मणिपुर से हटेगा राष्ट्रपति शासन? बीजेपी ने राज्यपाल से मिल 44 विधायकों के समर्थन का किया दावा

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मणिपुर में एक बार फिर राजनीति हलचल देखी जा रही है। मणिपुर में 10 विधायकों ने बुधवार को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है। इनमें 8 भाजपा, एनपीपी और निर्दलीय के एक-एक विधायक हैं। इन्होंने दावा किया है इनके पास 44 विधायकों का समर्थन है।

विधायक राधेश्याम ने इस मुलाकात के बाद घोषणा की कि 44 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जो एक लोकप्रिय और स्थिर सरकार बनाने के लिए तैयार हैं।विधायक राधेश्याम ने मीडिया से बातचीत में कहा, हमारे पास 44 विधायकों का समर्थन है, और सभी भाजपा विधायक एकजुट होकर जनता की इच्छा के अनुरूप सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम राज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे बहुमत को मान्यता दें और शीघ्र कार्रवाई करें।

विधानसभा अध्यक्ष ने 44 विधायकों से मुलाकात की

बीजेपी नेता राधेश्याम सिंह ने कहा, यह बताना कि हम तैयार हैं, सरकार बनाने का दावा पेश करने जैसा है। विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत ने 44 विधायकों से व्यक्तिगत और संयुक्त रूप से मुलाकात की है। किसी ने भी नई सरकार के गठन का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा, लोगों को बहुत अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कार्यकाल में कोविड के कारण दो साल बर्बाद हो गए थे और इस कार्यकाल में संघर्ष के कारण दो और साल बर्बाद हो गए हैं।

विधानसभा अध्यक्ष केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली रवाना

दूसरी तरफ, विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली रवाना हो गए हैं। जल्द ही सरकार बनाने पर आलाकमान का फैसला आ सकता है। मणिपुर में 60 विधानसभा सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 31 है।

13 फरवरी से मणिपुर में लागू है राष्ट्रपति शासन

बता दें कि मणिपुर में एन. बीरेन सिंह की सरकार 9 फरवरी 2025 को उनके इस्तीफे के साथ गिर गई थी।मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच राज्‍य में जातीय हिंसा जारी है, जिसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस मुद्दे पर उनकी सरकार पर दबाव बढ़ा। विपक्ष और भाजपा के 19 विधायकों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की, जिसके डर से बीरेन ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। ऐसा इस‍लिए हुआ क्‍योंकि भाजपा नया मुख्यमंत्री नहीं चुन पाई थी।

*Asia’s oldest football tournament now in five states as Imphal makes a comeback*

Sports

134th IndianOil Durand Cup

Sports Desk: Asia’s oldest football tournament, the IndianOil Durand Cup, will be back with its 134th Edition and for the first time in its storied history, be hosted in as many as five states with Manipur’s capital Imphal, making a comeback after a two-year gap. The Durand Cup Organising Committee also announced the dates for this year’s tournament to be between July 22- August 23, 2025.

Kokrajhar in Assam will extend their status as Durand Cup hosts for the third consecutive year while Jamshedpur in Jharkhand and Shillong in Meghalaya were added as hosts last year. The century-old tournament shifted its home base to Kolkata – the Mecca of Indian Football, and the capital of West Bengal, from Delhi back in 2019, and, will also continue to hold that status for a sixth consecutive edition.

Since its transition to the East, the Durand Cup has reinstated itself as the country’s premiere competition, growing from 16 teams to 24 teams, including participation from all the Indian Super League (ISL) teams.

Organised by the Eastern Command of the Indian Army on behalf of the three Services, the tournament is unique in the sense that it pits Services teams against India’s best football clubs and over the past couple of editions, has also seen foreign participation with Army teams from neighbouring nations.

The Indian Army’s stated vision of expanding the reach of the historic tournament throughout the East and North-East is also now fully reflected with the choice of host cities this year.

A total of six venues, two in Kolkata (Vivekananda Yuba Bharati Krirangan and Kishore Bharti Krirangan) and one each in Imphal (Khuman Lampak stadium), Ranchi (Morhabadi Stadium) or Jamshedpur (JRD Tata Sports Complex), Shillong (Jawahar Lal Nehru Stadium) and Kokrajhar (SAI Stadium) have been earmarked for the 134th IndianOil Durand Cup edition.

North East United FC are the defending champions having overcome maximum title-holders Mohun Bagan, in a thrilling final last year to get their historic maiden title.

Pic Courtesy by: Durand football society

मणिपुर हिंसा के दो साल, हाई अलर्ट के बीच मैतेई-कुकी ने बंद का किया ऐलान

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मणिपुर में जातीय हिंसा के आज दो साल पूरे हो गए। इसको लेकर मैतेई और कुकि समुदायों ने राज्यभर में शटडाउन का आह्वान किया। इस दौरान जहां मैतेई समुदाय की एक संगठन ने इंफाल में 'मणिपुर पीपल्स कन्वेंशन' आयोजित किया, वहीं कुकी समुदाय ने 'डे ऑफ सेपरेशन' मनाया। मणिपुर में लगभग सभी जगह आज बाजार, दुकानें और स्कूल-कॉलेज बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। इधर, राज्य में तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने इम्फाल, चुराचांदपुर और कंगपोकपी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है।

सुरक्षाबलों ने 20 किमी किया फ्लैग मार्च

मणिपुर हिंसा की दूसरी बरसी से एक दिन पहले (2 मई) सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 34 बटालियन के डीआईजी सुशांकर उपाध्याय ने बताया कि इस फ्लैग मार्च से लोगों में एक भरोसा पैदा होगा। लोगों को लगेगा कि हालात पर काबू पाने के लिए यहां एक न्यूट्रल (किसी के पक्ष में नहीं) फोर्स है।

डीआईजी उपाध्याय ने ये भी बताया कि फ्लैग मार्च में 1000 जवान शामिल हुए। हमने इसे इम्फाल पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन में आयोजित किया था। हमने करीब 20 किमी का मार्च निकाला। हम लोगों में एक तरह का विश्वास और उपद्रवियों को चेतावनी देना चाहते थे।

13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन, नई सरकार की मांग तेज

मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। इसलिए कई नागरिक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। सियासी ताकत पूर्व सीएम एन. वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है। चार-पांच दिन पहले ही 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए हैं।

हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए

मणिपुर में दो साल पहले मैतेई और कुकि समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें 260 से अधिक लोग मारे गए थे और 70,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे। इस मामले में 6 हजार एफआईआर दर्ज हुईं, उनमें करीब 2500 में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।

मणिपुर समेत तीन राज्यों में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया अफस्पा, हिंसा और अशांति के बीच केन्द्र का बड़ा फैसला

#manipurafspaextended

केंद्र सरकार ने मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पांच जिलों के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे मणिपुर में 1 अप्रैल 2025 से अगले छह माह तक, यदि इस घोषणा को इससे पहले वापस न लिया जाए, 'अशांत क्षेत्र' के रूप में घोषित किया जाता था।

अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित किया है। इसके अलावा कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग, वोखा और जुनहेबोटो जिलों के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। यहां भी 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक अफस्पा लागू रहेगा।

वहीं अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ 3 पुलिस थानों के क्षेत्रों में भी छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ा दिया गया है।

फरवरी 2025 से, मणिपुर राष्ट्रपति शासन के अधीन है और विधानसभा निलंबित स्थिति में है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई। जिसने राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता को जन्म दिया। बीरेन सिंह ने 2017 से मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की अगुवाई की थी, ने राज्य में लगभग 21 महीनों से चल रही जातीय हिंसा के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। मई 2023 से अब तक इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

क्या है अफस्पा?

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा), 1958 में अधिनियमित, एक ऐसा कानून है जो सरकार द्वारा “अशांत” घोषित क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है। ये क्षेत्र आमतौर पर उग्रवाद या उग्रवाद का सामना करने वाले क्षेत्र होते हैं, जहां राज्य सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण लगता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

मणिपुर में लगातार लौटाए जा रहे लूटे गए हथियार, राज्यपाल की अपील के बाद हो रहा सरेंडर

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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से ही हथियारों का सरेंडर जारी है। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अपील के बाद लूटे गए हथियार और बड़ी मात्रा में गोला बारूद लौटाए जा रहे हैं। मणिपुर में 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाया था। जिसके बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए हथियार और गोलियां लौटाने की अपील की थी।

बुधवार को पुलिस ने बताया कि 87 तरह के हथियार, गोला-बारूद और अलग-अलग सामान लोग स्वेच्छा से सरेंडर कर रहे हैं। इंफाल ईस्ट, बिश्नुपुर, थौबल, कांगपोकपी, जिरीबाम, चुराचांदपुर और इंफाल वेस्ट जिलों में हथियार सरेंडर किए गए हैं।

कौन से जिले से कितने हथियार सरेंडर हुए

• इंफाल वेस्ट: सबसे ज्यादा हथियार इंफाल वेस्ट जिले से सरेंडर किए गए हैं। इनमें 12 सीएमजी मैगजीन के साथ, दो 303 राइफल मैगजीन के साथ, दो SLR राइफल मैगजीन के साथ, चार 12 बोर सिंगल बैरल, एक आईईडी और गोला-बारूद शामिल हैं।

• जिरीबाम: पांच 12 बोर डबल बैरल, एक 9mm कार्बाइन मैगजीन के साथ, गोला-बारूद और ग्रेनेड सरेंडर किए गए।

• कांगपोकी: एक एके 47 राइफल 2 मैगजीन के साथ, एक .303 राइफल, एक Smith & Wesson रिवॉल्वर, एक .22 पिस्टल मैगजीन के साथ, एक सिंगल बैरल राइफल, तीन इम्प्रोवाइज्ड मॉर्टर, 9 मॉर्टर बम, ग्रेनेड और अन्य चीजें सरेंडर किए गए।

• बिश्नुपुर: 6 SBBL गन , एक राइफल, 3 DBBL, एक .303 राइफल मैगजीन के साथ, एक कार्बाइन SMG वन मैगजीन के साथ और 15 लाइव राउंड, गोला-बारूद और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• थौबल: एक सब मशीन गन 9एमएम कार्बाइन 1A मैगजीन के साथ, एक रॉयट गन और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• इंफाल ईस्ट: 2 कार्बाइन, एक एसएलआर दो मैगजीन के साथ, एक लाइव राउंड, 2 लोकल कार्बाइन मैगजीन, 4 इन्सास राइफल मैगजीन, बड़ी संख्या में गोला-बारूद सरेंडर की गई।

राज्यपाल की अपील का असर

इससे पहले राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लोगों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को 7 दिन के भीतर स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने की 20 फरवरी को अपील की थी। इसके साथ ही गवर्नर ने यह आश्वासन भी दिया था कि इस अवधि के दौरान हथियार छोड़ने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। मणिपुर के मुख्य सचिव पीके सिंह ने रविवार को कहा था कि अगर कोई हथियार त्यागना चाहता है तो लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने के लिए दिया गया 7 दिन का समय पर्याप्त है।

13 फरवरी को मणिपुर में लगा था राष्ट्रपति शासन

बता दें कि मणिपुर में पिछले 2 साल से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था। मणिपुर में नेतृत्व संकट के बीच कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था।

मणिपुर में शांति बहाली के लिए एक्शन में सरकार, अमित शाह की हाई लेवल मीटिंग आज, क्या सुधरेंगे हालात?

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भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर फिर से हिंसा की आग में झुलसने लगा है। शनिवार को जिरीबाम में छह शव बरामद होने की खबर फैलने के बाद, कई जिलों, खासकर इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिलों में भीड़ ने मंत्रियों, विधायकों और राजनीतिक नेताओं के करीब दो दर्जन घरों पर हमला किया और तोड़फोड़ की। इससे पहले सुरक्षा बलों का कुकी उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ हुआ था। जिसमें कम से कम 10 कुकी आतंकी के मारे गए थे। इसके बाद से ही हालत बिगड़ते चले जा रहे हैं।

मणिपुर के हालातों को लेकर आज गृह मंत्रालय ने एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, आईबी चीफ, एडिशनल सेक्रेटरी (नॉर्थ ईस्ट), स्पेशल सेक्रेटरी (इंटरनल सिक्योरिटी), अर्द्ध सैनिक बलों के अधिकारी के साथ साथ मणिपुर के आला अफसर शामिल रहेंगे। मणिपुर को लेकर आज होने वाली गृहमंत्री अमित शाह की बैठक में मुख्य एजेंडा तय किए जाएंगे। इसमें गृह मंत्री ने रविवार को केंद्रीय बलों की बैठक बुलाई थी, इसमें कई दिशा निर्देश दिए गए थे, उनके क्रियान्वयन की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में पूर्वोत्तर राज्य संबधित गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय गृह सचिव, आईबी डायरेक्टर, रॉ प्रमुख और सीआरपीएफ के अधिकारी शामिल होंगे। इसमें मैतेयी और कुकी समुदाय के लोगों से एक साथ वार्ता का खांका भी तैयार किया जाएगा

गृह मंत्री की लगातार दूसरे दिन बैठक हो रही है। इससे पहले मणिपुर के ताजा हालात पर एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। बैठक में मणिपुर की सुरक्षा स्थिति को लेकर समीक्षा की गई।

फ्लैग मार्च के जरिए शांति बनाने की कोशिश

वहीं, इंफाल में भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवानों ने फ्लैग मार्च निकाला है। इस मार्च के जरिए शांति बनाने की कोशिश की जा रही है। भारतीय सेना और स्पीयर कोर की असम राइफल्स इकाइयों ने सुरक्षाबलों के साथ इंफाल के संजेनथोंग, खुरई लामलोंग ब्रिज, थोंगजू ब्रिज, कोइरेंगेई, कांगला वेस्टर्न गेट, केशमपट, चुंगथम, सलाम मयाई लीकाई, कोंथूजाम, मयांग इम्फाल, हियांगथांग, नाम्बोल, मंत्रिपुखरी, बाबूपारा, वांगजिंग, थौबल और लिलोंग के इंफाल पूर्व, इंफालल पश्चिम और थौबल जिलों में फ्लैगमार्च किया है। वहीं, तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में कर्फ्यू लगा हुआ है। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही कम देखी गई है, सुरक्षाकर्मियों जबरदस्त तैनाती। वहीं, मुख्यमंत्री आवास और राजभवन के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

सात जिलों में इंटरनेट बंद, दो जिलों में कर्फ्यू

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच मणिपुर पुलिस ने रविवार को इंफाल के दोनों जिलों में अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दिया। प्रशासन ने यह फैसला छह लोगों की मौत के बाद लिया गया है। घटना के बाद मणिपुर सरकार ने सात जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया है।

मणिपुर के जिरीबाम में दो बच्चों समेत तीन लोगों के शव मिले, इंफाल में तनाव बढ़ा

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मणिपुर में हिंसा की आग और धधक सकती है। दरअसल, मणिपुर-असम बॉर्डर के पास शुक्रवार को एक शिशु समेत दो बच्चों और एक महिला के क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया है। कुछ दिन पहले ही जिरीबाम में उग्रवादियों ने एक परिवार के छह सदस्यों का अपहरण किया था। ऐसे में चर्चा है कि ये शव उन्हीं का हो सकता है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि हिंसा की लपटें और तेज हो सकती हैं।

जिरीबाम जिले के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि जिरीबाम जिले के बोरोबकरा से करीब 16 किलोमीटर दूर एक महिला और दो बच्चों के शव शुक्रवार रात बरामद किए गए। जिरीबाम से सोमवार को छह लोग लापता हो गए थे। हालांकि उन्होंने बताया कि अभी शवों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन संदेह है कि ये तीन शव उन छह लोगों में से ही हैं जो लापता हुए थे। असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएमसीएच) में शुक्रवार रात को इन अज्ञात शवों को लाया गया है और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल में रखा गया।

मुख्यमंत्री ने हालात पर की चर्चा

अधिकारियों ने बताया कि शवों के बरामद होने की खबर मिलने के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शुक्रवार रात वरिष्ठ मंत्रियों के साथ स्थिति पर चर्चा की। इस बीच तीन शव बरामद होने की खबर इंफाल घाटी में फैलने पर सभी पांच जिलों में तनाव बढ़ गया। राज्य प्राधिकारियों ने शनिवार को विद्यालयों तथा कॉलेजों के लिए अवकाश घोषित कर दिया।

अलग-अलग इलाकों में विरोध प्रदर्शन

इस बीच शनिवार को इंफाल घाटी के अलग-अलग इलाकों में सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर महिलाएं थीं। उन्होंने इंफाल पश्चिम जिले के क्वाकेथेल इलाके और इंफाल पश्चिम जिले के सागोलबंद तेरा में मुख्य सड़कों को टायर जलाए और मार्ग अवरुद्ध कर दिया, जिससे वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। पुलिस ने बताया कि मणिपुर के मुख्य बाजार ख्वाइरामबंद में महिला विक्रेताओं ने हत्या के खिलाफ विरोध रैली निकाली। बिष्णुपुर जिले के निंगथौखोंग और इंफाल पूर्वी जिले के लामलोंग में स्थानीय लोग भी हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर आए।

क्या है पूरा मामला?

सोमवार को संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं और तीन बच्चों को बंधक बनाया गया था, जिसके बाद जिरीबाम जिले में तनाव बढ़ गया। बंधक बनाए गए तीन बच्चों में एक नवजात और ढाई साल का बच्चा शामिल था। वहीं, तीन महिलाओं में से दो छोटे बच्चों की मां थीं। सभी महिलाएं मणिपुर के मैतेई समुदाय से हैं। जिरीबाम के बोकोबेरा इलाके से संदिग्ध कुकी आतंकवादियों के एक समूह ने इन महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया था, जबकि एक अन्य आतंकवादी समूह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ मुठभेड़ में लगा हुआ था। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ ने 10 संदिग्ध कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था।

स्वच्छ वायु सर्वे में अब 12 वें स्थान पर पहुंचा अपना रायपुर
रायपुर-   राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस पर केंद्र शासन ने देश के 130 शहरों के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की घोषणा 7 सितंबर को राजस्थान के जयपुर में हुए कार्यक्रम में की. इनमें 10 लाख से अधिक आबादी वाले 47 शहरों में रायपुर 12वें नंबर पर आ गया. पिछले साल इसी सर्वेक्षण में रायपुर 16वें नंबर पर था. इस बार अपनी रैंकिंग सुधारकर रायपुर ने 177.5 अंक हासिल कर लिया. बता दें कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की लगातार बढ़ रही मांग ने भी प्रदूषण घटा है.
फैक्ट्रियां की वजह से बढ़ा प्रदूषण का स्तर 

नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक राजधानी में प्रदूषण उरला-सिलतरा की फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुओं के कारण अधिक हो रहा है, अगर इस पर नियंत्रण हो जाए तो शहर की रैंकिंग सुधर जाएगी. इसके लिए नागरिकों को भी जागरूक होना पड़ेगा.

पैरामीटर इस प्रकार तय किये गये 

अप्रैल 2023 से मार्च 2024 को एक साल सर्वे का आधार बनाया गया है. इस स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में केन्द्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जो पैरामीटर सर्वे हेतु रखा गया, उसमें बायोमास एंड म्युनिसिपल वेस्ट बर्निंग, रोड डस्ट, सीएंडडी वेस्ट की डस्ट, वाहन प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, अन्य प्रदूषण, आईईसी गतिविधियां, जनजागरूकता, इम्प्रूवमेंट इन पीएम 10 कंसन्ट्रेशन शामिल थे.

दिल्ली के बाद है रायपुर का नंबर 

स्वच्छ वायु सर्वे में दिल्ली के 185 अंक के बाद 12वें स्थान पर रायपुर के अंक 177.5 अंक हैं. पहले नंबर पर सूरत के 194, जबलपुर के 193, आगरा के 190, लखनऊ के 189, कानपुर के 183.8, वडोदरा के 182, इंदौर के 182, भोपाल के 182, विजयवाड़ा के 182 तथा दसवें नंबर पर अहमदाबाद के 181 अंक हैं.
 
 
IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

एक साल बाद भी “सुलग” रहा मणिपुर, देशभर की यात्रा कर रहे पीएम मोदी ने क्यों इस हिंसाग्रस्त राज्य से बनाई दूरी?

#oneyearofmanipurviolence 

मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे हो गए। पिछले साल 3 मई को शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके है। वहीं, 58 हजार से अधिक बेघर लोग राहत शिविरों में तकलीफों में रह रहें है। हिंसा के एक साल बाद भी राज्य में मैतेई और कुकी-ज़ोमी जनजाति के बीच तनाव जारी है। कुकी बहुल जिलों हों या मैतेई बहुल, सड़कों पर हथियारबंद लोग नजर आ जाएंगे। पूरा राज्य दो हिस्सों में बंटा नजर आ रहा है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर सरकार ने कहा था कि इस हिंसा से जुड़े 5,995 मामले दर्ज हुए और 6,745 लोगों को हिरासत में लिया है। मणिपुर हिंसा से जुड़े 11 गंभीर मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। इन सबके बीच विपक्ष बार-बार मणिपुर के हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाता रहा है। विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से ये भी पूछता रहा है कि आख़िर वो मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं?

मणिपुर में पिछले एक साल से छिटपुट हिंसा की घटनाए जारी है। के इतिहास में यह दुर्लभ है कि किसी राज्य में एक साल तक नागरिक संघर्ष जारी रहे और आग बुझाने के लिए केंद्र द्वारा कोई ठोस कदम ना उठाया जाए।हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कई दौरे की बैठकें की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी हाल ही में असम ट्रिब्यून को दिए गए इंटरव्यू में कहा, राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह, संघर्ष के दौरान राज्य में रहे और इसे सुलझाने के लिए कई पक्षों के साथ 15 से अधिक बैठकें की। 

हालांकि, इतने बैठकों के बाद भी सरकार इस तनाव को ख़त्म करने का फॉर्मूला नहीं निकाल सकी हैं। यही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह तो राज्य के दौरे पर पहुंते रहे, लेकिन हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। ना ही इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। हालांकि, हिंसा के बीच 19 जुलाई, 2023 को जब मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया था। इस घटना के लंबे समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उनका "हृदय पीड़ा से भरा हुआ है।" पीएम मोदी ने कहा था कि देश की बेइज़्ज़ती हो रही है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।यह पहली बार था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा।

अविश्वास प्रस्ताव के बाद पीएम ने तीन महीने की चुप्पी तोड़ी

पिछले साल अगस्त में एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में शांति की अपील की थी। ये अपील तब आई जब विपक्षी नेता उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे थे। अगस्त में विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से मजबूर किए जाने के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर तीन महीने की चुप्पी तोड़ी, और केवल राज्य की समस्याओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया। और कहा कि उनकी सरकार जल्द ही शांति बहाल करेगी।

देशभर में भूमे पीएम पर नहीं ली मणिपुर की सुध

बता दें कि हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। वहीं, सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि मणिपुर में शुरुआती उथल-पुथल के सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घरेलू यात्राएं की थीं। पहली यात्रा कर्नाटक की, और दूसरी राजस्थान की। छह मई को उन्होंने बेंगलुरु में रोड शो किया। मई, 2023 से अप्रैल, 2024 के बीच उन्होंने अलग-अलग राज्यों की लगभग 160 यात्राएँ की, जिनमें सबसे ज़्यादा 24 बार वो राजस्थान के दौरे पर रहे। औपचारिक और गैर-आधिकारिक दौरों को मिलाकर पीएम ने 22 बार मध्य प्रदेश का और 17 बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया। इस साल फरवरी-मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया लेकिन मणिपुर नहीं गए। उन्होंने असम के तीन दौरे, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का एक-एक दौरा किया है। पिछले साल नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे। वो राज्य थे मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना। प्रधानमंत्री मोदी बाकी सभी राज्यों में गए लेकिन मिज़ोरम नहीं गए जो कि मणिपुर से सटा हुआ राज्य है और वहाँ मणिपुर की हिंसा से विस्थापित लोग बड़ी तादाद में हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत, विकसित उत्तर-पूर्व कार्यक्रम के लिए नौ मार्च को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था।

मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों की अनदेखी का आरोप

ऐसे में विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार पर मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों को अनदेखा करने का आरोप लगाती आ रही है। अभी 3 मई को मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार ने मणिपुर जैसे खूबसूरत राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मणिपुर ठीक एक साल पहले 3 मई, 2023 को जलना शुरू हुआ था। उदासीन मोदी सरकार और अयोग्य भाजपा राज्य सरकार के क्रूर संयोजन ने राज्य को वस्तुतः दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि "पश्चातापहीन" प्रधानमंत्री ने मणिपुर में कदम नहीं रखा है क्योंकि यह "उनकी रैंक की अक्षमता और पूर्ण उदासीनता" को उजागर करेगा। “मणिपुर के सभी समुदायों के लोग अब जानते हैं कि भाजपा ने उनके जीवन को कैसे दयनीय बना दिया है। खड़गे ने ट्वीट किया, पूर्वोत्तर के लोग अब जानते हैं कि तथाकथित विकास के बारे में मोदी सरकार के बेशर्म ढोल ने क्षेत्र में मानवता की आवाज को दबा दिया। भारत के लोग अब जानते हैं कि पीएम मोदी और उनकी सरकार को मणिपुर में नष्ट हुई अनगिनत जिंदगियों के प्रति रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं है।

मणिपुर से हटेगा राष्ट्रपति शासन? बीजेपी ने राज्यपाल से मिल 44 विधायकों के समर्थन का किया दावा

#manipurbjpstakeclaimtoformgovernment

मणिपुर में एक बार फिर राजनीति हलचल देखी जा रही है। मणिपुर में 10 विधायकों ने बुधवार को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है। इनमें 8 भाजपा, एनपीपी और निर्दलीय के एक-एक विधायक हैं। इन्होंने दावा किया है इनके पास 44 विधायकों का समर्थन है।

विधायक राधेश्याम ने इस मुलाकात के बाद घोषणा की कि 44 विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जो एक लोकप्रिय और स्थिर सरकार बनाने के लिए तैयार हैं।विधायक राधेश्याम ने मीडिया से बातचीत में कहा, हमारे पास 44 विधायकों का समर्थन है, और सभी भाजपा विधायक एकजुट होकर जनता की इच्छा के अनुरूप सरकार बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम राज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि वे हमारे बहुमत को मान्यता दें और शीघ्र कार्रवाई करें।

विधानसभा अध्यक्ष ने 44 विधायकों से मुलाकात की

बीजेपी नेता राधेश्याम सिंह ने कहा, यह बताना कि हम तैयार हैं, सरकार बनाने का दावा पेश करने जैसा है। विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत ने 44 विधायकों से व्यक्तिगत और संयुक्त रूप से मुलाकात की है। किसी ने भी नई सरकार के गठन का विरोध नहीं किया है। उन्होंने कहा, लोगों को बहुत अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कार्यकाल में कोविड के कारण दो साल बर्बाद हो गए थे और इस कार्यकाल में संघर्ष के कारण दो और साल बर्बाद हो गए हैं।

विधानसभा अध्यक्ष केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली रवाना

दूसरी तरफ, विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली रवाना हो गए हैं। जल्द ही सरकार बनाने पर आलाकमान का फैसला आ सकता है। मणिपुर में 60 विधानसभा सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 31 है।

13 फरवरी से मणिपुर में लागू है राष्ट्रपति शासन

बता दें कि मणिपुर में एन. बीरेन सिंह की सरकार 9 फरवरी 2025 को उनके इस्तीफे के साथ गिर गई थी।मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच राज्‍य में जातीय हिंसा जारी है, जिसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस मुद्दे पर उनकी सरकार पर दबाव बढ़ा। विपक्ष और भाजपा के 19 विधायकों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी की, जिसके डर से बीरेन ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद 13 फरवरी 2025 को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। ऐसा इस‍लिए हुआ क्‍योंकि भाजपा नया मुख्यमंत्री नहीं चुन पाई थी।

*Asia’s oldest football tournament now in five states as Imphal makes a comeback*

Sports

134th IndianOil Durand Cup

Sports Desk: Asia’s oldest football tournament, the IndianOil Durand Cup, will be back with its 134th Edition and for the first time in its storied history, be hosted in as many as five states with Manipur’s capital Imphal, making a comeback after a two-year gap. The Durand Cup Organising Committee also announced the dates for this year’s tournament to be between July 22- August 23, 2025.

Kokrajhar in Assam will extend their status as Durand Cup hosts for the third consecutive year while Jamshedpur in Jharkhand and Shillong in Meghalaya were added as hosts last year. The century-old tournament shifted its home base to Kolkata – the Mecca of Indian Football, and the capital of West Bengal, from Delhi back in 2019, and, will also continue to hold that status for a sixth consecutive edition.

Since its transition to the East, the Durand Cup has reinstated itself as the country’s premiere competition, growing from 16 teams to 24 teams, including participation from all the Indian Super League (ISL) teams.

Organised by the Eastern Command of the Indian Army on behalf of the three Services, the tournament is unique in the sense that it pits Services teams against India’s best football clubs and over the past couple of editions, has also seen foreign participation with Army teams from neighbouring nations.

The Indian Army’s stated vision of expanding the reach of the historic tournament throughout the East and North-East is also now fully reflected with the choice of host cities this year.

A total of six venues, two in Kolkata (Vivekananda Yuba Bharati Krirangan and Kishore Bharti Krirangan) and one each in Imphal (Khuman Lampak stadium), Ranchi (Morhabadi Stadium) or Jamshedpur (JRD Tata Sports Complex), Shillong (Jawahar Lal Nehru Stadium) and Kokrajhar (SAI Stadium) have been earmarked for the 134th IndianOil Durand Cup edition.

North East United FC are the defending champions having overcome maximum title-holders Mohun Bagan, in a thrilling final last year to get their historic maiden title.

Pic Courtesy by: Durand football society

मणिपुर हिंसा के दो साल, हाई अलर्ट के बीच मैतेई-कुकी ने बंद का किया ऐलान

#manipurconflictanniversary

मणिपुर में जातीय हिंसा के आज दो साल पूरे हो गए। इसको लेकर मैतेई और कुकि समुदायों ने राज्यभर में शटडाउन का आह्वान किया। इस दौरान जहां मैतेई समुदाय की एक संगठन ने इंफाल में 'मणिपुर पीपल्स कन्वेंशन' आयोजित किया, वहीं कुकी समुदाय ने 'डे ऑफ सेपरेशन' मनाया। मणिपुर में लगभग सभी जगह आज बाजार, दुकानें और स्कूल-कॉलेज बंद हैं और सड़कों पर सन्नाटा पसरा है। इधर, राज्य में तनाव को देखते हुए सुरक्षाबलों ने इम्फाल, चुराचांदपुर और कंगपोकपी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है।

सुरक्षाबलों ने 20 किमी किया फ्लैग मार्च

मणिपुर हिंसा की दूसरी बरसी से एक दिन पहले (2 मई) सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 34 बटालियन के डीआईजी सुशांकर उपाध्याय ने बताया कि इस फ्लैग मार्च से लोगों में एक भरोसा पैदा होगा। लोगों को लगेगा कि हालात पर काबू पाने के लिए यहां एक न्यूट्रल (किसी के पक्ष में नहीं) फोर्स है।

डीआईजी उपाध्याय ने ये भी बताया कि फ्लैग मार्च में 1000 जवान शामिल हुए। हमने इसे इम्फाल पुलिस के साथ कोऑर्डिनेशन में आयोजित किया था। हमने करीब 20 किमी का मार्च निकाला। हम लोगों में एक तरह का विश्वास और उपद्रवियों को चेतावनी देना चाहते थे।

13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन, नई सरकार की मांग तेज

मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन है, लेकिन मौजूदा विधानसभा भंग नहीं हुई है। सिर्फ निलंबित है। इसलिए कई नागरिक संगठन इसके विरोध में उतर आए हैं। सियासी ताकत पूर्व सीएम एन. वीरेन सिंह के हाथ में है, क्योंकि यहां भाजपा बिखरी हुई है। चार-पांच दिन पहले ही 21 विधायकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में तत्काल लोकप्रिय सरकार बनाने की मांग की थी। पत्र पर भाजपा के 14 विधायकों ने साइन किए हैं।

हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए

मणिपुर में दो साल पहले मैतेई और कुकि समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी, जिसमें 260 से अधिक लोग मारे गए थे और 70,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए थे। इस मामले में 6 हजार एफआईआर दर्ज हुईं, उनमें करीब 2500 में कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।

मणिपुर समेत तीन राज्यों में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया अफस्पा, हिंसा और अशांति के बीच केन्द्र का बड़ा फैसला

#manipurafspaextended

केंद्र सरकार ने मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर यह जानकारी दी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, मणिपुर में जारी हिंसा के कारण कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया।

गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पांच जिलों के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे मणिपुर में 1 अप्रैल 2025 से अगले छह माह तक, यदि इस घोषणा को इससे पहले वापस न लिया जाए, 'अशांत क्षेत्र' के रूप में घोषित किया जाता था।

अधिसूचना के मुताबिक, नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को अशांत क्षेत्र घोषित किया है। इसके अलावा कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग, वोखा और जुनहेबोटो जिलों के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को भी शामिल किया गया है। यहां भी 1 अप्रैल 2025 से अगले छह महीने तक अफस्पा लागू रहेगा।

वहीं अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों के साथ 3 पुलिस थानों के क्षेत्रों में भी छह महीने के लिए अफस्पा बढ़ा दिया गया है।

फरवरी 2025 से, मणिपुर राष्ट्रपति शासन के अधीन है और विधानसभा निलंबित स्थिति में है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद यह स्थिति उत्पन्न हुई। जिसने राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता को जन्म दिया। बीरेन सिंह ने 2017 से मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की अगुवाई की थी, ने राज्य में लगभग 21 महीनों से चल रही जातीय हिंसा के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। मई 2023 से अब तक इस हिंसा में 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

क्या है अफस्पा?

सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा), 1958 में अधिनियमित, एक ऐसा कानून है जो सरकार द्वारा “अशांत” घोषित क्षेत्रों में काम करने वाले भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को विशेष शक्तियां प्रदान करता है। ये क्षेत्र आमतौर पर उग्रवाद या उग्रवाद का सामना करने वाले क्षेत्र होते हैं, जहां राज्य सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण लगता है। इन जगहों पर सुरक्षाबल बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं। कई मामलों में बल प्रयोग भी हो सकता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की सहूलियत के लिए 11 सितंबर 1958 को यह कानून पास किया गया था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया। अशांत क्षेत्र कौन-कौन से होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है।

मणिपुर में लगातार लौटाए जा रहे लूटे गए हथियार, राज्यपाल की अपील के बाद हो रहा सरेंडर

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मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से ही हथियारों का सरेंडर जारी है। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला की अपील के बाद लूटे गए हथियार और बड़ी मात्रा में गोला बारूद लौटाए जा रहे हैं। मणिपुर में 13 फरवरी को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगाया था। जिसके बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए हथियार और गोलियां लौटाने की अपील की थी।

बुधवार को पुलिस ने बताया कि 87 तरह के हथियार, गोला-बारूद और अलग-अलग सामान लोग स्वेच्छा से सरेंडर कर रहे हैं। इंफाल ईस्ट, बिश्नुपुर, थौबल, कांगपोकपी, जिरीबाम, चुराचांदपुर और इंफाल वेस्ट जिलों में हथियार सरेंडर किए गए हैं।

कौन से जिले से कितने हथियार सरेंडर हुए

• इंफाल वेस्ट: सबसे ज्यादा हथियार इंफाल वेस्ट जिले से सरेंडर किए गए हैं। इनमें 12 सीएमजी मैगजीन के साथ, दो 303 राइफल मैगजीन के साथ, दो SLR राइफल मैगजीन के साथ, चार 12 बोर सिंगल बैरल, एक आईईडी और गोला-बारूद शामिल हैं।

• जिरीबाम: पांच 12 बोर डबल बैरल, एक 9mm कार्बाइन मैगजीन के साथ, गोला-बारूद और ग्रेनेड सरेंडर किए गए।

• कांगपोकी: एक एके 47 राइफल 2 मैगजीन के साथ, एक .303 राइफल, एक Smith & Wesson रिवॉल्वर, एक .22 पिस्टल मैगजीन के साथ, एक सिंगल बैरल राइफल, तीन इम्प्रोवाइज्ड मॉर्टर, 9 मॉर्टर बम, ग्रेनेड और अन्य चीजें सरेंडर किए गए।

• बिश्नुपुर: 6 SBBL गन , एक राइफल, 3 DBBL, एक .303 राइफल मैगजीन के साथ, एक कार्बाइन SMG वन मैगजीन के साथ और 15 लाइव राउंड, गोला-बारूद और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• थौबल: एक सब मशीन गन 9एमएम कार्बाइन 1A मैगजीन के साथ, एक रॉयट गन और अन्य सामग्री सरेंडर किए गए हैं।

• इंफाल ईस्ट: 2 कार्बाइन, एक एसएलआर दो मैगजीन के साथ, एक लाइव राउंड, 2 लोकल कार्बाइन मैगजीन, 4 इन्सास राइफल मैगजीन, बड़ी संख्या में गोला-बारूद सरेंडर की गई।

राज्यपाल की अपील का असर

इससे पहले राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लोगों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को 7 दिन के भीतर स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने की 20 फरवरी को अपील की थी। इसके साथ ही गवर्नर ने यह आश्वासन भी दिया था कि इस अवधि के दौरान हथियार छोड़ने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। मणिपुर के मुख्य सचिव पीके सिंह ने रविवार को कहा था कि अगर कोई हथियार त्यागना चाहता है तो लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने के लिए दिया गया 7 दिन का समय पर्याप्त है।

13 फरवरी को मणिपुर में लगा था राष्ट्रपति शासन

बता दें कि मणिपुर में पिछले 2 साल से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था। मणिपुर में नेतृत्व संकट के बीच कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था।

मणिपुर में शांति बहाली के लिए एक्शन में सरकार, अमित शाह की हाई लेवल मीटिंग आज, क्या सुधरेंगे हालात?

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भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर फिर से हिंसा की आग में झुलसने लगा है। शनिवार को जिरीबाम में छह शव बरामद होने की खबर फैलने के बाद, कई जिलों, खासकर इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिलों में भीड़ ने मंत्रियों, विधायकों और राजनीतिक नेताओं के करीब दो दर्जन घरों पर हमला किया और तोड़फोड़ की। इससे पहले सुरक्षा बलों का कुकी उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ हुआ था। जिसमें कम से कम 10 कुकी आतंकी के मारे गए थे। इसके बाद से ही हालत बिगड़ते चले जा रहे हैं।

मणिपुर के हालातों को लेकर आज गृह मंत्रालय ने एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, आईबी चीफ, एडिशनल सेक्रेटरी (नॉर्थ ईस्ट), स्पेशल सेक्रेटरी (इंटरनल सिक्योरिटी), अर्द्ध सैनिक बलों के अधिकारी के साथ साथ मणिपुर के आला अफसर शामिल रहेंगे। मणिपुर को लेकर आज होने वाली गृहमंत्री अमित शाह की बैठक में मुख्य एजेंडा तय किए जाएंगे। इसमें गृह मंत्री ने रविवार को केंद्रीय बलों की बैठक बुलाई थी, इसमें कई दिशा निर्देश दिए गए थे, उनके क्रियान्वयन की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में पूर्वोत्तर राज्य संबधित गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय गृह सचिव, आईबी डायरेक्टर, रॉ प्रमुख और सीआरपीएफ के अधिकारी शामिल होंगे। इसमें मैतेयी और कुकी समुदाय के लोगों से एक साथ वार्ता का खांका भी तैयार किया जाएगा

गृह मंत्री की लगातार दूसरे दिन बैठक हो रही है। इससे पहले मणिपुर के ताजा हालात पर एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी। बैठक में मणिपुर की सुरक्षा स्थिति को लेकर समीक्षा की गई।

फ्लैग मार्च के जरिए शांति बनाने की कोशिश

वहीं, इंफाल में भारतीय सेना और असम राइफल्स के जवानों ने फ्लैग मार्च निकाला है। इस मार्च के जरिए शांति बनाने की कोशिश की जा रही है। भारतीय सेना और स्पीयर कोर की असम राइफल्स इकाइयों ने सुरक्षाबलों के साथ इंफाल के संजेनथोंग, खुरई लामलोंग ब्रिज, थोंगजू ब्रिज, कोइरेंगेई, कांगला वेस्टर्न गेट, केशमपट, चुंगथम, सलाम मयाई लीकाई, कोंथूजाम, मयांग इम्फाल, हियांगथांग, नाम्बोल, मंत्रिपुखरी, बाबूपारा, वांगजिंग, थौबल और लिलोंग के इंफाल पूर्व, इंफालल पश्चिम और थौबल जिलों में फ्लैगमार्च किया है। वहीं, तनावपूर्ण स्थिति के मद्देनजर इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में कर्फ्यू लगा हुआ है। सड़कों पर वाहनों की आवाजाही कम देखी गई है, सुरक्षाकर्मियों जबरदस्त तैनाती। वहीं, मुख्यमंत्री आवास और राजभवन के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

सात जिलों में इंटरनेट बंद, दो जिलों में कर्फ्यू

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच मणिपुर पुलिस ने रविवार को इंफाल के दोनों जिलों में अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दिया। प्रशासन ने यह फैसला छह लोगों की मौत के बाद लिया गया है। घटना के बाद मणिपुर सरकार ने सात जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया है।

मणिपुर के जिरीबाम में दो बच्चों समेत तीन लोगों के शव मिले, इंफाल में तनाव बढ़ा

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मणिपुर में हिंसा की आग और धधक सकती है। दरअसल, मणिपुर-असम बॉर्डर के पास शुक्रवार को एक शिशु समेत दो बच्चों और एक महिला के क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया है। कुछ दिन पहले ही जिरीबाम में उग्रवादियों ने एक परिवार के छह सदस्यों का अपहरण किया था। ऐसे में चर्चा है कि ये शव उन्हीं का हो सकता है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि हिंसा की लपटें और तेज हो सकती हैं।

जिरीबाम जिले के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि जिरीबाम जिले के बोरोबकरा से करीब 16 किलोमीटर दूर एक महिला और दो बच्चों के शव शुक्रवार रात बरामद किए गए। जिरीबाम से सोमवार को छह लोग लापता हो गए थे। हालांकि उन्होंने बताया कि अभी शवों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन संदेह है कि ये तीन शव उन छह लोगों में से ही हैं जो लापता हुए थे। असम के सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएमसीएच) में शुक्रवार रात को इन अज्ञात शवों को लाया गया है और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल में रखा गया।

मुख्यमंत्री ने हालात पर की चर्चा

अधिकारियों ने बताया कि शवों के बरामद होने की खबर मिलने के बाद मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शुक्रवार रात वरिष्ठ मंत्रियों के साथ स्थिति पर चर्चा की। इस बीच तीन शव बरामद होने की खबर इंफाल घाटी में फैलने पर सभी पांच जिलों में तनाव बढ़ गया। राज्य प्राधिकारियों ने शनिवार को विद्यालयों तथा कॉलेजों के लिए अवकाश घोषित कर दिया।

अलग-अलग इलाकों में विरोध प्रदर्शन

इस बीच शनिवार को इंफाल घाटी के अलग-अलग इलाकों में सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में ज्यादातर महिलाएं थीं। उन्होंने इंफाल पश्चिम जिले के क्वाकेथेल इलाके और इंफाल पश्चिम जिले के सागोलबंद तेरा में मुख्य सड़कों को टायर जलाए और मार्ग अवरुद्ध कर दिया, जिससे वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई। पुलिस ने बताया कि मणिपुर के मुख्य बाजार ख्वाइरामबंद में महिला विक्रेताओं ने हत्या के खिलाफ विरोध रैली निकाली। बिष्णुपुर जिले के निंगथौखोंग और इंफाल पूर्वी जिले के लामलोंग में स्थानीय लोग भी हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर आए।

क्या है पूरा मामला?

सोमवार को संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा तीन महिलाओं और तीन बच्चों को बंधक बनाया गया था, जिसके बाद जिरीबाम जिले में तनाव बढ़ गया। बंधक बनाए गए तीन बच्चों में एक नवजात और ढाई साल का बच्चा शामिल था। वहीं, तीन महिलाओं में से दो छोटे बच्चों की मां थीं। सभी महिलाएं मणिपुर के मैतेई समुदाय से हैं। जिरीबाम के बोकोबेरा इलाके से संदिग्ध कुकी आतंकवादियों के एक समूह ने इन महिलाओं और बच्चों का अपहरण किया था, जबकि एक अन्य आतंकवादी समूह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के साथ मुठभेड़ में लगा हुआ था। इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ ने 10 संदिग्ध कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था।

स्वच्छ वायु सर्वे में अब 12 वें स्थान पर पहुंचा अपना रायपुर
रायपुर-   राष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस पर केंद्र शासन ने देश के 130 शहरों के स्वच्छ वायु सर्वेक्षण की घोषणा 7 सितंबर को राजस्थान के जयपुर में हुए कार्यक्रम में की. इनमें 10 लाख से अधिक आबादी वाले 47 शहरों में रायपुर 12वें नंबर पर आ गया. पिछले साल इसी सर्वेक्षण में रायपुर 16वें नंबर पर था. इस बार अपनी रैंकिंग सुधारकर रायपुर ने 177.5 अंक हासिल कर लिया. बता दें कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की लगातार बढ़ रही मांग ने भी प्रदूषण घटा है.
फैक्ट्रियां की वजह से बढ़ा प्रदूषण का स्तर 

नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक राजधानी में प्रदूषण उरला-सिलतरा की फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुओं के कारण अधिक हो रहा है, अगर इस पर नियंत्रण हो जाए तो शहर की रैंकिंग सुधर जाएगी. इसके लिए नागरिकों को भी जागरूक होना पड़ेगा.

पैरामीटर इस प्रकार तय किये गये 

अप्रैल 2023 से मार्च 2024 को एक साल सर्वे का आधार बनाया गया है. इस स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में केन्द्र सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जो पैरामीटर सर्वे हेतु रखा गया, उसमें बायोमास एंड म्युनिसिपल वेस्ट बर्निंग, रोड डस्ट, सीएंडडी वेस्ट की डस्ट, वाहन प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण, अन्य प्रदूषण, आईईसी गतिविधियां, जनजागरूकता, इम्प्रूवमेंट इन पीएम 10 कंसन्ट्रेशन शामिल थे.

दिल्ली के बाद है रायपुर का नंबर 

स्वच्छ वायु सर्वे में दिल्ली के 185 अंक के बाद 12वें स्थान पर रायपुर के अंक 177.5 अंक हैं. पहले नंबर पर सूरत के 194, जबलपुर के 193, आगरा के 190, लखनऊ के 189, कानपुर के 183.8, वडोदरा के 182, इंदौर के 182, भोपाल के 182, विजयवाड़ा के 182 तथा दसवें नंबर पर अहमदाबाद के 181 अंक हैं.
 
 
IMD's orange flash flood warnings for Himachal Pradesh other states

The India Meteorological Department (IMD) has issued an ‘orange’ alert for Himachal Pradesh and other states as heavy rain continued northern India through the first two weeks of August. Earlier this week, the IMD predicted that heavy to extremely heavy rainfall would continue in parts of Himachal Pradesh till August 12

The weather agency issued the orange alert owing to heavy downpour in Himachal Pradesh, Uttarakhand, East Uttar Pradesh, East Madhya Pradesh, Meghalaya, Manipur, Mizoram, Nagaland and Tripura.

In its forecast, the IMD said heavy isolated rainfall will continue to lash Himachal Pradesh, Uttarakhand, and parts of Rajasthan till August 12, while moderate rainfall is expected to lash Jammu and Kashmir, Haryana, Punjab and Chandigarh on August 10The weather agency said heavy to extremely heavy rain will continue in Himachal Pradesh till Saturday, along with lightening and thunderstorms. An orange alert will remain in place in the state till August 12, and a yellow warning has been issued till August 15

The IMD also alerted of a low to moderate risk of flash floods in isolated areas of Mandi, Bilaspur, Solan, Sirmaur, Shimla, and Kullu districts through Saturday, news agency PTI reported.

The agency further sounded a warning of potential landslides in some regions, along with possible damage to plantations, crops, vulnerable structures, and kutcha houses due to waterlogging and strong winds in low lying areas in the state.

Earlier, on August 7, the IMD reported significant rainfall across the state, with Joginder Nagar in Mandi district experiencing the highest at 110 MM in 24 hours. The incessant downpour has affected daily life, making it challenging for residents and visitors alike. The cloudburst and flash floods that occurred on August 1 have affected the districts of Kullu, Mandi and Shimla.

Meanwhile, a yellow alert has been issued in Delhi for the next two days, with a forecast of moderate to heavy rainfall in the national capital till August 11. The weather office forecasted cloudy skies and moderate rains in Delhi NCR for Saturday, reported PTI

Heavy rainfall lashed parts of Delhi and NCR on Friday, leading to heavy waterlogging and traffic congestion in the evening. The Met office issued an 'orange' warning to "be prepared" after earlier putting the city in the 'green' zone for no warning or alert.

एक साल बाद भी “सुलग” रहा मणिपुर, देशभर की यात्रा कर रहे पीएम मोदी ने क्यों इस हिंसाग्रस्त राज्य से बनाई दूरी?

#oneyearofmanipurviolence 

मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे हो गए। पिछले साल 3 मई को शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके है। वहीं, 58 हजार से अधिक बेघर लोग राहत शिविरों में तकलीफों में रह रहें है। हिंसा के एक साल बाद भी राज्य में मैतेई और कुकी-ज़ोमी जनजाति के बीच तनाव जारी है। कुकी बहुल जिलों हों या मैतेई बहुल, सड़कों पर हथियारबंद लोग नजर आ जाएंगे। पूरा राज्य दो हिस्सों में बंटा नजर आ रहा है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर सरकार ने कहा था कि इस हिंसा से जुड़े 5,995 मामले दर्ज हुए और 6,745 लोगों को हिरासत में लिया है। मणिपुर हिंसा से जुड़े 11 गंभीर मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। इन सबके बीच विपक्ष बार-बार मणिपुर के हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाता रहा है। विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से ये भी पूछता रहा है कि आख़िर वो मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं?

मणिपुर में पिछले एक साल से छिटपुट हिंसा की घटनाए जारी है। के इतिहास में यह दुर्लभ है कि किसी राज्य में एक साल तक नागरिक संघर्ष जारी रहे और आग बुझाने के लिए केंद्र द्वारा कोई ठोस कदम ना उठाया जाए।हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कई दौरे की बैठकें की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी हाल ही में असम ट्रिब्यून को दिए गए इंटरव्यू में कहा, राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह, संघर्ष के दौरान राज्य में रहे और इसे सुलझाने के लिए कई पक्षों के साथ 15 से अधिक बैठकें की। 

हालांकि, इतने बैठकों के बाद भी सरकार इस तनाव को ख़त्म करने का फॉर्मूला नहीं निकाल सकी हैं। यही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह तो राज्य के दौरे पर पहुंते रहे, लेकिन हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। ना ही इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। हालांकि, हिंसा के बीच 19 जुलाई, 2023 को जब मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया था। इस घटना के लंबे समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उनका "हृदय पीड़ा से भरा हुआ है।" पीएम मोदी ने कहा था कि देश की बेइज़्ज़ती हो रही है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।यह पहली बार था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा।

अविश्वास प्रस्ताव के बाद पीएम ने तीन महीने की चुप्पी तोड़ी

पिछले साल अगस्त में एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में शांति की अपील की थी। ये अपील तब आई जब विपक्षी नेता उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे थे। अगस्त में विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से मजबूर किए जाने के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर तीन महीने की चुप्पी तोड़ी, और केवल राज्य की समस्याओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया। और कहा कि उनकी सरकार जल्द ही शांति बहाल करेगी।

देशभर में भूमे पीएम पर नहीं ली मणिपुर की सुध

बता दें कि हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। वहीं, सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि मणिपुर में शुरुआती उथल-पुथल के सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घरेलू यात्राएं की थीं। पहली यात्रा कर्नाटक की, और दूसरी राजस्थान की। छह मई को उन्होंने बेंगलुरु में रोड शो किया। मई, 2023 से अप्रैल, 2024 के बीच उन्होंने अलग-अलग राज्यों की लगभग 160 यात्राएँ की, जिनमें सबसे ज़्यादा 24 बार वो राजस्थान के दौरे पर रहे। औपचारिक और गैर-आधिकारिक दौरों को मिलाकर पीएम ने 22 बार मध्य प्रदेश का और 17 बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया। इस साल फरवरी-मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया लेकिन मणिपुर नहीं गए। उन्होंने असम के तीन दौरे, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का एक-एक दौरा किया है। पिछले साल नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे। वो राज्य थे मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना। प्रधानमंत्री मोदी बाकी सभी राज्यों में गए लेकिन मिज़ोरम नहीं गए जो कि मणिपुर से सटा हुआ राज्य है और वहाँ मणिपुर की हिंसा से विस्थापित लोग बड़ी तादाद में हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत, विकसित उत्तर-पूर्व कार्यक्रम के लिए नौ मार्च को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था।

मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों की अनदेखी का आरोप

ऐसे में विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार पर मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों को अनदेखा करने का आरोप लगाती आ रही है। अभी 3 मई को मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार ने मणिपुर जैसे खूबसूरत राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मणिपुर ठीक एक साल पहले 3 मई, 2023 को जलना शुरू हुआ था। उदासीन मोदी सरकार और अयोग्य भाजपा राज्य सरकार के क्रूर संयोजन ने राज्य को वस्तुतः दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि "पश्चातापहीन" प्रधानमंत्री ने मणिपुर में कदम नहीं रखा है क्योंकि यह "उनकी रैंक की अक्षमता और पूर्ण उदासीनता" को उजागर करेगा। “मणिपुर के सभी समुदायों के लोग अब जानते हैं कि भाजपा ने उनके जीवन को कैसे दयनीय बना दिया है। खड़गे ने ट्वीट किया, पूर्वोत्तर के लोग अब जानते हैं कि तथाकथित विकास के बारे में मोदी सरकार के बेशर्म ढोल ने क्षेत्र में मानवता की आवाज को दबा दिया। भारत के लोग अब जानते हैं कि पीएम मोदी और उनकी सरकार को मणिपुर में नष्ट हुई अनगिनत जिंदगियों के प्रति रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं है।