India

Mar 25 2024, 13:54

क्या लालू की राह पकड़ेंगे केजरीवाल, पत्नी की देंगे अपनी सीएम की कुर्सी?

#cm_after_arvind_kejriwal_probable_candidates_wife_sunita_kejriwal

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इस वक्त ईडी की हिरासत में हैं। उन्‍हें 6 दिन यानी 28 मार्च तक के लिए ईडी की रिमांड पर भेज दिया गया है। 28 मार्च के बाद केजरीवाल का क्या होगा? जिस तरह से ईडी ने कोर्ट के सामने अपनी दलील पेश की उसके बाद संभवतः केजरीवा को अभी बेल ना मिले और उन्हें लंबे समय के लिए जेल जाना हो। वहीं, दूसरी तरफ केजरीवाल पर इस्तीफे का भी दबाव बन रहा है। ऐसे में दिल्ली के सियासी गलियारों में यह अटकलें जोरों पर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल दिल्ली की मुख्यमंत्री का पद संभाल सकती हैं।

दरअसल सुनीता केजरीवाल ने शनिवार को जेल में बंद अपने पति का संदेश पढ़कर सुनाया, जो आप कार्यकर्ताओं और दिल्लीवासियों को संबोधित था। इस वीडियो संदेश में सुनीता केजरीवाल को उसी सेटिंग में बैठे देखा जा सकता है, जिनका इस्तेमाल सीएम केजरीवाल अपने संदेश देने के लिए करते थे। इस वीडियो के बैकग्राउंड में तिरंगे के साथ एक तरफ डॉ. भीमराव अंबेडकर और दूसरी तरफ भगत सिंह की तस्वीरें हैं। इस वीडियो को देखने और सीएम केजरीवाल का संदेश सुनने के बाद कई लोग कयास लगा रहे हैं कि आप प्रमुख सीएम की कुर्सी अपनी पत्नी को ही सौंप सकते हैं।

दरअसल, संविधान विशेषज्ञों की मानें तो राज्य के मुख्यमंत्री के स्वत: इस्तीफे को अनिवार्य करने वाला कोई विशिष्ट कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है।पर भविष्य में व्यवहारिक दिक्कतों को देखते हुए ही बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव हों या अभी हाल ही में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेने को रिजाइन करना पड़ा था। केजरीवाल यह अच्छी तरह समझते हैं कि वह अगर सीएम बने रहने पर अड़े रहे तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं। क्योंकि प्रशासनिक गतिरोध पैदा होने पर उपराज्यपाल केंद्र को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा भेज सकते हैं। इसलिये संभावना यही है कि अरविंद केजरीवाद बहुत जल्दी इस्तीफा देकर अपने किसी विश्‍वस्‍त व्‍यक्ति को गद्दी सौंप दें। 

अब सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के रस्ते पर चलेंगे? क्या जेल पहुंचे चुके केजरीवाल भी अपनी पत्नी को दिल्ली की कमान सौंप देंगे।

दरअसल, साल 1996 में बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा। सीबीआई ने लालू पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। जल्द ही राजनीतिक हालात कुछ ऐसे बने कि लालू को सरकार चलाना मुश्किल हो गया। लालू पर किसी भी वक्त गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। इस बीच, 25 जुलाई 1997 को लालू यादव ने सभी को चौंकाते हुए पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बना दिया। सिर्फ पांचवीं कक्षा तक पढ़ी राबड़ी देवी ने तब तक कोई चुनाव भी नहीं लड़ा था। इसके बावजूद वह देश के सबसे अहम राजनीतिक प्रदेश बिहार की मुख्यमंत्री बना दी गईं। 

यह संविधान के अनुच्छेद 164 से मुमकिन हो पाया। अनुच्छेद 164 में राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति से संबंधित नियम दर्ज है। इस अनुच्छेद को हम विस्तार से समझते हैं। अनुच्छेद 164 (1) के मुताबिक मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा। इसके अलावा बाकी मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा। अनुच्छेद (2) राज्य मंत्रिपरिषद राज्य की विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगा। अनुच्छेद (3) किसी मंत्री द्वारा अपना पद ग्रहण करने से पहले, राज्यपाल उसको पद की और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा। अनुच्छेद (4) कोई मंत्री अगर निरन्तर छह महीने की अवधि तक राज्य के विधान मण्डल का सदस्य नहीं है तो उस अवधि की समाप्ति पर उसके मंत्री का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा। अनुच्छेद 164 (4) के मुताबिक मंत्री बनने के लिए जरूरी नहीं कि वो शख्स राज्य के विधानमंडल का सदस्य हो। लेकिन एक बार इस तरीके से किसी शख्स को मंत्री बनाए जाने के बाद, उस शख्स को 6 महीने की भीतर चुनाव जीतकर राज्य के विधानमंडल का सदस्य बनना पड़ता है।

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Mar 25 2024, 13:54

क्या लालू की राह पकड़ेंगे केजरीवाल, पत्नी की देंगे अपनी सीएम की कुर्सी?

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आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इस वक्त ईडी की हिरासत में हैं। उन्‍हें 6 दिन यानी 28 मार्च तक के लिए ईडी की रिमांड पर भेज दिया गया है। 28 मार्च के बाद केजरीवाल का क्या होगा? जिस तरह से ईडी ने कोर्ट के सामने अपनी दलील पेश की उसके बाद संभवतः केजरीवा को अभी बेल ना मिले और उन्हें लंबे समय के लिए जेल जाना हो। वहीं, दूसरी तरफ केजरीवाल पर इस्तीफे का भी दबाव बन रहा है। ऐसे में दिल्ली के सियासी गलियारों में यह अटकलें जोरों पर उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल दिल्ली की मुख्यमंत्री का पद संभाल सकती हैं।

दरअसल सुनीता केजरीवाल ने शनिवार को जेल में बंद अपने पति का संदेश पढ़कर सुनाया, जो आप कार्यकर्ताओं और दिल्लीवासियों को संबोधित था। इस वीडियो संदेश में सुनीता केजरीवाल को उसी सेटिंग में बैठे देखा जा सकता है, जिनका इस्तेमाल सीएम केजरीवाल अपने संदेश देने के लिए करते थे। इस वीडियो के बैकग्राउंड में तिरंगे के साथ एक तरफ डॉ. भीमराव अंबेडकर और दूसरी तरफ भगत सिंह की तस्वीरें हैं। इस वीडियो को देखने और सीएम केजरीवाल का संदेश सुनने के बाद कई लोग कयास लगा रहे हैं कि आप प्रमुख सीएम की कुर्सी अपनी पत्नी को ही सौंप सकते हैं।

दरअसल, संविधान विशेषज्ञों की मानें तो राज्य के मुख्यमंत्री के स्वत: इस्तीफे को अनिवार्य करने वाला कोई विशिष्ट कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है।पर भविष्य में व्यवहारिक दिक्कतों को देखते हुए ही बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव हों या अभी हाल ही में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेने को रिजाइन करना पड़ा था। केजरीवाल यह अच्छी तरह समझते हैं कि वह अगर सीएम बने रहने पर अड़े रहे तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं। क्योंकि प्रशासनिक गतिरोध पैदा होने पर उपराज्यपाल केंद्र को दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा भेज सकते हैं। इसलिये संभावना यही है कि अरविंद केजरीवाद बहुत जल्दी इस्तीफा देकर अपने किसी विश्‍वस्‍त व्‍यक्ति को गद्दी सौंप दें। 

अब सवाल उठता है कि क्या केजरीवाल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के रस्ते पर चलेंगे? क्या जेल पहुंचे चुके केजरीवाल भी अपनी पत्नी को दिल्ली की कमान सौंप देंगे।

दरअसल, साल 1996 में बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा। सीबीआई ने लालू पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया। जल्द ही राजनीतिक हालात कुछ ऐसे बने कि लालू को सरकार चलाना मुश्किल हो गया। लालू पर किसी भी वक्त गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। इस बीच, 25 जुलाई 1997 को लालू यादव ने सभी को चौंकाते हुए पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बना दिया। सिर्फ पांचवीं कक्षा तक पढ़ी राबड़ी देवी ने तब तक कोई चुनाव भी नहीं लड़ा था। इसके बावजूद वह देश के सबसे अहम राजनीतिक प्रदेश बिहार की मुख्यमंत्री बना दी गईं। 

यह संविधान के अनुच्छेद 164 से मुमकिन हो पाया। अनुच्छेद 164 में राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति से संबंधित नियम दर्ज है। इस अनुच्छेद को हम विस्तार से समझते हैं। अनुच्छेद 164 (1) के मुताबिक मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा। इसके अलावा बाकी मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर करेगा। अनुच्छेद (2) राज्य मंत्रिपरिषद राज्य की विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगा। अनुच्छेद (3) किसी मंत्री द्वारा अपना पद ग्रहण करने से पहले, राज्यपाल उसको पद की और गोपनीयता की शपथ दिलाएगा। अनुच्छेद (4) कोई मंत्री अगर निरन्तर छह महीने की अवधि तक राज्य के विधान मण्डल का सदस्य नहीं है तो उस अवधि की समाप्ति पर उसके मंत्री का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा। अनुच्छेद 164 (4) के मुताबिक मंत्री बनने के लिए जरूरी नहीं कि वो शख्स राज्य के विधानमंडल का सदस्य हो। लेकिन एक बार इस तरीके से किसी शख्स को मंत्री बनाए जाने के बाद, उस शख्स को 6 महीने की भीतर चुनाव जीतकर राज्य के विधानमंडल का सदस्य बनना पड़ता है।