ऑपरेशन सिंदूर पर शहबाज शरीफ का कबूलनामा, बोले-नूर खान एयरबेस समेत कई जगह गिर भारतीय मिसाइल

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आखिरकार ऊंट पहाड़ के नीचे आ ही गया। ये ‘ऊंट’ कोई और नहीं पाकिस्तान है। जो आज तक भारत के ऑपरेशन सिंदूर से हुए नुकसान से इनकार कर रहा था, उसे एक बार फिर “हार” मानते हुए सच को कबूल लिया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया। पहले तो पाकिस्तान यह स्वीकार नहीं कर रहा था कि उसको भारत के हमलों से कुछ नुकसान हुआ है। अब खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत की मिसाइलों के पाकिस्तानी सैन्य अड्डों को निशाना बनाने की बात भी कबूली। भारत और पाकिस्तान ने चार दिनों तक सैन्य टकराव के दौरान सीमा पार एक दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए थे, जिसके बाद 10 मई को दोनों पक्षों में संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी।

शहबाज का कबूलनामा

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के हमलों में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के लिए देश भर में आयोजित धन्यवाद दिवस (यौम ए तशाकुर) के मौके पर शहबाज ने कहा, सिपहसालार असीम मुनीर ने मुझे 9 और 10 मई की दरमियानी रात को करीब 2:30 बजे सिक्योर्ड लाइन पर फोन कर मुझे बताया, वजीर ए आजम साहब, हिंदुस्तान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल अभी लॉन्च किए हैं। इनमें से एक नूर खान एयरपोर्ट पर गिरा है और दूसरे कुछ दूसरे इलाकों में गिरे हैं।

शांति की बात करने लगे शहबाज

भारत के हाथों जमकर पिटने के बाद अब पाकिस्तानी की हेकड़ी निकली दिख रही है। शहबाज शरीफ ने अब पाकिस्तान को शांति चाहने वाला देश बताने लगे हैं। इसी क्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर भारत के साथ वार्ता की गुहार लगाई है। हालांकि यह भी जोड़ा कि कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों पर बात होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, इससे सबक यह मिलता है क शांतिप्रिय पड़ोसियों की तरह हम जम्मू-कश्मीर समेत अपने लंबित मुद्दे सुलझाएं। इन मुद्दों को सुलझाए बगैर दुनिया के इस हिस्से में शांति नहीं आएगी। यदि शांति स्थापित होगी तो आतंकवाद से लड़ने में हम भी पूरा सहयोग दे सकते हैं।

शहबाज शरीफ ने की पीएम मोदी की कॉपी, पहुंचे पसरूर छावनी, टैंक पर चढ़कर दिया भाषण, भारत को दी धमकी

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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सेना के जवानों से मिलने आदमपुर एयरबेस पहुंचे थे। जहां उन्होंने सेना को संबधित करने हुए उनका उत्साह बढ़ाया। अब भारत के हाथों बुरी तरह से पिटने वाली अपनी सेना से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुलाकात की है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपनी सेना से मिलने पसरूर आर्मी छावनी पहुंचे। शहबाज इस दौरान भाषण देने के लिए टैंक पर चढ़ गए। इस दौरान वही पुरानी बातें दोहराई और पाकिस्तानी सेना की कथित बहादुरी की प्रशंसा की।

दिखावे से बाज नहीं आ रहा पाक

शहबाज शरीफ बुधवार को सियालकोट स्थित पसरूर छावनी पहुंचे और वहां भारत के साथ हालिया संघर्ष में शामिल सैन्य अधिकारियों और सैनिकों से बातचीत की। शहबाज शरीफ पसरूर आर्मी कैंट में मौजूद एक टैंक पर चढ़ गए। इस टैंक पर एक पोस्टर लगा हुआ था जिसमें पाकिस्तानी सेना के उन सैनिकों की तस्वीरें थीं, जो भारतीय एयर स्ट्राइक में मारे गए थे। यह टैंक घास से ढका हुआ था और इसे इस प्रकार प्रस्तुत किया गया था जैसे यह किसी युद्ध के दौरान की स्थिति हो। शहबाज शरीफ ने टैंक के ऊपर से ही भाषण दिया, जिसमें उनके साथ आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर, एयर चीफ मार्शल, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और अन्य सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

पाक सेना की बहादुरी की जमकर तारीफ की

अपने भाषण में शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी सेना की बहादुरी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि दुश्मन की सेना हमसे कई गुना बड़ी थी, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उन्हें हराकर साबित किया कि उनका हौसला बुलंद है। उन्होंने कहा, हमारी सेना की बहादुरी पर भविष्य में कई किताबें लिखी जाएंगी और रिसर्च की जाएगी। अगर मुझे मौका मिला तो मैं भी इस पर किताब लिखूंगा। हमारी सेना के जवान हमारी कौम के गर्व हैं।

भारत की जवाबी कार्रवाई में ध्वस्त हुआ पसरूर कैंट

यह वही सैन्य अड्डा है, जिसे भारत ने जवाबी कार्रवाई के दौरान ध्वस्त कर दिया था। पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए छह और सात मई की दरमियानी रात को भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया गया था। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।इसके बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को कई भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। भारतीय सशस्त्र बलों ने रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सक्कर और चुनियन सहित कई पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर भीषण जवाबी हमला किया। पसरूर और सियालकोट स्थित एयर बेस पर स्थित रडार केंद्रों को भी सटीक हथियारों का उपयोग करके निशाना बनाया गया जिससे भारी नुकसान हुआ।

भारतीय सेना को मिली एक्शन लेने की आजादी को शहबाज के “छूटे पसीने”, संयुक्त राष्ट्र से लगाई गुहार

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पहले आतंकी हमला कराया उसके बाद पाकिस्तान के नेता भारत को चुनौती देने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। हालांकि, ये सब उनका डर ही है कि वे अपने से ज्यादा ताकतवर देश को आंखों दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान की सरकार भारत के हमले से डरकर यूनाइटेड नेशंस की शरण में आई है। पाकिस्तान की सरकार ने भारत के हमले से डरकर संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगाई है।

भारत को संयम बरतने की सलाह देने की अपील

एक तरफ पाकिस्तान आतंक को पाल रहा है कि तो दूसरी तरफ भारत ने अपनी सेना को 'आतंकवाद को कुचलने’ के लिए पूरी तरह से खुली छूट दे दी है। इस हालात में पाकिस्तान का खौफ में आना लाजमी है। तभी तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद 'भारत को सलाह' देने की अपील की है।

मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी किए गये एक बयान में कहा गया है कि "शहबाज शरीफ ने पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार कर दिया है।" इसके अलावा शहबाज शरीफ के कार्यालय ने कहा है कि "प्रधानमंत्री इस बात पर जोर देते हुए, कि भारत द्वारा किसी भी दुस्साहस की स्थिति में पाकिस्तान अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की पूरी ताकत से रक्षा करेगा, प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भारत को जिम्मेदारी से काम करने और संयम बरतने की सलाह देने की अपील की है।"

यूएन का तनाव को बढ़ने से रोकने का आग्रह

इसके बाद यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी टोनियो गुटेरेस ने भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को फोन करके दोनों पक्षों से तनाव कम करने और तनाव को बढ़ने से रोकने का आग्रह किया। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक बयान में कहा है कि "उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और टकराव से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके दुखद परिणाम हो सकते हैं।" इसके अलावा उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए अपने ऑफिस से मदद का ऑफर दिया है।

सेना को मिली खुली छूट

ये सब उस वक्त हुआ जब मंगलवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेना को अपने हिसाब से पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की आजादी दे दी है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं में पूर्ण विश्वास और भरोसा जताया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें हमारी प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय पर फैसला लेने का पूरा ऑपरेशनल फ्रीडम है। उन्होंने भारतीय सेना के सामने भारत के 'आतंकवाद को कुचलने के लिए राष्ट्रीय संकल्प' बताया है।

भारत के एक्शन से तिलमिलाया पाकिस्तान की गीदड़भभकी, शहबाज शरीफ ने कहा- किसी भी हालात से निपटने को तैयार

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पहलगाम हमले में इस्लामाबाद की भूमिका को लेकर भारत के आरोपों का जवाब दिया है। अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि वह पहलगाम आतंकी हमले की "तटस्थ और पारदर्शी जांच" के लिए तैयार हैं। हालांकि शरीफ ये बात भी कहने से नहीं चूके कि उनका देश किसी भी दुस्साहस के लिए तैयार है।

पहलगाम आतंकी हमले की जांच की अपील

शहबाज शरीफ भारत के आरोपों को नकारते हुए कहा कि ये आरोप बिना किसी विश्वसनीय जांच और साक्ष्य के लगाए गए हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहाउन्होंने कहा कि भारत की तरफ से आरोप लगाने का सिलसिला बंद होना चाहिए और पहलगाम आतंकी हमले की जांच की अपील की।

एक-एक इंच की जमीन की रक्षा करेंगे-शरीफ

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, हम किसी भी तटस्थ, पारदर्शी जांच में भाग लेने के लिए तैयार है। शांति हमारी प्राथमिकता है। हम अपनी अखंडता और सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करेंगे। शहबाज शरीफ ने जोर देकर कहा कि हमारी सेना किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा हम पाकिस्तान की एक-एक इंच की जमीन की रक्षा करेंगे।

भारत आरोप-प्रत्यारोप का खेल बंद करे-शरीफ

शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत आरोप-प्रत्यारोप का खेल बंद करे और इस बात पर जोर दिया का भारत की किसी भी कार्रवाई का सामना पूरी ताकत से किया जाएगा। पाकिस्तान सेना प्रमुख की मौजूदगी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए शहबाज ने कहा, 'पाकिस्तान शांति चाहता है, लेकिन उसकी इस इच्छा को कमजोरी न समझा जाए।' उन्होंने कहा कि अगर भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो पूरी ताकत से जवाब देंगे।

पहलगाम हमले के बाद बढ़े तनाव

पहलगाम हाल के वर्षों में कश्मीर में सबसे घातक आतंकवादी हमलों में से एक का गवाह बना। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले सुंदर बैसरन घाटी में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी। भारत, जिसने परोक्ष रूप से आतंकवादी हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है, ने दंडात्मक उपायों की झड़ी लगा दी और राजनयिक संबंधों को कम कर दिया। सिंधु जल संधि को निलंबित करने के अलावा, भारत ने पाकिस्तानियों को वीजा जारी करना रद्द कर दिया है और वाघा-अटारी सीमा को बंद कर दिया है। पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की है और भारतीय स्वामित्व वाली और संचालित एयरलाइनों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है।

भारत के एक्शन से तिलमिलाया पाकिस्तान, पीएमओ ने बुलाई एनएससी की बैठक

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22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। भारत की ओर से पहले ही संदेश दिया जा चुका है “आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को लगातार पनाह दी जा रही है। एक बार फिर पहलगाम मे हुए हमले के बाद सीमा पार से लिंकेज सामने आया है। जिसके बाद सरकार जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित कर दी, अटारी चेक पोस्ट बंद किया, पाकिस्तानी नागरिकों के SAARC वीजा रद्द किए, और दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाने का फैसला लिया। यही नहीं भारत में पाकिस्तान का एक्स अकाउंट बी रद्द कर दिया गया है। इस बातों से तिलमिलाए पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई है।

पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने देर रात एक पोस्ट में एनएससी बैठक के बारे में जानकारी दी। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक्स पर किए गए एक पोस्ट में बताया कि नेशनल सिक्योरिटी इस बातचीत का अहम टॉपिक होने वाला है। उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री मोहम्मद शाहबाज शरीफ ने आज शाम को भारत सरकार के बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए गुरुवार सुबह 24 अप्रैल को नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक बुलाई है।"

इधर, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के को लेकर दिल्ली में 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। ये मीटिंग रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में होगी। सर्वदलीय बैठक में हमले के बाद के हालात, सुरक्षा उपायों और आगे की रणनीति पर बातचीत होगी। जिसमें तमाम दलों के नेता शामिल होंगे।

हमले के पीछे सीमा पार की साजिशें

इससे पहले बुधवार शाम को कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की एक आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की विस्तृत जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यह बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली। बैठक में अन्य लोगों के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए।

बैठक में यह बताया गया कि इस हमले के पीछे सीमा पार की साजिशें हैं। यह हमला उस समय हुआ, जब केंद्रशासित प्रदेश में सफलतापूर्वक चुनाव संपन्न हुए थे और क्षेत्र आर्थिक विकास की ओर अग्रसर है।

सीसीएस ने पाकिस्तान के खिलाफ उठाए कई कड़े कदम

हमले की गंभीरता को देखते हुए सीसीएस ने कई कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया और पाकिस्तान को साफ संदेश दिया। इन फैसलों में सिंधु जल संधि रद्द करना, भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग में राजनयिकों की संख्या में कटौती, पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने के आदेश समेत कई निर्णय लिए गए। पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा/सेना, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित किया गया है।

पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के बेटे हसन नवाज दिवालिया घोषित, लंदन में निलाम होगी संपत्ति

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ब्रिटेन की सरकार ने नवाज शरीफ के बेटे हसन नवाज को दिवालिया घोषित कर दिया है। लंदन प्रशासन ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बेटे हसन नवाज को वर्ष 2025 का टैक्स डिफॉल्टर घोषित किया है। उनके खिलाफ दिवालिया की कार्रवाई अगले महीने से शुरू होने की संभावना है।

लंदन प्रशासन के गैजेट के मुताबिक, हसन नवाज पर लगभग 10 मिलियन पाउंड (1,12,13,64,000.00 भारतीय रुपए) का आयकर टैक्स बकाया है। आरोप है कि नवाज शरीफ के बेटे हसन शरीफ उसे जानबूझकर नहीं चुका रहे हैं। आधिकारिक सूचना के अनुसार, यह टैक्स वर्ष 2015-16 से बकाया है।

हसन नवाज का नाम पनामा पेपर लीक मामले में भी सामने आया था। उसमें उन पर और उनके परिवार पर काले धन से अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा था। इसके बाद हसन नवाज शरीफ ने लंदन की अपनी एक संपत्ति को 38 मिलियन पाउंड में अली रियाज मलिक नाम के एक पाकिस्तान को बेच दिया था। वह अपने आप में संदिग्ध बताया जाता है। यह भी कहा जाता है कि यह शख्स शरीफ परिवार के काले धन को सफेद करने का काम करता था।

वहीं, हसन नवाज के करीबी लोगों का कहना है कि उन्होंने सभी करों का भुगतान कर दिया था, लेकिन जब उनसे अतिरिक्त आयकर की मांग की गई, तो उन्होंने इसे चुकाने से इनकार कर दिया। यह मामला यूनाइटेड किंगडम के आयकर विभाग द्वारा हाईकोर्ट तक ले जाया गया, जहां सुनवाई के बाद अदालत ने हसन नवाज को दिवालिया घोषित कर दिया।

पीएम मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह पर भेजी चादर, हाजी सलमान चिश्ती ने किया स्वागत

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अजमेर की गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 813वां उर्स शुरू हो गया है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल की तरह इस साल भी अजमेर शरीफ स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर भेजी है।4 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की चादर अजमेर शरीफ दरगाह में मजार पर चढ़ाई जाएगी। बता दें कि पीएम मोदी ने 11वीं बार अजमेर शरीफ की दरगाह पर चादर भेजी है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री तथा संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू 4 जनवरी को अजमेर आएंगे जहां वे ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर पीएम मोदी की चादर पेश करेंगे।

पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को चादर सौंप दी है। अब अल्पसंख्यक मंत्री पहले (3 जनवरी) निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर जाएंगे। भेंट की गई चादर को निजामुद्दीन औलिया में ले जाने के बाद अजमेर शरीफ दरगाह पर ले जाया जाएगा।

'देश की सभ्यता निभा रहे पीएम मोदी'- नसरुद्दीन चिश्ती

इसको लेकर अजमेर दरगाह प्रमुख नसरुद्दीन चिश्ती की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की चादर का हम खैर-मकदम करते हैं। ये देश की परंपरा रही है कि साल 1947 के बाद से जो भी पीएम हुए हैं, उन्होंने ख्वाजा गरीब नवाज के दरबार में अकीदत के तौर पर चादरें भेजी हैं। साल 2014 से पीएम मोदी भी इस परंपरा को निभा रहे हैं। इसी के साथ नरेंद्र मोदी हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता को भी निभा रहे हैं। नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, हमारी सभ्यता यह कहती है कि हर मजहब, धर्म और संप्रदाय और हर मजहब के संतों का सम्मान होना चाहिए। इस परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निभा रहे हैं और बहुत ही अदब के साथ वह इस दरबार में 10 साल से चादर भेज रहे हैं।

आप ने कसा तंज

वहीं, पीएम मोदी की तरफ चादर चढ़ाए जाने पर तमाम विपक्षी दल तंज कसते नजर आ रहे हैं।दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पीएम मोदी की तरफ से चढ़ाई जाने वाली चादर चढ़ाने पर तंज कसा है, उन्होंने कहा कि अब बीजेपी बदल रही है क्या? पहले दिल्ली में इमामों की तनख्वाह की मांग कर रहे थे , अब दरगाह में चादर चढ़ा रहे हैं।

अजमेर की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा

बता दें कि पीएम मोदी की दी गई चादर को अजमेर शरीफ दरगाह की मजार पर ऐसे समय में चढ़ाई जाएगी, जब पिछले दिनों हिंदू राष्ट्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।

कौन थे संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, अजमेर में कैसे बनी उनकी दरगाह? जिस पर हो रहा विवाद

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Ajmer Shariff

अजमेर की दरगाह, जिसे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के नाम से जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण सूफी धार्मिक स्थलों में से एक है। यह न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी भारतीय समाज को प्रेम, मानवता और भाईचारे का संदेश देती हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में इस दरगाह को लेकर कुछ विवाद उठे हैं, जो सांप्रदायिक और प्रशासनिक पहलुओं से संबंधित हैं। इन विवादों के कारण दरगाह का ऐतिहासिक महत्व और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश संकट में है।

अजमेर की एक सिविल कोर्ट द्वारा 13वीं शताब्दी में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के स्थल पर भगवान शिव का मंदिर होने का दावा करने वाले मुकदमे पर नोटिस जारी करने के एक दिन बाद, गुरुवार को देश भर के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अजमेर शरीफ दरगाह, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर विवाद है, जिसमें कुछ लोगों का दावा है कि यह दरगाह शिव मंदिर है। दावा दक्षिणपंथी हिंदू सेना के नेता विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर कर दावा किया है कि यह दरगाह शिव मंदिर है। प्रतिक्रिया अजमेर की एक निचली अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस दावे का जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया। 

कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है:

चिश्ती फाउंडेशन: चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष सलमान चिश्ती ने कहा कि अदालतें सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के निहितार्थों की अनदेखी कर रही हैं।

यूनाइटेड मुस्लिम फोरम राजस्थान: यूनाइटेड मुस्लिम फोरम राजस्थान के अध्यक्ष मुजफ्फर भारती ने कहा कि सिविल मुकदमे ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन किया है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी): पार्टी ने कानूनी कार्यवाही को समाप्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज-राजस्थान: पीयूसीएल-राजस्थान के अध्यक्ष भंवर मेघवंशी ने सरकार से निराधार दावे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया।

उन्होंने भारत में सूफी धर्म की शिक्षा देने के लिए अपनी दरगाह अजमेर में स्थापित की, जो जल्द ही एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बन गया। उनका उद्देश्य था कि वे समाज को बिना किसी भेदभाव के प्रेम और समर्पण का मार्ग दिखाएं। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके विचार हिन्दू, जैन, सिख और अन्य समुदायों के बीच भी समादृत हुए।

दरगाह पर उठ रहे विवाद

 हाल के कुछ वर्षों में इस स्थल को लेकर विवाद उठे हैं,यह विवाद मुख्यतः प्रशासनिक नियंत्रण और धार्मिक भेदभाव के कारण उभरे हैं। 

1. प्रशासनिक विवाद

अजमेर स्थित दरगाह का प्रशासन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। पिछले कुछ समय से स्थानीय प्रशासन, विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक संगठन, और दरगाह के संरक्षण को लेकर असहमतियां सामने आई हैं। कुछ संगठनों का आरोप है कि दरगाह का प्रशासन एक विशिष्ट समुदाय के हाथों में है, और इस पर राजनीतिक प्रभाव बढ़ रहा है। इसके कारण कई बार प्रशासनिक कार्यों में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप भी लगते रहे हैं। 

2. सांप्रदायिक विवाद

दरगाह का महत्व केवल मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि यह हिन्दू, जैन और सिख समुदायों के बीच भी एक सांप्रदायिक धरोहर के रूप में प्रतिष्ठित है। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ धार्मिक संगठनों ने इसे सांप्रदायिक दृष्टिकोण से देखा है और आरोप लगाया है कि कुछ संगठन इस स्थल का दुरुपयोग कर धार्मिक भेदभाव बढ़ा रहे हैं। इस विवाद का प्रमुख कारण दरगाह में हो रही धार्मिक गतिविधियाँ और सांप्रदायिक संदर्भ में इसे प्रचारित करने की कोशिशें हैं। कुछ तत्वों का मानना है कि इस दरगाह को केवल मुसलमानों का स्थल बनाकर अन्य धर्मों को इससे बाहर रखा जा रहा है, जबकि दरगाह के वास्तविक उद्देश्य के खिलाफ यह प्रयास है। 

3. सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रशासन और सांप्रदायिक विवाद के साथ-साथ राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ रहा है। विभिन्न राजनीतिक दल और नेता इस स्थल को अपनी स्वार्थी राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे दरगाह की पवित्रता और उसकी मूल भावना में विघटन का खतरा उत्पन्न हो रहा है। इसलिए, प्रशासनिक विवादों को सुलझाने के लिए पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक समरसता की भावना को बनाए रखते हुए इस ऐतिहासिक स्थल की पवित्रता और महत्व को सुरक्षित रखना चाहिए।

पंजाब के सीएम भगवंत मान को लिखूंगी खत” क्यों कहनी पड़ी है मरियम को यह बात

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हरियाणा और पंजाब में जलने वाली पराली को अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही स्मॉग का जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, लेकिन अब पाकिस्तान भी यही आरोप लगाने लगा है। दरअसल, धुंध और प्रदूषण की परेशानी से भारत और पाकिस्तान के दोनों तरफ के पंजाब परेशान हैं। इस बीच पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने प्रदूषण से निपटने के लिए भारत और पाकिस्तान के मिलकर काम करने की बात कही है। मरियम नवाज ने कहा है कि स्मॉग की समस्या को लेकर वो भारतीय पंजाब के सीएम भगवंत मान को पत्र लिखने की सोच रही हूं।

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर में एक दिवाली कार्यक्रम में मरियम ने कहा कि लाहौर में जो धुंध छाया है, उस पर हमें भारत के साथ समन्वय की जरूरत है। मैं भारत में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखने की सोच रहा हूं क्योंकि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि एक मानवीय मुद्दा है। अगर हम भी इस दिशा में कदम उठा रहे हैं, तो भारतीय पक्ष से भी पहल होनी चाहिए।

हवाओं को सरहद का नहीं पता

मरियम ने इस दौरान कहा कि हवाओं को नहीं पता कि बीच में एक सीमा है और दोनों तरफ धुंध है। मुझे लगता है कि जब तक दोनों पंजाब एक साथ नहीं आते, हम स्मॉग की समस्या से नहीं निपट पाएंगे। हमें मिलकर काम करना चाहिए कि लोगों को अच्छी हवा सांस लेने को मिल सके क्योंकि अच्छी सेहत दोनों ही तरफ के लोगों का हक है।

क्यों कहनी पड़ी है मरियम को यह बात

मरियम पंजाब को यह बात इसलिए कहनी पड़ी है, क्योंकि पाकिस्तानी पंजाब के पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने लाहौर में फैली प्रदूषण की चादर का ठीकरा भारतीय पंजाब पर फोड़ा है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि भारत के अमृतसर और चंडीगढ़ से 7 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से प्रदूषित हवा लाहौर पहुंच रही है। ऐसा कुछ दिनों से हवा की दिशा बदलने के कारण हुआ है। पाकिस्तानी पंजाब की सीनियर मंत्री मरियम औरंगजेब के ऑफिस ने भी लाहौर के लिए इमरजेंसी अलर्ट जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि हम स्मॉग हटाने की जितनी कोशिश कर रहे हैं, उतनी अपने यहां भारत नहीं कर रहा है।

बता दें कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में स्कूलों शुक्रवार से रविवार तक बंद रहेंगे। धुंध का स्तर बढ़ने और एयर क्वालिटी खराब होने के कारण यह फैसला लिया गया।लाहौर में औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 208 दर्ज किए जाने के बाद ऐसा किया गया।लाहौर को पाकिस्तान का सबसे प्रदूषित शहर माना गया है और इसे दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना गया है। इसका मुख्य कारण धुंध के कारण बिगड़ती स्थिति है।

नवाज शरीफ ने भारत से रिश्ते शुरू करने की लगाई गुहार, बोले-75 साल बर्बाद किए अब...

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भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के दौरे के बाद पाकिस्तान “शराफत” में नजर आ रहा है। दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लिया। जिसके बाद पाकिस्तान को भारत के साथ रिश्तों को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-एन के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने तो भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की सार्वजनिक तौर पर अपील कर डाली। नवाज शरीफ ने कहा कि एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा एक शुरुआत है। यहां से भारत और पाकिस्तान को अपने इतिहास को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।

पाकिस्तान मुस्लिस लीग (एन) के अध्यक्ष शरीफ ने भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा दोनों देशों के रिश्ते के लिए अहम है। जिससे भारत और पाकिस्तान दोनों को अपनी समस्याओं जैसे ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिल सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की जरूरत है। 

हमने 75 साल गंवा दिए-शरीफ

शरीफ ने कहा बात ऐसे ही बढ़ती है। यह खत्म नहीं होनी चाहिए। अच्छा होता मोदी साहब यहां खुद तशरीफ लाते, लेकिन ये भी अच्छा है कि जयशंकर आए। अब हमें वहीं से शुरुआत करनी चाहिए, जहां हमने इसे छोड़ा था। हमने 75 साल गंवा दिए हैं, अब हमें अगले 75 सालों के बारे में सोचना चाहिए।

पीएम मोदी की लाहौर यात्रा की सराहना की

दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लाहौर की अचानक यात्रा की सराहना करते हुए शरीफ ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच संबंधों में 'लंबे समय से जारी ठहराव से खुश नहीं हैं और उम्मीद जतायी कि दोनों पक्षों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। नवाज ने कहा, हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते, न ही पाकिस्तान और न ही भारत। हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए।

रिश्तों में लंबे विराम से खुश नहीं-नवाज

नवाज शरीफ ने ये भी कहा, मेरे पिता के पासपोर्ट में उनका जन्मस्थान अमृतसर लिखा है। हम एक ही संस्कृति, परंपरा, भाषा, भोजन साझा करते हैं। मैं इस बात से खुश नहीं हूं कि हमारे रिश्ते में एक लॉन्ग पॉज (लंबा विराम) आ चुका है। भले ही लीडर्स के बीच अच्छा व्यवहार न हो, लेकिन लोगों के बीच रिश्ता बहुत बढ़िया है। मैं पाकिस्तान के उन लोगों की तरफ से बोल सकता हूं जो भारत के लोगों के लिए सोचते हैं और मैं भारतीय लोगों के लिए भी यही कहूंगा।'

बिगड़े रिश्तों के लिए इमरान खान को बताया जिम्मेदार

शरीफ ने दोनों देशों के बीच बिगड़े रिश्तों के लिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों का जिक्र किया। शरीफ ने कहा कि उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल किया, उसने भारत के साथ संबंधों को खराब कर दिया। नेताओं को ऐसी भाषा बोलना तो दूर, सोचना भी नहीं चाहिए।

ऑपरेशन सिंदूर पर शहबाज शरीफ का कबूलनामा, बोले-नूर खान एयरबेस समेत कई जगह गिर भारतीय मिसाइल

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आखिरकार ऊंट पहाड़ के नीचे आ ही गया। ये ‘ऊंट’ कोई और नहीं पाकिस्तान है। जो आज तक भारत के ऑपरेशन सिंदूर से हुए नुकसान से इनकार कर रहा था, उसे एक बार फिर “हार” मानते हुए सच को कबूल लिया है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया। पहले तो पाकिस्तान यह स्वीकार नहीं कर रहा था कि उसको भारत के हमलों से कुछ नुकसान हुआ है। अब खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत की मिसाइलों के पाकिस्तानी सैन्य अड्डों को निशाना बनाने की बात भी कबूली। भारत और पाकिस्तान ने चार दिनों तक सैन्य टकराव के दौरान सीमा पार एक दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले किए थे, जिसके बाद 10 मई को दोनों पक्षों में संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी।

शहबाज का कबूलनामा

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के हमलों में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों के लिए देश भर में आयोजित धन्यवाद दिवस (यौम ए तशाकुर) के मौके पर शहबाज ने कहा, सिपहसालार असीम मुनीर ने मुझे 9 और 10 मई की दरमियानी रात को करीब 2:30 बजे सिक्योर्ड लाइन पर फोन कर मुझे बताया, वजीर ए आजम साहब, हिंदुस्तान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल अभी लॉन्च किए हैं। इनमें से एक नूर खान एयरपोर्ट पर गिरा है और दूसरे कुछ दूसरे इलाकों में गिरे हैं।

शांति की बात करने लगे शहबाज

भारत के हाथों जमकर पिटने के बाद अब पाकिस्तानी की हेकड़ी निकली दिख रही है। शहबाज शरीफ ने अब पाकिस्तान को शांति चाहने वाला देश बताने लगे हैं। इसी क्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर भारत के साथ वार्ता की गुहार लगाई है। हालांकि यह भी जोड़ा कि कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों पर बात होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, इससे सबक यह मिलता है क शांतिप्रिय पड़ोसियों की तरह हम जम्मू-कश्मीर समेत अपने लंबित मुद्दे सुलझाएं। इन मुद्दों को सुलझाए बगैर दुनिया के इस हिस्से में शांति नहीं आएगी। यदि शांति स्थापित होगी तो आतंकवाद से लड़ने में हम भी पूरा सहयोग दे सकते हैं।

शहबाज शरीफ ने की पीएम मोदी की कॉपी, पहुंचे पसरूर छावनी, टैंक पर चढ़कर दिया भाषण, भारत को दी धमकी

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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सेना के जवानों से मिलने आदमपुर एयरबेस पहुंचे थे। जहां उन्होंने सेना को संबधित करने हुए उनका उत्साह बढ़ाया। अब भारत के हाथों बुरी तरह से पिटने वाली अपनी सेना से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुलाकात की है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अपनी सेना से मिलने पसरूर आर्मी छावनी पहुंचे। शहबाज इस दौरान भाषण देने के लिए टैंक पर चढ़ गए। इस दौरान वही पुरानी बातें दोहराई और पाकिस्तानी सेना की कथित बहादुरी की प्रशंसा की।

दिखावे से बाज नहीं आ रहा पाक

शहबाज शरीफ बुधवार को सियालकोट स्थित पसरूर छावनी पहुंचे और वहां भारत के साथ हालिया संघर्ष में शामिल सैन्य अधिकारियों और सैनिकों से बातचीत की। शहबाज शरीफ पसरूर आर्मी कैंट में मौजूद एक टैंक पर चढ़ गए। इस टैंक पर एक पोस्टर लगा हुआ था जिसमें पाकिस्तानी सेना के उन सैनिकों की तस्वीरें थीं, जो भारतीय एयर स्ट्राइक में मारे गए थे। यह टैंक घास से ढका हुआ था और इसे इस प्रकार प्रस्तुत किया गया था जैसे यह किसी युद्ध के दौरान की स्थिति हो। शहबाज शरीफ ने टैंक के ऊपर से ही भाषण दिया, जिसमें उनके साथ आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर, एयर चीफ मार्शल, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और अन्य सैन्य अधिकारी भी मौजूद थे।

पाक सेना की बहादुरी की जमकर तारीफ की

अपने भाषण में शहबाज शरीफ ने पाकिस्तानी सेना की बहादुरी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि दुश्मन की सेना हमसे कई गुना बड़ी थी, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने उन्हें हराकर साबित किया कि उनका हौसला बुलंद है। उन्होंने कहा, हमारी सेना की बहादुरी पर भविष्य में कई किताबें लिखी जाएंगी और रिसर्च की जाएगी। अगर मुझे मौका मिला तो मैं भी इस पर किताब लिखूंगा। हमारी सेना के जवान हमारी कौम के गर्व हैं।

भारत की जवाबी कार्रवाई में ध्वस्त हुआ पसरूर कैंट

यह वही सैन्य अड्डा है, जिसे भारत ने जवाबी कार्रवाई के दौरान ध्वस्त कर दिया था। पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए छह और सात मई की दरमियानी रात को भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया गया था। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।इसके बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को कई भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। भारतीय सशस्त्र बलों ने रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सक्कर और चुनियन सहित कई पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर भीषण जवाबी हमला किया। पसरूर और सियालकोट स्थित एयर बेस पर स्थित रडार केंद्रों को भी सटीक हथियारों का उपयोग करके निशाना बनाया गया जिससे भारी नुकसान हुआ।

भारतीय सेना को मिली एक्शन लेने की आजादी को शहबाज के “छूटे पसीने”, संयुक्त राष्ट्र से लगाई गुहार

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पहले आतंकी हमला कराया उसके बाद पाकिस्तान के नेता भारत को चुनौती देने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। हालांकि, ये सब उनका डर ही है कि वे अपने से ज्यादा ताकतवर देश को आंखों दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान की सरकार भारत के हमले से डरकर यूनाइटेड नेशंस की शरण में आई है। पाकिस्तान की सरकार ने भारत के हमले से डरकर संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगाई है।

भारत को संयम बरतने की सलाह देने की अपील

एक तरफ पाकिस्तान आतंक को पाल रहा है कि तो दूसरी तरफ भारत ने अपनी सेना को 'आतंकवाद को कुचलने’ के लिए पूरी तरह से खुली छूट दे दी है। इस हालात में पाकिस्तान का खौफ में आना लाजमी है। तभी तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद 'भारत को सलाह' देने की अपील की है।

मंगलवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से जारी किए गये एक बयान में कहा गया है कि "शहबाज शरीफ ने पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ होने से इनकार कर दिया है।" इसके अलावा शहबाज शरीफ के कार्यालय ने कहा है कि "प्रधानमंत्री इस बात पर जोर देते हुए, कि भारत द्वारा किसी भी दुस्साहस की स्थिति में पाकिस्तान अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की पूरी ताकत से रक्षा करेगा, प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भारत को जिम्मेदारी से काम करने और संयम बरतने की सलाह देने की अपील की है।"

यूएन का तनाव को बढ़ने से रोकने का आग्रह

इसके बाद यूनाइटेड नेशंस के सेक्रेटरी टोनियो गुटेरेस ने भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को फोन करके दोनों पक्षों से तनाव कम करने और तनाव को बढ़ने से रोकने का आग्रह किया। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने एक बयान में कहा है कि "उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और टकराव से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके दुखद परिणाम हो सकते हैं।" इसके अलावा उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए अपने ऑफिस से मदद का ऑफर दिया है।

सेना को मिली खुली छूट

ये सब उस वक्त हुआ जब मंगलवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक की। बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेना को अपने हिसाब से पाकिस्तान के खिलाफ एक्शन लेने की आजादी दे दी है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं में पूर्ण विश्वास और भरोसा जताया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें हमारी प्रतिक्रिया के तरीके, लक्ष्य और समय पर फैसला लेने का पूरा ऑपरेशनल फ्रीडम है। उन्होंने भारतीय सेना के सामने भारत के 'आतंकवाद को कुचलने के लिए राष्ट्रीय संकल्प' बताया है।

भारत के एक्शन से तिलमिलाया पाकिस्तान की गीदड़भभकी, शहबाज शरीफ ने कहा- किसी भी हालात से निपटने को तैयार

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पहलगाम हमले में इस्लामाबाद की भूमिका को लेकर भारत के आरोपों का जवाब दिया है। अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि वह पहलगाम आतंकी हमले की "तटस्थ और पारदर्शी जांच" के लिए तैयार हैं। हालांकि शरीफ ये बात भी कहने से नहीं चूके कि उनका देश किसी भी दुस्साहस के लिए तैयार है।

पहलगाम आतंकी हमले की जांच की अपील

शहबाज शरीफ भारत के आरोपों को नकारते हुए कहा कि ये आरोप बिना किसी विश्वसनीय जांच और साक्ष्य के लगाए गए हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहाउन्होंने कहा कि भारत की तरफ से आरोप लगाने का सिलसिला बंद होना चाहिए और पहलगाम आतंकी हमले की जांच की अपील की।

एक-एक इंच की जमीन की रक्षा करेंगे-शरीफ

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, हम किसी भी तटस्थ, पारदर्शी जांच में भाग लेने के लिए तैयार है। शांति हमारी प्राथमिकता है। हम अपनी अखंडता और सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करेंगे। शहबाज शरीफ ने जोर देकर कहा कि हमारी सेना किसी भी हालात से निपटने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा हम पाकिस्तान की एक-एक इंच की जमीन की रक्षा करेंगे।

भारत आरोप-प्रत्यारोप का खेल बंद करे-शरीफ

शहबाज शरीफ ने कहा कि भारत आरोप-प्रत्यारोप का खेल बंद करे और इस बात पर जोर दिया का भारत की किसी भी कार्रवाई का सामना पूरी ताकत से किया जाएगा। पाकिस्तान सेना प्रमुख की मौजूदगी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए शहबाज ने कहा, 'पाकिस्तान शांति चाहता है, लेकिन उसकी इस इच्छा को कमजोरी न समझा जाए।' उन्होंने कहा कि अगर भारत ने सिंधु नदी का पानी रोका तो पूरी ताकत से जवाब देंगे।

पहलगाम हमले के बाद बढ़े तनाव

पहलगाम हाल के वर्षों में कश्मीर में सबसे घातक आतंकवादी हमलों में से एक का गवाह बना। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले सुंदर बैसरन घाटी में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी। भारत, जिसने परोक्ष रूप से आतंकवादी हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है, ने दंडात्मक उपायों की झड़ी लगा दी और राजनयिक संबंधों को कम कर दिया। सिंधु जल संधि को निलंबित करने के अलावा, भारत ने पाकिस्तानियों को वीजा जारी करना रद्द कर दिया है और वाघा-अटारी सीमा को बंद कर दिया है। पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की है और भारतीय स्वामित्व वाली और संचालित एयरलाइनों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है।

भारत के एक्शन से तिलमिलाया पाकिस्तान, पीएमओ ने बुलाई एनएससी की बैठक

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22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। भारत की ओर से पहले ही संदेश दिया जा चुका है “आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को लगातार पनाह दी जा रही है। एक बार फिर पहलगाम मे हुए हमले के बाद सीमा पार से लिंकेज सामने आया है। जिसके बाद सरकार जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित कर दी, अटारी चेक पोस्ट बंद किया, पाकिस्तानी नागरिकों के SAARC वीजा रद्द किए, और दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाने का फैसला लिया। यही नहीं भारत में पाकिस्तान का एक्स अकाउंट बी रद्द कर दिया गया है। इस बातों से तिलमिलाए पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई है।

पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने देर रात एक पोस्ट में एनएससी बैठक के बारे में जानकारी दी। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने एक्स पर किए गए एक पोस्ट में बताया कि नेशनल सिक्योरिटी इस बातचीत का अहम टॉपिक होने वाला है। उन्होंने लिखा, "प्रधानमंत्री मोहम्मद शाहबाज शरीफ ने आज शाम को भारत सरकार के बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए गुरुवार सुबह 24 अप्रैल को नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक बुलाई है।"

इधर, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के को लेकर दिल्ली में 24 अप्रैल को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। ये मीटिंग रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में होगी। सर्वदलीय बैठक में हमले के बाद के हालात, सुरक्षा उपायों और आगे की रणनीति पर बातचीत होगी। जिसमें तमाम दलों के नेता शामिल होंगे।

हमले के पीछे सीमा पार की साजिशें

इससे पहले बुधवार शाम को कैबिनेट सुरक्षा समिति (सीसीएस) की एक आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की विस्तृत जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यह बैठक दो घंटे से अधिक समय तक चली। बैठक में अन्य लोगों के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल हुए।

बैठक में यह बताया गया कि इस हमले के पीछे सीमा पार की साजिशें हैं। यह हमला उस समय हुआ, जब केंद्रशासित प्रदेश में सफलतापूर्वक चुनाव संपन्न हुए थे और क्षेत्र आर्थिक विकास की ओर अग्रसर है।

सीसीएस ने पाकिस्तान के खिलाफ उठाए कई कड़े कदम

हमले की गंभीरता को देखते हुए सीसीएस ने कई कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया और पाकिस्तान को साफ संदेश दिया। इन फैसलों में सिंधु जल संधि रद्द करना, भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग में राजनयिकों की संख्या में कटौती, पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने के आदेश समेत कई निर्णय लिए गए। पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा/सेना, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित किया गया है।

पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ के बेटे हसन नवाज दिवालिया घोषित, लंदन में निलाम होगी संपत्ति

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ब्रिटेन की सरकार ने नवाज शरीफ के बेटे हसन नवाज को दिवालिया घोषित कर दिया है। लंदन प्रशासन ने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बेटे हसन नवाज को वर्ष 2025 का टैक्स डिफॉल्टर घोषित किया है। उनके खिलाफ दिवालिया की कार्रवाई अगले महीने से शुरू होने की संभावना है।

लंदन प्रशासन के गैजेट के मुताबिक, हसन नवाज पर लगभग 10 मिलियन पाउंड (1,12,13,64,000.00 भारतीय रुपए) का आयकर टैक्स बकाया है। आरोप है कि नवाज शरीफ के बेटे हसन शरीफ उसे जानबूझकर नहीं चुका रहे हैं। आधिकारिक सूचना के अनुसार, यह टैक्स वर्ष 2015-16 से बकाया है।

हसन नवाज का नाम पनामा पेपर लीक मामले में भी सामने आया था। उसमें उन पर और उनके परिवार पर काले धन से अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगा था। इसके बाद हसन नवाज शरीफ ने लंदन की अपनी एक संपत्ति को 38 मिलियन पाउंड में अली रियाज मलिक नाम के एक पाकिस्तान को बेच दिया था। वह अपने आप में संदिग्ध बताया जाता है। यह भी कहा जाता है कि यह शख्स शरीफ परिवार के काले धन को सफेद करने का काम करता था।

वहीं, हसन नवाज के करीबी लोगों का कहना है कि उन्होंने सभी करों का भुगतान कर दिया था, लेकिन जब उनसे अतिरिक्त आयकर की मांग की गई, तो उन्होंने इसे चुकाने से इनकार कर दिया। यह मामला यूनाइटेड किंगडम के आयकर विभाग द्वारा हाईकोर्ट तक ले जाया गया, जहां सुनवाई के बाद अदालत ने हसन नवाज को दिवालिया घोषित कर दिया।

पीएम मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह पर भेजी चादर, हाजी सलमान चिश्ती ने किया स्वागत

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अजमेर की गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 813वां उर्स शुरू हो गया है। इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल की तरह इस साल भी अजमेर शरीफ स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर चादर भेजी है।4 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी की चादर अजमेर शरीफ दरगाह में मजार पर चढ़ाई जाएगी। बता दें कि पीएम मोदी ने 11वीं बार अजमेर शरीफ की दरगाह पर चादर भेजी है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री तथा संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू 4 जनवरी को अजमेर आएंगे जहां वे ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के मौके पर पीएम मोदी की चादर पेश करेंगे।

पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को चादर सौंप दी है। अब अल्पसंख्यक मंत्री पहले (3 जनवरी) निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर जाएंगे। भेंट की गई चादर को निजामुद्दीन औलिया में ले जाने के बाद अजमेर शरीफ दरगाह पर ले जाया जाएगा।

'देश की सभ्यता निभा रहे पीएम मोदी'- नसरुद्दीन चिश्ती

इसको लेकर अजमेर दरगाह प्रमुख नसरुद्दीन चिश्ती की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की चादर का हम खैर-मकदम करते हैं। ये देश की परंपरा रही है कि साल 1947 के बाद से जो भी पीएम हुए हैं, उन्होंने ख्वाजा गरीब नवाज के दरबार में अकीदत के तौर पर चादरें भेजी हैं। साल 2014 से पीएम मोदी भी इस परंपरा को निभा रहे हैं। इसी के साथ नरेंद्र मोदी हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता को भी निभा रहे हैं। नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा, हमारी सभ्यता यह कहती है कि हर मजहब, धर्म और संप्रदाय और हर मजहब के संतों का सम्मान होना चाहिए। इस परंपरा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निभा रहे हैं और बहुत ही अदब के साथ वह इस दरबार में 10 साल से चादर भेज रहे हैं।

आप ने कसा तंज

वहीं, पीएम मोदी की तरफ चादर चढ़ाए जाने पर तमाम विपक्षी दल तंज कसते नजर आ रहे हैं।दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पीएम मोदी की तरफ से चढ़ाई जाने वाली चादर चढ़ाने पर तंज कसा है, उन्होंने कहा कि अब बीजेपी बदल रही है क्या? पहले दिल्ली में इमामों की तनख्वाह की मांग कर रहे थे , अब दरगाह में चादर चढ़ा रहे हैं।

अजमेर की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा

बता दें कि पीएम मोदी की दी गई चादर को अजमेर शरीफ दरगाह की मजार पर ऐसे समय में चढ़ाई जाएगी, जब पिछले दिनों हिंदू राष्ट्र सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने अजमेर की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका पर अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।

कौन थे संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, अजमेर में कैसे बनी उनकी दरगाह? जिस पर हो रहा विवाद

#conflictonajmersharifdargah

Ajmer Shariff

अजमेर की दरगाह, जिसे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के नाम से जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे महत्वपूर्ण सूफी धार्मिक स्थलों में से एक है। यह न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के मुसलमानों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी भारतीय समाज को प्रेम, मानवता और भाईचारे का संदेश देती हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में इस दरगाह को लेकर कुछ विवाद उठे हैं, जो सांप्रदायिक और प्रशासनिक पहलुओं से संबंधित हैं। इन विवादों के कारण दरगाह का ऐतिहासिक महत्व और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश संकट में है।

अजमेर की एक सिविल कोर्ट द्वारा 13वीं शताब्दी में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के स्थल पर भगवान शिव का मंदिर होने का दावा करने वाले मुकदमे पर नोटिस जारी करने के एक दिन बाद, गुरुवार को देश भर के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अजमेर शरीफ दरगाह, सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर विवाद है, जिसमें कुछ लोगों का दावा है कि यह दरगाह शिव मंदिर है। दावा दक्षिणपंथी हिंदू सेना के नेता विष्णु गुप्ता ने याचिका दायर कर दावा किया है कि यह दरगाह शिव मंदिर है। प्रतिक्रिया अजमेर की एक निचली अदालत ने अजमेर दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस दावे का जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया। 

कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है:

चिश्ती फाउंडेशन: चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष सलमान चिश्ती ने कहा कि अदालतें सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता के निहितार्थों की अनदेखी कर रही हैं।

यूनाइटेड मुस्लिम फोरम राजस्थान: यूनाइटेड मुस्लिम फोरम राजस्थान के अध्यक्ष मुजफ्फर भारती ने कहा कि सिविल मुकदमे ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का उल्लंघन किया है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी): पार्टी ने कानूनी कार्यवाही को समाप्त करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की।

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज-राजस्थान: पीयूसीएल-राजस्थान के अध्यक्ष भंवर मेघवंशी ने सरकार से निराधार दावे करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया।

उन्होंने भारत में सूफी धर्म की शिक्षा देने के लिए अपनी दरगाह अजमेर में स्थापित की, जो जल्द ही एक प्रमुख धार्मिक केंद्र बन गया। उनका उद्देश्य था कि वे समाज को बिना किसी भेदभाव के प्रेम और समर्पण का मार्ग दिखाएं। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उनके विचार हिन्दू, जैन, सिख और अन्य समुदायों के बीच भी समादृत हुए।

दरगाह पर उठ रहे विवाद

 हाल के कुछ वर्षों में इस स्थल को लेकर विवाद उठे हैं,यह विवाद मुख्यतः प्रशासनिक नियंत्रण और धार्मिक भेदभाव के कारण उभरे हैं। 

1. प्रशासनिक विवाद

अजमेर स्थित दरगाह का प्रशासन एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। पिछले कुछ समय से स्थानीय प्रशासन, विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक संगठन, और दरगाह के संरक्षण को लेकर असहमतियां सामने आई हैं। कुछ संगठनों का आरोप है कि दरगाह का प्रशासन एक विशिष्ट समुदाय के हाथों में है, और इस पर राजनीतिक प्रभाव बढ़ रहा है। इसके कारण कई बार प्रशासनिक कार्यों में भ्रष्टाचार और गड़बड़ी के आरोप भी लगते रहे हैं। 

2. सांप्रदायिक विवाद

दरगाह का महत्व केवल मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं है, बल्कि यह हिन्दू, जैन और सिख समुदायों के बीच भी एक सांप्रदायिक धरोहर के रूप में प्रतिष्ठित है। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ धार्मिक संगठनों ने इसे सांप्रदायिक दृष्टिकोण से देखा है और आरोप लगाया है कि कुछ संगठन इस स्थल का दुरुपयोग कर धार्मिक भेदभाव बढ़ा रहे हैं। इस विवाद का प्रमुख कारण दरगाह में हो रही धार्मिक गतिविधियाँ और सांप्रदायिक संदर्भ में इसे प्रचारित करने की कोशिशें हैं। कुछ तत्वों का मानना है कि इस दरगाह को केवल मुसलमानों का स्थल बनाकर अन्य धर्मों को इससे बाहर रखा जा रहा है, जबकि दरगाह के वास्तविक उद्देश्य के खिलाफ यह प्रयास है। 

3. सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर प्रशासन और सांप्रदायिक विवाद के साथ-साथ राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ रहा है। विभिन्न राजनीतिक दल और नेता इस स्थल को अपनी स्वार्थी राजनीति के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे दरगाह की पवित्रता और उसकी मूल भावना में विघटन का खतरा उत्पन्न हो रहा है। इसलिए, प्रशासनिक विवादों को सुलझाने के लिए पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक समरसता की भावना को बनाए रखते हुए इस ऐतिहासिक स्थल की पवित्रता और महत्व को सुरक्षित रखना चाहिए।

पंजाब के सीएम भगवंत मान को लिखूंगी खत” क्यों कहनी पड़ी है मरियम को यह बात

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हरियाणा और पंजाब में जलने वाली पराली को अब तक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही स्मॉग का जिम्मेदार ठहराया जा रहा था, लेकिन अब पाकिस्तान भी यही आरोप लगाने लगा है। दरअसल, धुंध और प्रदूषण की परेशानी से भारत और पाकिस्तान के दोनों तरफ के पंजाब परेशान हैं। इस बीच पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने प्रदूषण से निपटने के लिए भारत और पाकिस्तान के मिलकर काम करने की बात कही है। मरियम नवाज ने कहा है कि स्मॉग की समस्या को लेकर वो भारतीय पंजाब के सीएम भगवंत मान को पत्र लिखने की सोच रही हूं।

डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर में एक दिवाली कार्यक्रम में मरियम ने कहा कि लाहौर में जो धुंध छाया है, उस पर हमें भारत के साथ समन्वय की जरूरत है। मैं भारत में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखने की सोच रहा हूं क्योंकि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है बल्कि एक मानवीय मुद्दा है। अगर हम भी इस दिशा में कदम उठा रहे हैं, तो भारतीय पक्ष से भी पहल होनी चाहिए।

हवाओं को सरहद का नहीं पता

मरियम ने इस दौरान कहा कि हवाओं को नहीं पता कि बीच में एक सीमा है और दोनों तरफ धुंध है। मुझे लगता है कि जब तक दोनों पंजाब एक साथ नहीं आते, हम स्मॉग की समस्या से नहीं निपट पाएंगे। हमें मिलकर काम करना चाहिए कि लोगों को अच्छी हवा सांस लेने को मिल सके क्योंकि अच्छी सेहत दोनों ही तरफ के लोगों का हक है।

क्यों कहनी पड़ी है मरियम को यह बात

मरियम पंजाब को यह बात इसलिए कहनी पड़ी है, क्योंकि पाकिस्तानी पंजाब के पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने लाहौर में फैली प्रदूषण की चादर का ठीकरा भारतीय पंजाब पर फोड़ा है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि भारत के अमृतसर और चंडीगढ़ से 7 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से प्रदूषित हवा लाहौर पहुंच रही है। ऐसा कुछ दिनों से हवा की दिशा बदलने के कारण हुआ है। पाकिस्तानी पंजाब की सीनियर मंत्री मरियम औरंगजेब के ऑफिस ने भी लाहौर के लिए इमरजेंसी अलर्ट जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि हम स्मॉग हटाने की जितनी कोशिश कर रहे हैं, उतनी अपने यहां भारत नहीं कर रहा है।

बता दें कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में स्कूलों शुक्रवार से रविवार तक बंद रहेंगे। धुंध का स्तर बढ़ने और एयर क्वालिटी खराब होने के कारण यह फैसला लिया गया।लाहौर में औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 208 दर्ज किए जाने के बाद ऐसा किया गया।लाहौर को पाकिस्तान का सबसे प्रदूषित शहर माना गया है और इसे दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर माना गया है। इसका मुख्य कारण धुंध के कारण बिगड़ती स्थिति है।

नवाज शरीफ ने भारत से रिश्ते शुरू करने की लगाई गुहार, बोले-75 साल बर्बाद किए अब...

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भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के दौरे के बाद पाकिस्तान “शराफत” में नजर आ रहा है। दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लिया। जिसके बाद पाकिस्तान को भारत के साथ रिश्तों को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-एन के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने तो भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की सार्वजनिक तौर पर अपील कर डाली। नवाज शरीफ ने कहा कि एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा एक शुरुआत है। यहां से भारत और पाकिस्तान को अपने इतिहास को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।

पाकिस्तान मुस्लिस लीग (एन) के अध्यक्ष शरीफ ने भारतीय पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा दोनों देशों के रिश्ते के लिए अहम है। जिससे भारत और पाकिस्तान दोनों को अपनी समस्याओं जैसे ऊर्जा संकट और जलवायु परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने का मौका मिल सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों देशों को शांति प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की जरूरत है। 

हमने 75 साल गंवा दिए-शरीफ

शरीफ ने कहा बात ऐसे ही बढ़ती है। यह खत्म नहीं होनी चाहिए। अच्छा होता मोदी साहब यहां खुद तशरीफ लाते, लेकिन ये भी अच्छा है कि जयशंकर आए। अब हमें वहीं से शुरुआत करनी चाहिए, जहां हमने इसे छोड़ा था। हमने 75 साल गंवा दिए हैं, अब हमें अगले 75 सालों के बारे में सोचना चाहिए।

पीएम मोदी की लाहौर यात्रा की सराहना की

दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लाहौर की अचानक यात्रा की सराहना करते हुए शरीफ ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच संबंधों में 'लंबे समय से जारी ठहराव से खुश नहीं हैं और उम्मीद जतायी कि दोनों पक्षों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना चाहिए। नवाज ने कहा, हम अपने पड़ोसियों को नहीं बदल सकते, न ही पाकिस्तान और न ही भारत। हमें अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए।

रिश्तों में लंबे विराम से खुश नहीं-नवाज

नवाज शरीफ ने ये भी कहा, मेरे पिता के पासपोर्ट में उनका जन्मस्थान अमृतसर लिखा है। हम एक ही संस्कृति, परंपरा, भाषा, भोजन साझा करते हैं। मैं इस बात से खुश नहीं हूं कि हमारे रिश्ते में एक लॉन्ग पॉज (लंबा विराम) आ चुका है। भले ही लीडर्स के बीच अच्छा व्यवहार न हो, लेकिन लोगों के बीच रिश्ता बहुत बढ़िया है। मैं पाकिस्तान के उन लोगों की तरफ से बोल सकता हूं जो भारत के लोगों के लिए सोचते हैं और मैं भारतीय लोगों के लिए भी यही कहूंगा।'

बिगड़े रिश्तों के लिए इमरान खान को बताया जिम्मेदार

शरीफ ने दोनों देशों के बीच बिगड़े रिश्तों के लिए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जिम्मेदार ठहराया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों का जिक्र किया। शरीफ ने कहा कि उन्होंने जिस भाषा का इस्तेमाल किया, उसने भारत के साथ संबंधों को खराब कर दिया। नेताओं को ऐसी भाषा बोलना तो दूर, सोचना भी नहीं चाहिए।