दांडी मार्च नमक सत्याग्रह की 93 वीवर्षगांठ पर छात्र-छात्राओं ने स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का लिया संकल्
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बेतिया : महात्मा गांधी के 72 स्वतंत्रता सेनानियों के साथ दांडी मार्च नमक सत्याग्रह पूर्ण होने की 93वी वर्षगांठ एवं भारत की स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ,बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया।
इस अवसर पर सर्वप्रथम महात्मा गांधी ,कस्तूरबा गांधी, अमर शहीदों एवं उन 72 स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई जिन्होंने दांडी मार्च नमक सत्याग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर छात्र छात्राओं ने स्वच्छता ,पर्यावरण संरक्षण ,जलवायु परिवर्तन की रोकथाम, सिंगल यूज प्लास्टिक के बहिष्कार, बाल विवाह की रोकथाम एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति का संकल्प लिया।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता ,डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड, डॉ शाहनवाज अली, डॉ अमित कुमार लोहिया ,वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता नवीदु चतुर्वेदी, डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से कहा कि यह वह दौर था जब देश आजादी के लिए हुंकार भर रहा था। हर किसी के दिल में देश की स्वाधीनता के लिए अलग तरह की कसक थी. कसक ऐसी जो कभी भी एक बड़े आंदोलन का रूप ले सकती थी।महात्मा गांधी अपने आदर्शों व मूल्यों के बदौलत पूरी तरह से सब के नेता बन चुके थे।. चंपारण सत्याग्रह 1917 के साथ एवं बाद में भी कई वर्ष बाद तक गांधी जी ने अपने को समाज सुधार कार्यों पर केंद्रित रखा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कस्तूरबा गांधी , राजकुमार शुक्ला पीर मोहम्मद मुनीश, संत राउत, शीतल राय जैसे अनेक विभूतियों के साथ मिलकर बेतिया चंपारण की धरती पर स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण ,सामाजिक सद्भावना, बाल विवाह उन्मूलन एवं विभिन्न सामाजिक कुरीतियों से मुक्ति के लिए जन जागरण अभियान चलाया था।वह सक्रिय राजनीति से पूरी तरह से दूर रहे. लेकिन जब वह दोबारा आंदोलन में सक्रिय हुए तब उन्होंने न केवल ब्रिटिश सरकार की बल्कि पूरी दुनिया की आत्मा को झकझोर दिया था।
मार्च 1930 की है जब गांधी जी ने नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नया सत्याग्रह चलाया जिसे 12 मार्च से 6 अप्रैल तक दांडी मार्च नमक आंदोलन ( के रूप में लगातार 24 दिनों तक 400 किलोमीटर का सफर अहमदाबाद (साबरमती आश्रम) से दांडी, गुजरात तक चलाया गया ताकि स्वयं नमक उत्पन्न किया जा सके। नमक ऐसी चीज है जिसका इस्तेमाल गरीब से लेकर हर अमीर करता है। पशुओं को खिलाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी सर्वव्यापी एवं सार्वकालिक वस्तु को आजादी के आंदोलन से जोड़ना ही गांधी विचार एवं कर्म की विशिष्टता है।
इस अवसर पर डॉ एजाज अहमद, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल, डॉ अमित कुमार लोहिया डॉ महबूब उर रहमान एवं अल बयान के संपादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से कहा कि दांडी की ओर इस यात्रा में हजारों की संख्याा में भारतीयों ने भाग लिया। लगभग तीन हफ्तों बाद गांधी जी अपने गंतव्य स्थल पर पहुंचे और मुट्ठी भर नमक बनाकर स्वयं को कानून की निगाह में अपराधी बना दिया। इसी बीच देश के अन्य भागों में समानांतर नमक यात्राएं अयोजित की गईं। बापू की कर्मभूमि बेतिया पश्चिम चंपारण भी नमक सत्याग्रह में अछूता नहीं रहा।
बेतिया पश्चिम चंपारण के नदियों के किनारे हजारों की संख्या में एकत्र होकर स्वतंत्रा सेनानियों ने सांकेतिक रूप से नदियों के किनारे स्वदेशी नमक का निर्माण किया।महात्मा गांधी के इस आन्दोलन को जगह-जगह से समर्थन मिलने लगा. भारत में अंग्रेजों की पकड़ को विचलित करने वाला यह एक सर्वाधिक सफल आंदोलन था। जिसमें अंग्रेजों ने 80,000 से अधिक लोगों को जेल भेजा. इस आंदोलन का प्रभाव इतना रहा कि इसकी चिंगारी की लपट ने आगे चलकर सविनय अवज्ञा आंदोलन की आधारशिला रखी। महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह एवं दांडी मार्च नमक सत्याग्रह विश्व के अनेक हिस्सों में स्वाधीनता एवं नागरिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया है।
Apr 07 2023, 15:24