समलैंगिक विवाह मामले में केंद्र की सुप्रीम कोर्ट से अपील, कहा-संसद को करने दें विचार
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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पांचवें दिन की सुनवाई हुई। आज केंद्र सरकार की ओर से दलीलें रखी गईं और कोर्ट से अपील की गई कि समलैंगिकों को कानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों को संसद पर छोड़ देना चाहिए।
आज पांचवें दिन की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मंजूरी देने की मांग वाली याचिकाओं पर उठाए गए सवालों को संसद पर छोड़ने पर विचार किया जाए।केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत एक बेहद ही जटिल मुद्दे से निपट रही है, जिसका सामाजिक प्रभाव काफी गहरा है। तुषार मेहता ने कहा कि असल सवाल तो यह है कि शादी आखिर किससे और किसके बीच होगी ? इस पर फैसला कौन करेगा।
तुषार मेहता ने कहा कि सवाल ये है कि शादी का गठन कैसे होता है और शादी किनके बीच होती है? इसके बहुत प्रभाव पड़ेंगे, सिर्फ समाज पर ही नहीं बल्कि दूसरे कानूनों पर? इस पर अलग-अलग राज्यों, सिविल सोसाइटी ग्रुप व अन्य समूहों के बीच बहस होनी चाहिए।स्पेशल मैरिज एक्ट और अन्य विवाह कानूनों के अलावा 160 ऐसे कानून हैं जिन पर इसका प्रभाव पड़ेगा। कोर्ट एक जटिल विषय से निपट रहा है, जिसका गहरा सामाजिक प्रभाव है। केवल संसद ही यह तय कर सकती है कि विवाह क्या होता है और विवाह किसके बीच हो सकता है. इसका विभिन्न कानूनों और पर्सनल लॉ पर प्रभाव पड़ता है।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं में उठाये गये मुद्दों पर संसद के पास अविवादित रूप से विधायी शक्ति है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ गोद लेने, उत्तराधिकार, पेंशन से जुड़े कानून और ग्रेच्युटी आदि विषयों पर कई कानूनी प्रश्नों का सामना कर रही है। न्यायालय ने कहा कि यदि समलैंगिक विवाह की अनुमति दी जाती है, तो इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए न्यायिक व्याख्या विशेष विवाह अधिनियम, 1954 तक सीमित नहीं रहेगी और पर्सनल लॉ भी इसके दायरे में आ जाएगा।
Apr 27 2023, 09:42