खुशखबरी:अब इंटरनेट का 6G वर्ज़न का भारत में हो रहा है आगमन,टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 3 जुलाई को इसको लेकर एक नया एलाइंस की शुरुआत की


अभी कुछ लोग 5G तो अधिकतर 4 G इंटरनेट नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं।आज इंटरनेट सोशल मीडिया के युग में जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। इसी बीच भारत में 6G का आगमन हो चुका है।अब नेटवर्क इतना फ़ास्ट हो जाएगा कि लोगों की व्यस्तता और बढ़ जाएगी।

 6G के नेटवर्क को लेकर शुरू हो गयी तैयारी

5G लॉन्च करने के बाद सिक्स जी की ओर कदम बढ़ाया गया है। भारत में अब 6G लाने की तैयारी तेज हो गई है। जल्द ही आप इस सुपरफास्ट टेक्नोलॉजी का मजा ले पाएंगे। 3 जुलाई को टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 6G को लेकर नया एलायंस की शुरुवात की। ये एलायंस भारत में नई टेलीकॉम तकनीक और सिक्स जी के विकास के लिए काम करेगा।

6G: में है कई एक्सट्रा फीचर

सिक्स जी एक वायरलेस टेक्नोलॉजी है जो 5G से बहुत बेहतर होने वाली है। जो काम 5G नही कर पाया वो काम सिक्स जी करेगा। इसमें आपको नेटवर्क बहुत अच्छा मिलेगा। इसके साथ साथ Security भी 5G से ज्यादा अच्छी मिलेगी। नेक्स्ट जेनरेशन कि इस तकनीक को लाने के लिए भारत समय रहते तैयारी करना चाहता है। ताकि दूसरे देशों में आने वाली तकनीक पर निर्भरता को कम किया जा सके। साथ ही वह नए तकनीक के निर्यात में भी अहम भूमिका अदा करना चाहता है।

6G को आगे बढ़ाया:

सिक्स जी एलायंस सार्वजनिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और अन्य विभाग का गठजोड़ है। इसमें सभी सिक्स जी को आगे बढ़ाने के लिए अपना योगदान देंगे। साथ ही नए आइडिया के साथ इसे से बेहतर बनाया जाएगा। इसमें National Research Institute एंड साइंस ऑर्गेनाइजेशन का विकास होगा।

6G डॉक्यूमेंट पेश किए गए

इसी साल मार्च में पीएम मोदी ने सिक्स जी Vision डॉक्यूमेंट पेश किया था । इसके साथ ही सिक्स जी टेस्ट आज का भी ऐलान किया गया था। दरअसल टेस्ट मैच में किसी भी टेक्नोलॉजी को लॉन्च से पहले टैस्ट किया जाता है। ये एक तरह का ट्रायल होता है जो लोन से काफी पहले किया जाता है।

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने शुरू कर दी कावड़ियों के सुविधा के लिए तैयारी,कहा दिल्ली में नही होगी कोई दिक्कत,प्रशासन सहयोग के लिए है तैयार


 नई दिल्ली:- कांवर यात्रा को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा का ख्याल रखकर आसपास के राज्यों से राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने वाले श्रद्धालु के लिए दिल्ली यातायात पुलिस ने तैयारी शुरू कर दी है। बहुत सारे लोग

 गंगोत्री धाम और हरिद्वार तक दिल्ली होते हुए जाते हैं साथ हीं दिल्ली के लोग भी कावड़ लेकर जाते हैं.जिसके सुविधा के लिए दिल्ली यातायात पुलिस ने व्यापक व्यवस्था की है और सूचित किया है कि कुछ क्षेत्रों से यातायात भीड़ की आशंका होगी।

 हर साल, श्रावण के हिंदू चंद्र माह के दौरान, भक्त श्रावण शिवरात्रि पर शिव मंदिरों में पवित्र गंगा जल चढ़ाने के लिए गौमुख, गंगोत्री धाम और हरिद्वार से पैदल यात्रा करते हैं।

 4 जुलाई को शुरू होने की उम्मीद है, इसका समापन 15 जुलाई को होगा। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने कहा, कई कांवरिए दिल्ली पहुंचते हैं और उनमें से कुछ दिल्ली सीमाओं के माध्यम से हरियाणा और राजस्थान जाते हैं। इस वर्ष अपेक्षित संख्या लगभग 15-20 लाख है।

 “हमने कांवरियों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं की आवाजाही को अलग करने और जनता और भक्तों को असुविधा कम करने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है।  

पुलिस ने कहा, श्रद्धालुओं और सड़क उपयोगकर्ताओं को यातायात नियमों का पालन करने और ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहुंचे आज नई दिल्ली ,पीएम मोदी से की मुलाकात


 दिसम्बर में देहरादून में आयोजित होने वाले "वैश्विक निवेशक सम्मेलन-2023" में मुख्य अतिथि के रूप में किया आमंत्रित

नई दिल्ली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नई दिल्ली में आज पीएम नरेन्द्र मोदी से भेंट कर उत्तराखंड के विकास में प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंंड ईज ऑफ डुईंग बिजनेस, निवेश प्रोत्साहन और स्टार्टअप क्षेत्र में निरंतर विकास कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय निवेशकों को राज्य में आकर्षित करने के उद्देश्य से दिसम्बर 2023 के द्वितीय सप्ताह में देहरादून में "वैश्विक निवेशक सम्मेलन-2023" आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी को सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि आमन्त्रित करते हुए कहा कि उनके मार्गदर्शन में निवेशक सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न होगा।

सीएम धामी ने किच्छा खटीमा रेल स्टेशन प्रोजेक्ट के लिए केंद्र से मांगा राशि

किच्छा खटीमा रेलवे स्टेशन प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 1546 करोड़ है। मुख्यमंत्री ने राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुये उन्होंने सम्पूर्ण लागत केन्द्र सरकार द्वारा वहन किये जाने का अनुरोध किया।

देहरादून रेलवे स्टेशन को दूसरे जगह शिफ्ट करने के लिए स्वीकृति मांगा

मुख्यमंत्री ने देहरादून के मुख्य रेलवे स्टेशन को हर्रावाला शिफ्ट किया जाने एवं ऋषिकेश के अन्तर्गत पुराने रेलवे स्टेशन की भूमि राज्य सरकार को हस्तान्तरित किये जाने का प्रस्ताव को स्वीकृत करने का भी अनुरोध किया। 

इस अवसर पर दिल्ली में पत्रकारों से महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम पर सीएम धामी ने दी प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम पर कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के लिए जो कार्य कर रहे हैं, उसे देखते हुए सभी चाहते हैं कि वे भाजपा के साथ जुड़ें। प्रधानमंत्री ने जो कार्यक्रम बनाए हैं, उनमें योगदान दें। देश के विकास में अपना योगदान दें। यही कारण है कि जहां भाजपा सत्ता में नहीं आती थी, अब सत्ता में आ रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में भी यही हुआ है। दल भाजपा के साथ आना चाहते हैं। अन्य राज्यों में भी यही स्थिति है। समान नागरिक संहिता पर पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की भी यही अपेक्षा थी कि अन्य राज्यों में भी इसे लागू किया जाए।

अब अन्य राज्यों में भी इस पर काम शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो भी कार्य किए हैं, वे नारी सशक्तीकरण के लिए हैं। समान नागरिक संहिता में भी इस पर काम हो रहा है। आज आम जनमानस भी इस पर चर्चा कर रहा है। समान नागरिक संहिता की देशभर में चर्चा हो रही है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। यह ड्राफ्ट बनाने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने सभी से सुझाव लिए हैं। समिति को 2.35 लाख सुझाव मिले हैं। संहिता का प्रारूप तय करने के लिए धार्मिक व सामाजिक संगठन, राजनीतिक दल, बुद्धिजीवी वर्ग से राय ली गई है।

उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने एक आईआईटी के दीक्षांत समारोह में कहा-अब देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का समय आ गया है


नई दिल्ली: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के 25 वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने का अब सही समय आ गया है। 

उपराष्ट्रपति ने कहा, 'संविधान के संस्थापकों जिस यूसीसी की परिकल्पना की थी, उसे लागू करने का अब सही समय आ गया है।' उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि देश अपने नागरिकों के लिए यूसीसी को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा।'

ये संविधान के संस्थापकों के विचारों की प्रक्रिया थी। अब यूसीसी के क्रियान्वयन का समय आ गया है। और इसमें कोई बाधा या अधिक देरी नहीं हो सकती।

बता दें कि उपराष्ट्रपति एक दिवसीय असम दौरे पर हैं। उन्होंने मंगलवार को आईआईटी गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। असम दौरे पर उपराष्ट्रपति पत्नी भी उनके साथ हैं। लोकप्रियो गोपीनाथ बोरदोलोई एयरपोर्ट पहुंचने पर राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दोनों का स्वागत किया।

कोल्डड्रिंक में नशीली पदार्थ मिलाकर एक नाबालिग लड़की के साथ एक युवक ने किया दुष्कर्म,शिकायत पर आरोपी गिरफ्तार,

दिल्ली: एक 16 वर्ष की लड़की के साथ 22 वर्षीय सलमान नामक युवक द्वारा कथित दुष्कर्म का मामले में उक्त युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है।

प्राप्त सूचनानुसार डीसीपी आउटर हरेंद्र सिंह के अनुसार आरोपी को , "पीएस मुंडका में आईपीसी रेप और पॉक्सो एक्ट की धारा के तहत 1 जुलाई को मामला दर्ज कर लिया गया है। 

सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता का बयान दर्ज किया गया। और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।"

 घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि सलमान नामक 22 वर्षीय युवक ने उस 16 वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया। शिकायतकर्ता आरोपियों को जानती थी, क्योंकि वे दोनों एक खिलौना फैक्ट्री में काम करते हैं। 29 जून को, वह उसे गुरुग्राम में अपने भाई के घर ले गया और उसे कोल्ड ड्रिंक दी, जिसके बाद वह बेहोश हो गई और जब उठी तो उसके शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। 

 उसने उसे यह बात किसी को न बताने की धमकी भी दी... उसने उसके साथ 2-3 बार ऐसा किया और उसे ब्लैकमेल किया।

एनसीपी की कहानी : इंदिरा गांधी से शरद पवार ने की थी बगावत, सोनिया गांधी के विरोध में बनाई थी नई पार्टी

कई दिनों से लिखी जा रही थी 'अजित पवार' की पटकथा, भतीजे ने इशारा भी किया,नहीं समझ सके शरद 'चाचा'

नई दिल्ली: आज हम आपको एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की पूरी कहानी बताएंगे। कैसे इस पार्टी का गठन हुआ? कैसे शरद पवार ने इसे आगे बढ़ाया? आइए जानते हैं... 

महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है। इसका कारण प्रमुख विपक्षी दल एनसीपी में फूट पड़ना है। 

एनसीपी के दिग्गज नेता और पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने एक बार फिर से अलग राह पकड़ ली है। उन्होंने अब एनडीए का दामन थाम लिया है। अजीत पवार ने दावा किया कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायकों का समर्थन भी है। इसके बाद उन्हें भाजपा-शिवसेना गठबंधन वाली सरकार में उप-मुख्यमंत्री बना दिया गया है। 

अजीत पहले भी ऐसा कर चुके हैं, जब उन्होंने अपने चाचा से बगावत करके भाजपा के साथ सरकार बना ली थी। तब भी उन्हें उप-मुख्यमंत्री का पद मिला था। अब एक बार फिर से अजीत के इस बगावत से महाराष्ट्र की सियासत में नया भूचाल आ गया है। 

ऐसे में आज हम आपको एनसीपी यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की पूरी कहानी बताएंगे। कैसे इस पार्टी का गठन हुआ? कैसे शरद पवार ने इसे आगे बढ़ाया? आइए जानते हैं... 

एनसीपी की कहानी से पहले शरद पवार की कहानी जान लीजिए

82 साल के शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को पुणे के बारामती में हुआ था। उनके पिता एक कोऑपरेटिव सोसायटी में वरिष्ठ पद पर थे। मां स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने वाली वह इकलौती महिला थीं। पूर्व क्रिकेटर सदाशिव शिंदे की बेटी प्रतिभा शरद पवार की पत्नी हैं। 

एक इंटरव्यू में प्रतिभा ने बताया था कि शादी से पहले शरद पवार ने एक ही संतान पैदा करने की शर्त रखी थी। 1967 से 90 तक शरद बारामती सीट पर काबिज रहे, उसके बाद से यह सीट उनके भतीजे अजीत पवार के पास है। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले साल 2009 से बारामती की सांसद हैं।

केवल 27 साल की उम्र में बन गए थे विधायक

शरद पवार ने बेहद कम उम्र में ही राजनीति में अच्छी पकड़ बना ली थी। जब वह 27 साल के थे, तब पहली बार विधायक चुन लिए गए थे। साल 1967 में वह पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद शरद पवार सियासत की बुलंदियों तक पहुंचे। सियासत में उनके शुरुआती संरक्षक तत्कालीन दिग्गज नेता यशवंत राव चव्हाण थे। 

इंदिरा से की बगावत

आपातकाल के दौरान शरद पवार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से बगावत कर दी। इंदिरा से बगावत करने के बाद पवार ने कांग्रेस छोड़ दी। साल 1978 में जनता पार्टी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। राज्य के मुख्यमंत्री बने। साल 1980 में इंदिरा सरकार की जब वापसी हुई तो उनकी सरकार बर्खास्त कर दी गई। तब 1983 में शरद पवार ने कांग्रेस पार्टी सोशलिस्ट का गठन किया। 

उस साल हुए लोकसभा चुनाव में शरद पवार पहली बार बारामती से चुनाव जीते लेकिन साल 1985 में हुए विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को मिली 54 सीटों पर जीत ने उन्हें वापस प्रदेश की राजनीति की ओर खींच लिया। 

शरद पवार ने लोकसभा से इस्तीफा देकर विधानसभा में विपक्ष का नेतृत्व किया। 

 राजीव के दौर में वापस कांग्रेस में आए

साल 1987 में वो वापस अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस में वापस आ गए। तब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। पवार उन दिनों राजीव गांधी के करीबी बन गए। पवार को साल 1988 में शंकर राव चव्हाण की जगह सीएम की कुर्सी मिली। चव्हाण को साल 1988 में केन्द्र में वित्त मंत्री बनाया गया।

 1990 के विधानसभा चुनाव में 288 सीटों में 141 पर कांग्रेस की जीत पाई लेकिन राजनीति के माहिर खिलाड़ी शरद पवार ने 12 निर्दलीय विधायकों की मदद से सरकार बनाने में कामयाब रहे। इसके साथ पवार तीसरी बार सीएम बनने में कामयाब रहे। 

फिर पीएम पद के उम्मीदवार भी बन गए थे शरद पवार

बात साल 1991 की है। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हो गई। देशभर में अजीब स्थिति थी। प्रधानमंत्री पद को लेकर चर्चा होने लगी। तब शरद पवार का नाम उन तीन लोगों में आने लगा, जिन्हें कांग्रेस के अगले प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था। पवार के अलावा इस दौड़ में नारायण दत्त तिवारी और पी वी नरसिम्हा राव शामिल थे। 

नारायण दत्त तिवारी साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित हार की वजह से पीएम बनने से रह गए। ये मौका दूसरे सीनियर नेता पी वी नरसिम्हा राव को मिल गया जबकि शरद पवार को रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। लेकिन फिर शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति के लिए वापस भेजा गया। 

सोनिया गांधी से विवाद और बना ली खुद की नई पार्टी

ये बात है साल 1998 की। मध्यावधि लोकसभा चुनाव के बाद शरद पवार विपक्ष के नेता चुने गए, लेकिन साल 1999 में जब 12वीं लोकसभा भंग हुई तो शरद पवार, पी ए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए।

 पवार और कुछ अन्य नेता नहीं चाहते थे कि विदेशी मूल की सोनिया पार्टी का नेतृत्व करें। सोनिया का विरोध करने के चलते पार्टी से उन्हें निष्कासित कर दिया गया। कांग्रेस से निष्कासन के बाद शरद पवार ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ;(एनसीपी) का गठन किया।

 शरद पवार ने कांग्रेस से अलग होकर पार्टी जरूर बनाई लेकिन साल 1999 के महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में जनादेश न मिलने पर कांग्रेस से हाथ मिलाकर सरकार भी बना ली। साल 2004 से साल 2014 तक पवार लगातार केंद्र में मंत्री रहे। साल 2014 का लोकसभा चुनाव शरद पवार ने ये कहकर नहीं लड़ा कि वो युवा नेतृत्व को पार्टी में आगे लाना चाहते हैं।

सबसे युवा मुख्यमंत्री, बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रहे

शरद पवार के नाम महाराष्ट्र का सबसे युवा मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है। वह भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पवार 2005 से 2008 तक बीसीसीआई के चेयरमैन रहे और 2010 में आईसीसी के अध्यक्ष बने।

कैंसर से जंग जीते, डॉक्टर ने कहा था- केवल छह महीने जिंदा रहेंगे

शरद पवार ने कैंसर से जंग जीती है। एक टीवी चैनल में पवार ने बताया कि 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें कैंसर का पता चला था। इलाज के लिए न्यूयॉर्क गए। वहां के डॉक्टरों ने भारत के ही कुछ एक्सपर्ट्स के पास जाने को कहा। तब कृषि मंत्री रहते हुए पवार ने 36 बार रेडिएशन का ट्रीटमेंट लिया। 

यह बहुत दर्दनाक था। उन्होंने इंटरव्यू में बताया था कि सुबह नौ से दो बजे तक वह मंत्रालय में काम करते। फिर 2.30 बजे अपोलो हॉस्पिटल में कीमोथेरेपी लेते। दर्द इतना होता था कि घर जाकर सोना ही पड़ता। इसी दौरान एक डॉक्टर ने उनसे कहा कि जरूरी काम पूरे कर लें। आप सिर्फ छह महीने और जी सकेंगे। पवार ने डॉक्टर से कहा कि मैं बीमारी की चिंता नहीं करता, आप भी मत करो। पवार ने लोगों को नसीहत दी कि कैंसर से बचना है तो तंबाकू का सेवन तुरंत बंद कर दें।

पत्नी के सामने रखी थी एक बच्चे की शर्त

शरद पवार ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शादी से पहले उन्होंने अपनी पत्नी प्रतिभा पवार के सामने एक ही संतान पैदा करने की शर्त रखी थी। उन्होंने कहा था, 'हमारी एक ही संतान होगी, चाहे वह लड़का हो या लड़की।' इसके बाद 30 जून 1969 को पुणे में सुप्रिया का जन्म हुआ।

परंपरा : मेक्सिको के मेयर ने मगरमच्छ से की शादी, वजह जान चौंक जाएंगे आप

मेक्सिको : सैन पेड्रो हुआमेलुला के मेयर की इस अनोखी शादी में हजारों लोग शामिल हुए. ये अनोखी शादी इसलिए रखी, क्‍योंकि मेयर ने एक मादा मगरमच्‍छ को पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया. लोग तालियां बजा रहे थे और नाच रहे थे, तभी दक्षिणी मेक्सिको के एक छोटे शहर के मेयर ने समारोह स्‍थल में प्रवेश किया, जिनके हाथों में एक मगरमच्‍छ था. इस मादा मगरमच्‍छ को दुल्‍हन की तरह तैयार किया गया था. हॉल में मौजूद हजारों लोगों की मौजूदगी में मेयर ने इस मादा मगरमच्‍छ से शादी की. 

मेक्सिको के तेहुन्तेपेक इस्थमस में स्वदेशी चोंटल लोगों के एक शहर, सैन पेड्रो हुआमेलुला के मेयर विक्टर ह्यूगो सोसा ने एक पैतृक अनुष्ठान को फिर से लागू करते हुए, एलिसिया एड्रियाना नामक एक मगरमच्‍छ को अपनी पत्‍नी के रूप में स्‍वीकार किया.

 यह एक कैमन है, जो मेक्सिको और मध्य अमेरिका में पाया जाने वाला एक मगरमच्छ जैसा दलदली जमीन पर रहनेवाला जीव है.

सोसा ने शादी समारोह के दौरान कहा, "मैं जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं, क्योंकि हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं. यही महत्वपूर्ण है. आप प्यार के बिना शादी नहीं कर सकते... मैं 'राजकुमारी लड़की' से शादी के लिए तैयार हूं." बता दें कि यहां बीते 230 वर्षों से एक पुरुष और एक मादा कैमन के बीच विवाह होता आ रहा है. ये प्रथा तब शुरू हुई, जब दो स्वदेशी समूहों में शांति स्‍थापित करने के लिए विवाह हुआ था. 

परंपरा यह है कि जब एक चोंटल राजा, जिसे आजकल मेयर के रूप में जाना जाता है, ने हुआवे स्‍वदेशी समूह की एक राजकुमारी से शादी की, जिसका प्रतिनिधित्व मादा मगरमच्छ करती थी, तब दोनों समूहों के बीच मतभेद दूर हो गए थे. हुआवे तटीय ओक्साका राज्य में रहते हैं, जो इस अंतर्देशीय शहर से ज्यादा दूर नहीं है.

विवाह समारोह से पहले, मगरमच्‍छ को घर-घर ले जाया जाता है, ताकि निवासी उसे अपनी गोद में ले सकें और नृत्य कर सकें. मगरमच्छ को एक हरे रंग की स्कर्ट, एक रंगीन हाथ से कढ़ाई वाला अंगरखा और रिबन और सेक्विन से बना एक हेडड्रेस पहनया जाता है. विवाह पूर्व किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए जीव का मुंह बंद कर दिया जाता है. बाद में, उसे सफेद दुल्हन की पोशाक पहनाई जाती है और कार्यक्रम के लिए टाउन हॉल में ले जाया जाता है. 

बता दें कि मेक्सिको में ऐसी शादी का आयोजन इंसान के रिश्तों को पर्यावरण और जानवरों से मजबूत करने के लिए किया जाता है. इस तरह की शादी होना यहां पर आम बात है. लोग मानते हैं कि ऐसा करने से भगवान उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देंगे.

अतीक अहमद हत्या की स्वतंत्र जांच मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 14 जुलाई को करेगी सुनवाई

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह 14 जुलाई को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा जिनमें गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद और अशरफ की 'हिरासत' और 'न्यायेतर मौत' के मामलों की जांच के लिये शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग गठित किए जाने की मांग की गई है. 

इन याचिकाओं में अतीक व अशरफ की बहन की याचिका भी शामिल है. अहमद से संबंधित दो अलग-अलग याचिकाएं न्यायमूर्ति एस. आर. भट्ट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आईं.

उत्तर प्रदेश की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि राज्य ने शीर्ष अदालत के 28 अप्रैल के आदेश के संदर्भ में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है, जो वकील विशाल तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया गया था, जिन्होंने अहमद और उनके भाई की हत्या की स्वतंत्र जांच की मांग की है. 

मीडिया से बातचीत के दौरान खुद को पत्रकार बताने वाले तीन लोगों ने 15 अप्रैल को अहमद (60) और अशरफ को बहुत करीब से गोली मार दी थी. यह वारदात तब हुई जब पुलिसकर्मी दोनों को प्रयागराज के एक मेडिकल कॉलेज ले जा रहे थे. 

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, "फिलहाल, हम व्यक्तिगत मुद्दों पर गौर नहीं कर रहे हैं. हम प्रणालीगत समस्या पर गौर कर रहे हैं."

तिवारी ने अपनी याचिका में 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश में हुई 183 पुलिस मुठभेड़ों की जांच की भी मांग की है. उन्होंने पीठ को बताया कि उन्होंने राज्य द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर एक संक्षिप्त प्रत्युत्तर तैयार किया है. उन्होंने दावा किया कि राज्य की स्थिति रिपोर्ट में भौतिक तथ्य को दबाया गया था. अहमद की बहन की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि उन्होंने एक अलग याचिका दायर की है और इसे आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. पीठ ने कहा कि वह इन मामलों पर 14 जुलाई को सुनवाई करेगी. 

शीर्ष अदालत में दाखिल अपनी स्थिति रिपोर्ट हलफनामे में, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि राज्य अहमद और अशरफ की मौत की संपूर्ण, निष्पक्ष और समय पर जांच सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है.

तंज : वंदे भारत को ले जाता दिखा रेलवे इंजन! कांग्रेस का दावा- 9 सालों के झूठ को खींच रहा 70 सालों का इतिहास

नयी दिल्ली : कांग्रेस ने वंदे भारत ट्रेन के एक वीडियो के जरिए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता कृष्णा अल्लावारू ने शुक्रवार (29 जून) को एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें वंदे भारत ट्रेन को रेलवे का एक पुराना इंजन खींच कर ले जाता नजर आ रहा है. 

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वंदे भारत ट्रेन को रेलवे का इलेक्ट्रिक इंजन खींच कर ले जा रहा है. 

कांग्रेस नेता कृष्णा अल्लावारू ने ट्वीट में लिखा है कि पिछले 9 सालों के झूठ को खींच कर ले जाता 70 सालों का इतिहास. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को मध्य प्रदेश के भोपाल से 5 नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी. 

रेलवे का शाइनिंग स्टार है वंदे भारत

वंदे भारत ट्रेनों को भारतीय रेलवे का शाइनिंग स्टार कहा जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून) को भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से पांच वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई. इन नई ट्रेनों को जोड़कर अब भारत में कुल 23 वंदे भारत हो गई हैं. सेमी-हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत रेलवे की प्रीमियम ट्रेनों में से एक है.

इन सबके बीच वंदे भारत ट्रेन से कई बार मवेशियों के भिड़ने के कई मामले सामने आ चुके हैं. वहीं, पश्चिम बंगाल समेत कई जगहों पर वंदे भारत ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं भी सुर्खियों में आती रहती हैं.

 हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमपी के भोपाल में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर 5 वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई थी. इनमें रानी कमलापति-जबलपुर वंदे भारत, खजुराहो से भोपाल के रास्ते इंदौर, गोवा के मडगांव से मुंबई, धारवाड़ से बेंगलुरू और झारखंड के हटिया से बिहार के पटना के बीच पांचों ट्रेनें चलेंगी.

देशभर की 450 बेटियां बनीं शिवप्रिया, संयम के पथ पर चलते हुए ईश्वरीय सेवा में समर्पित किया जीवन


नई दिल्ली: ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में एक दिव्य अलौकिक विवाह हुआ। विवाह भी ऐसा जिसमें एक दूल्हा (परमात्मा शिव) थे और 450 दुल्हनें थी।

इन दुल्हनों में किसी ने सीए किया तो कोई डॉक्टर, इंजीनियर, एमटेक, एमएससी, फैशन डिजाइनर, स्कूल शिक्षिका थी। 15 हजार बाराती इस दिव्य विवाह के साक्षी बने।

 खुशी में भावुक माता-पिता बोले-आज हमारा जीवन धन्य हो गया। परमात्मा से यही कामना है कि हर जन्म में ऐसी शक्ति स्वरूपा, कुल उद्धार करने वाली बेटी मिले। खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं कि आज मेरी बेटी समाज कल्याण के लिए संयम का मार्ग अपना रही है। अपने लिए तो सभी जीते हैं लेकिन मेरी बेटी अब विश्व कल्याण के लिए जिएगी।

संस्थान के इतिहास में पहली बार एक साथ 450 बेटियों ने ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर ब्रह्माकुमारी के रूप में आजीवन समाजसेवा का संकल्प लिया। इन बेटियों को खुशी में नाचते देख हर कोई भावुक हो उठा। इनके चेहरों पर कुछ पाने की खुशी को साफ देखा जा सकता था। समारोह में बेटियों के माता-पिता ने अपनी-अपनी लाडलियों का हाथ संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी, संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी मुन्नी दीदी, राजयोगिनी संतोष दीदी के हाथों में सौंपा।

 परमात्मा पर अपना जीवन समर्पण करने वालीं सभी बहनों की दिनचर्या अलसुबह ब्रह्ममुहूर्त में 3.30 बजे से शुरू हुई। सबसे पहले सभी बहनों ने परमपिता शिव परमात्मा, शिव बाबा का एक घंटे ध्यान किया। इसके बाद सुबह 7 बजे से आठ बजे तक सत्संग (मुरली क्लास) में भाग लिया। इसके बाद दिनभर में अपने साथ आए नाते-रिश्तेदारों के साथ बिताया। 

एक-दूसरे को बधाइयों का दौर चलता रहा। शाम 4 बजे से दिव्य अलौकिक समर्पण समारोह में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। समारोह में देशभर से आए लोगों को खाने में स्पेशल पनीर, हलुवा आदि का ब्रह्माभोजन कराया गया।

समारोह में संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि आज एक साथ इतनी बहनों का समर्पण देखकर मन खुशी से झूम रहा है। ये बेटियां बहुत भाग्यशाली हैं। महासचिव बीके निर्वैर भाई ने कहा कि सभी बहनों जीवन में अपने कर्मों से समाज में नए उदाहरण प्रस्तुत करें। अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन भाई ने कहा कि अपना जीवन परमात्मा पर अर्पण करने से बड़ा भाग्य कुछ नहीं हो सकता है। 

कार्यकारी सचिव बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि आपकी वाणी दुनिया के कल्याण का माध्यम बने। आपका एक-एक कर्म उदाहरणमूर्त हो। धरती से अंधकार मिटाने और ज्ञान प्रकाश फैलाने में शिव की शक्ति, भुुजा बनकर, साथी बनकर सदा जीवन में आगे बढ़ते रहें। मधुरवाणी ग्रुप के कलाकारों ने गीत प्रस्तुत किया। समारोह में विशेष रूप से कटक से आए कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। खासतौर पर एंजल ग्रुप की आठ साल की बालिकाओं की प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया। 

समर्पण समारोह डायमंड हॉल में आयोजित किया गया। समारोह के लिए खासतौर पर सौ फीट लंबी और 40 फीट चौड़ी स्टेज तैयार की गई। इसमें समर्पित होने वालीं वरिष्ठ बहनों को स्टेज पर बैठाया गया, वहीं छोटी बहनों को सामने बैठाया गया। सभी 450 बहनें श्वेत वस्त्रों में चुनरी ओढक़र, माला पहनकर, बिंदी के साथ सज-धजकर पहुंचीं। जहां एक-एक बहनों ने अपने परिजनों के साथ मुलाकात कर फोटो निकलवाई। साथ ही खुशी में डांस किया। ब्रह्माकुमारीज से जुडऩे की शुरुआत राजयोग मेडिटेशन के सात दिवसीय कोर्स से होती है। जो संस्थान के देश-विदेश में स्थित सेवाकेंद्रों पर नि:शुल्क सिखाया जाता है। 

राजयोग ध्यान ब्रह्माकुमारीज की शिक्षा का मुख्य आधार है। राजयोग की शिक्षा ही संस्था का मूल आधार और उद्देश्य है। संस्थान का मुख्य नारा है-स्व परिवर्तन से विश्व परिवर्तन। हम बदलेंगे, जग बदलेगा। नैतिक मूल्यों की पुरुत्र्थान और भारत की पुरातन स्वर्णिम संस्कृति की स्थापना करना।

राजयोग मेडिटेशन कोर्स के बाद छह माह तक नियमित सत्संग, राजयोग ध्यान के अभ्यास के बाद सेंटर इंचार्ज दीदी द्वारा सेवाकेंद्र पर रहने की अनुमति दी जाती है। तीन साल तक सेवाकेंद्र पर रहने के दौरान संस्थान की दिनचर्या और गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होता है। बहनों का आचरण, चाल-चलन, स्वभाव, व्यवहार देखा-परखा जाता है। इसके बाद ट्रॉयल के लिए मुख्यालय शांतिवन के लिए माता-पिता का अनुमति पत्र भेजा जाता है। ट्रॉयल पीरियड के दो साल बाद फिर ब्रह्माकुमारी के रूप में समर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाती है। समर्पण के बाद फिर बहनें पूर्ण रूप से सेवाकेंद्र के माध्यम से ब्रह्माकुमारी के रूप में अपनी सेवाएं देती हैं। 

वर्ष 1937 में ब्रह्माकुमारीज की नींव रखी गई। तब से लेकर अब तक 87 वर्ष में संस्थान में 50 हजार ब्रह्माकुमारी बहनों ने अपनी जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित किया है। ये बहनें तन-मन-धन के साथ समाजसेवा, विश्व कल्याण और सामाजिक, आध्यात्मिक सशक्तीकरण के कार्य में जुटी हैं। संस्थान द्वारा संपूर्ण भारतवर्ष को 12 विभिन्न जोन में बांटा गया है। इन जोन में एक मुख्य निदेशिका और फिर स्थानीय सेवाकेंद्र में जिला स्तर पर मुख्य निदेशिका होती हैं जो अपने-अपने जिलों में सेवाएं देती हैं। शुरुआत में नई बहनें बड़ी बहनों के मार्गदर्शन में रहती हैं फिर उन्हें नया सेवाकेंद्र खोलने की अनुमति प्रदान की जाती है। 

ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय शांतिवन में साल एक बार ही बहनों का समर्पण समारोह आयोजित किया जाता है। इसके अलावा जोनल सेवाकेंद्रों, सबजोन सेवाकेंद्रों पर समय प्रति समय अलग से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जिनमें 11, 21, 51 बहनों का समर्पण किया जाता है। सभी जगह समर्पण के कार्यक्रम में एक ही प्रक्रिया अपनाई जाती है। जिसमें संस्थान के मुख्यालय से वरिष्ठ दीदी-दादियां शामिल होती हैं। जिस सेवा स्थान से यह बहनें आती हैं वहीं पर ही वह समर्पण होने के बाद अपनी सेवाएं देती हैं। ब्रह्माकुमारी बहनों के लिए विशेष शैक्षणिक योग्यता का नियम नहीं है।

 जो भी बहन संस्थान के नियमों का पूरी तरह से पांच साल तक पालन करती हैं तो वह समर्पित हो सकती हैं।