India

Apr 26 2024, 19:14

दूसरे चरण की वोटिंग खत्म, बंगाल में 5 बजे तक 72 फीसदी वोटिंग, यूपी-बिहार में 53 प्रतिशत मतदान

#loksabhaelection2024phase2voting

18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए सेकेंड फेज की 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर वोटिंग का समय शाम 6 बजे खत्म हो गया। 5 बजे तक त्रिपुरा में सबसे ज्यादा करीब 76.23% वोटिंग हुई। महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश मे सबसे कम 53% के आसपास मतदान हुआ। आम चुनाव के लिए दूसरे दौर के मतदान में केरल की सभी 20 सीटों, कर्नाटक की 28 सीटों में से 14 सीटों, राजस्थान की 13 सीटों, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की आठ-आठ सीटों, मध्य प्रदेश की छह सीटों और पांच-पांच सीटों पर मतदान हुआ।

शाम पांच बजे तक का मतदान प्रतिशत

 

राज्य शाम पांच बजे तक मतदान %   

असम 70.66

बिहार 53.03

छत्तीसगढ़ 72.13

जम्मू् कश्मीर 67.22

कर्नाटक 63.90

केरल 63.97

मध्य प्रदेश 54.58

महाराष्ट्र 53.51

मणिपुर 76.06

राजस्थान 59.19

त्रिपुरा 76.23

यूपी 52.64

पश्चिम बंगाल 71.84

India

Apr 23 2024, 16:29

हिमाचल की मंडी लोकसभा सीटः क्या बीजेपी लहराएगी जीत का परचम या कांग्रेस मारेगी बाजी?

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देश की सबसे हॉट सीटों में से एक

राज परिवारों की सीट रही मंडी

मंडी सीट पर कांग्रेस का रहा है दबदबा

बीजेपी और कांग्रेस में रहती है कड़ी टक्कर

17 लोकसभा चुनाव में से 11 बार कांग्रेस ने दर्ज की जीत

5 बार बीजेपी के पास गई ये सीट

इस बार बीजेपी लहराएगी परचम या कांग्रेस मारेगी बाजी

हिमाचल प्रदेश की 4 लोकसभा सीटों में से मंडी सीट पर हर किसी की नजर होती है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्‍कर देखने को मिलती है। इस लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं जिसमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है जबकि 5 बार ये सीट बीजेपी के पास गई है। जबकि एक बार इस सीट पर बीएलडी ने कब्‍जा जमाया। मंडी लोकसभा सीट राज परिवारों की सीट रही है। यहां से 1 3 बार राज परिवार के सदस्यों ने जीत दर्ज की है। साल 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से रानी अमृत कौर ने जीत हासिल की थी। इसके अलावा यहां से ललित सेन, जोगिंदर सेन और बुशहर रिसासत के राजा वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह लोकसभा पहुंच चुके हैं। यही नहीं कुल्लू के रूपी रियासत के राजा महेश्वर सिंह भी यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा जा चुके हैं।उन्होंने इस सीट से तीन बार चुनाव जीता था।

दो रियासतों मंडी और सुकेत के विलय के साथ मंडी जिले का गठन 1948 में किया गया। साल 1951-52 में देश के पहले आम चुनाव हुए तब मंडी नाम से लोकसभा सीट नहीं थी। पहले चुनाव में मंडी महासू नाम से सीट थी जिस पर कांग्रेस से अमृत कौर को जीत मिली थी। अगले आम चुनाव, जो 1957 में हुए, उसमें मंडी सीट अस्तित्व में आई। इस चुनाव में कांग्रेस से जोगिंदर सेन को जीत मिली। 1962 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ललित सेन को जीत मिली। 1967 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के ललित सेन जीते।

1971 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले वीरभद्र सिंह को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया। 1971 में हुए चुनाव में वीरभद्र ने बड़ी जीत हासिल की। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार वीरभद्र सिंह को मंडी सीट पर हार मिली। जनता लहर में यहां से भारतीय लोक दल के गंगा सिंह ने जीत गर्ज की। तीन साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में दोनों उम्मीदवार फिर आमने-सामने थे। इस बार नतीजा बदल गया। वीरभद्र सिंह ने गंगा सिंह से 1977 में मिली हार का बदला ले लिया। 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से सुखराम को अपना उम्मीदवार बनाया। सहानुभूति लहर पर सवार होकर सत्ता में आई कांग्रेस को मंडी से एक बार फिर बहुत बड़ी जीत मिली। 

1989 का लोकसभा चुनाव में मंडी की राजनीति में बदलाव आया।इस चुनाव में भाजपा ने पहली बार सफलता हासिल की। पार्टी की तरफ से उतरे उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने कांग्रेस नेता सुख राम को हरा दिया। दो साल बाद हुए 1991 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सुखराम और महेश्वर सिंह आमने-सामने थे। इस बार सुखराम ने मंडी सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई। 1996 में सुख राम ने मंडी सीट पर तीसरी बार जीत दर्ज की। हालांकि, घोटाले में नाम आने के बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया।

1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मंडी के पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को टिकट दिया तो कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारा। 1999 के चुनाव में भी भाजपा के महेश्वर सिंह तीसरी बार मंडी सीट से जीते।

साल 2004, एक बार फिर वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और भाजपा के महेश्वर सिंह आमने-सामने थे। इस बार प्रतिभा ने 1998 में मिली हार का बदला ले लिया। 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उतारा। नतीजे आए तो एक बार फिर कांग्रेस दिग्गज को जीत मिली। उन्होंने भाजपा के पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को 13,997 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। 2012 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और वीरभद्र सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी। इसके बाद 2013 में हुए उप-चुनाव में यहां से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह फिर से जीतकर लोकसभा पहुंचीं। 

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के एक बार फिर प्रतिभा सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया। उनके सामने थे भाजपा के रामस्वरूप शर्मा। भाजपा के राम स्वरुप शर्मा ने कांग्रेस की पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह को हरा दिया।2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर बड़ी जीत दर्ज की। भाजपा की इस सफलता में मंडी की जीत में शामिल रही, जहां दूसरी बार भाजपा से राम स्वरुप शर्मा जीते।2021 में मंडी सांसद रामस्वरूप शर्मा का निधन हो गया। इसके बाद मंडी सीट पर उप-चुनाव हुआ। इस चुनाव में भाजपा ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) खुशाल ठाकुर को उतारा, जबकि कांग्रेस की उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह थीं। उप-चुनाव में प्रतिभा सिंह ने भाजपा के खुशाल ठाकुर को हरा दिया। इस तरह प्रतिभा तीसरी बार मंडी लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं।

अब बात 2024 के चुनाव की कर लेते हैं। इस बार भाजपा ने मंडी लोकसभा सीट से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को अपना उम्मीदवार बनाया है। कंगना के उम्मीदवार बनने के बाद यह सीट सुर्खियों में है। वहीं, कंगना को टक्‍कर देने के लिए कांग्रेस ने विक्रमादित्‍य सिंह पर दांव खेला है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व सांसद प्रतिभा सिंह के पुत्र विक्रमादित्य वर्तमान में शिमला ग्रामीण से विधायक हैं। विक्रमादित्य सिंह का परिवार मंडी लोकसभा सीट का छह बार प्रतिनिधित्व कर चुका है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की कंगना मंडी की “क्वीन” बनती हैं या विक्रमादित्य बाजी मारते हैं।

WestBengalBangla

Apr 16 2024, 18:58

মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের রোড শো এআরভিউ মোড় থেকে শুরু হল
# Chief Minister.
# Mamata Banerjee's_road _show at Siliguri.
# Parlament _election _2024

দার্জিলিং লোকসভা কেন্দ্রের তৃণমূল প্রার্থীর সমর্থনে,মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের রোড শো। শিলিগুড়ির এআরভিউ মোড় থেকে শুরু হল।

India

Apr 15 2024, 16:33

लखनऊ लोकसभा सीटः 1991 से ही लगातार बीजेपी का है कब्जे, क्या इस बार भी जलवा रहेगा बरकरार?

#lucknowloksabhathehistoryofthis_seat 

गोमती नदी के किनारे बसा नगर

नवाबों के शहर के नाम से मशहूर

1991 से इस सीट पर बीजेपी का है कब्जा

वाजपेयी इस सीट से आठ बार लड़ चुके हैं चुनाव

लगातार पांच बार इस सीट से रहे सांसद

क्या इस बार भी जलवा रहेगा बरकरार

या बहेगी बदलाव की बयार

उत्तर प्रदेश, देश का एक ऐसा राज्य जो राजनीति की दृष्टि से सबसे अहम माना जाता है।राजनीति में कहावत है कि दिल्ली का रास्ता उत्त्तर प्रदेश से होकर जाता है। ऐसे में गोमती नदी के किनारे पर बसे लखनऊ लोकसबा सीट पर भी सबकी नजर है। लखनऊ संसदीय क्षेत्र यूपी की हॉट सीट में शुमार हैं। लोकसभा चुनाव में राजधानी में कांग्रेस और भाजपा का वर्चस्व रहा है। इस वर्चस्व के बावजूद लखनऊ की संसदीय सीट पर वर्ष 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत का डंका बजा। उस समय आनंद नारायण मुल्ला ने कांग्रेस के वीआर मोहन को आसानी से मात दी थी। 

कांग्रेस का गढ़, बीजेपी के सबसे मजबूत किले में तब्दील हो गया

1991 से पहले तक लखनऊ की सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 1951 से 1989 तक कांग्रेस ने अलग-अलग चुनावों में इस सीट पर अपना परचम लहराया।1951 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय लक्ष्मी पंडित ने जीत दर्ज की थी। 1951 से 1971 तक कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा। 1977 में भारतीय लोकदल से हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत दर्ज की। इसके बाद लगातार दो बार फिर कांग्रेस ने इस सीट को कब्जाया।1989 में ये सीट जनता दल की झोली में गई। लेकिन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के इस सीट पर चुनावी मैदान में उतरने के बाद लखनऊ का संसदीय क्षेत्र बीजेपी के सबसे मजबूत किले के रूप में तब्दील हो गया। 1991 से 2009 तक इस सीट पर पूर्व पीएम और बीजेपी के संस्थापक सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी सांसद रहे। इसके बाद 2009 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी की चिट्ठी के सहारे बीजेपी नेता लालजी टंडन इस सीट पर सांसद बने।

वाजपेयी लगातार तीन बार हारे

लखनऊ लोकसभा सीट 1991 से ही लगातार बीजेपी के कब्जे में है। पहले इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव लड़ते थे। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई आठ बार चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार उन्होंने 1955 में उपचुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे। फिर वह 1957 और 1962 में दूसरे स्थान पर रहे। इन 3 हार के बाद, उन्होंने 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार पांच बार सीट जीती। 2009 में इस सीट पर लालजी टंडन ने लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद से 2014 और 2019 में राजनाथ सिंह ने इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बनाए रखा। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यहां से वर्तमान में सांसद हैं।

2014 और 2019 में रिकार्ड मतों से जीते राजनाथ सिंह

लखनऊ सीट से सांसद राजनाथ सिंह इस सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं।बीजेपी सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी पूनम सिन्हा को 3 लाख 47 हजार 302 वोटों से शिकस्त दी थी। उन्होंने इस जीत के साथ ही 2014 में बनाए अपने रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को 2 लाख 72 हजार 749 वोटों से हराया था। लखनऊ लोकसभा सीट पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भी इतने ज्यादा वोटों से जीत हासिल नहीं हो सकी थी।

जानिए कब कौन जीता

1951- विजय लक्ष्मी पंडित- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957- पुलिन बिहारी बनर्जी- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1962- बीके धवन- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1967- आनंद नारायण मुल्ला- निर्दलीय

1971- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977- हेमवती नंदन बहुगुणा- भारतीय लोकदल

1980- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1984- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1989- मांधाता सिंह- जनता दल

1991- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1996- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1998- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1999- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

2004- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

2009- लालजी टंडन- भाजपा

2014- राजनाथ सिंह- भाजपा

2019- राजनाथ सिंह- भाजपा

India

Apr 10 2024, 15:36

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की 10वीं लिस्ट जारी, इस बार कट गए इन सांसदों के टिकट

#bjpreleasesits10thlistofcandidatesforloksabhaelections 

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2024 के लिए प्रत्‍याशियों की 10वीं लिस्‍ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। उनमें यूपी के सात हैं। बाकी दो उम्मीदवारों में एक पश्चिम बंगाल के आसनसोल से और एक चंडीगढ़ से हैं। वहीं बीजेपी की इस सूची में कई मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया गया है।

दिलचस्‍प बात यह है कि भाजपा ने आसनसोल सीट पर नया उम्‍मीदवार दिया है। पहले इस सीट से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को टिकट दिया गया था, लेकिन उन्‍होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब उनकी जगह एसएस अहलूवालिया को टिकट दिया गया है।पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी थीं। भाजपा ने पहले यहां से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को अपना उम्‍मीदवार बनाने की घोषणा की थी।टिकट मिलने के 24 घंटे के अंदर ही पवन सिंह ने चुनावी मैदान से कदम पीछे खींच लिए थे। जिसके बाद बीजेपी ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया को उम्मीदवार बनाया है। यहां अहलूवालिया का मुकाबला टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से होगा। 

डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह पर खेला दांव

सूची में सात उम्मीदवार उत्तर प्रदेश के हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह भाजपा उम्मीदवार होंगे। इसके अलावा बलिया से पार्टी ने नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है। शेखर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं और फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। यहां से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट दिया गया है।

प्रयागराज की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदला

प्रयागराज जिले की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं। मौजूदा सांसद रीता बहुगुणा जोशी और केसरी देवी पटेल को टिकट नहीं दिया गया है। इलाहाबाद सीट से नीरज त्रिपाठी को मौका दिया गया है। नीरज भाजपा के दिग्गज नेता रहे केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे हैं। केशरी नाथ पूर्व राज्यपाल और यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे। जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवीण अभी फूलपुर से विधायक हैं।कौशांबी लोकसभा सीट से पार्टी ने एक बार फिर विनोद सोनकर को टिकट दिया गया है। सोनकर यहां से मौजूदा सांसद हैं। इसके अलावा मछलीशहर से मौजूदा सांसद बीपी सरोज को उतारा गया है। वहीं, गाजीपुर सीट से पारस नाथ राय को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।

किरण खेर का टिकट कटा

वहीं, चंडीगढ़ से इस बार किरण खेर का टिकट कट गया है। पार्टी ने चंडीगढ़ से किरण खेर की जगह संजय टंडन को मौका दिया है।

WestBengalBangla

Apr 10 2024, 11:47

মালদহের দক্ষিণ কেন্দ্রের আসনের জন্য প্রচার বিজেপি প্রার্থীর

# BJP_ candidate  _campaigning _for _Malda South _Central _seat এসবি নিউজ ব্যুরো: গত বিধানসভা নির্বাচনে ইংরেজবাজার আসনে তৃণমূল কংগ্রেসের দাপুটে নেতা তথা প্রাক্তণ মন্ত্রী কৃষ্ণেন্দু নারায়ণ চৌধুরীকে পরাজিত করে চমক দিয়েছিলেন বিজেপি প্রার্থী শ্রীরুপা মিত্র চৌধুরী।তাই মোদী-শাহ জুটি  আসন্ন লোকসভা নির্বাচনে সেই  শ্রীরূপা মিত্র চৌধুরীর উপর ভরসা করেছেন। মালদা দক্ষিণ কেন্দ্রের বিজেপির প্রার্থীও করেছেন শ্রীরূপা মিত্র চৌধুরীকে।

উত্তরবঙ্গের বিজেপির  একমাত্র মহিলা প্রার্থী তিনি।প্রায় প্রতিদিনই ভোটারদের কাছে পৌঁছাতে  নির্বাচনী প্রচারেও  চমক দিচ্ছেন তিনি। সকাল থেকেই তাকে জনসংযোগে ব্যস্ত থাকতে দেখা যাচ্ছে  বিজেপি প্রার্থীকে। কখনো টোটো চালিয়ে প্রচার। আবার কখনো জেলার একমাত্র বড়  পাইকারি রথবাড়ি বাজারের ক্রেতা  বিক্রেতার কাছে গিয়ে জনসংযোগ করতে।

বিজেপির মালদা দক্ষিণ লোকসভা কেন্দ্রের প্রার্থী শ্রীরূপা মিত্র চৌধুরীর দাবি হাটে বাজারে তিনি রয়েছেন। শুধু ভোটের সময় নয় , সারা বছরই এলাকার মানুষের পাশে থাকেন তিনি। তার অভিযোগ, ১৫৩ বছরের পৌরসভায় এখনও অনেক পিছিয়ে। এলাকাবাসীও সেই অভিযোগ তুলছেন। প্রচারে ব্যপক সাড়া  পাচ্ছেন জানান তিনি।

నిజంనిప్పులాంటిది

Apr 08 2024, 12:44

నోట్ల గుట్టలు.. బంగారం సంచులు.. ఎన్నికల వేళ భారీగా పట్టివేత

లోక్‌సభ ఎన్నికలు (Lok sabha Elections) సమీపిస్తున్న వేళ కర్ణాటక (Karnataka)లో భారీగా అక్రమ నగదు, బంగారం బయటపడటం తీవ్ర కలకలం రేపింది..

బళ్లారి (Bellary)లో ఓ వ్యాపారి ఇంట్లో పోలీసులు సోదాలు జరపగా.. రూ.7.6 కోట్ల నగదు, బంగారు, వెండి ఆభరణాలను గుర్తించారు.

బళ్లారిలో హవాలా కార్యకలాపాలు జరుగుతున్నట్లు విశ్వసనీయ వర్గాల నుంచి సమాచారం రావడంతో బ్రూస్‌పేట్‌ పోలీసులు రంగంలోకి దిగారు. స్థానిక ఆభరణాల వ్యాపారి నరేశ్‌ సోనీ ఇంట్లో ఆకస్మిక సోదాలు చేపట్టారు. లెక్కల్లోకి రాని భారీ నగదు, ఆభరణాలను గుర్తించారు. రూ.5.6 కోట్ల కరెన్సీ, 103 కిలోల వెండి ఆభరణాలు, 68 వెండి కడ్డీలు, 3 కిలోల బంగారు నగలను పోలీసులు స్వాధీనం చేసుకున్నారు.

హవాలా మార్గంలో వీటిని తీసుకొచ్చి ఉంటారన్న అనుమానంతో పోలీసులు దర్యాప్తు చేపట్టారు. వ్యాపారి నరేశ్‌ను అదుపులోకి తీసుకుని విచారిస్తున్నారు. ఈ వివరాలను ఆదాయపు పన్ను విభాగానికి అందజేస్తామని, అనంతరం ఐటీ అధికారులు దీనిపై తదుపరి దర్యాప్తు చేపడుతారని తెలిపారు. పోలింగ్‌ దగ్గరపడుతున్న వేళ ఈ ఘటన స్థానికంగా తీవ్ర కలకలం రేపింది. కర్ణాటకలోని మొత్తం 28 లోక్‌సభ స్థానాలకు రెండు దశల్లో ఏప్రిల్‌ 26, మే 4వ తేదీన పోలింగ్‌ జరగనుంది.

WestBengalBangla

Apr 06 2024, 15:09

*'AITC's Biswajit Das Confident of Victory Amid Matuas' CAA Disillusionment*
*SB News Bureau:* Bongaon AITC Lok Sabha Candidate Biswajit Das took a holy dip in the sacred waters of the wishing pond at Sridham in Thakurbari during the Banglar Odhikar Yatra in Thakurnagar on Saturday. Hundreds of AITC workers and supporters enthusiastically joined the campaign in support of the Trinamool candidate and took a dip as well. He also interacted with people, who expressed gratitude towards him.

Following this, Das, along with AITC leader Mamata Bala Thakur, joined a congregation of Matuas where he played the drums while Thakur and others moved to the tunes. Prasad was also distributed among the revelers who assembled there in large numbers. The party workers and Matuas were charged up after such a grand occasion and vowed to defeat the BJP in the upcoming Lok Sabha elections.

Biswajit Das said, "Our Chairperson Mamata Banerjee has specifically said that she will not allow the draconian CAA law to be implemented in West Bengal and no one will have to go to the detention camps. The Matuas have understood that the BJP has betrayed them and they will give them the answer in the upcoming Lok Sabha elections. The Matuas will surely vote for me and send me to the Parliament."

India

Apr 03 2024, 20:17

कृष्ण की नगरी मथुरा में है जाटों का दबदबा, जिसने उन्हें साधा, उसने जीता “रण”

#loksabhaelection2024mathuraconstituencyjat_land

कृष्ण की नगरी कही जाती है “जाट लैण्ड”

मथुरा में 18 लाख से ज्यादा हैं मतदाता

मथुरा की राजनीति जाटों का दबदबा

सबसे अधिक साढ़े चार लाख जाट वोटर्स

जाट वोटरों के इर्दगिर्द बुने जाते रहे सियासी समीकरण

16 बार जाट जाति के प्रत्याशी ने जीता चुनाव

“जाट लैण्ड” में अब तक कोई स्थानीय जाट नेता उभरा

भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को भी राजनीतिक रूप से अहम माना जाता है। धर्म नगरी होने की वजह से मथुरा जिले पर सभी की नजर रहती है। इन दिनों श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के कारण मथुरा सुर्खियों में बना हुआ है। ऐसे में स्वाभाविक हैं, इस सीट पर भी धर्म और जाति का प्रभाव चुनावों में अपना असर जरूर दिखाता है। ऐसे में सबसे पहले हम यह जानते हैं कि आखिर मथुरा की राजनीति में किन जातियों का दबदबा है। यहां के सियासतदानों की किस्मत कौन तय करते हैं। मथुरा लोकसभा सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आती है। इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का दबदबा माना जाता है। कहा जाता है कि 2014 में इस सीट के जाट और मुस्लिम वोट अलग-अलग बंट गए थे, जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला। 

मथुरा सीट के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें

मथुरा लोकसभा के अंतर्गत मथुरा जिले की पांच विधानसभा – छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा एवं बलदेव (सु.) आती हैं। मथुरा लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा में से चार विधानसभा सीटों पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है। 

सीट का जातीय समीकरण

आंकड़ों के मुताबिक मथुरा में 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। मथुरा लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक साढ़े चार लाख जाट वोट है। ऐसे में हर राजनीतिक दल की नजर जाट वोट बैंक पर टिकी है। दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख के आसपास है। ठाकुर मतदाताओं की संख्या भी लगभग 3 लाख है। जाटव मतदाता करीब डेढ़ लाख हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब डेढ़ लाख के बराबर है। वैश्य मतदाता की बात करें तो मथुरा लोकसभा सीट पर करीब एक लाख हैं। यादव मतदाताओं की संख्या करीब 70 हजार है। अन्य जातियों के करीब एक लाख वोटर हैं

अब तक 16 बार जाट जाति के प्रत्याशी ने चुनाव जीता

लोकसभा के लिए हुए चुनाव में मथुरा लोकसभा सीट से 16 बार जाट जाति का प्रत्याशी चुनाव जीता है। तीन बार मानवेन्द्र सिंह और एक बार चकलेश्वर सिंह चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे। ये दोनों ठाकुर जाति से आते हैं। 1991 में साक्षी महाराज भी मथुरा से चुनाव जीते हैं, जो लोधी राजपूत हैं। ब्राह्मण, वैश्य अथवा किसी दूसरी जाति के प्रत्याशी को कभी मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव जीतने का सौभाग्य नहीं मिला है। यही वजह है कि मथुरा लोकसभा सीट को जाट लैण्ड कहा जाता है। यहां से चुनाव कोई भी पार्टी जीते लेकिन राजनीतिक दलों के समीकरण जाट वोटरों के इर्दगिर्द ही बुने जाते रहे हैं।

कोई स्थानीय जाट नेता नहीं उभरा

इतना सबकुछ होने के बाद भी लम्बे समय से यहां से कोई स्थानीय जाट नेता उभर कर नहीं आ पाया है। इसकी एक वजह यह भी रही है कि रालोद जाट वोटरों पर अपना हक समझता रहा है। रालोद अक्सर यह मानकार चलता रहा है कि उसे जाट वोट तो मिलेंगे ही इसलिए जातीय समीकरण साधने के लिए वह दूसरी जाति के प्रत्याशी पर दांव आजमाता रहा है। रालोद के पास दूसरा विकल्प अपने परिवार के किसी सदस्य को इस सीट पर लोकसभा पहुंचाने का रहा है। यही वजह है कि 2009 में जयंत चैधरी यहां से चुनाव लड़े और जीत कर लोकसभा पहुंचे। इससे पहले उनकी बुआ ज्ञानवती भी मथुरा लोकसभा सीट से भाग्य अजमा चुकी थीं लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई थी। चौधरी परिवार की काट निकालने के लिए 2014 में भाजपा ने हेमा मालिनी को प्रत्याशी बनाया और उन्होंने फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र की पत्नी के नाते जाट होने का दावा किया और जीत कर लोकसभा पहुंची।

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Apr 03 2024, 14:47

गुलाम नबी आजाद ने भी ठोकी ताल, जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से लड़ेंगे चुनाव

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और पूर्व कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। गुलाम नबी आजाद अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। गुलाम नबी आजाद ने साल 2022 में कांग्रेस छोड़ दी थी। वह अपना खुद का राजनीतिक संगठन डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) बना चुके हैं। 2014 के बाद गुलाम नबी आजाद का ये पहला लोकसभा चुनाव होगा। यानी वह 10 साल बाद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। 

डीपीएपी नेता ताज मोहिउद्दीन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा- “आज डीपीएपी की कोर कमेटी की बैठक हुई। इस दौरान हमने फैसला किया है कि पार्टी अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद अनंतनाग-राजौरी सीट से चुनाव लड़ेंगे।” अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना पर भी मोहिउद्दीन ने चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि इस मसले पर बात आगे नहीं बढ़ी है। उन्होंने कहा- ”हमारे पास समय की थोड़ी कमी है। बातचीत ज्यादा आगे नहीं बढ़ी है। इसलिए यह बेहतर है कि वे अपना और हम अपना काम करें। उन्हें वैसे भी अनंतनाग सीट में कोई दिलचस्पी नहीं थी।” मोहिउद्दीन ने आगे कहा कि कश्मीर में अन्य लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों का फैसला जल्द ही लिया जाएगा।

10 साल बाद लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

आपको बता दें कि 2014 के बाद गुलाम नबी आजाद का ये पहला लोकसभा चुनाव होगा। यानी वह 10 साल बाद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने 2014 में उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा नेता जितेंद्र सिंह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

किससे होगी सीधी टक्कर?

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रत्याशी हसनैन मसूदी को जीत हासिल हुई थी। हसनैन को 40180 वोट हासिल हुए थे। वहीं कांग्रेस इस सीट पर दूसरे नंबर पर थी। वहीं इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस सीट से पार्टी के वरिष्ठ नेता मियां अल्ताफ अहमद लाहरवी को उतारा है। अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट महबूबा मुफ्ती का गृह निर्वाचन क्षेत्र है।

5 सीटों पर 5 चरणों में होगा चुनाव

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की 5 सीटें हैं। इन सीटों पर 5 चरणों में चुनाव होंगे। यहां पहला चरण 19 अप्रैल को होगा। जबकि दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा 7 मई, चौथा 13 मई और पांचवां 20 मई को होगा। परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे।

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Apr 26 2024, 19:14

दूसरे चरण की वोटिंग खत्म, बंगाल में 5 बजे तक 72 फीसदी वोटिंग, यूपी-बिहार में 53 प्रतिशत मतदान

#loksabhaelection2024phase2voting

18वीं लोकसभा के चुनाव के लिए सेकेंड फेज की 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 88 सीटों पर वोटिंग का समय शाम 6 बजे खत्म हो गया। 5 बजे तक त्रिपुरा में सबसे ज्यादा करीब 76.23% वोटिंग हुई। महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश मे सबसे कम 53% के आसपास मतदान हुआ। आम चुनाव के लिए दूसरे दौर के मतदान में केरल की सभी 20 सीटों, कर्नाटक की 28 सीटों में से 14 सीटों, राजस्थान की 13 सीटों, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की आठ-आठ सीटों, मध्य प्रदेश की छह सीटों और पांच-पांच सीटों पर मतदान हुआ।

शाम पांच बजे तक का मतदान प्रतिशत

 

राज्य शाम पांच बजे तक मतदान %   

असम 70.66

बिहार 53.03

छत्तीसगढ़ 72.13

जम्मू् कश्मीर 67.22

कर्नाटक 63.90

केरल 63.97

मध्य प्रदेश 54.58

महाराष्ट्र 53.51

मणिपुर 76.06

राजस्थान 59.19

त्रिपुरा 76.23

यूपी 52.64

पश्चिम बंगाल 71.84

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Apr 23 2024, 16:29

हिमाचल की मंडी लोकसभा सीटः क्या बीजेपी लहराएगी जीत का परचम या कांग्रेस मारेगी बाजी?

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देश की सबसे हॉट सीटों में से एक

राज परिवारों की सीट रही मंडी

मंडी सीट पर कांग्रेस का रहा है दबदबा

बीजेपी और कांग्रेस में रहती है कड़ी टक्कर

17 लोकसभा चुनाव में से 11 बार कांग्रेस ने दर्ज की जीत

5 बार बीजेपी के पास गई ये सीट

इस बार बीजेपी लहराएगी परचम या कांग्रेस मारेगी बाजी

हिमाचल प्रदेश की 4 लोकसभा सीटों में से मंडी सीट पर हर किसी की नजर होती है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्‍कर देखने को मिलती है। इस लोकसभा सीट पर 1951 से अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं जिसमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है जबकि 5 बार ये सीट बीजेपी के पास गई है। जबकि एक बार इस सीट पर बीएलडी ने कब्‍जा जमाया। मंडी लोकसभा सीट राज परिवारों की सीट रही है। यहां से 1 3 बार राज परिवार के सदस्यों ने जीत दर्ज की है। साल 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यहां से रानी अमृत कौर ने जीत हासिल की थी। इसके अलावा यहां से ललित सेन, जोगिंदर सेन और बुशहर रिसासत के राजा वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह लोकसभा पहुंच चुके हैं। यही नहीं कुल्लू के रूपी रियासत के राजा महेश्वर सिंह भी यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा जा चुके हैं।उन्होंने इस सीट से तीन बार चुनाव जीता था।

दो रियासतों मंडी और सुकेत के विलय के साथ मंडी जिले का गठन 1948 में किया गया। साल 1951-52 में देश के पहले आम चुनाव हुए तब मंडी नाम से लोकसभा सीट नहीं थी। पहले चुनाव में मंडी महासू नाम से सीट थी जिस पर कांग्रेस से अमृत कौर को जीत मिली थी। अगले आम चुनाव, जो 1957 में हुए, उसमें मंडी सीट अस्तित्व में आई। इस चुनाव में कांग्रेस से जोगिंदर सेन को जीत मिली। 1962 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ललित सेन को जीत मिली। 1967 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के ललित सेन जीते।

1971 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजपरिवार से ताल्लुक रखने वाले वीरभद्र सिंह को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया। 1971 में हुए चुनाव में वीरभद्र ने बड़ी जीत हासिल की। आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार वीरभद्र सिंह को मंडी सीट पर हार मिली। जनता लहर में यहां से भारतीय लोक दल के गंगा सिंह ने जीत गर्ज की। तीन साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में दोनों उम्मीदवार फिर आमने-सामने थे। इस बार नतीजा बदल गया। वीरभद्र सिंह ने गंगा सिंह से 1977 में मिली हार का बदला ले लिया। 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से सुखराम को अपना उम्मीदवार बनाया। सहानुभूति लहर पर सवार होकर सत्ता में आई कांग्रेस को मंडी से एक बार फिर बहुत बड़ी जीत मिली। 

1989 का लोकसभा चुनाव में मंडी की राजनीति में बदलाव आया।इस चुनाव में भाजपा ने पहली बार सफलता हासिल की। पार्टी की तरफ से उतरे उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने कांग्रेस नेता सुख राम को हरा दिया। दो साल बाद हुए 1991 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सुखराम और महेश्वर सिंह आमने-सामने थे। इस बार सुखराम ने मंडी सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई। 1996 में सुख राम ने मंडी सीट पर तीसरी बार जीत दर्ज की। हालांकि, घोटाले में नाम आने के बाद कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया।

1998 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मंडी के पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को टिकट दिया तो कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मैदान में उतारा। 1999 के चुनाव में भी भाजपा के महेश्वर सिंह तीसरी बार मंडी सीट से जीते।

साल 2004, एक बार फिर वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और भाजपा के महेश्वर सिंह आमने-सामने थे। इस बार प्रतिभा ने 1998 में मिली हार का बदला ले लिया। 2009 में हुए चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को उतारा। नतीजे आए तो एक बार फिर कांग्रेस दिग्गज को जीत मिली। उन्होंने भाजपा के पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को 13,997 वोटों से हराकर जीत दर्ज की। 2012 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली और वीरभद्र सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी। इसके बाद 2013 में हुए उप-चुनाव में यहां से उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह फिर से जीतकर लोकसभा पहुंचीं। 

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के एक बार फिर प्रतिभा सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया। उनके सामने थे भाजपा के रामस्वरूप शर्मा। भाजपा के राम स्वरुप शर्मा ने कांग्रेस की पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह को हरा दिया।2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर बड़ी जीत दर्ज की। भाजपा की इस सफलता में मंडी की जीत में शामिल रही, जहां दूसरी बार भाजपा से राम स्वरुप शर्मा जीते।2021 में मंडी सांसद रामस्वरूप शर्मा का निधन हो गया। इसके बाद मंडी सीट पर उप-चुनाव हुआ। इस चुनाव में भाजपा ने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) खुशाल ठाकुर को उतारा, जबकि कांग्रेस की उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह थीं। उप-चुनाव में प्रतिभा सिंह ने भाजपा के खुशाल ठाकुर को हरा दिया। इस तरह प्रतिभा तीसरी बार मंडी लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं।

अब बात 2024 के चुनाव की कर लेते हैं। इस बार भाजपा ने मंडी लोकसभा सीट से बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को अपना उम्मीदवार बनाया है। कंगना के उम्मीदवार बनने के बाद यह सीट सुर्खियों में है। वहीं, कंगना को टक्‍कर देने के लिए कांग्रेस ने विक्रमादित्‍य सिंह पर दांव खेला है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व सांसद प्रतिभा सिंह के पुत्र विक्रमादित्य वर्तमान में शिमला ग्रामीण से विधायक हैं। विक्रमादित्य सिंह का परिवार मंडी लोकसभा सीट का छह बार प्रतिनिधित्व कर चुका है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की कंगना मंडी की “क्वीन” बनती हैं या विक्रमादित्य बाजी मारते हैं।

WestBengalBangla

Apr 16 2024, 18:58

মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের রোড শো এআরভিউ মোড় থেকে শুরু হল
# Chief Minister.
# Mamata Banerjee's_road _show at Siliguri.
# Parlament _election _2024

দার্জিলিং লোকসভা কেন্দ্রের তৃণমূল প্রার্থীর সমর্থনে,মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের রোড শো। শিলিগুড়ির এআরভিউ মোড় থেকে শুরু হল।

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Apr 15 2024, 16:33

लखनऊ लोकसभा सीटः 1991 से ही लगातार बीजेपी का है कब्जे, क्या इस बार भी जलवा रहेगा बरकरार?

#lucknowloksabhathehistoryofthis_seat 

गोमती नदी के किनारे बसा नगर

नवाबों के शहर के नाम से मशहूर

1991 से इस सीट पर बीजेपी का है कब्जा

वाजपेयी इस सीट से आठ बार लड़ चुके हैं चुनाव

लगातार पांच बार इस सीट से रहे सांसद

क्या इस बार भी जलवा रहेगा बरकरार

या बहेगी बदलाव की बयार

उत्तर प्रदेश, देश का एक ऐसा राज्य जो राजनीति की दृष्टि से सबसे अहम माना जाता है।राजनीति में कहावत है कि दिल्ली का रास्ता उत्त्तर प्रदेश से होकर जाता है। ऐसे में गोमती नदी के किनारे पर बसे लखनऊ लोकसबा सीट पर भी सबकी नजर है। लखनऊ संसदीय क्षेत्र यूपी की हॉट सीट में शुमार हैं। लोकसभा चुनाव में राजधानी में कांग्रेस और भाजपा का वर्चस्व रहा है। इस वर्चस्व के बावजूद लखनऊ की संसदीय सीट पर वर्ष 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत का डंका बजा। उस समय आनंद नारायण मुल्ला ने कांग्रेस के वीआर मोहन को आसानी से मात दी थी। 

कांग्रेस का गढ़, बीजेपी के सबसे मजबूत किले में तब्दील हो गया

1991 से पहले तक लखनऊ की सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 1951 से 1989 तक कांग्रेस ने अलग-अलग चुनावों में इस सीट पर अपना परचम लहराया।1951 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की विजय लक्ष्मी पंडित ने जीत दर्ज की थी। 1951 से 1971 तक कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा। 1977 में भारतीय लोकदल से हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत दर्ज की। इसके बाद लगातार दो बार फिर कांग्रेस ने इस सीट को कब्जाया।1989 में ये सीट जनता दल की झोली में गई। लेकिन पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के इस सीट पर चुनावी मैदान में उतरने के बाद लखनऊ का संसदीय क्षेत्र बीजेपी के सबसे मजबूत किले के रूप में तब्दील हो गया। 1991 से 2009 तक इस सीट पर पूर्व पीएम और बीजेपी के संस्थापक सदस्य अटल बिहारी वाजपेयी सांसद रहे। इसके बाद 2009 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी की चिट्ठी के सहारे बीजेपी नेता लालजी टंडन इस सीट पर सांसद बने।

वाजपेयी लगातार तीन बार हारे

लखनऊ लोकसभा सीट 1991 से ही लगातार बीजेपी के कब्जे में है। पहले इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव लड़ते थे। इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई आठ बार चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार उन्होंने 1955 में उपचुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहे। फिर वह 1957 और 1962 में दूसरे स्थान पर रहे। इन 3 हार के बाद, उन्होंने 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार पांच बार सीट जीती। 2009 में इस सीट पर लालजी टंडन ने लोकसभा चुनाव लड़ा। इसके बाद से 2014 और 2019 में राजनाथ सिंह ने इस सीट पर बीजेपी का कब्जा बनाए रखा। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यहां से वर्तमान में सांसद हैं।

2014 और 2019 में रिकार्ड मतों से जीते राजनाथ सिंह

लखनऊ सीट से सांसद राजनाथ सिंह इस सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं।बीजेपी सांसद और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन की प्रत्याशी पूनम सिन्हा को 3 लाख 47 हजार 302 वोटों से शिकस्त दी थी। उन्होंने इस जीत के साथ ही 2014 में बनाए अपने रिकॉर्ड को तोड़ दिया था। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी को 2 लाख 72 हजार 749 वोटों से हराया था। लखनऊ लोकसभा सीट पर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भी इतने ज्यादा वोटों से जीत हासिल नहीं हो सकी थी।

जानिए कब कौन जीता

1951- विजय लक्ष्मी पंडित- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957- पुलिन बिहारी बनर्जी- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1962- बीके धवन- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1967- आनंद नारायण मुल्ला- निर्दलीय

1971- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977- हेमवती नंदन बहुगुणा- भारतीय लोकदल

1980- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1984- शीला कौल- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1989- मांधाता सिंह- जनता दल

1991- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1996- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1998- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

1999- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

2004- अटल बिहारी वाजपेयी- भाजपा

2009- लालजी टंडन- भाजपा

2014- राजनाथ सिंह- भाजपा

2019- राजनाथ सिंह- भाजपा

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Apr 10 2024, 15:36

लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की 10वीं लिस्ट जारी, इस बार कट गए इन सांसदों के टिकट

#bjpreleasesits10thlistofcandidatesforloksabhaelections 

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2024 के लिए प्रत्‍याशियों की 10वीं लिस्‍ट जारी कर दी है। इस लिस्ट में 9 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। उनमें यूपी के सात हैं। बाकी दो उम्मीदवारों में एक पश्चिम बंगाल के आसनसोल से और एक चंडीगढ़ से हैं। वहीं बीजेपी की इस सूची में कई मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया गया है।

दिलचस्‍प बात यह है कि भाजपा ने आसनसोल सीट पर नया उम्‍मीदवार दिया है। पहले इस सीट से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को टिकट दिया गया था, लेकिन उन्‍होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। अब उनकी जगह एसएस अहलूवालिया को टिकट दिया गया है।पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी थीं। भाजपा ने पहले यहां से भोजपुरी फिल्‍मों के सुपरस्‍टार पवन सिंह को अपना उम्‍मीदवार बनाने की घोषणा की थी।टिकट मिलने के 24 घंटे के अंदर ही पवन सिंह ने चुनावी मैदान से कदम पीछे खींच लिए थे। जिसके बाद बीजेपी ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस अहलूवालिया को उम्मीदवार बनाया है। यहां अहलूवालिया का मुकाबला टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा से होगा। 

डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह पर खेला दांव

सूची में सात उम्मीदवार उत्तर प्रदेश के हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव के खिलाफ जयवीर सिंह भाजपा उम्मीदवार होंगे। इसके अलावा बलिया से पार्टी ने नीरज शेखर को उम्मीदवार बनाया है। शेखर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे हैं और फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं। यहां से मौजूदा सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट काट दिया गया है।

प्रयागराज की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदला

प्रयागराज जिले की दोनों सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए गए हैं। मौजूदा सांसद रीता बहुगुणा जोशी और केसरी देवी पटेल को टिकट नहीं दिया गया है। इलाहाबाद सीट से नीरज त्रिपाठी को मौका दिया गया है। नीरज भाजपा के दिग्गज नेता रहे केशरी नाथ त्रिपाठी के बेटे हैं। केशरी नाथ पूर्व राज्यपाल और यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे थे। जिले की फूलपुर लोकसभा सीट से प्रवीण पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। प्रवीण अभी फूलपुर से विधायक हैं।कौशांबी लोकसभा सीट से पार्टी ने एक बार फिर विनोद सोनकर को टिकट दिया गया है। सोनकर यहां से मौजूदा सांसद हैं। इसके अलावा मछलीशहर से मौजूदा सांसद बीपी सरोज को उतारा गया है। वहीं, गाजीपुर सीट से पारस नाथ राय को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है।

किरण खेर का टिकट कटा

वहीं, चंडीगढ़ से इस बार किरण खेर का टिकट कट गया है। पार्टी ने चंडीगढ़ से किरण खेर की जगह संजय टंडन को मौका दिया है।

WestBengalBangla

Apr 10 2024, 11:47

মালদহের দক্ষিণ কেন্দ্রের আসনের জন্য প্রচার বিজেপি প্রার্থীর

# BJP_ candidate  _campaigning _for _Malda South _Central _seat এসবি নিউজ ব্যুরো: গত বিধানসভা নির্বাচনে ইংরেজবাজার আসনে তৃণমূল কংগ্রেসের দাপুটে নেতা তথা প্রাক্তণ মন্ত্রী কৃষ্ণেন্দু নারায়ণ চৌধুরীকে পরাজিত করে চমক দিয়েছিলেন বিজেপি প্রার্থী শ্রীরুপা মিত্র চৌধুরী।তাই মোদী-শাহ জুটি  আসন্ন লোকসভা নির্বাচনে সেই  শ্রীরূপা মিত্র চৌধুরীর উপর ভরসা করেছেন। মালদা দক্ষিণ কেন্দ্রের বিজেপির প্রার্থীও করেছেন শ্রীরূপা মিত্র চৌধুরীকে।

উত্তরবঙ্গের বিজেপির  একমাত্র মহিলা প্রার্থী তিনি।প্রায় প্রতিদিনই ভোটারদের কাছে পৌঁছাতে  নির্বাচনী প্রচারেও  চমক দিচ্ছেন তিনি। সকাল থেকেই তাকে জনসংযোগে ব্যস্ত থাকতে দেখা যাচ্ছে  বিজেপি প্রার্থীকে। কখনো টোটো চালিয়ে প্রচার। আবার কখনো জেলার একমাত্র বড়  পাইকারি রথবাড়ি বাজারের ক্রেতা  বিক্রেতার কাছে গিয়ে জনসংযোগ করতে।

বিজেপির মালদা দক্ষিণ লোকসভা কেন্দ্রের প্রার্থী শ্রীরূপা মিত্র চৌধুরীর দাবি হাটে বাজারে তিনি রয়েছেন। শুধু ভোটের সময় নয় , সারা বছরই এলাকার মানুষের পাশে থাকেন তিনি। তার অভিযোগ, ১৫৩ বছরের পৌরসভায় এখনও অনেক পিছিয়ে। এলাকাবাসীও সেই অভিযোগ তুলছেন। প্রচারে ব্যপক সাড়া  পাচ্ছেন জানান তিনি।

నిజంనిప్పులాంటిది

Apr 08 2024, 12:44

నోట్ల గుట్టలు.. బంగారం సంచులు.. ఎన్నికల వేళ భారీగా పట్టివేత

లోక్‌సభ ఎన్నికలు (Lok sabha Elections) సమీపిస్తున్న వేళ కర్ణాటక (Karnataka)లో భారీగా అక్రమ నగదు, బంగారం బయటపడటం తీవ్ర కలకలం రేపింది..

బళ్లారి (Bellary)లో ఓ వ్యాపారి ఇంట్లో పోలీసులు సోదాలు జరపగా.. రూ.7.6 కోట్ల నగదు, బంగారు, వెండి ఆభరణాలను గుర్తించారు.

బళ్లారిలో హవాలా కార్యకలాపాలు జరుగుతున్నట్లు విశ్వసనీయ వర్గాల నుంచి సమాచారం రావడంతో బ్రూస్‌పేట్‌ పోలీసులు రంగంలోకి దిగారు. స్థానిక ఆభరణాల వ్యాపారి నరేశ్‌ సోనీ ఇంట్లో ఆకస్మిక సోదాలు చేపట్టారు. లెక్కల్లోకి రాని భారీ నగదు, ఆభరణాలను గుర్తించారు. రూ.5.6 కోట్ల కరెన్సీ, 103 కిలోల వెండి ఆభరణాలు, 68 వెండి కడ్డీలు, 3 కిలోల బంగారు నగలను పోలీసులు స్వాధీనం చేసుకున్నారు.

హవాలా మార్గంలో వీటిని తీసుకొచ్చి ఉంటారన్న అనుమానంతో పోలీసులు దర్యాప్తు చేపట్టారు. వ్యాపారి నరేశ్‌ను అదుపులోకి తీసుకుని విచారిస్తున్నారు. ఈ వివరాలను ఆదాయపు పన్ను విభాగానికి అందజేస్తామని, అనంతరం ఐటీ అధికారులు దీనిపై తదుపరి దర్యాప్తు చేపడుతారని తెలిపారు. పోలింగ్‌ దగ్గరపడుతున్న వేళ ఈ ఘటన స్థానికంగా తీవ్ర కలకలం రేపింది. కర్ణాటకలోని మొత్తం 28 లోక్‌సభ స్థానాలకు రెండు దశల్లో ఏప్రిల్‌ 26, మే 4వ తేదీన పోలింగ్‌ జరగనుంది.

WestBengalBangla

Apr 06 2024, 15:09

*'AITC's Biswajit Das Confident of Victory Amid Matuas' CAA Disillusionment*
*SB News Bureau:* Bongaon AITC Lok Sabha Candidate Biswajit Das took a holy dip in the sacred waters of the wishing pond at Sridham in Thakurbari during the Banglar Odhikar Yatra in Thakurnagar on Saturday. Hundreds of AITC workers and supporters enthusiastically joined the campaign in support of the Trinamool candidate and took a dip as well. He also interacted with people, who expressed gratitude towards him.

Following this, Das, along with AITC leader Mamata Bala Thakur, joined a congregation of Matuas where he played the drums while Thakur and others moved to the tunes. Prasad was also distributed among the revelers who assembled there in large numbers. The party workers and Matuas were charged up after such a grand occasion and vowed to defeat the BJP in the upcoming Lok Sabha elections.

Biswajit Das said, "Our Chairperson Mamata Banerjee has specifically said that she will not allow the draconian CAA law to be implemented in West Bengal and no one will have to go to the detention camps. The Matuas have understood that the BJP has betrayed them and they will give them the answer in the upcoming Lok Sabha elections. The Matuas will surely vote for me and send me to the Parliament."

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Apr 03 2024, 20:17

कृष्ण की नगरी मथुरा में है जाटों का दबदबा, जिसने उन्हें साधा, उसने जीता “रण”

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कृष्ण की नगरी कही जाती है “जाट लैण्ड”

मथुरा में 18 लाख से ज्यादा हैं मतदाता

मथुरा की राजनीति जाटों का दबदबा

सबसे अधिक साढ़े चार लाख जाट वोटर्स

जाट वोटरों के इर्दगिर्द बुने जाते रहे सियासी समीकरण

16 बार जाट जाति के प्रत्याशी ने जीता चुनाव

“जाट लैण्ड” में अब तक कोई स्थानीय जाट नेता उभरा

भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को भी राजनीतिक रूप से अहम माना जाता है। धर्म नगरी होने की वजह से मथुरा जिले पर सभी की नजर रहती है। इन दिनों श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के कारण मथुरा सुर्खियों में बना हुआ है। ऐसे में स्वाभाविक हैं, इस सीट पर भी धर्म और जाति का प्रभाव चुनावों में अपना असर जरूर दिखाता है। ऐसे में सबसे पहले हम यह जानते हैं कि आखिर मथुरा की राजनीति में किन जातियों का दबदबा है। यहां के सियासतदानों की किस्मत कौन तय करते हैं। मथुरा लोकसभा सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आती है। इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का दबदबा माना जाता है। कहा जाता है कि 2014 में इस सीट के जाट और मुस्लिम वोट अलग-अलग बंट गए थे, जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिला। 

मथुरा सीट के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें

मथुरा लोकसभा के अंतर्गत मथुरा जिले की पांच विधानसभा – छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा एवं बलदेव (सु.) आती हैं। मथुरा लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पांच विधानसभा में से चार विधानसभा सीटों पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है। 

सीट का जातीय समीकरण

आंकड़ों के मुताबिक मथुरा में 18 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। मथुरा लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक साढ़े चार लाख जाट वोट है। ऐसे में हर राजनीतिक दल की नजर जाट वोट बैंक पर टिकी है। दूसरे नंबर पर ब्राह्मण मतदाता हैं। ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख के आसपास है। ठाकुर मतदाताओं की संख्या भी लगभग 3 लाख है। जाटव मतदाता करीब डेढ़ लाख हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब डेढ़ लाख के बराबर है। वैश्य मतदाता की बात करें तो मथुरा लोकसभा सीट पर करीब एक लाख हैं। यादव मतदाताओं की संख्या करीब 70 हजार है। अन्य जातियों के करीब एक लाख वोटर हैं

अब तक 16 बार जाट जाति के प्रत्याशी ने चुनाव जीता

लोकसभा के लिए हुए चुनाव में मथुरा लोकसभा सीट से 16 बार जाट जाति का प्रत्याशी चुनाव जीता है। तीन बार मानवेन्द्र सिंह और एक बार चकलेश्वर सिंह चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे। ये दोनों ठाकुर जाति से आते हैं। 1991 में साक्षी महाराज भी मथुरा से चुनाव जीते हैं, जो लोधी राजपूत हैं। ब्राह्मण, वैश्य अथवा किसी दूसरी जाति के प्रत्याशी को कभी मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव जीतने का सौभाग्य नहीं मिला है। यही वजह है कि मथुरा लोकसभा सीट को जाट लैण्ड कहा जाता है। यहां से चुनाव कोई भी पार्टी जीते लेकिन राजनीतिक दलों के समीकरण जाट वोटरों के इर्दगिर्द ही बुने जाते रहे हैं।

कोई स्थानीय जाट नेता नहीं उभरा

इतना सबकुछ होने के बाद भी लम्बे समय से यहां से कोई स्थानीय जाट नेता उभर कर नहीं आ पाया है। इसकी एक वजह यह भी रही है कि रालोद जाट वोटरों पर अपना हक समझता रहा है। रालोद अक्सर यह मानकार चलता रहा है कि उसे जाट वोट तो मिलेंगे ही इसलिए जातीय समीकरण साधने के लिए वह दूसरी जाति के प्रत्याशी पर दांव आजमाता रहा है। रालोद के पास दूसरा विकल्प अपने परिवार के किसी सदस्य को इस सीट पर लोकसभा पहुंचाने का रहा है। यही वजह है कि 2009 में जयंत चैधरी यहां से चुनाव लड़े और जीत कर लोकसभा पहुंचे। इससे पहले उनकी बुआ ज्ञानवती भी मथुरा लोकसभा सीट से भाग्य अजमा चुकी थीं लेकिन उन्हें जीत नसीब नहीं हुई थी। चौधरी परिवार की काट निकालने के लिए 2014 में भाजपा ने हेमा मालिनी को प्रत्याशी बनाया और उन्होंने फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र की पत्नी के नाते जाट होने का दावा किया और जीत कर लोकसभा पहुंची।

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Apr 03 2024, 14:47

गुलाम नबी आजाद ने भी ठोकी ताल, जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से लड़ेंगे चुनाव

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और पूर्व कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। गुलाम नबी आजाद अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। गुलाम नबी आजाद ने साल 2022 में कांग्रेस छोड़ दी थी। वह अपना खुद का राजनीतिक संगठन डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) बना चुके हैं। 2014 के बाद गुलाम नबी आजाद का ये पहला लोकसभा चुनाव होगा। यानी वह 10 साल बाद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। 

डीपीएपी नेता ताज मोहिउद्दीन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा- “आज डीपीएपी की कोर कमेटी की बैठक हुई। इस दौरान हमने फैसला किया है कि पार्टी अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद अनंतनाग-राजौरी सीट से चुनाव लड़ेंगे।” अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना पर भी मोहिउद्दीन ने चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि इस मसले पर बात आगे नहीं बढ़ी है। उन्होंने कहा- ”हमारे पास समय की थोड़ी कमी है। बातचीत ज्यादा आगे नहीं बढ़ी है। इसलिए यह बेहतर है कि वे अपना और हम अपना काम करें। उन्हें वैसे भी अनंतनाग सीट में कोई दिलचस्पी नहीं थी।” मोहिउद्दीन ने आगे कहा कि कश्मीर में अन्य लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों का फैसला जल्द ही लिया जाएगा।

10 साल बाद लड़ेंगे लोकसभा चुनाव

आपको बता दें कि 2014 के बाद गुलाम नबी आजाद का ये पहला लोकसभा चुनाव होगा। यानी वह 10 साल बाद लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने 2014 में उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन भाजपा नेता जितेंद्र सिंह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

किससे होगी सीधी टक्कर?

2019 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रत्याशी हसनैन मसूदी को जीत हासिल हुई थी। हसनैन को 40180 वोट हासिल हुए थे। वहीं कांग्रेस इस सीट पर दूसरे नंबर पर थी। वहीं इस बार नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस सीट से पार्टी के वरिष्ठ नेता मियां अल्ताफ अहमद लाहरवी को उतारा है। अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट महबूबा मुफ्ती का गृह निर्वाचन क्षेत्र है।

5 सीटों पर 5 चरणों में होगा चुनाव

आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की 5 सीटें हैं। इन सीटों पर 5 चरणों में चुनाव होंगे। यहां पहला चरण 19 अप्रैल को होगा। जबकि दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा 7 मई, चौथा 13 मई और पांचवां 20 मई को होगा। परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे।