फिर बेनकाब हुआ पाकिस्तान! खुलेआम घूमता दिखा हिजबुल चीफ सैयद नसलाहुद्दीन
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आतंकियों के सबसे बड़े पनाहगार पाकिस्तान का चेहरा एक बार फिर बेनकाब हो गया है। टॉप टेरेरिस्ट और हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ सैयद सलाहुद्दीन को पाकिस्तान में खुलेआम घूमते देखा गया है।भारत के मोस्ट वांटेड सलाउद्दीन को उसके कमांडर बशीर अहमद पीर के जनाजे में देखा गया है। एक दिन पहले अज्ञात हमलावरों ने बशीर की गोली मारकर हत्या कर दी थी।बशीर अहमद पीर को सैयद सलाहुद्दीन का दाहिना हाथ बताया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन न केवल बशीर अहमद पीर के जनाजे में शामिल हुआ, बल्कि उसका नेतृत्व भी किया। इस दौरान पाकिस्तानी पुलिस और रेंजर्स की मौजूदगी भी थी। जनाजे में शामिल भीड़ ने आतंकी बशीर के समर्थन में जमकर नारेबाजी भी की। सैयद सलाहुद्दीन ने बशीर के जनाजे की नमाज भी अदा की और भारत के विरोध में तकरीर भी दी।
एफएटीएफ से एक्शन लेने की अपील
भारत ने इस मामले में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) से भी एक्शन लेने की अपील की है। भारत ने कहा, जब पाकिस्तान असल में एक 'टेरर सपोर्टिंग नेशन' ही है। पाकिस्तान केवल खुद को एफएटीएफ की ब्लैकलिस्ट से खुद को बाहर करवाने के लिए ही आंतकियों के खिलाफ कार्रवाई का दिखावा कर रहा था। एफएटीएफ और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को इसका संज्ञान लेना चाहिए।
कौन है सैयद सलाउद्दीन?
सैयद सलाहुद्दीन हिजबुल मुजाहिदीन का सरगना और यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का प्रमुख है। सैयद सलाहुद्दीन का पूरा नाम सैयद मोहम्मद युसूफ शाह है। 26 जून 2017 को अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने उसे विशेष नामित वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। सलाउद्दीन को भारत सरकार ने 4 अक्टूबर 2022 को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम UAPA के तहत आतंकी घोषित किया था। 77 साल का आतंकी सलाउद्दीन पीओके में रहता है। वहां से वह आतंकी कैंप में युवाओं को जिहाद के नाम पर घाटी में आतंक फैलाने की ट्रेनिंग देता है।यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई करते वक्त वह जमात-ए-इस्लामी के संपर्क में आया और उसकी जम्मू-कश्मीर शाखा का सदस्य बन गया। पढ़ाई के दौरान ही वह कट्टपंथी बन गया था।
कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन की स्थापना की
सैयद सलाहुद्दीन ने 1987 में जम्मू और कश्मीर से मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के टिकट पर श्रीनगर की अमीरा कदल सीट से चुनाव भी लड़ा था। हालांकि वह भारी मतों से चुनाव हार गया और इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस के गुलाम मोहिउद्दीन शाह जीत गए। इसके बाद मोहिउद्दीन शाह के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ जिसकी अगुवाई सैयद सलाहुद्दीन ने की थी। इस मामले में सैयद सलाहुद्दीन को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। 1989 में रिहा होने के बाद सैयद सलाहुद्दीन ने कश्मीर में हिंसा फैलाने के लिए हिजबुल मुजाहिदीन की स्थापना की।
Feb 23 2023, 15:55