अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व बिरादरी से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की
बेतिया : अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन की ओर आयोजित कार्यक्रम मे सर्वप्रथम विश्व भर में उन बच्चों एवं बच्चियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई जिन्होंने विगत वर्षों में कोरोना वायरस संक्रमण, विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं युद्ध ग्रस्त देशों एवं विभिन्न घटनाओं में अपने प्राणों की आहुति दी है।
इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ. एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ. सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज़ अली, डॉ अमित कुमार लोहिया , पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट की निदेशक एस सबा ने संयुक्त रूप से कहा कि प्रत्येक वर्ष 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्विट्जरलैंड के जिनेवा में बच्चों के उत्थान के लिए विश्व सम्मेलन मे 01 जून को 1925 में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में घोषित किया था।
सम्मेलन के बाद, दुनिया भर की कुछ सरकारों ने बच्चों के मुद्दों को उजागर करने के लिए इस दिन को बाल दिवस के रूप में नामित किया। विभिन्न देशों ने अपनी संस्कृति के लिए सबसे अधिक प्रासंगिक तारीख का उपयोग किया।
01 जून की तारीख का उपयोग कई पूर्व-सोवियत देशों द्वारा किया जाता है क्योंकि ‘बच्चों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ की स्थापना 01 जून 1950 को मास्को में महिला अंतर्राष्ट्रीय लोकतांत्रिक संघ की कांग्रेस के बाद की गई थी जो 1949 में हुई थी।विश्व बाल दिवस के निर्माण के साथ, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों ने बच्चों की सुरक्षा को मान्यता दी।
नस्ल, रंग, लिंग, धर्म और राष्ट्रीय या सामाजिक मूल की परवाह किए बिना, स्नेह का अधिकार, प्यार, समझ, पर्याप्त भोजन, चिकित्सा देखभाल, मुफ्त शिक्षा, सभी के खिलाफ सुरक्षा शोषण के रूपों और सार्वभौमिक शांति और भाईचारे के माहौल में बढ़ रहा है।
इस अवसर पर डॉ0 सुरेश कुमार अग्रवाल, डॉ अमित कुमार लोहिया, डॉ0 एजाज अहमद एवं बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के शोधार्थी डॉ0 शाहनवाज अली ने संयुक्त रूप से कहा कि कई देशों ने बाल दिवस की स्थापना की है। कुछ देश 20 नवंबर को बाल दिवस को सार्वभौमिक बाल दिवस के रूप में मनाते हैं। यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1954 में स्थापित किया गया था और इसका उद्देश्य दुनिया भर में बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देना है।
वक्ताओं ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल मे लॉकडाउन के कारण बच्चे एवं बच्चियों पर हो रहे घरेलू हिंसा मे अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, कैलाश सत्यार्थी फाऊंडेशन, बचपन बचाओ आंदोलन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों एवं शोध एवं अनुसंधानो में जो आंकड़े सामने आए हैं वह परेशान कर देने वाले हैं। बच्चे अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है। बच्चों एवं बच्चियों पर घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए सामाजिक एवं सरकारी स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अभिभावकों को जागरूक करने की आवश्यकता है, ताकि बच्चों पर हो रहे घरेलू हिंसा को रोका जा सके।
कहा कि इसके लिए सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, बचपन बचाओ आंदोलन, कैलाश सत्यार्थी फाऊंडेशन समेत विश्व की सभी स्वयंसेवी संस्थाएं संकल्पित हैं। पश्चिम एशियाई देशों एवं विश्व के अनेक युद्ध ग्रस्त देशों में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। यह संयुक्त राज्य संघ एवं इस बिरादरी की जिम्मेवारी है कि युद्ध ग्रस्त देशों में स्थाई शांति स्थापित करें और आने वाले पीढ़ी को सुरक्षा प्रदान करें जिसकी वह हकदार है।
Jun 01 2023, 16:20