Kannuaj

Apr 08 2023, 16:10

*एसडीएम का आदेश निरस्त, जनखत के 283 पट्टे बहाल, पंचायत अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले की गई कार्रवाई*


कन्नौज- उपजिलाधिकारी की ओर से पिछले साल रद्द किए गए भू आवंटन को मंडलायुक्त कानपुर मंडल की अदालत ने बहाल कर दिया है। इस निर्णय से जनखत ग्रामसभा के 283 लोगों को लाभ मिलेगा। प्रत्येक आवंटी को चार से पांच बीघा भूमि मिलेगी। सरकारी अभिलेखों में नाम दर्ज होने के बाद इन सभी 343 व्यक्तियों को ग्रामसभा की भूमि पर कब्जा मिलेगा।

मालूम हो कि चार दिसंबर 2020 को जनखत ग्रामसभा की भूमि प्रबंध समिति ने 343 लोगों के लिए कृषि भूमि आवंटन प्रस्ताव पारित किया था। जिसकी जांच करने के बाद 383 को पात्र माना। किंतु इसी ग्रामसभा के जगजीत सिंह की आपत्ति पर तत्कालीन एसडीएम राकेश कुमार त्यागी ने 8 अप्रैल 2022 को उक्त भू आवंटन पत्रावली ये कहते हुए निरस्त कर दी। कि पत्रावली में ज्यादातर अपात्र लोग शामिल किए गए। ये कार्रवाई पंचायत अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले की गई।

ग्रामसभा के सात सदस्यो ने भी बिना डीएम की अनुमति के अपने नाम आवंटन का प्रस्ताव पास कर लिया। अपतिकर्ता जगजीत सिंह ने जो तथ्य दिए थे उसके मुताबिक पत्रावली में सिर्फ 14 लोग पात्र पाए गए। एसडीएम ने उक्त पत्रावली निरस्त कर दी। इसके बाद आवंटियों ने कानपुर मंडल के मंडलायुक्त की अदालत में बाद दायर किया। जिसकी सुनवाई अपर आयुक्त प्रेम प्रकाश उपाध्याय ने की। उन्होंने एक अप्रैल 2023 को दिए गए फैसले में कहा कि एसडीएम तिर्वा ने जल्दबाजी में निर्णय लिया है। और आवंटियों के हितों का ख्याल नही रखा। जिस कारण उनके 8.4.2022 के आदेश को निरस्त किया जाता है।

Kannuaj

Feb 08 2023, 17:52

*कोटेदारों को नहीं मिल रहा है पूरा राशन, रोष व्याप्त*


जयपाल सिंह सेंगर

कन्नौज। तिर्वा तहसील के अन्तर्गत जब से विपड़न केन्द्र से राशन उठना बंद हुआ है । तब से कोटेदारों से ठेकेदार द्वारा 2 व 3पैकेट राशन कम दिया जा रहा है। जिससे कोटेदारों में रोष व्याप्त है। कुछ कोटेदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि हर महीने एक से डेढ़ कुंतल तक की कटौती हो रही है। अधिकारी भी मौन बने हुए हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि कोटेदार राशनकार्ड धारकों को एक किलो कम मिल रहा है। जिसकी शिकायत सुनने को कोई अधिकारी तैयार नहीं है। जिससे कार्डधारकों को घट तौली का शिकार होना पड़ता है, देखते हैं, खबर पर क्या जांच होती है। ऐसे में इसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भी उठानी पड़ रही है। जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस तरफ तनिक भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है।