पीएम मोदी 28 मई को देश को समर्पित करेंगे नई संसद, अमित शाह बोले- नए भवन में चोल वंश से जुड़ा सेंगोल किया जाएगा स्थापित
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गृह मंत्री अमित शाह ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें उन्होंने नई संसद को लेकर सिलसिलेवार जानकारी दी। शाह ने कहा कि इसका उदघाटन पीएम मोदी 28 मई को करेंगे। उन्होंने इसे पीएम मोदी की दूरदर्शिता का प्रमाण बताया। इस दौरान उन्होंने ऐतिहासिक सेंगोल भी दिखाया जो स्वतंत्रता के हस्तांतरण का प्रतीक है।
नया संसद भवन प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शिता का प्रमाण-अमित शाह
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अमित शाह बोले, पीएम मोदी 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है। इस अवसर पर पीएम सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे।शाह ने कहा, आजादी के अमृत महोत्सव में प्रधानमंत्री जी ने जो कुछ लक्ष्य तय किए थे, उसमें एक लक्ष्य हमारी ऐतिहासिक परंपराओं का सम्मान और उनका पुनर्जागरण भी था। शाह ने कहा कि एक प्रकार से नया संसद भवन प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शिता का प्रमाण है। जो नए भारत के निर्माण में हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है।
ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी- अमित शाह
गृह मंत्री ने कहा, उद्घाटन समारोह में एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी जिसके पीछे युगों से जुड़ी परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है जिसका सीधा मतलब संपदा से संपन्न होता है। अमित शाह बोले, 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। ये सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया।
संसद से उपयुक्त स्थान कोई और नहीं- अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि नए भवन में सेंगोल रखा जाएगा। सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक है। शाह ने बताया कि सेंगोल जिसे प्राप्त होता है, उससे उम्मीद की जाती है कि न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन की अपेक्षा की जाती है। सेंगोल की स्थापना के लिए देश का संसद भवन अधिक उपयुक्त स्थान है, ससंद से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई नहीं हो सकता। सेंगोल को किसी संग्राहलय में रखना अनुचित है। इसलिए पीएम मोदी जब संसद भवन देश को समर्पित करेंगे तब उन्हें तमिलनाडु से आया सेंगोल प्रदान किया जाएगा।
क्या है सेंगोल
सेंगोल को हिंदी में राजदंड कहते हैं, इसका इस्तेमाल चोल साम्राज्य में होता था, जब चोल साम्राज्य का कोई राजा अपना उत्तराधिकारी घोषित करता था तो सत्ता हस्तांतरण के तौर पर सेंगोल दिया जाता था। यह चोल साम्राज्य के समय से चली आ रही परंपरा है। खास तौर से तमिलनाडु और दक्षिण के अन्य राज्यों में सेंगोल को न्यायप्रिय और निष्पक्ष शासन का प्रतीक माना जाता है। कुछ इतिहासकार मौर्य और गुप्त वंश में भी भी सेंगोल को प्रयोग किए जाने की बात कहते हैं।
May 24 2023, 14:42