*अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले शाह फैसल का यू-टर्न, कहा- मेरी तरह अधिकतर कश्मीरियों के लिए ये अतीत की बात*
#ias_officer_shah_faisal_statement_on_article_370
देश में एक बार फिर अनुच्छेद-370 पर बसह शुरू हो गई है।दरअसल, अनुच्छेद 370 के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई को सुनवाई होगी। इसको निरस्त करने को चुनौती देने का मामला साल 2019 में संविधान पीठ को सौंपा गया था लेकिन अब तक सुनवाई नहीं हुई है। जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले धारा 370 को हटाए जाने के चार साल बाद देश के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रेस रिलीज जारी करके बताया कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई में पांच जजों की बेंच इस मामले को सुनेगी। इस बेंच में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत होंगे।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, पांच न्यायाधीशों की पीठ दिशानिर्देश पारित करने के लिए आईएएस अधिकारी शाह फैसल की तरफ से दायर याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने भी 370 को खत्म करने के राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
हालांकि, मंगलवार को शाह फैसल ने कहा कि उन्होंने बहुत पहले ही याचिका वापस ले ली है। शाह फैसल ने इसको लेकर एक ट्वीट भी किया। फैसल ने ट्विटर पर लिखा, ‘मेरी तरह अधिकतर कश्मीरियों के लिए (अनुच्छेद) 370 अतीत की बात है। हिंद महासागर में झेलम और गंगा हमेशा के लिये विलीन हो गई हैं। इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। अब सिर्फ आगे बढ़ा जा सकता है।
वहीं, न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए शाह फैसल ने बताया कि उन्होंने बहुत पहले ही याचिका वापस ले ली है। यह सिर्फ याचिकाओं के समूह का शीर्षक है और एक बार आदेश जारी होने के बाद नाम बदल जाएगा। अनुच्छेद 370 एक नियति है। आज का कश्मीर 2019 के कश्मीर से बहुत कम मिलता जुलता है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वर्ष 2010 बैच के अधिकारी फैसल को अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने और जम्मू कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के एक वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था। उन्होंने सेवा से इस्तीफा देकर एक राजनैतिक दल ‘जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’ की शुरुआत की थी। हालांकि, सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और फैसल को बाद में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में तैनात कर दिया गया। फैसल ने वर्ष 2019 में केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी। सरकार ने अप्रैल 2022 में फैसल की इस्तीफा वापस लेने के निवेदन को स्वीकार कर लिया और उनकी सेवा को बहाल कर दिया। इसी महीने में फैसल ने न्यायालय के सामने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले सात याचिकाकर्ताओं की सूची में से नाम हटाने के लिए आवेदन दिया था।
Jul 05 2023, 06:57