नौतन प्रखंड- अंचल पर अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के बैनर तले गरीबों ने किया प्रदर्शन

सभी गरीबों को 10 डीसमील आवास जमीन देने और स्वयं सहायता समुह सहित सभी कर्ज माफ करने का किया मांग

शराबबंदी कानून के तहत जेलों में बंद सभी उत्पीड़ित गरीबों को रिहा करें सरकार

प्रखण्ड अधिकारी को 11 सुत्री मांगों को प्रधानमंत्री- मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन 

बेतिया, नौतन अंचल और प्रखण्ड मुख्यालय पर अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा के बैनर तले धरना प्रदर्शन किया, सभा को सम्बोधित करते हुए भाकपा-माले नेता सह बैरिया मुखिया नवीन कुमार ने कहा कि देश के गरीबों की आमदनी पिछले 5 वर्षों में 40 फीसदी कम हुई है।

कमरतोड मंहगाई खासकर खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने गरीबों को एकबार फिर से गोइठा और लकड़ी के युग में लौटा दिया है। इस सबके बीच केन्द्र सरकार द्वारा ग्रामीण विकास योजनाओं और कल्याणकारी योजनाओं में भारी कटौती कर दी है। मनरेगा को मारने की कोशिश चल रही हैं। मनरेगा मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी 429 रुपए भी देने से मना कर दी है। बिहार में सबसे कम मनरेगा मजदूरी है, उन्होंने वृद्धों विकलांगों महिलाओं का पेंशन 3000 रूपये देने की मांग किया। माले नेता सुरेन्द्र चौधरी ने कहा कि दलित-गरीबों के लिए वास-आवास के लिए 10 डीसमील जमीन देने की बदले भाजपा सरकार गरीबों के घरों पर बुलडोजर चला रही है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी अनधिकृत बस्तियों और भूमिहीनों का मुकम्मल सर्वे के आधार पर नया वास आवास कानून सरकार बनाये और 10 डीसमील जमीन देने की गारंटी करें।

इनौस जिला अध्यक्ष फरहान राजा ने कहा कि गरीबों के घर बिजली कम्पनी मनमानी तरीके से बिजली बिल भेज रहीं है, जिसपर तत्काल रोक लगाई जाये। आगे कहा कि दिल्ली- पंजाब के तर्ज पर बिजली बिल के बकाया को माफ करते हुए उन्हें 200 यूनिट फ्री बिजली दे सरकार, आगे कहा कि दलित-गरीबों महिलाओं और बच्चियों पर बढ़ते हमले के प्रति सरकार असवेदनशील है। गरीबों का भुख, गरीबी और कर्ज के दुष्चक्र में फंसकर आत्महत्याओं का दौर शुरू हो गया है। लेकिन ये सवाल सरकार की चिंता में शामिल नहीं है। वही शराबबंदी कानून के तहत जेल में बंद गरीबों को रिहा करने की मांग को दोहराया, अंत में माले के पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल के सीओ से मिल कर ज्ञापन सौंपा! धरना प्रदर्शन में मुख्य रूप से ललन पासवान, दोधारी महतों, मंसूर खान, रमेश्वर यादव, श्रवण राम, रविन्द्र राम, बसंती महतों, सुरेन्द्र राम, छठिया देवी गुलाबी देवी आदि नेताओं ने नेतृत्व किया।

39 लाख से होगा संतघाट स्थित 'मुक्ति धाम' का जीर्णोद्धार व नव निर्माण,नगर निगम प्रशासन के स्तर पर निविदा निकालने की प्रक्रिया तेज

बेतिया : नगर निगम महापौर गरिमा देवी सिकरिया ने कहा कि दशकों से अधूरा पड़े संतघाट अवस्थित मुक्ति धाम का जीर्णोधार और जरूरी सुविधाओं का नव निर्माण शीघ्र ही शुरू होगा। नगर निगम बोर्ड की सर्व सम्मत स्वीकृति के बाद इसके निर्माण के लिए निविदा निकालने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। 

श्रीमती सिकारिया ने बताया कि स्वीकृत प्राक्कलन के आधार पर मुक्ति धाम के नव निर्माण में कुल 39 लाख के लागत की स्वीकृति भी हो गई है। 

महापौर ने बताया कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान सैकड़ों लोगों ने पर्यावरण सुरक्षा मानक का ध्यान रखते हुए मुक्ति धाम के निर्माण की मांग की गई थी।उन्होंने बताया कि पूर्णतया वैज्ञानिक व्यवस्था के अनुसार इसका मुक्तिधाम का नव निर्माण कराया जायेगा। जिसमें सामाजिक संगठन मुक्ति धाम जीर्णोद्धार समिति के श्री सुभाष रूंगटा के अनुरोध पत्र में शामिल सुविधाओं को भी यथासंभव शामिल किया जाएगा। जिसके अनुसार मुक्ति धाम परिसर की घेराबंदी, सुविधाजनक शव प्लेटफॉर्म भी बनेंगे। 

इसके साथ ही लकड़ी रखने, स्नान करने, स्ट्रीट लाइटों के माध्यम से उत्तम प्रकाश व्यवस्था, प्रसाधन की सुविधा और व्यवस्थित वेटिंग हॉल का निर्माण शामिल है। 

महापौर श्रीमती सिकारिया ने बताया कि मुक्ति धाम के बड़े आयरन गेट निर्माण के साथ मेन रोड से उस प्रवेश द्वार तक पीसीसी लिंक रोड का निर्माण भी कराया जायेगा। श्रीमती सिकारिया ने बताया कि सुरक्षित पर्यावरण निर्माण के लिए योजना के अगले चरण में मुक्ति धाम का विस्तार करते हुए विद्युत शवदाह गृह का निर्माण कराने की पहल की जाएगी। 

मुक्तिधाम के निरीक्षण के समय कनीय अभियंता सुजय सुमन, कनीय अभियंता मनीष कुमार, मुक्तिधाम जीर्णोद्धार समिति के रवि गोयनका, टीनू सर्राफ, संजय जैन, सुभाष रूंगटा एवं नगर निगम के अमीन मौजूद रहे।

एसएसबी 44 वाहिनी ने आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सीमा चौकी नगरदेही में "राजकीय मध्य विद्यालय भंगाहा" के छात्र/छात्राओं का कराया बॉर्डर भ्रमण

     

नरकटियागंज : 44 वाहिनी सशस्त्र सीमा बल ने आज 4 मई को ’एकता’ के तहत आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत सीमा चौकी नगरदेही में "राजकीय मध्य विद्यालय भंगाहा" के छात्र/छात्राओं सहित अध्यापकों का भारत–नेपाल सीमा पर भ्रमण करते हुए बल के कार्यों की विस्तृत जानकारी दिया गया। 

साथ ही बच्चों के भ्रमण कार्यक्रम के दौरान नशे से दूर रहने हेतु, सीमा स्तंभ, SSB/CAPFs में भर्ती होने हेतु जानकारी देते हुए, भारत नेपाल के बीच आपसी मित्रवत संबंध को बताया गया। जिससे छात्र/छात्राओं सहित अध्यापकों ने गर्व महसूस करते हुए SSB की तारीफ करते हुए आभार जताया। 

वहीं कई छात्र/छात्राओं का कहना है कि हम बल में शामिल हो कर अपने देश का नाम ऊंचा करेंगे। 

स्कूल के प्रिंसिपल मुस्ताक आलम ने बताया कि कार्यक्रम से देश प्रेम के साथ बच्चों का मनोबल बढ़ता है। 

इस मौके पर स्कूल के लगभग 50 बच्चों सहित अध्यापक गण एवं 44वाहिनी के 12 बल कार्मिक उपस्थित रहे।

नौतन पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर चंद्रावत नदी के किनारे से भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद किया

बेतिया पुलिस अधीक्षक अमरकेश डी ने बताया कि नौतन पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि कुछ शराब तस्करों द्वारा उत्तर प्रदेश से विदेशी शराब एक बड़ी खेप लाकर चंद्रावत नदी के किनारे पुआल कि पूंज में छिपाकर रखा गया है

नौतन पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर चंद्रावत नदी के किनारे से भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद किया है ।उक्त जानकारी देते बेतिया पुलिस अधीक्षक अमरकेश डी ने बताया कि नौतन पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि कुछ शराब तस्करों द्वारा उत्तर प्रदेश से विदेशी शराब एक बड़ी खेप लाकर चंद्रावत नदी के किनारे पुआल कि पूंज में छिपाकर रखा गया है ,जिसे मोतिहारी ले जाया जाएगा ।सूचना के आलोक में नौतन थाना अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने अपने नेतृत्व में एक टीम गठित कर त्वरित कार्रवाई करते हुए छापामारी कर भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद किया। पुलिस में चंद्रावत नदी के किनारे पुआल के पुंज में छुपाकर रखे गए विदेशी शराब 8:00 पीएम 180 ईमेल का 3552 टेट्रा पैक एवं रॉयल स्टैग 750ml का 48 बोतल बरामद किया है ।छापामारी टीम में दरोगा बबलू यादव,सतेंद्र सिंह एवं प्रशिक्षु दरोगा कुमारी अंकित आदि शामिल थे।

जन सुराज पश्चिम चंपारण जिला कार्यालय में मनाया गया 'जन सुराज संकल्प दिवस'

जन सुराज अभियान के तहत 2 मई को पश्चिम चंपारण के बेतिया स्थित जिला कार्यालय में संकल्प दिवस मनाया गया। जिला पदाधिकारियों ने बैठक में जन सुराज के संगठन विस्तार व आगामी भूमिकाओं पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए। एमएलसी अफाक अहमद ने कार्यालय में मौजूद लोगों को संकल्प दिवस की बधाई दी और साथ मिलकर जन सुराज के विचारों को आम जनता तक पहुंचाने का संकल्प लिया। जन सुराज अभियान से निरंतर हर वर्ग के लोग जुड़ रहे हैं। जन सुराज पश्चिम चंपारण के सभापति तुलसी चौधरी और अध्यक्ष बिकई महतो मौजूद थे।

11 मई से पश्चिम चंपारण के 18 प्रखंडों के सभी गांवों में अभियान चला कर जन सुराज के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा

जन सुराज कार्यालय में अफाक अहमद ने बताया कि आगामी 11 मई से पश्चिम चंपारण के 18 प्रखंडों के सभी गांवों में अभियान चला कर जन सुराज के संकल्प को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। इसके साथ ही जन सुराज संकल्प दिवस के दिन 100 से भी अधिक जिले के गणमान्य लोग जन सुराज में शामिल हुए। जन सुराज में शामिल होने वाले प्रमुख लोगों में आमीलाल रविदास पूर्व बसपा जिला अध्यक्ष, पन्नालाल पटेल, हरिलाल राम, शेषनाथ राम, रामनारायण पासवान और इसके साथ सेंकड़ों बसपा के लोग जन सुराज में हुए शामिल।

आज के इस संकल्प दिवस में जन सुराज अभियान को मजबूती प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक में तय किया गया कि सभी सदस्य कम से कम 7 दिन पदयात्रा में शामिल होंगे और सभी सदस्य अपने घरों पर जन सुराज का झंडा फहराएंगे। इसके साथ ही जन सुराज अभियान में और लोगों को जोड़ने और अभियान की सोच को जन जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।

मई दिवस के अवसर पर मारवाड़ी महिला समिति द्वारा बेतिया में मजदूरों को दिया गया अंगवस्त्र

बेतिया : अखिल भारतीय माड़वारी महिला समिति , पश्चिम चम्पारण द्वारा बेतिया में राज ड्योढी स्थित तांगा कल्याण चालक संघ के विश्रामालय में मजदूरों को अंगवस्त्र दिया गया। 

इस समारोह में महिला समिति की प्रांतीय उपाध्यक्ष रानी झुनझूनवाला, जिलाध्यक्ष इंदिरा पोद्दार, कंचन काजोरिया, रूपा सिंघानिया, ममता उदयपुरिया, प्रियातोला आदि महिला नेत्री शामिल थी।

इस अवसर पर बोलते हुए बिहार प्रांतीय मारवाड़ी महिला समिति की उपाध्यक्षा श्रीमती रानी झुनझुनवाला ने बताया की मजदूर वर्ग कठिन परिश्रम करके आज समाज को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहा है। हमें इनके श्रम शक्ति पर नाज है इन्हीं के श्रम शक्ति के बदौलत देश का विकास भी संभव है। आज उनके ऐतिहासिक उत्सव मई दिवस में हम सब पधार कर सही मायने में अपने आप गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

आगे भी हमारी कोशिश होगी कि हम इनके बीच आते रहें।

सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्वारा मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस

समाज के अंतिम पायदान के हर व्यक्ति को सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध कराना आधुनिक समाज, संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व बिरादरी की जिम्मेवारी।           

  आज दिनांक 1 मई 2023 को अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ महबूब रहमान ने संयुक्त रूप से दुनिया भर में विगत वर्षों में काम के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर उन्होंने आधुनिक सभ्य समाज, संयुक्त राष्ट्र संघ एवं विश्व बिरादरी से समाज के अंतिम पायदान के हर व्यक्ति को सम्मानजनक रोजगार उपलब्ध कराने की वकालत करते हुए कहा कि

दुनिया में सबसे ज़्यादा बंधुआ मजदूर एशिया एवं अफ्रीका है।. विश्व में करोड़ों लोग "आधुनिक गुलामी" में जीवन जी रहे थे. यानी औसतन एक हज़ार में से छह को अपने काम का मेहनताना नहीं मिल रहा था।

 साल 2020 के सर्वे के मुताबिक महामारी की वजह से मजदूरों के कर्ज़ में फंसने का जोख़िम तीन गुना बढ़ गया है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार साल 2016 में दुनिया भर में 4 करोड़ से ज़्यादा लोग बंधुआ मज़दूरी का शिकार थे।

 दुनिया में बाल मज़दूरों की तादाद बढ़कर 16 करोड़ हो गई है. रिपोर्ट ये भी आगाह करती है कि कोविड-19 महामारी के असर से इस संख्या में साल 2022 के अंत तक 90 लाख तक का इजाफा हुआ।

सरकार के अपने आँकड़े बताते हैं कि देश के कुल श्रमिकों में से 93 फीसदी असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं. यानी उनके लिए न्यूनतम वेतन जैसी सामाजिक सुरक्षा के हक पाना और मुश्किल है।

 "देश में करोड़ों शहरी असंगठित मज़दूर और ग्रामीण खेत मज़दूर है जो किसी भी कानून के दायरे में नहीं आते. आज तक हम खेत मज़दूरों के लिए एक केंद्रीय क़ानून नहीं बना पाए हैं. इसलिए मज़दूर दिवस न केवल अधिक प्रासंगिक हो गया है बल्कि हमारी पीढ़ी की ज़िम्मेदारी बन गया।

दुनिया भर की समाजवादी और श्रमिक पार्टियों के संगठन ने साल 1889 के पेरिस सम्मेलन में मज़दूरों के हक़ों की आवाज़ बुलंद करने के लिए 1 मई का दिन चुना था।ये पश्चिम में औद्योगीकरण का दौर था और मज़दूरों से सूर्योदय से सूर्यास्त तक काम करने की उम्मीद की जाती थी.

 अक्टूबर 1884 में अमेरिका और कनाडा की ट्रेड यूनियनों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑर्गेनाइज़्ड ट्रेड्स एंड लेबर यूनियन ने तय किया कि मज़दूर 1 मई, 1886 के बाद रोज़ाना 8 घंटे से ज़्यादा काम नहीं करेंगे. जब वो दिन आया तो अमेरिका के अलग-अलग शहरों में लाखों श्रमिक हड़ताल पर चले गए।इन विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में शिकागो था. यहां दो दिन तक हड़ताल शांतिप्रिय तरीके से चली.

 लेकिन तीन मई की शाम को मैकॉर्मिक हार्वेस्टिंग मशीन कंपनी के बाहर भड़की हिंसा में दो मज़दूर पुलिस फायरिंग में मारे गए थे।अगले दिन फिर दोनों पक्षों के बीच झड़पें हुईं जिनमें 7 पुलिसवालों समेत 12 लोगों को जान गँवानी पड़ी. इसी वजह से 1 मई का दिन चुना था. शुरुआत में दुनिया भर के मज़दूरों से सिर्फ रोज़ाना 8 घंटे काम की मांग को लेकर एकजुट होने के लिए कहा गया था.

इसके बाद 1889 से लेकर 1890 तक अलग अलग देशों में मज़दूरों ने प्रदर्शन किए. ब्रिटेन के हाइड पार्क में 1890 की पहली मई को तीन लाख मज़दूरों 8 घंटे काम की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे. जैसे-जैसे वक्त बीता ये दिन श्रमिकों के बाकी अधिकारों की तरफ ध्यान दिलाने का भी एक मौका बन गया।

अंग्रेजों के अत्याचार एवं नील के खेती के अभिशाप से चंपारण के किसानों मजदूरों एवं आम जनमानस के 106 वर्ष पूरे ।

नील खेती के अभिशाप से मुक्ति को ले महात्मा गांधी कस्तूरबा गांधी एवं स्वतंत्रता सेनानियों ने किया आंदोलनों का संचालन।

 नील के अभिशाप एवं मुक्ति के विषय पर आम जनता को विभिन्न ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराई गई।

 सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में गांधीवादी चिंतकों एवं विचारकों के साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सर्वप्रथम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं कस्तूरबा गांधी के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल, कला मंच की जिला संयोजक शाहीन परवीन ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं नील की खेती से चंपारण की किसानों के मुक्ति के 106 वर्ष पर प्रकाश डाला।

सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डा. एजाज अहमद ने कहा कि पहली मई 1918 को लेफ्टिनेंट गवर्नर जनरल ने कानूनी तौर पर नील की खेती को प्रतिबंधित कर दिया। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा पूरे चंपारण एवं राज्य के विभिन्न हिस्सों में एक वर्ष तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं नील की अभिशाप एवं मुक्ति के विषय पर जन जागरण द्वारा आम जनता को विभिन्न ऐतिहासिक जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के डॉ अमित कुमार लोहिया, डॉ शाहनवाज अली ने कहा कि नील के अभिशाप से मुक्ति के लगभग 30 वर्ष बाद ही भारत अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो गया।

नील की खेती के अभिशाप से मुक्ति के प्रेरित होकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च एवं भारत छोड़ो जैसे विभिन्न आंदोलनों का संचालन किया। इस दौरान स्कूली बच्चों के बीच सामाजिक कुरीतियों, भेदभाव कुपोषण, संप्रदायिकता, महामारी, गरीबी, अशिक्षा, गंदगी जैसे दानव से समाज को मुक्त करने का संकल्प लिया गया। साथ ही पॉलिथीन एवं प्लास्टिक का पूर्ण बहिष्कार किया गया।

तेज रफ्तार बस ने बाइक मे मारी टक्कर, महिला समेत दो की मौके पर मौत

बगहा : अनुमंडल में रफ़्तार के कहर ने बाइक सवार दो लोगों की जान ले लिया। घटना बगहा हरनाटांड़ मुख्य मार्ग पर तिनफेडिया के समीप की है जहां सड़क हादसे में बाइक सवार दो लोगो की दर्दनाक मौत हो गई है।

बताया जा रहा है कि दोनों इलाज के लिए बेतिया की ओर से हहरनाटांड़ जा रहे थे। हालांकि दोनों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है। मृत युवक के पॉकेट से एक दवा इलाज़ की पर्ची मिली है। जिस पर तरकुला आलम योगापट्टी लिखा हुआ है। मरने वालों में एक महिला और एक पुरुष शामिल है। जिस बाइक से दोनों जा रहे थे उसका रजिस्ट्रेशन नंबर बीआर 22 ए के 8972 है।

दरअसल बाइक और बस के आमने सामने की टक्कर में बाइक सवार और चालक की मौक़े पर ही मौत हो गई है। लव कुश नामक बस की चपेट में आने से बाइक सवार दोनों की मौत हुई है।

इस मामले में लौकरियां थानाध्यक्ष अभय कुमार ने बताया कि सूचना मिलने के साथ ही शवों को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए अनुमंडलीय अस्पताल बगहा भेजा जा रहा है। पॉकेट से मिली पर्ची के आधार पर संबंधित थाना को इसकी सूचना दे दी गई है। बाइक पर 2 लोग सवार थे जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल हैं। पुलिस द्वारा मामले की तहकीकात औऱ आगे की कार्रवाई की जा रही है।

थारू आदिवासियों की अनोखी परंपरा, प्राकृतिक आपदा व महामारी से बचाव के लिए बैसाख महीने में 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं ग्रामीण

बगहा : अनुमंडल के उत्तरप्रदेश व नेपाल सीमा पर स्थित नौरंगिया दरदरी के थारू आदिवासी बहुल इलाकों के ग्रामीण बैसाख महीने की नवमी के दिन 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं। यह परंपरा प्राकृतिक आपदा व महामारी से निजात दिलाने को लेकर सदियों से चली आ रही है।

बता दें,पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत बगहा के नौरंगिया गांव में एक अनोखी प्रथा का पालन किया जाता है। जानकारी के मुताबिक इस गांव के लोग हर साल बैसाख की नवमी के दिन 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं,जैसे भगवान राम 14 साल की वनवास में गए थे,उसी तरह थारू आदिवासी समुदाय के लोग भी इसी परंपरा का वर्षों से निर्वाह कर रहें हैं। 

बतातें चलें कि उत्तरप्रदेश व नेपाल सीमा पर स्थित नौरंगिया दरदरी गांव के थारू समुदाय बहुल लोग एक दिन के लिए अपना पूरा गांव छोड़कर 12 घंटे के लिए जंगल में चले जाते हैं। स्थानीय लोग न केवल खुद बल्कि अपने पालतू जानवरों को भी अपने साथ ले जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें देवी के प्रकोप से छुटकारा मिलता है। 

कहा जाता है कि गांव कई साल पहले प्राकृतिक आपदाओं और महामारियों से पीड़ित था। यही नहीं यहां हैजा और चेचक का भी प्रकोप था। गांव में कई बार आग भी लग जाया करती थी तब से समुदाय के लोग इससे मुक्ति को लेकर पूजा आराधना करने के लिए वनवास पर चले जाते हैं।