सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक शादियों की मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान बोले सीजेआई, अब हम कानून के मामले में अमेरिका से बहु
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी समलैंगिक शादियों की मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सरकार इसी बात पर अड़ी है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में सुनवाई नहीं करना चाहिए और फैसला संसद पर छोड़ देना चाहिए। बुधवार को दिलचस्प बहस हुई। केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जब अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र किया तो सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अब हम कानून के मामले में अमेरिका से बहुत आगे निकल गए हैं।
दरअसल तुषार मेहता ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया था जिसमें कोर्ट ने पांच दशक पुराने ऐतिहासिक फैसले को बदलकर महिलाओं को गर्भपात करवाने के कानूनी अधिकार को समाप्त कर दिया था। सीजेआई ने कहा कि सौभाग्य की बात है कि भारत अमेरिका के कानून से इस मामले में बहुत आगे है। आखिर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले का जिक्र सुप्रीम कोर्ट में किया गया यहां डिटेल में पढ़िए।
क्या था अमेरिका का पूरा मामला
अमेरिका में पहले महिलाओं को गर्भपात करवाने का कानूनी अधिकार दिया था। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ही साल 1973 में महिलाओं को यह अधिकार दिया था। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए कहा कि संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा था कि अमेरिका के सभी राज्य गर्भपात को लेकर अपने अलग से नियम कानून बना सकते हैं।
क्या था 50 साल पहले का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने जिस फैसले को पलटा उस केस का नाम था, 'रो वी वेड।' उस मामले में हुआ यह था कि नॉर्मा मैककॉर्वी नाम की महिला को तीसरा बच्चा होने वाला था लेकिन वह उसे जन्म नहीं देना चाहती थीं। उन्होंने जब अमेरिका के फेडरल कोर्ट का रुख किया तो उन्हें गर्भपात करवाने की इजाजत नहीं दी गई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और वहां से उन्हें गर्भपात करवाने की इजाजत दे दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गर्भ के बारे में फैसला महिलाओं को ही करना चाहिए। इसके बाद से अमेरिका में महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात करवाने का अधिकार मिला हुआ था। साल 2022 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 6:3 के बहुमत से 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया। इस फैसले में गर्भपात को असंवैधानिक बताया गया।
इस मामले में भारत कैसे है आगे?
सीजेआई ने कहा कि इस मामले में भारत अमेरिका से आगे है। दरअसल रो वी वेड फैसले दो साल पहले ही भारत में मेडिकल टर्मिनेशन प्रेग्नेंसी ऐक्ट 1971 पास किया था। इस कानून के तहत भारत में महिलाओं को शर्तों के साथ गर्भपात कराने का अधिकार दिया गया था। फिलहाल कई संशोधनों के बाद अब 24 हफ्ते तक गर्भपात कराने का अधिकार है। इसमें भी कई अपवाद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते की प्रेग्नेंसी तक गर्भपात का अधिकार दे दिया था। सामान्य मामलों में पहले केवल विवाहित महिलाओं को ही 20 से 24 हफ्ते के बीच गर्भपात का अधिकार था।
Apr 27 2023, 18:32