*शौर्य दिवस के तौर पर मनाई गई सुखदेव 116 वीं जयंती*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। अपने बचपन से ही उन्होंने भारत में ब्रितानिया हुकूमत के जल्मों को देखा और इसी के चलते वह गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए क्रांतिकारी बन गए।
बचपन से ही सुखदेव के मन में देशभक्ति की भावना कूट - कूट कर भरी थी। वह लौहार के नेशनल काॅलेज में युवाओं में देशभक्ति की भावना भरते और उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ने के लिए प्रेरित करते थे। एक कुशल नेता के रूप में वह कालेज में पढ़ने वाले छात्रों को भारत के गौरवशाली अतीत के बारे में भी बताया करते थे।
सुखदेव ने अन्य क्रान्तिकारी साथियों के साथ मिलकर लौहार में नौजवान भारत सभा शुरू की यह एक ऐसा संगठन था जो युवकों को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित करता था। सुखदेव ने युवाओं में न सिर्फ देशभक्ति का जज्बा भरने का का किया, बल्कि खुद भी क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय रुप से भाग लिया। 1928 की उस घटना के लिए सुखदेव का नाम प्रमुखता से जाना जाता है, जब क्रांतिकारियों ने लाला लाजपत की मौत का बदला लेने के लिए गोरी हुकूमत के कारिदें पुलिस उपाधीक्षक जेपी सांडर्स को मौत के घाट उतार दिया था।
इस घटना ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाकर रख दिया था और पूरे देश में क्रांतिकारियों की जय - जय कार हुई थी।सांडर्स की हत्या के मामले को लाहौर षड्यंत्र के रूप में जाना गया। ब्रितानिया हुकूमत को अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों से दहला वाले राजगुरु, सुखदेव और भगतसिंह को मौत की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को तीनों क्रांतिकारी हंसते - हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए और देश के युवाओं के मन में आजादी पाने की नई ललक पैदा कर गए।
सुखदेव मात्र 24 साल की उम्र में जब इस दुनिया से विदा हो गए । भारतीय स्वाधीनता संग्राम में सुखदेव थापर एक ऐसा नाम है जो न सिर्फ अपनी देशभक्ति, साहस और मातृभूमि पर कुर्बान होने के लिए जाना जाता है बल्कि शहीद - ए - आजम भगत सिंह के अनन्य मित्र के रुप में भी उनका नाम इतिहास में दर्ज है।सोमवार को ज्ञानपुर नगर के शहीद पार्क में जय बाबा बर्फानी ग्रुप द्वारा शहीद सुखदेव जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी जयंती धूमधाम से मनाई गई जय बाबा बर्फानी ग्रुप के ब्रह्मा मोदनवाल ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सुखदेव को देशभक्ति, साहस और शहादत के लिए जाना जाता है। अपने दौर में युवाओं के मन में आजादी पाने की ललक पैदा करने वाले भारत मां के इस सपूत ने महज 24 साल की उम्र में देश के लिए जान दे दी। इनके जैसे महान क्रांतिकारी अपनी वीरता और विचारों के कारण अमर हो जाते हैं। इस दौरान विशाल सिंह राकेश देववंशी गोल्डी आर्यन साहू इत्यादि उपस्थित रहे।
May 15 2023, 16:17