India

Nov 13 2023, 18:49

मणिपुर में तनाव के बीच केंद्र का बड़ा एक्शन, 9 मैतेई चरमपंथी समूहों पर 5 साल के लिए लगाया प्रतिबंध

#9meiteimilitantgroupsofmanipurbannedforfive_years

मणिपुर में हिंसा की आग को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए केन्द्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर घातक हमले करने को लेकर नौ मैतेई चरमपंथी संगठन और उनके सहयोगी संगठनों पर बैन लगा दिया है। नौ मैतेई उग्रवादी ग्रुप्स और उनके सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया। यह बैन इनकी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर घातक हमले करने के कारण लगाया गया है। ये ग्रुप्स मणिपुर में एक्टिव हैं। यह बैन आज से ही लागू होगा।

इन उग्रवादी ग्रुप्स पर लगाया बैन

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में जिन ग्रुप्स को बैन गया है उनमें- उनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और इसकी राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) शामिल हैं। इनमें पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके) और इसकी सशस्त्र शाखा रेड आर्मी, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), इसकी सशस्त्र शाखा (जिसे रेड आर्मी भी कहा जाता है), कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल), कोआर्डिनेशन कमेटी (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (एएसयूके) भी शामिल हैं।

गृह मंत्रालय ने बताया बैन लगाना क्यों जरूरी?

अपनी अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि यदि मैतेई चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो वे अपने अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडरों को संगठिन करने का अवसर तलाश सकते हैं।इसमें कहा गया कि वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करेंगे, लोगों की हत्याओं में शामिल होंगे और पुलिस तथा सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाएंगे। अधिसूचना के अनुसार, अंकुश न लगाए जाने की स्थिति में ये समूह और संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद हासिल करेंगे। अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से भारी धन की वसूली करेंगे।

इन ग्रुप्स पर बैन बढ़ा

इसके अलावा पीएलए,यूएनएलएफ, पीआरईपीएके,केसीपी,केवाईकेएल को कई साल पहले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गृह मंत्रालय ने बैन किया था। नए एक्शन में इन पर बैन को पांच साल तक बढ़ा दिया है। अन्य संगठनों के गैरकानूनी घोषित होने का ऐलान ताजा है।

3 मई को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच भड़क उठी थी हिंसा

दरअसल, मणिपुर उस समय हिंसा की आग में जल उठा जब 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए। तीन मई को राज्य के कुकी और दूसरे जनजातीय समुदाय ने एक रैली निकाली। ये रैली मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्ज़ा दिए जाने की मांग के ख़िलाफ़ निकाली गई थी। रैली के बाद हिंसा भड़की और कुकी समुदाय की तरफ से मैतेई समुदाय पर हमले किए गए।इसके जवाब में मैतेई समुदाय ने भी प्रतिक्रिया दी और मैतेई बहुल इलाक़ों में रह रहे कुकी समुदाय के लोगों के घर जला दिए गए और उन पर हमले किए गए।इन हमलों के बाद मैतेई बहुल इलाकों में रहने वाले कुकी और कुकी बहुल इलाकों में रहने वाले मैतेई अपने-अपने घर छोड़कर जाने लगे। हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं।हिंसा की वजह से हजारों की संख्या में लोग पलायन कर दूसरे राज्यों में रहने के लिए मजबूर हैं। इसके साथ-साथ हजारों लोगों को राहत शिविर में रखा गया है।

क्यों भड़की हिंसा की आग?

बता दें कि मणिपुर में मुख्य तौर पर तीन समुदाय के लोग रहते हैं. मैतेई और जनजातीय समूह कुकी और नगा. पहाड़ी इलाक़ों में कुकी, नगा समेत दूसरी जनजाति के लोग रहते हैं।जबकि इंफ़ाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई लोग रहते हैं।मैतेई समुदाय के ज़्यादातर लोग हिंदू हैं तो नगा और कुकी समुदाय के लोग मुख्य तौर पर ईसाई धर्म के हैं। जनसंख्या में ज़्यादा होने के बावजूद मैतेई मणिपुर के 10 प्रतिशत भूभाग में रहते हैं जबकि बाक़ी के 90 प्रतिशत हिस्से पर नगा, कुकी और दूसरी जनजातियां रहती हैं।मणिपुर के मौजूदा जनजाति समूहों का कहना है कि मैतेई का जनसांख्यिकी और सियासी दबदबा है। इसके अलावा ये पढ़ने-लिखने के साथ अन्य मामलों में भी आगे हैं।उनका मानना है कि अगर मैतेई को भी जनजाति का दर्जा मिल गया तो उनक लिए नौकरियों के अवसर कम हो जाएंगे और वे पहाड़ों पर भी ज़मीन ख़रीदना शुरू कर देंगे। ऐसे में वे और हाशिए पर चले जाएंगे।

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Oct 28 2023, 19:36

SSC Delhi Police Constable Application Status OUT

Total Vacancy : 7547

Exam Name : Constable (Executive) Male and Female in Delhi Police Examination 2023

Exam Date : 14 November 2023 to 03 December 2023

Check Application Status :

Karnataka, Kerla : Karnataka, Kerla Region (KKR)

Uttar Pradesh & Bihar : Central Region (CR) Link Active Soon

Assam, Arunachal Pradesh, Manipur, Meghalaya, Tripura, Nagaland, Mizoram : North Eastern Region (NER) Link Active Soon

Maharashtra, Gujrat, Goa : Western Region (WR) Link Active Soon

Madhya Pradesh, Chhattisgarh : MP Sub-Region (MPR) Link Active Soon

Rajasthan, Delhi, Uttarakhand : North Region (NR) Link Active Soon

Hariyana, Punjab, J&K, Himachal Pradesh : North Western Sub-Region (NWR) Link Active Soon

West Bengal, Orrisa, Jharkhand, A&N Island, Sikkim : Eastern Region (ER) Link Active Soon

Andhra Pradesh, Punduchery, Tamilnadu : Southern Region (SR) Link Active Soon

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India

Oct 02 2023, 14:18

मणिपुर में किसने फैलाया था 'नफरत' का केरोसिन, कैसे रचा गया पूरा प्रोपेगेंडा ? महीनों बाद ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लगा बड़ा सबूत, डिटेल में जानिए

मणिपुर में लगभग 3 महीनों तक चले हिंसा और उस पर मची राजनीती को लेकर अब परत-दर-परत खुलासे हो रहे हैं। मणिपुर में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का भी जो नैरेटिव राजनेताओं द्वारा बनाया गया, उसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय साजिशें सामने आ रहीं हैं।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में फिर से भड़की हिंसा के पीछे खालिस्तानी आतंकवादियों का भी बड़ा हाथ है। खुफिया एजेंसियों को बाकायदा इसके प्रमाण भी मिले हैं, एजेंसियों का दावा है कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद 'अल्पसंख्यक' कुकी समुदाय के एक वरिष्ठ नेता ने आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ बैठक की थी। 3 घंटे चली इस मीटिंग के बाद खालिस्तानी नेटवर्क के माध्यम से करोड़ों रुपए मणिपुर में कुकियों के लिए भेजे गए। इन पैसों का इस्तेमाल कुकियों द्वारा मैतई समुदाय के खिलाफ हिंसा में ही किया जाना था या फिर किया भी जा रहा हो। 

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित सरे के एक गुरुद्वारे में खालिस्तानी समर्थकों की सभा का एक वीडियो भी लगा है। इसमें मणिपुर के अल्पसंख्यक कुकी अलगाववादी नेता लीन गंग्ते नज़र आ रहा है। गंग्ते नार्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (NAMTA) यानी नामटा का प्रमुख है। 2 मिनट 20 सेकंड के इस वीडियो में गंग्ते वहां मौजूद लोगों के सामने भाषण दे रहा है।

कनाडा से पनाह मांग रहे कुकी नेता

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गंग्ते ने कनाडा के गुरुद्वारे में खालिस्तानियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला, उसने कहा कि, ''जिस प्रकार आप लोग खालिस्तान की मांग कर रहे है, वैसे ही हम भी अलग मणिपुर के लिए लड़ रहे हैं। सरकार, मणिपुर में हमारे समुदाय के नेताओं को मिटा देना चाहती है, इसलिए उन्हें कनाडा में राजनीतिक शरण दी जाए।'' खालिस्तानियों के सामने भारत विरोधी भाषण में गंग्ते ने आगे कहा कि, ''हमारे समुदाय (कूकी) को भी कनाडा में राजनितिक रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिले।’ इसके बाद गुरुनानक गुरुद्वारा समिति सरे के कार्यक्रम में मौजूद कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने गंग्ते को आगे की रणनीति साथ मिलकर बनाने का आश्वासन दिया।

बता दें कि, कूकी (30 फीसद आबादी) मणिपुर में रहने वाली एक जनजाति है, जिसका राज्य के 90 फीसद पहाड़ी इलाकों पर कब्जा है, वहां मैतई समुदाय जमीन नहीं खरीद सकता और काम धंधा नहीं कर सकता। अधिकतर कूकी मिशनरियों के प्रभाव में आकर ईसाई बन चुके हैं, वहीं मैतई समुदाय (53 फीसद) बहुसंख्यक है, जो वैष्णव धर्म का पालन करता है और राज्य के 10 फीसद मैदान वाले हिस्से में सिमटा हुआ है, उसने मांग की थी कि, उसे भी जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए, ताकि वो भी पहाड़ी इलाकों में जाकर खेती बाड़ी कर सके, क्योंकि 10 फीसद जमीन काफी कम है। इसी बात से कूकी आक्रोशित हैं, हाई कोर्ट ने जब मैतई समुदाय को ST का दर्जा दे दिया, तो कुकियों ने विरोध किया और परिणामस्वरूप हिंसा शुरू हो गई, अब कुकियों को भारत विरोधी तमाम ताकतों से मदद मिल रही है।  

कूकी नेता ने कहा- भारत में अल्पसंख्यक असुरक्षित 

वीडियो में कूकी के अलगाववादी नेता ने मणिपुर (Truth of Manipur Violence) मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बयान न देने पर भी हमला बोला है। उसने कहा कि, मोदी अमेरिका गए, फ्रांस गए, मिस्र गए, लेकिन उन्होंने मणिपुर मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। लीन गंग्ते ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं। बता दें कि, ''अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं'' या ''भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचर हो रहा है'', ये वही जुमले हैं, जो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर विदेश दौरों पर बोलते रहते हैं। यही आरोप पाकिस्तान पूरी दुनिया में घूम-घूमकर भारत पर लगाता रहता है कि, भारत मुस्लिमों (अल्पसंख्यक) पर अत्याचार कर रहा है। खालिस्तानी भी यही कहकर लोगों को भड़काते हैं कि ''भारत में सिखों के साथ भेदभाव हो रहा है।'' आतंकियों के इस नैरेटिव को अनजाने में ही या फिर जानबूझकर सियासी लाभ के लिए, राहुल गांधी आगे बढ़ाते हैं, जब वे ब्रिटेन में जाकर कहते हैं कि, 'भारत में सिखों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है।' इसके कुछ ही दिनों बाद ब्रिटेन में भारतीय दूतावास पर हमला हो जाता है और खालिस्तानी तिरंगे को अपमानित करते हैं। क्या इससे यह समझ में नहीं आता कि, आतंकी, भारतीय नेताओं द्वारा दिए गए राजनितिक बयानों को हथियार बनाकर लोगों को भड़का रहे हैं ? अब ये पूरा रैकेट धीरे-धीरे उजागर हो रहा है कि, मणिपुर में किस तरह आग लगाई गई ? 

उधर, नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में मणिपुर में पहली गिरफ्तारी कर ली है। NIA ने चूराचांदपुर से से कूकी नेता इमीन्लुन गंग्ते को पकड़ा है। गंग्ते पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम है। आरोप है कि आतंकी संगठन चिन-कुकी-मिजो लोगों के लिए अलग राज्य बनाने के लिए भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहे हैं। भारत के खिलाफ इसी युद्ध को कुछ राजनेता यह कहकर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं कि, 'भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' हो रहा है। इससे उन अलगाववादियों को ताकत मिल रही है और वो भारत विरोधी अन्तर्राष्ट्रीय ताकतों से मदद लेकर भारत को अस्थिर करने की साजिश रच रहे हैं। 

विदेश मंत्री ने वाशिंगटन में बताया 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का सच :-

'भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है', बार-बार कही जा रही इस बात पर दुनिया के कुछ देश भरोसा करने लगे हैं और मौका मिलते ही विदेश यात्रा पर पहुंचे भारत सरकार के किसी प्रतिनिधि पर अल्पसंख्यकों से जुड़ा सवाल दाग देते हैं। यही सवाल अमेरिका दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने भी रखा गया। कई बार भारत इन सवालों का जवाब देने में रक्षात्मक हो जाया करता था, लेकिन अब वो आँख में आँख मिलाकर जवाब देता है। विदेश मंत्री ने इसका बेबाकी से उत्तर दिया और दो टूक जवाब देकर अमेरिकी प्रतिनिधि को चुप करा दिया। उन्होंने कहा कि, 'चूंकि आपने भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया है, किन्तु यह बताइए कि निष्पक्ष और सुशासन या समाज के संतुलन की कसौटी क्या है? इसकी कसौटी यही होगी कि आप सुविधाओं के मामले में, लाभ के मामले में, पहुंच के मामले में, अधिकारों के मामले में, किसी से भेदभाव करते हैं या नहीं।'

 

विदेश मंत्री ने कहा कि आज, जब आप अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभों को देखते हैं, तो आप देखते हैं आवास के मामले में, आप स्वास्थ्य को देखते हैं, आप भोजन को देखते हैं, आप आर्थिक मदद को देखते हैं, आप शैक्षिक पहुंच को देखते हैं। उन्होंने कहा कि, "मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप मुझे भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव दिखाइए।'' इसके बाद जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी से दुनिया को वो सच्चाई बताई, जिसके कारण 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है। उन्होंने कहा कि, "जैसा कि मैंने कहा यह एक वैश्वीकृत दुनिया है। ऐसे लोग होंगे, आपके मन में इसके बारे में फ़िक्र होगी और उनमें से अधिकांश शिकायत सियासी है। मैं आपसे बहुत स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं, क्योंकि हमारे यहां भी वोट बैंक की संस्कृति रही है और ऐसे वर्ग भी हैं, जिनका उनकी नजर में एक निश्चित विशेषाधिकार था।" 

बता दें कि, वोट बैंक को अपनी तरफ करने के लिए ही 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है, जो जितनी अधिक ताकत से यह मुद्दा उठता है, अल्पसंख्यकों को लगता है कि, वो उनका शुभचिंतक है और फिर अल्पसंख्यकों का वोट भी वहीं जाता है। भारत के बहुसंख्यक वर्ग के अधिकतर त्योहारों पर निकाली जाने वाली शोभायात्राओं और जुलुस पर अल्पसंख्यकों द्वारा हमला किए जाने की कई ख़बरें आए दिन आप देखते ही होंगे, उसके बाद भी दुनियाभर में यह नैरेटिव फैलाया जाता है कि, भारत में अल्पसंख्यक पीड़ित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में सबसे कम आबादी जैन समुदाय की है, महज 0.4 फीसद, जो कारोबार में काफी आगे हैं, क्या उन्होंने कभी अपने ऊपर अत्याचार होने का दावा किया है या किसी नेता ने उनका मुद्दा उठाया है ? नहीं, क्योंकि वे अल्पसंख्यक तो हैं, लेकिन उनकी आबादी इतनी नहीं कि, वो वोट बैंक बन सकें। जैनियों से भी कम आबादी वाले पारसी और यहूदी, जो अपने देश को छोड़कर कई सालों पहले भारत में शरण लेने आए थे, उन्होंने भी आज तक उत्पीड़न की शिकायत नहीं की, उल्टा वे देश की उन्नति में योगदान दे रहे हैं। एक सिख अल्पसंख्यक हैं, सबसे अधिक भारतीय सेना में उनका योगदान माना जाता है, देशभर में सबसे अधिक लंगर यही अल्पसंख्यक समुदाय चलाता है। फिर 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का नैरेटिव' क्यों ?

ये शिकायतें 90 फीसद एक ही समुदाय की तरफ से आती है, जो अल्पसंख्यकों में सबसे बड़े बहुसंख्यक हैं, लगभग 25 करोड़ आबादी है, वो वोट बैंक भी हैं, एकमुश्त वोट देते हैं, और उनका समर्थन प्राप्त करने के लिए ही राजनेता 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव चलाते हैं। पाकिस्तान भी आतंकियों को भारत पर हमला करने के लिए यही बोलकर भड़काता है कि, भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है और बड़ी संख्या में युवा उसके कहने पर भारत में खून की नदियाँ बहाने के लिए तैयार हो जाते हैं, आतंकी बन जाते हैं। लेकिन, ये नैरेटिव फैला रहे राजनेताओं को भी सोचना चाहिए कि, क्या वे ऐसा करके देशहित का काम कर रहे हैं ? उन्हें कम से कम यह सवाल तो खुद से पूछना चाहिए कि, क्या दुनिया में कोई ऐसा देश है, जहाँ एक धर्म के बहुसंख्यक होने के बावजूद दूसरा धर्म पनप सके ? भारत में हिन्दू बहुसंख्यक होने के बावजूद, जब भगवान महावीर आए, तो एक तबका उनके पीछे चल पड़ा और जैन हो गया, कुछ वर्षों बाद भगवान बुद्ध आए, उनके साथ भी यही हुआ, कई लोग बौद्ध हो गए। फिर गुरु नानक आए, जिन्होंने सिख संप्रदाय की नींव रखी, भारत से निकले ये चारों धर्म आज आपसी प्रेम और सद्भाव से रहते हैं। अगर भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की संस्कृति होती, तो क्या ऐसा हो पाता ? आज भारत से अलग होकर बने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक (हिन्दू,सिख, ईसाई, बौद्ध) गिनती के रह गए हैं, वहीं, भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों की तादाद बढ़ रही है और वे फल-फूल रहे हैं, यदि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता, तो क्या स्थिति ये होती ?

WestBengalBangla

Sep 30 2023, 16:30

*Subroto Cup Sub-Junior (U 14) Boys to start tomorrow in Bengaluru*

Sports News

Bengaluru: The Sub-Junior (U 14) Boys category of the 62nd edition of the Subroto Cup International Football Tournament, will kick start tomorrow in Bengaluru. This is the first time in history that the national championships of the most prestigious inter-school football tournament of the country are being played outside the national capital. It has been the longstanding desire for the Subroto Mukherjee Sports Education Society (SMSES) to spread the reach of this iconic tournament to more corners of the country and the Sub-Junior boys tournament in Garden City is a start to the initiative.

The group stage matches will be played at the Air Force School, Jalahalli, Air Force School, Yelahanka and Air Force Training Command. All the knockout matches will be played at the Army Service Corps (ASC) Centre. The group stage matches will see 37 teams, including a team from Bangladesh competing for the coveted title. They are divided into eight groups, in which the winners of each group will qualify for the quarterfinals.

GROUP A

1. H.K Singh Memorial Secondary School, West Jaintia Hills, Jowai, Meghalaya

2. Sainik School, Tilaiya, Koderma, Jharkhand

3. Kendriya Vidyalaya IMA, Dehradun, Uttarakhand

4. Sudhanwa Debarma Memorial H.S.S, Sepahijala, Tripura

5. Jawahar Navodaya Vidyalaya, Maheshpur, Pakur, Jharkhand .

GROUP B

1. Chawngfianga Middle School, Saiden, Kulasib, Mizoram

2. Ramkrishna Mission Vivekanand Vidyapeeth, Narayanpur, Chattisgarh

3. Primary Marathi School, Kauncha, Chikhalipada, Silvassa, DD & D&NH

4. Army Public School, Bhuj, Gujarat

5. Manikpara High School, Jhargram, West Bengal.

GROUP C

1. Govt. N.N.M.H.S.S Chelembra, Malappuram, Kerala

2. Tashi Namgyal Academy, Gangtok, Sikkim

3. Major Dhyanchand Sports College, Sefai, Etawah, Uttar Pradesh

4. Minerva Public School, Kochi, Kerala

5. The Assam Valley School, Sonitpur, Assam.

GROUP D

1. S.S +2 Higher School, Simdega, Jharkhand

2. National Cadet Corps

3. Navarachana Higher Secondary School, Vadodara, Gujarat

4. The Air Force School, Subroto Park, New Delhi

5. Army Public School, Delhi Cantt, New Delhi

GROUP E

1. The Unique Model Academy, Imphal East, Manipur

2. Rajkeeyakrat Madhya Vidyalaya, Fazalgang, Sasaram, Bihar

3. Kamala Devi Public School, Karond, Bhopal, Madhya Pradesh

4. Amenity Public School, Rudrapur, Uttrakhand

5. Navy Children School, Kochi, Kerala

GROUP F

1. Greenwood School Khelo India Centre, Nagaland

2. Maharana Pratap Sports College, Dehradun, Uttarakhand

3. Loyola High School, Margao, Goa

4. Oberoi International School, Mumbai

GROUP G

1. Strawberry Fields High School, Sector 26, Chandigarh

2. Indira Modern High School, Bhuna, Fatehabad, Haryana

3. Imamia Public School, Watergram Wagoora, Baramulla, Jammu & Kashmir

4. Mother’s Pride Public School, Maloti, Himachal Pradesh

GROUP H

1. Bampatner Bengenabari H.S.S, Sibsagar, Assam

2. The Cathedral and John Connon School, Mumbai, Maharashtra

3. Don Bosco H.S.S, Perambur, Chennai, Tamil Nadu

4. Bangladesh Krida Shiksha Protishthan, Bangladesh.

India

Sep 29 2023, 10:46

मणिपुर में नहीं थम रही हिंसा, इंफाल घाटी में सीएम के पैतृक आवास पर हमला

#manipur_violence_mob_tries_to_set_fire_to_cm_n_biren_singh_residence

मणिपुर में हालात फिर बिगड़ते दिख रहे हैं. जातीय हिंसा की वजह से पिछले चार महीने से अधिक वक्त से राज्य में अशांति है। गुरुवार की रात हिंसा और उपद्रव ने उस वक़्त नया मोड़ ले लिया जब कुछ लोगों के एक समूह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के हिंगेंग स्थित घर में घुसने की कोशिश की। हालांकि मुख्यमंत्री और उनके परिवार का कोई शख़्स वहां मौजूद नहीं था।पुलिस ने बताया कि भीड़ ने सीएम के परिवार के खाली घर पर हमला करने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा बलों ने भीड़ को रोक लिया। पुलिस ने बताया कि भीड़ को आवासा से सौ मीटर पहले ही रोक दिया गया।

समाचार एजेंसी पीटीआई ने पुलिस के हवाले से बताया कि इंफाल पूर्व के हिंगिंग इलाके में प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे। पुलिस ने बताया कि भीड़ ने एन बीरेन सिंह के पैतृक आवास को निशाना बनाने की कोशिश की, जिसे विफल कर दिया गया। पुलिस ने बताया कि भीड़ को आवासा से सौ मीटर पहले ही रोक दिया गया।एक सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक लगभग 500-600 लोगों ने शुरुआत में हमले में शामिल थे। हालांकि रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों ने इस हमले के नाकाम कर दिया। उनका कहना है कि उपद्रवी मकान में घुस पाते इससे पहले ही उन्हें वहां से तितर-बितर कर दिया गया।

इससे पहले भीड़ ने गुरुवार तड़के इंफाल पश्चिम जिले में उपायुक्त कार्यालय में भी जमकर तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने दो चार पहिया वाहनों को आग लगा दी।साथ ही गुरुवार को उग्र भीड़ ने थौबल जिले में बीजेपी मंडल कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।आग लगाने से पहले बीजेपी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की गई। लोगों ने मंडल कार्यालय के गेट, खिड़कियों को तोड़कर नष्ट कर दिया। इसके साथ ही कार्यालय परिसर में खड़ी एक महिंद्रा स्कॉर्पियो की विंडशील्ड भी तोड़ डाली।

दो मैतेई छात्रों का शव मिलने के बाद फिर भड़की हिंसा

दो मैतेई छात्रों के शव मिलने के बाद एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है। ये दोनों छात्र, 20 साल के फिजाम हेमजी और 17 साल की हिजाम लुआनथो इनगाम्बी, जुलाई में बिष्णुपुर के पास से लापता हो गए थे लेकिन मणिपुर में मोबाइल इंटरनेट बहाल होने के बाद इन दोनों के शवों की तस्वीर सोशल मीडिया पर सामने आई। बाद में दोनों के शव चूराचांदपुर के पास लमदान में मिले और ये आशंका जताई गई कि इन्हें अगवा कर उनकी हत्या की गई है।इसके बाद मणिपुर में एक बार फिर हिंसा शुरू हो गई है।

कश्मीर के इस जांबाज अधिकारी को बुलाया गया

राज्य में फिर भड़की हिंसा के बीच जम्मू- कश्मीर के श्रीनगर में तैनात एसएसपी राकेश बलवाल को मणिपुर बुलाया गया है। राकेश बलवाल को आतंकियों से निपटने के मामले में विशेषज्ञता है। वर्ष 2012 बैच के इस आईपीएस अधिकारी के मणिपुर पहुंचने पर उन्हें नई पोस्टिंग दी जाएगी। वहीं सीबीआई की एक टीम वर्तमान में इस पूर्वोत्तर राज्य में हुई हत्याओं की जांच कर रही है, जहां पर पिछले करीब 5 महीने से जातीय तनाव चल रहा है।

India

Sep 28 2023, 11:39

दो छात्रों की हत्या के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ्तर को लगाई आग

#manipurviolencesituationworsensduetomurderoftwo_students

मणिपुर की राजधानी इंफाल में फिर से हिंसा भड़क गई है। दो युवकों की हत्या की तस्वीरें वायरल होने के बाद यह हिंसा भड़की है।ताजा हिंसा में लोगों की भीड़ ने इंफाल में डीसी (जिलाधिकारी)कार्यालय पर हमला कर दिया। इस दौरान डीसी ऑफिस में तोड़फोड़ की गई और दो चार पहिया वाहनों में आग लगा दी गई।साथ ही थाउबेल जिले में बीजेपी के एक मंडल कार्यालय को जला दिया।

इंफाल घाटी में एक बार फिर प्रदर्शनों का दौर शुरू

लापता स्टूडेंट्स की हत्या के बाद इंफाल घाटी में एक बार फिर प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है। इंफाल घाटी के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने छात्रों की हत्याओं के विरोध में रैलियां निकाली और दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की। इस दौरान पुलिस ने तोड़फोड़ पर उतारू भीड़ को कंट्रोल करने के लिए जमकर आंसू गैस के गोले दागे, जिससे घाटी में करीब 50 लोग घायल हो गए। जख्मी होने वाले लोगों में अधिकतर छात्र थे।कई घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

बीजेपी मंडल कार्यालय को लगाई आग

वहीं, दूसरी तरफ गुरुवार को उग्र भीड़ ने थौबल जिले में बीजेपी मंडल कार्यालय को आग के हवाले कर दिया।आग लगाने से पहले बीजेपी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की गई। लोगों ने मंडल कार्यालय के गेट, खिड़कियों को तोड़कर नष्ट कर दिया। इसके साथ ही कार्यालय परिसर में खड़ी एक महिंद्रा स्कॉर्पियो की विंडशील्ड भी तोड़ डाली। घटना के वक्त कार्यालय में मौजूद बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी पीटा गया।

जांच के लिए सीबीआई की टीम मणिपुर पहुंची

वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दो युवकों की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा दिलाया। मणिपुर में अगले छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ा दिया गया है। हालांकि घाटी के 19 थानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है।सरकार ने हालात पर काबू पाने के लिए 5 दिनों तक इंटरनेट सस्पेंड कर रखा है। साथ ही 29 सितंबर को प्रदेश के तमाम स्कूल बंद रखने की घोषणा की गई है। वहीं हत्या की जांच में मदद के लिए सीबीआई की एक टीम मणिपुर पहुंची है।

6 जुलाई को लापता हो गए थे दोनों छात्र

बता दें कि इम्फाल निवासी छात्रा हिजाम लिनथोइंगामी (17) और छात्र फिजाम हेमजीत (20), 6 जुलाई को अचानक लापता हो गए थे। इसके बाद उनकी आखिरी फोन लोकेशन चुराचांदपुर में पाई गई थी। 2 दिन पहले उनके शव चुराचांदपुर में एक खाई में पड़े मिले। उनकी गोली मारकर हत्या की गई थी। दोनों छात्रों की बर्बर हत्या की घटना सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद एक बार फिर से राज्य के मैतेई और कुकी समुदाय में तनाव पसर गया है।

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Sep 14 2023, 22:33

SSC JE : Application Status 2023

Total Vacancy : 1324

Exam Date : 09 October 2023 to 11 October 2023

Check Application Status :

Karnataka, Kerla : Karnataka, Kerla Region (KKR)

Andhra Pradesh, Punduchery, Tamilnadu : Southern Region (SR) - Link Active Soon

Uttar Pradesh & Bihar : Central Region (CR) - Link Active Soon

Madhya Pradesh, Chhattisgarh : MP Sub-Region (MPR) - Link Active Soon

Maharashtra, Gujrat, Goa : Western Region (WR) - Link Active Soon

Rajasthan, Delhi, Uttarakhand : North Region (NR) - Link Active Soon

Assam, Arunachal Pradesh, Manipur, Meghalaya, Tripura, Nagaland, Mizoram : North Eastern Region (NER) - /Link Active Soon

Hariyana, Punjab, J&K, Himachal Pradesh : North Western Sub-Region (NWR) - Link Active Soon

West Bengal, Orrisa, Jharkhand, A&N Island, Sikkim : Eastern Region (ER) - Link Active Soon

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నిజంనిప్పులాంటిది

Aug 18 2023, 16:17

Manipur Violence: మణిపుర్‌లో మరోసారి రెచ్చిపోయిన ఆందోళనకారులు.. ముగ్గురి మృతి

ఇంఫాల్‌: తెగల మధ్య వైరం కారణంగా గత వందరోజులుగా హింసాత్మకంగా మారిన మణిపుర్‌ (Manipur)లో మరోసారి అల్లరిమూకలు రెచ్చిపోయాయి. ఉఖ్రుల్‌ (Ukhrul) జిల్లాలో శుక్రవారం ఉదయం సాయుధులైన దుండగులు కాల్పులకు తెగబడ్డారు..

ఉఖ్రుల్‌ జిల్లా పోలీసు అధికారి ఎన్‌. వాషుమ్‌ వెల్లడించిన వివరాల ప్రకారం.. జిల్లా కేంద్రానికి 47 కి.మీ దూరంలో కుకీ తెగవారు నివసించే తోవాయి కుకీ అనే గ్రామంపైకి ఉదయం 4:30 గంటల ప్రాంతంలో కొండపై నుంచి సాయుధ మూకలు విచక్షణా రహితంగా కాల్పులు జరిపాయి.

ఈ ఘటనలో ముగ్గురు గ్రామస్థులు మృతి చెందారు. ఈ నేపథ్యంలో ఆ ప్రాంతంలో కట్టుదిట్టమైన భద్రతను ఏర్పాటు చేశారు. కాల్పులు జరిపిన వారి కోసం రాష్ట్ర పోలీసులు, భారత సైన్యం సంయుక్తంగా సెర్చ్‌ ఆపరేషన్‌ చేపట్టినట్లు ఎస్పీ వెల్లడించారు..

మణిపుర్‌లో శాంతి నెలకొల్పేందుకు రాష్ట్ర, కేంద్ర ప్రభుత్వాలు తీవ్రంగా ప్రయత్నిస్తున్నాయి.

మరోవైపు కుకీ-జో తెగల నివాసిత ప్రాంతాలకు స్వయంప్రతిపత్తిని ప్రకటించాలని గిరిజన మహిళల వేదిక కేంద్ర ప్రభుత్వాన్ని డిమాండ్‌ చేసింది.

ఇప్పటి వరకు రాష్ట్రంలో చెలరేగిన హింస కారణంగా సుమారు 160 మంది ప్రాణాలు కోల్పోగా, మూడు వేల మంది వరకు గాయపడ్డారు. ఆందోళనలను కట్టడి చేసి, శాంతి నెలకొల్పేందుకు కేంద్ర ప్రభుత్వం సుమారు 40 వేల కేంద్ర బలగాలను మోహరించింది..

Purnea

Aug 18 2023, 14:45

12 दिन की शांति के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, गोलीबारी में तीन कुकी नागरिकों की मौत

#manipurviolencethreevillagevolunteers_killed

मणिपुर पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से जल रहा है। राज्य में रूक रूककर हिंसा भड़क जा रही है। पिछले 12 दिनों से घाटी में शांति थी, लेकिन आज शुक्रवार की सुबह एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है। मणिपुर के उखरुल जिले में शुक्रवार सुबह भड़की ताजा हिंसा के दौरान तीन कुकी लोगों की मौत हो गई।बताया जा रहा है कि सुबह करीब 4.30 गांव में उपद्रवियों ने गोलीबारी की जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई है। इस हमले के पीछे मैतेई समुदाय का हाथ बताया जा रह है। फिलहाल पुलिस गोलीबारी करने वालों की पहचान करने में जुटी है।

मणिपुर पुलिस ने बताया कि यह घटना उखरूल जिले से लगभग 47 किलोमीटर दूर स्थित थोवई गांव में सुबह करीब 4.30 बजे हुई, यह कुकी बहुल गांव है। उखरुल के पुलिस अधीक्षक एन वाशुम के मुताबिक, हथियारबंद उपद्रवियों का एक समूह गांव के पूर्व में स्थित पहाड़ियों से गांव के पास आया और ग्राम रक्षकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। घटना में गांव के 3 लोगों की मौत हो गई है। किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

बताया जा रहा है कि मैतेई उपद्रवियों ने सबसे पहले गांव के ड्यूटी पोस्ट पर हमला किया, जहां स्वयंसेवक गांव की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इस गोलीबारी में कुकी स्वयंसेवकों के तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने बचाया है कि जब पुलिस ने सर्च अभियान चलाया तब यहां जंगल के इलाके से 3 शव बरामद हुए हैं। मारे गए लोगों की पहचान जामखोगिन हाओकिप (26), थांगखोकाई हाओकिप (35) और होलेनसोन बाइते (24) के रूप में हुई है।चाकू से इनके शरीर पर निशान बनाए गए हैं, जबकि अंगों को भी काटा गया है।

राज्य में अब तक 190 लोगों की मौत

मैतइ और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर शुरू हुई जातीय हिंसा ने धीरे-धीरे पूरे राज्य में हिंसा का स्वरूप ले लिया था, जिसके बाद कई जान चली गई। हिंसा की ताजा घटना के साथ, मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष में कम से कम 190 लोग मारे गए हैं। राज्य में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच व्यापक हिंसा देखी गई है। हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 60,000 लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हो गए हैं। राज्य में बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए हैं और केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी उपस्थिति के बावजूद भीड़ ने पुलिस शस्त्रागार लूट लिया और कई घरों में आग लगा दी।

हिंसा की वजह

बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसकी वजह ये है कि मैतई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है लेकिन ये लोग राज्य के सिर्फ 10 प्रतिशत मैदानी इलाके में रहते हैं। वहीं कुकी और नगा समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो की राज्य का करीब 90 फीसदी है। जमीन सुधार कानून के तहत मैतई समुदाय के लोग पहाड़ों पर जमीन नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी और नगा समुदाय पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। यही वजह है, जिसकी वजह से हिंसा शुरू हुई और अब तक इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

Katihar

Aug 18 2023, 14:43

12 दिन की शांति के बाद मणिपुर में फिर भड़की हिंसा, गोलीबारी में तीन कुकी नागरिकों की मौत

#manipurviolencethreevillagevolunteers_killed

मणिपुर पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से जल रहा है। राज्य में रूक रूककर हिंसा भड़क जा रही है। पिछले 12 दिनों से घाटी में शांति थी, लेकिन आज शुक्रवार की सुबह एक बार फिर हिंसा की खबर सामने आई है। मणिपुर के उखरुल जिले में शुक्रवार सुबह भड़की ताजा हिंसा के दौरान तीन कुकी लोगों की मौत हो गई।बताया जा रहा है कि सुबह करीब 4.30 गांव में उपद्रवियों ने गोलीबारी की जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई है। इस हमले के पीछे मैतेई समुदाय का हाथ बताया जा रह है। फिलहाल पुलिस गोलीबारी करने वालों की पहचान करने में जुटी है।

मणिपुर पुलिस ने बताया कि यह घटना उखरूल जिले से लगभग 47 किलोमीटर दूर स्थित थोवई गांव में सुबह करीब 4.30 बजे हुई, यह कुकी बहुल गांव है। उखरुल के पुलिस अधीक्षक एन वाशुम के मुताबिक, हथियारबंद उपद्रवियों का एक समूह गांव के पूर्व में स्थित पहाड़ियों से गांव के पास आया और ग्राम रक्षकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। घटना में गांव के 3 लोगों की मौत हो गई है। किसी के घायल होने की खबर नहीं है।

बताया जा रहा है कि मैतेई उपद्रवियों ने सबसे पहले गांव के ड्यूटी पोस्ट पर हमला किया, जहां स्वयंसेवक गांव की सुरक्षा के लिए ड्यूटी कर रहे थे। इस गोलीबारी में कुकी स्वयंसेवकों के तीन लोगों के मारे जाने की खबर है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अधिकारियों ने बचाया है कि जब पुलिस ने सर्च अभियान चलाया तब यहां जंगल के इलाके से 3 शव बरामद हुए हैं। मारे गए लोगों की पहचान जामखोगिन हाओकिप (26), थांगखोकाई हाओकिप (35) और होलेनसोन बाइते (24) के रूप में हुई है।चाकू से इनके शरीर पर निशान बनाए गए हैं, जबकि अंगों को भी काटा गया है।

राज्य में अब तक 190 लोगों की मौत

मैतइ और कुकी समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर शुरू हुई जातीय हिंसा ने धीरे-धीरे पूरे राज्य में हिंसा का स्वरूप ले लिया था, जिसके बाद कई जान चली गई। हिंसा की ताजा घटना के साथ, मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष में कम से कम 190 लोग मारे गए हैं। राज्य में 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच व्यापक हिंसा देखी गई है। हिंसा भड़कने के बाद से लगभग 60,000 लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हो गए हैं। राज्य में बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए हैं और केंद्रीय सुरक्षा बलों की भारी उपस्थिति के बावजूद भीड़ ने पुलिस शस्त्रागार लूट लिया और कई घरों में आग लगा दी।

हिंसा की वजह

बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैतई समुदाय जनजातीय आरक्षण देने की मांग कर रहा है। इसकी वजह ये है कि मैतई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है लेकिन ये लोग राज्य के सिर्फ 10 प्रतिशत मैदानी इलाके में रहते हैं। वहीं कुकी और नगा समुदाय राज्य के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो की राज्य का करीब 90 फीसदी है। जमीन सुधार कानून के तहत मैतई समुदाय के लोग पहाड़ों पर जमीन नहीं खरीद सकते, जबकि कुकी और नगा समुदाय पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। यही वजह है, जिसकी वजह से हिंसा शुरू हुई और अब तक इस हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

India

Nov 13 2023, 18:49

मणिपुर में तनाव के बीच केंद्र का बड़ा एक्शन, 9 मैतेई चरमपंथी समूहों पर 5 साल के लिए लगाया प्रतिबंध

#9meiteimilitantgroupsofmanipurbannedforfive_years

मणिपुर में हिंसा की आग को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए केन्द्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और सुरक्षाबलों पर घातक हमले करने को लेकर नौ मैतेई चरमपंथी संगठन और उनके सहयोगी संगठनों पर बैन लगा दिया है। नौ मैतेई उग्रवादी ग्रुप्स और उनके सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए बैन लगा दिया। यह बैन इनकी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर घातक हमले करने के कारण लगाया गया है। ये ग्रुप्स मणिपुर में एक्टिव हैं। यह बैन आज से ही लागू होगा।

इन उग्रवादी ग्रुप्स पर लगाया बैन

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में जिन ग्रुप्स को बैन गया है उनमें- उनमें पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और इसकी राजनीतिक शाखा, रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ), यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और इसकी सशस्त्र शाखा मणिपुर पीपुल्स आर्मी (एमपीए) शामिल हैं। इनमें पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (पीआरईपीएके) और इसकी सशस्त्र शाखा रेड आर्मी, कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी), इसकी सशस्त्र शाखा (जिसे रेड आर्मी भी कहा जाता है), कांगलेई याओल कनबा लुप (केवाईकेएल), कोआर्डिनेशन कमेटी (कोरकॉम) और एलायंस फॉर सोशलिस्ट यूनिटी कांगलेईपाक (एएसयूके) भी शामिल हैं।

गृह मंत्रालय ने बताया बैन लगाना क्यों जरूरी?

अपनी अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार की राय है कि यदि मैतेई चरमपंथी संगठनों पर तत्काल अंकुश नहीं लगाया गया तो वे अपने अलगाववादी, विध्वंसक, आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए अपने कैडरों को संगठिन करने का अवसर तलाश सकते हैं।इसमें कहा गया कि वे भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए हानिकारक ताकतों के साथ मिलकर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों का प्रचार करेंगे, लोगों की हत्याओं में शामिल होंगे और पुलिस तथा सुरक्षाबलों के जवानों को निशाना बनाएंगे। अधिसूचना के अनुसार, अंकुश न लगाए जाने की स्थिति में ये समूह और संगठन अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से अवैध हथियार और गोला-बारूद हासिल करेंगे। अपनी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए जनता से भारी धन की वसूली करेंगे।

इन ग्रुप्स पर बैन बढ़ा

इसके अलावा पीएलए,यूएनएलएफ, पीआरईपीएके,केसीपी,केवाईकेएल को कई साल पहले गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत गृह मंत्रालय ने बैन किया था। नए एक्शन में इन पर बैन को पांच साल तक बढ़ा दिया है। अन्य संगठनों के गैरकानूनी घोषित होने का ऐलान ताजा है।

3 मई को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच भड़क उठी थी हिंसा

दरअसल, मणिपुर उस समय हिंसा की आग में जल उठा जब 3 मई को कुकी और मैतेई समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए। तीन मई को राज्य के कुकी और दूसरे जनजातीय समुदाय ने एक रैली निकाली। ये रैली मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्ज़ा दिए जाने की मांग के ख़िलाफ़ निकाली गई थी। रैली के बाद हिंसा भड़की और कुकी समुदाय की तरफ से मैतेई समुदाय पर हमले किए गए।इसके जवाब में मैतेई समुदाय ने भी प्रतिक्रिया दी और मैतेई बहुल इलाक़ों में रह रहे कुकी समुदाय के लोगों के घर जला दिए गए और उन पर हमले किए गए।इन हमलों के बाद मैतेई बहुल इलाकों में रहने वाले कुकी और कुकी बहुल इलाकों में रहने वाले मैतेई अपने-अपने घर छोड़कर जाने लगे। हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं।हिंसा की वजह से हजारों की संख्या में लोग पलायन कर दूसरे राज्यों में रहने के लिए मजबूर हैं। इसके साथ-साथ हजारों लोगों को राहत शिविर में रखा गया है।

क्यों भड़की हिंसा की आग?

बता दें कि मणिपुर में मुख्य तौर पर तीन समुदाय के लोग रहते हैं. मैतेई और जनजातीय समूह कुकी और नगा. पहाड़ी इलाक़ों में कुकी, नगा समेत दूसरी जनजाति के लोग रहते हैं।जबकि इंफ़ाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई लोग रहते हैं।मैतेई समुदाय के ज़्यादातर लोग हिंदू हैं तो नगा और कुकी समुदाय के लोग मुख्य तौर पर ईसाई धर्म के हैं। जनसंख्या में ज़्यादा होने के बावजूद मैतेई मणिपुर के 10 प्रतिशत भूभाग में रहते हैं जबकि बाक़ी के 90 प्रतिशत हिस्से पर नगा, कुकी और दूसरी जनजातियां रहती हैं।मणिपुर के मौजूदा जनजाति समूहों का कहना है कि मैतेई का जनसांख्यिकी और सियासी दबदबा है। इसके अलावा ये पढ़ने-लिखने के साथ अन्य मामलों में भी आगे हैं।उनका मानना है कि अगर मैतेई को भी जनजाति का दर्जा मिल गया तो उनक लिए नौकरियों के अवसर कम हो जाएंगे और वे पहाड़ों पर भी ज़मीन ख़रीदना शुरू कर देंगे। ऐसे में वे और हाशिए पर चले जाएंगे।

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Oct 28 2023, 19:36

SSC Delhi Police Constable Application Status OUT

Total Vacancy : 7547

Exam Name : Constable (Executive) Male and Female in Delhi Police Examination 2023

Exam Date : 14 November 2023 to 03 December 2023

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Madhya Pradesh, Chhattisgarh : MP Sub-Region (MPR) Link Active Soon

Rajasthan, Delhi, Uttarakhand : North Region (NR) Link Active Soon

Hariyana, Punjab, J&K, Himachal Pradesh : North Western Sub-Region (NWR) Link Active Soon

West Bengal, Orrisa, Jharkhand, A&N Island, Sikkim : Eastern Region (ER) Link Active Soon

Andhra Pradesh, Punduchery, Tamilnadu : Southern Region (SR) Link Active Soon

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India

Oct 02 2023, 14:18

मणिपुर में किसने फैलाया था 'नफरत' का केरोसिन, कैसे रचा गया पूरा प्रोपेगेंडा ? महीनों बाद ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ लगा बड़ा सबूत, डिटेल में जानिए

मणिपुर में लगभग 3 महीनों तक चले हिंसा और उस पर मची राजनीती को लेकर अब परत-दर-परत खुलासे हो रहे हैं। मणिपुर में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का भी जो नैरेटिव राजनेताओं द्वारा बनाया गया, उसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय साजिशें सामने आ रहीं हैं।

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में फिर से भड़की हिंसा के पीछे खालिस्तानी आतंकवादियों का भी बड़ा हाथ है। खुफिया एजेंसियों को बाकायदा इसके प्रमाण भी मिले हैं, एजेंसियों का दावा है कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या के बाद 'अल्पसंख्यक' कुकी समुदाय के एक वरिष्ठ नेता ने आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथ बैठक की थी। 3 घंटे चली इस मीटिंग के बाद खालिस्तानी नेटवर्क के माध्यम से करोड़ों रुपए मणिपुर में कुकियों के लिए भेजे गए। इन पैसों का इस्तेमाल कुकियों द्वारा मैतई समुदाय के खिलाफ हिंसा में ही किया जाना था या फिर किया भी जा रहा हो। 

रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों के हाथ कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित सरे के एक गुरुद्वारे में खालिस्तानी समर्थकों की सभा का एक वीडियो भी लगा है। इसमें मणिपुर के अल्पसंख्यक कुकी अलगाववादी नेता लीन गंग्ते नज़र आ रहा है। गंग्ते नार्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन (NAMTA) यानी नामटा का प्रमुख है। 2 मिनट 20 सेकंड के इस वीडियो में गंग्ते वहां मौजूद लोगों के सामने भाषण दे रहा है।

कनाडा से पनाह मांग रहे कुकी नेता

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गंग्ते ने कनाडा के गुरुद्वारे में खालिस्तानियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला, उसने कहा कि, ''जिस प्रकार आप लोग खालिस्तान की मांग कर रहे है, वैसे ही हम भी अलग मणिपुर के लिए लड़ रहे हैं। सरकार, मणिपुर में हमारे समुदाय के नेताओं को मिटा देना चाहती है, इसलिए उन्हें कनाडा में राजनीतिक शरण दी जाए।'' खालिस्तानियों के सामने भारत विरोधी भाषण में गंग्ते ने आगे कहा कि, ''हमारे समुदाय (कूकी) को भी कनाडा में राजनितिक रूप से आगे बढ़ने का अवसर मिले।’ इसके बाद गुरुनानक गुरुद्वारा समिति सरे के कार्यक्रम में मौजूद कुछ खालिस्तानी समर्थकों ने गंग्ते को आगे की रणनीति साथ मिलकर बनाने का आश्वासन दिया।

बता दें कि, कूकी (30 फीसद आबादी) मणिपुर में रहने वाली एक जनजाति है, जिसका राज्य के 90 फीसद पहाड़ी इलाकों पर कब्जा है, वहां मैतई समुदाय जमीन नहीं खरीद सकता और काम धंधा नहीं कर सकता। अधिकतर कूकी मिशनरियों के प्रभाव में आकर ईसाई बन चुके हैं, वहीं मैतई समुदाय (53 फीसद) बहुसंख्यक है, जो वैष्णव धर्म का पालन करता है और राज्य के 10 फीसद मैदान वाले हिस्से में सिमटा हुआ है, उसने मांग की थी कि, उसे भी जनजाति (ST) का दर्जा दिया जाए, ताकि वो भी पहाड़ी इलाकों में जाकर खेती बाड़ी कर सके, क्योंकि 10 फीसद जमीन काफी कम है। इसी बात से कूकी आक्रोशित हैं, हाई कोर्ट ने जब मैतई समुदाय को ST का दर्जा दे दिया, तो कुकियों ने विरोध किया और परिणामस्वरूप हिंसा शुरू हो गई, अब कुकियों को भारत विरोधी तमाम ताकतों से मदद मिल रही है।  

कूकी नेता ने कहा- भारत में अल्पसंख्यक असुरक्षित 

वीडियो में कूकी के अलगाववादी नेता ने मणिपुर (Truth of Manipur Violence) मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा बयान न देने पर भी हमला बोला है। उसने कहा कि, मोदी अमेरिका गए, फ्रांस गए, मिस्र गए, लेकिन उन्होंने मणिपुर मुद्दे पर कुछ नहीं कहा। लीन गंग्ते ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं। बता दें कि, ''अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित नहीं हैं'' या ''भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचर हो रहा है'', ये वही जुमले हैं, जो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अक्सर विदेश दौरों पर बोलते रहते हैं। यही आरोप पाकिस्तान पूरी दुनिया में घूम-घूमकर भारत पर लगाता रहता है कि, भारत मुस्लिमों (अल्पसंख्यक) पर अत्याचार कर रहा है। खालिस्तानी भी यही कहकर लोगों को भड़काते हैं कि ''भारत में सिखों के साथ भेदभाव हो रहा है।'' आतंकियों के इस नैरेटिव को अनजाने में ही या फिर जानबूझकर सियासी लाभ के लिए, राहुल गांधी आगे बढ़ाते हैं, जब वे ब्रिटेन में जाकर कहते हैं कि, 'भारत में सिखों को दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है।' इसके कुछ ही दिनों बाद ब्रिटेन में भारतीय दूतावास पर हमला हो जाता है और खालिस्तानी तिरंगे को अपमानित करते हैं। क्या इससे यह समझ में नहीं आता कि, आतंकी, भारतीय नेताओं द्वारा दिए गए राजनितिक बयानों को हथियार बनाकर लोगों को भड़का रहे हैं ? अब ये पूरा रैकेट धीरे-धीरे उजागर हो रहा है कि, मणिपुर में किस तरह आग लगाई गई ? 

उधर, नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में मणिपुर में पहली गिरफ्तारी कर ली है। NIA ने चूराचांदपुर से से कूकी नेता इमीन्लुन गंग्ते को पकड़ा है। गंग्ते पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम है। आरोप है कि आतंकी संगठन चिन-कुकी-मिजो लोगों के लिए अलग राज्य बनाने के लिए भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहे हैं। भारत के खिलाफ इसी युद्ध को कुछ राजनेता यह कहकर अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं कि, 'भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' हो रहा है। इससे उन अलगाववादियों को ताकत मिल रही है और वो भारत विरोधी अन्तर्राष्ट्रीय ताकतों से मदद लेकर भारत को अस्थिर करने की साजिश रच रहे हैं। 

विदेश मंत्री ने वाशिंगटन में बताया 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का सच :-

'भारत में अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है', बार-बार कही जा रही इस बात पर दुनिया के कुछ देश भरोसा करने लगे हैं और मौका मिलते ही विदेश यात्रा पर पहुंचे भारत सरकार के किसी प्रतिनिधि पर अल्पसंख्यकों से जुड़ा सवाल दाग देते हैं। यही सवाल अमेरिका दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर के सामने भी रखा गया। कई बार भारत इन सवालों का जवाब देने में रक्षात्मक हो जाया करता था, लेकिन अब वो आँख में आँख मिलाकर जवाब देता है। विदेश मंत्री ने इसका बेबाकी से उत्तर दिया और दो टूक जवाब देकर अमेरिकी प्रतिनिधि को चुप करा दिया। उन्होंने कहा कि, 'चूंकि आपने भारत में अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया है, किन्तु यह बताइए कि निष्पक्ष और सुशासन या समाज के संतुलन की कसौटी क्या है? इसकी कसौटी यही होगी कि आप सुविधाओं के मामले में, लाभ के मामले में, पहुंच के मामले में, अधिकारों के मामले में, किसी से भेदभाव करते हैं या नहीं।'

 

विदेश मंत्री ने कहा कि आज, जब आप अल्पसंख्यकों को मिलने वाले लाभों को देखते हैं, तो आप देखते हैं आवास के मामले में, आप स्वास्थ्य को देखते हैं, आप भोजन को देखते हैं, आप आर्थिक मदद को देखते हैं, आप शैक्षिक पहुंच को देखते हैं। उन्होंने कहा कि, "मैं आपको चुनौती देता हूं कि आप मुझे भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव दिखाइए।'' इसके बाद जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी से दुनिया को वो सच्चाई बताई, जिसके कारण 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है। उन्होंने कहा कि, "जैसा कि मैंने कहा यह एक वैश्वीकृत दुनिया है। ऐसे लोग होंगे, आपके मन में इसके बारे में फ़िक्र होगी और उनमें से अधिकांश शिकायत सियासी है। मैं आपसे बहुत स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं, क्योंकि हमारे यहां भी वोट बैंक की संस्कृति रही है और ऐसे वर्ग भी हैं, जिनका उनकी नजर में एक निश्चित विशेषाधिकार था।" 

बता दें कि, वोट बैंक को अपनी तरफ करने के लिए ही 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव फैलाया जाता है, जो जितनी अधिक ताकत से यह मुद्दा उठता है, अल्पसंख्यकों को लगता है कि, वो उनका शुभचिंतक है और फिर अल्पसंख्यकों का वोट भी वहीं जाता है। भारत के बहुसंख्यक वर्ग के अधिकतर त्योहारों पर निकाली जाने वाली शोभायात्राओं और जुलुस पर अल्पसंख्यकों द्वारा हमला किए जाने की कई ख़बरें आए दिन आप देखते ही होंगे, उसके बाद भी दुनियाभर में यह नैरेटिव फैलाया जाता है कि, भारत में अल्पसंख्यक पीड़ित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में सबसे कम आबादी जैन समुदाय की है, महज 0.4 फीसद, जो कारोबार में काफी आगे हैं, क्या उन्होंने कभी अपने ऊपर अत्याचार होने का दावा किया है या किसी नेता ने उनका मुद्दा उठाया है ? नहीं, क्योंकि वे अल्पसंख्यक तो हैं, लेकिन उनकी आबादी इतनी नहीं कि, वो वोट बैंक बन सकें। जैनियों से भी कम आबादी वाले पारसी और यहूदी, जो अपने देश को छोड़कर कई सालों पहले भारत में शरण लेने आए थे, उन्होंने भी आज तक उत्पीड़न की शिकायत नहीं की, उल्टा वे देश की उन्नति में योगदान दे रहे हैं। एक सिख अल्पसंख्यक हैं, सबसे अधिक भारतीय सेना में उनका योगदान माना जाता है, देशभर में सबसे अधिक लंगर यही अल्पसंख्यक समुदाय चलाता है। फिर 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार का नैरेटिव' क्यों ?

ये शिकायतें 90 फीसद एक ही समुदाय की तरफ से आती है, जो अल्पसंख्यकों में सबसे बड़े बहुसंख्यक हैं, लगभग 25 करोड़ आबादी है, वो वोट बैंक भी हैं, एकमुश्त वोट देते हैं, और उनका समर्थन प्राप्त करने के लिए ही राजनेता 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचार' का नैरेटिव चलाते हैं। पाकिस्तान भी आतंकियों को भारत पर हमला करने के लिए यही बोलकर भड़काता है कि, भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है और बड़ी संख्या में युवा उसके कहने पर भारत में खून की नदियाँ बहाने के लिए तैयार हो जाते हैं, आतंकी बन जाते हैं। लेकिन, ये नैरेटिव फैला रहे राजनेताओं को भी सोचना चाहिए कि, क्या वे ऐसा करके देशहित का काम कर रहे हैं ? उन्हें कम से कम यह सवाल तो खुद से पूछना चाहिए कि, क्या दुनिया में कोई ऐसा देश है, जहाँ एक धर्म के बहुसंख्यक होने के बावजूद दूसरा धर्म पनप सके ? भारत में हिन्दू बहुसंख्यक होने के बावजूद, जब भगवान महावीर आए, तो एक तबका उनके पीछे चल पड़ा और जैन हो गया, कुछ वर्षों बाद भगवान बुद्ध आए, उनके साथ भी यही हुआ, कई लोग बौद्ध हो गए। फिर गुरु नानक आए, जिन्होंने सिख संप्रदाय की नींव रखी, भारत से निकले ये चारों धर्म आज आपसी प्रेम और सद्भाव से रहते हैं। अगर भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की संस्कृति होती, तो क्या ऐसा हो पाता ? आज भारत से अलग होकर बने पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक (हिन्दू,सिख, ईसाई, बौद्ध) गिनती के रह गए हैं, वहीं, भारत में रह रहे अल्पसंख्यकों की तादाद बढ़ रही है और वे फल-फूल रहे हैं, यदि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार होता, तो क्या स्थिति ये होती ?