर हिस्सा असम में था। मिजो यूनियन के बैनर तले मिजो नेता असम के नेताओं पर मिजोरम क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार करने के आरोप लगाने लगे और अलग से मिजोरम राज्य की मांग करने लगे।

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Aug 17 2023, 18:23

एमपी और छत्तीसगढ़ चुनाव के लिए बीजेपी की पहली लिस्ट जारी, तारीखों की घोषणा होने से पहले ही उम्मीदवारों के नामों का ऐलान

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बीजेपी ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने से पहले ही उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है।पहली सूची में मध्य प्रदेश के 39 और छत्तीसगढ़ के 21 उम्मीदवारों का नाम है। दरअसल, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में पार्टी मुख्यालय में 16 अगस्त (बुधवार) को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई थी, जिसमें कमजोर सीटों पर विस्तार से चर्चा करने के बाद इन नामों को फाइनल किया गया है।कल हुई बैठक में इन नामों पर चर्चा के बाद मुहर लगी और आज उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया गया।बता दें कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस तो मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार है।

पाटन में चाचा-भतीजे के बीच होगी चुनावी लड़ाई

छत्तीसगढ़ के लिए जारी लिस्ट में सबसे ज्यादा चर्चित सीट दुर्ग जिले की पाटन है। कारण, यहां से बीजेपी ने विजय बघेल को उम्मीदवार बनाया है।पाटन विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ बीजेपी ने विजय सिंह बघेल को उम्मीदवार बनाया है।खास बात यह है कि विजय सिंह बघेल दुर्ग लोकसभा सीट से सांसद हैं और उनको इस बार विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के खिलाफ मैदान में उतारा गया है।ओबीसी आरक्षित सीट पाटन राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गढ़ रही है।विजय बघेल भूपेश बघले के भतीजे लगते हैं।यानी इस सीट पर चुनाव दिलचस्प हो गया है और चाचा-भतीजे के बीच चुनावी लड़ाई देखने को मिलेगी।

छिंदवाड़ा के पांढुर्ना से पूर्व जज को टिकट

बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर जारी की गई अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में एक और सरप्राइज दिया है। दरअसल, कमलनाथ का गढ़ तोड़ने के लिए भाजपा ने हाल ही में इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुए जज को टिकट दिया है। बता दें कि छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्ना से बीजेपी ने प्रकाश उइके को टिकिट दिया है। प्रकाश उइके हाल ही में न्यायिक सेवा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। बताया जा रहा है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए इस आरक्षित सीट पर भाजपा को लंबे समय से एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश थी।

बता दें कि इस साल पांच राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना) में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी कारण नई दिल्ली में बीते दिन विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी की केंद्रीय चुनाव कमेटी ने एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा समेत तमाम नेता शामिल हुए थे। बैठक में दोनों राज्यों की विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर काफी लंबी चर्चा चली थी। साथ ही अन्य कई मुद्दों पर बात हुई थी। आज छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के साथ-साथ बीजेपी ने राजस्थान में बीजेपी की चुनावी टीम का ऐलान किया।

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Aug 17 2023, 17:31

पहली बार नोएडा की जमीन के नीचे बना भूकंप का केंद्र, क्या किसी बड़े खतरे की है आहट?

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव

बीते कई दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है कि नोएडा की जमीन के नीचे भूकंप का एक केंद्र बना हो। बुधवार की रात नौ बजे के करीब बहुत कम तीव्रता के आए भूकंप का एपीसेंटर यानी भूकंप का केंद्र नोएडा का सेक्टर 128 था। भूगर्भशास्त्रियों के मुताबिक उनके संज्ञान में नोएडा के एपी सेंटर होने की जानकारी बीते कई सालों में पहली दफा सामने आई है। उनका कहना है कि नोएडा समेत समूचा दिल्ली एनसीआर और आसपास का पूरा इलाका सीस्मिक जोन 4 मे आता है। क्योंकि बीते कुछ महीनो से लगातार अलग-अलग इलाकों में होने वाले भूकंप से दिल्ली एनसीआर की धरती हिल रही है। इसलिए भले ही 1.5 तीव्रता का भूकंप आया हो लेकिन चिंता और हैरानी की बात यही है कि या नोएडा की जमीन के नीचे मची हलचल से आया है। दरअसल चिंता हैरानी की बात इसलिए भी ज्यादा है कि अगर नोएडा की जमीन के नीचे कुछ बड़ी हलचल होती है तो यहां की ऊंची ऊंची इमारतें उन सबको झेलने की क्षमता नहीं रखती हैं। 

वैज्ञानिक भाषा में इसको कहते हैं पूर्वाघात...

बुधवार की रात नौ बजे के करीब नोएडा और आसपास के इलाकों में भूकंप आया। कहने को तो भूकंप की तीव्रता महज 1.5 थी। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली बात यह थी कि भूकंप का केंद्र बिंदु कहीं और नहीं बल्कि नोएडा के सेक्टर 128 के नीचे की जमीन थी। हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर अन्ना. बी स्वामी कहते हैं कि भूकंप के झटकों की तीव्रता को अलग-अलग तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। क्योंकि नोएडा और दिल्ली भूकंप के लिहाज से खतरनाक जोन में आते हैं। इसलिए कम तीव्रता वाले भूकंप के एपीसेंटर होने की वजह से इसको पूर्वाघात की श्रेणी में शामिल किया जाता है। उनका कहना है कि इस श्रेणी में आने वाले भूकंप का मतलब किसी बड़े भूकंप की आहट नहीं होती है लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि यह बड़े भूकंप की चेतावनी नहीं है। क्योंकि दिल्ली और नोएडा खतरनाक जोन की श्रेणी में आते हैं। इसलिए पूर्वघात को मॉनिटर करना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

7 मैग्नीटिट्यूड से ज्यादा का आ सकता है भूकंप दिल्ली में...

वैज्ञानिकों का कहना है कि सिस्मिक जोन-4 में आने वाली राजधानी दिल्ली भूकंप के बड़े झटके से खासा प्रभावित हो सकती है। वरिष्ठ भूवैज्ञानिक और जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के पूर्व उपनिदेशक डॉक्टर एसएन चंदेल का कहना है सीस्मिक जोन 4 में आने वाले भूकंप की तीव्रता 7 मैग्नीट्यूड के करीब की हो सकती है। क्योंकि दिल्ली एनसीआर इसी जोन में आता है। ऐसे में अगर इतनी तीव्रता के भूकंप का केंद्र इसी इलाके की जमीन के नीचे होता है तो यह बहुत खतरनाक और बड़ी भीषण स्थिति हो सकती है। वरिष्ठ भू वैज्ञानिकों का मानना है कि बुधवार को नोएडा के नीचे बनने वाले भूकंप के केंद्र को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी कम तीव्रता के भूकंप रोजाना हजारों की संख्या में देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आते हैं, जिनको की महसूस भी नहीं किया जा सकता है।

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Aug 17 2023, 16:50

भाजपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची की जारी, जानिए, क्यों इस बार पहले ही कर रही उम्मीदवारों के ना

भाजपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों की तैयारी तेज कर दी है और उम्मीदवारों की पहली सूची का भी ऐलान कर दिया। इस लिस्ट के तहत मध्य प्रदेश में 39 उम्मीदवार घोषित किए गए हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के भी 21 उम्मीदवारों के नाम घोषित हो गए हैं। भाजपा ने मध्य प्रदेश में जिन 39 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है, उनमें से तीन महिलाएं हैं। पहली लिस्ट में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान का ही नाम शामिल नहीं है। वह बुधनी सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं, जो सीहोर जिले का हिस्सा है।

भाजपा ने सतना जिले की चित्रकूट सीट से सुरेंद्र सिंह गहरवार का नाम घोषित किया गया है। इसके अलावा छतरपुर सीट से ललिता यादव को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। सुमावली से अदल सिंह कंसाना और पिछोर से प्रीतम सिंह लोधी को मौका मिला है। प्रीतम सिंह लोधी को वरिष्ठ नेत्री उमा भारती का करीबी माना जाता है। गोहद सुरक्षित सीट से लाल सिंह आर्य, चाचौड़ा से प्रियंका मीणा को उम्मीदवार घोषित किया है।

छत्तीसगढ़ में 21 में से 5 महिला उम्मीदवार, बस्तर से किसे मौका

वहीं छत्तीसगढ़ की बात करें तो वहां भाजपा ने 21 में से 5 महिला उम्मीदवार उतारी हैं। यहां आदिवासी सुरक्षित सीट बस्तर से मनीराम कश्यप को भाजपा ने टिकट दिया है। सुरक्षित सीट मोहला मानपुर से संजीव साहा को मौका मिला है। इसके अलावा अभानपुर से इंद्रकुमार साहू, खैरागढ़ से विक्रांत सिंह, कांकेर से आशाराम नेता को टिकट दिया गया है। रामानुजगंज से रामविचार नेताम को मौका मिला है और प्रतापपुर से शकुंतला सिंह पोर्थे उम्मीदवार बनाई गई हैं। प्रेमनगर से भूलन सिंह मरावी कैंडिडेट घोषित हुए हैं। छत्तीसगढ़ से भी अभी पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के नाम का ऐलान नहीं हुआ है। 

क्यों इस बार भाजपा पहले ही कर रही उम्मीदवारों के नाम घोषित

दरअसल भाजपा ने बुधवार को ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर चुनाव समिति की मीटिंग बुलाई थी। इसमें राज्यों के प्रभारी, होम मिनिस्टर अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी मौजूद थे। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में उम्मीदवारों के नामों पर विचार हुआ था। इसके अलावा मीटिंग में इस बात पर भी चर्चा हुई कि पहले से ही उम्मीदवार तय कर दिए जाएं ताकि उन्हें क्षेत्र में प्रचार और अपनी ताकत को आजमाने के लिए मौका मिल सके। आमतौर पर भाजपा गुटबाजी से बचने के लिए ऐन वक्त पर नामों का ऐलान करती थी। लेकिन इस बार उसने रणनीति बदलते हुए पहले ही उम्मीदवार घोषित करने का प्लान बनाया है ताकि पहले से ही चुनावी माहौल बनाया जा सके।

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Aug 17 2023, 16:42

अंतरिक्ष जगत में भारत अगले एक सप्ताह के अंदर रच सकता है इतिहास, सफलतापूर्वक लैंडर विक्रम प्रपल्शन मॉड्यूल से हुआ अलग, 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह

अंतरिक्ष जगत में भारत अगले एक सप्ताह के अंदर इतिहास रच सकता है। गुरुवार को लैंडर विक्रम प्रपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग हो गया। अब विक्रम लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। यह लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर होगी, जिसके लिए लैंडर विक्रम ने अपना सफर शुरू कर दिया है।

चंद्रयान- 3 की सफल लैंडिंग से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा और संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन की बराबरी में कतार में शामिल हो जाएगा। हालाँकि, किसी अन्य देश ने अभी तक चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव को नहीं छुआ है। ऐसा करने वाला भारत पहला देश होगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा कि गुरुवार दोपहर को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को उसके लैंडर मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया, जिससे चंद्रमा पर भारत की यात्रा का आखिरी चरण शुरू हो गया है। 

इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, "चंद्रयान-3 मिशन: 'यात्रा के लिए धन्यवाद, दोस्त! लैंडर मॉड्यूल (LM) ने ये कहा। LM को प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है, LM कल लगभग 1600 बजे, IST के लिए नियोजित डीबूस्टिंग पर थोड़ी निचली कक्षा में उतरने के लिए तैयार है। अब,भारत के पास के आसपास तीन हैं।"

प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद, अंतरिक्ष यान का लैंडिंग चरण शुरू होगा। इस चरण में अब 18 और 20 अगस्त को होने वाले डीऑर्बिटिंग के जरिए विक्रम लैंडर को 30 किलोमीटर वाले पेरील्यून और 100 किलोमीटर वाले एपोल्यून ऑर्बिट में डाला जाएगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद विक्रम लैंडर गोलाकार ऑर्बिट में नहीं घूमेगा। वह 30 KM x 100KM की अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाने के लिए दो बार डीऑर्बिटिंग करेगा।

चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन है, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने में एंड-टू-एंड क्षमता का प्रदर्शन करना है। लैंडिंग के बाद, रोवर लैंडर से बाहर निकलेगा और अगले 14 दिनों (एक चंद्र दिवस) के लिए चंद्र क्षेत्र का पता लगाएगा। अंतरिक्ष यान में एक लैंडर और रोवर कॉन्फ़िगरेशन शामिल है, जिसे 100 किमी चंद्र कक्षा तक एक प्रोपल्शन मॉड्यूल द्वारा ले जाया जा रहा है।

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Aug 17 2023, 16:18

दिल्ली में आप-कांग्रेस की लड़ाई तो महाराष्ट्र में पवार ने बढ़ाई परेशानी, मजबूत गठबंधन के दावों के बीच बिखरा-बिखरा I.N.D.I.A

#conflict_in_india_alliance

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले केन्द्र की सत्तारूढ़ एनडीए को उखाड़ फेंकने के लिए विपक्षी गठबंधन मजबूती के साथ एकजुट होने की कोशिश में लगा हुआ है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए का मुकाबला करने के लिए 26 विपक्षी दलों ने 18 जुलाई को I.N.D.I.A गठबंधन बनाया। विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A की तीसरी और अहम बैठक इस महीने की 31 अगस्त और 1 सितंबर को मुंबई में होने वाली है। उससे पहले इस गठबंधन में खींचतान शुरू हो गई है। एक तरफ महाराष्ट्र में शरद पवार और अजित पवार के बीच एक के बाद हो रही बैठक से विपक्षी खेमा में कन्फ्यूजन की स्थिति बन गई है, तो दिल्ली में कांग्रेस ने सभी सातों सीट पर चुनाव लड़ने के ऐलान करके आम आदमी पार्टी को नाराज कर दिया है। 

‘INDIA’ 2024 के चुनाव से पहले ही अविश्वास में

मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का मजबूती से दावा करने वाले विपक्षी गठबंधन की एक महीना होते ही हवा निकलती दिख रही है। महाराष्ट्र में अजित-शरद पवार की सीक्रेट मीटिंग और कथित ऑफर को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। दोनों नेताओं के बीच लगातार हो रहीं मुलाकातों ने कांग्रेस और शिवसेना की टेंशन बढ़ा दी है।एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार विपक्षी गठबंधन का विश्वास खोते जा रहे हैं।कांग्रेस नेता पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने दावा किया है कि बीजेपी ने अजित पवार के सामने शर्त रखी है कि सीएम वो तभी बन सकते हैं, जब शरद पवार को बीजेपी के पाले में ले आते हैं। उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री या फिर नीति आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी देने का ऑफर दिया गया है।

अजित पवार एनडीए का हिस्सा बन चुके हैं और महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। शरद पवार के कई करीबी नेता भी उनका साथ छोड़कर अजित पवार के साथ चले गए हैं। ऐसे में शरद पवार के साथ अजित पवार की हो रही मुलाकात ने महाराष्ट्र की नहीं बल्कि विपक्षी गठबंधन में भी कन्फ्यूजन पैदा कर दी है। कांग्रेस नेताओं को लगने लगा है कि शरद पवार अपने भतीजे के साथ एनडीए में जा सकते हैं। शिवसेना (यूबीटी) भी शरद पवार और अजीत पवार के साथ बढ़ती नजदीकियों से कशमकश की स्थित में है। ऐसे में कहीं विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ 2024 के चुनाव से पहले ही अविश्वास से गुजर रहा है।

कांग्रेस का प्रेशर पॉलिटिक्स

इधर, दिल्ली में कांग्रेस ने प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू कर दी है। इसके तहत दिल्ली में कांग्रेस ने लोकसभा की सभी सात सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने बुधवार को 2024 चुनाव तैयारी को लेकर दिल्ली नेताओं की बैठक करके आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन और दिल्ली में पार्टी के मजबूत करने पर चर्चा हुई। कांग्रेस नेता अलका लांबा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बैठक में दिल्ली की सातों सीटों पर चुनावी तैयारी करने का दिशा-निर्देश दिया है। चुनाव में 7 महीने हैं और दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं। नेताओं से सातों सीटों पर जनता के बीच जाने के लिए कहा गया है। इतना ही नहीं पूर्व सांसद संदीप दीक्षित पहले से ही अरविंद केजरीवाल को लेकर आक्रमक रुख अपनाए हुए हैं। अलका लांबा के बयान को लेकर आम आदमी पार्टी ने नाराजगी जाहिर की है। 

आप ने I.N.D.I.A से अलग होने की धमकी दी

कांग्रेस के इस फैसले के बाद आप ने I.N.D.I.A से अलग होने की धमकी दे दी है। आम आदमी पार्टी की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि यदि कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में दिल्ली में अकेले लड़ने का मन बना लिया है तो ‘INDIA’ गठबंधन का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टा का नेतृत्व मुंबई में ‘INDIA’ गठबंधन की बैठक में हिस्सा लेने पर फैसला करेगा।

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Aug 17 2023, 15:10

राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की चुनाव प्रबंध समिति और संकल्प पत्र समिति की घोषणा, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नाम शामिल नहीं

#vasundhararajenamemissingfrombjpelectioncommitteeandmanifestocommitteforrajasthan

राजस्थान में विधानसभा चुनावों को लेकर हलचल तेज हो गई है। इसी बीच राजस्थान बीजेपी ने विधानसभा चुनाव को लेकर संकल्प पत्र और प्रबंधन समिति की घोषणा कर दी है। यह घोषणा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर हुई है। इसमें बड़ी बात यह है कि राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नाम शामिल नहीं किया गया है।

पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह की मौजूदगी में प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने प्रदेश चुनाव प्रबंध समिति और संकल्प पत्र समिति की घोषणा की। इन दोनों समितियों में कुल 46 नेताओं को जगह दी गई। चुनाव प्रबंध समिति का संयोजक पूर्व सांसद और प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण पंचारिया को बनाया गया है। वहीं संकल्प पत्र समिति के संयोजन का जिम्मा केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को दिया गया। 

प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति में 21 नेताओं को जगह

प्रदेश में विधानसभा चुनावों को देखते हुए चुनाव प्रबंधन समिति में 21 नेताओं को जगह दी गई है। इसमें 1 संयोजक, 6 सह संयोजक औऱ 14 सदस्य बनाए गए हैं। इसमें नारायण पंचारिया को संयोजक, पूर्व प्रदेश महामंत्री ओंकार सिंह लखावत, सांसद राज्यवर्द्धन राठौड़, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त सीएम मीणा और कन्हैयालाल बैरवाल को सह संयोजक बनाया गया है।

प्रदेश संकल्प पत्र समिति में 25 नेताओं को किया शामिल

विधानसभा चुनाव के लिए तैयार होने वाले घोषणा पत्र के लिए बीजेपी ने प्रदेश संकल्प पत्र (मेनिफेस्टो) समिति का गठन किया है। इस कमेटी में 1 संयोजक, 7 सह संयोजक और 17 सदस्य बनाए गए हैं। इस कमेटी की जिम्मेदारी केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल संभालेंगे। उन्हें संयोजक बनाया गया है।

वहीं, उनके साथ राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी, राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा, राष्ट्रीय मंत्री अल्का सिंह गुर्जर, पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभुलाल सैनी और पार्षद राखी राठौड़ को कमेटी में सह-संयोजक बनाया गया है।

क्या तीसरी कमेटी में मिलेगी जगह?

दोनों ही अहम समितियों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम नहीं शामिल किया गया। प्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े चेहरों में शामिल वसुंधरा के नाम को शामिल नहीं किए जाने पर अब सियासी हलकों में चर्चाओं को दौर शुरू हो गया है। वसुंधरा राजे की चुनाव में भूमिका के सवाल पर प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी ने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि पार्टी में कई वरिष्ठ नेता हैं, वे पार्टी के लिए प्रचार करेंगे। अभी कैंपेन कमेटी के संयोजक और उसके सदस्यों की घोषणा होना बाकी है।

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे वर्तमान में पार्टी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। पिछले महीने ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा की नई टीम में भी उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर बरकरार रखा गया था। हालांकि तब भी चर्चाएं हो रही थी कि चुनावी साल में वसुंधरा को केंद्रीय टीम की बजाय प्रदेश में भूमिका क्यों नहीं दी जा रही?

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Aug 17 2023, 13:57

इसरो की बड़ी कामयाबी, चंद्रयान 3 से अलग होकर चांद की ओर निकला लैंडर विक्रम, 23 अगस्त को करेगा लैंड

#chandrayaan3propulsionlandermodule_separation

इसरो को बड़ी सफलता हासिल हुई है। चंद्रयान-3 ने लैंडिंग से पहले अपने अहम पड़ाव को पार कर लिया है।मिशन को आगे बढ़ाते हुए प्रोपल्शन मॉड्यूल से विक्रम लैंडर अलग हो गया है। इसके बाद अब लैंडर चांद तक अकेले ही सफ़र करेगा, जहां वह 23 अगस्त को दक्षिणी हिस्से पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।ये 23 अगस्त को शाम 5.25 बजे लैंड करेगा। अगर यह लैंडिंग सफल हो जाती है तो भारत चांद के दक्षिणी हिस्से पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल करने वाला केवल चौथा देश होगा।

प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब लैंडर चांद की कक्षा में पहुंच गया है। यहां वह 23 अगस्त तक चक्कर लगाएगा। इस दौरान इसकी स्पीड को कम कर दिया जाएगा। इसके बाद उसे चांद की सतह पर लैंड कराया जाएगा। इस दौरान प्रोपल्शन मॉड्यूल रिले सैटेलाइट के रूप में परिवर्तित हो जाएगा। यह चांद की कक्षा के बाहर ही रहेगा और यही चक्कर लगाएगा। 

लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट काफी अहम

अभी जो प्रक्रियाएं हो रही हैं या होने वाली हैं ये चंद्रयान-2 के समय भी सफलतापूर्वक की गई थीं। उस समय भी लैंडर अलग होकर चांद की तरफ बढ़ा था लेकिन 2.1 किमी की दूरी बाकी थी तब स्पीड नियंत्रित नहीं हो पाई और क्रैश लैंडिंग हो गई थी। जब लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट होंगे तो खौफ का समय होगा।दरअसल, जब यान चांद के 100x100 ऑर्बिट में होगा तो लैंडर प्रॉपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाता है। अगला पड़ाव तब आएगा जब लैंडर चांद से 30 किमी की दूरी पर पहुंचेगा। वहां से उसके चांद की सतह पर नीचे उतरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस दौरान उसकी स्पीड कम करने की कोशिश की जाएगी। जब स्पीड हो जाएगी, उसके बाद धीरे-धीरे लैंडर को चांद की ओर भेजा जाएगा और सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया शुरू होगी।

चंद्रयान3 के धरती से चांद तक पहुंचने के अहम चरण

14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से रवाना होने के बाद चंद्रयान-3 ने तीन हफ्तों में कई चरणों को पार किया। पांच अगस्त को पहली बार चांद की कक्षा में दाखिल हुआ था। इसके बाद 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रयान-3 ने अलग-अलग चरण में प्रवेश किया।चंद्रयान3 के धरती से चांद तक पहुंचने के अहम चरणः-

-14 जुलाई 2023: इसरो ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया. इसी दिन एलवीएम3 एम4 ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चांद की यात्रा को शुरू करवाया।

-25 जुलाई 2023: लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 ने 4 अलग-अलग मैन्युवर पूरे किए और पृथ्वी की कक्षा को पीछे छोड़ा. इस दौरान चंद्रयान-3 को बड़े-बड़े धक्के दिए गए और उसे पृथ्वी की कक्षा से बाहर की ओर धकेला गया।

-1 अगस्त 2023: ये तारीख काफी अहम थी, क्योंकि इस दिन चंद्रयान-3 पृथ्वी की कक्षा से बाहर हुआ और चांद की कक्षा की ओर बढ़ा. यहां चंद्रयान-3 की दूरी 288*369328 किमी. थी।

-5 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 ने यहां चांद की कक्षा में प्रवेश किया, ये पूरी तरह सफलता पूर्वक हुआ और चांद की कक्षा में अलग-अलग चरणों की शुरुआत हुई।

-9 अगस्त 2023: यहां से अलग-अलग मैन्युवर को परफॉर्म किया गया, यानी चरण दर चरण चंद्रयान-3 को चांद के करीब धकेलने और उसका वजन कम करने का काम किया गया।

-16 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 ने अपना आखिरी मैन्युवर पूरा किया. अलग-अलग प्रक्रियाओं के बाद यह सबसे अंतिम मैन्युवर था, जिसके बाद अब पूरी कोशिश सफल लैंडिंग कराने की होगी।

-17 अगस्त 2023: लैंडिंग से जुड़ी अहम प्रक्रिया यहां शुरू होगी, प्रणोदन और लैंडर मॉड्यूल यहां से अलग-अलग होगा. लैंडर यहां से चांद की ओर बढ़ेगा और फिर सॉफ्ट लैंडिंग के अलग-अलग चरण पूरे होंगे।

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Aug 17 2023, 13:46

नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने पर राहुल गांधी का मोदी सरकार पर तंज, कहा-नाम नहीं, कर्म उनकी पहचान

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नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदल दिया गया है। केंद्र सरकार के इस पैसले के बाद अब इसे प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय के नाम से जाना जाएगा। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदलने पर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। जब राहुल गांधी से इस पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि नेहरू जी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं।

दो साल की सजा पर रोक लगने के बाद राहुल गांधी को सांसदी वापस मिली थी, जिसके बाद से ही वह आक्रामक रवैया अपना रहे हैं और लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं।दो दिनों के लेह-लद्दाख की यात्रा पर रवाना होने से पहले पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नेहरू जी की पहचान उनके कर्म हैं, उनका नाम नहीं।

बता दें कि केंद्र शासित बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार लद्दाख के दौरे में राहुल गांधी लेह और कारगिल जाएंगे। इस दौरान वे पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे।कारगिल में अगले महीने हिल काउंसिल के चुनाव होने हैं। इस वजह से राहुल की यात्रा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे वहां पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे। कारगिल हिल काउंसिल के चुनाव के लिए कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन किया है।

राहुल गांधी से पहले भी कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मसले को लेकर वार-पलटवार चल रहा है। इससे पहले कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि नाम बदलना सरकार के ओछेपन को दिखाता है, पीएम मोदी डर और असुरक्षा से भरे नज़र आते हैं। मौजूदा सरकार का एकमात्र एजेंडा नेहरू और उनकी विरासत को गलत ठहराना और बदनाम करना ही है। लेकिन इन हमलों के बाद भी नेहरू की विरासत हमेशा जिंदा रहेगी।

स्वतंत्रतता दिवस के मौके पर नई दिल्ली के तीन मूर्ति परिसर स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम का नाम बदलकर पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (पीएमएमएल) कर दिया गया।भले ही स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम बदल दिया गया हो लेकिन इसका औपचारिक ऐलान जून के महीने में ही कर दिया गया था।अब इसे औपचारिक रूप दे दिया गया है। इस बारे में 15 जून 2023 को राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला लिया गया था।

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Aug 17 2023, 13:30

सेंसेक्स 61 अंक नीचे 65478 पर और निफ्टी 23 अंक नीचे 19441 पर, शेयर बाजार में कमजोर शुरुआत, दोनों सूचकांक लाल निशान में

शेयर बाजार में गुरुवार को बाजार में कमजोर शुरुआत देखने को मिली। सेंसेक्स 61 अंक नीचे 65478 पर और निफ्टी 23 अंक नीचे 19441 पर कारोबार कर रहा था। जानकारों का कहना है कि महंगाई का असर और अमेरिकी अर्थव्यवस्था का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिल रहा है। निफ्टी 50 में 21 शेयरों में एडवांसेस दिख रहा है जबकि 29 शेयरों में डिक्लाइन दिख रहा है। यहां पर जिन शेयरों में तेजी है उनमें TITAN, ADANIPORTS, NTPC, ADANIENT, DRREDDY के शेयर प्रमुख हैं। जबकि जिन शेयरों में गिरावट देखी जा रही है उनमें CIPLA, ITC, GRASIM, SBILIFE, LTIM के शेयर शामिल हैं।

स्थानीय शेयर बाजार बुधवार को शुरुआती नुकसान से उबरते हुए लाभ में रहे और बीएसई सेंसेक्स में करीब 137 अंक की तेजी रही थी। वैश्विक बाजारों के मिले-जुले रुख के बीच सूचकांक में मजबूत हिस्सेदारी रखने वाली इन्फोसिस, एलएंडटी और महिंद्रा एंड महिंद्रा में कारोबार के अंतिम घंटे में लिवाली होने से बाजार को समर्थन मिला था। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 137.50 अंक यानी 0.21 प्रतिशत की बढ़त के साथ 65,539.42 अंक पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान एक समय इसमें 369.03 अंक तक गिरावट दर्ज की गई थी।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का सूचकांक निफ्टी भी 30.45 अंक यानी 0.16 प्रतिशत की बढ़त के साथ 19,465 अंक पर बंद हुआ था।

सेंसेक्स के शेयरों में अल्ट्राटेक सीमेंट सर्वाधिक 2.43 प्रतिशत के लाभ में रहा था। इसके अलावा एनटीपीसी, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, पावरग्रिड, महिंद्रा एंड महिंद्रा, लार्सन एंड टुब्रो, मारुति, विप्रो और एसबीआई में भी प्रमुख रूप से तेजी रही थी। दूसरी तरफ नुकसान में रहने वाले शेयरों में टाटा स्टील, भारती एयरटेल, बजाज फिनसर्व, एक्सिस बैंक, बजाज फाइनेंस और जेएसडब्ल्यू स्टील शामिल रहे थे।