*भदोही का स्थापना दिवस आज, 30 जून 1994 को वाराणसी से कटकर अलग जिला बना था,शुद्ध पेयजल, यातायात के लिए तरस रही बड़ी आबादी*
भदोही। वर्ष 30 जून 1994 को वाराणसी से कटकर भदोही अलग जिला बना था। तीन दशक के बाद भी जिले में मूलभूत सुविधाओं का विकास नहीं हो सका है। 150 करोड़ की परियोजनाएं अधर में लटती है। वहीं 20 करोड़ की स्वास्थ्य परियोजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। शुद्ध पेयजल, यातायात जैसी सुविधाओं के लिए बड़ी आबादी तरस रही है। कोई औद्योगिक विकास नहीं हुआ, जिससे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।
तकनीकी शिक्षा के लिए युवाओं को प्रयागराज, कानपुर और वाराणसी जैसे जिलों में जाना पड़ता है। जिले का दर्जा मिलने के बाद भदोही के समुचित विकास की उम्मीद जगी थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका। विकास भवन, कलेक्ट्रेट, दीवाना कचहरी की इमारतें जनपद को मिली तो कारागार स्टेडियम और पुलिस लाइन का भी निर्माण हुआ। इमारतें जितनी सुंदर बनी हैं, बुनियादी सुविधाएं उतनी ही बदरंग है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पहले भी वाराणसी और प्रयागराज पर जिले के लोग और आज भी है। बिजली का संकट बरकरार है। शुद्ध पेयजल के लिए आज भी लोग तरस रहे हैं।
मोढ़, सुरियावां, सुभाषनगर, महाराजगंज,चौरी समेत कई रुटों पर निजी वाहनों का सहारा है। सबसे अधिक नुकसान औद्योगिक क्षेत्र में हुआ। 25 वर्षों में पूर्वांचल की शान कहीं जाने वाली औराई चीनी मिल इंदिरा मिल बंद हो गई तो कई छोटी-छोटी कालीन कंपनियों भी बंद हो गई है। विशेष आर्थिक क्षेत्र सेज की परिकल्पना शुरू होने के साथ ही दम तोड़ गई। स्वास्थ्य सुविधाओं के हिसाब से सौ शैय्या का जिला अस्पताल 14 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका। अभोली में सीएचसी का प्रोजेक्ट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। ट्रामा सेंटर से लेकर कई अन्य सुविधाएं लंबित है। तकनीकी शिक्षा के नाम पर एक राजकीय पालीटेक्निक और आईटीआई है। इससे इंटरमीडिएट के बाद होनहारों को दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है।
Jun 30 2023, 15:04