Avinash Reddy Bail: అవినాష్ రెడ్డి బెయిల్పై విచారణ.. కీలక వ్యాఖ్యలు చేసిన కోర్టు..
Avinash Reddy Bail Petition: ఎంపీ అవినాష్ రెడ్డి(MP Avinash Reddy) ముందస్తు బెయిల్ రద్దు పిటిషన్పై తెలంగాణ హైకోర్టులో(Telangana High Court) గురువారం విచారణ జరిగింది..
ఈ పిటిషన్పై సీబీఐ(CBI) తరఫు న్యాయవాది, పిటిషనర్ తరఫు న్యాయవాది జడ శ్రావణ్ వాదనలు వినిపించారు. ఎంపీ అవినాష్ రెడ్డి ద్వారా తనకు ప్రాణాహనీ ఉందని అప్రూవర్ దస్తగిరి(Dasthagiri) తరుపు కోర్టు దృష్టి తీసుకెళ్లారు. దేవిరెడ్డి శివ శంకర్ రెడ్డి కుమారుడు చైతన్య రెడ్డి.. తాను జైల్లో ఉన్న సమయంలో ప్రలోభాలకు గురిచేశాడని దస్తగిరి పిటిషన్లో పేర్కొన్నాడు. తన తండ్రి పైనా అవినాష్ అనుచరులు దాడి చేశారని గుర్తు చేశారు. ఎంపీ అవినాష్ రెడ్డి చాలా ప్రభావితమైన వ్యక్తి అని, ఆయనకు వెంటనే బెయిల్ రద్దు చేయాలని కోర్టును కోరారు పిటిషనర్ తరుపు న్యాయవాది.
మరోవైపు దస్తగిరికి ప్రాణ హానీ ఉందని సీబీఐ వాదించింది. దీనికి ప్రతిస్పందించిన హైకోర్టు.. దస్తగిరిక ప్రాణ హానీ ఉందని మీరు ఇప్పుడు ఎలా చెబుతున్నారు? అని ప్రశ్నించింది. అవినాష్ రెడ్డి బెయిల్ రద్దుపై సుప్రీంకోర్టుకు ఎందుకు వెళ్లలేదని సీబీఐని హైకోర్టు సూటిగా ప్రశ్నించింది. ఈ ప్రశ్నకు స్పందించిన సీబీఐ.. సుప్రీంలో బెయిల్ రద్దు చేయాలని సవాల్ చేసే లోపే వివేకా కూతురు సునీత సుప్రీంకోర్టుకు వెళ్లిందని పేర్కొంది. దీంతో సీబీఐ సైతం సునీత పెటిషన్లో కౌంటర్ దాఖలు చేశామని హైకోర్టుకు సీబీఐ వివరణ ఇచ్చింది.
కాగా, విట్నెస్ ప్రొటెక్షన్ స్కీమ్ కింద రిపోర్ట్ ఇవ్వాలని సీబీఐకి నాంపల్లి కోర్టు ఆదేశాలు ఇచ్చింది. తమకు ప్రాణాహనీ ఉందని దస్తగిరి భార్య, దస్తగిరి ఇద్దరూ సీబీఐకి ఫిర్యాదు చేశారు. అయితే, దీనిపై ఇంకా చర్యలు తీసుకోలేదని పిటిషనర్ తరుపు న్యాయవాది.. కోర్టు దృష్టికి తీసుకెళ్లారు. దీనికి స్పందించిన హైకోర్టు.. విట్నెస్ ప్రొటెక్షన్ రిపోర్ట్ వచ్చాక పరిశీలించి నిర్ణయం తీసుంటామని హైకోర్టు ధర్మాసనం తెలిపింది. తదుపరి విచారణను ఏప్రిల్ 8వ తేదీకి వాయిదా వేసింది..
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग की थी।
अदालत ने मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है। मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर संवैधानिक सवाल है, तो उपराज्यपाल (एलजी) देखेंगे, वो ही राष्ट्रपति के पास ले जा सकते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि हां, इसमें कुछ प्रैक्टिकल दिक्कत होगी, लेकिन हम कैसे एलजी या राष्ट्रपति को कुछ कह सकते हैं। केंद्र सरकार का काम है, हम कैसे दखल दें।
कोर्ट ने कहा आज के समाचार पत्रों में कहा गया है कि एलजी इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं। याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट ने कहा कि आप हमें व्यावहारिक कठिनाई दिखा रहे हैं, लेकिन हमें कोई ऐसा प्रतिबंध दिखाइए जो इसे रोकता हो। कोर्ट ने कहा कि आप हमें व्यावहारिक कठिनाई दिखा रहे हैं, लेकिन हमें कोई ऐसी बाधा दिखाइए जो इसे रोकती हो।
बता दें कि सुरजीत यादव नाम के शख्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल कर कहा था कि आबकारी मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 21 मार्च को गिरफ्तारी हुई। वह ईडी की हिरासत में हैं। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए।उन्होंने कहा कि उनका कारावास में होना न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में बाधा डालता है, बल्कि राज्य की संवैधानिक मशीनरी को भी कमजोर करता है। याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 का हवाला देते हुए दावा किया है कि एक कैदी केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करने में अक्षम बनाती है।
ईडी की शिकायत पर केजरीवाल को कोर्ट का समन, 16 मार्च को होना होगा पेश
#courtonedpetitionissuessummontoarvindkejriwal
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। शराब घोटाला से जुड़े मामले में केजरीवाल एक नई मुश्किल में घिरते दिख रहे हैं। दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) द्वारा की गई दूसरी शिकायत पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को 16 मार्च को पेश होने का आदेश दिया है।बता दें कि ईडी के 8 समन के बाद भी दिल्ली के सीएम जांच एजेंसी के सामने पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए थे। इसके बाद ईडी ने दोबारा कोर्ट का रुख किया था। जिसपर कोर्ट ने केजरीवाल को पेशी के लिए समन भेजा है।
प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में बार-बार समन का पालन न करने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक नई शिकायत दिल्ली कोर्ट में दी। ईडी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने चार से आठ समन का पालन नहीं किया है। जिसके बाद एसीएमएम दिव्या मल्होत्रा ने ईडी की शिकायत को सूचीबद्ध कर लिया और सात मार्च को सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित की थी।
केजरीवाल के खिलाफ आठ समन हो चुके हैं जारी
दिल्ली शराब घोटाले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं और इसी मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने दिल्ली मुख्यामंत्री अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया है। इससे पहले 27 फरवरी को भी ईडी ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन भेजा था। लेकिन केजरीवाल आठवें समन पर भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। इससे पहले बीती साल 2 नवंबर, 21 दिसंबर और इस साल 3 जनवरी, 18 जनवरी, 2 फरवरी, 14 फरवरी और 22 फरवरी और 3 मार्च को ईडी केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन जारी कर चुकी थी।
क्या है पूरा मामला?
आरोप है कि दिल्ली सरकार ने 2021-22 के लिए एक्साइज नीति के तहत जिन शराब व्यापारियों को लाइसेंस जारी किए थे, उन्होंने इसके लिए रिश्वत दी थी और साथ ही मनपसंद शराब व्यापारियों को ही लाइसेंस जारी किए गए। दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021/22 को बनाने और उसके क्रियान्वयन में घोटाले के आरोपों के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 20 जुलाई, 2022 को मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। जिसके बाद 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने शिकायत दर्ज की थी। जिसमें तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 बनाया था।सीबीआई के बाद ईडी ने 22 अगस्त, 2022 को आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एंगल पर जांच शुरू की। दिल्ली की आबकारी नीति में घोटाले के आरोप लगे हैं। इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है। वहीं, इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से ईडी जांच में जुटी है। केंद्रीय एजेंसियों ने अब तक इस मामले में आप के दो बड़े नेताओं मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को गिरफ्तार किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया है। अलग-अलग राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिस पर आज कोर्ट ने बड़ी बात कही है।चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने ‘पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी’ द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा, यह सिर्फ एक (पद का) नाम है और भले ही आप किसी को उपमुख्यमंत्री कहते हैं, इससे दर्जा नहीं बदलता।उप-मुख्यमंत्री भी मंत्री ही होता है।पद को कोई नाम दे देने से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है।
दरअसल इस जनहित याचिका में कहा गया था कि संविधान में कोई प्रविधान नहीं होने के बावजूद विभिन्न राज्य सरकारों ने उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उपमुख्यमंत्री का पद संविधान में नहीं लिखा है। अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति का राज्य के नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है। न ही कथित उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति होने पर राज्य की जनता का कोई अतिरिक्त कल्याण होता है।
याचिका में यह भी कहा गया था कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति से बड़े पैमाने पर जनता में भ्रम पैदा होता है और राजनीतिक दलों द्वारा काल्पनिक पोर्टफोलियो बनाकर गलत और अवैध उदाहरण स्थापित किए जा रहे हैं, क्योंकि उपमुख्यमंत्रियों के बारे में कोई भी स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते हैं, हालांकि उन्हें मुख्यमंत्रियों के बराबर दिखाया जाता है।
मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, सबसे पहले और सबसे जरूरी बात यह है कि एक उपमुख्यमंत्री राज्य सरकार में मंत्री होता है और इससे संविधान का उल्लंघन नहीं होता।पीठ ने कहा कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति कुछ राज्यों में पार्टी या सत्ता में पार्टियों के गठबंधन में वरिष्ठ नेताओं को थोड़ा अधिक महत्व देने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रथा है... यह असंवैधानिक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उपमुख्यमंत्री का पदनाम उस संवैधानिक स्थिति का उलंघन नहीं करता है कि एक मुख्यमंत्री को विधानसभा के लिए चुना जाना चाहिए। लिहाजा इस याचिका में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।
14 राज्यों में 26 उपमुख्यमंत्री
बता दें कि देशभर के 14 राज्यों में इस समय 26 उपमुख्यमंत्री नियुक्त हैं।सबसे अधिक डिप्टी सीएम आंध्र प्रदेश में हैं। वहां सीएम वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार में उनके पांच डिप्टी हैं।
पूरे देश में चर्चा का विषय बनी पाकिस्तानी महिला सीमा गुलाम हैदर की सिफारिश अब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू तक पहुंच गई है। सीमा हैदर को जहां एक और कानूनन उसके मुल्क वापस पाकिस्तान भेजने की बातें कही जा रही हैं, वहीं इसी बीच सीमा हमेशा के लिए भारत में रह जाएं इसकी कवायद में जुट गई है। सीमा हैदर को भारत की नागरिकता दिए जाने की मांग राष्ट्रपति के समक्ष की गई है।
भारत की बहू होने के आधार पर मांगी नागरिकता
सीमा हैदर ने अपने वकील डॉ. एपी सिंह के जरिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दया याचिका भेजी। याचिका में सीमा ने सचिन मीणा से शादी होने के बाद भारत की नागरिकता देने, भारत में ही रहने देने की मांग की है। याचिका के साथ लगाए गए हलफनामे में एक चौकाने वाली बात समाने आई है वह यह है कि सीमा ने इसमें अपना पूरा नाम सीमा हैदर की जगह सीमा मीणा लिखा है। इसके अलावा अपनी शादी के फोटोग्राफ भी भेजे हैं। सीमा के वकील डॉ. एपी सिंह के अनुसार सीमा ने नेपाल में ग्रेटर नोएडा के सचिन मीणा से शादी की थी तो अब वह भारत की बहू है। इसी आधार पर सीमा भारत की नागरिकता चाहती है।
पाकिस्तान गई तो हो जाएगी हत्या
पाकिस्तान से आई सीमा हैदर ने पीएम मोदी और सीएम योगी से भी गुहार लगाई है कि उसे पाकिस्तान ना भेजा जाए, नहीं तो वह मौत के मुंह में चली जाएगी। उसे चाहे जहां रखें भारत में, लेकिन उसे सचिन और उसके बच्चों के साथ यहीं रखें। सीमा ने यह भी बताया कि उसका भाई 2022 में पाकिस्तानी आर्मी में भर्ती हुआ था, लेकिन वह सबसे निचले रैंक पर है। उसने बताया कि मेरे चाचा की बात आ रही है कि वह पाकिस्तानी आर्मी में थे, तब वह पैदा भी नहीं हुई थी। सीमा ने बताया कि उसकी शादी पशुपतिनाथ मंदिर में हुई जबकि मंदिर की देखरेख करने वाले ट्रस्ट के प्रवक्ता का कहना है कि मंदिर में कोई शादी नहीं होती है।
सचिन और बच्चों के साथ डिटेंशन सेंटर में भी रहने को तैयार
सीमा खुद को सिर्फ इस बात का दोषी बताती है कि उसने गलत तरीके से भारत में एंट्री की। वह कहती है कि उसने यह सब सचिन के प्यार के लिए किया और वह सचिन के बिना नहीं रह सकती है। सीमा हैदर ने खुद के पाकिस्तानी एजेंट होने की बात को सिरे से खारिज किया है। सीमा ने कहा है कि वो किसी भी सजा के लिए तैयार है, लेकिन वह वापस पाकिस्तान नहीं जाना चाहती है। इतना ही नहीं, सीमा ने कहा है कि वो सचिन और अपने बच्चों के साथ डिटेंशन सेंटर में रहने को भी तैयार है।
ससुराल पक्ष के घर में रहने की चाहत
इसमें आगे कहा गया है कि सचिन मीणा के साथ हिंदू रीति रिवाजों से शादी करने के बाद अब अपने पति और चारों बच्चों के साथ, जिन्हें सचिन ने अपना लिया है, अपने ससुराल पक्ष के घर में रहना चाहती हैं। उनकी प्रार्थना है कि उन्हें इसकी इजाजत दी जाए, ताकि वह यहां भारतीय संस्कृति के तहत अपना जीवन जी सकें।
बता दें कि सीमा को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने पर 4 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके प्रेमी सचिन को अवैध प्रवासी को शरण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।दोनों को 7 जुलाई को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी। सीमा अपने 4 बच्चों के साथ ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा इलाके के एक घर में सचिन के साथ रह रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यायपालिका और कॉलेजियम प्रणाली पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणी पर राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें वकीलों के एक संगठन ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर कार्रवाई की मांग की थी। बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (बीएलए) ने न्यायपालिका को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में रिजिजू और धनखड़ के खिलाफ याचिका डाली थी। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी यह याचिका खारिज की थी।
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (बीएलए)की तरफ से उसके अध्यक्ष अहमद आब्दी की याचिका में उपराष्ट्रपति धनखड़ और रिजिजू के कुछ बयानों का हवाला दिया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि रिजिजू ने जजों की नियुक्ति करने की कॉलेजियम व्यवस्था के खिलाफ लगातार बयान दिए हैं। कॉलेजियम के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज होते हैं। उन पर अविश्वास जता कर कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान लोगों की नजर में गिराने की कोशिश की है।
बीएलए ने दावा किया था कि रिजिजू और धनखड़ ने अपनी टिप्पणियों और आचरण से संविधान में विश्वास की कमी दिखाई है। बीएलए ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति के रूप में और रिजिजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया था।बीएलए ने कुछ कार्यक्रमों में उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री के दिए गए बयानों का हवाला दिया।
याचिका में यह भी कहा गया था कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया। संसद से पारित कानून को रद्द करने को संसद की स्वायत्तता का हनन बताया। उन्होंने 1973 के ऐतिहासिक 'केशवानंद भारती' फैसले के जरिए स्थापित 'बेसिक स्ट्रक्चर डॉक्ट्रिन' यानी 'मूल ढांचा सिद्धांत' को भी गलत कहा। इस तरह का बयान देकर उन्होंने संविधान का पालन करने की शपथ के विरुद्ध काम किया।
क्या बोले थे रिजिजू और धनखड़?
केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली ‘‘अस्पष्ट और अपारदर्शी’’ है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 1973 के केशवानंद भारती केस के ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाया था, जिसने बुनियादी ढांचे का सिद्धांत दिया था। धनखड़ ने कहा था कि इस फैसले ने एक गलत मिसाल कायम की है और अगर कोई प्राधिकार संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर सवाल उठाता है, तो यह कहना मुश्किल होगा कि ‘हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं'।
ఢిల్లీ: ఢిల్లీ లిక్కర్ స్కాం కేసు (Delhi Liquor Scam)లో ఎమ్మెల్సీ కవితకు ఎన్ఫోర్స్మెంట్ డైరెక్టరేట్ (ఈడీ) షాకిచ్చింది
సుప్రీంకోర్టు (Supreme Court)లో ఈడీ కేవియట్ పిటిషన్ దాఖలు చేసింది. ఎమ్మెల్సీ కవిత (MLC Kavitha) కేసులో ముందస్తు ఆదేశాలు ఇవ్వొద్దని పిటిషన్లో ఈడీ పేర్కొంది. తమ వాదన విన్న తర్వాతే నిర్ణయం తీసుకోవాలని కోర్టును కోరింది. తమ వాదనలు వినకుండా ఎలాంటి ఆదేశాలు ఇవ్వొద్దని సుప్రీంకు ఈడీ విజ్ఞప్తి చేసింది. ఈనెల 24న కవిత పిటిషన్పై సుప్రీంకోర్టులో విచారణ జరుగనుంది. కేవియట్ పిటిషన్ దాఖలుతో కవిత తరపు వాదనలు, ఈడీ తరపు వాదనలు సుప్రీంకోర్టు విననుంది.
ఈడీ (ED) తనను విచారణకు పిలవడాన్ని సవాల్ చేస్తూ కవిత సుప్రీంలో పిటిషన్ దాఖలు చేయగా... 24న విచారిస్తామని కోర్టు తెలిపిన విషయం తెలిసిందే. మార్చి 16న ఈడీ విచారణకు కవిత గైర్హాజరయ్యారు. దీంతో ఈనెల 20న విచారణకు రావాలని కవితకు ఈడీ నోటీసులు జారీ చేసింది. ఈ నేపథ్యంలో 20 తేదీలోపే తన పిటిషన్పై విచారణ జరపాలని మరోసారి సుప్రీంకోర్టును కవిత అభ్యర్థించింది. అయితే కవిత పిటిషన్ను తాము ముందు చెప్పిన విధంగా 24నే విచారిస్తామని.. దాంట్లో ఎలాంటి మార్పు లేదని సుప్రీంకోర్టు స్పష్టం చేసింది.
అయితే ఈ నెల 24న సుప్రీంకోర్టులో తన పిటిషన్ (Petition) విచారణ జరిగేంత వరకూ ఆగాలని కవిత చేసిన అభ్యర్థనను ఈడీ తోసిపుచ్చింది. విచారణ విషయంలో మహిళనైన తన పట్ల ఈడీ వ్యవహరిస్తున్న తీరును ప్రశ్నిస్తూ ఏకంగా లేఖాస్త్రాన్ని సంధించారు. తనను వ్యక్తిగతంగా హాజరు కావాలని ఈడీ తాజా సమన్లలో ఎక్కడా పేర్కొనలేదని అందులో ప్రస్తావించారు. ఒక మహిళను ఈడీ కార్యాలయానికి పిలిపించడాన్ని సవాలు చేస్తూ ఇప్పటికే సుప్రీంకోర్టుకు వెళ్లానని గుర్తు చేశారు. దర్యాప్తు న్యాయపరంగా, చట్టప్రకారం జరగడం లేదనే అనుమానాలు కలుగుతున్నాయని విమర్శించారు. సుప్రీంకోర్టు ఈ నెల 24 ఈ నెల 24న తన కేసు విచారణకు స్వీకరించే దాకా వేచి చూడాలని, ఏమైనా సమాచారం కావాలంటే తన అధికారిక ప్రతినిధికి చెప్పాలని, లేకపోతే తనకు ఈ-మెయిల్ చేయవచ్చని ఆమె ఈ లేఖలో పేర్కొన్నారు.
సాధ్యమైనంత వరకు ఈడీ దర్యాప్తు తప్పించుకోవాలని కవిత ప్రయత్నిస్తున్నారనే విమర్శలు వస్తున్నాయి. అయితే, ఢిల్లీ లిక్కర్ స్కాం కేసులో నిందితులైన అరుణ్ రామచంద్ర పిళ్లై, ఆడిటర్ బుచ్చిబాబులను ముఖాముఖి కూర్చోబెట్టి ఒకరు చెప్పిన సాక్ష్యాలను మరొకరితో ధ్రువీకరింపచేయాలని, అనంతరం అరుణ్ పిళ్లైని కవితతో ముఖాముఖి కూర్చోబెట్టి వాస్తవాలను అంగీకరింపచేయాలని ఈడీ కృతనిశ్చయంతో ఉన్నట్లు స్పష్టమవుతోంది. ఒకవేళ కవిత విచారణకు సహకరించకపోతే ఈ దఫా విచారణ తర్వాత ఆమెను అరెస్టు చేసే అవకాశాలున్నాయని అధికార వర్గాలు అంటున్నాయి.
Avinash Reddy Bail: అవినాష్ రెడ్డి బెయిల్పై విచారణ.. కీలక వ్యాఖ్యలు చేసిన కోర్టు..
Avinash Reddy Bail Petition: ఎంపీ అవినాష్ రెడ్డి(MP Avinash Reddy) ముందస్తు బెయిల్ రద్దు పిటిషన్పై తెలంగాణ హైకోర్టులో(Telangana High Court) గురువారం విచారణ జరిగింది..
ఈ పిటిషన్పై సీబీఐ(CBI) తరఫు న్యాయవాది, పిటిషనర్ తరఫు న్యాయవాది జడ శ్రావణ్ వాదనలు వినిపించారు. ఎంపీ అవినాష్ రెడ్డి ద్వారా తనకు ప్రాణాహనీ ఉందని అప్రూవర్ దస్తగిరి(Dasthagiri) తరుపు కోర్టు దృష్టి తీసుకెళ్లారు. దేవిరెడ్డి శివ శంకర్ రెడ్డి కుమారుడు చైతన్య రెడ్డి.. తాను జైల్లో ఉన్న సమయంలో ప్రలోభాలకు గురిచేశాడని దస్తగిరి పిటిషన్లో పేర్కొన్నాడు. తన తండ్రి పైనా అవినాష్ అనుచరులు దాడి చేశారని గుర్తు చేశారు. ఎంపీ అవినాష్ రెడ్డి చాలా ప్రభావితమైన వ్యక్తి అని, ఆయనకు వెంటనే బెయిల్ రద్దు చేయాలని కోర్టును కోరారు పిటిషనర్ తరుపు న్యాయవాది.
మరోవైపు దస్తగిరికి ప్రాణ హానీ ఉందని సీబీఐ వాదించింది. దీనికి ప్రతిస్పందించిన హైకోర్టు.. దస్తగిరిక ప్రాణ హానీ ఉందని మీరు ఇప్పుడు ఎలా చెబుతున్నారు? అని ప్రశ్నించింది. అవినాష్ రెడ్డి బెయిల్ రద్దుపై సుప్రీంకోర్టుకు ఎందుకు వెళ్లలేదని సీబీఐని హైకోర్టు సూటిగా ప్రశ్నించింది. ఈ ప్రశ్నకు స్పందించిన సీబీఐ.. సుప్రీంలో బెయిల్ రద్దు చేయాలని సవాల్ చేసే లోపే వివేకా కూతురు సునీత సుప్రీంకోర్టుకు వెళ్లిందని పేర్కొంది. దీంతో సీబీఐ సైతం సునీత పెటిషన్లో కౌంటర్ దాఖలు చేశామని హైకోర్టుకు సీబీఐ వివరణ ఇచ్చింది.
కాగా, విట్నెస్ ప్రొటెక్షన్ స్కీమ్ కింద రిపోర్ట్ ఇవ్వాలని సీబీఐకి నాంపల్లి కోర్టు ఆదేశాలు ఇచ్చింది. తమకు ప్రాణాహనీ ఉందని దస్తగిరి భార్య, దస్తగిరి ఇద్దరూ సీబీఐకి ఫిర్యాదు చేశారు. అయితే, దీనిపై ఇంకా చర్యలు తీసుకోలేదని పిటిషనర్ తరుపు న్యాయవాది.. కోర్టు దృష్టికి తీసుకెళ్లారు. దీనికి స్పందించిన హైకోర్టు.. విట్నెస్ ప్రొటెక్షన్ రిపోర్ట్ వచ్చాక పరిశీలించి నిర్ణయం తీసుంటామని హైకోర్టు ధర్మాసనం తెలిపింది. తదుపరి విచారణను ఏప్రిల్ 8వ తేదీకి వాయిదా వేసింది..
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग की थी।
अदालत ने मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है कि अरविंद केजरीवाल अपने पद पर बने नहीं रह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि ये कार्यपालिका से जुड़ा मामला है। दिल्ली के उपराज्यपाल इस मामले को देखेंगे और फिर वह राष्ट्रपति को भेजेंगे। इस मामले में कोर्ट की कोई भूमिका नहीं है। मामले पर दिल्ली हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई की।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर संवैधानिक सवाल है, तो उपराज्यपाल (एलजी) देखेंगे, वो ही राष्ट्रपति के पास ले जा सकते हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि हां, इसमें कुछ प्रैक्टिकल दिक्कत होगी, लेकिन हम कैसे एलजी या राष्ट्रपति को कुछ कह सकते हैं। केंद्र सरकार का काम है, हम कैसे दखल दें।
कोर्ट ने कहा आज के समाचार पत्रों में कहा गया है कि एलजी इस मुद्दे की जांच कर रहे हैं। याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट ने कहा कि आप हमें व्यावहारिक कठिनाई दिखा रहे हैं, लेकिन हमें कोई ऐसा प्रतिबंध दिखाइए जो इसे रोकता हो। कोर्ट ने कहा कि आप हमें व्यावहारिक कठिनाई दिखा रहे हैं, लेकिन हमें कोई ऐसी बाधा दिखाइए जो इसे रोकती हो।
बता दें कि सुरजीत यादव नाम के शख्स ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल कर कहा था कि आबकारी मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की 21 मार्च को गिरफ्तारी हुई। वह ईडी की हिरासत में हैं। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा देना चाहिए।उन्होंने कहा कि उनका कारावास में होना न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में बाधा डालता है, बल्कि राज्य की संवैधानिक मशीनरी को भी कमजोर करता है। याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 का हवाला देते हुए दावा किया है कि एक कैदी केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करने में अक्षम बनाती है।
ईडी की शिकायत पर केजरीवाल को कोर्ट का समन, 16 मार्च को होना होगा पेश
#courtonedpetitionissuessummontoarvindkejriwal
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है। शराब घोटाला से जुड़े मामले में केजरीवाल एक नई मुश्किल में घिरते दिख रहे हैं। दिल्ली शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) द्वारा की गई दूसरी शिकायत पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को 16 मार्च को पेश होने का आदेश दिया है।बता दें कि ईडी के 8 समन के बाद भी दिल्ली के सीएम जांच एजेंसी के सामने पूछताछ के लिए पेश नहीं हुए थे। इसके बाद ईडी ने दोबारा कोर्ट का रुख किया था। जिसपर कोर्ट ने केजरीवाल को पेशी के लिए समन भेजा है।
प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में बार-बार समन का पालन न करने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक नई शिकायत दिल्ली कोर्ट में दी। ईडी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक ने चार से आठ समन का पालन नहीं किया है। जिसके बाद एसीएमएम दिव्या मल्होत्रा ने ईडी की शिकायत को सूचीबद्ध कर लिया और सात मार्च को सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित की थी।
केजरीवाल के खिलाफ आठ समन हो चुके हैं जारी
दिल्ली शराब घोटाले में कथित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं और इसी मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने दिल्ली मुख्यामंत्री अरविंद केजरीवाल को समन जारी किया है। इससे पहले 27 फरवरी को भी ईडी ने केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन भेजा था। लेकिन केजरीवाल आठवें समन पर भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। इससे पहले बीती साल 2 नवंबर, 21 दिसंबर और इस साल 3 जनवरी, 18 जनवरी, 2 फरवरी, 14 फरवरी और 22 फरवरी और 3 मार्च को ईडी केजरीवाल को पूछताछ के लिए समन जारी कर चुकी थी।
क्या है पूरा मामला?
आरोप है कि दिल्ली सरकार ने 2021-22 के लिए एक्साइज नीति के तहत जिन शराब व्यापारियों को लाइसेंस जारी किए थे, उन्होंने इसके लिए रिश्वत दी थी और साथ ही मनपसंद शराब व्यापारियों को ही लाइसेंस जारी किए गए। दिल्ली की नई आबकारी नीति 2021/22 को बनाने और उसके क्रियान्वयन में घोटाले के आरोपों के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 20 जुलाई, 2022 को मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। जिसके बाद 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने शिकायत दर्ज की थी। जिसमें तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 बनाया था।सीबीआई के बाद ईडी ने 22 अगस्त, 2022 को आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एंगल पर जांच शुरू की। दिल्ली की आबकारी नीति में घोटाले के आरोप लगे हैं। इस मामले में सीबीआई जांच कर रही है। वहीं, इस केस में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से ईडी जांच में जुटी है। केंद्रीय एजेंसियों ने अब तक इस मामले में आप के दो बड़े नेताओं मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को गिरफ्तार किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों में उपमुख्यमंत्री नियुक्त करने की प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया है। अलग-अलग राज्यों में उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिस पर आज कोर्ट ने बड़ी बात कही है।चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने ‘पब्लिक पॉलिटिकल पार्टी’ द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा, यह सिर्फ एक (पद का) नाम है और भले ही आप किसी को उपमुख्यमंत्री कहते हैं, इससे दर्जा नहीं बदलता।उप-मुख्यमंत्री भी मंत्री ही होता है।पद को कोई नाम दे देने से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं होता है।
दरअसल इस जनहित याचिका में कहा गया था कि संविधान में कोई प्रविधान नहीं होने के बावजूद विभिन्न राज्य सरकारों ने उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति की है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उपमुख्यमंत्री का पद संविधान में नहीं लिखा है। अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति का राज्य के नागरिकों से कोई लेना-देना नहीं है। न ही कथित उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति होने पर राज्य की जनता का कोई अतिरिक्त कल्याण होता है।
याचिका में यह भी कहा गया था कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति से बड़े पैमाने पर जनता में भ्रम पैदा होता है और राजनीतिक दलों द्वारा काल्पनिक पोर्टफोलियो बनाकर गलत और अवैध उदाहरण स्थापित किए जा रहे हैं, क्योंकि उपमुख्यमंत्रियों के बारे में कोई भी स्वतंत्र निर्णय नहीं ले सकते हैं, हालांकि उन्हें मुख्यमंत्रियों के बराबर दिखाया जाता है।
मामले में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, सबसे पहले और सबसे जरूरी बात यह है कि एक उपमुख्यमंत्री राज्य सरकार में मंत्री होता है और इससे संविधान का उल्लंघन नहीं होता।पीठ ने कहा कि उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति कुछ राज्यों में पार्टी या सत्ता में पार्टियों के गठबंधन में वरिष्ठ नेताओं को थोड़ा अधिक महत्व देने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रथा है... यह असंवैधानिक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि उपमुख्यमंत्री का पदनाम उस संवैधानिक स्थिति का उलंघन नहीं करता है कि एक मुख्यमंत्री को विधानसभा के लिए चुना जाना चाहिए। लिहाजा इस याचिका में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।
14 राज्यों में 26 उपमुख्यमंत्री
बता दें कि देशभर के 14 राज्यों में इस समय 26 उपमुख्यमंत्री नियुक्त हैं।सबसे अधिक डिप्टी सीएम आंध्र प्रदेश में हैं। वहां सीएम वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार में उनके पांच डिप्टी हैं।
पूरे देश में चर्चा का विषय बनी पाकिस्तानी महिला सीमा गुलाम हैदर की सिफारिश अब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू तक पहुंच गई है। सीमा हैदर को जहां एक और कानूनन उसके मुल्क वापस पाकिस्तान भेजने की बातें कही जा रही हैं, वहीं इसी बीच सीमा हमेशा के लिए भारत में रह जाएं इसकी कवायद में जुट गई है। सीमा हैदर को भारत की नागरिकता दिए जाने की मांग राष्ट्रपति के समक्ष की गई है।
भारत की बहू होने के आधार पर मांगी नागरिकता
सीमा हैदर ने अपने वकील डॉ. एपी सिंह के जरिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दया याचिका भेजी। याचिका में सीमा ने सचिन मीणा से शादी होने के बाद भारत की नागरिकता देने, भारत में ही रहने देने की मांग की है। याचिका के साथ लगाए गए हलफनामे में एक चौकाने वाली बात समाने आई है वह यह है कि सीमा ने इसमें अपना पूरा नाम सीमा हैदर की जगह सीमा मीणा लिखा है। इसके अलावा अपनी शादी के फोटोग्राफ भी भेजे हैं। सीमा के वकील डॉ. एपी सिंह के अनुसार सीमा ने नेपाल में ग्रेटर नोएडा के सचिन मीणा से शादी की थी तो अब वह भारत की बहू है। इसी आधार पर सीमा भारत की नागरिकता चाहती है।
पाकिस्तान गई तो हो जाएगी हत्या
पाकिस्तान से आई सीमा हैदर ने पीएम मोदी और सीएम योगी से भी गुहार लगाई है कि उसे पाकिस्तान ना भेजा जाए, नहीं तो वह मौत के मुंह में चली जाएगी। उसे चाहे जहां रखें भारत में, लेकिन उसे सचिन और उसके बच्चों के साथ यहीं रखें। सीमा ने यह भी बताया कि उसका भाई 2022 में पाकिस्तानी आर्मी में भर्ती हुआ था, लेकिन वह सबसे निचले रैंक पर है। उसने बताया कि मेरे चाचा की बात आ रही है कि वह पाकिस्तानी आर्मी में थे, तब वह पैदा भी नहीं हुई थी। सीमा ने बताया कि उसकी शादी पशुपतिनाथ मंदिर में हुई जबकि मंदिर की देखरेख करने वाले ट्रस्ट के प्रवक्ता का कहना है कि मंदिर में कोई शादी नहीं होती है।
सचिन और बच्चों के साथ डिटेंशन सेंटर में भी रहने को तैयार
सीमा खुद को सिर्फ इस बात का दोषी बताती है कि उसने गलत तरीके से भारत में एंट्री की। वह कहती है कि उसने यह सब सचिन के प्यार के लिए किया और वह सचिन के बिना नहीं रह सकती है। सीमा हैदर ने खुद के पाकिस्तानी एजेंट होने की बात को सिरे से खारिज किया है। सीमा ने कहा है कि वो किसी भी सजा के लिए तैयार है, लेकिन वह वापस पाकिस्तान नहीं जाना चाहती है। इतना ही नहीं, सीमा ने कहा है कि वो सचिन और अपने बच्चों के साथ डिटेंशन सेंटर में रहने को भी तैयार है।
ससुराल पक्ष के घर में रहने की चाहत
इसमें आगे कहा गया है कि सचिन मीणा के साथ हिंदू रीति रिवाजों से शादी करने के बाद अब अपने पति और चारों बच्चों के साथ, जिन्हें सचिन ने अपना लिया है, अपने ससुराल पक्ष के घर में रहना चाहती हैं। उनकी प्रार्थना है कि उन्हें इसकी इजाजत दी जाए, ताकि वह यहां भारतीय संस्कृति के तहत अपना जीवन जी सकें।
बता दें कि सीमा को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने पर 4 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके प्रेमी सचिन को अवैध प्रवासी को शरण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।दोनों को 7 जुलाई को एक स्थानीय अदालत ने जमानत दे दी थी। सीमा अपने 4 बच्चों के साथ ग्रेटर नोएडा के रबूपुरा इलाके के एक घर में सचिन के साथ रह रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यायपालिका और कॉलेजियम प्रणाली पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू की टिप्पणी पर राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें वकीलों के एक संगठन ने कानून मंत्री किरेन रिजिजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पर कार्रवाई की मांग की थी। बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (बीएलए) ने न्यायपालिका को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में रिजिजू और धनखड़ के खिलाफ याचिका डाली थी। इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी यह याचिका खारिज की थी।
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन (बीएलए)की तरफ से उसके अध्यक्ष अहमद आब्दी की याचिका में उपराष्ट्रपति धनखड़ और रिजिजू के कुछ बयानों का हवाला दिया गया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि रिजिजू ने जजों की नियुक्ति करने की कॉलेजियम व्यवस्था के खिलाफ लगातार बयान दिए हैं। कॉलेजियम के सदस्य सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज होते हैं। उन पर अविश्वास जता कर कानून मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान लोगों की नजर में गिराने की कोशिश की है।
बीएलए ने दावा किया था कि रिजिजू और धनखड़ ने अपनी टिप्पणियों और आचरण से संविधान में विश्वास की कमी दिखाई है। बीएलए ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति के रूप में और रिजिजू को केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया था।बीएलए ने कुछ कार्यक्रमों में उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री के दिए गए बयानों का हवाला दिया।
याचिका में यह भी कहा गया था कि उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति ने नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत बताया। संसद से पारित कानून को रद्द करने को संसद की स्वायत्तता का हनन बताया। उन्होंने 1973 के ऐतिहासिक 'केशवानंद भारती' फैसले के जरिए स्थापित 'बेसिक स्ट्रक्चर डॉक्ट्रिन' यानी 'मूल ढांचा सिद्धांत' को भी गलत कहा। इस तरह का बयान देकर उन्होंने संविधान का पालन करने की शपथ के विरुद्ध काम किया।
क्या बोले थे रिजिजू और धनखड़?
केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली ‘‘अस्पष्ट और अपारदर्शी’’ है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 1973 के केशवानंद भारती केस के ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाया था, जिसने बुनियादी ढांचे का सिद्धांत दिया था। धनखड़ ने कहा था कि इस फैसले ने एक गलत मिसाल कायम की है और अगर कोई प्राधिकार संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर सवाल उठाता है, तो यह कहना मुश्किल होगा कि ‘हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं'।
ఢిల్లీ: ఢిల్లీ లిక్కర్ స్కాం కేసు (Delhi Liquor Scam)లో ఎమ్మెల్సీ కవితకు ఎన్ఫోర్స్మెంట్ డైరెక్టరేట్ (ఈడీ) షాకిచ్చింది
సుప్రీంకోర్టు (Supreme Court)లో ఈడీ కేవియట్ పిటిషన్ దాఖలు చేసింది. ఎమ్మెల్సీ కవిత (MLC Kavitha) కేసులో ముందస్తు ఆదేశాలు ఇవ్వొద్దని పిటిషన్లో ఈడీ పేర్కొంది. తమ వాదన విన్న తర్వాతే నిర్ణయం తీసుకోవాలని కోర్టును కోరింది. తమ వాదనలు వినకుండా ఎలాంటి ఆదేశాలు ఇవ్వొద్దని సుప్రీంకు ఈడీ విజ్ఞప్తి చేసింది. ఈనెల 24న కవిత పిటిషన్పై సుప్రీంకోర్టులో విచారణ జరుగనుంది. కేవియట్ పిటిషన్ దాఖలుతో కవిత తరపు వాదనలు, ఈడీ తరపు వాదనలు సుప్రీంకోర్టు విననుంది.
ఈడీ (ED) తనను విచారణకు పిలవడాన్ని సవాల్ చేస్తూ కవిత సుప్రీంలో పిటిషన్ దాఖలు చేయగా... 24న విచారిస్తామని కోర్టు తెలిపిన విషయం తెలిసిందే. మార్చి 16న ఈడీ విచారణకు కవిత గైర్హాజరయ్యారు. దీంతో ఈనెల 20న విచారణకు రావాలని కవితకు ఈడీ నోటీసులు జారీ చేసింది. ఈ నేపథ్యంలో 20 తేదీలోపే తన పిటిషన్పై విచారణ జరపాలని మరోసారి సుప్రీంకోర్టును కవిత అభ్యర్థించింది. అయితే కవిత పిటిషన్ను తాము ముందు చెప్పిన విధంగా 24నే విచారిస్తామని.. దాంట్లో ఎలాంటి మార్పు లేదని సుప్రీంకోర్టు స్పష్టం చేసింది.
అయితే ఈ నెల 24న సుప్రీంకోర్టులో తన పిటిషన్ (Petition) విచారణ జరిగేంత వరకూ ఆగాలని కవిత చేసిన అభ్యర్థనను ఈడీ తోసిపుచ్చింది. విచారణ విషయంలో మహిళనైన తన పట్ల ఈడీ వ్యవహరిస్తున్న తీరును ప్రశ్నిస్తూ ఏకంగా లేఖాస్త్రాన్ని సంధించారు. తనను వ్యక్తిగతంగా హాజరు కావాలని ఈడీ తాజా సమన్లలో ఎక్కడా పేర్కొనలేదని అందులో ప్రస్తావించారు. ఒక మహిళను ఈడీ కార్యాలయానికి పిలిపించడాన్ని సవాలు చేస్తూ ఇప్పటికే సుప్రీంకోర్టుకు వెళ్లానని గుర్తు చేశారు. దర్యాప్తు న్యాయపరంగా, చట్టప్రకారం జరగడం లేదనే అనుమానాలు కలుగుతున్నాయని విమర్శించారు. సుప్రీంకోర్టు ఈ నెల 24 ఈ నెల 24న తన కేసు విచారణకు స్వీకరించే దాకా వేచి చూడాలని, ఏమైనా సమాచారం కావాలంటే తన అధికారిక ప్రతినిధికి చెప్పాలని, లేకపోతే తనకు ఈ-మెయిల్ చేయవచ్చని ఆమె ఈ లేఖలో పేర్కొన్నారు.
సాధ్యమైనంత వరకు ఈడీ దర్యాప్తు తప్పించుకోవాలని కవిత ప్రయత్నిస్తున్నారనే విమర్శలు వస్తున్నాయి. అయితే, ఢిల్లీ లిక్కర్ స్కాం కేసులో నిందితులైన అరుణ్ రామచంద్ర పిళ్లై, ఆడిటర్ బుచ్చిబాబులను ముఖాముఖి కూర్చోబెట్టి ఒకరు చెప్పిన సాక్ష్యాలను మరొకరితో ధ్రువీకరింపచేయాలని, అనంతరం అరుణ్ పిళ్లైని కవితతో ముఖాముఖి కూర్చోబెట్టి వాస్తవాలను అంగీకరింపచేయాలని ఈడీ కృతనిశ్చయంతో ఉన్నట్లు స్పష్టమవుతోంది. ఒకవేళ కవిత విచారణకు సహకరించకపోతే ఈ దఫా విచారణ తర్వాత ఆమెను అరెస్టు చేసే అవకాశాలున్నాయని అధికార వర్గాలు అంటున్నాయి.
Apr 04 2024, 16:49