*चिंताजनक अल नीनो के असर से बाढ़, सूखे का खतरा मंडराया*
नितेश श्रीवास्तव
मौसम के बदले मिजाज से जूझ रही दुनिया पर अल नीनो का असर अगले कुछ महीने में दिख सकता है। अमेरिका के क्लाइमेट प्रीडिक्शन सेंटर का दावा है कि अल नीनो के प्रभाव के कारण एशियाई देशों में सूखा और अमेरिकी देशों में बाढ़ के हालात बन सकते हैं। एजेंसी का अनुमान है कि 90 फीसदी प्रभाव उत्तरी गोलार्ध में देखने को मिलेगा।
रिपोर्ट के कहा कि जुलाई से इसका असर दिख सकता है। नवंबर से जनवरी इसका असर कि चरम पर पहुंच सकता है। कयास है कि 80 फीसदी ये सामान्य होगा। वहीं दूसरी ओर संभावना है कि ये 55 फीसदी तक शक्तिशाली होगा। जापान के मौसम विभाग ने अल नीनो पर चिंता जताते हुए कहा कि इसके प्रभावी होने उम्मीद 80 फीसदी है।
महासागरों में बढ़ी गर्मी से मुश्किल
सीपीसी के अनुसार पूर्वी और मध्य प्रशांत क्षेत्र में महासागरों के भीतर गर्मी बढ़ने से फसलों को नुकसान होगा। अमेरिका में बाढ़ और भारी बारिश के कारण भारी क्षति होगी। गर्मी बढ़ने के कारण वनों में आग लगने की घटनाएं बढ़ेगी।
जिससे दुनिया के कई देशों में वन क्षेत्रों को भी भारी नुकसान होगा। दुनिया के कई देशों के मौसम चक्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इसका सीधा असर इंसानों के जीवन और अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। भारत में अल नीनो से चावल के उत्पादन पर असर दिख सकता है।
गर्मी बढ़ने के प्रमुख संकेत
अल नीनो के असर से भूमध्य रेखा और पश्चिम की ओर बहने वाली हवा धीमी हो जाती है।
गरम पानी पूर्व की तरफ बढ़ता है जिससे महासागरों की सतह के तापमान में तेजी आती है।
बारिश का अभाव होने से न्यूनतम तापमान में तेजी से बढ़ोतरी
अल नीनो के प्रभाव के कारण हवा की गति प्रभावित होती है जिससे गर्मी और बढ़ती है।
चार प्रमुख दुष्प्रभाव
भारत और ऑस्ट्रेलिया में सूखे जैसी स्थिति का जोखिम ज्यादा
समुद्र की सतह में गर्मी बढ़ने से जलीय जीवों के जीवन को सबसे बड़ी क्षति होती है।
फसलों की पैदावार में भी गिरावट दर्ज की जाती रही है
तापमान में तेजी के साथ बारिश का संकट होने से स्थितियां तेजी से बिगड़ने लगती है।
बाढ़ और सूखे की स्थिति क्यों
अल नीनो के कारण जब समुद्र के पानी में गर्मी बढ़ती है तो एशिया की ओर से चलने वाली हवा अमेरिका की ओर बढ़ने लगती है। हवा में नमी बढ़ने और अमेरिकी देशों में तापमान कम होने
चार साल भारत झेल चुका है सूखा
मौसम विभाग के अनुसार मानसून के दौरान अल नीनो की संभावना 70 फीसदी तक है। जून - जुलाई और अगस्त में इसका प्रभाव ज्यादा दिख सकता है। देश में नौ साल ऐसे रहे हैं जब अल नीनो का प्रभाव दिखा। इसमें से चार साल 2003,2005,2009-10 और 2015-16 में देश में सूखे का दंश भी झेला है। अल नीनो से मानसून में होने वाली बारिश में 15 फीसदी की गिरावट संभव है।
मौसम दुष्प्रभाव का दायरा बढ़ेगा
इंपीरियल कॉलेज लंदन के ग्रैंथम इंस्टीट्यूट की मौसम वैज्ञानी फ्रेडरिक ओट्टो का कहना है कि अल नीनो के कारण तापमान में तेजी से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव का दायरा बढ़ेगा। दुनिया के जो पहले से हीट वेव सूखा और जंगलों में आग की घटनाओं से जूझ रहे हैं उनके लिए इससे निपटना नई चुनौती होगी। अल नीनो के प्रभाव से 2016 में पड़ी गर्मी 2023 में रिकार्ड तोड़ देगी।
May 16 2023, 19:43