क्या देवेंद्र फडणवीस के डिप्टी सीएम होंगे एकनाथ शिंदे के बेटे ? क्या होगा महायुति का रुख

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के देवेंद्र फडणवीस के 5 दिसंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए मंच तैयार है, उनकी पार्टी के नेताओं का दावा है कि शीर्ष पद के लिए उनका नाम तय हो गया है, जिसके लिए निवर्तमान और कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी दावेदार थे। हालांकि नई सरकार ने अभी तक शपथ नहीं ली है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसे महाराष्ट्र में महायुति के रूप में भी जाना जाता है, द्वारा राज्य चुनावों में शानदार जीत हासिल करने के एक सप्ताह से अधिक समय बाद 2 या 3 दिसंबर को होने वाली बैठक में फडणवीस को विधायक दल का नेता चुने जाने की संभावना है।

महायुति ने 288 विधानसभा सीटों में से 230 सीटें जीतीं। भाजपा ने 132 सीटें जीतकर बढ़त बनाई, जबकि शिवसेना को 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 41 सीटें मिलीं। महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर की शाम को मुंबई के आजाद मैदान में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में होना है।

महाराष्ट्र सरकार गठन | मुख्य बिंदु

1. भाजपा नेता का दावा, फडणवीस होंगे अगले मुख्यमंत्री: समाचार एजेंसी पीटीआई ने रविवार रात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से बताया कि महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस के नाम को अंतिम रूप दे दिया गया है, जिन्हें 2 या 3 दिसंबर को होने वाली बैठक में विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इससे पहले दिन में निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह नए मुख्यमंत्री को चुनने के भाजपा के फैसले का समर्थन करेंगे।

2. शिंदे गांव से लौटे:

कार्यवाहक मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे शुक्रवार को सतारा जिले में अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हुए थे, ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह नई सरकार के गठन से खुश नहीं हैं। उन्हें अपने गांव में तेज बुखार हो गया। मुंबई रवाना होने से पहले रविवार को अपने गांव में पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने कहा, "मैंने पहले ही कहा है कि भाजपा नेतृत्व द्वारा लिया गया सीएम पद का फैसला मुझे और शिवसेना को स्वीकार्य होगा और मेरा पूरा समर्थन होगा।" इस दावे पर कि श्रीकांत शिंदे को नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा और क्या शिवसेना ने गृह विभाग के लिए दावा पेश किया है, शिंदे ने जवाब दिया, "बातचीत चल रही थी"।

3.शिवसेना नेता ने अजित पवार की एनसीपी को नाराज़ किया:

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रावसाहेब दानवे ने कहा कि अगर अविभाजित शिवसेना और भाजपा ने एक साथ चुनाव लड़ा होता, तो वे अधिक सीटें जीतते। शिवसेना विधायक गुलाबराव पाटिल ने भी यही बात दोहराते हुए दावा किया कि अगर अजित पवार की एनसीपी गठबंधन का हिस्सा नहीं होती तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी चुनावों में 90-100 सीटें जीतती। निवर्तमान सरकार में मंत्री गुलाबराव पाटिल ने एक समाचार चैनल से कहा, "हमने 85 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अजित दादा के बिना हम 90-100 सीटें जीत सकते थे। शिंदे ने कभी नहीं पूछा कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को सरकार में क्यों शामिल किया गया।" पलटवार करते हुए एनसीपी प्रवक्ता अमोल मिटकरी ने पाटिल से कहा कि वह अपनी "अवांछित जबान" न चलाएं।

महाराष्ट्र चुनाव परिणाम:

 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 132 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि उसके सहयोगी दलों- एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने क्रमशः 57 और 41 सीटें हासिल कीं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को हुआ था, जबकि मतों की गिनती 23 नवंबर को हुई थी।

महाराष्ट्र में सीएम पद पर आज होगा फैसला, शिंदे देंगे साथ या बढ़ाएंगे तनाव?

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महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे घोषित होने के एक सप्ताह बाद भी नए मुख्यमंत्री को लेकर सस्पेंस बकरार है। सीएम और डिप्टी सीएम के चेहरे को लेकर लगातार सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है। इस बीच, कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने पैतृक गांव चले गए। इस वजह से महाराष्ट्र सरकार के गठन पर फैसला लेने के लिए मुंबई में होने वाली महायुति की अहम बैठक स्थगित कर दी गई। इसके बाद अटकलें लगाई जाने लगी कि शायद एकनाथ शिंदे सरकार गठन के फैसले से नाराज हैं और इसलिए सतारा जिले में अपने गांव चले गए हैं। वहीं, शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे।

24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे शिंदे

शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि एकनाथ शिंदे अगले 24 घंटों में कोई बड़ा फैसला लेंगे। साथ ही उन्होंने दावा किया कि शिवसेना प्रमुख केंद्रीय मंत्रिमंडल में कोई पद नहीं लेंगे क्योंकि उनकी दिलचस्पी महाराष्ट्र की राजनीति में है। संजय शिरसाट ने कहा, महाराष्ट्र के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर मुलाकात की। पीएम मोदी और अमित शाह तय करेंगे कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। 

शपथ ग्रहण समारोह 2 दिसंबर को- संजय शिरसाट

शिवसेना नेता ने कहा कि जब भी एकनाथ शिंदे को लगता है कि उन्हें सोचने के लिए कुछ समय चाहिए तो वह अपने पैतृक गांव चले जाते हैं। जब उन्हें (एकनाथ शिंदे को) कोई बड़ा फैसला लेना होता है तो वह अपने पैतृक गांव जाते हैं। 24 घंटे तक वह (एकनाथ शिंदे) बहुत बड़ा फैसला लेंगे। मुझे जानकारी है कि शपथ ग्रहण समारोह दो दिसंबर को होगा।

क्या चल रहा है शिंदे के मन में?

इससे पहले एकनाथ शिंदे ने गुरुवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि बातचीत सकारात्मक रही और अगले दौर की चर्चा शुक्रवार को मुंबई में होगी। एकनाथ शिंदे ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के साथ गुरुवार रात अमित शाह से मुलाकात की थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस बैठक में सरकार गठन के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद एकनाथ शिंदे ने कहा था कि वह सरकार गठन में बाधा नहीं बनेंगे और अगले सीएम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह द्वारा लिए गए फैसलों का पालन करेंगे।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 132 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी की तरफ से देवेंद्र फडणवीस का नाम सीएम पद के लिए सबसे आगे है। रिपोर्ट के अनुसार, एकनाथ शिंदे से कहा गया है कि अगर फडणवीस के नाम पर विचार किया जा रहा है तो वह डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लें। हालांकि, ऐसी खबरें भी हैं कि एकनाथ शिंदे अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को इस पद के लिए आगे बढ़ा सकते हैं। शिवसेना नेता संजय शिरसाट ने कहा कि अगर शिंदे नई सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार नहीं करते हैं तो पार्टी से किसी और को इस पद के लिए विचार किया जाएगा।

क्या नाराज हैं एकनाथ शिंदे, अचानक क्यों चले गए अपने गांव? सरकार गठन का फैसला अधर में लटका

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महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे आए 6 दिन बीत चुके हैं, विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को समाप्त हो चुका है, लेकिन मुख्यमंत्री का फैसला अधर में लटका है। महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। इस बीच दो बड़ा डेवलपमेंट हुआ है. पहला, महायुति की अहम बैठक होने वाली थी, जिससे टाल दिया गया है। दूसरी तरफ दिल्‍ली यात्रा के बाद महाराष्‍ट्र के कार्यवाहक मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे सतारा स्थित अपने गांव के लिए निकल गए हैं। ऐसे वक्‍त में जब गठबंधन की तरफ से मुख्‍यमंत्री का चेहरा अभी तक घोषित नहीं किया गया है, एकनाथ शिंदे के मुंबई छोड़ने पर कई तरह की बातें होने लगी हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या एकनाथ शिंदे रूठे हुए हैं?

हाल ही में कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि उन्हें भाजपा का मुख्यमंत्री भी मंजूर है। महायुति और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जो फैसला लेगा, हम समर्थन करेंगे। एकनाथ शिंदे के इस बयान के बाद कयास लगाए जाने लगे कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। ऐसे में एकनाथ शिंदे की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़ा होगा। क्या वह महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम बनकर काम करने के लिए तैयार होंगे, या फिर मंत्रिमंडल में शामिल होंगे?

इस बीच बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को मनाने के लिए कई प्रस्ताव बनाए, मगर वह नहीं माने। गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जाने लगे कि महायुति में सबकुछ ठीक है और शुक्रवार को महायुति की बैठक में सीएम के नाम का ऐलान हो जाएगा। लेकिन, इस बैठक को उस वक्त टालना पड़ा जब कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अचानक अपने गांव सातारा चले गए।

अब सवाल उठता है कि महायुति की शुक्रवार के होने वाली बैठक अचानक से रद्द क्‍यों कर दी गई? आखिर कौन सी वजह थी जिसके चलते मीटिंग टालनी पड़ गई? सूत्रों के अनुसार, अब पहले बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में बीजेपी विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इसके बाद महायुति की संयुक्त बैठक होगी, जिसमें बीजेपी के साथ ही शिवसेना और एनसीपी के नेता भी शामिल होंगे। दिलचस्‍प बात यह है कि महायुति की तरफ से अभी तक मुख्‍यमंत्री के नाम की घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, शपथ ग्रहण की तारीख और तिथि तय कर दी गई है

रिपोर्टस के मुताबिक, गुरुवार रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मीटिंग में यह साफ किया गया कि देवेंद्र फडणवीस ही महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे। बीजेपी ने शिंदे के सामने एक बार डिप्टी सीएम बनने की चर्चा की। उन्हें बताया गया कि डिप्टी सीएम का पद लेने से महायुति की एकता का संदेश जाएगा। उन्हें फडणवीस के साथ अन्य दिग्गज नेताओं के बारे में बताया गया, जिन्होंने बड़े पद पर रहने के बावजूद दूसरी जिम्मेदारी ली। इस दलीलों से शिंदे नहीं माने। अब शिवसेना नेताओं नई दलील दी है। शिवसेना का कहना है कि देवेंद्र फडणवीस जाति से ब्राह्मण हैं। उनके नीचे दो मराठा नेता अजित पवार और एकनाथ शिंदे को डिप्टी के तौर से रखना राजनीतिक भूल साबित हो सकती है। मराठा वोटरों को यह रास नहीं आएगा।

महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन ? एकनाथ शिंदे ने कहा, पीएम मोदी का फैसला होगा अंतिम

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महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर सस्पेंस के बीच शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बुधवार को कहा कि वह महायुति गठबंधन के सीएम पद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को स्वीकार करेंगे। मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एकनाथ शिंदे ने पीएम मोदी को परिवार का मुखिया बताया। उन्होंने कहा कि भाजपा नेतृत्व को उन्हें सरकार गठन में बाधा नहीं समझना चाहिए।

उन्होंने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री से कहा है कि अगर मेरी वजह से महाराष्ट्र में सरकार बनाने में कोई समस्या आती है, तो अपने मन में कोई संदेह न लाएं और जो भी फैसला लें, वह मुझे मंजूर है। आप हमारे परिवार के मुखिया हैं।" उन्होंने कहा, "मैंने पीएम मोदी और अमित शाह से कहा कि उन्हें मुझे बाधा के तौर पर नहीं देखना चाहिए। मैं उनके द्वारा लिए गए किसी भी फैसले के साथ खड़ा रहूंगा।" एकनाथ शिंदे ने आगे कहा कि उनकी पार्टी प्रतिष्ठित पद के बारे में भाजपा नेतृत्व द्वारा लिए गए किसी भी फैसले का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि उन्होंने मंगलवार को पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से कहा कि उनका फैसला उन पर और शिवसेना पर बाध्यकारी होगा। शिंदे ने कहा कि उन्होंने एक आम आदमी की तरह काम किया है और खुद को कभी मुख्यमंत्री नहीं माना। उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा तय किया था कि जब मैं सत्ता में आऊंगा, तो मैं इसे जनता को लौटाऊंगा क्योंकि मैं एक गरीब परिवार से आया हूं, इसलिए मैं राज्य के लोगों के दर्द और कठिनाइयों को समझ सकता हूं।" 

उन्होंने कहा कि एक सीएम के तौर पर उन्होंने शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे और पीएम मोदी के आदर्शों को आगे बढ़ाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "मैं पिछले 2.5 सालों में किए गए सभी कामों से बहुत संतुष्ट हूं। मैं परेशान होने वाला नहीं हूं, हम ऐसे लोग हैं जो लड़ते हैं, लोगों के लिए लड़ते हैं।" उन्होंने कहा, "मैं जो भी काम करूंगा, महाराष्ट्र के लोगों के लिए करूंगा। महत्वपूर्ण यह नहीं है कि मुझे क्या मिलता है, बल्कि यह है कि राज्य के लोगों को क्या मिलता है।" एकनाथ शिंदे के आज बाद में दिल्ली के लिए रवाना होने की उम्मीद है। महायुति के सभी सहयोगियों की पीएम मोदी और शाह के साथ बैठक भी प्रस्तावित है।

इस बीच, महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने सीएम पद पर अपने रुख के लिए एकनाथ शिंदे को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "उन्होंने हमेशा हमारे केंद्रीय नेतृत्व का सम्मान किया है और उनकी बात मानी है। उन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के हर निर्देश का पालन किया है। उन्होंने एक सच्चे महायुति नेता के रूप में काम किया है। हम इसके लिए उन्हें धन्यवाद और बधाई देते हैं।" शिंदे की प्रेस कॉन्फ्रेंस ऐसे समय में हुई है जब महाराष्ट्र में शीर्ष राजनीतिक पद पर कौन होगा, इस पर महायुति गठबंधन के भीतर गहन बातचीत की खबरें आ रही हैं।

एकनाथ शिंदे और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस दोनों ही इस पद के लिए होड़ में थे

शिवसेना ने बिहार में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की व्यवस्था का हवाला देते हुए इस पद की मांग की थी, जहां गठबंधन में छोटे भागीदार होने के बावजूद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। हालांकि, भाजपा ने कहा कि बिहार का फॉर्मूला महाराष्ट्र पर लागू नहीं होगा। 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन ने 288 में से 230 सीटें जीतीं। भाजपा ने सबसे ज्यादा 132 सीटें हासिल कीं, जिससे फडणवीस सीएम पद के लिए पसंदीदा बन गए। शिवसेना में विभाजन की साजिश रचने और भाजपा से हाथ मिलाने के बाद एकनाथ शिंदे 2022 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने कल इस्तीफा दे दिया।

घर से सरकार नहीं चला पायेंगे आप: एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा
targetsuddhav thakreyfor runninga governmentfrom_home महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन के जीत की ओर बढ़ने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा। 2019 में शिवसेना के 54 उम्मीदवार जीते थे। अब यह संख्या बढ़ गई है,” शिंदे ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, जिसे उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार ने भी संबोधित किया।“हमने आलोचना का जवाब आलोचना से नहीं दिया। हमने इसका जवाब काम से दिया और यही बात लोगों को पसंद आई। हम सभी लोगों के साथ मिलकर काम करेंगे। आप अपने घर में रहकर सरकार नहीं चला सकते। आपको लोगों के पास जाना होगा,” शिंदे ने कहा। हम बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों को आगे बढ़ाएंगे और यह सरकार बनाएंगे। 2019 में भी ऐसी ही सरकार बननी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और लोग इसे नहीं भूले हैं,” मुख्यमंत्री ने कहा।शिंदे ने ठाणे जिले की कोपरी-पचपाखड़ी विधानसभा सीट पर 1,20,717 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार केदार दिघे को हराया। अपडेट के अनुसार महायुति गठबंधन महा विकास अघाड़ी के खिलाफ 288 में से 220 से अधिक सीटों पर आगे चल रहा है। चुनाव आयोग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भाजपा ने अब तक 55 सीटें जीती हैं और 78 पर आगे चल रही है, शिवसेना ने 28 सीटें जीती हैं और 28 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि एनसीपी ने 25 सीटें जीती हैं और 16 सीटों पर आगे चल रही है।  2022 में उद्धव ठाकरे के खिलाफ शिंदे की बगावत2022 में महा विकास अघाड़ी सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों में से एक एकनाथ शिंदे ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। शिंदे ने 40 विधायकों के साथ शिवसेना छोड़ दी, जिससे एमवीए सरकार अल्पमत में आ गई। फ्लोर टेस्ट से पहले ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया और गठबंधन सरकार गिर गई। उस साल 30 जून को एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पिछले साल अजित पवार भी एनसीपी से अलग हो गए और दूसरे उपमुख्यमंत्री के तौर पर शिंदे सरकार में शामिल हो गए।
जो काम किया है जनता ने उस पर वोट दिया, मिलकर तय करेंगे सीएम” शिंदे के बयान के क्या हैं मायने?*

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझानों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को बंपर बहुमत मिलता दिख रहा है। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनने की राह पर है और चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पार्टी 131 सीटों पर आगे चल रही है। इससे साफ है कि महाराष्ट्र की जनता ने एक बार फिर भाजपा के नेतृत्व पर विश्वास किया है। महायुति गठबंधन के लिए जहां रुझान खुश करने वाले हैं, लेकिन साथ ही महायुति गठबंधन में सीएम पद को लेकर भी पेच फंसता दिख रहा है।

बीजेपी का टेंशन बढ़ाने वाला बयान

महाराष्ट्र में आ रहे चुनावी परिणामों के बीच एकनाथ शिंदे ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम शिंदे ने कहा है कि महाराष्ट्र की जनता ने कामों पर मुहर लगा दी है। हमने ढ़ाई साल सिर्फ महाराष्ट्र की जनता के लिए काम किया है, जिसका नतीजा अब सामने आ गया है।

इसी के साथ मुख्यमंत्री शिंदे ने यह कहकर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है कि ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी के पास ही मुख्यमंत्री का पद हो, यह जरूरी नहीं है। शिंदे ने कहा है कि हम मिलकर तय करेंगे। अभी कुछ भी फाइनल नहीं है।

साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे-शिंदे

शिंदे ने आगे कहा कि पीएम मोदी हैं, जेपी नड्डा जी हैं, हम सभी साथ मिलकर फैसला करेंगे। एकनाथ शिंदे ने कहा कि जिस तरह से महायुति ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा है उसी तरह सभी एक साथ बैठकर सीएम पद को लेकर फैसला करेंगे।

क्या इस बार भी बीजेपी शिंदे को देगी सीएम की कुर्सी?

बता दें कि 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत किया था, उस वक्त उनके पास सिर्फ 40 विधायक थे। बीजेपी के पास 105 विधायकों का समर्थन था, लेकिन मुख्यमंत्री की कु्र्सी पार्टी ने शिंदे को दे दी।

अभी जो चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। उसमें बीजेपी 130 से ज्यादा सीटों पर बढ़त में है। शिंदे की पार्टी 50 के करीब सीटें जीतती नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या 2022 की तरह ही बीजेपी इस बार शिंदे को सीएम की कुर्सी दे देगी?

दरअसल एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने भी बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है। इससे साफ है कि सीएम पद को लेकर महायुति में खूब माथापच्ची होगी।

চৈত্র সংক্রান্তি,গ্রাম বাংলার চরক উৎসব
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এসবি নিউজ ব্যুরো: আজ বাংলা বছরের শেষ দিন অর্থাৎ চৈত্র মাসের শেষ দিনকে বলা হয় চৈত্র সংক্রান্তি। হিন্দুশাস্ত্র ও লোকাচার অনুসারে এই দিনে স্নান, দান, ব্রত, উপবাস প্রভৃতি ক্রিয়াকর্মকে পুণ্যময় বলে মনে করা হয়। এক সময় এঅঞ্চলে সবচেয়ে বেশি উৎসব হতো চৈত্র সংক্রান্তিতে। সংক্রান্তির দিন শিবের গাজন বা চড়ক পূজা, আর তার আগের দিন নীল পূজা। সেও শিবেরই পূজা। সমুদ্রমন্থনকালে উত্থিত বিষ কণ্ঠে ধারণ করে শিব নীলকণ্ঠ, তাই নীল পূজা। মায়েরা নীলের উপোস করে সন্তানের মঙ্গল কামনায়—আমার বাছার কল্যাণ করো হে নীলকণ্ঠ, সব বিষ কণ্ঠে নিয়ে তাকে অমৃত দাও! শিব নীলকণ্ঠ—জগতের সব বিষ পান করেও সত্য সুন্দর মঙ্গলময়। সেই কোন কাল থেকে বাংলা জুড়ে চলে প্রবহমান লোক উৎসব। বাংলার গ্রামে গ্রামে এই উৎসব নিয়ে আসে নতুন বছরের আগমন বার্তা।

চৈত্র সংক্রান্তির প্রধান উৎসব চড়ক। চড়ক গাজন উৎসবের একটি প্রধান অঙ্গ। চড়কের পেছনে একটি জোরালো কারণের কথা বলেন কোনো লেখক। বৌদ্ধধর্মের প্রভাব যখন ম্লান হয়ে এসেছে তখন বৌদ্ধ সন্ন্যাসীরা নিজেদের অস্তিত্ব রক্ষার জন্য বিভিন্ন অঞ্চলে ছড়িয়ে পড়েন। তেমনই কয়েক জন বৌদ্ধ সন্ন্যাসী আশ্রয় নিয়েছিলেন বাংলায় এবং পরে তাঁরা হিন্দুত্ব গ্রহণ করেন। ফলে হিন্দু ধর্মে মিশে যায় কিছু বৌদ্ধ তন্ত্রমন্ত্রের সাধন। এই তান্ত্রিক ক্রিয়া থেকেই পরবর্তী কালে উদ্ভব চড়ক পূজার। চড়ক পূজায় যোগদানকারী সন্ন্যাসীরা তান্ত্রিক সাধনা অভ্যাসের ফলে নিজেদের শারীরিক কষ্টবোধের ঊর্ধ্বে যান, তার ফলে চড়কের মেলায় নানা রকম শারীরিক কষ্ট স্বীকারে তারাই অগ্রণী হয়ে ওঠেন। যেমন—তিরিশ চল্লিশ ফুট উঁচু চড়ক গাছ থেকে পিঠে বঁড়শি গেঁথে দড়ি দিয়ে ঝুলিয়ে দেওয়া, জিভে বা শরীরের কোনো জায়গায় লোহার শিক গেঁথে দেওয়া বা ভাঙা কাচের টুকরোর ওপর দিয়ে হেঁটে যাওয়া, আগুনের খেলা দেখানো ইত্যাদি। তবে বর্তমানে এই সব বিপজ্জনক কসরত অনেক ক্ষেত্রেই নিষিদ্ধ করে দেওয়া হয়েছে।
চড়ক পূজা মূলত ধর্মের গাজন বা ধর্মঠাকুরের পূজা, পরবর্তীকালে যা রূপান্তরিত হয় শিবের গাজনে। এই ধর্মঠাকুরের উদ্ভব বৌদ্ধ দেবতা ধর্মরাজ থেকে। বাউরি, বাগদি, হাঁড়ি, ডোম প্রভৃতি গ্রামীণ মানুষেরা এই ধর্মঠাকুরের পূজা করেন। যদিও ধর্মঠাকুরের সেই অর্থে মূর্তি দেখা যায় না, পাথরের খণ্ডকেই পূজা করা হয়, কিছু গ্রামে বুদ্ধমূর্তিকেই পূজা করা হয়। কোনো কোনো গ্রামে ধর্মঠাকুর আর শিব দুজনেই গাজনে পূজিত হন। শিবের পূজা হয় বলে চড়ক পূজাকে শিবের গাজনও বলা হয়ে থাকে।

‘আমরা দুটি ভাই/ শিবের গাজন গাই’ ছড়াটির কথা আমরা অনেকেই জানি। ছড়াটির মধ্যে দেশ গাঁয়ের অভাবের রূপটিই ফুটে ওঠে। শিবের গাজন-গ্রাম থেকে ‘গা’ আর ‘জন’ মানে জনগণ দেশ গাঁয়ের আপামর খেটে খাওয়া মানুষ। গাজন বা চড়কপূজা সাধারণ মানুষের চাওয়া পাওয়ারই এক প্রতিফলন বলে কেউ কেউ অনুমান করেন।

ইতিহাসবিদের মতে, চৈত্র সংক্রান্তি মানুষের শরীর ও প্রকৃতির মধ্যে একটি যোগসূত্র ঘটাবার জন্য জন্য পালন করা হয়। প্রকৃতি থেকে কুড়িয়ে আনা শাক, চৈতালি মৌসুমের সবজি, পাতা, মুড়া ইত্যাদি খেয়ে চৈত্র সংক্রান্তি পালন করার রীতি এখনো কোন কোন এলাকায় লক্ষ করা যায়। লোকপ্রথা অনুযায়ী, চৈত্র সংক্রান্তিতে বিশেষ খাবার ছাতু, চিড়া, দই, মুড়ি, খই, তিল ও নারিকেলের নাড়ু ইত্যাদি খেতে হবে। তার সঙ্গে দুপুর বেলার খাবারে সবচেয়ে গুরুত্বপূর্ণ হচ্ছে ‘চৌদ্দ’ রকমের শাক খাওয়া। এর মধ্যে অন্তত একটি তিতা স্বাদের হতে হবে। যেমন গিমা শাক। চৈত্র মাসে গিমা শাক খেতেই হবে। গিমা শাক পাওয়া না গেলে বুঝতে হবে এখানে প্রকৃতি থেকে জরুরি কিছু হারিয়ে গেছে। একটু টক কিছু থাকাও দরকার। কাঁচা আম তো আছে। অসুবিধা নেই। মাছ–মাংস খাওয়া চলবে না।
বর্ষশেষের চৈত্র সংক্রান্তির উৎসব পালনেই বাঙালি অভ্যস্ত ছিল দীর্ঘ কাল। গ্রন্থকার দীনেন্দ্রকুমার রায় সংগত কারণেই বলেছেন যে, বসন্ত আর গ্রীষ্মের সন্ধিস্থলে চৈত্র মাসে পল্লিজীবনে ‘নব আনন্দের হিল্লোল বহে’। গম, ছোলা, যব, অড়হর প্রভৃতি রবিশস্য পেকে উঠেছে, সুতরাং দীর্ঘ কালের ‘অনাহারে শীর্ণদেহ, ক্ষুধাতুর কৃষক পরিবারে যে হর্ষের উচ্ছ্বাস দেখিতে পাওয়া যায়, তাহা সুদীর্ঘ হিমযামিনীর অবসানে বসন্তের মলয়ানিলের মতই সুখাবহ।’

দক্ষিণারঞ্জন বসুর ‘ছেড়ে আসা গ্রাম’-এ বিশ শতকের শুরু থেকে চল্লিশ-পঞ্চাশের দশক পর্যন্ত পূর্ববঙ্গে পল্লি সংস্কৃতির বহু নমুনা রয়েছে। বরিশালের নল চিড়াতে চৈত্র সংক্রান্তির দিন থেকে সপ্তাহখানেক ধরে বিভিন্ন জায়গায় মেলা বসার কথা পাই। বছরের পয়লা সেখানে নাকি এক ‘বার্ষিক কর্ম’ ছিল। বছরের মসলাপাতি কেনা হতো ও দিন। গানের বৈঠকও বসত। চট্টগ্রামের সারোয়াতলিতেও চৈত্র সংক্রান্তির দিন ‘লাওন’ (এক ধরনের নাড়ু) খাওয়ার উৎসবের মধ্য দিয়েই হতো বর্ষবিদায় এবং হিন্দু-মুসলমানের নববর্ষ বরণের আন্তরিক শুভ কামনার বিনিময়।
এখানে যে বর্ষবরণের আভাস আছে, তার বয়স খুব বেশি নয়। চৈত্র সংক্রান্তিই ছিল প্রধান। সেই সময় চৈত্র সংক্রান্তিতে মেলা বসত। মেলায় বাঁশ, বেত, প্লাস্টিক, মাটি ও ধাতুর তৈরি বিভিন্ন ধরনের তৈজসপত্র ও খেলনা, ফল-ফলাদি ও মিষ্টি কেনা-বেচা হতো। অঞ্চলভেদে তিন থেকে চার দিনব্যাপী চলা এই মেলায় গম্ভীরা, বায়োস্কোপ, সার্কাস, পুতুলনাচ, ঘুড়ি ওড়ানো ইত্যাদি চিত্তবিনোদনের ব্যবস্থাও থাকত। কালের বিবর্তনে চৈত্রসংক্রান্তির এই উৎসব হারিয়ে গিয়ে বর্ষবরণ উৎসব ক্রমেই জনপ্রিয় হয়ে উঠছে।

এক সময় কেবল সনাতন ধর্মাবলম্বীরা চৈত্র সংক্রান্তিতে বিভিন্ন আচার পালন করত। কালক্রমে তা বিভিন্ন ধর্মীয় জনগোষ্ঠীর সামাজিক অনুষ্ঠানে পরিণত হয়। চৈত্র থেকে বর্ষার আরম্ভ পর্যন্ত সূর্যের যখন প্রচণ্ড উত্তাপ থাকে তখন সূর্যের তেজ প্রশমন ও বৃষ্টি লাভের আশায় কৃষিজীবী সমাজ বহু অতীতে চৈত্র সংক্রান্তির উদ্ভাবন করেছিলেন বলে জানা যায়। গ্রীষ্মের প্রচণ্ড দাবদাহে উদ্বিগ্ন কৃষককুল নিজেদের বাঁচার তাগিদে বর্ষার আগমন দ্রুত হোক, এই প্রণতি জানাতেই পুরো চৈত্র মাসজুড়ে উৎসবের মধ্যে সূর্যের কৃপা প্রার্থনা করে।

একটু ভালো থাকার জন্য কত আরাধনা, কত কামনা মানুষের! চৈত্র ফুরিয়ে আসছে, বৈশাখ শুরু হলো বলে। হে ঠাকুর, হে ঈশ্বর, এই তপ্ত দিনগুলো ভালোয় ভালোয় পার করে আষাঢ়ে আকাশ ভরা মেঘ দিও আর দিও জল যাতে ঘরে সোনার বরণ ধান ওঠে। ছেলেমেয়ের মুখে দুটো নতুন চালের ভাত দিতে পারি আর ঘরখানার চালে কয়েক আঁটি খড়!
प्रियंका चतुर्वेदी पर एकनाथ शिंदे के विधायक के बिगड़े बोल, कहा- सुंदरता देख आदित्य ठाकरे ने राज्यसभा भेजा, सांसद ने दिया जवाब

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शिवसेना के एक विधायक ने उद्धव गुट वाली शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी को लेकर विवादित बयान दिया है।शिवसेना विधायक संजय शिरसाट ने कहा है कि चतुर्वेदी को उनकी सुंदरता के कारण आदित्य ठाकरे ने राज्यसभा भेजा था। संजय शिरसाट की टिप्पणी पर प्रियंका चतुर्वेदी ने भी पलटवार किया है और संजय शिरसाट को गद्दार बता दिया है। वहीं आदित्य ठाकरे ने भी संजय शिरसाट की टिप्पणी की आलोचना की है।

संजय शिरसाट ने की विवादित टिप्पणी

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विधायक संजय शिरसाट ने दावा किया है कि आदित्य ठाकरे ने प्रियंका चतुर्वेदी को उनकी सुंदरता की वजह से राज्यसभा भेजा है। कहा कि एक बार शिवसेना नेता चंद्रकांत खैरे ने कहा था कि आदित्य ठाकरे ने प्रियंका चतुर्वेदी की खूबसूरती देखकर उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया था।

प्रियंका चतुर्वेदी ने किया पलटवार

संजय शिरसाट की टिप्पणी पर प्रियंका चतुर्वेदी ने पलटवार किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'मुझे यह बताने के लिए किसी गद्दार की जरूरत नहीं है कि मैं कैसी दिखती हूं और मैं जहां हूं वहां क्यों हूं। शिरसाट ने राजनीति और महिलाओं पर अपनी बीमार मानसिकता वाली सोच प्रदर्शित की है।

शिरसाट जैसे लोगों को ज्यादा भाव देने के जरुरत नहीं-आदित्य ठाकरे

वहीं, इस मुद्दे पर आदित्य ठाकरे ने कहा है कि संजय शिरसाट जैसे लोगों को ज्यादा भाव देने के जरुरत नहीं है। एकनाथ शिंदे गुट में उन्हें कोई भाव नहीं मिल रहा है इसलिए वो ऐसी बात कर रहे हैं। ऐसे लोग जो बोल रहे हैं उन्हें बोलने दीजिए। आदित्य ठाकरे ने संजय शिरसाट की टिप्पणी पर कहा कि शिरसाट का दिमाग सड़ा हुआ है और उन्हें अपनी कीमत पता चल गई है। मुझे नहीं पता कि ऐसे सड़ी हुई मानसिकता के लोग राजनीति कैसे बचे हुए हैं।

2019 में थामा था शिवसेना का दामन

आपको बता दें कि प्रियंका चतुर्वेदी कांग्रेस छोड़ने के बाद 2019 में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गई थी। जहां उन्होंने राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में कार्य किया और बाद में उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया गया। 2010 में कांग्रेस से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाली प्रियंका चतुर्वेदी 2012 में उत्तर-पश्चिम मुंबई से भारतीय युवा कांग्रेस की महासचिव बनी थीं।

Shiv Sena: ‘పెద్ద ప్రభావమేమీ ఉండదు..’ ఎన్నికల గుర్తుపై ఉద్ధవ్‌తో శరద్‌ పవార్‌!

ముంబయి: శివసేన(Shiv Sena) పేరు, పార్టీ ఎన్నికల గుర్తు ‘విల్లు- బాణం’.. మహారాష్ట్ర(Maharashtra) ముఖ్యమంత్రి ఏక్‌నాథ్‌ శిందే(Eknath Shinde) వర్గానికే చెందుతుందని కేంద్ర ఎన్నికల సంఘం(ECI) స్పష్టం చేసిన విషయం తెలిసిందే. ఈ నిర్ణయంపై అసంతృప్తి వ్యక్తం చేసిన శివసేన(యూబీటీ) వర్గం అధినేత ఉద్ధవ్‌ ఠాక్రే(Uddhav Thackeray).. ఈసీ వ్యవహార తీరు ప్రజాస్వామ్యానికే ప్రమాదకరమని విమర్శించారు. ఈ క్రమంలోనే నేషనలిస్ట్ కాంగ్రెస్ పార్టీ(NC) చీఫ్ శరద్ పవార్‌(Sharad Pawar) తాజాగా ఈ వ్యవహారంపై స్పందించారు. పార్టీ ఎన్నికల గుర్తు కోల్పోవడంతో పెద్ద ప్రభావమేమీ ఉండదని తన మిత్రపక్షం ఉద్ధవ్ వర్గంతో పేర్కొన్నారు. ఎన్నికల సంఘం నిర్ణయాన్ని అంగీకరించి, కొత్త గుర్తును తీసుకోవాలని ఠాక్రేకు సూచించారు. కొత్త గుర్తును ప్రజలు అంగీకరిస్తారని కూడా ఆయన చెప్పారు.

‘కాంగ్రెస్‌ కూడా మార్చుకుంది..’

‘ఇది ఎన్నికల సంఘం నిర్ణయం. ఒకసారి నిర్ణయం వెలువడ్డాక చర్చలకు తావులేదు. దానిని శిరసావహించండి. పాత గుర్తును కోల్పోవడంతో పెద్దగా ప్రభావం ఉండదు. ప్రజలు కొత్త ఎన్నికల గుర్తును ఆమోదిస్తారు. ఈ విషయం ఓ 15- 30 రోజులపాటు చర్చలో ఉంటుంది, అంతే’ అని పవార్ అన్నారు. గతంలో కాంగ్రెస్ సైతం ‘జోడెద్దులు- కాడె’ నుంచి ‘హస్తం’ గుర్తుకు మార్చుకోవాల్సి వచ్చిందని గుర్తుచేసిన శరద్‌ పవార్‌.. అదే విధంగా శివసేన(యూబీటీ) కొత్త గుర్తునూ ప్రజలు అంగీకరిస్తారని తెలిపారు. ప్రస్తుతం శివసేన ఉద్ధవ్‌ వర్గానికి ‘కాగడా’ ఎన్నికల గుర్తుగా ఉంది. గత ఏడాది అక్టోబరులో మధ్యంతర ఉత్తర్వుల ద్వారా ఈసీ దీనిని కేటాయించింది.

సుప్రీంకోర్టు కు ఉద్ధవ్

ఇదిలా ఉండగా.. ఏక్‌నాథ్ శిందే వర్గానికి శివసేన పేరు, గుర్తును కేటాయించాలన్న ఎన్నికల సంఘం నిర్ణయాన్ని సవాల్ చేస్తూ ఉద్ధవ్ ఠాక్రే సుప్రీంకోర్టును ఆశ్రయించనున్నట్లు సంబంధిత వర్గాలు తెలిపాయి. దీంతోపాటు భవిష్యత్తు కార్యచరణపై చర్చించేందుకుగానూ ఉద్ధవ్ ఠాక్రే శనివారం తన వర్గం నేతలు, కార్యకర్తలతో సమావేశం కానున్నట్లు సమాచారం. ఠాక్రే నివాసం 'మాతోశ్రీ'లో ఈ సమావేశం జరుగుతుందని పార్టీ వర్గాలు తెలిపాయి. గతేడాది జూన్‌లో శివసేనకు చెందిన మొత్తం 55 మంది ఎమ్మెల్యేల్లో 40 మంది తిరుగుబాటు నేత ఏక్‌నాథ్‌ శిందేకు మద్దతివ్వడంతో ఉద్ధవ్‌ ఠాక్రే సారథ్యంలోని మహావికాస్‌ అఘాడీ ప్రభుత్వం కూలిపోయింది. ఆ తర్వాత భాజపా ఎమ్మెల్యేల మద్దతుతో శిందే సీఎంగా బాధ్యతలు చేపట్టిన విషయం తెలిసిందే. శివసేన పార్టీ, ఎన్నికల గుర్తు కోసం రెండు వర్గాలు పోటీపడ్డాయి.

'విల్లు- బాణాన్ని చోరీ చేశారు..!’

ముంబయి: శివసేన(Shiv Sena) ఎన్నికల గుర్తు ‘విల్లు- బాణం’ను చోరీ చేశారని శివసేన(యూబీటీ) వర్గం అధినేత ఉద్ధవ్‌ ఠాక్రే(Uddhav Thackeray) శనివారం మండిపడ్డారు. ఈ క్రమంలో నిందితుడికి గుణపాఠం చెప్పాల్సి ఉందని.. రాష్ట్ర ముఖ్యమంత్రి ఏక్‌నాథ్‌ శిందే(Eknath Shinde)ను ఉద్దేశించి విరుచుకుపడ్డారు. శనివారం ‘మాతో శ్రీ’ వద్ద ఉద్ధవ్‌ తన మద్దతుదారులతో ఈ మేరకు మాట్లాడారు. శివసేన పేరు, పార్టీ ఎన్నికల గుర్తు ‘విల్లు- బాణం’.. మహారాష్ట్ర(Maharashtra) సీఎం ఏక్‌నాథ్‌ శిందే వర్గానికే చెందుతుందని కేంద్ర ఎన్నికల సంఘం(ECI) స్పష్టం చేసిన విషయం తెలిసిందే.

‘‘విల్లు- బాణం’ చోరీకి గురయ్యాయి. నిందితుడికి గుణపాఠం చెప్పాలి. విల్లు- బాణంతో మైదానంలోకి రమ్మని ఆయనకు సవాలు విసురుతోన్నా. మేం దానిని మండే ‘కాగడా’తో ఎదుర్కొంటాం’ అని శిందేను ఉద్దేశించి ఠాక్రే వ్యాఖ్యానించారు. ప్రస్తుతం శివసేన ఉద్ధవ్‌ వర్గానికి ‘కాగడా’ ఎన్నికల గుర్తుగా ఉంది. గత ఏడాది అక్టోబరులో మధ్యంతర ఉత్తర్వుల ద్వారా ఈసీ దీనిని కేటాయించింది. పుణె జిల్లాలోని కస్బా పేట్‌, చించ్‌వాడ్ ఉప ఎన్నికల వరకు ఈ గుర్తు ఉద్ధవ్‌ వర్గం వద్దే ఉంటుందని ఎన్నికల సంఘం తెలిపింది. ఈ స్థానాలకు ఫిబ్రవరి 26న ఉప ఎన్నికలు జరగనున్నాయి.

మరోవైపు.. ఠాక్రే విధేయులు 'మాతోశ్రీ' వెలుపల పెద్ద సంఖ్యలో గూమిగూడారు. ఈ క్రమంలోనే ఏక్‌నాథ్ శిందేకు వ్యతిరేకంగా, ఉద్ధవ్‌కు మద్దతుగా నినాదాలు చేశారు. రాష్ట్రంలో పర్యటించి క్యాడర్‌ను సమీకరించాలని ఠాక్రే తన శ్రేణులకు సూచించినట్లు ఓ నేత తెలిపారు. అంతకుముందు.. శిందే వర్గానికి శివసేన పేరు, గుర్తును కేటాయించాలన్న ఎన్నికల సంఘం నిర్ణయాన్ని సవాల్ చేస్తూ ఉద్ధవ్ ఠాక్రే సుప్రీం కోర్టును ఆశ్రయించనున్నట్లు సంబంధిత వర్గాలు తెలిపాయి. మరోవైపు.. నేడు పార్టీ నేతలతో ఉద్ధవ్‌ ఠాక్రే సమావేశమై, భవిష్యత్తు కార్యాచరణపై చర్చించనున్నట్లు సమాచారం.

क्या देवेंद्र फडणवीस के डिप्टी सीएम होंगे एकनाथ शिंदे के बेटे ? क्या होगा महायुति का रुख

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के देवेंद्र फडणवीस के 5 दिसंबर को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए मंच तैयार है, उनकी पार्टी के नेताओं का दावा है कि शीर्ष पद के लिए उनका नाम तय हो गया है, जिसके लिए निवर्तमान और कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी दावेदार थे। हालांकि नई सरकार ने अभी तक शपथ नहीं ली है, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसे महाराष्ट्र में महायुति के रूप में भी जाना जाता है, द्वारा राज्य चुनावों में शानदार जीत हासिल करने के एक सप्ताह से अधिक समय बाद 2 या 3 दिसंबर को होने वाली बैठक में फडणवीस को विधायक दल का नेता चुने जाने की संभावना है।

महायुति ने 288 विधानसभा सीटों में से 230 सीटें जीतीं। भाजपा ने 132 सीटें जीतकर बढ़त बनाई, जबकि शिवसेना को 57 और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 41 सीटें मिलीं। महायुति सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर की शाम को मुंबई के आजाद मैदान में प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में होना है।

महाराष्ट्र सरकार गठन | मुख्य बिंदु

1. भाजपा नेता का दावा, फडणवीस होंगे अगले मुख्यमंत्री: समाचार एजेंसी पीटीआई ने रविवार रात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से बताया कि महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस के नाम को अंतिम रूप दे दिया गया है, जिन्हें 2 या 3 दिसंबर को होने वाली बैठक में विधायक दल का नेता चुना जाएगा। इससे पहले दिन में निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह नए मुख्यमंत्री को चुनने के भाजपा के फैसले का समर्थन करेंगे।

2. शिंदे गांव से लौटे:

कार्यवाहक मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे शुक्रवार को सतारा जिले में अपने पैतृक गांव के लिए रवाना हुए थे, ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह नई सरकार के गठन से खुश नहीं हैं। उन्हें अपने गांव में तेज बुखार हो गया। मुंबई रवाना होने से पहले रविवार को अपने गांव में पत्रकारों से बात करते हुए शिंदे ने कहा, "मैंने पहले ही कहा है कि भाजपा नेतृत्व द्वारा लिया गया सीएम पद का फैसला मुझे और शिवसेना को स्वीकार्य होगा और मेरा पूरा समर्थन होगा।" इस दावे पर कि श्रीकांत शिंदे को नई सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा और क्या शिवसेना ने गृह विभाग के लिए दावा पेश किया है, शिंदे ने जवाब दिया, "बातचीत चल रही थी"।

3.शिवसेना नेता ने अजित पवार की एनसीपी को नाराज़ किया:

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रावसाहेब दानवे ने कहा कि अगर अविभाजित शिवसेना और भाजपा ने एक साथ चुनाव लड़ा होता, तो वे अधिक सीटें जीतते। शिवसेना विधायक गुलाबराव पाटिल ने भी यही बात दोहराते हुए दावा किया कि अगर अजित पवार की एनसीपी गठबंधन का हिस्सा नहीं होती तो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी चुनावों में 90-100 सीटें जीतती। निवर्तमान सरकार में मंत्री गुलाबराव पाटिल ने एक समाचार चैनल से कहा, "हमने 85 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अजित दादा के बिना हम 90-100 सीटें जीत सकते थे। शिंदे ने कभी नहीं पूछा कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को सरकार में क्यों शामिल किया गया।" पलटवार करते हुए एनसीपी प्रवक्ता अमोल मिटकरी ने पाटिल से कहा कि वह अपनी "अवांछित जबान" न चलाएं।

महाराष्ट्र चुनाव परिणाम:

 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में 132 सीटें जीतकर भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि उसके सहयोगी दलों- एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने क्रमशः 57 और 41 सीटें हासिल कीं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 20 नवंबर को हुआ था, जबकि मतों की गिनती 23 नवंबर को हुई थी।