थारू आदिवासियों की अनोखी परंपरा, प्राकृतिक आपदा व महामारी से बचाव के लिए बैसाख महीने में 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं ग्रामीण
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बगहा : अनुमंडल के उत्तरप्रदेश व नेपाल सीमा पर स्थित नौरंगिया दरदरी के थारू आदिवासी बहुल इलाकों के ग्रामीण बैसाख महीने की नवमी के दिन 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं। यह परंपरा प्राकृतिक आपदा व महामारी से निजात दिलाने को लेकर सदियों से चली आ रही है।
बता दें,पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत बगहा के नौरंगिया गांव में एक अनोखी प्रथा का पालन किया जाता है। जानकारी के मुताबिक इस गांव के लोग हर साल बैसाख की नवमी के दिन 12 घंटे के लिए वनवास पर चले जाते हैं,जैसे भगवान राम 14 साल की वनवास में गए थे,उसी तरह थारू आदिवासी समुदाय के लोग भी इसी परंपरा का वर्षों से निर्वाह कर रहें हैं।
बतातें चलें कि उत्तरप्रदेश व नेपाल सीमा पर स्थित नौरंगिया दरदरी गांव के थारू समुदाय बहुल लोग एक दिन के लिए अपना पूरा गांव छोड़कर 12 घंटे के लिए जंगल में चले जाते हैं। स्थानीय लोग न केवल खुद बल्कि अपने पालतू जानवरों को भी अपने साथ ले जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से उन्हें देवी के प्रकोप से छुटकारा मिलता है।
कहा जाता है कि गांव कई साल पहले प्राकृतिक आपदाओं और महामारियों से पीड़ित था। यही नहीं यहां हैजा और चेचक का भी प्रकोप था। गांव में कई बार आग भी लग जाया करती थी तब से समुदाय के लोग इससे मुक्ति को लेकर पूजा आराधना करने के लिए वनवास पर चले जाते हैं।
May 01 2023, 09:51