स्वच्छ वायु सर्वे में अब 12 वें स्थान पर पहुंचा अपना रायपुर
रायपुर-   राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस पर केंद्र शासन ने देश के 130 शहरों के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की घोषणा 7 सितंबर को राजस्थान के जयपुर में हुए कार्यक्रम में की. इनमें 10 लाख से अधिक आबादी वाले 47 शहरों में रायपुर 12वें नंबर पर आ गया. पिछले साल इसी सर्वेक्षण में रायपुर 16वें नंबर पर था. इस बार अपनी रैंकिंग सुधारकर रायपुर ने 177.5 अंक हासिल कर लिया. बता दें कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की लगातार बढ़ रही मांग ने भी प्रदूषण घटा है.
फैक्ट्रियां की वजह से बढ़ा प्रदूषण का स्तर 

नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक राजधानी में प्रदूषण उरला-सिलतरा की फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुओं के कारण अधिक हो रहा है, अगर इस पर नियंत्रण हो जाए तो शहर की रैंकिंग सुधर जाएगी. इसके लिए नागरिकों को भी जागरूक होना पड़ेगा.

पैरामीटर इस प्रकार तय किये गये 

अप्रैल 2023 से मार्च 2024 को एक साल सर्वे का आधार बनाया गया है. इस स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में केन्द्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जो पैरामीटर सर्वे हेतु रखा गया, उसमें बायोमास एंड म्युनिसिपल वेस्ट बर्निंग, रोड डस्ट, सीएंडडी वेस्ट की डस्ट, वाहन प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, अन्य प्रदूषण, आईईसी गतिविधियां, जनजागरूकता, इम्प्रूवमेंट इन पीएम 10 कंसन्ट्रेशन शामिल थे.

दिल्ली के बाद है रायपुर का नंबर 

स्वच्छ वायु सर्वे में दिल्ली के 185 अंक के बाद 12वें स्थान पर रायपुर के अंक 177.5 अंक हैं. पहले नंबर पर सूरत के 194, जबलपुर के 193, आगरा के 190, लखनऊ के 189, कानपुर के 183.8, वडोदरा के 182, इंदौर के 182, भोपाल के 182, विजयवाड़ा के 182 तथा दसवें नंबर पर अहमदाबाद के 181 अंक हैं.
 
 
IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

एक साल बाद भी “सुलग” रहा मणिपुर, देशभर की यात्रा कर रहे पीएम मोदी ने क्यों इस हिंसाग्रस्त राज्य से बनाई दूरी?

#oneyearofmanipurviolence 

मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे हो गए। पिछले साल 3 मई को शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके है। वहीं, 58 हजार से अधिक बेघर लोग राहत शिविरों में तकलीफों में रह रहें है। हिंसा के एक साल बाद भी राज्य में मैतेई और कुकी-ज़ोमी जनजाति के बीच तनाव जारी है। कुकी बहुल जिलों हों या मैतेई बहुल, सड़कों पर हथियारबंद लोग नजर आ जाएंगे। पूरा राज्य दो हिस्सों में बंटा नजर आ रहा है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर सरकार ने कहा था कि इस हिंसा से जुड़े 5,995 मामले दर्ज हुए और 6,745 लोगों को हिरासत में लिया है। मणिपुर हिंसा से जुड़े 11 गंभीर मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। इन सबके बीच विपक्ष बार-बार मणिपुर के हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाता रहा है। विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से ये भी पूछता रहा है कि आख़िर वो मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं?

मणिपुर में पिछले एक साल से छिटपुट हिंसा की घटनाए जारी है। के इतिहास में यह दुर्लभ है कि किसी राज्य में एक साल तक नागरिक संघर्ष जारी रहे और आग बुझाने के लिए केंद्र द्वारा कोई ठोस कदम ना उठाया जाए।हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कई दौरे की बैठकें की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी हाल ही में असम ट्रिब्यून को दिए गए इंटरव्यू में कहा, राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह, संघर्ष के दौरान राज्य में रहे और इसे सुलझाने के लिए कई पक्षों के साथ 15 से अधिक बैठकें की। 

हालांकि, इतने बैठकों के बाद भी सरकार इस तनाव को ख़त्म करने का फॉर्मूला नहीं निकाल सकी हैं। यही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह तो राज्य के दौरे पर पहुंते रहे, लेकिन हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। ना ही इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। हालांकि, हिंसा के बीच 19 जुलाई, 2023 को जब मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया था। इस घटना के लंबे समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उनका "हृदय पीड़ा से भरा हुआ है।" पीएम मोदी ने कहा था कि देश की बेइज़्ज़ती हो रही है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।यह पहली बार था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा।

अविश्वास प्रस्ताव के बाद पीएम ने तीन महीने की चुप्पी तोड़ी

पिछले साल अगस्त में एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में शांति की अपील की थी। ये अपील तब आई जब विपक्षी नेता उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे थे। अगस्त में विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से मजबूर किए जाने के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर तीन महीने की चुप्पी तोड़ी, और केवल राज्य की समस्याओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया। और कहा कि उनकी सरकार जल्द ही शांति बहाल करेगी।

देशभर में भूमे पीएम पर नहीं ली मणिपुर की सुध

बता दें कि हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। वहीं, सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि मणिपुर में शुरुआती उथल-पुथल के सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घरेलू यात्राएं की थीं। पहली यात्रा कर्नाटक की, और दूसरी राजस्थान की। छह मई को उन्होंने बेंगलुरु में रोड शो किया। मई, 2023 से अप्रैल, 2024 के बीच उन्होंने अलग-अलग राज्यों की लगभग 160 यात्राएँ की, जिनमें सबसे ज़्यादा 24 बार वो राजस्थान के दौरे पर रहे। औपचारिक और गैर-आधिकारिक दौरों को मिलाकर पीएम ने 22 बार मध्य प्रदेश का और 17 बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया। इस साल फरवरी-मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया लेकिन मणिपुर नहीं गए। उन्होंने असम के तीन दौरे, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का एक-एक दौरा किया है। पिछले साल नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे। वो राज्य थे मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना। प्रधानमंत्री मोदी बाकी सभी राज्यों में गए लेकिन मिज़ोरम नहीं गए जो कि मणिपुर से सटा हुआ राज्य है और वहाँ मणिपुर की हिंसा से विस्थापित लोग बड़ी तादाद में हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत, विकसित उत्तर-पूर्व कार्यक्रम के लिए नौ मार्च को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था।

मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों की अनदेखी का आरोप

ऐसे में विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार पर मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों को अनदेखा करने का आरोप लगाती आ रही है। अभी 3 मई को मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार ने मणिपुर जैसे खूबसूरत राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मणिपुर ठीक एक साल पहले 3 मई, 2023 को जलना शुरू हुआ था। उदासीन मोदी सरकार और अयोग्य भाजपा राज्य सरकार के क्रूर संयोजन ने राज्य को वस्तुतः दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि "पश्चातापहीन" प्रधानमंत्री ने मणिपुर में कदम नहीं रखा है क्योंकि यह "उनकी रैंक की अक्षमता और पूर्ण उदासीनता" को उजागर करेगा। “मणिपुर के सभी समुदायों के लोग अब जानते हैं कि भाजपा ने उनके जीवन को कैसे दयनीय बना दिया है। खड़गे ने ट्वीट किया, पूर्वोत्तर के लोग अब जानते हैं कि तथाकथित विकास के बारे में मोदी सरकार के बेशर्म ढोल ने क्षेत्र में मानवता की आवाज को दबा दिया। भारत के लोग अब जानते हैं कि पीएम मोदी और उनकी सरकार को मणिपुर में नष्ट हुई अनगिनत जिंदगियों के प्रति रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं है।

Manipur: మణిపుర్‌లో అదనపు ఎస్పీ కిడ్నాప్‌.. ఆయుధాలు వదిలి పోలీసుల నిరసన

ఇంఫాల్‌: మణిపుర్‌ (Manipur) పోలీసు కమాండోలు వినూత్న నిరసనకు దిగారు. ñబుధవారం ఉదయం కొద్దిసేపు ఆయుధాలను విడిచిపెట్టి విధులకు హాజరయ్యారు. మంగళవారం పశ్చిమ ఇంఫాల్‌లోని అదనపు ఎస్పీ అమిత్‌సింగ్‌ ఇంటిపై సుమారు 200 మంది సాయుధులు దాడి చేసి ఆయనతోపాటు మరొకరిని అపహరించుకుపోయారు..

ఈ ఘటనతో ఆ ప్రాంతంలో ఉద్రిక్త వాతావరణం చోటుచేసుకుంది. ఏఎస్పీ అపహరణకు గురయ్యారనే సమాచారంతో అప్రమత్తమైన భద్రతా బలగాలు చుట్టుపక్కల ప్రాంతాల్లో గాలింపు చర్యలు చేపట్టి గంటల వ్యవధిలోనే ఆయన్ను విడిపించినట్లు మణిపుర్‌ పోలీసులు ఓ ప్రకటనలో పేర్కొన్నారు. దీనికి నిరసనగా బుధవారం పోలీసు కమాండోలు ఆయుధాలను విడిచిపెట్టి నిరసన తెలిపారు..

అంతకుముందు వాహనం దొంగిలించారనే ఆరోపణలతో అరంబై టెంగోల్‌ గ్రూప్‌నకు చెందిన ఆరుగురు వ్యక్తులను ఏఎస్పీ అమిత్‌ అదుపులోకి తీసుకున్నారు. దీనిపై ఆగ్రహించిన ఆ వర్గం వారిని విడిచిపెట్టాలని డిమాండ్‌ చేస్తూ దాడికి పాల్పడినట్లు పోలీసులు వెల్లడించారు. ప్రస్తుతం ఈ ప్రాంతంలో పరిస్థితులు అదుపులో ఉన్నట్లు తెలిపారు.

మరోవైపు ఎస్పీ స్థాయి అధికారి అపహరణకు గురికావడంపై రాష్ట్ర హోంశాఖ అప్రమత్తమైంది. గతవారం రాష్ట్రంలో కుకీలు-మైతేయ్‌ల మధ్య వైరానికి కారణమైన పేరాను తొలగిస్తున్నట్లు మణిపుర్‌ హైకోర్టు ప్రకటించింది. మైతేయ్‌లకు రిజర్వేషన్లు ఇవ్వాలన్న అంశాన్ని పరిశీలించాలని గతేడాది మార్చి 27న కేంద్ర గిరిజన శాఖకు హైకోర్టు ప్రతిపాదన చేసింది. అయితే, వారికి రిజర్వేషన్లు ఇవ్వొద్దని నాగా, కుకీ-జొమీ తెగలు డిమాండ్ చేశాయి. దీనిపై ఇరువర్గాల మధ్య ఘర్షణలు చోటుచేసుకున్నాయి..

मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, अज्ञात बंदूकधारियों के हमले में दो की मौत

#manipurviolenceatleastto_die 

मणिपुर में एक बार फिर हिंसा भड़कने की खबर है। ताजा हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है।राज्य में एक ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत के बाद हुई फायरिंग के दो और लोग मारे गए, जबकि पांच अन्य घायल हो गए। घायलों में राज्य के एक शीर्ष भाजपा युवा नेता भी शामिल हैं।ताजा हिंसा की घटना जिसमें दो समूहों के बीच हुई।

मंगलवार को करीब 12.30 बजे बेथेल के सामान्य क्षेत्र और सपेरमीना के अंतर्गत लाम्बुंग पहाड़ी में संदिग्ध मौतेई आंतकवादी, स्वयंसेवकों, वीबीआईजी, अरामबाई तेंगगोल्स और सदिग्ध कुकी आतंकवादियों सशस्त्र स्वयंसेवकों, एचबीआईजी गुटों में भारी गोलीबारी हुई। बंदूकधारियों ने लीमाखोंग के पास कदंगबन गांव में प्रवेश किया और 2 लोगों की हत्या कर दी, जबकि पांच अन्य लोग गोली लगने से घायल हो गए।

अंग्रेजी अखबार दि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया कि गोलीबारी मंगलवार (30 जनवरी) दोपहर में शुरू हुई और कई घंटों तक चलती रही। फायरिंग के दौरान मारे गए दोनों लोगों की पहचान 33 साल के नोंगथोम्बम माइकल और 25 साल के मीस्नाम खाबा के तौर पर हुई। दोनों के शव 30 जनवरी की शाम रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसेंज ले जाए गए। 

आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन की मांग

मणिपुर में हिंसा की घटनाओं के बीच राज्य के दस आदिवासी विधायकों, जिनमें सत्तारूढ़ बीजेपी के सात विधायक भी शामिल हैं, ने पीएम नरेंद्र मोदी को भेजे एक ज्ञापन में आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) गठित करने की अपनी मांग दोहराई। प्रधानमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में आदिवासी विधायकों ने कहा कि मणिपुर में जारी संघर्ष की स्थिति बद से बदतर हो गई है। मणिपुर के तीन विधायक जिनमें राज्य कांग्रेस अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र सिंह और सत्तारूढ़ भाजपा के दो विधायक शामिल हैं। इन सभी को कथित तौर पर 24 जनवरी को इंफाल के कांगला किले में अरामबाई तेंगगोल के सदस्यों द्वारा पीटा गया और मजबूर किया गया।

हिंसा शुरू हुए क़रीब नौ महीने हो गए

मणिपुर में हिंसा शुरू हुए क़रीब नौ महीने हो चले हैं, लेकिन राज्य से लगातार लोगों की मौत की ख़बरें आ रही हैं। पिछले कुछ दिनों में गोलीबारी में सुरक्षाबलों और आम लोगों की जानें गई हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ हिंसा में अब तक 200 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 3000 से अधिक घायल हो चुके हैं। हिंसा में हजारों लोग विस्थापित भी हुए, जबकि राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों के कम से कम 60,000 कर्मियों की तैनाती के बाद भी आठ महीने से अधिक समय से वहां रुक-रुक कर हिंसा की घटनाएं देखने को मिली हैं

Bharat Jodo Nyay Yatra: అన్యాయ కాలంలో ఉన్నందునే న్యాయ్ యాత్ర: రాహుల్

దేశంలో అన్యాయ కాలం నడుస్తున్నందునే న్యాయ్ యాత్ర చేపట్టినట్టు కాంగ్రెస్ మాజీ అధ్యక్షుడు, వయనాడ్ ఎంపీ రాహుల్ గాంధీ (Rahul Gandhi) అన్నారు..

మణిపూర్‌ (Manipur)లోని ధౌబల్‌లో 'భారత్ జోడో న్యాయ్ యాత్ర' (Bharat Jodo Nyay Yatra)ను రాహుల్ ఆదివారంనాడు ప్రారంభించారు. అనంతరం ఆయన మాట్లాడుతూ, దేశ ప్రజలను ఏకం చేయడానికే భారత్ న్యాయ్ యాత్ర చేపడుతున్నామని చెప్పారు.

''చాలా మంది న్యాయ్ యాత్ర ఎందుకని అడుగుతున్నారు. అన్యాయ కాలంలో ఉన్నాము కాబట్టే న్యాయ్ యాత్ర చేపడుతున్నాం. ప్రజలు సామాజికంగా, రాజకీయంగా, ఆర్థికంగా అన్నివిధాలా అన్యాయాలకు గురవుతున్నారు. న్యాయ్ యాత్రతో ప్రజలందరిని కలిసి నేరుగా కష్టాలను అడిగి తెలుసుకుంటున్నాం'' అని రాహుల్ తెలిపారు.

సిగ్గుచేటు...

మణిపూర్ కొద్దిరోజులుగా హింసతో రగులుతోందని, అయినప్పటికీ ప్రజల కన్నీళ్లు తుడవడానికి దేశ ప్రధాని రాకపోవడం సిగ్గుచేటని విమర్శించారు. ''2004 నుంచి నేను రాజకీయాల్లో ఉన్నాను. దేశంలో పాలన మొత్తం కుప్పకూలిన ఒక ప్రాంతానికి రావడం మాత్రం ఇదే మొదటిసారి. గత ఏడాది జూన్ 29 తర్వాత మణిపూర్ ఎంతమాత్రం మణిపూర్‌లా లేదు. ఎక్కడ చూసినా విద్వేష వ్యాప్తి కనిపించింది. లక్షలాది మంది కగడండ్ల పాలయ్యారు. అనేక మంది తమ కుటుంబ సభ్యులను కోల్పోయారు. అయినా ఇంతవరకూ దేశ ప్రధాని వచ్చి ప్రజల కన్నీళ్లను తుడవలేదు. ఇది సిగ్గుచేటు. ప్రధానికి, బీజేపీకి, ఆర్ఎస్ఎస్‌కు మణిపూర్ భారత్‌లో భాగం కాకపోయి ఉండవచ్చు'' అని రాహుల్ ఆక్షేపించారు..

కోల్పోయిన శాంతిని తిరిగి తెస్తాం..

బీజేపీ రాజకీయాల వల్ల మణిపూర్‌లో కోల్పోయిన శాంతి, సామరస్యాన్ని తిరిగి తీసుకువస్తామని ప్రజలకు రాహుల్ మాట ఇచ్చారు. ప్రజల సాధకబాధకాలు తెలుసుకునేందుకు, శాంతి-సామరస్యాలతో కూడిన న్యూ-విజన్ ఆఫ్ ఇండియాను తెచ్చేందుకు తాము యాత్ర చేపట్టినట్టు చెప్పారు..

कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, मणिपुर में भारत जोड़ों न्याय यात्रा की नहीं मिली मंजूरी, अब मचेगा सियासी बवाल

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कांग्रेस ने की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' 14 जनवरी से शुरू होने जा रही है। हालांकि, इससे पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा की सफलता के बाद कांग्रेस पार्टी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ करने का फैसला किया है, जो कि मणिपुर से शुरू होनी है और मुंबई में खत्म होगी। हालांकि, मणिपुर के जिस ग्राउंड से यात्रा शुरू होनी है, उसके लिए मणिपुर सरकार ने मंजूरी देने से मना कर दिया है।

मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक के मेघचंद्र ने यात्रा की मंजूरी के लिए पार्टी नेताओं की एक टीम के साथ, बुधवार सुबह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया को बताया कि मुलाकात के दौरान सीएम ने राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया। के मेघचंद्र ने कहा, ‘सीएम एन बीरेन सिंह ने कहा कि उनकी सरकार यात्रा की अनुमति नहीं दे सकती है।

यात्रा का राजनीतिकरण ना करें- वेणुगोपाल

वहीं मणिपुर सरकार के फैसले पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, यह राजनीतिक प्रयास नहीं है और यात्रा का राजनीतिकरण ना करें। वेणुगोपाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मणिपुर पीसीसी प्रेसिडेंट ने न्याय यात्रा की अनुमति चीफ सेक्रेटरी से मांगी थी। उन्होंने कहा की 5 दिन में जवाब देंगे, लेकिन जब जवाब नहीं आया तो खुद पीसीसी प्रेसिडेंट सचिव के पास अनुमति मांगने गए तो उन्होंने फिर कल शाम का वादा किया है। इसके बाद आज हमारे लोग सीएम से मिले तो उन्होंने भी कहा यात्रा को अनुमति नहीं दे सकते। ये यात्रा राजनीतिक नहीं है, राहुल गांधी वहां राजनीति करने नहीं जा रहे, वो शांति का संदेश देने जा रहे हैं। हम कोई तमाशा नहीं करना चाहते लेकिन ये ठीक नहीं।

इन राज्यों सो होकर गुजरेगी बारत जोड़ो न्याय यात्रा

बता दें कि कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होते हुए महाराष्ट्र में समाप्त होगी। वेणुगोपाल ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष खड़गे इस यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। भारत जोड़ो न्याय यात्रा का मकसद आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय है। इस यात्रा में राहुल युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर पड़े लोगों से मुलाकात करेंगे। बस यात्रा से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जाएगा। यात्रा में कुछ छोटे हिस्से को रुक-रुककर पैदल भी कवर किया जाएगा।

भारत जोड़ो यात्रा रही थी सफल

इससे पहले राहुल गांधी ने 7 सितंबर 2022 से 30 जनवरी 2023 तक भारत जोड़ो यात्रा की थी। 145 दिनों की यात्रा तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू होकर जम्मू-कश्मीर में खत्म हुई थी। तब राहुल ने 3570 किलोमीटर की यात्रा में 12 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया था।श्रीनगर में यात्रा के समापन के मौके पर शेर-ए-कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में राहुल ने कहा था- मैंने यह यात्रा अपने लिए या कांग्रेस के लिए नहीं बल्कि देश की जनता के लिए की है। हमारा उद्देश्य उस विचारधारा के खिलाफ खड़ा होना है जो इस देश की नींव को नष्ट करना चाहती है।यात्रा के दौरान राहुल ने 12 सभाओं को संबोधित किया था, 100 से ज्यादा बैठकें और 13 प्रेस कॉन्फ्रेंस की थीं।

खड़गे का पीएम मोदी पर जोरदार हमला, बोले- लक्षद्वीप जा सकते हैं, ये महापुरुष मणिपुर क्यों नहीं जा रहे

#mallikarjunkhargetargetpmmodifornotgoingmanipur

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जोरदार हमला बोला है। खड़गे ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा की भी बात की।कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर के भारत जोड़ो न्याय यात्रा का प्रतीक चिह्न और नारा लॉन्च किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के अलावा पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश और केसी वेणुगोपाल इस दौरान मौजूद रहे।

इस तरह फोटो खिंचवाते हैं, जैसे भगवान दर्शन दे रहे हों-खड़गे

खड़गे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा मणिपुर में दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी वहां नहीं गए। वे राम मंदिर साइट या बीच पर जाते हैं और फोटो सेशन कराते हैं। वे मुंबई या केरल जाते हैं, हर जगह जाते हैं, आप उनकी फोटो हर जगह देख सकते हैं...वे इस तरह फोटो खिंचवाते हैं, जैसे भगवान दर्शन दे रहे हों। लेकिन ये महापुरुष मणिपुर क्यों नहीं जाता?

सरकार हमें संसद में नहीं बोलने देती-खड़गे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' का लोगो जारी किया। इस दौरान खरगे ने कहा कि भारत जोड़ों न्याय यात्रा, देशवासियों को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय दिलाने की ओर हमारा एक मजबूत कदम है। खरगे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि खरगे ने कहा कि हमको यात्रा निकालनी पड़ रही है क्योंकि हमारे पास कोई रास्ता नहीं था। जब हमने संसद में देश से जुड़े मुद्दे उठाने की कोशिश की तो सरकार ने हमें बोलने नहीं दिया। 

भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए लोगों के बीच जा रहे-खड़गे

सांसदों के निलंबन पर खड़गे ने कहा कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। यही वजह है कि हम भारत जोड़ो न्याय यात्रा के जरिए लोगों के बीच जा रहे हैं ताकि हम उनकी बात सुन सकें और हमारी बात कह सकें। खरगे ने कहा कि अमीर गरीब की खाई बढ़ रही है और जातिगत जनगणना नहीं हो रही है। खरगे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन दोनों बातों को यात्रा के दौरान उठाएगी। कांग्रेस ने यात्रा में शामिल होने के लिए इंडिया गठबंधन के नेताओं, सिविल सोसाइटी के अलावा समाज के हर वर्ग के लोगों को आमंत्रित किया है।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा 14 जनवरी से शुरू होगी

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 14 जनवरी से शुरू होगी। खास बात है कि राहुल गांधी द्वारा निकाली जा रही इस यात्रा की शुरुआत मणिपुर की राजधानी इंफाल से होगी। यह यात्रा मणिपुर से शुरू होकर 20 मार्च को मुंबई में खत्म होगी। लोकसभा चुनाव से करीब 4 महीने पहले होने वाली यह यात्रा 14 राज्य और 85 जिलों को कवर करेगी। इस दौरान राहुल पैदल और बस से 6 हजार 200 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करेंगे।यह मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होते हुए महाराष्ट्र में समाप्त होगी।

*अब कांग्रेस निकालेगी 'भारत न्याय यात्रा', इस बार मणिपुर से मुंबई तक चलेंगे राहुल गांधी*

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भारत जोड़ो यात्रा के बाद अब राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई तक यात्रा करेंगे। यह यात्रा 6200 किलोमीटर की होगी, जो कुल 14 राज्यों से होकर गुजरेगी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि 14 जनवरी से शुरू होगी जो 20 मार्च तक चलेगी।रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के इस आयोजन में पार्टी आलाकमान के अलावा प्रदेश कांग्रेस के तमाम नेता भी शिरकत करेंगे।पिछले साल सितंबर से लेकर इस साल 14 जनवरी तक भारत जोड़ो यात्रा करने के बाद अब राहुल गांधी 'भारत न्याय यात्रा' पर निकलेंगे।

इस बार पूर्व से पश्चिम की ओर सफर करेंगे राहुल

'भारत न्याय यात्रा' लोगों को सामाजिक और आर्थिक न्याय दिलाने के लिए की जा रही है। भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कन्याकुमारी से हुई थी, जो कश्मीर में जाकर खत्म हुई थी। राहुल ने इस यात्रा में दक्षिण से उत्तर का सफर किया था। वहीं, भारत न्याय यात्रा की शुरुआत पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर से होगी, जो पश्चिम में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में जाकर खत्म होगी। इस तरह राहुल भारत न्याय यात्रा में पूर्व से पश्चिम की ओर सफर करने वाले हैं।

यात्रा 14 राज्यों के 85 जिलों से होकर गुजरेगी

भारत न्याय यात्रा बस से की जाएगी। बता दें कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा पैदल कवर की थी। भारत न्याय यात्रा 14 राज्यों के 85 जिलों से होकर गुजरेगी। मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीगढ़, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से भारत न्याय यात्रा गुजरने वाली है।

हाशिए पर पड़े लोगों से मुलाकात करेंगे राहुल गांधी

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत न्याय यात्रा को लेकर जानकारी दी। उन्होंने कहा,21 दिसंबर को कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने सर्वसम्मति से अपना मत रखा कि राहुल गांधी को पूर्व से पश्चिम की ओर एक यात्रा करनी चाहिए। राहुल गांधी भी सीडब्ल्यूसी की इस इच्छा को पूरा करने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने कहा, इस यात्रा में राहुल गांधी युवाओं, महिलाओं और हाशिए पर पड़े लोगों से मुलाकात करने वाले हैं। बस यात्रा के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जाएगा। यात्रा में कुछ छोटे हिस्से को रुक-रुक कर पैदल भी कवर किया जाएगा।

यात्रा को मणिपुर से शुरू करने का क्या है मकसद?

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि इस यात्रा को मणिपुर से शुरू करने का मकसद यह है कि मणिपुर देश का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हम वहां के लोगों के घाव पर मरहम लगाने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक यात्रा नहीं है। यह आम लोगों के लिए है जो पीड़ित हैं। हम आपको इस यात्रा के बारे में विस्तार से बताएंगे।

भारत जोड़ो यात्रा क्या थी?

राहुल गांधी ने सितंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की थी, जो जनवरी 2023 में जाकर खत्म हुई। राहुल गांधी की यात्रा की शुरुआत 7 सितंबर को कन्याकुमारी से हुई। इस यात्रा के जरिए उन्होंने 4500 किलोमीटर से ज्यादा का सफर पैदल ही तय किया। इस यात्रा का मकसद भारत को एकजुट और देश को मजबूत करना था। कांग्रेस की इस यात्रा से उसका संगठन काफी मजबूत हुआ था। भारत जोड़ो यात्रा 30 जनवरी, 2023 को कश्मीर में जाकर खत्म हुई। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए 12 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों के 75 जिलों को कवर किया गया था। ये यात्रा जिस-जिस राज्य से होकर गुजरी, उस-उस राज्य में कांग्रेस नेताओं ने इसमें हिस्सा लिया। कई प्रमुख हस्तियों को भी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होते हुए देखा गया था।

मणिपुर में तनाव के बीच केंद्र का बड़ा एक्शन, 9 मैतेई चरमपंथी समूहों पर 5 साल के लिए लगाया प्रतिबंध

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मणिपुर में हिंसा की आग को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए केन्द्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर घातक हमले करने को लेकर नौ मैतेई चरमपंथी संगठन और उनके सहयोगी संगठनों पर बैन लगा दिया है। नौ मैतेई उग्रवादी ग्रुप्स और उनके सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया। यह बैन इनकी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर घातक हमले करने के कारण लगाया गया है। ये ग्रुप्स मणिपुर में एक्टिव हैं। यह बैन आज से ही लागू होगा।

इन उग्रवादी ग्रुप्स पर लगाया बैन

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में जिन ग्रुप्स को बैन गया है उनमें- उनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और इसकी राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) शामिल हैं। इनमें पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके) और इसकी सशस्त्र शाखा रेड आर्मी, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), इसकी सशस्त्र शाखा (जिसे रेड आर्मी भी कहा जाता है), कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल), कोआर्डिनेशन कमेटी (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (एएसयूके) भी शामिल हैं।

गृह मंत्रालय ने बताया बैन लगाना क्यों जरूरी?

अपनी अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि यदि मैतेई चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो वे अपने अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडरों को संगठिन करने का अवसर तलाश सकते हैं।इसमें कहा गया कि वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करेंगे, लोगों की हत्याओं में शामिल होंगे और पुलिस तथा सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाएंगे। अधिसूचना के अनुसार, अंकुश न लगाए जाने की स्थिति में ये समूह और संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद हासिल करेंगे। अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से भारी धन की वसूली करेंगे।

इन ग्रुप्स पर बैन बढ़ा

इसके अलावा पीएलए,यूएनएलएफ, पीआरईपीएके,केसीपी,केवाईकेएल को कई साल पहले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गृह मंत्रालय ने बैन किया था। नए एक्शन में इन पर बैन को पांच साल तक बढ़ा दिया है। अन्य संगठनों के गैरकानूनी घोषित होने का ऐलान ताजा है।

3 मई को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच भड़क उठी थी हिंसा

दरअसल, मणिपुर उस समय हिंसा की आग में जल उठा जब 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए। तीन मई को राज्य के कुकी और दूसरे जनजातीय समुदाय ने एक रैली निकाली। ये रैली मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्ज़ा दिए जाने की मांग के ख़िलाफ़ निकाली गई थी। रैली के बाद हिंसा भड़की और कुकी समुदाय की तरफ से मैतेई समुदाय पर हमले किए गए।इसके जवाब में मैतेई समुदाय ने भी प्रतिक्रिया दी और मैतेई बहुल इलाक़ों में रह रहे कुकी समुदाय के लोगों के घर जला दिए गए और उन पर हमले किए गए।इन हमलों के बाद मैतेई बहुल इलाकों में रहने वाले कुकी और कुकी बहुल इलाकों में रहने वाले मैतेई अपने-अपने घर छोड़कर जाने लगे। हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं।हिंसा की वजह से हजारों की संख्या में लोग पलायन कर दूसरे राज्यों में रहने के लिए मजबूर हैं। इसके साथ-साथ हजारों लोगों को राहत शिविर में रखा गया है।

क्यों भड़की हिंसा की आग?

बता दें कि मणिपुर में मुख्य तौर पर तीन समुदाय के लोग रहते हैं. मैतेई और जनजातीय समूह कुकी और नगा. पहाड़ी इलाक़ों में कुकी, नगा समेत दूसरी जनजाति के लोग रहते हैं।जबकि इंफ़ाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई लोग रहते हैं।मैतेई समुदाय के ज़्यादातर लोग हिंदू हैं तो नगा और कुकी समुदाय के लोग मुख्य तौर पर ईसाई धर्म के हैं। जनसंख्या में ज़्यादा होने के बावजूद मैतेई मणिपुर के 10 प्रतिशत भूभाग में रहते हैं जबकि बाक़ी के 90 प्रतिशत हिस्से पर नगा, कुकी और दूसरी जनजातियां रहती हैं।मणिपुर के मौजूदा जनजाति समूहों का कहना है कि मैतेई का जनसांख्यिकी और सियासी दबदबा है। इसके अलावा ये पढ़ने-लिखने के साथ अन्य मामलों में भी आगे हैं।उनका मानना है कि अगर मैतेई को भी जनजाति का दर्जा मिल गया तो उनक लिए नौकरियों के अवसर कम हो जाएंगे और वे पहाड़ों पर भी ज़मीन ख़रीदना शुरू कर देंगे। ऐसे में वे और हाशिए पर चले जाएंगे।

स्वच्छ वायु सर्वे में अब 12 वें स्थान पर पहुंचा अपना रायपुर
रायपुर-   राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस पर केंद्र शासन ने देश के 130 शहरों के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की घोषणा 7 सितंबर को राजस्थान के जयपुर में हुए कार्यक्रम में की. इनमें 10 लाख से अधिक आबादी वाले 47 शहरों में रायपुर 12वें नंबर पर आ गया. पिछले साल इसी सर्वेक्षण में रायपुर 16वें नंबर पर था. इस बार अपनी रैंकिंग सुधारकर रायपुर ने 177.5 अंक हासिल कर लिया. बता दें कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की लगातार बढ़ रही मांग ने भी प्रदूषण घटा है.
फैक्ट्रियां की वजह से बढ़ा प्रदूषण का स्तर 

नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक राजधानी में प्रदूषण उरला-सिलतरा की फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुओं के कारण अधिक हो रहा है, अगर इस पर नियंत्रण हो जाए तो शहर की रैंकिंग सुधर जाएगी. इसके लिए नागरिकों को भी जागरूक होना पड़ेगा.

पैरामीटर इस प्रकार तय किये गये 

अप्रैल 2023 से मार्च 2024 को एक साल सर्वे का आधार बनाया गया है. इस स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में केन्द्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जो पैरामीटर सर्वे हेतु रखा गया, उसमें बायोमास एंड म्युनिसिपल वेस्ट बर्निंग, रोड डस्ट, सीएंडडी वेस्ट की डस्ट, वाहन प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, अन्य प्रदूषण, आईईसी गतिविधियां, जनजागरूकता, इम्प्रूवमेंट इन पीएम 10 कंसन्ट्रेशन शामिल थे.

दिल्ली के बाद है रायपुर का नंबर 

स्वच्छ वायु सर्वे में दिल्ली के 185 अंक के बाद 12वें स्थान पर रायपुर के अंक 177.5 अंक हैं. पहले नंबर पर सूरत के 194, जबलपुर के 193, आगरा के 190, लखनऊ के 189, कानपुर के 183.8, वडोदरा के 182, इंदौर के 182, भोपाल के 182, विजयवाड़ा के 182 तथा दसवें नंबर पर अहमदाबाद के 181 अंक हैं.