कॉरस्टोन अगले 3 साल में बिहार के 40 हजार शिक्षकों को प्रशिक्षित करके ज्ञान और कौशल के सामंजस्य बिठाने का कार्य करेगी शिक्षकों
नई दिल्ली, 15 अप्रैल, 2023 : शिक्षा विषय आधारित ज्ञान एवं जानकारी तक सीमित न होकर विद्यार्थियों के लिए , व्यक्तित्व निर्माण और समग्र विकास में सहायक हो इसके प्रयास कई आयामों पर जारी हैं| नई शिक्षा नीति, 2020 के लक्ष्यों में भी इसे शामिल किया गया है| एनसीआरटी द्वारा 2022 में स्कूली छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण पर आधारित सर्वेक्षण से भी यह पता चला कि छात्र अध्ययन और परीक्षाओं के संबंध में चिंतित रहते हैं और मनोदशा में परिवर्तन भी महसूस करते हैं, यह स्कूली बच्चों के अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए बच्चों की देखभाल की आवश्यकता को दर्शाता है।
कोरस्टोन द्वारा आयोजित कार्यक्रम “प्रमोटिंग एडोलसेंट वेलवींग इन एवरी स्कूल : बिहार लीड्स द वे” सम्मेलन में मुद्दों पर चर्चा हुई जहाँ किशोरों के आंतरिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए तत्काल कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद्,(SCERT) बिहार के निदेशक ने कहा: , "छात्रों के कल्याण को बढ़ावा देना उनके मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा की प्राप्ति और समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। एनईपी 2020 भी इसी बात की चर्चा करता है। इसे सुनिश्चित करने में स्कूल और शिक्षकों की भूमिका का महत्व बहुत अधिक है। हमारे सभी शिक्षक प्रशिक्षण में सहयोग और कल्याण को शामिल किया जा रहा है, और हमारे द्वारा 40 हजार शिक्षकों का पहला उन्मुखीकरण हाल ही में पूरा किया गया है। बिहार के हर माध्यमिक विद्यालय तक इसकी पहुंच बनाने की उम्मीद करते हैं ताकि विद्याथी अपने गुणों और क्षमताओं के बारे में सीखें और तनाव और चुनौतीपूर्ण परिस्थितयों में भी मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। विभाग इस पाठ्यक्रम को पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने एवं शिक्षकों को जल्द से जल्द बच्चों को मनोसामाजिक सहयोग प्रदान करने के लिए उन्मुख करने को प्रतिबद्ध है हम कॉरस्टोन के साथ काम करने के लिए काफी खुश हैं ताकि यह जल्द वास्तविकता बन सके।“
कॉरस्टोन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीव लेवेंथल ने कहा, "2013 से हम पूरे बिहार में हजारों छात्रों और शिक्षकों तक पहुँचे हैं और हमने इसके लिए व्यापक रूप से प्रमाणों का दस्तावेजीकरण किया है | यह कार्यक्रम किशोरों के भावनात्मक समुत्थान, मानसिक और शारीरिक कल्याण और शिक्षा के परिणामों को प्रभावित करता है। इसके लिए हम बिहार सरकार के बहुत आभारी हैं कि उन्होंने हमें हर कदम पर सहयोग दिया है।“
इस समारोह में एक रोचक पैनल चर्चा भी हुयी जिसका शीर्षक " स्कूलों को खुशहाल रखना/सुनिश्चित करना कि स्कूल कल्याण को बढ़ावा देने के लिए सहायक तंत्र बनें: क्यों और कैसे”। इस पैनलिस्ट में एनसीआरटी के मानोदर्पण सेल से डॉ. रुचि शुक्ला और बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य अध्ययन की सह-लेखिका डॉ. सुष्मिता चक्रवर्ती, द ग्लोबल एजुकेशन एंड लीडरशिप फाउंडेशन से मिस दीनू रहेजा और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया डॉ. मोनिका अरोड़ा शामिल थीं।
कॉरस्टोन इंडिया फाउंडेशन की कंट्री डायरेक्टर नंदिता भाटला ने कहा, “मुझे यकीन है कि यह साझेदारी यह सुनिश्चित करने के लिए पहला कदम है कि बिहार में प्रत्येक छात्र और शिक्षक कक्षा के अंदर और बाहर पढ़ने और अपने जीवन को बदलने के लिए कौशल और ज्ञान प्राप्त करेंगें। हम बिहार शिक्षा विभाग के साथ अपनी लंबे समय से चली आ रही साझेदारी की सफलता को उजागर करने के लिए उत्सुक हैं, और भारत में अन्य राज्यों में इस काम का विस्तार करने के लिए दूसरों के साथ सहयोग करने की आशा करते हैं।“
जल्द ही बिहार के सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में किशोरों को कॉरस्टोन और बिहार शिक्षा विभाग के बीच तीन साल के सहयोग के माध्यम से एक कल्याणकारी कार्यक्रम प्राप्त होगा। इस साझेदारी को आगे बढ़ाते हुए नई शिक्षा नीति के अनुसार किशोरों के समग्र कल्याण और विकास को बढ़ावा देने के लिए कॉरस्टोन राज्य भर में यूथ फर्स्ट और गर्ल्स फर्स्ट रेजिलिएंस कार्यक्रमों का विस्तार करेगी। हाल ही में 21 दिसंबर को पटना में एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें इन कार्यक्रमों की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया और स्कूल प्रणाली में किशोर कल्याण प्रशिक्षण के एकीकरण के लिए एक रोड मैप तैयार किया गया था।
इस साझेदारी के अंतर्गत कॉरस्टोन और शिक्षा विभाग सरकारी ढांचे के भीतर कल्याणकारी प्रशिक्षण को संस्थागत बनाने के लिए काम करेंगे। कॉरस्टोन के पाठ्यक्रम को शैक्षणिक वर्ष 2024 तक सभी स्कूली पाठ्य पुस्तकों में शामिल और एकीकृत किया जाएगा। कॉरस्टोन संस्था द्वारा 2025 तक शिक्षा विभाग को पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण, तकनीकी सलाह और निगरानी सहायता भी प्रदान की जायेगी ताकि सभी 38 जिलों में इन कार्यक्रमों को अपनाने और इसकी स्थिरता सुनिश्चित करने में राज्य को मदद पहुंचाई जा सके। बड़े पैमाने पर इन कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग 35,000 सरकारी स्कूलों और 534 केजीबीवी तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे एक वर्ष में कक्षा 6 से 8 तक के 35 लाख से अधिक छात्रों को कल्याणकारी कौशल प्रदान किया जाएगा।
यूथ फर्स्ट और गर्ल्स फर्स्ट कार्यक्रम भावनात्मक समुत्थान और किशोर स्वास्थ्य पाठ्यक्रम को एकीकृत करने का प्रयास किया गया है जिसको एक अभिनव शिक्षक-सुविधा वाले सहकर्मी समूह मॉडल के माध्यम से संचालित किया जाना है। भावनात्मक समुत्थान में कठिनाइयों से उबरने और सफलता प्राप्त करने की क्षमता होती है। ये कार्यक्रम तथ्यों का एकीकृत अध्ययन के माध्यम से विकसित हुए हैं जिसमें भावनात्मक समुत्थान , सकारात्मक मनोवृत्ति, सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा और संघर्ष समाधान से संबंधित आशयशील तथ्यों को सम्मिलित किया गया है जो युवाओं के बीच मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, स्कूल की भूमिका , स्व-वकालता, सामाजिक कौशल और संबंधों में सुधार करने के लिए युवाओं को शिक्षित करने के लिए हैं। भारत में 2009 में पहली बार शुरू किए गए इन कार्यक्रमों को 2013 से बिहार के कुछ जिलों में लागू किया गया है। केन्या में कॉरस्टोन और उसके स्थानीय सहयोगी ने वहां के शिक्षा मंत्रालय के साथ एक राष्ट्रव्यापी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके अंतर्गत सभी माध्यमिक विद्यालयों में कॉरस्टोन के यूथ फर्स्ट कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा। जिससे वहां के लगभग 20 लाख बच्चे हर साल इस कार्यक्रम का लाभ उठाएंगे। रवाण्डा में कॉरस्टोन का यूथ फर्स्ट प्रोग्राम अगले 3 वर्षों में देश के 50% स्कूलों में लागू किया जाएगा। कुल मिलाकर भारत, केन्या, और रवाण्डा में अगले 3 वर्षों में 50,000 स्कूलों में हर साल लगभग 50 लाख बच्चे कॉरस्टोन के कल्याणकारी कार्यक्रम से लाभान्वित होंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालयों के अधिकारी, मानसिक स्वास्थ्य और किशोर स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शोधकर्ता, गैर सरकारी संगठन, और वित्तीय एजेंसियां से सम्बंधित प्रतिभागी उपस्थित थे।
कॉरस्टोन के बारे में
कॉरस्टोन एक ग्लोबल गैर-लाभकारी संस्था है जो समाज में असहाय और वंचित नवयुवकों में आंतरिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए 'अंदर से बाहर' की प्रणाली पर काम करता है। कॉरस्टोन का लचीलापन-आधारित दृष्टिकोण उन कौशलों को सिखाता है जो महत्वपूर्ण प्रतिकूलताओं का सामना करने पर युवाओं को न केवल कठिनाइयों से उबरने में सशक्त बनाता बल्कि सफलता प्राप्त करने की क्षमता का विकास भी करता है। विश्वसनीय अध्ययनों, जिसमें बड़े -स्तर पर कुछ चिन्हित परीक्षण भी शामिल हैं, ने संगठन के कार्यक्रमों का नवयुवकों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य और शिक्षा पर शक्तिशाली प्रभाव को दर्ज किया है। 1975 में स्थापित कॉरस्टोन का मुख्यालय मैरीलैंड, बाल्टिमोर, यूएसए में है। भारत में इसकी सहायक संस्था कॉरस्टोन इण्डिया फाउंडेशन का दिल्ली और पटना में कार्यालय है। अधिक जानने के लिए, कृपया कॉरस्टोन की वेबसाइट पर जाएं।
यूथ फर्स्ट और गर्ल्स फर्स्ट कार्यक्रम के बारे में
यूथ फर्स्ट और गर्ल्स फर्स्ट के बारे में कोर्स्टोन का यूथ फर्स्ट कार्यक्रम सरकारी मध्यमिक विद्यालयों में लागू किया जाता है जबकि गर्ल्स फर्स्ट कार्यक्रम केजीबीवी में लागू किया जाता है। यूथ फर्स्ट और गर्ल्स फर्स्ट दोनों स्कूल-आधारित, एकीकृत और किशोर स्वास्थ्य प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जो युवाओं के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, स्कूल प्रदर्शन और भागीदारी, स्व-वक्तव्य, सामाजिक कौशल और लैंगिक विचारों में सुधार करने में सक्षम बनाते है। इसमें छात्र स्कूल के दौरान प्रत्येक सप्ताह एक घंटे के लिए स्कूलों और केजीबीवी में प्रशिक्षित शिक्षकों के नेतृत्व में समूहों में भाग लेते हैं। एक विशिष्ट सत्र में 20-30 मिनट का कौशल-निर्माण होता है, जिसके बाद 30 मिनट का समूह चर्चा और समस्या-समाधान सत्र होता है।
Apr 19 2023, 21:47