कनाडा में दिवाली सेलिब्रेशन रद्द, भड़के लोगों ने कहा-राजनीतिक तुष्टीकरण और सांस्कृतिक असंवेदनशीलता का प्रतीक

#diwali_celebrations_cancelled_in_canada

भारत में आज दिवाली मनाई जा रही है। भारत के इस त्योहार को दुनियाभर के कई देशों में सेलिब्रेट किया जाता है। यहां तक की दुनिया का सबसे ताकतवर कहे जाने वाले देश अमेरिका में भी दिवाली का जश्न मनाया जा रहा है। व्हाइट हाउस में खुज राष्ट्रपति जो बाइडन ने दिवाली मनाई। यहां तक की अमेरिका में तो दिवाली पर स्कूलों की छुट्टी कर दी गई है। हालांकि, कनाडा तो मानों भारत के साथ दुश्मनी निभाने में लगा हुआ है। दरअसल, भारत संग तल्खी के बीच कनाडा में दिवाली का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। यह कार्यक्रम पार्लियामेंट में होना था।

कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे ने पार्लियामेंट हिल में दिवाली पर होने वाले समारोह को रद्द कर दिया है। ओटावा स्थित पार्लियामेंट हिल में ही देश की संसद है। इसका मतलब है कि इस बार कनाडा की संसद में दिवाली उत्सव नहीं होगा। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पोइलिवरे ने दिवाली से ठीक पहले कार्यक्रम में ना जाने का फैसला लिया है। पियरे की ओर से ये कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद कनाडा के चलते दोनों मुल्कों के रिश्ते तनाव के दौर में हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिवाली का यह कार्यक्रम बुधवार 30 अक्टूबर को होना था, लेकिन इसे बिना किसी कारण के रद्द कर दिया गया। इस समारोह का आयोजन प्रवासी भारतीय समूह, ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (ओएफआईसी) ने किया था और और इसकी मेजबानी कंजर्वेटिव सांसद टॉड डोहर्टी को करनी थी। कनाडा में पिछले 23 सालों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। यह आयोजन पिछले 23 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है और इसमें कनाडा में रहने वाले हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध भाग लेते हैं। मगर इस बार कनाडा में दिवाली उत्सव पर रोक लग गई।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम के आयोजक ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (ओएफआईसी) को दिवाली उत्सव रद्द करने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है। कार्यक्रम बुधवार (30 अक्टूबर) को कंजर्वेटिव सांसद टॉड डोहर्टी द्वारा आयोजित किया जाना था। अब ये कार्यक्रम नहीं किया जाएगा।

विपक्षी नेता पॉइलीवरे के फैसले से कनाडा में रहने वाले हिंदू काफी नाराज हैं। ओएफआईसी के अध्यक्ष शिव भास्कर ने पॉइलीवरे को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने समारोह रद्द होने पर दुख जताया। उन्होंने लिखा कि यह कार्यक्रम दिवाली के सम्मान में एक खुशी का अवसर होता। यह त्योहार न केवल भारतवंशी कनाडाई समुदाय के लिए बहुत अहम है, बल्कि कनाडा की बहुसांस्कृतिक भावना का भी प्रतीक है, जिस पर उसे गर्व है। भारत और कनाडा के बीच मौजूदा राजनयिक स्थिति के कारण इस कार्यक्रम से नेताओं के अचानक पीछे हटने से हमें विश्वासघात और अन्याय का एहसास हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद चिंताजनक है।

Diwali 2024: छत्‍तीसगढ़ में दिवाली पर धान की बाली से बने झालर, झूमर लगाने की है सदियों पुरानी परंपरा

Diwali 2024: धनतेरस के साथ ही देशभर में दिवाली का त्योहार शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ में भी धनतेरस की सुबह से ही बाजारों में भीड़ लगी हुई है। प्रदेश में धान की झालरें घरों में सजाने की परंपरा सदियों पुरानी है। धनतेरस के साथ ही बाजारों में झालरों की बिक्री भी शुरू हो जाती है। बाजारों में इस तरह की झालर की काफी डिमांड है।

छत्तीसगढ़ में दिवाली की सांस्कृतिक परंपरा आज भी बरकरार है। अपने घरों के गेट पर धान की झालर लगाकर इस रस्म को निभाया जा रहा है। दिवाली के दौरान, जब खेत नई फसलों से पक जाते हैं, तो ग्रामीण नरम धान की बालियों से कलात्मक चूड़ियाँ बनाते हैं। आजकल बाजारों में रेडीमेड चीजें उपलब्ध हैं। हालाँकि शहरी क्षेत्रों में यह परंपरा धीरे-धीरे कम हो रही है, फिर भी धान के झूमरों का आकर्षण बना हुआ है। बाजार में छोटे आकार के झूमर भी उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत 50 से 200 रुपये तक है। व्यापारियों का कहना है कि इन झूमरों की मांग खासतौर पर शहरी बच्चों के बीच ज्यादा है, जो इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की परंपरा के अनुसार, लोग अपने घरों को धान की झालरों से सजाते हैं और अपनी सुख-समृद्धि के लिए आभार व्यक्त करने के लिए देवी लक्ष्मी को पूजा करने के लिए आमंत्रित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह निमंत्रण पक्षियों के माध्यम से देवी तक पहुंचता है, जो धान के दाने चुगने के लिए आंगनों और द्वारों पर उतरते हैं।

लोगों का मानना है कि इस तरह राज्य की लोक संस्कृति प्रकृति के साथ अपनी खुशियाँ बांटती है और उसे संरक्षित करती है। छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक घरों के आंगन और दरवाजों पर धान की झालर लटकाने की परंपरा है। इसे पहटा या पिंजरा भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में दिवाली पर धान से बने झूमर की यह परंपरा नई फसल के स्वागत और अन्न पूजन का प्रतीक मानी जाती है, जो सदियों से ग्रामीण और शहरी इलाकों में अपनी पहचान बनाए हुए है।

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While the real estate moguls enjoy benefits & unprecedented privileges in this DMK regime, the houses of common men are razed down as illegal construction. A youth in Gummidipoondi near Chennai trie

While the real estate moguls enjoy benefits & unprecedented privileges in this DMK regime, the houses of common men are razed down as illegal co
While the real estate moguls enjoy benefits & unprecedented privileges in this DMK regime, the houses of common men are razed down as illegal construction. A youth in Gummidipoondi near Chennai tried to self-immolate in his attempt to stop the government officials from demolishing his house built over a patta land. And the Housing Minister Thiru Muthusamy, who is also the Prohibition Minister of the State, is busy introducing 90ml bottles in TASMAC before Diwali. Speaks volumes on the priorities of this DMK Govt in TN.
জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

না মাটি, না পাথর, না কাঠ.. 8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলীর মূর্তি বসছে গুজরাটের গোধরায়
#Bajrangbali _idol _in _Godhra Gujarat

এসবি নিউজ ব্যুরো: মধ্যপ্রদেশের ইন্দোরের শিল্পী স্ক্র্যাপ মেটাল থেকে হনুমানজির অনন্য মূর্তি তৈরি করছেন। গতকাল  সারাদেশে পালিত হয়েছে হনুমান জন্মোৎসব। সকাল থেকেই হনুমানজির মন্দিরে ভক্তদের উপচে পড়া ভিড় লক্ষ্য করা যায়। জানা গিয়েছে,8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলী মূর্তি তৈরি হচ্ছে সম্পূর্ণ স্ক্র্যাপ মেটালে। ইন্দোরের শিল্পী দেবল ভার্মার তৈরি এঈ মূর্তিটি আগামী মাসে গুজরাটের গোধরায় স্থাপন করা হবে। দেবাল ভার্মা বলেন, 'আমরা গত 7-8 বছর ধরে স্ক্র্যাপ-মেটাল আর্ট নিয়ে কাজ করছি। আমরা স্ক্র্যাপ ধাতু থেকে প্রত্নবস্তু তৈরি সহ অর্ডার অনুযায়ী মূর্তি তৈরি করুন। গোধরা থেকে একটা অর্ডার এসেছিল। সাধারণত ক্লায়েন্ট আমাদের স্থান দেখায় এবং সেখানে কী থাকা উচিত সে সম্পর্কে পরামর্শ চায়।তাকে ঈশ্বরের মূর্তি স্থাপন করতে বলা হয়েছিল। তারা আমাদের কাছে জানতে চেয়েছিল কোন মূর্তি তৈরি করা উচিত এবং কীভাবে তৈরি করা উচিত। আমরা তাকে হনুমানজির মূর্তি বসানোর পরামর্শ দিয়েছিলাম। তারপর হনুমানজির মূর্তির নকশা করি।" দেবল ভার্মা আরও বলেন, 'প্রথমত, এটি বজরঙ্গবলীর মূর্তি এবং আমরা স্ক্র্যাপ থেকে কাজ করছি। মানে এটি শুধুমাত্র স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা উচিত ছিল। কিন্তু এটি এমন ছিল, আমরা সাধারণত যা করি তার থেকে ভিন্ন কিছু করতে হয়েছে ।তার মানে আমরা মূর্তিটা একটু অন্যরকম করব। আমরা এটিতে প্রচুর পিতল এবং স্টেইনলেস স্টিল রাখি। ডিজাইন করতে  2-3 মাস লেগেছে বজরঙ্গবলীজির এই মূর্তিটি ডিজাইন করতে আমাদের 2-3 মাস লেগেছে। প্রস্তাবনা-মাত্রা নকশা সেট. নকশা চূড়ান্ত হওয়ার পর, আমরা মূর্তিটি যে উপাদান থেকে তৈরি করা হবে তা অনুসন্ধান শুরু করেছি। স্ক্র্যাপ খুঁজে পেতে অনেক সময় লাগে। মূর্তিটিতে আছে পিতলের প্যান, প্লেট এবং স্টেইনলেস স্টিলের পাইপ। এসএস শিটও স্থাপন করা হয়। গাড়ির স্প্রিং এবং গিয়ার বিয়ারিং বিভিন্ন ধরনের স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা হয়। হনুমান চালিসা হনুমানজির মূর্তি বানাতে আমরা হনুমান চালিসার অনুবাদও করেছি। তাদের বৈশিষ্ট্য কি? যেমন, 'কান্ধে মুঞ্জ জেনেউ সাজাই', অর্থাৎ কীভাবে পবিত্র সুতো পরানো হয়। তাহলে কানে দুল কেন? সে রকম ডিটেইলিং করা হয়েছে। প্রায়ই বলেন কথিত আছে, শ্রী রাম জানকী বজরঙ্গবলী জির বুকে বসে আছেন। তাই আমরা একটি অনুরূপ স্কেচ তৈরি করেছি, ডিজিটালভাবে এটি পিতলের মধ্যে খোদাই করেছি, একটি দুল তৈরি করে তার বুকে স্থাপন করেছি। এই ধরনের ডিটেইলিং করা হয়েছে। হনুমানজির মূর্তি তৈরির ক্ষেত্রে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জটি হল বজরঙ্গবলী জির শরীর একেবারে সুস্থ। হনুমানজি শক্তিশালী। সেই সঙ্গে হনুমানজির মুখও খুব কোমল। মুখে সেই স্নিগ্ধতা ওভদ্রতা আনা ছিল একটি বড় চ্যালেঞ্জ। স্টেইনলেস স্টিল, ব্রাস, মাইল্ড স্টিল ব্যবহার করা হয়েছে। উদাহরণস্বরূপ, যদি এটি একটি পিতলের প্লেট হয় তবে এটি কোথায় ব্যবহার করা হবে এবং কীভাবে এটি ব্যবহার করা হবে তা কেটে কেটে লাগানো হয়েছে। মূর্তিটি তৈরি করতে কত সময় লেগেছে? বজরংবলী জির এই মূর্তিটি তৈরি করতে মোট 1 বছর সময় লেগেছে। ডিজাইন থেকে উপাদান সংগ্রহ থেকে চূড়ান্ত উত্পাদন পর্যন্ত। অর্ডারটি গত ফেব্রুয়ারিতে আমাদের কাছে এসেছিল এবং চলতি বছরের মার্চে মূর্তিটি তৈরি হয়। এই মূর্তি তৈরিতে আমাদের ৪ জনের দল কাজ করেছে। আমি দেবল ভার্মা, চিফ মেকানিক্যাল ইঞ্জিনিয়ার ফাইজান খান, চিফ ওয়েল্ডার রাজেশ ঝা এবং হেল্পার অর্জুন। ইন্দোরে আমাদের ডিজাইন স্টুডিওতে এই মূর্তিটি তৈরি করা হয়েছে। গোধরায় বাসস্ট্যান্ডের কাছে শ্রীসারভাত রেস্তোরাঁয় এই মূর্তি স্থাপন করা হবে। এই মূর্তি তৈরি করার সময় হনুমানজির সামনে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জ ছিল আবেগ আনতে হয়েছে। কারণ, স্ক্র্যাপ উপাদান থেকে কিছু তৈরি করা এবং তার মধ্যে অভিব্যক্তি আনা সবচেয়ে চ্যালেঞ্জিং কাজ। লোকেরা যখন এই মূর্তিটি দেখে, তখন তাদের মনে হয় যেন বজরঙ্গবলী জি তাদের দেখছেন। মানুষ আমাদের তাই বলেছে। প্রিভিউ দেখে অনেকেই বজরঙ্গবলীজির মূর্তির সামনে কেঁদেছিলেন। হনুমানজির দাড়িতে স্টেইনলেস স্টিলের তার লাগানো আছে। গদাটি পিতলের মাথা দিয়ে তৈরি। মুকুট উপর ঘূর্ণিত। নিচে চশমা পিতলের তৈরি। মুকুটের পিছনে সেলাই মেশিনের চাকা।
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya *আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল*

#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

এসবি নিউজ ব্যুরো: অযোধ্যায় রামনবমীতে রামলালের রামলালার সূর্যাভিষেক হল। ভগবান রামের মাথার অলৌকিক দৃশ্য দেখে সারা দেশের মানুষ আবেগাপ্লুত।আধ্যাত্মিকতা ও বিজ্ঞানের মিলনের এক মনোরম দৃশ্য আজ দেখা গেল অযোধ্যায়। রামনবমীর বিশেষ দিন উপলক্ষ্যে, অযোধ্যার রাম মন্দিরে যখন ভগবান শ্রীরামের কপালে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছিল তখন একটি অপূর্ব দৃশ্য দেখা যায়। এই সূর্যাভিষেক দুপুর ১২.০১ মিনিটে শুরু হয়ে প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলে। এই ঘটনাসারা বিশ্ব কৌতূহল নিয়ে দেখছে, আজ ৫০০ বছর পর অযোধ্যা ও দেশের মানুষের জন্য এই বিশেষ সুযোগ এসেছে। রাম মন্দির প্রতিষ্ঠার পর এটাই প্রথম রাম নবমী। অযোধ্যায় রামনবমী উপলক্ষ্যে, সূর্যের রশ্মি দ্বারা রামলালার তিলক করা হয়। এই উপলক্ষ্যে রামলালার বিশেষ মেকআপও করা হয়েছিল। 500 বছর পর, এই সূর্যাভিষেকের সময় রামলালা মূর্তির সূর্যাভিষেক হয়েছিল প্রায় 4 থেকে রামলালার মূর্তির মাথায় সূর্য তিলক লাগানো হয় ৬ মিনিটের জন্য। সূর্যের আলো রামলালার ওপর এমনভাবে পড়ল যেন ভগবান রামের গায়ে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছে। এই দৃশ্যটি সকলের মনকে মোহিত করেছে ।বিজ্ঞানীরা বহু মাস ধরে এই সূর্য তিলকের জন্য প্রস্তুতি নিচ্ছিলেন। এর জন্য অনেক ট্রায়াল করা হয়েছিল। আজ দুপুরে ঘড়ির কাঁটা 12:01 বাজতেই সূর্যের রশ্মি সরাসরি রামের কপালে এসে পৌঁছায়। 12:01 থেকে 12:06 পর্যন্ত সূর্যাভিষেক চলতে থাকে। পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে এই প্রক্রিয়া। বিজ্ঞানীরা গত 20 বছরে অযোধ্যার আকাশে সূর্যের গতিবিধি অধ্যয়ন করেছেন। সঠিক দিকনির্দেশ ইত্যাদি নির্ধারণের পর মন্দিরের উপরের তলায় প্রতিফলক ও লেন্স স্থাপন করা হয়েছে। সূর্যের রশ্মি ঘূর্ণায়মান হয়ে রামলালার কপালে পৌঁছে গেল। উপরের সমতলের লেন্সে সূর্যের রশ্মি পড়ল। এর পরে, এটি তিনটি লেন্সের মধ্য দিয়ে যায় এবং দ্বিতীয় তলায় আয়নার কাছে আসে। শেষেসূর্যের রশ্মি রাম লালার কপালকে 75 মিমি বুলেটের আকারে আলোকিত করতে থাকে এবং এটি প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে। সূর্য তিলকের পরে, ভগবান শ্রী রামের বিশেষ পূজা এবং আরতি করা হয়।রাম নবমীতে ভক্তদের ভিড়ের পরিপ্রেক্ষিতে প্রায় 25 লাখ ভক্তের আগমনের সময়টি 19 ঘন্টা করা হয়েছে।মঙ্গলা আরতি থেকে শুরু হয়ে রাত ১১টা পর্যন্ত খোলা থাকবে মন্দির। এর মধ্যেই রামলালকে ভোগ প্রদান ও আরতি করা হবে।
আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

*আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল।*

*উত্তরবঙ্গ সফর পথে দমদম বিমানবন্দরে শুভেন্দু অধিকারী জানালেন*
#Shuvendu_ Adhikari _is _the Leader of the Opposition _in the _BJP _Legislative Assembly


*এসবি নিউজ ব্যুরো:*

*চপারে আয়কর হানা প্রসঙ্গে*

যেদিন কমিশনের ফুল বেঞ্চ দিল্লিতে প্রেসমিট করেছিল সেদিনই তারা বলেছিল, রাজনৈতিক নেতারা যে চাটার্ড ফ্লাইট বা চপার ব্যবহার করবেন সেখানে তল্লাশি করা হবে। সেই দায়িত্ব আয়কর বিভাগ কে দেওয়া হয়েছিল। একবার মনে করে দেখুন। স্বাভাবিক ভাবেই দেশের আইন সবার জন্য সমান। আইন আলাদা হতে পারেনা। এখানে পিসি ও ভাইপোর জন্য আলাদা আইন হবে না। আপনারও একটা ভোট। দেশের রাষ্ট্রপতিরও একটা ভোট। তিনি ভিডিওগ্রাফি করেছেন, করতে পারেন।

*জোর করে বয়ান আদায়ের চেষ্টা : শেখ শাহাজাহান*
আমি বলতে পারব না। ওটা ওদের অভ্যন্তরীণ বক্তব্য। তদন্তকারী সংস্থার অভ্যন্তরীণ বিষয়। তবে শেখ শাহাজাহান যে অভিযুক্ত এটা সন্দেশখালির লোকেরাই বলেছে। গতকালও আমার পদযাত্রা ছিল ওখানে। মা বোনেরা বলেছেন তারা নতুন করে পয়লা বৈশাখ পালন করেছেন। স্বাভাবিকভাবেই প্রমাণিত, যা যা অভিযোগ হয়েছে তাতে শেখ শাহাজাহান যুক্ত‌

*উত্তরবঙ্গের ত্রাণ বিতর্ক*
ওরা মিথ্যাবাদী। পিসি মিথ্যাবাদী। ভাইপো মিথ্যাবাদী।৯ তারিখ অনুমতি পেয়ে গেছে। ১২ তারিখ হাওয়া গরম করছে যে অনুমতি দেওয়া হয়নি। পিসি ভাইপো দুজন মিলে বাজার গরম করছে। আমাকে নবান্ন থেকে লোক কাল এটা পাঠিয়ে দিয়েছে। আমি ট্যুইট করে দিয়েছি। সব অফিসাররা এখনও পিসি ভাইপোর পে রোলে যায়নি। এখনও মেরুদন্ড অনেকের সোজা আছে।
করণদিঘী পুকুরে স্নান করে পূর্ণ অর্জন
#Bathing _in the _Karandighi pond is a _complete achievement
এসবি নিউজ ব্যুরো: রাত পোহালে করণদিঘী সহ আশপাশের এলাকার মানুষ করণদিঘীর পুকুরে স্নান করে পূর্ন অর্জন করবেন সবাই। এই স্নানকে ঘিরে বসেছে বিরাট মেলা । ইতিমধ্যে দোকানিরা পসরা সাজিয়ে মেলায় বসে পড়েছে। লোকসভা ভোটের কারণে এবারে মেলার দিন কমিয়ে আনা হয়েছে।
কথিত আছে কর্ন রাজা এই করণদিঘী পুকুরে স্নান করতে আসতেন ।

রাজা কর্ন বিহারের পূর্নিয়ার বাসিন্দা ছিলেন। করণদিঘী ব্লকে বিহারের সঙ্গে যুক্ত ছিল। পরবর্তীকালে করণদিঘী ব্লক বিহার থেকে বিচ্ছিন্ন হয়ে বাংলার সঙ্গে যুক্ত হয়।রাজা কর্ণ করণদিঘী পুকুর স্নান করে পূর্ণ অর্জন করতেন। রাজাও নেই রাজ্যপাট নেই। শুধু থেকে গেছে রাজা কর্ণের তৈরী করা বিশাল দিঘি।করণদিঘী ব্লক বাংলার সঙ্গে যুক্ত হবার পর রাজবংশী সম্প্রদায়ের মানুষ ১ বৈশাখের শুভক্ষনে স্নান করে পূর্ণ অর্জন করতেন। কথিত আছে নতুন বছরের প্রথম দিনে কর্ণ রাজার দিঘিতে স্নান করলে মনস্কামনা পূর্ণ হয়। পূর্ণার্থিদের মনস্কামনা পূর্ণ হলে দিঘিতে পাঠা, পায়রা, স্বর্ণলঙ্কার দিঘিতে ভাসিয়ে দেয়।দীর্ঘদিন ধরে এই প্রথা চলে আসছে ।

আগে শুধুমাত্র করণদিঘী এলাকার মানুষই এই স্নানে অংশ নিতেন। দিঘির মাহাত্ব দিকে দিকে ছড়িয়ে পড়ায় কয়েক'শ বছর যাব এই শুভ দিনে লাখো লাখো পূর্ণার্থী  উত্তরবঙ্গ সহ পার্শ্ববর্তী বিহার রাজ্যের এই স্নানে অংশ নিচ্ছেন। লাখো লাখো পূর্ণার্থী স্নানে অংশ নেওয়ায় সেখানে ৭ দিনের বিশাল মেলা বসছে । শুধু কেনাকাটার দোকানই নয় বিনোদনের ব্যাবস্থা করা হয়েছে যেমন - নাগর দোলনা, ব্রেক ডান্স, ট্রেন গাড়ি , অক্টোপাস, টোরাটোরা, খাওয়া দাওয়া ইস্টল ।

বিগত বছর গুলোতে পনেরো দিনের মেলা বসত। লোকসভা নির্বাচন দোড়গোড়ায় থাকায় এবারে মেলার দিন কমিয়ে আনা হয়েছে । এবারে ৭ দিনের মেলা বসবে।।কর্ণ রাজার দিঘিতে লাখো মানুষ স্নানে অংশ নেয়ায় নিরাপত্তা ব্যাবস্থা জোরদার করা হয়েছে, পুকুরের চার দিকে সাজিয়ে তোলা হয়েছে।

कनाडा में दिवाली सेलिब्रेशन रद्द, भड़के लोगों ने कहा-राजनीतिक तुष्टीकरण और सांस्कृतिक असंवेदनशीलता का प्रतीक

#diwali_celebrations_cancelled_in_canada

भारत में आज दिवाली मनाई जा रही है। भारत के इस त्योहार को दुनियाभर के कई देशों में सेलिब्रेट किया जाता है। यहां तक की दुनिया का सबसे ताकतवर कहे जाने वाले देश अमेरिका में भी दिवाली का जश्न मनाया जा रहा है। व्हाइट हाउस में खुज राष्ट्रपति जो बाइडन ने दिवाली मनाई। यहां तक की अमेरिका में तो दिवाली पर स्कूलों की छुट्टी कर दी गई है। हालांकि, कनाडा तो मानों भारत के साथ दुश्मनी निभाने में लगा हुआ है। दरअसल, भारत संग तल्खी के बीच कनाडा में दिवाली का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। यह कार्यक्रम पार्लियामेंट में होना था।

कनाडा के विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे ने पार्लियामेंट हिल में दिवाली पर होने वाले समारोह को रद्द कर दिया है। ओटावा स्थित पार्लियामेंट हिल में ही देश की संसद है। इसका मतलब है कि इस बार कनाडा की संसद में दिवाली उत्सव नहीं होगा। कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पोइलिवरे ने दिवाली से ठीक पहले कार्यक्रम में ना जाने का फैसला लिया है। पियरे की ओर से ये कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद कनाडा के चलते दोनों मुल्कों के रिश्ते तनाव के दौर में हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिवाली का यह कार्यक्रम बुधवार 30 अक्टूबर को होना था, लेकिन इसे बिना किसी कारण के रद्द कर दिया गया। इस समारोह का आयोजन प्रवासी भारतीय समूह, ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (ओएफआईसी) ने किया था और और इसकी मेजबानी कंजर्वेटिव सांसद टॉड डोहर्टी को करनी थी। कनाडा में पिछले 23 सालों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। यह आयोजन पिछले 23 वर्षों से आयोजित किया जा रहा है और इसमें कनाडा में रहने वाले हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध भाग लेते हैं। मगर इस बार कनाडा में दिवाली उत्सव पर रोक लग गई।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम के आयोजक ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (ओएफआईसी) को दिवाली उत्सव रद्द करने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं मिला है। कार्यक्रम बुधवार (30 अक्टूबर) को कंजर्वेटिव सांसद टॉड डोहर्टी द्वारा आयोजित किया जाना था। अब ये कार्यक्रम नहीं किया जाएगा।

विपक्षी नेता पॉइलीवरे के फैसले से कनाडा में रहने वाले हिंदू काफी नाराज हैं। ओएफआईसी के अध्यक्ष शिव भास्कर ने पॉइलीवरे को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने समारोह रद्द होने पर दुख जताया। उन्होंने लिखा कि यह कार्यक्रम दिवाली के सम्मान में एक खुशी का अवसर होता। यह त्योहार न केवल भारतवंशी कनाडाई समुदाय के लिए बहुत अहम है, बल्कि कनाडा की बहुसांस्कृतिक भावना का भी प्रतीक है, जिस पर उसे गर्व है। भारत और कनाडा के बीच मौजूदा राजनयिक स्थिति के कारण इस कार्यक्रम से नेताओं के अचानक पीछे हटने से हमें विश्वासघात और अन्याय का एहसास हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद चिंताजनक है।

Diwali 2024: छत्‍तीसगढ़ में दिवाली पर धान की बाली से बने झालर, झूमर लगाने की है सदियों पुरानी परंपरा

Diwali 2024: धनतेरस के साथ ही देशभर में दिवाली का त्योहार शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ में भी धनतेरस की सुबह से ही बाजारों में भीड़ लगी हुई है। प्रदेश में धान की झालरें घरों में सजाने की परंपरा सदियों पुरानी है। धनतेरस के साथ ही बाजारों में झालरों की बिक्री भी शुरू हो जाती है। बाजारों में इस तरह की झालर की काफी डिमांड है।

छत्तीसगढ़ में दिवाली की सांस्कृतिक परंपरा आज भी बरकरार है। अपने घरों के गेट पर धान की झालर लगाकर इस रस्म को निभाया जा रहा है। दिवाली के दौरान, जब खेत नई फसलों से पक जाते हैं, तो ग्रामीण नरम धान की बालियों से कलात्मक चूड़ियाँ बनाते हैं। आजकल बाजारों में रेडीमेड चीजें उपलब्ध हैं। हालाँकि शहरी क्षेत्रों में यह परंपरा धीरे-धीरे कम हो रही है, फिर भी धान के झूमरों का आकर्षण बना हुआ है। बाजार में छोटे आकार के झूमर भी उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत 50 से 200 रुपये तक है। व्यापारियों का कहना है कि इन झूमरों की मांग खासतौर पर शहरी बच्चों के बीच ज्यादा है, जो इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की परंपरा के अनुसार, लोग अपने घरों को धान की झालरों से सजाते हैं और अपनी सुख-समृद्धि के लिए आभार व्यक्त करने के लिए देवी लक्ष्मी को पूजा करने के लिए आमंत्रित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह निमंत्रण पक्षियों के माध्यम से देवी तक पहुंचता है, जो धान के दाने चुगने के लिए आंगनों और द्वारों पर उतरते हैं।

लोगों का मानना है कि इस तरह राज्य की लोक संस्कृति प्रकृति के साथ अपनी खुशियाँ बांटती है और उसे संरक्षित करती है। छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक घरों के आंगन और दरवाजों पर धान की झालर लटकाने की परंपरा है। इसे पहटा या पिंजरा भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में दिवाली पर धान से बने झूमर की यह परंपरा नई फसल के स्वागत और अन्न पूजन का प्रतीक मानी जाती है, जो सदियों से ग्रामीण और शहरी इलाकों में अपनी पहचान बनाए हुए है।

bharathnews

While the real estate moguls enjoy benefits & unprecedented privileges in this DMK regime, the houses of common men are razed down as illegal construction. A youth in Gummidipoondi near Chennai trie

While the real estate moguls enjoy benefits & unprecedented privileges in this DMK regime, the houses of common men are razed down as illegal co
While the real estate moguls enjoy benefits & unprecedented privileges in this DMK regime, the houses of common men are razed down as illegal construction. A youth in Gummidipoondi near Chennai tried to self-immolate in his attempt to stop the government officials from demolishing his house built over a patta land. And the Housing Minister Thiru Muthusamy, who is also the Prohibition Minister of the State, is busy introducing 90ml bottles in TASMAC before Diwali. Speaks volumes on the priorities of this DMK Govt in TN.
জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল ভ্রমণে ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত সহ পাঁচ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল
# A five-member_ delegation_ including _the Ambassador of France _visited _the Garumara forest _in Duars, _Jalpaiguri



এসবি নিউজ ব্যুরো: জলপাইগুড়ির ডুয়ার্সের জঙ্গলের যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতে ফ্রান্সের এক প্রতিনিধি দল ঘুরলেন জঙ্গলে। মঙ্গলবার ফ্রান্সের রাষ্ট্রদূত থিয়ারি ম্যাথিউয়ের নেতৃত্বে ৫ সদস্যের এক প্রতিনিধি দল গরুমারায় এসেছিলেন। তাঁরা জানান,ডুয়ার্সের গরুমারা জঙ্গল কীভাবে পরিচালিত হচ্ছে? জঙ্গলের বন ও বুনোরা কেমন আছে? বন দপ্তরের সঙ্গে জঙ্গল লাগোয়া এলাকার বাসিন্দাদের সম্পর্কই বা কেমন? এইসব যাবতীয় বিষয় খতিয়ে দেখতেই তাদের এই সফর।ফ্রান্সের এই প্রতিনিধি দল ডুয়ার্সের মূর্তি ও জলঢাকা নদী দেখার পাশাপাশি সেখানে থাকা কুনকিদের পর্যবেক্ষণ ও তাদের সারাদিনের বিভিন্ন কাজকর্ম সম্পর্কে বন দপ্তরের আধিকারিক ও মাহুতদের কাছ থেকে তথ্য সংগ্রহ করেন। ফ্রান্সের এই দলের সঙ্গে উত্তরবঙ্গ বন্যপ্রাণী বিভাগের বনপাল ভাস্কর জেভি, গরুমারা ও জলপাইগুড়ি বনবিভাগের দুই ডিএফও দ্বিজপ্রতীম সেন, বিকাশ ভি, গরুমারা সাউথ রেঞ্জের রেঞ্জার সুদীপ দে ছাড়াও বন দপ্তরের অন্যান্য আধিকারিকরা উপস্থিত ছিলেন। মেদলার পর, গরুমারা যাত্রা প্রসাদ নজর মিনার হয়ে এই প্রতিনিধি দলটি বিকেলে চলে আসে গরুমারার ধূপঝোরা এলিফ্যান্ট ক্যাম্পে। সেখানে বন দপ্তরের আধিকারিকরা এই প্রতিনিধি দলকে কুনকি হাতির পিঠে চাপিয়ে জঙ্গলের আনাচে-কানাচে ঘোরান। এখান থেকে ফিরে তাঁরা স্থানীয় আদিবাসী নৃত্যগোষ্ঠীর নৃত্যও উপভোগ করেন। সেইসাথে কথা বলেন জয়েন্ট ফরেস্ট ম্যানেজমেন্ট কমিটির সদস্যদের সঙ্গেও। ভবিষ্যতে গরুমারার উন্নয়নে তাঁরা সহযোগিতা করবেন বলে আশ্বাস দিয়েছেন বলে বনদপ্তর সূত্রে জানা গিয়েছে।

না মাটি, না পাথর, না কাঠ.. 8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলীর মূর্তি বসছে গুজরাটের গোধরায়
#Bajrangbali _idol _in _Godhra Gujarat

এসবি নিউজ ব্যুরো: মধ্যপ্রদেশের ইন্দোরের শিল্পী স্ক্র্যাপ মেটাল থেকে হনুমানজির অনন্য মূর্তি তৈরি করছেন। গতকাল  সারাদেশে পালিত হয়েছে হনুমান জন্মোৎসব। সকাল থেকেই হনুমানজির মন্দিরে ভক্তদের উপচে পড়া ভিড় লক্ষ্য করা যায়। জানা গিয়েছে,8.5 ফুট উঁচু এবং 350 কেজি ওজনের বজরংবলী মূর্তি তৈরি হচ্ছে সম্পূর্ণ স্ক্র্যাপ মেটালে। ইন্দোরের শিল্পী দেবল ভার্মার তৈরি এঈ মূর্তিটি আগামী মাসে গুজরাটের গোধরায় স্থাপন করা হবে। দেবাল ভার্মা বলেন, 'আমরা গত 7-8 বছর ধরে স্ক্র্যাপ-মেটাল আর্ট নিয়ে কাজ করছি। আমরা স্ক্র্যাপ ধাতু থেকে প্রত্নবস্তু তৈরি সহ অর্ডার অনুযায়ী মূর্তি তৈরি করুন। গোধরা থেকে একটা অর্ডার এসেছিল। সাধারণত ক্লায়েন্ট আমাদের স্থান দেখায় এবং সেখানে কী থাকা উচিত সে সম্পর্কে পরামর্শ চায়।তাকে ঈশ্বরের মূর্তি স্থাপন করতে বলা হয়েছিল। তারা আমাদের কাছে জানতে চেয়েছিল কোন মূর্তি তৈরি করা উচিত এবং কীভাবে তৈরি করা উচিত। আমরা তাকে হনুমানজির মূর্তি বসানোর পরামর্শ দিয়েছিলাম। তারপর হনুমানজির মূর্তির নকশা করি।" দেবল ভার্মা আরও বলেন, 'প্রথমত, এটি বজরঙ্গবলীর মূর্তি এবং আমরা স্ক্র্যাপ থেকে কাজ করছি। মানে এটি শুধুমাত্র স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা উচিত ছিল। কিন্তু এটি এমন ছিল, আমরা সাধারণত যা করি তার থেকে ভিন্ন কিছু করতে হয়েছে ।তার মানে আমরা মূর্তিটা একটু অন্যরকম করব। আমরা এটিতে প্রচুর পিতল এবং স্টেইনলেস স্টিল রাখি। ডিজাইন করতে  2-3 মাস লেগেছে বজরঙ্গবলীজির এই মূর্তিটি ডিজাইন করতে আমাদের 2-3 মাস লেগেছে। প্রস্তাবনা-মাত্রা নকশা সেট. নকশা চূড়ান্ত হওয়ার পর, আমরা মূর্তিটি যে উপাদান থেকে তৈরি করা হবে তা অনুসন্ধান শুরু করেছি। স্ক্র্যাপ খুঁজে পেতে অনেক সময় লাগে। মূর্তিটিতে আছে পিতলের প্যান, প্লেট এবং স্টেইনলেস স্টিলের পাইপ। এসএস শিটও স্থাপন করা হয়। গাড়ির স্প্রিং এবং গিয়ার বিয়ারিং বিভিন্ন ধরনের স্ক্র্যাপ থেকে তৈরি করা হয়। হনুমান চালিসা হনুমানজির মূর্তি বানাতে আমরা হনুমান চালিসার অনুবাদও করেছি। তাদের বৈশিষ্ট্য কি? যেমন, 'কান্ধে মুঞ্জ জেনেউ সাজাই', অর্থাৎ কীভাবে পবিত্র সুতো পরানো হয়। তাহলে কানে দুল কেন? সে রকম ডিটেইলিং করা হয়েছে। প্রায়ই বলেন কথিত আছে, শ্রী রাম জানকী বজরঙ্গবলী জির বুকে বসে আছেন। তাই আমরা একটি অনুরূপ স্কেচ তৈরি করেছি, ডিজিটালভাবে এটি পিতলের মধ্যে খোদাই করেছি, একটি দুল তৈরি করে তার বুকে স্থাপন করেছি। এই ধরনের ডিটেইলিং করা হয়েছে। হনুমানজির মূর্তি তৈরির ক্ষেত্রে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জটি হল বজরঙ্গবলী জির শরীর একেবারে সুস্থ। হনুমানজি শক্তিশালী। সেই সঙ্গে হনুমানজির মুখও খুব কোমল। মুখে সেই স্নিগ্ধতা ওভদ্রতা আনা ছিল একটি বড় চ্যালেঞ্জ। স্টেইনলেস স্টিল, ব্রাস, মাইল্ড স্টিল ব্যবহার করা হয়েছে। উদাহরণস্বরূপ, যদি এটি একটি পিতলের প্লেট হয় তবে এটি কোথায় ব্যবহার করা হবে এবং কীভাবে এটি ব্যবহার করা হবে তা কেটে কেটে লাগানো হয়েছে। মূর্তিটি তৈরি করতে কত সময় লেগেছে? বজরংবলী জির এই মূর্তিটি তৈরি করতে মোট 1 বছর সময় লেগেছে। ডিজাইন থেকে উপাদান সংগ্রহ থেকে চূড়ান্ত উত্পাদন পর্যন্ত। অর্ডারটি গত ফেব্রুয়ারিতে আমাদের কাছে এসেছিল এবং চলতি বছরের মার্চে মূর্তিটি তৈরি হয়। এই মূর্তি তৈরিতে আমাদের ৪ জনের দল কাজ করেছে। আমি দেবল ভার্মা, চিফ মেকানিক্যাল ইঞ্জিনিয়ার ফাইজান খান, চিফ ওয়েল্ডার রাজেশ ঝা এবং হেল্পার অর্জুন। ইন্দোরে আমাদের ডিজাইন স্টুডিওতে এই মূর্তিটি তৈরি করা হয়েছে। গোধরায় বাসস্ট্যান্ডের কাছে শ্রীসারভাত রেস্তোরাঁয় এই মূর্তি স্থাপন করা হবে। এই মূর্তি তৈরি করার সময় হনুমানজির সামনে সবচেয়ে বড় চ্যালেঞ্জ ছিল আবেগ আনতে হয়েছে। কারণ, স্ক্র্যাপ উপাদান থেকে কিছু তৈরি করা এবং তার মধ্যে অভিব্যক্তি আনা সবচেয়ে চ্যালেঞ্জিং কাজ। লোকেরা যখন এই মূর্তিটি দেখে, তখন তাদের মনে হয় যেন বজরঙ্গবলী জি তাদের দেখছেন। মানুষ আমাদের তাই বলেছে। প্রিভিউ দেখে অনেকেই বজরঙ্গবলীজির মূর্তির সামনে কেঁদেছিলেন। হনুমানজির দাড়িতে স্টেইনলেস স্টিলের তার লাগানো আছে। গদাটি পিতলের মাথা দিয়ে তৈরি। মুকুট উপর ঘূর্ণিত। নিচে চশমা পিতলের তৈরি। মুকুটের পিছনে সেলাই মেশিনের চাকা।
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya *আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল*

#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

এসবি নিউজ ব্যুরো: অযোধ্যায় রামনবমীতে রামলালের রামলালার সূর্যাভিষেক হল। ভগবান রামের মাথার অলৌকিক দৃশ্য দেখে সারা দেশের মানুষ আবেগাপ্লুত।আধ্যাত্মিকতা ও বিজ্ঞানের মিলনের এক মনোরম দৃশ্য আজ দেখা গেল অযোধ্যায়। রামনবমীর বিশেষ দিন উপলক্ষ্যে, অযোধ্যার রাম মন্দিরে যখন ভগবান শ্রীরামের কপালে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছিল তখন একটি অপূর্ব দৃশ্য দেখা যায়। এই সূর্যাভিষেক দুপুর ১২.০১ মিনিটে শুরু হয়ে প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলে। এই ঘটনাসারা বিশ্ব কৌতূহল নিয়ে দেখছে, আজ ৫০০ বছর পর অযোধ্যা ও দেশের মানুষের জন্য এই বিশেষ সুযোগ এসেছে। রাম মন্দির প্রতিষ্ঠার পর এটাই প্রথম রাম নবমী। অযোধ্যায় রামনবমী উপলক্ষ্যে, সূর্যের রশ্মি দ্বারা রামলালার তিলক করা হয়। এই উপলক্ষ্যে রামলালার বিশেষ মেকআপও করা হয়েছিল। 500 বছর পর, এই সূর্যাভিষেকের সময় রামলালা মূর্তির সূর্যাভিষেক হয়েছিল প্রায় 4 থেকে রামলালার মূর্তির মাথায় সূর্য তিলক লাগানো হয় ৬ মিনিটের জন্য। সূর্যের আলো রামলালার ওপর এমনভাবে পড়ল যেন ভগবান রামের গায়ে সূর্য তিলক লাগানো হয়েছে। এই দৃশ্যটি সকলের মনকে মোহিত করেছে ।বিজ্ঞানীরা বহু মাস ধরে এই সূর্য তিলকের জন্য প্রস্তুতি নিচ্ছিলেন। এর জন্য অনেক ট্রায়াল করা হয়েছিল। আজ দুপুরে ঘড়ির কাঁটা 12:01 বাজতেই সূর্যের রশ্মি সরাসরি রামের কপালে এসে পৌঁছায়। 12:01 থেকে 12:06 পর্যন্ত সূর্যাভিষেক চলতে থাকে। পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে এই প্রক্রিয়া। বিজ্ঞানীরা গত 20 বছরে অযোধ্যার আকাশে সূর্যের গতিবিধি অধ্যয়ন করেছেন। সঠিক দিকনির্দেশ ইত্যাদি নির্ধারণের পর মন্দিরের উপরের তলায় প্রতিফলক ও লেন্স স্থাপন করা হয়েছে। সূর্যের রশ্মি ঘূর্ণায়মান হয়ে রামলালার কপালে পৌঁছে গেল। উপরের সমতলের লেন্সে সূর্যের রশ্মি পড়ল। এর পরে, এটি তিনটি লেন্সের মধ্য দিয়ে যায় এবং দ্বিতীয় তলায় আয়নার কাছে আসে। শেষেসূর্যের রশ্মি রাম লালার কপালকে 75 মিমি বুলেটের আকারে আলোকিত করতে থাকে এবং এটি প্রায় পাঁচ মিনিট ধরে চলতে থাকে। সূর্য তিলকের পরে, ভগবান শ্রী রামের বিশেষ পূজা এবং আরতি করা হয়।রাম নবমীতে ভক্তদের ভিড়ের পরিপ্রেক্ষিতে প্রায় 25 লাখ ভক্তের আগমনের সময়টি 19 ঘন্টা করা হয়েছে।মঙ্গলা আরতি থেকে শুরু হয়ে রাত ১১টা পর্যন্ত খোলা থাকবে মন্দির। এর মধ্যেই রামলালকে ভোগ প্রদান ও আরতি করা হবে।
আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল
#:Today Ramlala's_ Suryaavishek _took _place _in Ayodhya

*আজ অযোধ্যায় রামলালার সূর্যাভিষেক হল।*

*উত্তরবঙ্গ সফর পথে দমদম বিমানবন্দরে শুভেন্দু অধিকারী জানালেন*
#Shuvendu_ Adhikari _is _the Leader of the Opposition _in the _BJP _Legislative Assembly


*এসবি নিউজ ব্যুরো:*

*চপারে আয়কর হানা প্রসঙ্গে*

যেদিন কমিশনের ফুল বেঞ্চ দিল্লিতে প্রেসমিট করেছিল সেদিনই তারা বলেছিল, রাজনৈতিক নেতারা যে চাটার্ড ফ্লাইট বা চপার ব্যবহার করবেন সেখানে তল্লাশি করা হবে। সেই দায়িত্ব আয়কর বিভাগ কে দেওয়া হয়েছিল। একবার মনে করে দেখুন। স্বাভাবিক ভাবেই দেশের আইন সবার জন্য সমান। আইন আলাদা হতে পারেনা। এখানে পিসি ও ভাইপোর জন্য আলাদা আইন হবে না। আপনারও একটা ভোট। দেশের রাষ্ট্রপতিরও একটা ভোট। তিনি ভিডিওগ্রাফি করেছেন, করতে পারেন।

*জোর করে বয়ান আদায়ের চেষ্টা : শেখ শাহাজাহান*
আমি বলতে পারব না। ওটা ওদের অভ্যন্তরীণ বক্তব্য। তদন্তকারী সংস্থার অভ্যন্তরীণ বিষয়। তবে শেখ শাহাজাহান যে অভিযুক্ত এটা সন্দেশখালির লোকেরাই বলেছে। গতকালও আমার পদযাত্রা ছিল ওখানে। মা বোনেরা বলেছেন তারা নতুন করে পয়লা বৈশাখ পালন করেছেন। স্বাভাবিকভাবেই প্রমাণিত, যা যা অভিযোগ হয়েছে তাতে শেখ শাহাজাহান যুক্ত‌

*উত্তরবঙ্গের ত্রাণ বিতর্ক*
ওরা মিথ্যাবাদী। পিসি মিথ্যাবাদী। ভাইপো মিথ্যাবাদী।৯ তারিখ অনুমতি পেয়ে গেছে। ১২ তারিখ হাওয়া গরম করছে যে অনুমতি দেওয়া হয়নি। পিসি ভাইপো দুজন মিলে বাজার গরম করছে। আমাকে নবান্ন থেকে লোক কাল এটা পাঠিয়ে দিয়েছে। আমি ট্যুইট করে দিয়েছি। সব অফিসাররা এখনও পিসি ভাইপোর পে রোলে যায়নি। এখনও মেরুদন্ড অনেকের সোজা আছে।
করণদিঘী পুকুরে স্নান করে পূর্ণ অর্জন
#Bathing _in the _Karandighi pond is a _complete achievement
এসবি নিউজ ব্যুরো: রাত পোহালে করণদিঘী সহ আশপাশের এলাকার মানুষ করণদিঘীর পুকুরে স্নান করে পূর্ন অর্জন করবেন সবাই। এই স্নানকে ঘিরে বসেছে বিরাট মেলা । ইতিমধ্যে দোকানিরা পসরা সাজিয়ে মেলায় বসে পড়েছে। লোকসভা ভোটের কারণে এবারে মেলার দিন কমিয়ে আনা হয়েছে।
কথিত আছে কর্ন রাজা এই করণদিঘী পুকুরে স্নান করতে আসতেন ।

রাজা কর্ন বিহারের পূর্নিয়ার বাসিন্দা ছিলেন। করণদিঘী ব্লকে বিহারের সঙ্গে যুক্ত ছিল। পরবর্তীকালে করণদিঘী ব্লক বিহার থেকে বিচ্ছিন্ন হয়ে বাংলার সঙ্গে যুক্ত হয়।রাজা কর্ণ করণদিঘী পুকুর স্নান করে পূর্ণ অর্জন করতেন। রাজাও নেই রাজ্যপাট নেই। শুধু থেকে গেছে রাজা কর্ণের তৈরী করা বিশাল দিঘি।করণদিঘী ব্লক বাংলার সঙ্গে যুক্ত হবার পর রাজবংশী সম্প্রদায়ের মানুষ ১ বৈশাখের শুভক্ষনে স্নান করে পূর্ণ অর্জন করতেন। কথিত আছে নতুন বছরের প্রথম দিনে কর্ণ রাজার দিঘিতে স্নান করলে মনস্কামনা পূর্ণ হয়। পূর্ণার্থিদের মনস্কামনা পূর্ণ হলে দিঘিতে পাঠা, পায়রা, স্বর্ণলঙ্কার দিঘিতে ভাসিয়ে দেয়।দীর্ঘদিন ধরে এই প্রথা চলে আসছে ।

আগে শুধুমাত্র করণদিঘী এলাকার মানুষই এই স্নানে অংশ নিতেন। দিঘির মাহাত্ব দিকে দিকে ছড়িয়ে পড়ায় কয়েক'শ বছর যাব এই শুভ দিনে লাখো লাখো পূর্ণার্থী  উত্তরবঙ্গ সহ পার্শ্ববর্তী বিহার রাজ্যের এই স্নানে অংশ নিচ্ছেন। লাখো লাখো পূর্ণার্থী স্নানে অংশ নেওয়ায় সেখানে ৭ দিনের বিশাল মেলা বসছে । শুধু কেনাকাটার দোকানই নয় বিনোদনের ব্যাবস্থা করা হয়েছে যেমন - নাগর দোলনা, ব্রেক ডান্স, ট্রেন গাড়ি , অক্টোপাস, টোরাটোরা, খাওয়া দাওয়া ইস্টল ।

বিগত বছর গুলোতে পনেরো দিনের মেলা বসত। লোকসভা নির্বাচন দোড়গোড়ায় থাকায় এবারে মেলার দিন কমিয়ে আনা হয়েছে । এবারে ৭ দিনের মেলা বসবে।।কর্ণ রাজার দিঘিতে লাখো মানুষ স্নানে অংশ নেয়ায় নিরাপত্তা ব্যাবস্থা জোরদার করা হয়েছে, পুকুরের চার দিকে সাজিয়ে তোলা হয়েছে।