ट्रंप-जेलेंस्की विवाद पर खुश हो गया रूस, बोला- जेलेंस्की को मारा नहीं...संयम दिखाना एक चमत्कार है

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच बैठक में विवाद के बाद रूस गदगद है।यूक्रेन के प्रेसीडेंट वोलोडिमीर जेलेंस्की की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ हुई तीखी बहस पर रूस ने प्रतिक्रिया दी है। रूस का कहना है कि जेलेंस्की का बर्ताव बिल्कुल ठीक नहीं था और उनके खराब रवैये के बावजूद ट्रंप ने संयम दिखाया है वो चमत्कार से कम नहीं है।

रूस ने ‘संयम’ दिखाने के लिए ट्रंप की प्रशंसा की

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने भी यूक्रेनी नेता के साथ ‘संयम’ दिखाने के लिए ट्रंप की प्रशंसा की साथ ही उन्होंने जेलेंस्की को “बदमाश” कहा। मारिया ज़खारोवा ने टेलीग्राम पर लिखा, 'मुझे लगता है कि जेलेंस्की का सबसे बड़ा झूठ यह था कि 2022 में यूक्रेन अकेला था, उसको किसी का समर्थन नहीं था। जेलेंस्की ने एक के बाद एक झूठ बोला और बदमाशी की। मुझे हैरत है कि ट्रंप और वेंस ने उनको मारा कैसे नहीं, इतना संयम दिखाना एक चमत्कार है।'

रूस ने कहा-“उचित तमाचा”

वहीं, रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान शीर्ष अधिकारी दिमित्री मेदवेदेव ने ओवल ऑफिस में ट्रंप द्वारा ज़ेलेंस्की झाड़ लगाने को “उचित तमाचा” बताया। रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष मेदवेदेव ने टेलीग्राम पर पोस्ट किया, "ओवल ऑफिस में क्रूर तरीके से पिटाई की गई।" मेदवेदेव ने कहा, "पहली बार, ट्रंप ने कोकिन जोकर को उसके मुंह पर सच बताया। कीव शासन तीसरे विश्व युद्ध के साथ खेल रहा है। एहसान फरामोश सुअर को सुअर पालने के मालिकों से जोरदार तमाचा मिला है। यह जरूरी है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं। हमें नाजी मशीन को सैन्य सहायता बंद करनी चाहिए।"

कैसे हुई शुरुआत?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को ओवल ऑफिस में अहम बैठक हुई। ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और जेलेंस्की के बीच लगभग 45 मिनट बातचीत हुई, जिसमें अंतिम 10 मिनट तीनों के बीच काफी तीखी बहस हुई। जेलेंस्की ने अपना पक्ष रखते हुए कूटनीति के प्रति रूस की प्रतिबद्धता पर संदेह व्यक्त किया। तनातनी की शुरुआत वेंस की ओर से जेलेंस्की से यह कहे जाने के साथ हुई कि मुझे लगता है कि आपका ओवल ऑफिस में आकर अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा करने की कोशिश करना अपमानजनक है। राष्ट्रपति जी पूरे सम्मान के साथ मैं यह बात कर रहा हूं। जेलेंस्की ने आपत्ति जताने की कोशिश की, जिस पर ट्रंप ने तेज आवाज में कहा, 'आप लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।' ट्रंप ने कहा, 'आप तीसरे विश्वयुद्ध को न्योता दे रहे हैं और आप जो कर रहे हैं वह देश के प्रति बहुत अपमानजनक है, यह वह देश है जिसने आपका बहुत अधिक समर्थन किया है।'

बिना कुछ खाए व्हाइट हाउस से निकले जेलेंस्की, ऐसे होती है दो देशों के नेताओं के बीच मुलाकात?

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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। बातचीत के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के बीच जोरदार बहस हो गई। जेलेंस्की अपने दावे कर रहे थे तो ट्रंप अपने तेवर दिखा रहे थे।रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लेकर हो रही बातचीत अचानक जुबानी जंग में तब्दील हो गई। ट्रंप और जेलेंस्की एक-दूसरे से बहस करते और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आए। नौबत यहां तक पहुंच गई कि ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से चले जाने और समझौते को तैयार होने के बाद ही वार्ता के लिए आने को कह दिया।

ट्रंप ने जिस तरह से जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर जाने को कहा, उसे साफ तौर पर बेइज्जत करके बाहर निकालना कहते हैं। यहां तक की इतनी दूर से आए किसी देश के मुखिया को अपने घर पर निमंत्रित कर खाने तक को नहीं पूछा गया। तीखी नोकझोंक के बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहते थे कि सब ठीक हो जाए। ट्रंप से आगे की बात की जाए। दुनिया को नया संदेश दिया जाए कि ऑल इज वेल। पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कहां मानने वाले थे। उन्होंने साफ-साफ संदेश भिजवा दिया। कह दो जेलेंस्की से कि वो चला जाए।

जेलेंस्की के साथ तकरार के बाद ट्रंप ने अपने सलाहकारों के साथ बातचीत की और वहां से निकल गए। दूसरी ओर यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल करीब एक घंटे तक दूसरे कमरे में इंतजार करता रहा। यूक्रेनी डेलीगेशन को उम्मीद थी कि खनिज सौदे पर हस्ताक्षर हो जाएंगे और यात्रा को खराब होने से बचाया जा सकेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस छोड़ने के लिए कह दिया। ऐसे में जेलेंस्की को खाली हाथ वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जेलेंस्की का दौरा कितने खराब माहौल में खत्म हुआ इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद उन्होंने अपने दो सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द कर दिए। उन्होंने एक्स पर अमेरिका का धन्यवाद करते हुए लिखा कि यूक्रेन को स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम उसके लिए काम कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जेलेंस्की बिना खाना खाए ही वाइट हाउस से लौट गए।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ओवल ऑफिस में हुई बहस के बाद वाइट हाउस के अंदर एक बार फिर जेलेंस्की की बेइज्जती हुई। ओवल ऑफिस में हुई बहस के फौरन बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रमुख सलाहकारों के साथ बैठक की। जेलेंस्की संग क्या किया जाए और क्या नहीं, इस पर ट्रंप ने चर्चा की। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने वेंस, रुबियो, बेसेंट आदि से सलाह ली। यहीं पर ट्रंप ने फैसला किया कि जेलेंस्की बातचीत की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने विदेश मंत्री रुबियो और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज को ये संदेश देने का निर्देश दिया- जाकर कह दो कि जेलेंस्की के अब जाने का समय हो गया है।

हैरानी की बात है कि जब ट्रंप ने यह आदेश दिया, तब बगल वाले कमरे में जेलेंस्की और उनकी टीम बैठी थी। जेलेंस्की के साथ यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल पास के एक अलग कमरे में इंतजार कर रहा था। दरअसल, जेलेंस्की और यूक्रेनी डेलीगेशन लंच का इंतजार कर रहे थे। उन्हें लगा था कि ट्रंप लंच पर बैठेंगे तो गर्मी थोड़ी शांत हो जाएगी।

व्हाइट हाउस में ट्रंप-जेलेंस्की के बीच तेज बहस, नोकझोंक के बाद ट्रंप बोले- तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं आप

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने व्हाइट हाउस में शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर की मुलाकात एक तू-तू मैं-मैं वाली बहस में बदल गई। जेलेंस्की के लिए यह बैठक बेहद शर्मिंदा करने वाली रही। जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें ओवल ऑफिस में जमकर सुनाया। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। इस पर ट्रंप ने कहा कि यूक्रेनी नेता तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं। बहस के दौरान ट्रंप ने तीखे तेवर में यूक्रेन से खनिज सौदे के लिए दबाव बनाया और कहा कि या तो आप डील करिए वरना हम (शांति प्रक्रिया) से बाहर हो जाएंगे। इसके कुछ देर बाद ही जेलेंस्की वॉइट हाउस की मीटिंग से बाहर चले गए।

ट्रंप ने कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा

ओवल ऑफिस में हुई मुलाकात के दौरान जब रूस-यूक्रेन युद्ध विराम का मुद्दा उठा तो दोनों नेताओं में बहस हो गई। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। जेलेंस्की ने ट्रंप से कहा कि व्लादिमीर पुतिन के शांति के वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने रूसी नेता के वादे तोड़ने के इतिहास को भी याद दिलाया। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे तौर पर टीवी कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा और कहा कि वह युद्ध हार रहे हैं।

ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई

ट्रंप ने कहा, आपके हाथ में कोई कार्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि आप हमारा अनादर कर रहे हैं। हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, आपको इसके साथ खेलने का कोई अधिकार नहीं है। आपको आभारी होना चाहिए. इस तरह से काम करना बहुत मुश्किल होगा। ओवल ऑफिस में बैठे हुए ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई और उन्हें ज्यादा “आभारी” होने के लिए कहा और कहा, “आप यह तय करने की स्थिति में नहीं हैं कि हम क्या महसूस करने जा रहे हैं?”

जेडी वेंस ने प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया

बहस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी कूद पड़े और जेलेंस्की पर प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया। वेंस ने कहा, मुझे लगता है कि आपके लिए ओवल ऑफिस में आना और अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा चलाने की कोशिश करना अपमानजनक है।

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने जारी किया बयान

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान जारी किया जिसमें जेलेंस्की के व्यवहार को अमेरिका के लिए अपमानजनक कहा। बयान में कहा गया कि 'आज व्हाइट हाउस में हमारी बहुत सार्थक बैठक हुई। बहुत कुछ ऐसा सीखा गया जो इस तरह की तपिश और दबाव की बातचीत के बगैर कभी नहीं समझा जा सकता था।

बयान में आगे कहा गया कि 'यह आश्चर्यजनक है कि भावनाओं के माध्यम से क्या सामने आता है, और मैंने यह निर्धारित किया है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं हैं यदि अमेरिका इसमें शामिल है, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमारी भागीदारी उन्हें वार्ता में बड़ा लाभ देती है। मुझे लाभ नहीं चाहिए, मुझे शांति चाहिए। उन्होंने प्रिय ओवल ऑफिस में संयुक्त राज्य अमेरिका का अपमान किया। जब वह शांति के लिए तैयार होंगे तो वह वापस आ सकते हैं।'

ट्रंप के वफादार काश पटेल एफबीआई निदेशक बने, सीनेट की मंजूरी मिलते ही दहाड़ा

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के काश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी एफबीआई का निदेशक नियुक्त किया है। डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक काश पटेल की एफबीआई चीफ के रूप में नियुक्ति को सीनेट ने हरी झंडी दिखा दी। सीनेट में हुए मतदान में उन्हें 51-49 के मामूली अंतर से बहुमत हासिल हुआ। डेमोक्रेट सांसदों ने काश पटेल की नियुक्ति का विरोध किया। उनकी योग्यता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि काश पटेल ट्रंप के इशारे पर काम करेंगे और रिपब्लिकन नेता के विरोधियों को निशाना बनाएंगे।

ट्रंप का जताया आभार

एफबीआई के निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप का आभार व्यक्त किया और एजेंसी को 'पारदर्शी, जवाबदेह और न्याय के लिए प्रतिबद्ध' बनाने की कसम खाई। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए, काश पटेल ने कहा, मैं संघीय जांच ब्यूरो के नौवें निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने पर सम्मानित महसूस हो रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप और अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को आपके अटूट विश्वास और समर्थन के लिए धन्यवाद।

अमेरिका के खिलाफ काम करने वालों को चेतावनी

काश पटेल ने लिखा कि डायरेक्टर के रूप में मेरा मिशन साफ है, हम एक ऐसी एफबीआई का पुनर्निर्माण करेंगे जिस पर अमेरिकी लोगों को गर्व हो। और जो लोग अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, वे इसे अपनी चेतावनी मानें। हम इस दुनिया के हर कोने में आपका पता लगा लेंगे।

काश पटेल की नियुक्ति के बाद तय है कि एफबीआई में बड़े बदलाव संभव हैं। काश पटेल पहले ही कह चुके हैं कि वह एफबीआई में बड़े बदलाव करेंगे। इनमें वाशिंगटन स्थित मुख्यालय में कर्मचारियों की संख्या में कमी और खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों के बजाय अपराध से निपटने जैसे एफबीआई के पारंपरिक कामों पर नए सिरे से जोर देना शामिल है। पिछले दो दशकों में एफबीआई की भूमिका को खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों से परिभाषित किया जाता रहा है।

नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा: मोदी-ट्रंप मुलाकात और व्यापार सौदे पर वैश्विक प्रतिक्रियाएँ

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PTI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में अपनी बैठक के दौरान व्यापार, टैरिफ और रक्षा संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप ने पहले टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, लेकिन दोनों नेताओं ने बातचीत करने की इच्छा जताई, जिससे दोनों पक्षों की ओर से संभावित रियायतों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। अपने सौदेबाजी वाले व्यक्तित्व के लिए मशहूर डोनाल्ड ट्रंप ने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे "बहुत बेहतर वार्ताकार" हैं। एक हल्के-फुल्के पल में मोदी ने ट्रंप के प्रतिष्ठित "MAGA" नारे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि वह "भारत को फिर से महान बनाने" के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों विश्व नेताओं के बीच हुई बैठक ने वैश्विक मीडिया का भी काफी ध्यान खींचा है, जिसमें विभिन्न आउटलेट्स ने उनकी चर्चाओं के प्रमुख पहलुओं का विश्लेषण किया है।

विश्व मीडिया ने पीएम मोदी-डोनाल्ड ट्रम्प की बैठक को इस तरह से कवर किया:

व्यापार और आर्थिक संबंध

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। उनकी चर्चा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर और रणनीतिक खनिज जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल थे, जिसमें दोनों नेताओं ने पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि, एक अन्य समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने भारत के उच्च आयात शुल्कों की ट्रम्प की आलोचना को उजागर किया, उन्हें "बहुत अनुचित" कहा, और पारस्परिक शुल्क लागू करने पर अपने रुख को दोहराया।

रक्षा और रणनीतिक साझेदारी

फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया कि अमेरिका भारत के साथ सैन्य संबंधों को मजबूत करना चाहता है, जिसमें 10 वर्षीय रक्षा सहयोग योजना के तहत एफ-35 लड़ाकू विमानों की संभावित बिक्री शामिल है। यह कदम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने की वाशिंगटन की व्यापक रणनीति के अनुरूप है।

आव्रजन और मानवाधिकार

अवैध आव्रजन का मुद्दा भी प्रमुखता से छाया रहा। रॉयटर्स के अनुसार, मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए तैयार है और मानव तस्करी नेटवर्क को खत्म करने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान किया। उल्लेखनीय रूप से, दोनों नेताओं ने अल्पसंख्यक अधिकारों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने से परहेज किया, जिससे वकालत समूहों की कुछ आलोचना हुई।

भारत अमेरिका से तेल आयात को बढ़ावा देगा

समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बताया कि भारत दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को कम करने के प्रयास में अमेरिका से तेल और गैस आयात को बढ़ावा देना चाहता है और संभावित प्रतिशोधात्मक शुल्कों से बचें। "मुझे लगता है कि हमने लगभग 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऊर्जा उत्पादन खरीदा है," ब्लूमबर्ग ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी के हवाले से गुरुवार को वाशिंगटन में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा। "इस बात की अच्छी संभावना है कि यह आंकड़ा 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाएगा," उन्होंने कहा। मिसरी ने कहा कि "यह पूरी तरह से संभव है कि बढ़ी हुई ऊर्जा खरीद भारत और अमेरिका के बीच घाटे को प्रभावित करने में योगदान देगी।"

बैठक पर वैश्विक दृष्टिकोण

बीबीसी ने बताया कि बैठक काफी हद तक प्रतीकात्मक थी, जिसमें व्यापार विवादों पर बहुत कम प्रगति हुई। हालांकि, इसने स्वीकार किया कि दोनों नेताओं ने रणनीतिक संबंधों और साझा भू-राजनीतिक हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए इस अवसर का उपयोग किया।

अल जजीरा ने मानवाधिकारों की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया, लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रेस की स्वतंत्रता पर चर्चा को दरकिनार करने के लिए दोनों नेताओं की आलोचना की।

समाचार एजेंसी एएफपी ने व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ पर जोर दिया, यह देखते हुए कि बैठक क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक बड़ी अमेरिकी रणनीति का हिस्सा थी। एजेंसी ने यह भी बताया कि कड़े बयानों के बावजूद, व्यापार घर्षण को हल करने में तत्काल बहुत कम प्रगति हुई है। 

एबीसी न्यूज ने दोनों देशों में घरेलू प्रतिक्रियाओं पर रिपोर्ट दी, जिसमें बताया गया कि बैठक को कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा गया, भारत और अमेरिका में विपक्षी नेताओं ने ठोस समझौतों की कमी की आलोचना की। नेटवर्क ने यह भी नोट किया कि अमेरिका में भारतीय प्रवासियों तक मोदी की पहुंच इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू था। 

सीएनएन ने बताया कि ट्रम्प के टैरिफ विकासशील देशों, खासकर भारत, ब्राजील, वियतनाम और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई और अफ्रीकी देशों को बहुत प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि उनके देशों में लाए जाने वाले अमेरिकी सामानों पर लगाए जाने वाले टैरिफ दरों में अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ दरों की तुलना में सबसे बड़ा अंतर है। उदाहरण के लिए, 2022 में, भारत से आयात पर अमेरिका की औसत टैरिफ दर 3% थी, जबकि अमेरिका से आयात पर भारत की औसत टैरिफ दर 9.5% थी, "इसने विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया।

भारत को मिलने वाला है दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार, क्या एफ-35 पर डील हो गई पक्की?


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भारत को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार मिलने वाला है। दरअसल, अमेरिका ने भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 बेचने की पेशकश कर दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट बेचेगा। ट्रंप ने वॉशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर के हथियार बेचने जा रहे हैं। हम भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट देने का रास्ता भी साफ कर रहे हैं।

ट्रंप की इस पेशकश के बाद भारत ने कहा है कि अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। यह अभी सिर्फ एक प्रस्ताव के स्तर पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, यह अभी प्रस्ताव के चरण में है। मुझे नहीं लगता कि इस बारे में औपचारिक प्रक्रिया अभी तक शुरू हुई है।

क्यों है F-35 लड़ाकू विमान की डील मुश्किल?

वहीं, अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान के सौदे में कई अड़चनें आ सकती हैं। भारत के रूस के साथ अच्छे रक्षा संबंध हैं और अमेरिका उन देशों को एफ-35 बेचने में सावधानी बरतता है जहां से इसकी तकनीक लीक होने का खतरा हो सकता है। इसी वजह से अमेरिका ने तुर्की को एफ-35 देने से मना कर दिया था, क्योंकि उसे डर था कि रूस इसकी तकनीक चुरा सकता है। यह सौदा भारत को रूस से दूर करने की अमेरिका की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि भारत ने 2018 में रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।

F-35 की खासियत

F-35 लाइटनिंग-II एक अत्याधुनिक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर विमान है। अमेरीका की लॉकहीड मार्टिन ने इसे विकसित किया है। यह फाइटर अलग अलग तरह के कांबेट मिशनों को अंजाम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड और इंटेलिजेंस जानकारी इकट्ठा करने और स्ट्रेजिक मिशन को अंजाम दिया जा सकता है। इसके 3 वेरियंट है। एयर फोर्स के लिए F-35A, F-35B वर्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग क्षमता वाला और F-35C नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर से इस्तेमाल किए जाने वाला है। यह एक सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है। इसकी रफ्तार 1.6 मैक प्रतिघंट है. अधिकत्म 50000 फिट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है। एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 2200 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसमें स्टील्थ तकनीक के चलते यह दुश्मन की रड़ार की पकड़ में नहीं आता। F-35 KS इंटर्नल कंपार्टमेंट में AMRAAM, AIM-120, और एंटी-शिप मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें आसानी से ले जा सकता है। इस एयरक्राफ्ट में एक 25 MM की गन भी लगी है। इसका कॉकपिट पूरी तरह से डिजिटल है।

अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के खिलाफ ट्रंप का बड़ा फैसला, जानिए क्यों लगाया बैन?

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अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं। अपने शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही लगातार वो अपने एक्‍शन मोड में हैं। ट्रंप एक के बाद एक फैसलों से दुनिया का ध्‍यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। अब डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका और उसके करीबी इजरायल को निशाना बनाने वाले अंतरराष्‍ट्रीय अपराध न्यायालय पर प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल, आईसीसी ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसी के आधार पर अमेरिका ने ये कार्रवाई की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने आईसीसी पर बैन लगाने की वजह बताते हुए कहा, अमेरिका और हमारे करीबी सहयोगी इजराइल को निशाना बनाने वाली नाजायज और निराधार कार्रवाइयों में शामिल होने और नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री, योव गैलेंट के खिलाफ “आधारहीन गिरफ्तारी वारंट” जारी करके अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की वजह से बैन लगाया गया है। साथ ही आदेश में कहा गया है कि अमेरिका और इजराइल पर आईसीसी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। इसी के साथ आदेश में कोर्ट को लेकर कहा गया है कि अदालत ने दोनों देशों के खिलाफ अपने एक्शन से एक “खतरनाक मिसाल” सामने रखी है।

आदेश में कहा गया है कि अमेरिका आईसीसी के “उल्लंघनों” के लिए जिम्मेदार लोगों पर ठोस एक्शन लेगा। उल्लंघन करने पर एक्शन में लोगों की प्रोपर्टी को ब्लॉक किया जा सकता है। इसी के साथ आईसीसी अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों को अमेरिका में एंट्री भी नहीं दी जाएगी।

नेतन्याहू के वाशिंगटन दौरे के बाद कार्रवाई

ट्रंप की यह कार्रवाई कोर्ट पर तब हुई है जब इजराइल के पीएम नेतन्याहू वाशिंगटन के दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने और ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में बातचीत की और नेतन्याहू ने गुरुवार का कुछ समय कैपिटल हिल में सांसदों के साथ बैठक में बिताया। इसी के बाद अब ट्रंप ने उस कोर्ट पर बैन लगा दिया है जिसने नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।

आईसीसी को मान्यता नहीं देते अमेरिका-इजराइल

बता दे कि अमेरिका और न ही इजराइल इस अदालत के सदस्य है और वो इसको मान्यता भी नहीं देते हैं। इजराइल की ही तरह अमेरिका भी कोर्ट के सदस्य देशों में शामिल नहीं है। कोर्ट के सदस्यों में 124 देश शामिल है। इससे पहले भी कोर्ट पर ट्रंप का चाबुक चला है। साल 2020 में, अफगानिस्तान पर अमेरिका सहित कई जगह से हुए युद्ध के चलते जांच शुरू की गई थी, लेकिन इस जांच के चलते ट्रंप ने वकील फतौ बेनसौदा पर बैन लगा दिया था. हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन प्रतिबंधों को हटा दिया था।

दुनिया भर में आर्थिक मदद पहुँचाने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएड बंद, जानें भारत के लिए क्यों अहम

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सरकार की प्रमुख विदेशी सहायता एजेंसी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को बंद करके उसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने एलान किया है। ट्रंप प्रशासन ने पहले विश्व भर में यूएसएड एजेंसी के प्रत्यक्ष कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया उसके बाद उसपर “ताला जड़” दिया।

मंगलवार कोऑआनलाइन पोस्ट किए गए एक नोटिस में कर्मचारियों को घर लौटने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। वाशिंगटन में भी यूएसएड के सैकड़ों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और उनसे कहा गया है कि शहर में एजेंसी के कार्यालय सप्ताह के शेष दिनों के लिए बंद रहेंगे।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद अरबपति एलन मस्क को तकरीबन सभी अमेरिकी विदेशी सहायता की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। ट्रंप की ओर से विदेशी सहायता पर रोक लगाए जाने के बाद हजारों यूएसएड कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया और दुनियाभर में इसके कार्यक्रम बंद कर दिए गए।

ट्रंप ने कहा- एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे

राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सबसे शीर्ष के सलाहकार, अरबपति एलन मस्क यूएसएड के कड़े आलोचक रहे हैं। बीते सोमवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने आरोप लगाया कि इस एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे हैं। वे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं और नाम और अन्य जानकारियां साझा नहीं कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन में सरकारी खर्च कटौती के लिए बने विभाग के अनौपचारिक प्रमुख एलन मस्क ने भी यूएसएड को बंद करने की बात कही थी। बीते एक सप्ताह में यूएसएड के दो शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और एजेंसी की वेबसाइट डाउन हो गई। यूएसएड पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता के आरोपों के अलावा मस्क ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

मस्क ने बताया आपराधिक संगठन

अपने मालिकाना हक वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर मस्क ने यूएसएड को 'बुराई', 'एक आपराधिक संगठन' और 'कट्टर वामपंथी राजनीतिक मनोवैज्ञानिक अभियान' (आम तौर पर षड्यंत्रकारी या बुरे कारनामों को ढंकने के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द) कहा। सोमवार को एक्स पर एक लाइव स्ट्रीम के दौरान उन्होंने कहा, इस पूरे मामले से निजात पाने की जरूरत है। यह लाइलाज है... हम इसे बंद करने जा रहे हैं।

भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को भी मिली मदद

बता दें कि यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) अमेरिकी सरकार की एक वैधानिक निकाय है। यूएसएड पूरी दुनिया में गैर सरकारी संगठनों, सहायता ग्रुपों और ग़ैर लाभकारी संस्थाओं को अरबों डॉलर की मदद देती है। हालांकि, ये बात कम ही लोगों को पता है कि इस एजेंसी से मिलने वाला पैसा भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को जाता था। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF), जो कि हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा (LET) का मुखौटा संगठन है। इस समूह को यूएसएड के माध्यम से फंडिंग मिलती थी। यह फाउंडेशन पाकिस्तान से संचालित होता है और आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है।

भारत को कितनी मदद मिलती है?

यूएसएड के जरिए भारत को भी मदद मिलती है। भारत को स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, स्वच्छ ऊर्जा, पानी और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में सहायता मिली है। खुद यूएसएड की वेबसाइट पर भारत को दी गई मदद के बारे में जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार, इसने पोषण, टीकाकरण, स्वच्छता, पर्यावरण, क्लीन एनर्जी, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई।

यूएसएड की मदद से भारत में 8 कृषि विश्वविद्यालय, 14 इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, देश का पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी खड़गपुर भी यूएसएड की मदद से स्थापित किया गया था।

पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली

लेकिन साल 2004 में सूनामी के दौरान भारत की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सशर्त विदेशी मदद लेने की नीति में बदलाव किया, जिसके बाद यूएसएड से भारत को मिलने वाली मदद में अपेक्षाकृत कमी आई। हालांकि कोविड महामारी के बाद से भारत को मिलने वाली यूएसएड मदद में बढ़ोतरी देखी गई। अमेरिकी सरकार के फॉरेन असिस्टेंस पोर्टल के मुताबिक़, पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली। जबकि 2001 से लेकर अबतक भारत को 2.86 अरब डॉलर की मदद मिल चुकी है। पोर्टल के अनुसार, यूएसएड की ओर से भारत को 2022 में सबसे अधिक 22.82 करोड़ डॉलर की मदद मिली, 2023 में 17.57 करोड़ डॉलर और 2024 में 15.19 करोड़ डॉलर की मदद मिली। यूएसएड से मदद पाने के मामले में भारत तीसरे स्थान पर रहा है।

गाजा पर कब्जा करेगा अमेरिका, नेतन्याहू से मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का ऐलान, जानें क्या है प्लान?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा बयान देकर खलबली मचा दी है।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका गाजा पट्टी पर अपना नियंत्रण करेगा। मंगलवार को नेतन्याहू के साथ बातचीत के बाद वॉइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने ये बड़ा बयान दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि हम गाजा का मालिकाना लेना चाहते हैं, इसके बाद गाजा में मौजूद खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को नष्ट करने की जिम्मेदारी हमारी होगी। अमेरिका ध्वस्त या जर्जर हो चुकी इमारतों का पुनर्निर्माण कराएगा और गाजा का आर्थिक विकास करेगा। इससे गाजा में रोजगार और लोगों को घर मिलेंगे।

गाजा को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र बनाने का प्लान

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा एक 'अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र' होगा। ट्रंप ने आगे बताया कि अमेरिका द्वारा पुनर्निर्माण पूरा करने के बाद दुनिया भर के लोग गाजा में रहेंगे। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी उनमें से हो सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह गाजा में सुरक्षा शून्य को भरने के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हैं, ट्रंप ने इससे इनकार नहीं किया।

सेना उतारने को तैयार ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा के पुनर्निर्माण में अगर अमेरिकी सेना की जरूरत पड़ी तो वे सेना को भी गाजा में तैनात करने पर विचार कर सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर यह जरूरी हुआ तो हम ऐसा करेंगे।

फिलिस्तीनियों को निकालने की बात

ट्रंप ने एक बार फिर दोहराया कि फिलिस्तीनियों को गाजा के 'नरक के गड्ढे' से निकाल दिया जाना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि गाजा को एक ही लोगों के पुनर्निर्माण और कब्जे की प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाजा की आबादी को इंसानी दिल रखने वाले देशों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए और दावा किया कि कई लोग हैं जो ऐसा करना चाहते हैं।

नेतन्याहू ने किया ट्रंप की योजना का समर्थन

ट्रंप के साथ उस वक्त बेंजामिन नेतन्याहू भी बैठे थे और खुश हो रहे थे। जब ट्रंप यह सब बोल रहे थे, तब नेतन्याहू मुस्कुरा रहे थे। बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ट्रंप की इस योजना का समर्थन किया और इसे पर खुशी जाहिर की। नेतन्याहू ने कहा कि हम चाहते हैं कि गाजा भविष्य में अब कभी भी इस्राइल के लिए खतरा न बने, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप इसे एक नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। ट्रंप का विचार अलग है और इससे गाजा का भविष्य बदल जाएगा। इस विचार पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नेतन्याहू ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इससे इतिहास बदल सकता है।

बैकफुट पर डोनाल्ड ट्रंप! कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ का फैसला टाला, इतने दिनों की दी राहत

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लगता है ग्लोबल टैरिफ वॉर टल गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको के बाद अब कनाडा को भी टैरिफ से 30 दिनों के लिए राहत दे दी है। सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप से फोन पर बातचीत के बाद बताया कि अमेरिका ने शनिवार को लगाए गए टैरिफ को 30 दिनों के लिए रोकने का फैसला किया है। इसके पहले अमेरिका ने मेक्सिको के खिलाफ भी टैरिफ पर 30 दिन की रोक लगाई थी। ट्रंप ने टैरिफ को रोकने का फैसला तब लिया है, जब दोनों देशों ने सीमा सुरक्षा और ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए कदम उठाए हैं।

ट्रंप ने बताया कि ट्रूडो और शिनबाम के साथ उनकी बातचीत अच्छी रही। दोनों देशों ने अमेरिका के साथ बॉर्डर को सिक्योर करने पर सहमति जताई है। इसके बाद ट्रम्प ने दोनों देशों पर टैरिफ रोकने से जुड़े कार्यकारी आदेश पर साइन किए। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि ‘बहुत ही दोस्ताना बातचीत’ के बाद उन्होंने ‘एक महीने की अवधि के लिए टैरिफ को तुरंत रोकने पर सहमति जताई। ट्रंप ने कहा कि इस एक महीने के दौरान दोनों देशों के बीच और बातचीत होगी, ताकि एक ‘डील’ हासिल की जा सके।

फेंटेनाइल तस्करी पर रोक लगाने की दिशा में कदम

ट्रंप के फैसले के बाद ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि टैरिफ पर रोक के बदले में कनाडा बॉर्डर सिक्योरिटी में भारी निवेश करेगा। साथ ही संगठित अपराध, फेंटेनाइल की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए दोनों देश मिलकर कनाडा-यूएस ज्वाइंट स्ट्राइक फोर्स बनाएंगे। इसके अलावा कनाडा फेंटेनाइल जार (फेंटेनाइल की तस्करी रोकने वाला अधिकारी) की नियुक्ति भी करेगा। तस्करी में शामिल कार्टेल (समूह) को आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल किया जाएगा। ट्रूडो ने इस आदेश पर साइन भी कर दिए हैं। कनाडा इस पर 200 मिलियन डॉलर खर्च करेगा।

टैरिफ से बचने के लिए मेक्सिको करेगा ये काम

मेक्सिको ने भी ट्रंप की चिंताओं को दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर 10000 नेशनल गार्ड्स की तैनाती का आदेश दिया है।

इससे पहले शनिवार को ट्रंप ने घोषणा की थी कि वे कनाडा और मैक्सिको से इम्पोर्टेड सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ का प्रस्ताव भी किया। उन्होंने कनाडा से आयातित ऊर्जा संसाधनों पर भी 10 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना बनाई थी।

शपथ के बाद से ही एक्शन में ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ के बाद कनाडा, मेक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने 1 फरवरी को इससे जुड़े आदेशों पर साइन भी कर दिया था। ट्रंप के इस फैसले के बाद कनाडा ने भी 2 फरवरी को अमेरिका पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसमें अमेरिका से होने वाले 106 अरब डॉलर के निर्यात को शामिल किया गया था। दूसरी तरफ मेक्सिको ने भी जवाबी कार्रवाई की बात कही थी।

ट्रंप-जेलेंस्की विवाद पर खुश हो गया रूस, बोला- जेलेंस्की को मारा नहीं...संयम दिखाना एक चमत्कार है

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के बीच बैठक में विवाद के बाद रूस गदगद है।यूक्रेन के प्रेसीडेंट वोलोडिमीर जेलेंस्की की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ हुई तीखी बहस पर रूस ने प्रतिक्रिया दी है। रूस का कहना है कि जेलेंस्की का बर्ताव बिल्कुल ठीक नहीं था और उनके खराब रवैये के बावजूद ट्रंप ने संयम दिखाया है वो चमत्कार से कम नहीं है।

रूस ने ‘संयम’ दिखाने के लिए ट्रंप की प्रशंसा की

रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने भी यूक्रेनी नेता के साथ ‘संयम’ दिखाने के लिए ट्रंप की प्रशंसा की साथ ही उन्होंने जेलेंस्की को “बदमाश” कहा। मारिया ज़खारोवा ने टेलीग्राम पर लिखा, 'मुझे लगता है कि जेलेंस्की का सबसे बड़ा झूठ यह था कि 2022 में यूक्रेन अकेला था, उसको किसी का समर्थन नहीं था। जेलेंस्की ने एक के बाद एक झूठ बोला और बदमाशी की। मुझे हैरत है कि ट्रंप और वेंस ने उनको मारा कैसे नहीं, इतना संयम दिखाना एक चमत्कार है।'

रूस ने कहा-“उचित तमाचा”

वहीं, रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान शीर्ष अधिकारी दिमित्री मेदवेदेव ने ओवल ऑफिस में ट्रंप द्वारा ज़ेलेंस्की झाड़ लगाने को “उचित तमाचा” बताया। रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष मेदवेदेव ने टेलीग्राम पर पोस्ट किया, "ओवल ऑफिस में क्रूर तरीके से पिटाई की गई।" मेदवेदेव ने कहा, "पहली बार, ट्रंप ने कोकिन जोकर को उसके मुंह पर सच बताया। कीव शासन तीसरे विश्व युद्ध के साथ खेल रहा है। एहसान फरामोश सुअर को सुअर पालने के मालिकों से जोरदार तमाचा मिला है। यह जरूरी है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं। हमें नाजी मशीन को सैन्य सहायता बंद करनी चाहिए।"

कैसे हुई शुरुआत?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को ओवल ऑफिस में अहम बैठक हुई। ट्रंप, उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और जेलेंस्की के बीच लगभग 45 मिनट बातचीत हुई, जिसमें अंतिम 10 मिनट तीनों के बीच काफी तीखी बहस हुई। जेलेंस्की ने अपना पक्ष रखते हुए कूटनीति के प्रति रूस की प्रतिबद्धता पर संदेह व्यक्त किया। तनातनी की शुरुआत वेंस की ओर से जेलेंस्की से यह कहे जाने के साथ हुई कि मुझे लगता है कि आपका ओवल ऑफिस में आकर अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा करने की कोशिश करना अपमानजनक है। राष्ट्रपति जी पूरे सम्मान के साथ मैं यह बात कर रहा हूं। जेलेंस्की ने आपत्ति जताने की कोशिश की, जिस पर ट्रंप ने तेज आवाज में कहा, 'आप लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।' ट्रंप ने कहा, 'आप तीसरे विश्वयुद्ध को न्योता दे रहे हैं और आप जो कर रहे हैं वह देश के प्रति बहुत अपमानजनक है, यह वह देश है जिसने आपका बहुत अधिक समर्थन किया है।'

बिना कुछ खाए व्हाइट हाउस से निकले जेलेंस्की, ऐसे होती है दो देशों के नेताओं के बीच मुलाकात?

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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। बातचीत के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के बीच जोरदार बहस हो गई। जेलेंस्की अपने दावे कर रहे थे तो ट्रंप अपने तेवर दिखा रहे थे।रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लेकर हो रही बातचीत अचानक जुबानी जंग में तब्दील हो गई। ट्रंप और जेलेंस्की एक-दूसरे से बहस करते और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आए। नौबत यहां तक पहुंच गई कि ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से चले जाने और समझौते को तैयार होने के बाद ही वार्ता के लिए आने को कह दिया।

ट्रंप ने जिस तरह से जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर जाने को कहा, उसे साफ तौर पर बेइज्जत करके बाहर निकालना कहते हैं। यहां तक की इतनी दूर से आए किसी देश के मुखिया को अपने घर पर निमंत्रित कर खाने तक को नहीं पूछा गया। तीखी नोकझोंक के बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहते थे कि सब ठीक हो जाए। ट्रंप से आगे की बात की जाए। दुनिया को नया संदेश दिया जाए कि ऑल इज वेल। पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कहां मानने वाले थे। उन्होंने साफ-साफ संदेश भिजवा दिया। कह दो जेलेंस्की से कि वो चला जाए।

जेलेंस्की के साथ तकरार के बाद ट्रंप ने अपने सलाहकारों के साथ बातचीत की और वहां से निकल गए। दूसरी ओर यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल करीब एक घंटे तक दूसरे कमरे में इंतजार करता रहा। यूक्रेनी डेलीगेशन को उम्मीद थी कि खनिज सौदे पर हस्ताक्षर हो जाएंगे और यात्रा को खराब होने से बचाया जा सकेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस छोड़ने के लिए कह दिया। ऐसे में जेलेंस्की को खाली हाथ वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जेलेंस्की का दौरा कितने खराब माहौल में खत्म हुआ इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद उन्होंने अपने दो सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द कर दिए। उन्होंने एक्स पर अमेरिका का धन्यवाद करते हुए लिखा कि यूक्रेन को स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम उसके लिए काम कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जेलेंस्की बिना खाना खाए ही वाइट हाउस से लौट गए।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ओवल ऑफिस में हुई बहस के बाद वाइट हाउस के अंदर एक बार फिर जेलेंस्की की बेइज्जती हुई। ओवल ऑफिस में हुई बहस के फौरन बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रमुख सलाहकारों के साथ बैठक की। जेलेंस्की संग क्या किया जाए और क्या नहीं, इस पर ट्रंप ने चर्चा की। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने वेंस, रुबियो, बेसेंट आदि से सलाह ली। यहीं पर ट्रंप ने फैसला किया कि जेलेंस्की बातचीत की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने विदेश मंत्री रुबियो और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज को ये संदेश देने का निर्देश दिया- जाकर कह दो कि जेलेंस्की के अब जाने का समय हो गया है।

हैरानी की बात है कि जब ट्रंप ने यह आदेश दिया, तब बगल वाले कमरे में जेलेंस्की और उनकी टीम बैठी थी। जेलेंस्की के साथ यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल पास के एक अलग कमरे में इंतजार कर रहा था। दरअसल, जेलेंस्की और यूक्रेनी डेलीगेशन लंच का इंतजार कर रहे थे। उन्हें लगा था कि ट्रंप लंच पर बैठेंगे तो गर्मी थोड़ी शांत हो जाएगी।

व्हाइट हाउस में ट्रंप-जेलेंस्की के बीच तेज बहस, नोकझोंक के बाद ट्रंप बोले- तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं आप

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने व्हाइट हाउस में शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर की मुलाकात एक तू-तू मैं-मैं वाली बहस में बदल गई। जेलेंस्की के लिए यह बैठक बेहद शर्मिंदा करने वाली रही। जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें ओवल ऑफिस में जमकर सुनाया। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। इस पर ट्रंप ने कहा कि यूक्रेनी नेता तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं। बहस के दौरान ट्रंप ने तीखे तेवर में यूक्रेन से खनिज सौदे के लिए दबाव बनाया और कहा कि या तो आप डील करिए वरना हम (शांति प्रक्रिया) से बाहर हो जाएंगे। इसके कुछ देर बाद ही जेलेंस्की वॉइट हाउस की मीटिंग से बाहर चले गए।

ट्रंप ने कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा

ओवल ऑफिस में हुई मुलाकात के दौरान जब रूस-यूक्रेन युद्ध विराम का मुद्दा उठा तो दोनों नेताओं में बहस हो गई। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। जेलेंस्की ने ट्रंप से कहा कि व्लादिमीर पुतिन के शांति के वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने रूसी नेता के वादे तोड़ने के इतिहास को भी याद दिलाया। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे तौर पर टीवी कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा और कहा कि वह युद्ध हार रहे हैं।

ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई

ट्रंप ने कहा, आपके हाथ में कोई कार्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि आप हमारा अनादर कर रहे हैं। हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, आपको इसके साथ खेलने का कोई अधिकार नहीं है। आपको आभारी होना चाहिए. इस तरह से काम करना बहुत मुश्किल होगा। ओवल ऑफिस में बैठे हुए ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई और उन्हें ज्यादा “आभारी” होने के लिए कहा और कहा, “आप यह तय करने की स्थिति में नहीं हैं कि हम क्या महसूस करने जा रहे हैं?”

जेडी वेंस ने प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया

बहस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी कूद पड़े और जेलेंस्की पर प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया। वेंस ने कहा, मुझे लगता है कि आपके लिए ओवल ऑफिस में आना और अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा चलाने की कोशिश करना अपमानजनक है।

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने जारी किया बयान

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान जारी किया जिसमें जेलेंस्की के व्यवहार को अमेरिका के लिए अपमानजनक कहा। बयान में कहा गया कि 'आज व्हाइट हाउस में हमारी बहुत सार्थक बैठक हुई। बहुत कुछ ऐसा सीखा गया जो इस तरह की तपिश और दबाव की बातचीत के बगैर कभी नहीं समझा जा सकता था।

बयान में आगे कहा गया कि 'यह आश्चर्यजनक है कि भावनाओं के माध्यम से क्या सामने आता है, और मैंने यह निर्धारित किया है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं हैं यदि अमेरिका इसमें शामिल है, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमारी भागीदारी उन्हें वार्ता में बड़ा लाभ देती है। मुझे लाभ नहीं चाहिए, मुझे शांति चाहिए। उन्होंने प्रिय ओवल ऑफिस में संयुक्त राज्य अमेरिका का अपमान किया। जब वह शांति के लिए तैयार होंगे तो वह वापस आ सकते हैं।'

ट्रंप के वफादार काश पटेल एफबीआई निदेशक बने, सीनेट की मंजूरी मिलते ही दहाड़ा

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के काश पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी एफबीआई का निदेशक नियुक्त किया है। डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक काश पटेल की एफबीआई चीफ के रूप में नियुक्ति को सीनेट ने हरी झंडी दिखा दी। सीनेट में हुए मतदान में उन्हें 51-49 के मामूली अंतर से बहुमत हासिल हुआ। डेमोक्रेट सांसदों ने काश पटेल की नियुक्ति का विरोध किया। उनकी योग्यता पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि काश पटेल ट्रंप के इशारे पर काम करेंगे और रिपब्लिकन नेता के विरोधियों को निशाना बनाएंगे।

ट्रंप का जताया आभार

एफबीआई के निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने के बाद, राष्ट्रपति ट्रंप का आभार व्यक्त किया और एजेंसी को 'पारदर्शी, जवाबदेह और न्याय के लिए प्रतिबद्ध' बनाने की कसम खाई। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए, काश पटेल ने कहा, मैं संघीय जांच ब्यूरो के नौवें निदेशक के रूप में पुष्टि किए जाने पर सम्मानित महसूस हो रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप और अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को आपके अटूट विश्वास और समर्थन के लिए धन्यवाद।

अमेरिका के खिलाफ काम करने वालों को चेतावनी

काश पटेल ने लिखा कि डायरेक्टर के रूप में मेरा मिशन साफ है, हम एक ऐसी एफबीआई का पुनर्निर्माण करेंगे जिस पर अमेरिकी लोगों को गर्व हो। और जो लोग अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं, वे इसे अपनी चेतावनी मानें। हम इस दुनिया के हर कोने में आपका पता लगा लेंगे।

काश पटेल की नियुक्ति के बाद तय है कि एफबीआई में बड़े बदलाव संभव हैं। काश पटेल पहले ही कह चुके हैं कि वह एफबीआई में बड़े बदलाव करेंगे। इनमें वाशिंगटन स्थित मुख्यालय में कर्मचारियों की संख्या में कमी और खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों के बजाय अपराध से निपटने जैसे एफबीआई के पारंपरिक कामों पर नए सिरे से जोर देना शामिल है। पिछले दो दशकों में एफबीआई की भूमिका को खुफिया जानकारी जुटाने और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कामों से परिभाषित किया जाता रहा है।

नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा: मोदी-ट्रंप मुलाकात और व्यापार सौदे पर वैश्विक प्रतिक्रियाएँ

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PTI

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में अपनी बैठक के दौरान व्यापार, टैरिफ और रक्षा संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप ने पहले टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, लेकिन दोनों नेताओं ने बातचीत करने की इच्छा जताई, जिससे दोनों पक्षों की ओर से संभावित रियायतों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। अपने सौदेबाजी वाले व्यक्तित्व के लिए मशहूर डोनाल्ड ट्रंप ने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे "बहुत बेहतर वार्ताकार" हैं। एक हल्के-फुल्के पल में मोदी ने ट्रंप के प्रतिष्ठित "MAGA" नारे का इस्तेमाल करते हुए कहा कि वह "भारत को फिर से महान बनाने" के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों विश्व नेताओं के बीच हुई बैठक ने वैश्विक मीडिया का भी काफी ध्यान खींचा है, जिसमें विभिन्न आउटलेट्स ने उनकी चर्चाओं के प्रमुख पहलुओं का विश्लेषण किया है।

विश्व मीडिया ने पीएम मोदी-डोनाल्ड ट्रम्प की बैठक को इस तरह से कवर किया:

व्यापार और आर्थिक संबंध

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। उनकी चर्चा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर और रणनीतिक खनिज जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल थे, जिसमें दोनों नेताओं ने पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते की आवश्यकता पर जोर दिया। हालांकि, एक अन्य समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने भारत के उच्च आयात शुल्कों की ट्रम्प की आलोचना को उजागर किया, उन्हें "बहुत अनुचित" कहा, और पारस्परिक शुल्क लागू करने पर अपने रुख को दोहराया।

रक्षा और रणनीतिक साझेदारी

फाइनेंशियल टाइम्स ने बताया कि अमेरिका भारत के साथ सैन्य संबंधों को मजबूत करना चाहता है, जिसमें 10 वर्षीय रक्षा सहयोग योजना के तहत एफ-35 लड़ाकू विमानों की संभावित बिक्री शामिल है। यह कदम इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने की वाशिंगटन की व्यापक रणनीति के अनुरूप है।

आव्रजन और मानवाधिकार

अवैध आव्रजन का मुद्दा भी प्रमुखता से छाया रहा। रॉयटर्स के अनुसार, मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए तैयार है और मानव तस्करी नेटवर्क को खत्म करने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान किया। उल्लेखनीय रूप से, दोनों नेताओं ने अल्पसंख्यक अधिकारों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने से परहेज किया, जिससे वकालत समूहों की कुछ आलोचना हुई।

भारत अमेरिका से तेल आयात को बढ़ावा देगा

समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने बताया कि भारत दोनों देशों के बीच व्यापार असंतुलन को कम करने के प्रयास में अमेरिका से तेल और गैस आयात को बढ़ावा देना चाहता है और संभावित प्रतिशोधात्मक शुल्कों से बचें। "मुझे लगता है कि हमने लगभग 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ऊर्जा उत्पादन खरीदा है," ब्लूमबर्ग ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी के हवाले से गुरुवार को वाशिंगटन में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा। "इस बात की अच्छी संभावना है कि यह आंकड़ा 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ जाएगा," उन्होंने कहा। मिसरी ने कहा कि "यह पूरी तरह से संभव है कि बढ़ी हुई ऊर्जा खरीद भारत और अमेरिका के बीच घाटे को प्रभावित करने में योगदान देगी।"

बैठक पर वैश्विक दृष्टिकोण

बीबीसी ने बताया कि बैठक काफी हद तक प्रतीकात्मक थी, जिसमें व्यापार विवादों पर बहुत कम प्रगति हुई। हालांकि, इसने स्वीकार किया कि दोनों नेताओं ने रणनीतिक संबंधों और साझा भू-राजनीतिक हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए इस अवसर का उपयोग किया।

अल जजीरा ने मानवाधिकारों की चिंताओं पर ध्यान केंद्रित किया, लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रेस की स्वतंत्रता पर चर्चा को दरकिनार करने के लिए दोनों नेताओं की आलोचना की।

समाचार एजेंसी एएफपी ने व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ पर जोर दिया, यह देखते हुए कि बैठक क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक बड़ी अमेरिकी रणनीति का हिस्सा थी। एजेंसी ने यह भी बताया कि कड़े बयानों के बावजूद, व्यापार घर्षण को हल करने में तत्काल बहुत कम प्रगति हुई है। 

एबीसी न्यूज ने दोनों देशों में घरेलू प्रतिक्रियाओं पर रिपोर्ट दी, जिसमें बताया गया कि बैठक को कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा गया, भारत और अमेरिका में विपक्षी नेताओं ने ठोस समझौतों की कमी की आलोचना की। नेटवर्क ने यह भी नोट किया कि अमेरिका में भारतीय प्रवासियों तक मोदी की पहुंच इस यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू था। 

सीएनएन ने बताया कि ट्रम्प के टैरिफ विकासशील देशों, खासकर भारत, ब्राजील, वियतनाम और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई और अफ्रीकी देशों को बहुत प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि उनके देशों में लाए जाने वाले अमेरिकी सामानों पर लगाए जाने वाले टैरिफ दरों में अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ दरों की तुलना में सबसे बड़ा अंतर है। उदाहरण के लिए, 2022 में, भारत से आयात पर अमेरिका की औसत टैरिफ दर 3% थी, जबकि अमेरिका से आयात पर भारत की औसत टैरिफ दर 9.5% थी, "इसने विश्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया।

भारत को मिलने वाला है दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार, क्या एफ-35 पर डील हो गई पक्की?


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भारत को दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार मिलने वाला है। दरअसल, अमेरिका ने भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक स्टेल्थ फाइटर जेट F-35 बेचने की पेशकश कर दी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट बेचेगा। ट्रंप ने वॉशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, इस साल से हम भारत को कई अरब डॉलर के हथियार बेचने जा रहे हैं। हम भारत को एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट देने का रास्ता भी साफ कर रहे हैं।

ट्रंप की इस पेशकश के बाद भारत ने कहा है कि अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान खरीदने की प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है। यह अभी सिर्फ एक प्रस्ताव के स्तर पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, यह अभी प्रस्ताव के चरण में है। मुझे नहीं लगता कि इस बारे में औपचारिक प्रक्रिया अभी तक शुरू हुई है।

क्यों है F-35 लड़ाकू विमान की डील मुश्किल?

वहीं, अमेरिका से F-35 लड़ाकू विमान के सौदे में कई अड़चनें आ सकती हैं। भारत के रूस के साथ अच्छे रक्षा संबंध हैं और अमेरिका उन देशों को एफ-35 बेचने में सावधानी बरतता है जहां से इसकी तकनीक लीक होने का खतरा हो सकता है। इसी वजह से अमेरिका ने तुर्की को एफ-35 देने से मना कर दिया था, क्योंकि उसे डर था कि रूस इसकी तकनीक चुरा सकता है। यह सौदा भारत को रूस से दूर करने की अमेरिका की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. क्योंकि भारत ने 2018 में रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था।

F-35 की खासियत

F-35 लाइटनिंग-II एक अत्याधुनिक पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर विमान है। अमेरीका की लॉकहीड मार्टिन ने इसे विकसित किया है। यह फाइटर अलग अलग तरह के कांबेट मिशनों को अंजाम देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें एयर टू एयर, एयर टू ग्राउंड और इंटेलिजेंस जानकारी इकट्ठा करने और स्ट्रेजिक मिशन को अंजाम दिया जा सकता है। इसके 3 वेरियंट है। एयर फोर्स के लिए F-35A, F-35B वर्टिकल टेक ऑफ लैंडिंग क्षमता वाला और F-35C नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर से इस्तेमाल किए जाने वाला है। यह एक सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है। इसकी रफ्तार 1.6 मैक प्रतिघंट है. अधिकत्म 50000 फिट की ऊंचाई तक आसानी से उड़ान भर सकता है। एक बार टेकऑफ लेने के बाद यह 2200 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इसमें स्टील्थ तकनीक के चलते यह दुश्मन की रड़ार की पकड़ में नहीं आता। F-35 KS इंटर्नल कंपार्टमेंट में AMRAAM, AIM-120, और एंटी-शिप मिसाइल जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें आसानी से ले जा सकता है। इस एयरक्राफ्ट में एक 25 MM की गन भी लगी है। इसका कॉकपिट पूरी तरह से डिजिटल है।

अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के खिलाफ ट्रंप का बड़ा फैसला, जानिए क्यों लगाया बैन?

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अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए हैं। अपने शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही लगातार वो अपने एक्‍शन मोड में हैं। ट्रंप एक के बाद एक फैसलों से दुनिया का ध्‍यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। अब डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका और उसके करीबी इजरायल को निशाना बनाने वाले अंतरराष्‍ट्रीय अपराध न्यायालय पर प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल, आईसीसी ने प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसी के आधार पर अमेरिका ने ये कार्रवाई की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने आईसीसी पर बैन लगाने की वजह बताते हुए कहा, अमेरिका और हमारे करीबी सहयोगी इजराइल को निशाना बनाने वाली नाजायज और निराधार कार्रवाइयों में शामिल होने और नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री, योव गैलेंट के खिलाफ “आधारहीन गिरफ्तारी वारंट” जारी करके अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की वजह से बैन लगाया गया है। साथ ही आदेश में कहा गया है कि अमेरिका और इजराइल पर आईसीसी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। इसी के साथ आदेश में कोर्ट को लेकर कहा गया है कि अदालत ने दोनों देशों के खिलाफ अपने एक्शन से एक “खतरनाक मिसाल” सामने रखी है।

आदेश में कहा गया है कि अमेरिका आईसीसी के “उल्लंघनों” के लिए जिम्मेदार लोगों पर ठोस एक्शन लेगा। उल्लंघन करने पर एक्शन में लोगों की प्रोपर्टी को ब्लॉक किया जा सकता है। इसी के साथ आईसीसी अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों को अमेरिका में एंट्री भी नहीं दी जाएगी।

नेतन्याहू के वाशिंगटन दौरे के बाद कार्रवाई

ट्रंप की यह कार्रवाई कोर्ट पर तब हुई है जब इजराइल के पीएम नेतन्याहू वाशिंगटन के दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने और ट्रंप ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में बातचीत की और नेतन्याहू ने गुरुवार का कुछ समय कैपिटल हिल में सांसदों के साथ बैठक में बिताया। इसी के बाद अब ट्रंप ने उस कोर्ट पर बैन लगा दिया है जिसने नेतन्याहू के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।

आईसीसी को मान्यता नहीं देते अमेरिका-इजराइल

बता दे कि अमेरिका और न ही इजराइल इस अदालत के सदस्य है और वो इसको मान्यता भी नहीं देते हैं। इजराइल की ही तरह अमेरिका भी कोर्ट के सदस्य देशों में शामिल नहीं है। कोर्ट के सदस्यों में 124 देश शामिल है। इससे पहले भी कोर्ट पर ट्रंप का चाबुक चला है। साल 2020 में, अफगानिस्तान पर अमेरिका सहित कई जगह से हुए युद्ध के चलते जांच शुरू की गई थी, लेकिन इस जांच के चलते ट्रंप ने वकील फतौ बेनसौदा पर बैन लगा दिया था. हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन प्रतिबंधों को हटा दिया था।

दुनिया भर में आर्थिक मदद पहुँचाने वाली अमेरिकी एजेंसी यूएसएड बंद, जानें भारत के लिए क्यों अहम

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सरकार की प्रमुख विदेशी सहायता एजेंसी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) को बंद करके उसे विदेश मंत्रालय में शामिल करने एलान किया है। ट्रंप प्रशासन ने पहले विश्व भर में यूएसएड एजेंसी के प्रत्यक्ष कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया उसके बाद उसपर “ताला जड़” दिया।

मंगलवार कोऑआनलाइन पोस्ट किए गए एक नोटिस में कर्मचारियों को घर लौटने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। वाशिंगटन में भी यूएसएड के सैकड़ों कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और उनसे कहा गया है कि शहर में एजेंसी के कार्यालय सप्ताह के शेष दिनों के लिए बंद रहेंगे।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद अरबपति एलन मस्क को तकरीबन सभी अमेरिकी विदेशी सहायता की समीक्षा करने का निर्देश दिया था। ट्रंप की ओर से विदेशी सहायता पर रोक लगाए जाने के बाद हजारों यूएसएड कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया और दुनियाभर में इसके कार्यक्रम बंद कर दिए गए।

ट्रंप ने कहा- एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे

राष्ट्रपति ट्रंप और उनके सबसे शीर्ष के सलाहकार, अरबपति एलन मस्क यूएसएड के कड़े आलोचक रहे हैं। बीते सोमवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने आरोप लगाया कि इस एजेंसी को 'कट्टर वामपंथी सनकी' चला रहे हैं। वे बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं और नाम और अन्य जानकारियां साझा नहीं कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन में सरकारी खर्च कटौती के लिए बने विभाग के अनौपचारिक प्रमुख एलन मस्क ने भी यूएसएड को बंद करने की बात कही थी। बीते एक सप्ताह में यूएसएड के दो शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया और एजेंसी की वेबसाइट डाउन हो गई। यूएसएड पर भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता के आरोपों के अलावा मस्क ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

मस्क ने बताया आपराधिक संगठन

अपने मालिकाना हक वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर मस्क ने यूएसएड को 'बुराई', 'एक आपराधिक संगठन' और 'कट्टर वामपंथी राजनीतिक मनोवैज्ञानिक अभियान' (आम तौर पर षड्यंत्रकारी या बुरे कारनामों को ढंकने के लिए इस्तेमाल होने वाला शब्द) कहा। सोमवार को एक्स पर एक लाइव स्ट्रीम के दौरान उन्होंने कहा, इस पूरे मामले से निजात पाने की जरूरत है। यह लाइलाज है... हम इसे बंद करने जा रहे हैं।

भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को भी मिली मदद

बता दें कि यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) अमेरिकी सरकार की एक वैधानिक निकाय है। यूएसएड पूरी दुनिया में गैर सरकारी संगठनों, सहायता ग्रुपों और ग़ैर लाभकारी संस्थाओं को अरबों डॉलर की मदद देती है। हालांकि, ये बात कम ही लोगों को पता है कि इस एजेंसी से मिलने वाला पैसा भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल संगठनों को जाता था। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF), जो कि हाफिज सईद के लश्कर-ए-तैयबा (LET) का मुखौटा संगठन है। इस समूह को यूएसएड के माध्यम से फंडिंग मिलती थी। यह फाउंडेशन पाकिस्तान से संचालित होता है और आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त पाया गया है।

भारत को कितनी मदद मिलती है?

यूएसएड के जरिए भारत को भी मदद मिलती है। भारत को स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, स्वच्छ ऊर्जा, पानी और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में सहायता मिली है। खुद यूएसएड की वेबसाइट पर भारत को दी गई मदद के बारे में जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार, इसने पोषण, टीकाकरण, स्वच्छता, पर्यावरण, क्लीन एनर्जी, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में अहम भूमिका निभाई।

यूएसएड की मदद से भारत में 8 कृषि विश्वविद्यालय, 14 इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, देश का पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी खड़गपुर भी यूएसएड की मदद से स्थापित किया गया था।

पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली

लेकिन साल 2004 में सूनामी के दौरान भारत की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने सशर्त विदेशी मदद लेने की नीति में बदलाव किया, जिसके बाद यूएसएड से भारत को मिलने वाली मदद में अपेक्षाकृत कमी आई। हालांकि कोविड महामारी के बाद से भारत को मिलने वाली यूएसएड मदद में बढ़ोतरी देखी गई। अमेरिकी सरकार के फॉरेन असिस्टेंस पोर्टल के मुताबिक़, पिछले चार सालों में भारत को 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली। जबकि 2001 से लेकर अबतक भारत को 2.86 अरब डॉलर की मदद मिल चुकी है। पोर्टल के अनुसार, यूएसएड की ओर से भारत को 2022 में सबसे अधिक 22.82 करोड़ डॉलर की मदद मिली, 2023 में 17.57 करोड़ डॉलर और 2024 में 15.19 करोड़ डॉलर की मदद मिली। यूएसएड से मदद पाने के मामले में भारत तीसरे स्थान पर रहा है।

गाजा पर कब्जा करेगा अमेरिका, नेतन्याहू से मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप का ऐलान, जानें क्या है प्लान?

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा बयान देकर खलबली मचा दी है।राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पट्टी को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका गाजा पट्टी पर अपना नियंत्रण करेगा। मंगलवार को नेतन्याहू के साथ बातचीत के बाद वॉइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने ये बड़ा बयान दिया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि हम गाजा का मालिकाना लेना चाहते हैं, इसके बाद गाजा में मौजूद खतरनाक बमों और अन्य हथियारों को नष्ट करने की जिम्मेदारी हमारी होगी। अमेरिका ध्वस्त या जर्जर हो चुकी इमारतों का पुनर्निर्माण कराएगा और गाजा का आर्थिक विकास करेगा। इससे गाजा में रोजगार और लोगों को घर मिलेंगे।

गाजा को अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र बनाने का प्लान

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा एक 'अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र' होगा। ट्रंप ने आगे बताया कि अमेरिका द्वारा पुनर्निर्माण पूरा करने के बाद दुनिया भर के लोग गाजा में रहेंगे। उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी उनमें से हो सकते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह गाजा में सुरक्षा शून्य को भरने के लिए अमेरिकी सैनिकों को भेजने के लिए तैयार हैं, ट्रंप ने इससे इनकार नहीं किया।

सेना उतारने को तैयार ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि गाजा के पुनर्निर्माण में अगर अमेरिकी सेना की जरूरत पड़ी तो वे सेना को भी गाजा में तैनात करने पर विचार कर सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि अगर यह जरूरी हुआ तो हम ऐसा करेंगे।

फिलिस्तीनियों को निकालने की बात

ट्रंप ने एक बार फिर दोहराया कि फिलिस्तीनियों को गाजा के 'नरक के गड्ढे' से निकाल दिया जाना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि गाजा को एक ही लोगों के पुनर्निर्माण और कब्जे की प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहिए। उन्होंने कहा कि गाजा की आबादी को इंसानी दिल रखने वाले देशों में स्थानांतरित किया जाना चाहिए और दावा किया कि कई लोग हैं जो ऐसा करना चाहते हैं।

नेतन्याहू ने किया ट्रंप की योजना का समर्थन

ट्रंप के साथ उस वक्त बेंजामिन नेतन्याहू भी बैठे थे और खुश हो रहे थे। जब ट्रंप यह सब बोल रहे थे, तब नेतन्याहू मुस्कुरा रहे थे। बेंजामिन नेतन्याहू ने भी ट्रंप की इस योजना का समर्थन किया और इसे पर खुशी जाहिर की। नेतन्याहू ने कहा कि हम चाहते हैं कि गाजा भविष्य में अब कभी भी इस्राइल के लिए खतरा न बने, लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप इसे एक नई ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। ट्रंप का विचार अलग है और इससे गाजा का भविष्य बदल जाएगा। इस विचार पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नेतन्याहू ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो इससे इतिहास बदल सकता है।

बैकफुट पर डोनाल्ड ट्रंप! कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ का फैसला टाला, इतने दिनों की दी राहत

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लगता है ग्लोबल टैरिफ वॉर टल गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको के बाद अब कनाडा को भी टैरिफ से 30 दिनों के लिए राहत दे दी है। सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप से फोन पर बातचीत के बाद बताया कि अमेरिका ने शनिवार को लगाए गए टैरिफ को 30 दिनों के लिए रोकने का फैसला किया है। इसके पहले अमेरिका ने मेक्सिको के खिलाफ भी टैरिफ पर 30 दिन की रोक लगाई थी। ट्रंप ने टैरिफ को रोकने का फैसला तब लिया है, जब दोनों देशों ने सीमा सुरक्षा और ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए कदम उठाए हैं।

ट्रंप ने बताया कि ट्रूडो और शिनबाम के साथ उनकी बातचीत अच्छी रही। दोनों देशों ने अमेरिका के साथ बॉर्डर को सिक्योर करने पर सहमति जताई है। इसके बाद ट्रम्प ने दोनों देशों पर टैरिफ रोकने से जुड़े कार्यकारी आदेश पर साइन किए। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि ‘बहुत ही दोस्ताना बातचीत’ के बाद उन्होंने ‘एक महीने की अवधि के लिए टैरिफ को तुरंत रोकने पर सहमति जताई। ट्रंप ने कहा कि इस एक महीने के दौरान दोनों देशों के बीच और बातचीत होगी, ताकि एक ‘डील’ हासिल की जा सके।

फेंटेनाइल तस्करी पर रोक लगाने की दिशा में कदम

ट्रंप के फैसले के बाद ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि टैरिफ पर रोक के बदले में कनाडा बॉर्डर सिक्योरिटी में भारी निवेश करेगा। साथ ही संगठित अपराध, फेंटेनाइल की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए दोनों देश मिलकर कनाडा-यूएस ज्वाइंट स्ट्राइक फोर्स बनाएंगे। इसके अलावा कनाडा फेंटेनाइल जार (फेंटेनाइल की तस्करी रोकने वाला अधिकारी) की नियुक्ति भी करेगा। तस्करी में शामिल कार्टेल (समूह) को आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल किया जाएगा। ट्रूडो ने इस आदेश पर साइन भी कर दिए हैं। कनाडा इस पर 200 मिलियन डॉलर खर्च करेगा।

टैरिफ से बचने के लिए मेक्सिको करेगा ये काम

मेक्सिको ने भी ट्रंप की चिंताओं को दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर 10000 नेशनल गार्ड्स की तैनाती का आदेश दिया है।

इससे पहले शनिवार को ट्रंप ने घोषणा की थी कि वे कनाडा और मैक्सिको से इम्पोर्टेड सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ का प्रस्ताव भी किया। उन्होंने कनाडा से आयातित ऊर्जा संसाधनों पर भी 10 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना बनाई थी।

शपथ के बाद से ही एक्शन में ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ के बाद कनाडा, मेक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने 1 फरवरी को इससे जुड़े आदेशों पर साइन भी कर दिया था। ट्रंप के इस फैसले के बाद कनाडा ने भी 2 फरवरी को अमेरिका पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसमें अमेरिका से होने वाले 106 अरब डॉलर के निर्यात को शामिल किया गया था। दूसरी तरफ मेक्सिको ने भी जवाबी कार्रवाई की बात कही थी।