एक साल पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए सुनील जाखड़ को कैसे मिल गई पंजाब की कमान, जानें राजस्थान तक है कैसे “कमल” खिलाने का प्लान?
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भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व कांग्रेसी सुनील जाखड़ को बीजेपी ने पंजाब की कमान सौंपी है। भाजपा के लिहाज से यह चौंकाने वाला फैसला रहा क्योंकि जाखड़ को भाजपा में आए अभी करीब 1 ही साल हुआ है। पार्टी में पहली बार किसी ऐसे नेता को अध्यक्ष बनाया गया है जो एक साल पहले ही पार्टी में शामिल हुआ है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इसकी क्या वजह है?
सुनील जाखड़ को ऐसे ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नहीं बना दिया गया है। सुनील जाखड़ को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाना वैसे तो काफी हैरानी भरा रहा, क्योंकि जाखड़ के अलावा भाजपा में कई वरिष्ठ अन्य नेता भी थे, जो इस पद के लिए पूरी तरह से योग्य थे, लेकिन इन सबको दरकिनार कर पार्टी ने जाखड़ को जिम्मेदारी सौंपी। इसका एक लंबा राजनीतिक संदेश है। भाजपा अब सुनील जाखड़ को पंजाब में सारथी बना कांग्रेस के किले को ध्वस्त करना चाहती है। वहीं जाट और हिंदू मतदाताओं को भी लामबंद करने की योजना है।
2022 में भाजपा ने अश्वनी शर्मा की अगुवाई में पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा को सात फीसदी से कम वोट मिले थे। वहीं पार्टी महज दो सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी थी। तीन कृषि कानूनों और किसान आंदोलन के बाद पंजाब में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी की छवि को भी गहरा झटका लगा है। अब बीजेपी सुनील जाखड़ के सहारे इस नुकसान की भरपाई करना चाहती है।
बीजेपी ने पंजाब की जिम्मेदारी सुनील जाखड़ को देकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। यानी पंजाब के सा-साथ राजस्थान पर भी सियासी पकड़ मजबूत बनाने का लक्ष्य है।राजस्थान में इस बार विधानसभा चुनाव से पहले सभी जातियों को साधने का काम तेज हो गया है। बीजेपी ने राजस्थान में दलितों को साधने के लिए अर्जुन राम मेघवाल को प्रमोट किया और फिर बीकानेर, सीकर, नागौर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर और झुंझुनूं में जाटों को साधने के लिए सुनील जाखड़ को पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। सुनील जाखड़ की जड़ें राजस्थान के इन क्षेत्रों में हैं। सुनील जाखड़ भले ही पंजाब में पैदा हुए हों लेकिन उनके पिता बलराम जाखड़ सीकर से दो बार और एक बार बीकानेर से सांसद रहे हैं। उनकी राजस्थान कांग्रेस और जाटों में मजबूत पकड़ थी। ऐसे में सुनील जाखड़ को उसी नजरिए से यहां की राजनीति में देखा जा रहा है।
सुनील जाखड़ हिंदू जाट समुदाय से आते हैं। राजस्थान में 15 फीसदी जाट हैं, जो 50 से 60 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं। 2018 के चुनाव में राजस्थान की 200 सीटों में से 31 जाट उम्मीदवार जीते थे। ऐसे में सुनील जाखड़ बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। राजस्थान में इन दिनों कांग्रेस में जाट के दो बड़े नेता खुलकर सामने हैं। सीकर से गोविंद सिंह डोटासरा और बीकानेर से रामेश्वर डूडी की चर्चा है। बलराम जाखड़ बीकानेर और सीकर दोनों जगहों से तीन बार सांसद चुने गए थे। ऐसे में सुनील जाखड़ बीजेपी के बड़ा हथियार साबित हो सकते हैं।
Jul 05 2023, 14:28