सीएम हेमंत सोरेन का बीजेपी पर हमला, बोले- जेल में नहीं होता तो एनडीए को झारखंड में खाता नहीं खोलने देता

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरन आज वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होने बिहार की राजधानी पटना पहुंचे। पटना में वोटर अधिकार यात्रा के समापन के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने केन्द्र और बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस दौरान एनडीए सरकार पर साजिश के तहत ईडी और इनकम टैक्स जैसे हथकंडों के जरिए विपक्षी जनप्रतिनिधियों को डराने का आरोप लगाया।

2014 में कुछ चालाक लोगों ने सता पर कब्जा किया-हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरन ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वोट किसी पार्टी का नहीं, वोट देश का है। वोट से संविधान और देश बचता है। 2014 में कुछ चालाक और चतुर लोगों ने सता पर कब्जा कर लिया। आज फूट डालो और राज करो पर अमल कर रहे हैं। आज सीबीआई और ईडी के बल पर जनप्रतिनिधियों को डराया जा रहा है।

वोट रिवीजन कराने की चेतावनी

हेमंत सोरेने ने आगे कहा कि कहा कि वोट चोरी की यह प्रक्रिया कोई नई नहीं है, लेकिन राहुल गांधी ने अब इन्हें बेनकाब करने का काम किया है। बिहार का चुनाव केवल बिहार का नहीं पूरे देश को बचाने का चुनाव है। सोरेन ने आरोप लगाया कि साजिश के तहत उन्हें जेल में डाल दिया गया, वरना जिस तरह झारखंड में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, उसी तरह लोकसभा में भी एनडीए को खाता खोलने का मौका नहीं मिलता। अगर है हिम्मत तो देश की गद्दी छोड़ो वोट रिवीजन कराओ तब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

बिहार में हम हाइड्रोजन बम दिखाएंगे, मोदी जी अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे, पटना में गरजे राहुल

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कांग्रेस सांसद और लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पटना में ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ को संबोधित किया। जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने एक बार फिर वोट चोरी का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा, यह यात्रा बिहार से शुरू हुई और हमने इसे ‘वोटर अधिकार यात्रा’ नाम दिया। यहां महाराष्ट्र के नेता मौजूद हैं। महाराष्ट्र में चुनाव चोरी किया गया था। एक करोड़ नए वोटर जोड़े गए और उनके वोट बीजेपी गठबंधन को मिले। लोकसभा चुनाव में हम जीते, लेकिन विधानसभा में हार गए, क्योंकि बीजेपी ने वोट चोरी की।

देश के सामने सबूत रखा-राहुल गांधी

जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा माधवापुरा, बैंगलोर सेंट्रल की सीट में हमने दिखाया कि एक एसेंबली में एक लाख से ज्यादा फर्जी वोटर थे। बैंगलोर सेंट्रल में 7 विधानसभा हैं, 6 में हम जीतते हैं, जहां ज्यादा फर्जी वोट थे, वहां हम हार जाते हैं। उसी एक सीट के चलते बीजेपी लोकसभा चुनाव जीत जाती है। हमारे लोगों ने कागज की वोटर लिस्ट से फोटो-नाम-एड्रेस मिलाकर काम किया। 4 महीने लगे, हमने 16-17 घंटे रोज काम किया और देश के सामने सबूत रखा।

संविधान की हत्या करने की साजिश-राहुल गांधी

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, जिन शक्तियों ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, वही लोग आज संविधान की हत्या करने की साजिश में लगे हुए हैं। हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे। बिहार में इस यात्रा को जबरदस्त समर्थन मिला है। बीजेपी के लोग काले झंडे दिखा रहे हैं, लेकिन वे सुन लें, एटम बम से बड़ा हाइड्रोजन बम होता है, और वह आ रहा है। वोट चोरी की सच्चाई पूरे देश के सामने आने वाली है। इसके बाद नरेंद्र मोदी देश की जनता को अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे।

मोदी और शाह आपको डुबा देंगे-खरगे

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी रैली को संबोधित किया। खरगे ने कहा, इस 15 दिन की यात्रा पूरे देश में चर्चा चली। भाजपा ने इसमें रुकावट डालने की पूरी कोशिश की। गठबंधन के लोग राहुल जी या तेजस्वी जी नहीं डरे। वोट चोरी करने वाले पैसा चोरी करने की भी आदत रखते हैं। बैंक से चोरी कर बाहर जाने वालों को भी यह संभालते हैं। मोदी जी बिहार में वोट चोरी कराकर जीतना चाहते हैं। सतर्क नहीं रहेंगे तो यह मोदी और शाह आपको डुबा देंगे। आजादी के बाद जो वोट का अधिकार दिलाया गया, उसे खोना नहीं। यह महात्मा गांधी, आंबेडकर और नेहरु जी ने अधिकार दिया है।

सीएम नीतीश पर भी बरसे खरगे

सीएम नीतीश कुमार पर हमला करते हुए खरगे ने कहा कि यह आरएसएस वाले आपको कचरा में जाकर फेकेंगे। खरगे ने पुलिस को राहुल गांधी की यात्रा रोकने के लिए भी आड़े हाथ लिया। खरगे ने कहा, यहां पुलिस का सही इंतजाम क्यों नहीं? राहुल जी, मैं विपक्ष का नेता, तेजस्वी बिहार में विपक्ष के नेता, लेकिन पुलिस का इस सभा में सही इंतजाम नहीं। यहां धक्का-मुक्की हो रही है। पुलिस जान ले कि अभी हमारी सरकार नहीं लेकिन कम हम भी सत्ता में आएंगे।

पश्चिम बंगाल में 13.69 प्रतिशत फर्जी मतदाता, SIR से पहले रिसर्च रिपोर्ट में बड़ा दावा

देशभर में मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक दलों के बीच चल रही बहस अब पश्चिम बंगाल तक पहुंच गई है. बिहार में चुनाव आयोग के विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान (SIR) के दौरान लाखों नाम काटे जाने के बाद अब पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य की मतदाता सूची में करीब 13.69 प्रतिशत नाम फर्जी या मृतकों के हैं.

बिहार में 65 लाख से अधिक मतदाता सूची से हटाए जाने के बाद अब चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर अभियान चलाया जाएगा. हालांकि आयोग ने इस प्रक्रिया की समय-सीमा स्पष्ट नहीं की है.

पश्चिम बंगाल में आखिरी बार मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण 2002 में हुआ था. बीते 22 वर्षों में इस सूची की ठीक से समीक्षा नहीं की गई, जिसके चलते मृतकों और डुप्लीकेट नामों को हटाया ही नहीं गया.

शोध रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

अगस्त 2025 में प्रकाशित शोध Electoral Roll Inflation in West Bengal: A Demographic Reconstruction of Legitimate Voter Counts (2024) में विद्यु शेखर (एसपी जैन, मुंबई) और मिलन कुमार (आईआईएम विशाखापत्तनम) ने पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची का गहन विश्लेषण किया है. अध्ययन के अनुसार, 2024 की मतदाता सूची में करीब 1.04 करोड़ अतिरिक्त नाम मौजूद हैं. यह कुल सूची का लगभग 13.69 प्रतिशत है. शोध में चेतावनी दी गई है कि यह आंकड़ा न्यूनतम है, वास्तविक संख्या इससे भी अधिक हो सकती है.

शोध में दावा किया गया है कि बिहार की तरह पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में भी मृत लोगों के नाम बड़े पैमाने पर दर्ज हैं। 2004 की सूची में राज्य में 4.74 करोड़ मतदाता थे. बीस साल बाद प्राकृतिक मृत्यु दर और उम्र के आधार पर अनुमान लगाया गया कि इनमें से लगभग एक करोड़ लोग अब जीवित नहीं हैं। इसके बावजूद उनके नाम मतदाता सूची से हटाए नहीं गए हैं.

अध्ययन के अनुसार, 1986 से 2006 के बीच जन्मे और 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए मतदाताओं को जोड़ने और प्रवासन को घटाने के बाद, 2024 में पश्चिम बंगाल में वैध मतदाताओं की संख्या करीब 6.57 करोड़ होनी चाहिए थी, लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़ों में यह संख्या 7.61 करोड़ दर्ज है यानी करीब 1.04 करोड़ नाम अतिरिक्त पाए गए। यह अंतर चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डाल सकता है.

अल्पसंख्यक इलाकों में मतदाताओं की संख्या में इजाफा

शोध में यह भी पाया गया कि अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में मतदाता संख्या में असामान्य वृद्धि हुई है. कई क्षेत्रों में मतदाता संख्या वास्तविक जनसंख्या से भी अधिक दर्ज की गई. साथ ही 2011 के बाद राज्य से होने वाले पलायन को भी सूची में नहीं जोड़ा गया, जबकि यह संख्या लगातार बढ़ रही है. अगर इसे शामिल किया जाता तो वैध मतदाताओं की संख्या और कम हो जाती.

बिहार के अनुभव को देखते हुए अब पश्चिम बंगाल में भी यह आशंका गहराने लगी है कि बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हट सकते हैं. इससे राजनीतिक दलों के बीच टकराव और बढ़ सकता है. विपक्ष जहां इसे फर्जी वोटरों को बचाने की साजिश बताएगा, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे लोकतंत्र की मजबूती और पारदर्शिता के लिए आवश्यक कदम करार दे सकता है.

चुनाव आयोग पर राहुल गांधी का हमला जारी, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोले- वोट चोरी पकड़ने में हमें 6 महीने लगे

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कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर करारा हमला बोला है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के एसआईआर प्रोजेक्ट पर सवाल उठाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भारत के चुनाव आयुक्त भाजपा के साथ मिले हुए हैं और वह भाजपा के लिए वोट की चोरी करवा रहे हैं।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता लगातार हमलावर

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बीते कुछ समय से चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर लगातार हमलावर हैं। उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक और कुछ अन्य जगहों की मतदाता सूची के आधार पर चौंकाने वाले दावे किए हैं। मतदाता सूची में जोड़े गए हजारों-लाखों नाम का उल्लेख करते हुए राहुल ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन न करते हुए वोट की चोरी की जा रही है। उन्होंने कई आंकड़ों का हवाला देते हुए चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि आयोग की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है।

महाराष्ट्र में 40 लाख वोटर रहस्यमय- राहुल गांधी

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट को लेकर इलेक्शन कमीशन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि वोटिंग पर लोगों को शंका हो रही। अब चुनाव प्रक्रिया लंबे समय तक चल रही है। यूपी में अलग दिन और बिहार अलग दिन मतदान होता है। महीनों चलने वाली चुनाव प्रक्रिया के बाद एग्जिट पोल में कुछ और नतीजे नजर आते हैं और रिजल्ट दूसरा आता है। महाराष्ट्र चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां 40 लाख वोटर रहस्यमय हैं।

महाराष्ट्र की पूरी जनसंख्या से ज्यादा वोटर जुड़े-राहुल गांधी

एक समय था जब इलेक्ट्रॉनिक मशीन नहीं थी, पूरा देश एक दिन वोट करता था। लेकिन आज के जमाने में यूपी में अलग-अलग वोटिंग होती है। बिहार में कभी और हो रही है। महीनों के लिए वोटिंग चलती है। हम इसी को लेकर चिंतित है, महीनों के लिए वोटिंग क्यों चलती है। राहुल गांधी ने कहा, महाराष्ट्र में 5 महीने में इतने वोटर जुड़े हैं जितने 5 साल में नहीं जुड़े। महाराष्ट्र की पूरी जनसंख्या से ज्यादा वोटर जुड़े हैं। जिससे और ज्यादा संदेह पैदा होता है। राहुल गांधी ने आगे कहा, चुनाव आयोग ने हमें वोटर लिस्ट देने से इनकार कर दिया। उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव में कहा कि 5:30 बजे के बाद भारी मात्रा में वोटिंग हुई है। लेकिन, हम जानते हैं कि ऐसा नहीं हुआ है।

एक ही मतदाता कई राज्यों में वोट डालते हैं- राहुल गांधी

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि एक ही व्यक्ति कई राज्यों में कई वोट डालते हैं। एक ही मतादाता कई राज्यों में वोट डालते हैं। ऐसे वोटरों की संख्या हजारों में हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में ऐसे 40 हजार से अधिक वोटरों के पता फर्जी पाए गए। हाउस नंबर-0 पर एक साथ कई मतदाता रजिस्टर्ड हैं। कर्नाटक में एक कमरे के एक घर में 80 वोटर रजिस्टर्ड हैं। ऐसे 10,452 वोटर्स हैं जो एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं।

चुनाव आयोग डेटा नष्ट कर रहा- राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से जुटाए गए सबूतों का जिक्र करते हुए कहा कि वोटों की चोरी भाजपा के लिए की जा रही है। मतदाता सूची के मुद्दे पर कांग्रेस सांसद ने सवाल किया कि आयोग इस मुद्दे पर जवाब क्यों नहीं दे रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि मौजूदा वक्त में सीसीटीवी फुटेज और वीडियो को क्राइम में साक्ष्य माना जाता है। इसलिए चुनाव आयोग इन डेटा को नष्ट करने में लगा है।

बिहार वोटर लिस्ट मामलाः 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

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बिहार के वोटर लिस्ट रीविजन (एसआईआर) को लेकर पूरे देश में घमासान मचा हुआ है। संसद में विपक्ष विरोध प्रदर्शन कर रही है और इसके खिलाफ आवाज उठा रही है। वहीं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर से जुड़ी याचिका दायर की गई है। कोर्ट में इन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एसआईआर के बाद प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने के आरोपों पर चुनाव आयोग से शनिवार तक जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल किया है कि क्या एक अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट सूची को राजनीतिक दलों के साथ साझा किया गया था या नहीं?

जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुयान और एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने चुनाव आयोग से कहा, हमें हर उस वोटर की जानकारी चाहिए जिसका नाम हटाया गया है। ये देखें कि किस आधार पर नाम हटे हैं।

एडीआर ने याचिका दायर कर की ये मांग

दरअसल, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका दायर कर निर्वाचन आयोग ने ड्राफ्ट लिस्ट में जो 65 लाख लोगों के नाम हटाए हैं उनकी जानकारी प्रकाशित करने के लिए आयोग को निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। ADR की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण ने मामला मेंशन किया। 65 लाख लोगों को मसौदा सूची से हटाए जाने के संबंध में दाखिल आवेदन को मेंशन किया।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि हम ने राजनीतिक दलों को हटाए गए लोगों की सूची दी है। हम वोटर लिस्ट को साफ करने का काम कर रहे हैं। हमारा मकसद है कि अपात्र लोग हटें और केवल सही लोग वोटर लिस्ट में रहें। सुप्रीम कोर्ट ने आवेदन पर चुनाव आयोग से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

65 लाख लोगों के हटाए गए नाम

बता दें कि बिहार में SIR प्रक्रिया के तहत, चुनाव आयोग ने आदेश दिया था कि सिर्फ उन्हीं वोटर्स को ड्राफ्ट रोल में शामिल किया जाएगा जो 25 जुलाई तक गणना फॉर्म जमा करेंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि राज्य के 7.89 करोड़ पंजीकृत वोटर्स में से 7.24 करोड़ से फॉर्म हासिल हो चुके हैं, यानी बाकी 65 लाख को हटा दिया गया है। आयोग ने 25 जुलाई को बताया, 22 लाख वोटर्स की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 35 लाख या तो स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं या फिर उनका पता नहीं चल पाया है, 7 लाख वोटर्स एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं।

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण: 86.32% गणना प्रपत्र जमा, अंतिम 10 दिनों में बीएलओ करेंगे घर-घर संपर्क


पटना, 15 जुलाई 2025 – बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत मतदाता सूची को अद्यतन करने का कार्य तेजी से जारी है। अब तक राज्य में 86.32% गणना प्रपत्र (Enumeration Forms - EF) एकत्र किए जा चुके हैं, और शेष मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने के लिए लगभग 1 लाख बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) जल्द ही घर-घर जाकर सर्वेक्षण का तीसरा दौर शुरू करेंगे। यह अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोई भी पात्र मतदाता प्रारूप मतदाता सूची में शामिल होने से वंचित न रहे।

राज्य में कुल 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,81,67,861 ने अपने गणना प्रपत्र जमा कर दिए हैं। मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित और एक से अधिक स्थानों पर नामांकित व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए, एसआईआर के ईएफ संग्रह चरण में बिहार के लगभग 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 90.84% को कवर किया गया है। अब 25 जुलाई की अंतिम समय-सीमा से पहले केवल 9.16% मतदाताओं को अपने भरे हुए ईएफ जमा करने हैं।

शेष मतदाताओं को समय पर अपने प्रपत्र भरने और 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के 5,683 वार्डों में विशेष शिविर स्थापित किए गए हैं और समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। बीएलओ मतदाताओं को अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके ECINet ऐप या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से अपने फॉर्म ऑनलाइन भरने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।

ECINet के माध्यम से, मतदाता अपने EF ऑनलाइन भर सकते हैं और 2003 ईआर में अपने नाम भी खोज सकते हैं। वे ECINet ऐप का उपयोग करके अपने बीएलओ सहित अपने चुनाव अधिकारियों से भी जुड़ सकते हैं। आज शाम 6.00 बजे तक प्लेटफॉर्म पर 6.20 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए जा चुके हैं। अपने ईएफ जमा करने की स्थिति की जांच के लिए एक नया मॉड्यूल आज रात https://voters.eci.gov.in पर लाइव हो जाएगा।

बीएलओ के प्रयासों में सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) भी सहायता कर रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक प्रतिदिन 50 ईएफ तक प्रमाणित और जमा कर सकता है। शहरी क्षेत्रों में किसी भी पात्र मतदाता के छूटने को रोकने के लिए, सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण: 83.66% प्रपत्र जमा, ECI ने पारदर्शिता और पहुंच बढ़ाने के लिए उठाए कदम

बिहार में चल रहे SIR (सिस्टमैटिक इनरोलमेंट रिविजन) में भरे हुए गणना प्रपत्र (EFs) जमा करने की अंतिम तिथि में 11 दिन शेष रहने के साथ, BLOs (बूथ लेवल अधिकारी) द्वारा घर-घर जाकर किए गए दो दौर के बाद, बिहार में 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,60,67,208 या 83.66% मतदाताओं के EF एकत्र किए गए हैं।

अब तक 1.59% मतदाताओं को मृत पाया गया है, 2.2% स्थायी रूप से स्थानांतरित पाए गए हैं और 0.73% व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए हैं।

इसलिए, 88.18% मतदाताओं ने या तो पहले ही अपना EF जमा कर दिया है या उनकी मृत्यु हो गई है या उन्होंने अपना नाम एक ही स्थान पर रखा है या वे अपने पिछले निवास स्थान से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। अब केवल 11.82% मतदाताओं को अपने भरे हुए EF जमा करने हैं और उनमें से कई ने आने वाले दिनों में दस्तावेजों के साथ अपने गणना प्रपत्र जमा करने के लिए समय मांगा है।

ECI (भारत निर्वाचन आयोग) यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और शेष मतदाता अपने EF भरें। लगभग 1 लाख BLOs जल्द ही अपने घर-घर जाकर दौरे का तीसरा दौर शुरू करेंगे। उनके प्रयासों को सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख BLAs (बूथ लेवल एजेंट) द्वारा बढ़ाया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक प्रति दिन 50 EF तक प्रमाणित और जमा कर सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पात्र शहरी मतदाता ER (इलेक्टोरल रोल) से न छूटे, बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

उन मतदाताओं के लिए जो अस्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए हैं, समाचार पत्रों के विज्ञापनों और ऐसे मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क के माध्यम से केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समय पर अपने EF भर सकें और 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाले प्रारूप मतदाता सूची में उनके नाम भी शामिल किए जा सकें। ऐसे मतदाता ECINet ऐप के माध्यम से अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से आसानी से EF ऑनलाइन भर सकते हैं (SIR दिशानिर्देशों के पैरा 3(d) के अनुसार)। वे अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से या व्हाट्सएप या इसी तरह के अनुप्रयोगों सहित किसी भी ऑनलाइन माध्यम से संबंधित BLOs को अपने फॉर्म भी भेज सकते हैं।

नवीनतम तकनीक और डिजिटलीकरण के उपयोग की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, ECI द्वारा हाल ही में लॉन्च किया गया ECINet प्लेटफॉर्म, एक एकल एकीकृत प्लेटफॉर्म है जो पहले के 40 विभिन्न ECI अनुप्रयोगों को subsume कर रहा है, इसे बिहार SIR अभ्यास के सभी पहलुओं के लिए भी तैयार किया गया है और यह कुशलता से चल रहा है।

ECINet के माध्यम से, मतदाता अपने इलेक्ट्रॉल फॉर्म ऑनलाइन भरने और जहां भी लागू हो, 2003 मतदाता सूची में अपने नाम खोजने में सक्षम हैं। मतदाता ECINet ऐप का उपयोग करके अपने चुनाव अधिकारियों, जिसमें उनके BLOs भी शामिल हैं, से भी जुड़ सकते हैं।

ECINet क्षेत्र-स्तर के चुनाव पदाधिकारियों के लिए फॉर्म और दस्तावेजों को अपडेट करने की प्रक्रिया को भी तेज कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज शाम 6.00 बजे तक 5.74 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए गए हैं। ECINet के दस्तावेज़ समीक्षा मॉड्यूल ने AEROs (सहायक चुनावी पंजीकरण अधिकारी), EROs (चुनावी पंजीकरण अधिकारी) और DEOs (जिला चुनाव अधिकारी) द्वारा मतदाताओं की पात्रता के सत्यापन की गति को भी सुव्यवस्थित तरीके से तेज किया है।

बिहार के 4.96 करोड़ मतदाताओं के लिए खुशखबरी: 2003 की वोटर लिस्ट ECI वेबसाइट पर उपलब्ध, अब नहीं लगेंगे दस्तावेज

1.भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार की 2003 की मतदाता सूची, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण शामिल है, को ईसीआई वेबसाइट – https://voters.eci.gov.in पर अपलोड कर दिया है।

2. ईसीआई के 24 जून, 2025 के निर्देशों के पैरा 5 में यह उल्लेख किया गया था कि सीईओ/डीईओ/ईआरओ 01.01.2003 की अर्हक तिथि वाली मतदाता सूचियों को सभी बीएलओ को हार्ड कॉपी में, साथ ही अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन भी मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे ताकि कोई भी व्यक्ति इसे डाउनलोड कर सके और अपना गणना प्रपत्र जमा करते समय इसे दस्तावेजी प्रमाण के रूप में उपयोग कर सके।

3. बिहार की 2003 की मतदाता सूचियों की आसान उपलब्धता, बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को बहुत सुविधा प्रदान करेगी क्योंकि अब कुल मतदाताओं का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा कोई भी दस्तावेज़ जमा नहीं करेगा। उन्हें केवल 2003 की मतदाता सूची में अपने विवरण को सत्यापित करना होगा और भरा हुआ गणना प्रपत्र जमा करना होगा। मतदाता और बीएलओ दोनों इन विवरणों को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।

4. इसके अलावा, निर्देशों के अनुसार, जिसका नाम 2003 की बिहार मतदाता सूची में नहीं है, वह अभी भी अपने माता या पिता के लिए कोई अन्य दस्तावेज़ प्रदान करने के बजाय 2003 की मतदाता सूची का अंश उपयोग कर सकता है। ऐसे मामलों में, उसके माता या पिता के लिए किसी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी। केवल 2003 की मतदाता सूची का प्रासंगिक अंश/विवरण पर्याप्त होगा। ऐसे मतदाताओं को केवल अपने लिए, भरे हुए गणना प्रपत्र के साथ, दस्तावेज़ जमा करने होंगे।

5.यह दोहराया जाता है कि प्रत्येक चुनाव से पहले, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(2)(ए) और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 25 के अनुसार मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। ईसीआई अब तक 75 वर्षों से वार्षिक पुनरीक्षण, गहन और संक्षिप्त दोनों, करता रहा है।

6. यह अभ्यास आवश्यक है क्योंकि मतदाता सूची हमेशा एक गतिशील सूची होती है जो मृत्यु, व्यवसाय/शिक्षा/विवाह जैसे विभिन्न कारणों से लोगों के स्थानांतरण, 18 वर्ष के नए मतदाताओं के जुड़ने आदि के कारण बदलती रहती है।

7. इसके अलावा, संविधान का अनुच्छेद 326 एक मतदाता बनने की पात्रता को निर्दिष्ट करता है। केवल भारतीय नागरिक, 18 वर्ष से अधिक आयु के और उस निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी, एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के पात्र हैं।

बैक डोर से एनआरसी लाने की कोशिश, टीएमसी ने मतदाता सूची की जांच पर उठाए सवाल

#tmcmpraisesquestionoverecelectoralrollvoterlistrevision

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण पर सवाल उठाया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने चुनाव आयोग पर इसको लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। चुनाव आयोग के अभियान की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विपक्षी इंडी गठबंधन की पार्टियां इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाएंगी।

एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार

दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्रायन कहा कि बिहार से शुरू होकर पश्चिम बंगाल में लागू होने जा रही ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविजन ऑफ इलेक्टोरल रोल’ की प्रक्रिया संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। टीएमसी सांसद ने इसे ‘पीछे के दरवाज़े से एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कवायद संदिग्ध समय पर शुरू की गई है।

चुनावी गणित बदलने की कोशिश का आरोप

डेरेक ओ’ब्रायन ने सवाल उठाया, अब अचानक इस प्रक्रिया की क्या जरूरत पड़ गई? उन्होंने दावा किया, हमारे पास सबूत हैं कि यह कवायद क्यों की जा रही है। बीजेपी के आंतरिक सर्वे में उन्हें बंगाल में केवल 46-49 सीटें मिलती दिख रही हैं, और इसी हताशा में वे चुनावी गणित बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले सोमवार को बिहार में इस विशेष गहन समीक्षा की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिसका मकसद अपात्र नामों को हटाना और पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना बताया गया है। यह कवायद बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हो रही है। बिहार में पिछली बार इस तरह की समीक्षा 2003 में हुई थी।

आधार कार्ड से लिंक होगा मतदाता पहचान पत्र, चुनाव आयोग-गृह मंत्रालय की बैठक में फैसला

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केंद्र सरकार वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की तैयारी कर रही है। इसे लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें दोनों को लिंक करने पर सहमति बनी।चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा कि मतदाता पहचान-पत्रों को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। इसके साथ ही इसके लिए यूआईडीएआई और उसके विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने निर्वाचन सदन नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ तथा चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों के अनुसार ही किया जाएगा। कहा गया कि इस संबंध में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही आगे की चर्चा करेंगे। 

क्या कहता है अनुच्छेद 326

भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिक को दिया जा सकता है, आधार कार्ड केवल एक व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि ईपीआईसी को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों के अनुसार और डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 177/2023 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप ही किया जाएगा। अब यूआईडीएआई और ईसीआई के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू किया जाएगा।

संविधान में हैं वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान

संविधान में भी वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान है।बताया जाता है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23, जिसे चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहा जाता के मुताबिक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मौजूदा या भावी मतदाताओं से स्वैच्छिक आधार पर पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या प्रदान करने की मांग कर सकते हैं। यह कानून मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।

चुनाव आयोग ने अप्रैल 2025 से पहले सुझाव मांगे

भारतीय निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, वोटर-आधार को लिंक करने का मकसद आगामी चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशिता और एफिशिएंसी को बढ़ाना है। चुनाव आयोग 31 मार्च से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, जिला चुनाव अधिकारियों और मुख्य चुनाव अधिकारियों के लेवल पर मीटिंग करेगा।

इसके लिए पिछले 10 साल में पहली बार चुनाव आयोग ने कानूनी ढांचे के भीतर सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक आधिकारिक तौर पर सुझाव मांगे हैं।

पहले भी हो चुकी है ऐसी कोशिश

इससे पहले 2015 में भी ऐसी ही कोशिश हो चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया था। 2015 में चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम चलाया था। उस समय चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से ज्यादा वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रोसेस पूरा कर लिया था। ये प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रुकी।

दरअसल, वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हट गए थे। इसी को लेकर आधार की संवैधानिकता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को वोटर आईडी और आधार को लिंक करने से रोक दिया था।

सीएम हेमंत सोरेन का बीजेपी पर हमला, बोले- जेल में नहीं होता तो एनडीए को झारखंड में खाता नहीं खोलने देता

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरन आज वोटर अधिकार यात्रा में शामिल होने बिहार की राजधानी पटना पहुंचे। पटना में वोटर अधिकार यात्रा के समापन के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने केन्द्र और बिहार सरकार पर जमकर हमला बोला। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस दौरान एनडीए सरकार पर साजिश के तहत ईडी और इनकम टैक्स जैसे हथकंडों के जरिए विपक्षी जनप्रतिनिधियों को डराने का आरोप लगाया।

2014 में कुछ चालाक लोगों ने सता पर कब्जा किया-हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरन ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि वोट किसी पार्टी का नहीं, वोट देश का है। वोट से संविधान और देश बचता है। 2014 में कुछ चालाक और चतुर लोगों ने सता पर कब्जा कर लिया। आज फूट डालो और राज करो पर अमल कर रहे हैं। आज सीबीआई और ईडी के बल पर जनप्रतिनिधियों को डराया जा रहा है।

वोट रिवीजन कराने की चेतावनी

हेमंत सोरेने ने आगे कहा कि कहा कि वोट चोरी की यह प्रक्रिया कोई नई नहीं है, लेकिन राहुल गांधी ने अब इन्हें बेनकाब करने का काम किया है। बिहार का चुनाव केवल बिहार का नहीं पूरे देश को बचाने का चुनाव है। सोरेन ने आरोप लगाया कि साजिश के तहत उन्हें जेल में डाल दिया गया, वरना जिस तरह झारखंड में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, उसी तरह लोकसभा में भी एनडीए को खाता खोलने का मौका नहीं मिलता। अगर है हिम्मत तो देश की गद्दी छोड़ो वोट रिवीजन कराओ तब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

बिहार में हम हाइड्रोजन बम दिखाएंगे, मोदी जी अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे, पटना में गरजे राहुल

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कांग्रेस सांसद और लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पटना में ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ को संबोधित किया। जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने एक बार फिर वोट चोरी का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा, यह यात्रा बिहार से शुरू हुई और हमने इसे ‘वोटर अधिकार यात्रा’ नाम दिया। यहां महाराष्ट्र के नेता मौजूद हैं। महाराष्ट्र में चुनाव चोरी किया गया था। एक करोड़ नए वोटर जोड़े गए और उनके वोट बीजेपी गठबंधन को मिले। लोकसभा चुनाव में हम जीते, लेकिन विधानसभा में हार गए, क्योंकि बीजेपी ने वोट चोरी की।

देश के सामने सबूत रखा-राहुल गांधी

जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा माधवापुरा, बैंगलोर सेंट्रल की सीट में हमने दिखाया कि एक एसेंबली में एक लाख से ज्यादा फर्जी वोटर थे। बैंगलोर सेंट्रल में 7 विधानसभा हैं, 6 में हम जीतते हैं, जहां ज्यादा फर्जी वोट थे, वहां हम हार जाते हैं। उसी एक सीट के चलते बीजेपी लोकसभा चुनाव जीत जाती है। हमारे लोगों ने कागज की वोटर लिस्ट से फोटो-नाम-एड्रेस मिलाकर काम किया। 4 महीने लगे, हमने 16-17 घंटे रोज काम किया और देश के सामने सबूत रखा।

संविधान की हत्या करने की साजिश-राहुल गांधी

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, जिन शक्तियों ने महात्मा गांधी की हत्या की थी, वही लोग आज संविधान की हत्या करने की साजिश में लगे हुए हैं। हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे। बिहार में इस यात्रा को जबरदस्त समर्थन मिला है। बीजेपी के लोग काले झंडे दिखा रहे हैं, लेकिन वे सुन लें, एटम बम से बड़ा हाइड्रोजन बम होता है, और वह आ रहा है। वोट चोरी की सच्चाई पूरे देश के सामने आने वाली है। इसके बाद नरेंद्र मोदी देश की जनता को अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे।

मोदी और शाह आपको डुबा देंगे-खरगे

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी रैली को संबोधित किया। खरगे ने कहा, इस 15 दिन की यात्रा पूरे देश में चर्चा चली। भाजपा ने इसमें रुकावट डालने की पूरी कोशिश की। गठबंधन के लोग राहुल जी या तेजस्वी जी नहीं डरे। वोट चोरी करने वाले पैसा चोरी करने की भी आदत रखते हैं। बैंक से चोरी कर बाहर जाने वालों को भी यह संभालते हैं। मोदी जी बिहार में वोट चोरी कराकर जीतना चाहते हैं। सतर्क नहीं रहेंगे तो यह मोदी और शाह आपको डुबा देंगे। आजादी के बाद जो वोट का अधिकार दिलाया गया, उसे खोना नहीं। यह महात्मा गांधी, आंबेडकर और नेहरु जी ने अधिकार दिया है।

सीएम नीतीश पर भी बरसे खरगे

सीएम नीतीश कुमार पर हमला करते हुए खरगे ने कहा कि यह आरएसएस वाले आपको कचरा में जाकर फेकेंगे। खरगे ने पुलिस को राहुल गांधी की यात्रा रोकने के लिए भी आड़े हाथ लिया। खरगे ने कहा, यहां पुलिस का सही इंतजाम क्यों नहीं? राहुल जी, मैं विपक्ष का नेता, तेजस्वी बिहार में विपक्ष के नेता, लेकिन पुलिस का इस सभा में सही इंतजाम नहीं। यहां धक्का-मुक्की हो रही है। पुलिस जान ले कि अभी हमारी सरकार नहीं लेकिन कम हम भी सत्ता में आएंगे।

पश्चिम बंगाल में 13.69 प्रतिशत फर्जी मतदाता, SIR से पहले रिसर्च रिपोर्ट में बड़ा दावा

देशभर में मतदाता सूची को लेकर राजनीतिक दलों के बीच चल रही बहस अब पश्चिम बंगाल तक पहुंच गई है. बिहार में चुनाव आयोग के विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान (SIR) के दौरान लाखों नाम काटे जाने के बाद अब पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची पर भी सवाल खड़े हो गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य की मतदाता सूची में करीब 13.69 प्रतिशत नाम फर्जी या मृतकों के हैं.

बिहार में 65 लाख से अधिक मतदाता सूची से हटाए जाने के बाद अब चुनाव आयोग ने संकेत दिया है कि पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर अभियान चलाया जाएगा. हालांकि आयोग ने इस प्रक्रिया की समय-सीमा स्पष्ट नहीं की है.

पश्चिम बंगाल में आखिरी बार मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण 2002 में हुआ था. बीते 22 वर्षों में इस सूची की ठीक से समीक्षा नहीं की गई, जिसके चलते मृतकों और डुप्लीकेट नामों को हटाया ही नहीं गया.

शोध रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

अगस्त 2025 में प्रकाशित शोध Electoral Roll Inflation in West Bengal: A Demographic Reconstruction of Legitimate Voter Counts (2024) में विद्यु शेखर (एसपी जैन, मुंबई) और मिलन कुमार (आईआईएम विशाखापत्तनम) ने पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची का गहन विश्लेषण किया है. अध्ययन के अनुसार, 2024 की मतदाता सूची में करीब 1.04 करोड़ अतिरिक्त नाम मौजूद हैं. यह कुल सूची का लगभग 13.69 प्रतिशत है. शोध में चेतावनी दी गई है कि यह आंकड़ा न्यूनतम है, वास्तविक संख्या इससे भी अधिक हो सकती है.

शोध में दावा किया गया है कि बिहार की तरह पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में भी मृत लोगों के नाम बड़े पैमाने पर दर्ज हैं। 2004 की सूची में राज्य में 4.74 करोड़ मतदाता थे. बीस साल बाद प्राकृतिक मृत्यु दर और उम्र के आधार पर अनुमान लगाया गया कि इनमें से लगभग एक करोड़ लोग अब जीवित नहीं हैं। इसके बावजूद उनके नाम मतदाता सूची से हटाए नहीं गए हैं.

अध्ययन के अनुसार, 1986 से 2006 के बीच जन्मे और 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले नए मतदाताओं को जोड़ने और प्रवासन को घटाने के बाद, 2024 में पश्चिम बंगाल में वैध मतदाताओं की संख्या करीब 6.57 करोड़ होनी चाहिए थी, लेकिन चुनाव आयोग के आंकड़ों में यह संख्या 7.61 करोड़ दर्ज है यानी करीब 1.04 करोड़ नाम अतिरिक्त पाए गए। यह अंतर चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डाल सकता है.

अल्पसंख्यक इलाकों में मतदाताओं की संख्या में इजाफा

शोध में यह भी पाया गया कि अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में मतदाता संख्या में असामान्य वृद्धि हुई है. कई क्षेत्रों में मतदाता संख्या वास्तविक जनसंख्या से भी अधिक दर्ज की गई. साथ ही 2011 के बाद राज्य से होने वाले पलायन को भी सूची में नहीं जोड़ा गया, जबकि यह संख्या लगातार बढ़ रही है. अगर इसे शामिल किया जाता तो वैध मतदाताओं की संख्या और कम हो जाती.

बिहार के अनुभव को देखते हुए अब पश्चिम बंगाल में भी यह आशंका गहराने लगी है कि बड़े पैमाने पर मतदाता सूची से नाम हट सकते हैं. इससे राजनीतिक दलों के बीच टकराव और बढ़ सकता है. विपक्ष जहां इसे फर्जी वोटरों को बचाने की साजिश बताएगा, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे लोकतंत्र की मजबूती और पारदर्शिता के लिए आवश्यक कदम करार दे सकता है.

चुनाव आयोग पर राहुल गांधी का हमला जारी, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोले- वोट चोरी पकड़ने में हमें 6 महीने लगे

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कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर करारा हमला बोला है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के एसआईआर प्रोजेक्ट पर सवाल उठाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भारत के चुनाव आयुक्त भाजपा के साथ मिले हुए हैं और वह भाजपा के लिए वोट की चोरी करवा रहे हैं।

चुनाव आयोग की निष्पक्षता लगातार हमलावर

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बीते कुछ समय से चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर लगातार हमलावर हैं। उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक और कुछ अन्य जगहों की मतदाता सूची के आधार पर चौंकाने वाले दावे किए हैं। मतदाता सूची में जोड़े गए हजारों-लाखों नाम का उल्लेख करते हुए राहुल ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन न करते हुए वोट की चोरी की जा रही है। उन्होंने कई आंकड़ों का हवाला देते हुए चुनाव आयोग को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि आयोग की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में है।

महाराष्ट्र में 40 लाख वोटर रहस्यमय- राहुल गांधी

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट को लेकर इलेक्शन कमीशन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि वोटिंग पर लोगों को शंका हो रही। अब चुनाव प्रक्रिया लंबे समय तक चल रही है। यूपी में अलग दिन और बिहार अलग दिन मतदान होता है। महीनों चलने वाली चुनाव प्रक्रिया के बाद एग्जिट पोल में कुछ और नतीजे नजर आते हैं और रिजल्ट दूसरा आता है। महाराष्ट्र चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां 40 लाख वोटर रहस्यमय हैं।

महाराष्ट्र की पूरी जनसंख्या से ज्यादा वोटर जुड़े-राहुल गांधी

एक समय था जब इलेक्ट्रॉनिक मशीन नहीं थी, पूरा देश एक दिन वोट करता था। लेकिन आज के जमाने में यूपी में अलग-अलग वोटिंग होती है। बिहार में कभी और हो रही है। महीनों के लिए वोटिंग चलती है। हम इसी को लेकर चिंतित है, महीनों के लिए वोटिंग क्यों चलती है। राहुल गांधी ने कहा, महाराष्ट्र में 5 महीने में इतने वोटर जुड़े हैं जितने 5 साल में नहीं जुड़े। महाराष्ट्र की पूरी जनसंख्या से ज्यादा वोटर जुड़े हैं। जिससे और ज्यादा संदेह पैदा होता है। राहुल गांधी ने आगे कहा, चुनाव आयोग ने हमें वोटर लिस्ट देने से इनकार कर दिया। उन्होंने महाराष्ट्र चुनाव में कहा कि 5:30 बजे के बाद भारी मात्रा में वोटिंग हुई है। लेकिन, हम जानते हैं कि ऐसा नहीं हुआ है।

एक ही मतदाता कई राज्यों में वोट डालते हैं- राहुल गांधी

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि एक ही व्यक्ति कई राज्यों में कई वोट डालते हैं। एक ही मतादाता कई राज्यों में वोट डालते हैं। ऐसे वोटरों की संख्या हजारों में हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में ऐसे 40 हजार से अधिक वोटरों के पता फर्जी पाए गए। हाउस नंबर-0 पर एक साथ कई मतदाता रजिस्टर्ड हैं। कर्नाटक में एक कमरे के एक घर में 80 वोटर रजिस्टर्ड हैं। ऐसे 10,452 वोटर्स हैं जो एक ही पते पर रजिस्टर्ड हैं।

चुनाव आयोग डेटा नष्ट कर रहा- राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी की तरफ से जुटाए गए सबूतों का जिक्र करते हुए कहा कि वोटों की चोरी भाजपा के लिए की जा रही है। मतदाता सूची के मुद्दे पर कांग्रेस सांसद ने सवाल किया कि आयोग इस मुद्दे पर जवाब क्यों नहीं दे रहा है। राहुल गांधी ने कहा कि मौजूदा वक्त में सीसीटीवी फुटेज और वीडियो को क्राइम में साक्ष्य माना जाता है। इसलिए चुनाव आयोग इन डेटा को नष्ट करने में लगा है।

बिहार वोटर लिस्ट मामलाः 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

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बिहार के वोटर लिस्ट रीविजन (एसआईआर) को लेकर पूरे देश में घमासान मचा हुआ है। संसद में विपक्ष विरोध प्रदर्शन कर रही है और इसके खिलाफ आवाज उठा रही है। वहीं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में एसआईआर से जुड़ी याचिका दायर की गई है। कोर्ट में इन याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है।सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में एसआईआर के बाद प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने के आरोपों पर चुनाव आयोग से शनिवार तक जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सवाल किया है कि क्या एक अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट सूची को राजनीतिक दलों के साथ साझा किया गया था या नहीं?

जस्टिस सूर्यकांत, उज्जल भुयान और एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने चुनाव आयोग से कहा, हमें हर उस वोटर की जानकारी चाहिए जिसका नाम हटाया गया है। ये देखें कि किस आधार पर नाम हटे हैं।

एडीआर ने याचिका दायर कर की ये मांग

दरअसल, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका दायर कर निर्वाचन आयोग ने ड्राफ्ट लिस्ट में जो 65 लाख लोगों के नाम हटाए हैं उनकी जानकारी प्रकाशित करने के लिए आयोग को निर्देश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। ADR की ओर से सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रशांत भूषण ने मामला मेंशन किया। 65 लाख लोगों को मसौदा सूची से हटाए जाने के संबंध में दाखिल आवेदन को मेंशन किया।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि हम ने राजनीतिक दलों को हटाए गए लोगों की सूची दी है। हम वोटर लिस्ट को साफ करने का काम कर रहे हैं। हमारा मकसद है कि अपात्र लोग हटें और केवल सही लोग वोटर लिस्ट में रहें। सुप्रीम कोर्ट ने आवेदन पर चुनाव आयोग से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

65 लाख लोगों के हटाए गए नाम

बता दें कि बिहार में SIR प्रक्रिया के तहत, चुनाव आयोग ने आदेश दिया था कि सिर्फ उन्हीं वोटर्स को ड्राफ्ट रोल में शामिल किया जाएगा जो 25 जुलाई तक गणना फॉर्म जमा करेंगे। चुनाव आयोग ने कहा कि राज्य के 7.89 करोड़ पंजीकृत वोटर्स में से 7.24 करोड़ से फॉर्म हासिल हो चुके हैं, यानी बाकी 65 लाख को हटा दिया गया है। आयोग ने 25 जुलाई को बताया, 22 लाख वोटर्स की मृत्यु हो चुकी है, जबकि 35 लाख या तो स्थायी रूप से पलायन कर गए हैं या फिर उनका पता नहीं चल पाया है, 7 लाख वोटर्स एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं।

बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण: 86.32% गणना प्रपत्र जमा, अंतिम 10 दिनों में बीएलओ करेंगे घर-घर संपर्क


पटना, 15 जुलाई 2025 – बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत मतदाता सूची को अद्यतन करने का कार्य तेजी से जारी है। अब तक राज्य में 86.32% गणना प्रपत्र (Enumeration Forms - EF) एकत्र किए जा चुके हैं, और शेष मतदाताओं से संपर्क स्थापित करने के लिए लगभग 1 लाख बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) जल्द ही घर-घर जाकर सर्वेक्षण का तीसरा दौर शुरू करेंगे। यह अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए है कि कोई भी पात्र मतदाता प्रारूप मतदाता सूची में शामिल होने से वंचित न रहे।

राज्य में कुल 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,81,67,861 ने अपने गणना प्रपत्र जमा कर दिए हैं। मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित और एक से अधिक स्थानों पर नामांकित व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए, एसआईआर के ईएफ संग्रह चरण में बिहार के लगभग 7.9 करोड़ मतदाताओं में से 90.84% को कवर किया गया है। अब 25 जुलाई की अंतिम समय-सीमा से पहले केवल 9.16% मतदाताओं को अपने भरे हुए ईएफ जमा करने हैं।

शेष मतदाताओं को समय पर अपने प्रपत्र भरने और 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाली प्रारूप मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के 5,683 वार्डों में विशेष शिविर स्थापित किए गए हैं और समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। बीएलओ मतदाताओं को अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके ECINet ऐप या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से अपने फॉर्म ऑनलाइन भरने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं।

ECINet के माध्यम से, मतदाता अपने EF ऑनलाइन भर सकते हैं और 2003 ईआर में अपने नाम भी खोज सकते हैं। वे ECINet ऐप का उपयोग करके अपने बीएलओ सहित अपने चुनाव अधिकारियों से भी जुड़ सकते हैं। आज शाम 6.00 बजे तक प्लेटफॉर्म पर 6.20 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए जा चुके हैं। अपने ईएफ जमा करने की स्थिति की जांच के लिए एक नया मॉड्यूल आज रात https://voters.eci.gov.in पर लाइव हो जाएगा।

बीएलओ के प्रयासों में सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बीएलए (बूथ लेवल एजेंट) भी सहायता कर रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक प्रतिदिन 50 ईएफ तक प्रमाणित और जमा कर सकता है। शहरी क्षेत्रों में किसी भी पात्र मतदाता के छूटने को रोकने के लिए, सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण: 83.66% प्रपत्र जमा, ECI ने पारदर्शिता और पहुंच बढ़ाने के लिए उठाए कदम

बिहार में चल रहे SIR (सिस्टमैटिक इनरोलमेंट रिविजन) में भरे हुए गणना प्रपत्र (EFs) जमा करने की अंतिम तिथि में 11 दिन शेष रहने के साथ, BLOs (बूथ लेवल अधिकारी) द्वारा घर-घर जाकर किए गए दो दौर के बाद, बिहार में 7,89,69,844 मतदाताओं में से 6,60,67,208 या 83.66% मतदाताओं के EF एकत्र किए गए हैं।

अब तक 1.59% मतदाताओं को मृत पाया गया है, 2.2% स्थायी रूप से स्थानांतरित पाए गए हैं और 0.73% व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर नामांकित पाए गए हैं।

इसलिए, 88.18% मतदाताओं ने या तो पहले ही अपना EF जमा कर दिया है या उनकी मृत्यु हो गई है या उन्होंने अपना नाम एक ही स्थान पर रखा है या वे अपने पिछले निवास स्थान से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। अब केवल 11.82% मतदाताओं को अपने भरे हुए EF जमा करने हैं और उनमें से कई ने आने वाले दिनों में दस्तावेजों के साथ अपने गणना प्रपत्र जमा करने के लिए समय मांगा है।

ECI (भारत निर्वाचन आयोग) यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और शेष मतदाता अपने EF भरें। लगभग 1 लाख BLOs जल्द ही अपने घर-घर जाकर दौरे का तीसरा दौर शुरू करेंगे। उनके प्रयासों को सभी राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख BLAs (बूथ लेवल एजेंट) द्वारा बढ़ाया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक प्रति दिन 50 EF तक प्रमाणित और जमा कर सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी पात्र शहरी मतदाता ER (इलेक्टोरल रोल) से न छूटे, बिहार के सभी 261 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) के सभी 5,683 वार्डों में विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं।

उन मतदाताओं के लिए जो अस्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए हैं, समाचार पत्रों के विज्ञापनों और ऐसे मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क के माध्यम से केंद्रित प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे समय पर अपने EF भर सकें और 1 अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाले प्रारूप मतदाता सूची में उनके नाम भी शामिल किए जा सकें। ऐसे मतदाता ECINet ऐप के माध्यम से अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके या https://voters.eci.gov.in पर ऑनलाइन फॉर्म के माध्यम से आसानी से EF ऑनलाइन भर सकते हैं (SIR दिशानिर्देशों के पैरा 3(d) के अनुसार)। वे अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से या व्हाट्सएप या इसी तरह के अनुप्रयोगों सहित किसी भी ऑनलाइन माध्यम से संबंधित BLOs को अपने फॉर्म भी भेज सकते हैं।

नवीनतम तकनीक और डिजिटलीकरण के उपयोग की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, ECI द्वारा हाल ही में लॉन्च किया गया ECINet प्लेटफॉर्म, एक एकल एकीकृत प्लेटफॉर्म है जो पहले के 40 विभिन्न ECI अनुप्रयोगों को subsume कर रहा है, इसे बिहार SIR अभ्यास के सभी पहलुओं के लिए भी तैयार किया गया है और यह कुशलता से चल रहा है।

ECINet के माध्यम से, मतदाता अपने इलेक्ट्रॉल फॉर्म ऑनलाइन भरने और जहां भी लागू हो, 2003 मतदाता सूची में अपने नाम खोजने में सक्षम हैं। मतदाता ECINet ऐप का उपयोग करके अपने चुनाव अधिकारियों, जिसमें उनके BLOs भी शामिल हैं, से भी जुड़ सकते हैं।

ECINet क्षेत्र-स्तर के चुनाव पदाधिकारियों के लिए फॉर्म और दस्तावेजों को अपडेट करने की प्रक्रिया को भी तेज कर रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज शाम 6.00 बजे तक 5.74 करोड़ से अधिक गणना प्रपत्र अपलोड किए गए हैं। ECINet के दस्तावेज़ समीक्षा मॉड्यूल ने AEROs (सहायक चुनावी पंजीकरण अधिकारी), EROs (चुनावी पंजीकरण अधिकारी) और DEOs (जिला चुनाव अधिकारी) द्वारा मतदाताओं की पात्रता के सत्यापन की गति को भी सुव्यवस्थित तरीके से तेज किया है।

बिहार के 4.96 करोड़ मतदाताओं के लिए खुशखबरी: 2003 की वोटर लिस्ट ECI वेबसाइट पर उपलब्ध, अब नहीं लगेंगे दस्तावेज

1.भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार की 2003 की मतदाता सूची, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण शामिल है, को ईसीआई वेबसाइट – https://voters.eci.gov.in पर अपलोड कर दिया है।

2. ईसीआई के 24 जून, 2025 के निर्देशों के पैरा 5 में यह उल्लेख किया गया था कि सीईओ/डीईओ/ईआरओ 01.01.2003 की अर्हक तिथि वाली मतदाता सूचियों को सभी बीएलओ को हार्ड कॉपी में, साथ ही अपनी वेबसाइट पर ऑनलाइन भी मुफ्त में उपलब्ध कराएंगे ताकि कोई भी व्यक्ति इसे डाउनलोड कर सके और अपना गणना प्रपत्र जमा करते समय इसे दस्तावेजी प्रमाण के रूप में उपयोग कर सके।

3. बिहार की 2003 की मतदाता सूचियों की आसान उपलब्धता, बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को बहुत सुविधा प्रदान करेगी क्योंकि अब कुल मतदाताओं का लगभग 60 प्रतिशत हिस्सा कोई भी दस्तावेज़ जमा नहीं करेगा। उन्हें केवल 2003 की मतदाता सूची में अपने विवरण को सत्यापित करना होगा और भरा हुआ गणना प्रपत्र जमा करना होगा। मतदाता और बीएलओ दोनों इन विवरणों को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।

4. इसके अलावा, निर्देशों के अनुसार, जिसका नाम 2003 की बिहार मतदाता सूची में नहीं है, वह अभी भी अपने माता या पिता के लिए कोई अन्य दस्तावेज़ प्रदान करने के बजाय 2003 की मतदाता सूची का अंश उपयोग कर सकता है। ऐसे मामलों में, उसके माता या पिता के लिए किसी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी। केवल 2003 की मतदाता सूची का प्रासंगिक अंश/विवरण पर्याप्त होगा। ऐसे मतदाताओं को केवल अपने लिए, भरे हुए गणना प्रपत्र के साथ, दस्तावेज़ जमा करने होंगे।

5.यह दोहराया जाता है कि प्रत्येक चुनाव से पहले, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21(2)(ए) और मतदाता पंजीकरण नियम 1960 के नियम 25 के अनुसार मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। ईसीआई अब तक 75 वर्षों से वार्षिक पुनरीक्षण, गहन और संक्षिप्त दोनों, करता रहा है।

6. यह अभ्यास आवश्यक है क्योंकि मतदाता सूची हमेशा एक गतिशील सूची होती है जो मृत्यु, व्यवसाय/शिक्षा/विवाह जैसे विभिन्न कारणों से लोगों के स्थानांतरण, 18 वर्ष के नए मतदाताओं के जुड़ने आदि के कारण बदलती रहती है।

7. इसके अलावा, संविधान का अनुच्छेद 326 एक मतदाता बनने की पात्रता को निर्दिष्ट करता है। केवल भारतीय नागरिक, 18 वर्ष से अधिक आयु के और उस निर्वाचन क्षेत्र के सामान्य निवासी, एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के पात्र हैं।

बैक डोर से एनआरसी लाने की कोशिश, टीएमसी ने मतदाता सूची की जांच पर उठाए सवाल

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पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण पर सवाल उठाया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने चुनाव आयोग पर इसको लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। चुनाव आयोग के अभियान की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि विपक्षी इंडी गठबंधन की पार्टियां इस मुद्दे को संसद के भीतर और बाहर दोनों जगह उठाएंगी।

एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार

दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्रायन कहा कि बिहार से शुरू होकर पश्चिम बंगाल में लागू होने जा रही ‘स्पेशल इंटेंसिव रिविजन ऑफ इलेक्टोरल रोल’ की प्रक्रिया संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ है। टीएमसी सांसद ने इसे ‘पीछे के दरवाज़े से एनआरसी लागू करने की खतरनाक साज़िश’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कवायद संदिग्ध समय पर शुरू की गई है।

चुनावी गणित बदलने की कोशिश का आरोप

डेरेक ओ’ब्रायन ने सवाल उठाया, अब अचानक इस प्रक्रिया की क्या जरूरत पड़ गई? उन्होंने दावा किया, हमारे पास सबूत हैं कि यह कवायद क्यों की जा रही है। बीजेपी के आंतरिक सर्वे में उन्हें बंगाल में केवल 46-49 सीटें मिलती दिख रही हैं, और इसी हताशा में वे चुनावी गणित बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि चुनाव आयोग ने पिछले सोमवार को बिहार में इस विशेष गहन समीक्षा की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए थे, जिसका मकसद अपात्र नामों को हटाना और पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल करना बताया गया है। यह कवायद बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हो रही है। बिहार में पिछली बार इस तरह की समीक्षा 2003 में हुई थी।

आधार कार्ड से लिंक होगा मतदाता पहचान पत्र, चुनाव आयोग-गृह मंत्रालय की बैठक में फैसला

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केंद्र सरकार वोटर आईडी और आधार को लिंक करने की तैयारी कर रही है। इसे लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें दोनों को लिंक करने पर सहमति बनी।चुनाव आयोग ने मंगलवार को कहा कि मतदाता पहचान-पत्रों को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। इसके साथ ही इसके लिए यूआईडीएआई और उसके विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने निर्वाचन सदन नई दिल्ली में केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव और यूआईडीएआई के सीईओ तथा चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक की। बैठक में निर्णय लिया गया कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326 के प्रावधानों के अनुसार ही किया जाएगा। कहा गया कि इस संबंध में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही आगे की चर्चा करेंगे। 

क्या कहता है अनुच्छेद 326

भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिक को दिया जा सकता है, आधार कार्ड केवल एक व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि ईपीआईसी को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों के अनुसार और डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 177/2023 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप ही किया जाएगा। अब यूआईडीएआई और ईसीआई के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू किया जाएगा।

संविधान में हैं वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान

संविधान में भी वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का प्रावधान है।बताया जाता है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23, जिसे चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 कहा जाता के मुताबिक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी मौजूदा या भावी मतदाताओं से स्वैच्छिक आधार पर पहचान स्थापित करने के लिए आधार संख्या प्रदान करने की मांग कर सकते हैं। यह कानून मतदाता सूची को आधार डाटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।

चुनाव आयोग ने अप्रैल 2025 से पहले सुझाव मांगे

भारतीय निर्वाचन आयोग के सूत्रों के अनुसार, वोटर-आधार को लिंक करने का मकसद आगामी चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशिता और एफिशिएंसी को बढ़ाना है। चुनाव आयोग 31 मार्च से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, जिला चुनाव अधिकारियों और मुख्य चुनाव अधिकारियों के लेवल पर मीटिंग करेगा।

इसके लिए पिछले 10 साल में पहली बार चुनाव आयोग ने कानूनी ढांचे के भीतर सभी राष्ट्रीय और राज्य-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से 30 अप्रैल 2025 तक आधिकारिक तौर पर सुझाव मांगे हैं।

पहले भी हो चुकी है ऐसी कोशिश

इससे पहले 2015 में भी ऐसी ही कोशिश हो चुकी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया था। 2015 में चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम चलाया था। उस समय चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से ज्यादा वोटर आईडी को आधार से लिंक करने का प्रोसेस पूरा कर लिया था। ये प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रुकी।

दरअसल, वोटर आईडी को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हट गए थे। इसी को लेकर आधार की संवैधानिकता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को वोटर आईडी और आधार को लिंक करने से रोक दिया था।