ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग की होगी कार्बन डेटिंग, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दी इजाजत
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर विवाद मामले में अहम फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर से बरामद हुए कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की इजाजत दे दी है। ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और साइंटिफिक सर्वे कराने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) को आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा की पीठ ने एएसआई की रिपोर्ट के आधार पर कथित शिवलिंग का साइंटिफिक सर्वे की जांच कराने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने ये आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर दिया है। कोर्ट ने भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग से कहा कि शिवलिंग को "बिना खंडित किए वैज्ञानिक जांच करें"।दस ग्राम से ज्यादा हिस्सा उसमें से न लिया जाए।
बता दें कि हिंदू पक्ष की तरफ से शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग की गई थी। हिंदू पक्ष की तरफ से लक्ष्मी देवी और 3 लोगों ने सिविल रिविजन याचिका दाखिल की थी।वाराणसी जिला कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया था। लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसकी परमिशन दे दी है।
क्या होती है कार्बन डेटिंग?
कार्बन डेटिंग उस विधि का नाम है जिसका इस्तेमाल कर के किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाया जा सकता है। इस विधि के माध्यम से लकड़ी, बीजाणु, चमड़ी, बाल, कंकाल आदि की आयु पता की जा सकती है। यानी की ऐसी हर वो चीज जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी करीब-करीब आयु इस विधि के माध्यम से पता की जा सकती है।
दरअसल हमारी पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन के तीन आइसोटोप पाए जाते हैं। ये कार्बन- 12, कार्बन- 13 और कार्बन- 14 के रूप में जाने जाते हैं। कार्बन डेटिंग की विधि में कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच का अनुपात निकाला जाता है। जब किसी जीव की मृत्यु होती है तब ये वातावरण से कार्बन का आदान प्रदान बंद कर देते हैं। इस कारण उनके कार्बन- 12 से कार्बन- 14 के अनुपात में अंतर आने लगता है।यानी कि कार्बन- 14 का क्षरण होने लगता है। इसी अंतर का अंदाजा लगाकर किसी भी अवशेष की आयु का अनुमान लगाया जाता है।
क्या है विवाद?
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में मिला शिवलिंग 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है। काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, लेकिन मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1699 में मंदिर को तुड़वा दिया। दावे में कहा गया है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर उसकी भूमि पर किया गया है जो कि अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।याचिकाकर्ताओं की मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं। साथ ही विवादित ढांचे का फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं।
May 12 2023, 18:50