स्मैक ने ली विजय सिंह जान,दहशत में खूनी खेल
अमेठी। नशा नाश की जड़ है। राहीस लोगो के डयूडी तक स्मैक पहुंच चुकी। कोई गांव नहीं जहां स्मैक ने दस्तक ना दी हो। मामला हाई प्रोफाइल तक पहुंचने पर खुलासा हो जाता है। हत्या होने के बाद मामले अपने खुलने लगते है। लेकिन इसके उस समुदाय की बैठक मे अपना कोई खास हो। तभी घटना की पोल खुल जाती है। नाशा और अपराधी दोनो एक सिक्के के पहलू है। उसी तरह अपराधी और नाशा दोनों को संरक्षण इलाके के खास मेहमान देते है। ये सत्ता के सूत्रधार होते है। कारण भी साफ है। नाशा और अपराधी दोनो पुलिस का संरक्षण के लिए भागदौड़ की स्थित में रहते है। क्योंकि बिना तालमेल के मामला दोनों नहीं चल पाता है। यही कारण है कि नाशा और अपराधी दोनों में शामिल होना आसान है लेकिन निकल पाना मुश्किल है।
थाना मुंशीगंज के गांव चन्दौकी के विजय सिंह पुत्र नन्द कुमार सिंह ने प्रेम जी और अलोक कुमार को स्मैक नाशी को लेकर जान से मारने की धमकी दी थी। इसी के चक्कर मे दहशत के चलते विजय सिंह को ओवर डोज नाशा देकर जान से मरने का खेल किया। हत्या के बाद फोन करके जानकारी देना। सब स्मैक ने काबूल करवा दिया। स्मैक नाशा कौन कौन खरीदा कर इलाके मे बेचता है। इसकी खबर नशेड़ी को पता रहता है। लेकिन नशेड़ी लोग उनसे दूर रहते है। जो पोपो गन्डा करते है। कही खेल ख़राब कर दिए। तो नाश का खेल बिगड जायेगा। क्योकि स्मैक ना मिलने पर नशेड़ी बौखला जाते है। कभी कभी नाशा के चक्कर मे दुर्घटनाए भी हो जाती है।
थाने,तहसील,ब्लाक के ईद गिर्द नाशा और अपराधी दोनो आस पास रहते है। इस खेल में चार पहिया वाहन का इस्तेमाल अक्सर होता है। अपराधी और नाशा दोनों सत्ता के आसपास अपना डेरा रखते है। क्योंकि पुलिस से बचने के लिए तिनके सहारा काफी होता है। नेता भी ऐसे मामलो मे बकुला भगत होता है। जो नाशा के अपराधियो को अपने कस मे रखते है। अपराधी कोई भी है। लेकिन अपराध मे ढकेलने वाला कोई और होता है। वह अपराधी बनाने के रूपए भी खर्च करता है। लेकिन लाईट मे नही आता है। परन्तु ऐसे लोग समाज और राजनीति दोनो को गन्दा करने का प्रयास करते है। लेकिन लत खराब हो जाने पर लोग गन्दा खेल खेलते है।
सैलेन्ट अपराध का खेल कई परिवार को बरबाद कर देती है। जनता के बीच कम रहना। इनका शौक बन चुका है। ऐसे लोग की पहचान धीरे -धीरे समाज करती है। लूटा सभी को इनका कोई सगा नही होता है। जिसकी मजबूती होती है। उस पाले मे घुड़सवार पर सवारी करने के लिए लगे रहते है। पुलिस तो ऐसी है। चाहे तो अच्छे-अच्छे को पानी पिला देती है। शनि देव का कोप हुआ। तो अच्छा भी बुरा होने मे वक्त नही लगता है। कुछ भी शनि देव को तिल और तेल का चढावा मिले। तो खुश राजपाट सब चकाचक नजर आयेगा। काली फिल्म की गाडिया पुलिस की दोस्ती के कुछ अलग खास है।
Feb 17 2023, 18:36