*विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल हो आपातकाल का इतिहास : लोसेकस*
सीके सिंह(रूपम)
सीतापुर। भारतीय इतिहास में आपातकाल एक अत्यंत महत्वपूर्ण और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्य पूर्ण घटना है। 25जून'75 से पूरे 21महीने तक तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा निहित स्वार्थ वश लोकतंत्र को पूरी तरह बंधक बनाकर तानाशाही का जो नंग-नाच किया गया, उसकी स्मृति मात्र से आज भी रोंएं खड़े हो जाते हैं। इतिहास का यह काला अध्याय निश्चित रूप से विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए जिससे देश की भावी पीढ़ी लोकतंत्र पर संभावित खतरों से सजग और उसकी रक्षा के लिए तैयार रहे।
यह बात यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजे अपने मांग-पत्र में लोकतंत्र सेनानी कल्याण समिति, उप्र के प्रदेश अध्यक्ष राम सेवक यादव, प्रदेश मंत्री इं० सुरेन्द्र बहादुर सिंह और प्रदेश संगठन मंत्री राम प्रकाश अवस्थी ने कही। उन्होंने कहा कि आपातकाल एक ऐसी दुर्घटना की तरह है जिसने अनेकों परिवारों की रोटी रोजी छीन ली।जाने कितने लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी और तमाम युवा और छात्रों की शिक्षा बाधित होने से उनका भविष्य अंधकारमय हो गया। उन्होंने कहा कि निहित स्वार्थ के लिए तत्कालीन सरकार द्वारा जन सामान्य को तानाशाही झेलने को विवश कर दिया गया। लाखों लोगों को लंबे समय तक जेलों में घोर यातनाएं झेलनी पड़ी और और उनका भविष्य अंधकारमय मय हो गया।
आपातकाल के बाद बनी जनता पार्टी सरकार ने इसे आजादी की दूसरी लडा़ई करार दिया था और राम नरेश यादव नीत सरकार ने उप्र में आपातकाल पीड़ितों को स्वतंत्रता सेनानियों के कोटे में आरक्षण भी दिया था। दुर्भाग्य से इस त्रासदी की जनक कांग्रेस ने फिर से सत्ता में आने पर इसे समाप्त कर दिया गया। आज भी कई प्रदेशों में जहां कांग्रेस ने वापसी की वहां आपातकाल पीड़ितों को मिलने वाली सुविधाओं को फिर से छीन लिया गया। आज लोग छोटी छोटी बातों पर अघोषित आपातकाल की बातें करते हैं, जबकि आपातकाल क्या और कैसा होता है केवल और केवल आपातकाल पीड़ितों को ही पता है।अब यह वर्तमान केन्द्र सरकार का दायित्व है कि वह इसकी क्षति पूर्ति करे। नेता त्रय ने कहा कि केरल उच्च न्यायालय ने भी यही कहा है और सरकार को विचार कर इस दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए।
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी आपातकाल पीड़ितों को सम्मानित करने का पक्षधर रहा है और उसने अपने आदेश में इसे लोकतंत्र के लिए अपरिहार्य करार दिया है मांग पत्र की एक प्रति क्षेत्रीय सांसद राजेश वर्मा के माध्यम से भी प्रेषित की गई जिसमें मुख्य रूप से पूरे देश में आपातकाल पीड़ितों को समान रूप से लोकतंत्र सेनानी घोषित कर सम्मानित करने, उन्हें आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने, उनके पाल्यों को स्वतंत्रता सेनानियों के सदृश सरकारी नौकरी में आरक्षण देने की मांग के अलावा विशेष रूप से आपातकाल का इतिहास देश भर के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की गई है। लोकतंत्र सेनानी नेताओं ने कहा कि इस तरह की पहल से जहां सरकार के नैतिक दायित्व की पूर्ति होगी वरन् लोकतंत्र की सतत् रक्षा के लिए देश में एक नई पौध तैयार होगी।
Jul 27 2023, 13:31