धनबाद में राजा और रेंचो की जुगलबंदी ने खूब बटोरीं तालियां, लाफ्टर शो में हंस-हंसकर लोट-पोट हुए श्रोता
पहले भी आ चुका हूं धनबाद, यहां कला की होती है कद्र : राजा रेंचो
धनबाद : जाना-पहचाना शहर है धनबाद. 2008 में भी यहां शो करने आया था. शांत व खूबसूरत शहर है. कोयलांचल में कला के कद्रदान रहते हैं. लाइफ के हर पल को एंजॉय करते हैं. यहां आकर ऐसा ही लगता है.
कोयलांचल को काले हीरे की धरती के नाम से जाना जाता है. ऐसा कहते हैं कॉमेडी किंग राजा रेंचो. वह गुरुवार को लॉफ्टर शो से पहले बातचीत कर रहे थे. उन्होंने बताया कि 10 साल की उम्र में पहला कार्यक्रम मुंबई स्थित अपने चॉल में किया था. मेरी मिमिक्री देख चॉल वालों ने एक रुपये दिये थे, जिसे पाकर बहुत खुशी हुई. पांच दशक से इस क्षेत्र से जुड़ा हूं. चॉल में मेरा बचपन बीता. स्कूल में शिक्षक व दोस्तों की नकल किया करता था. सभी मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते थे. छोटे- छोटे कार्यक्रम करता रहा. चार दशक पहले ऑर्केस्ट्रा की धूम थी. ऐसे कार्यक्रम में मिमिक्री करने के लिए एक मिनट का समय एक आयोजक से मांगा था, लेकिन नहीं मिला.
इस बात से बहुत आहत हुआ. मौका नहीं मिलने से दुखी था, लेकिन उस दिन प्रण लिया कि एक दिन ऐसा आयेगा कि लोग मेरे शो में आकर ठहाके लगायेंगे. जब लोग लॉफ्टर शो में ठहाके लगाते हैं, असीम सुकून मिलता है.
अभिनेता राजकुमार हैं आइडल
राजा रेंचो बताते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री के अभिनेता राजकुमार आइडल हैं. उन्हें देख कर मिमिक्री करना सीखा. पहले मिमिक्री करता था, बाद में लॉफ्टर शो करने लगा. 2006 में लॉफ्टर शो में आया. लोग हंसते हैं, तालियां बजती है. यह मेरे लिए सबसे बड़ा रिवार्ड होता है.
मुंबई में बीता बचपन
राजा रेंचो के बचपन का नाम राजकुमार जावकर है. मुंबई में ही बचपन बीता. कहते हैं हमारे महाराष्ट्र का गणपति उत्सव बहुत धमाकेदार होता है. हमारे घर में छह दिवसीय गौरी गणेश उत्सव होता है. इसमें हमारे चॉल के लोग आते हैं. सभी मिलकर खूब मस्ती करते हैं. आज भी कभी समय मिलता है, तो चॉल चला जाता हूं.
2002 में मिला मेरा रेंचो
वर्ष 2002 में मुंबई के मैजिशियन से रेंचो मिला. इसके बाद हमारी राजा रेंचो की जोड़ी बनी. बचपन में रेंचो को लेकर बहुत क्रेज था, कि यह गुड्डा बोलता कैसे है. अब तो मेरा बेस्ट फ्रेंड है. रिसोर्ट में काम किया है. वहां से काफी कुछ सीखने को मिला. मेरी नजर में कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता है.
2006 जीवन का टर्निंग प्वाइंट था
2006 मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट था. उसके बाद मुड़कर पीछे नही देखा. अब तक लगभग तीन हजार शो कर चुका हूं. आज भी शो से पहले रिहर्सल करता हूं.
कोयलांचलवासियों को शुक्रिया
हमें आमंत्रित करने के लिए. काले हीरे की नगरी कोयलांचल की पहचान विश्व स्तर पर है. यहां शो करना हमें भी गौरवान्वित करता है.
Mar 03 2023, 18:28