आध्यात्मिकता के दबाव में शिक्षा की अनदेखी: अभिनव अरोड़ा के मामले से सीख

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Child spiritual leader Abhinav Arora

हाल के वर्षों में एक चिंताजनक प्रवृत्ति उभरी है, जिसमें कुछ माता-पिता अपने बच्चों को आध्यात्मिकता और धार्मिक प्रथाओं की ओर धकेल रहे हैं, जबकि उनकी शिक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। हालांकि आध्यात्मिक विकास निश्चित रूप से मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान कर सकता है, लेकिन जब यह शिक्षा और बौद्धिक विकास की कीमत पर होता है, तो यह बच्चे के समग्र विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। अभिनव अरोड़ा का मामला, जिसमें उनके माता-पिता की आध्यात्मिक मान्यताओं से जुड़ी एक दुखद घटना सामने आई, इस बात का प्रतीक है कि यह प्रवृत्ति बच्चों को किस तरह प्रभावित कर रही है।

अभिनव अरोड़ा का मामला

अभिनव अरोड़ा, एक 10 वर्षीय लड़का जो एक साधारण लड़का था, जो अपने माता-पिता से अत्यधिक आध्यात्मिक दबाव का सामना करना पड़ा, जो मानते थे कि उनका भविष्य आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन करने में निहित है। हालांकि अभिनव एक बुद्धिमान छात्र था और शैक्षिक रूप से सफल होने की पूरी क्षमता रखता था, लेकिन उसके माता-पिता ने उसकी ऊर्जा को आध्यात्मिक गतिविधियों में लगाने पर जोर दिया। वे चाहते थे कि वह हर दिन घंटों ध्यान करे, मंत्र जाप करे और धार्मिक अध्ययन में लिप्त रहे, क्योंकि उनका मानना था कि इससे वह भगवान के करीब पहुंचेगा और एक समृद्ध जीवन प्राप्त करेगा।

अभिनव की स्थिति तब दुखद मोड़ पर आ गई, जब उसकी पढ़ाई में गिरावट और लगातार आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन करने के मानसिक और भावनात्मक तनाव ने उसे निराशा की स्थिति में डाल दिया। उसकी ग्रेड्स गिरने लगे, उसका सामाजिक जीवन खत्म हो गया उसे इंटरनेट पर भारी ट्रॉल्लिंग का सामना करना पड़ रहा है। वह एक धर्म गुरु बनने की मार्ग पर चल रहा है,ऐसे ही अन्य कई मामले सामने आ रहे है बच्चों की पढाई छुड़वा कर उनसे दरम की बातें करवाई जा रही हैं। 

आध्यात्मिकता की ओर झुकाव के कारण

अभिनव अरोड़ा का मामला एकमात्र उदाहरण नहीं है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें माता-पिता अपने बच्चों को आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं, यहां तक कि शिक्षा को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से उन समुदायों में अधिक देखने को मिलती है, जहां धार्मिक मान्यताओं और आध्यात्मिक उन्नति को सफलता के मार्ग के रूप में देखा जाता है।

कुछ मुख्य कारणों से माता-पिता बच्चों को आध्यात्मिकता की ओर धकेलते हैं:

1.सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वास: कई संस्कृतियों में आध्यात्मिक उन्नति को बौद्धिक सफलता से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। माता-पिता धार्मिक शिक्षाओं को एक नैतिक दिशा के रूप में देखते हैं, जो उनके बच्चों को जीवन में मार्गदर्शन करेगी। उनका मानना है कि आध्यात्मिकता उनके बच्चों को आंतरिक शांति, सफलता और संतोष दिलाएगी, भले ही इसका मतलब शिक्षा की उपेक्षा करना हो।

2. सफलता का दबाव: उन समाजों में जहां शैक्षिक प्रतिस्पर्धा अत्यधिक है, कुछ माता-पिता आध्यात्मिकता को तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के एक उपाय के रूप में देखते हैं। हालांकि यह अच्छी नीयत से किया जाता है, लेकिन यह अक्सर आध्यात्मिक गतिविधियों को अतिशय महत्वपूर्ण बना देता है, जबकि बच्चों की शिक्षा और समग्र विकास को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

३ 3. बेहतर भविष्य की उम्मीद: कुछ परिवारों में विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में यह मान्यता है कि आध्यात्मिकता सफलता और धन पाने का एक रास्ता हो सकती है। माता-पिता अपने बच्चों से यह उम्मीद करते हैं कि वे धार्मिक प्रथाओं में भाग लें, ताकि उन्हें दिव्य आशीर्वाद मिले और उनका भविष्य बेहतर हो। हालांकि, इससे बच्चे की शिक्षा में बाधा आती है और वे ऐसे क्षेत्रों में पिछड़ जाते हैं जहां मेहनत, शिक्षा और सामाजिक संबंध आवश्यक हैं।

शिक्षा पर प्रभाव

जब आध्यात्मिकता को शिक्षा से ऊपर रखा जाता है, तो इसके बच्चों पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बच्चे अत्यधिक दबाव के कारण उलझन में पड़ सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप:

1. शैक्षिक उपेक्षा: जैसा कि अभिनव के मामले में देखा गया, आध्यात्मिकता पर ध्यान केंद्रित करने से शैक्षिक उपेक्षा हो सकती है। बच्चों को धार्मिक गतिविधियों में अधिक समय बिताने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी पढ़ाई में गिरावट आती है और उन्हें भविष्य में सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरी कौशल और ज्ञान की कमी हो सकती है।

2. भावनात्मक और मानसिक तनाव: आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन करने का दबाव बच्चों पर अत्यधिक भावनात्मक तनाव डाल सकता है। यदि बच्चे अकादमिक या सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं, तो वे अकेलापन, चिंता और अवसाद का शिकार हो सकते हैं।

3. अवसरों की कमी: वे बच्चे जो आध्यात्मिक प्रथाओं में अत्यधिक संलग्न होते हैं, शिक्षा, बौद्धिक विकास और सामाजिक कौशल प्राप्त करने के अवसरों से वंचित रहते हैं। ये अवसर बच्चे को एक सफल और संतुलित व्यक्ति बनाने में मदद करते हैं।

अभिनव अरोड़ा का दुखद मामला यह दर्शाता है कि जब आध्यात्मिकता को शिक्षा की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जबकि आध्यात्मिकता एक मूल्यवान उपकरण हो सकती है, यह बच्चे की शिक्षा या मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए बिना किया जाना चाहिए। माता-पिता को यह सुनिश्चित करने के लिए संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है कि उनके बच्चे बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से समग्र रूप से विकसित हों। ऐसा करने से वे यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके बच्चे एक सक्षम और संतुलित व्यक्तित्व के रूप में समाज में योगदान देने के लिए तैयार हों।

महिलाओं और बुजुर्गों के बाद केजरीवाल का बच्चों को तोहफा, दलित छात्रों के लिए स्कॉलरशिप का ऐलान

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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी जनता को अपने पाले में करने के लिए हर दांव आजमा रही है। पहले महिलाएं फिर बुजुर्ग और अब बच्चों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपना पिटारा खोला है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दलित समाज के लिए बड़ी घोषणा की है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दलित छात्रों के लिए डॉ. आंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप योजना का एलान किया है।

अंबेडकर विवाद के जवाब में केजरीवाल का दांव

अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली में दलित छात्रों के लिए डॉ आंबेडकर स्कॉलरशिप का ऐलान किया है। इस दौरान केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 3 दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बाबा साहेब अंबेडकर का मजाक उड़ाया। केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहेब जब जिंदा थे तब भी पूरे जीवन में उनका मजाक उड़ाया करते थे। संसद बाबा साहेब की वजह से है और उस संसद से मजाक उड़ाया जाएगा किसी सोचा नहीं होगा। उसकी हम निंदा करते हैं लेकिन उसके जवाब में मैं बाबा साहेब के सम्मान में एक बड़ी घोषणा कर रहा हूं। आज मैं चाहत हूं कि कोई भी दलित समाज का बच्चा पैसे की कमी की वजह से उच्च शिक्षा से वंचित ना रह जाए।

विदेशी यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई का खर्ज उठाएगी आप सरकार

केजरीवाल ने कहा कि आज मैं डॉक्टर आंबेडकर स्कॉलरशिप का ऐलान करता हूं, जिसके तहत दलित समाज का कोई भी बच्चा दुनिया की किसी भी टॉप की यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहेगा तो वो बच्चा उस यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले। बस उसका सारा पढ़ाई लिखाई का खर्चा दिल्ली सरकार वहन करेगी।

संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, हिंदुओं को 3-3 बच्‍चे पैदा करने की सलाह, जानें क्या वजह बताई

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत में हिंदुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की है।उन्होंने हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 प्रतिशत के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह अपने आप ही नष्ट हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना बेहद जरूरी है।

मोहन भागवत ने रविवार को नागपुर में कठाले कुल सम्मेलन में एक सभा में बोलते हुए कहा, कुटुंब समाज का हिस्सा है और हर परिवार एक इकाई है। हालांकि जनसंख्‍या वृद्ध‍ि को देखते हुए सालों से ‘बच्‍चे 2 ही अच्‍छे’ का नारा सरकार की तरफ से लगाया जाता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर को सही बनाए रखना देश के भविष्य के लिए जरूरी है।

आधुनिक जनसंख्या विज्ञान का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, किसी भी समाज की जनसंख्या 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वो समाज दुनिया से खत्म हो जाता है। भागवत ने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तय की गई थी, वो ये कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। हमें दो से अधिक बच्चों की जरूरत है, यानी तीन (जनसंख्या वृद्धि दर के रूप में), जनसंख्या विज्ञान यही कहता है। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे (समाज को) जीवित रहना चाहिए।' यहां 2.1 जनसंख्या से उनका आशय प्रजनन दर से था।

भारत में हिंदू आबादी गिरी

इसी साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में मामले में दुनिया में नंबर वन पर आ गया। हालांकि, भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 प्रतिशत थे। जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 प्रतिशत ही रह गई है। वहीं, हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 100 करोड़ है। दुनिया के 95 प्रतिशत हिंदू भारत में रहते हैं। वहीं, देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है।

चंद्रबाबू नायडू भी कर चुके अधिक बच्चों की वकालत

मोहन भागवत से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी दो से अधिक बच्चा पैदा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों को ज्यादा बच्चा पैदा करने की जरूरत है। दक्षिण में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। गांव खाली हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश की सरकार दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले परिवारों को प्रोत्साहन राशि देने पर भी विचार कर रही है। सरकार यह भी कानून बनाने की तैयारी में है कि दो से अधिक बच्चे वाले लोग ही स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। नायडू का कहना है कि गांवों से युवाओं के पलायन की वजह से समस्या और विकराल हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.1 है। जबकि दक्षिण के राज्यों में 1.6 फीसदी है।

Graceful Hands Trust Celebrates Children’s Day with Yoga, Mental Health Session, and Sports Donations

 

Panvel, Raigad – November 14, 2024 – Graceful Hands Trust (E-1432) organized a special Yog Mudras & Mental Health Handling session on Children’s Day at I.C.A. Primary, Secondary, and Higher Secondary Ashram School in Chikhle, Panvel. The event brought together nearly 600 children for a day filled with activities focused on health, fitness, and celebration.

The session included a variety of engaging activities such as yoga, dance, stretching, relaxation techniques, and fitness tips, led by certified Ashtanga Power Yoga coach and trainer Ms. Megha Ingle. The program aimed to promote physical and mental well-being among the children, creating a joyful and enriching experience.

To further motivate and support the students, the Graceful Hands Trust Team donated sports equipment to deserving candidates as a token of appreciation. Additionally, the trust honored board exam scholars for their remarkable achievements.

The event was spearheaded by Ms. Payal Madhok, President and Chairperson of Graceful Hands Trust, with support from Program Incharge Ms. Latha Kurian (Treasurer) and Ms. Nirmal Arora. The school’s president, Mr. Vijay Ramachandra Lokhande, warmly welcomed the team, and Principal Mr. Vishnu Shankar Gaikar provided assistance with the arrangements.

“We are delighted to celebrate Children’s Day in such a meaningful way, combining health, education, and appreciation. Watching the children enjoy and learn was the highlight of the day,” shared Ms. Payal Madhok.

The event concluded on a cheerful note with evening snacks served to all participants, leaving smiles on the faces of the students and staff alike.

Graceful Hands Trust E-1432 Hosts Heartwarming International Yoga Day for Balgram Orphanage

Panvel, June 21st, 2024: Graceful Hands Trust orchestrated a day filled with joy and camaraderie for the children of Balgram Orphanage in Khanda Colony, Panvel. The event, held at the Balgram Activity Hall, was a delightful blend of sportsmanship, celebration, and inclusivity.

The yoga day, organised under the guidance of Ms. Payal Madhok and supported by the guest's Mr Arvind More & Dr. Nilima More & Yoga Group Ms Jaya Trivedi , Ms Manisha Mane & Ms Sneha Gupta (certified by Patanjali Yog Samiti trainers ) & their team, Graceful Team members,  volunteers, and the dedicated staff of Balgram orphanage.

Kicking off with a warm welcome speech by Ms. Suma Lalit, a member of GHT, and a motivational address by Ms. Payal Madhok, the day commenced with invigorating warm-up exercises before the children enthusiastically delved into yoga and meditation sessions. 

A heartwarming highlight was the involvement of kids, who joyfully participated in yoga sessions. 

As a testament to their commitment to the children's happiness, the celebrations concluded with a vote of thanks by Ms. Latha Kurian , Treasurer in GHT.

Orphanage staff received essential groceries and vegetables for the upcoming month, provided by Graceful Hands Trust.

The day culminated in a delightful dinner arranged by the GHT team, with promises to reunite for more engaging and exciting activities in the future.

 

बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत एक दिवसीय जन जागरूकता कार्यक्रम का किया गया आयोजन।


बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत एक दिवसीय जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन जिला समाज कल्याण सभागार में की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा ने दीप करके किया गया। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई और कानून का उल्लंघन है, जो बालिाकाओं को शिक्षा, सुरक्षा स्वास्थ्य और विकास में बाधा है, तथा उनके सपनों को साकार होने से रोकता है। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ भी दिलायी गयी। 

महिला एवं बाल विकास विभाग, भारत सरकार द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में माननीय मंत्री, महिला एवं विकास विभाग द्वारा बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का शुभांरभ वेबकास्टिंग के माध्यम से किया गया। इसी के तहत सभी आँगनबाड़ी केन्द्रों पर भी आयोजित की गई। विभाग द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को अधिक प्रभावी बनाने हेतु अधिनियम अंतर्गत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए विभागीय अधिसूचना संख्या 645 दिनांक-13.03.2023 द्वारा प्रखंड विकास पदाधिकारी के अतिरिक्त निदेशक, समाज कल्याण, सभी प्रमंडलीय आयुक्त, सभी उपायुक्त, सभी जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, सभी महिला पर्यवेक्षिका तथा सभी पंचायत सचिव को उनके निविर्दिष्ट क्षेत्राधिकार अंतर्गत बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में अधिसूचित किया गया है।

इस अभियान को अधिक प्रभावी बनाने हेतु गैर सरकारी संगठनों का एक समूह "Just Right For Children" का सहयोग प्राप्त है। इसके तहत बाल विवाह के विरूद्ध शपथ लिया जाना, बाल विवाह के कारण स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणामों पर सत्र, बाल विवाह के विरूद्ध वाद-विवाद/नारा लेखन/पोस्टर बनाना आदि का प्रतियोगिता, बाल विवाह के विरूद्ध मानव श्रृखंला बनाने हुए शपथ सहित अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाना है।

गतिविधि में भाग लेने वाले लक्षित समूह में प्रार्थना सभा के दौरान स्कूली बच्चे, सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मीगण, सभी सखी मंडल, ग्राम संगठन, संकुल स्तरीय फेडरेशन के सदस्यगण, आँगनबाड़ी केन्द्र से जुड़ी किशोरियाँ एवं धातृमाताएँ, एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट एवं थानों में पदस्थापित बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी एवं अन्य पुलिसकर्मी शामिल है। इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संजय प्रसाद, राकेश कुमार सिंह सहित गैर सरकारी संस्था के प्रतिनिधिगण सहित अन्य लोग शामिल थे।

झांसी मेडिकल कॉलेज के NICU में लगी आग, 10 मासूमों की मौत, पीएम बोले- हृदयविदारक घटना
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* झांसी मेडिकल कॉलेज में बीती रात लगी आग में 10 मासूमों की मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज के बच्चों के ICU में आग लगी थी। हादसे के वक्त NICU में 55 बच्चे थे, जिनमें से 37 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया। बताया जा रहा है कि बाहर वाले वार्ड से सभी बच्चों को बचा लिया गया, लेकिन जो बच्चे अंदर वाले वार्ड में थे, उनकी झुलसने से मौत हो गई। *मासूमों की मौत पर जताया शोक* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना को लेकर शोक जताया है। एक्स पर पीएमओ ने लिखा कि हृदयविदारक! उत्तर प्रदेश में झांसी के मेडिकल कॉलेज में आग लगने से हुआ हादसा मन को व्यथित करने वाला है। इसमें जिन्होंने अपने मासूम बच्चों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी गहरी शोक-संवेदनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। *मुआवजे की घोषणा* महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की झुलसने एवं दम घुटने से मौत हो गई। मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने बताया कि जिस वार्ड में आग लगी थी, वहां 55 नवजात भर्ती थे। 45 नवजात को सुरक्षित निकाल लिया गया। उनका इलाज चल रहा है। हादसे की सूचना मिलते ही करीब 15 दमकलें मौके पर पहुंच गईं। सेना को भी बुला लिया। सेना एवं दमकल ने मिलकर आग बुझाई। बच्चों को सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार दिया जा रहा है, वे जल्द ठीक हो जाएंगे। आज सुबह डिप्टी सीएम बृजेश पाठक मेडिकल कॉलेड पहुंच गये हैं। झांसी मेडिकल कॉलेज हादसे में शिकार परिजनों को शासन द्वारा पांच लाख रुपये की सहायता की घोषणा की गई है। घायलों के परिजनों को पचास-पचास हजार की सहायाता मिलेगी। *परिजन बोले- अस्पताल प्रशासन की लापरवाही* मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में पहले धुआं उठा, किसी को कुछ समझ नहीं आया और देखते ही देखते शिशु वार्ड में आग की लपटें उठने लगीं। वहीं, इस हादसे ने अस्पताल की व्यवस्था की भी कलई खोल दी। चाइल्ड वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा। बच्चों के परिजन के मुताबिक, अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। परिजनों का कहना था कि यह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है। समय-समय पर सेफ्टी अलार्म समेत अस्पताल की अन्य व्यवस्थाओं की जांच होती रहनी चाहिए थी, ताकि आपात स्थिति में बचाव किया जा सके। शिशु वार्ड से बाहर निकलने का एक ही गेट था, लेकिन हादसे के वक्त गेट पर आग की लपटें उठ रही थीं। ऐसे में जो लोग बाहर थे, वो भी बच्चों को बचाने के लिए अंदर नहीं जा सके। *बच्चों को लेकर बदहवास भागते नजर आए परिजन* NICU वार्ड में लगी आग लगने के बाद परिजन अपने नवजात शिशुओं के जले हुए अवशेषों को लेकर भागते नजर आए। बेहद परेशान करने वाले दृश्यों ने विचलित कर दिया। महिलाओं की चीख-पुकार साफ तौर पर वीडियो में सुनाई दे रही थी।
Playboy turned Humanitarian Kamal Muhamed recognised among Top 10 Authors of 2024

Kamal Muhamed is among the list of Top 10 authors recognised for courages efforts and attempt. His maiden book Daring Prince Truth Revaled, in english an autobioraphy which took 6 long years of dedication for its completion. and was released on March 23rd 2024 by Dr.Mohanji his Childhood friend.( Humanitarian , Author & Spiritual Leader)

Kamal Muhamed, was born on September 8, 1964, in Kannur, a go-getter an artistic thinker and marketing enthusiast known for his resiliencec and determination.

Raised in a modest family, he pursued his vision of becoming a Human Rights activist and social worker, for serving underprivileged society, leaving school early to become self-reliant. Starting as a Sales Trainee at 21, with multinational he built a career across India Gulf and Middle East, and Africa overcoming challenges, including surviving Yemen’s war.

Kamal played an important role in OPERATION RAHAT’s mass evacuation in 2015 and during Covid 19 with selfless social activities for the community.

His Daring Prince Truth Revealed, is nominated for the 2025 Sahitya Sparsh Awards. A BOOK fully devoted to serve the needy and poor and Global Noble Causes the list of Top 10 Authors includes Legend Robin Sharma. Founder & Author The 5 am Club

Kamal a proven humble and down to earth Humanitarian & Social Activist attained various accolades naming a few in 2024, Dada Saheb Phalke Motivational Award, for Best Author & Social Activist, JCI Humanitarian Award & NCFC Best Humanitarian for Social Services from Nepal.

Kamal H. Muhamed is associated with AICHLS & NCNB( Member United Nations Global Compact) as Head of State, Wellmed Trip. Com Mauritius, Long Rock Hospitalities, an upcoming project to fulfill his young age dream .

He is also Well Wisher and supporter of Ammucare Charitable Trust.( Mohanji Foundation) He lives with His Arab Wife Leila Nasher and 3 Children Haroon, Maryam & Moosa at outskirts of Kochi.

After Author's recognition news was spread he was given a warm welcome by Surya Vanitha Library at his home town where he donated few books gifted by Dr.Mohanji on my request..

Daring Prince's Malayalam version is getting ready for Publication in early 2025 through renowned Olive Books. His advice always to young and startup entrepreneurs: embrace risk, learn, and never quit.

https://www.amazon.in/Daring-Prince-Revealed-Kamal-Muhamed/dp/8197046433?dplnkId=8d49bdef-7258-4d81-b64a-79bb119acdfd

https://hrcin.org/

https://ammucare.org/

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित 'सातवें राष्ट्रीय पोषण माह' का हुआ बेहतरीन समापन
लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में खाद्य एवं पोषण विभाग की ओर से 'पूरक आहार के माध्यम से बच्चों का स्वस्थ विकास सुनिश्चित करना ( Ensuring Healthy Growth in Children through Complementary Feeding)' विषय पर पिछले एक महीने से आयोजित 'सातवें राष्ट्रीय पोषण माह' का बेहतरीन समापन हुआ।

विश्वविद्यालय में दिनांक 1-30 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह आयोजित किया गया था, जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। समापन सत्र के दौरान मंच पर गृहविज्ञान विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष प्रो. यू.वी. किरण, कार्यक्रम की चेयरपर्सन एवं खाद्य व पोषण विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. नीतू सिंह, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. प्रियंका शंकर एवं आयोजन सचिव डॉ. माधवी डैनियल उपस्थित रहीं। सर्वप्रथम प्रो. नीतू सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। इसके पश्चात डॉ. प्रियंका शंकर ने सभी के समक्ष राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया।  

गृहविज्ञान विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष प्रो. यू.वी. किरण ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य समाज कल्याण के हित में कार्य करना है, क्योंकि वह शिक्षा किसी उपयोग की नहीं जो मनुष्य को स्वार्थी बनाये। दूसरी ओर विद्यार्थियों को स्वयं में कौशल क्षमता का विकास करना चाहिए, जिससे समाज को सभी क्षेत्रों में प्रतिभावान युवा पीढ़ी मिल सके। समापन सत्र के दौरान राष्ट्रीय पोषण माह के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को मंचासीन शिक्षकों द्वारा पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ. माधवी डैनियल द्वारा किया गया। समस्त कार्यक्रम के दौरान मानव विकास एवं परिवार अध्ययन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी अग्रवाल, डॉ. अनु राम कैलाश मिश्रा, डॉ. पद्मिनी पाण्डेय, विभिन्न शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

इंस्टाग्राम ने 18 साल से कम उम्र के यूजर्स के  अकाउंट्स की बढ़ाई सुरक्षा

डेस्क:– इंस्टाग्राम ने 18 साल से कम उम्र के यूजर्स के लिए नई प्राइवेसी और सुरक्षा सुविधाओं की घोषणा की है, जिसमें अकाउंट्स को 'टीन अकाउंट्स' में बदलने की प्रक्रिया शामिल है। अब से सभी किशोर यूजर्स के अकाउंट डिफॉल्ट रूप से प्राइवेट होंगे, जिससे केवल उन्हीं लोगों को संपर्क करने की अनुमति होगी जिन्हें यूजर फॉलो करता है और परमिशन देता है। Meta की यह पहल किशोरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए की गई है, खासकर उन चिंताओं के बीच जो सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को लेकर बढ़ी हैं।

नए नियमों के तहत, 16 साल से कम उम्र के यूजर्स केवल अपने माता-पिता की अनुमति से अपने अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स में बदलाव कर सकेंगे। इंस्टाग्राम ने एक नया मॉनिटरिंग टूल भी पेश किया है, जिससे माता-पिता अपने बच्चों के अकाउंट पर नज़र रख सकेंगे। इस टूल की मदद से वे देख सकेंगे कि उनके बच्चे कितनी देर तक इंस्टाग्राम का उपयोग कर रहे हैं और किससे बातचीत कर रहे हैं। यह कदम माता-पिता को अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों को बेहतर तरीके से समझने और नियंत्रित करने में मदद करेगा।

*सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंताएं*

मेटा की यह घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है। पहले से ही Meta, TikTok और YouTube के खिलाफ सैकड़ों मुकदमें दायर किए गए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ये प्लेटफार्म बच्चे और किशोरों की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। पिछले साल, अमेरिका के 33 राज्यों ने मेटा पर अपने प्लेटफॉर्म के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया था।

*जानें, क्या है The Kids Online Safety Act ?*

इस साल जुलाई में, अमेरिकी सीनेट ने दो महत्वपूर्ण ऑनलाइन सुरक्षा विधेयकों को आगे बढ़ाया, जिनमें The Kids Online Safety Act और The Children and Teens' Online Privacy Protection Act शामिल हैं। ये विधेयक सोशल मीडिया कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करेंगे कि उनके प्लेटफार्मों का बच्चों और किशोरों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

*18 साल से कम उम्र के इंस्टाग्राम यूजर्स के लिए उपयोग सीमाएँ*

नई सुरक्षा सुविधाओं के तहत, 18 साल से कम उम्र के इंस्टाग्राम यूजर्स को प्रतिदिन 60 मिनट के उपयोग के बाद एप बंद करने की सूचना दी जाएगी। इसके अलावा, डिफॉल्ट स्लीप मोड सक्रिय होगा, जो रात के समय एप को बंद कर देगा। ये सभी उपाय किशोरों के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

बता दें कि इंस्टाग्राम की यह नई पहल न केवल यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाएगी, बल्कि माता-पिता को भी उनके बच्चों के डिजिटल अनुभव को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने का अवसर प्रदान करेगी। यह कदम सामाजिक मीडिया पर बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति एक सकारात्मक दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है।
आध्यात्मिकता के दबाव में शिक्षा की अनदेखी: अभिनव अरोड़ा के मामले से सीख

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Child spiritual leader Abhinav Arora

हाल के वर्षों में एक चिंताजनक प्रवृत्ति उभरी है, जिसमें कुछ माता-पिता अपने बच्चों को आध्यात्मिकता और धार्मिक प्रथाओं की ओर धकेल रहे हैं, जबकि उनकी शिक्षा को नजरअंदाज किया जा रहा है। हालांकि आध्यात्मिक विकास निश्चित रूप से मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान कर सकता है, लेकिन जब यह शिक्षा और बौद्धिक विकास की कीमत पर होता है, तो यह बच्चे के समग्र विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। अभिनव अरोड़ा का मामला, जिसमें उनके माता-पिता की आध्यात्मिक मान्यताओं से जुड़ी एक दुखद घटना सामने आई, इस बात का प्रतीक है कि यह प्रवृत्ति बच्चों को किस तरह प्रभावित कर रही है।

अभिनव अरोड़ा का मामला

अभिनव अरोड़ा, एक 10 वर्षीय लड़का जो एक साधारण लड़का था, जो अपने माता-पिता से अत्यधिक आध्यात्मिक दबाव का सामना करना पड़ा, जो मानते थे कि उनका भविष्य आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन करने में निहित है। हालांकि अभिनव एक बुद्धिमान छात्र था और शैक्षिक रूप से सफल होने की पूरी क्षमता रखता था, लेकिन उसके माता-पिता ने उसकी ऊर्जा को आध्यात्मिक गतिविधियों में लगाने पर जोर दिया। वे चाहते थे कि वह हर दिन घंटों ध्यान करे, मंत्र जाप करे और धार्मिक अध्ययन में लिप्त रहे, क्योंकि उनका मानना था कि इससे वह भगवान के करीब पहुंचेगा और एक समृद्ध जीवन प्राप्त करेगा।

अभिनव की स्थिति तब दुखद मोड़ पर आ गई, जब उसकी पढ़ाई में गिरावट और लगातार आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन करने के मानसिक और भावनात्मक तनाव ने उसे निराशा की स्थिति में डाल दिया। उसकी ग्रेड्स गिरने लगे, उसका सामाजिक जीवन खत्म हो गया उसे इंटरनेट पर भारी ट्रॉल्लिंग का सामना करना पड़ रहा है। वह एक धर्म गुरु बनने की मार्ग पर चल रहा है,ऐसे ही अन्य कई मामले सामने आ रहे है बच्चों की पढाई छुड़वा कर उनसे दरम की बातें करवाई जा रही हैं। 

आध्यात्मिकता की ओर झुकाव के कारण

अभिनव अरोड़ा का मामला एकमात्र उदाहरण नहीं है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें माता-पिता अपने बच्चों को आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं, यहां तक कि शिक्षा को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति विशेष रूप से उन समुदायों में अधिक देखने को मिलती है, जहां धार्मिक मान्यताओं और आध्यात्मिक उन्नति को सफलता के मार्ग के रूप में देखा जाता है।

कुछ मुख्य कारणों से माता-पिता बच्चों को आध्यात्मिकता की ओर धकेलते हैं:

1.सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वास: कई संस्कृतियों में आध्यात्मिक उन्नति को बौद्धिक सफलता से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। माता-पिता धार्मिक शिक्षाओं को एक नैतिक दिशा के रूप में देखते हैं, जो उनके बच्चों को जीवन में मार्गदर्शन करेगी। उनका मानना है कि आध्यात्मिकता उनके बच्चों को आंतरिक शांति, सफलता और संतोष दिलाएगी, भले ही इसका मतलब शिक्षा की उपेक्षा करना हो।

2. सफलता का दबाव: उन समाजों में जहां शैक्षिक प्रतिस्पर्धा अत्यधिक है, कुछ माता-पिता आध्यात्मिकता को तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के एक उपाय के रूप में देखते हैं। हालांकि यह अच्छी नीयत से किया जाता है, लेकिन यह अक्सर आध्यात्मिक गतिविधियों को अतिशय महत्वपूर्ण बना देता है, जबकि बच्चों की शिक्षा और समग्र विकास को नजरअंदाज कर दिया जाता है।

३ 3. बेहतर भविष्य की उम्मीद: कुछ परिवारों में विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में यह मान्यता है कि आध्यात्मिकता सफलता और धन पाने का एक रास्ता हो सकती है। माता-पिता अपने बच्चों से यह उम्मीद करते हैं कि वे धार्मिक प्रथाओं में भाग लें, ताकि उन्हें दिव्य आशीर्वाद मिले और उनका भविष्य बेहतर हो। हालांकि, इससे बच्चे की शिक्षा में बाधा आती है और वे ऐसे क्षेत्रों में पिछड़ जाते हैं जहां मेहनत, शिक्षा और सामाजिक संबंध आवश्यक हैं।

शिक्षा पर प्रभाव

जब आध्यात्मिकता को शिक्षा से ऊपर रखा जाता है, तो इसके बच्चों पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। बच्चे अत्यधिक दबाव के कारण उलझन में पड़ सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप:

1. शैक्षिक उपेक्षा: जैसा कि अभिनव के मामले में देखा गया, आध्यात्मिकता पर ध्यान केंद्रित करने से शैक्षिक उपेक्षा हो सकती है। बच्चों को धार्मिक गतिविधियों में अधिक समय बिताने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी पढ़ाई में गिरावट आती है और उन्हें भविष्य में सफलता प्राप्त करने के लिए जरूरी कौशल और ज्ञान की कमी हो सकती है।

2. भावनात्मक और मानसिक तनाव: आध्यात्मिक प्रथाओं का पालन करने का दबाव बच्चों पर अत्यधिक भावनात्मक तनाव डाल सकता है। यदि बच्चे अकादमिक या सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर पाते हैं, तो वे अकेलापन, चिंता और अवसाद का शिकार हो सकते हैं।

3. अवसरों की कमी: वे बच्चे जो आध्यात्मिक प्रथाओं में अत्यधिक संलग्न होते हैं, शिक्षा, बौद्धिक विकास और सामाजिक कौशल प्राप्त करने के अवसरों से वंचित रहते हैं। ये अवसर बच्चे को एक सफल और संतुलित व्यक्ति बनाने में मदद करते हैं।

अभिनव अरोड़ा का दुखद मामला यह दर्शाता है कि जब आध्यात्मिकता को शिक्षा की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। जबकि आध्यात्मिकता एक मूल्यवान उपकरण हो सकती है, यह बच्चे की शिक्षा या मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए बिना किया जाना चाहिए। माता-पिता को यह सुनिश्चित करने के लिए संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है कि उनके बच्चे बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से समग्र रूप से विकसित हों। ऐसा करने से वे यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके बच्चे एक सक्षम और संतुलित व्यक्तित्व के रूप में समाज में योगदान देने के लिए तैयार हों।

महिलाओं और बुजुर्गों के बाद केजरीवाल का बच्चों को तोहफा, दलित छात्रों के लिए स्कॉलरशिप का ऐलान

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दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी जनता को अपने पाले में करने के लिए हर दांव आजमा रही है। पहले महिलाएं फिर बुजुर्ग और अब बच्चों के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपना पिटारा खोला है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले दलित समाज के लिए बड़ी घोषणा की है। आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दलित छात्रों के लिए डॉ. आंबेडकर सम्मान स्कॉलरशिप योजना का एलान किया है।

अंबेडकर विवाद के जवाब में केजरीवाल का दांव

अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली में दलित छात्रों के लिए डॉ आंबेडकर स्कॉलरशिप का ऐलान किया है। इस दौरान केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 3 दिन पहले गृह मंत्री अमित शाह ने बाबा साहेब अंबेडकर का मजाक उड़ाया। केजरीवाल ने कहा कि बाबा साहेब जब जिंदा थे तब भी पूरे जीवन में उनका मजाक उड़ाया करते थे। संसद बाबा साहेब की वजह से है और उस संसद से मजाक उड़ाया जाएगा किसी सोचा नहीं होगा। उसकी हम निंदा करते हैं लेकिन उसके जवाब में मैं बाबा साहेब के सम्मान में एक बड़ी घोषणा कर रहा हूं। आज मैं चाहत हूं कि कोई भी दलित समाज का बच्चा पैसे की कमी की वजह से उच्च शिक्षा से वंचित ना रह जाए।

विदेशी यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई का खर्ज उठाएगी आप सरकार

केजरीवाल ने कहा कि आज मैं डॉक्टर आंबेडकर स्कॉलरशिप का ऐलान करता हूं, जिसके तहत दलित समाज का कोई भी बच्चा दुनिया की किसी भी टॉप की यूनिवर्सिटी में पढ़ना चाहेगा तो वो बच्चा उस यूनिवर्सिटी में एडमिशन ले। बस उसका सारा पढ़ाई लिखाई का खर्चा दिल्ली सरकार वहन करेगी।

संघ प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान, हिंदुओं को 3-3 बच्‍चे पैदा करने की सलाह, जानें क्या वजह बताई

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत में हिंदुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की है।उन्होंने हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 प्रतिशत के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह अपने आप ही नष्ट हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना बेहद जरूरी है।

मोहन भागवत ने रविवार को नागपुर में कठाले कुल सम्मेलन में एक सभा में बोलते हुए कहा, कुटुंब समाज का हिस्सा है और हर परिवार एक इकाई है। हालांकि जनसंख्‍या वृद्ध‍ि को देखते हुए सालों से ‘बच्‍चे 2 ही अच्‍छे’ का नारा सरकार की तरफ से लगाया जाता रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर को सही बनाए रखना देश के भविष्य के लिए जरूरी है।

आधुनिक जनसंख्या विज्ञान का हवाला देते हुए भागवत ने कहा, किसी भी समाज की जनसंख्या 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वो समाज दुनिया से खत्म हो जाता है। भागवत ने कहा कि हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तय की गई थी, वो ये कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। हमें दो से अधिक बच्चों की जरूरत है, यानी तीन (जनसंख्या वृद्धि दर के रूप में), जनसंख्या विज्ञान यही कहता है। यह संख्या महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे (समाज को) जीवित रहना चाहिए।' यहां 2.1 जनसंख्या से उनका आशय प्रजनन दर से था।

भारत में हिंदू आबादी गिरी

इसी साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में मामले में दुनिया में नंबर वन पर आ गया। हालांकि, भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 प्रतिशत थे। जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 प्रतिशत ही रह गई है। वहीं, हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 100 करोड़ है। दुनिया के 95 प्रतिशत हिंदू भारत में रहते हैं। वहीं, देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है।

चंद्रबाबू नायडू भी कर चुके अधिक बच्चों की वकालत

मोहन भागवत से पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी दो से अधिक बच्चा पैदा करने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों के लोगों को ज्यादा बच्चा पैदा करने की जरूरत है। दक्षिण में बुजुर्गों की संख्या बढ़ रही है। गांव खाली हो रहे हैं। आंध्र प्रदेश की सरकार दो से अधिक बच्चा पैदा करने वाले परिवारों को प्रोत्साहन राशि देने पर भी विचार कर रही है। सरकार यह भी कानून बनाने की तैयारी में है कि दो से अधिक बच्चे वाले लोग ही स्थानीय निकाय का चुनाव लड़ने के योग्य होंगे। नायडू का कहना है कि गांवों से युवाओं के पलायन की वजह से समस्या और विकराल हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.1 है। जबकि दक्षिण के राज्यों में 1.6 फीसदी है।

Graceful Hands Trust Celebrates Children’s Day with Yoga, Mental Health Session, and Sports Donations

 

Panvel, Raigad – November 14, 2024 – Graceful Hands Trust (E-1432) organized a special Yog Mudras & Mental Health Handling session on Children’s Day at I.C.A. Primary, Secondary, and Higher Secondary Ashram School in Chikhle, Panvel. The event brought together nearly 600 children for a day filled with activities focused on health, fitness, and celebration.

The session included a variety of engaging activities such as yoga, dance, stretching, relaxation techniques, and fitness tips, led by certified Ashtanga Power Yoga coach and trainer Ms. Megha Ingle. The program aimed to promote physical and mental well-being among the children, creating a joyful and enriching experience.

To further motivate and support the students, the Graceful Hands Trust Team donated sports equipment to deserving candidates as a token of appreciation. Additionally, the trust honored board exam scholars for their remarkable achievements.

The event was spearheaded by Ms. Payal Madhok, President and Chairperson of Graceful Hands Trust, with support from Program Incharge Ms. Latha Kurian (Treasurer) and Ms. Nirmal Arora. The school’s president, Mr. Vijay Ramachandra Lokhande, warmly welcomed the team, and Principal Mr. Vishnu Shankar Gaikar provided assistance with the arrangements.

“We are delighted to celebrate Children’s Day in such a meaningful way, combining health, education, and appreciation. Watching the children enjoy and learn was the highlight of the day,” shared Ms. Payal Madhok.

The event concluded on a cheerful note with evening snacks served to all participants, leaving smiles on the faces of the students and staff alike.

Graceful Hands Trust E-1432 Hosts Heartwarming International Yoga Day for Balgram Orphanage

Panvel, June 21st, 2024: Graceful Hands Trust orchestrated a day filled with joy and camaraderie for the children of Balgram Orphanage in Khanda Colony, Panvel. The event, held at the Balgram Activity Hall, was a delightful blend of sportsmanship, celebration, and inclusivity.

The yoga day, organised under the guidance of Ms. Payal Madhok and supported by the guest's Mr Arvind More & Dr. Nilima More & Yoga Group Ms Jaya Trivedi , Ms Manisha Mane & Ms Sneha Gupta (certified by Patanjali Yog Samiti trainers ) & their team, Graceful Team members,  volunteers, and the dedicated staff of Balgram orphanage.

Kicking off with a warm welcome speech by Ms. Suma Lalit, a member of GHT, and a motivational address by Ms. Payal Madhok, the day commenced with invigorating warm-up exercises before the children enthusiastically delved into yoga and meditation sessions. 

A heartwarming highlight was the involvement of kids, who joyfully participated in yoga sessions. 

As a testament to their commitment to the children's happiness, the celebrations concluded with a vote of thanks by Ms. Latha Kurian , Treasurer in GHT.

Orphanage staff received essential groceries and vegetables for the upcoming month, provided by Graceful Hands Trust.

The day culminated in a delightful dinner arranged by the GHT team, with promises to reunite for more engaging and exciting activities in the future.

 

बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत एक दिवसीय जन जागरूकता कार्यक्रम का किया गया आयोजन।


बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत एक दिवसीय जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन जिला समाज कल्याण सभागार में की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी शिप्रा सिन्हा ने दीप करके किया गया। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई और कानून का उल्लंघन है, जो बालिाकाओं को शिक्षा, सुरक्षा स्वास्थ्य और विकास में बाधा है, तथा उनके सपनों को साकार होने से रोकता है। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ भी दिलायी गयी। 

महिला एवं बाल विकास विभाग, भारत सरकार द्वारा विज्ञान भवन, नई दिल्ली में माननीय मंत्री, महिला एवं विकास विभाग द्वारा बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का शुभांरभ वेबकास्टिंग के माध्यम से किया गया। इसी के तहत सभी आँगनबाड़ी केन्द्रों पर भी आयोजित की गई। विभाग द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को अधिक प्रभावी बनाने हेतु अधिनियम अंतर्गत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए विभागीय अधिसूचना संख्या 645 दिनांक-13.03.2023 द्वारा प्रखंड विकास पदाधिकारी के अतिरिक्त निदेशक, समाज कल्याण, सभी प्रमंडलीय आयुक्त, सभी उपायुक्त, सभी जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, सभी प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, सभी महिला पर्यवेक्षिका तथा सभी पंचायत सचिव को उनके निविर्दिष्ट क्षेत्राधिकार अंतर्गत बाल विवाह निषेध अधिकारी के रूप में अधिसूचित किया गया है।

इस अभियान को अधिक प्रभावी बनाने हेतु गैर सरकारी संगठनों का एक समूह "Just Right For Children" का सहयोग प्राप्त है। इसके तहत बाल विवाह के विरूद्ध शपथ लिया जाना, बाल विवाह के कारण स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणामों पर सत्र, बाल विवाह के विरूद्ध वाद-विवाद/नारा लेखन/पोस्टर बनाना आदि का प्रतियोगिता, बाल विवाह के विरूद्ध मानव श्रृखंला बनाने हुए शपथ सहित अन्य गतिविधियों का आयोजन किया जाना है।

गतिविधि में भाग लेने वाले लक्षित समूह में प्रार्थना सभा के दौरान स्कूली बच्चे, सभी सरकारी एवं गैर सरकारी विद्यालयों के शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मीगण, सभी सखी मंडल, ग्राम संगठन, संकुल स्तरीय फेडरेशन के सदस्यगण, आँगनबाड़ी केन्द्र से जुड़ी किशोरियाँ एवं धातृमाताएँ, एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट एवं थानों में पदस्थापित बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी एवं अन्य पुलिसकर्मी शामिल है। इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी संजय प्रसाद, राकेश कुमार सिंह सहित गैर सरकारी संस्था के प्रतिनिधिगण सहित अन्य लोग शामिल थे।

झांसी मेडिकल कॉलेज के NICU में लगी आग, 10 मासूमों की मौत, पीएम बोले- हृदयविदारक घटना
#massive_fire_broke_out_in_the_medical_college_in_jhansi_several_children_died
* झांसी मेडिकल कॉलेज में बीती रात लगी आग में 10 मासूमों की मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज के बच्चों के ICU में आग लगी थी। हादसे के वक्त NICU में 55 बच्चे थे, जिनमें से 37 बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया। बताया जा रहा है कि बाहर वाले वार्ड से सभी बच्चों को बचा लिया गया, लेकिन जो बच्चे अंदर वाले वार्ड में थे, उनकी झुलसने से मौत हो गई। *मासूमों की मौत पर जताया शोक* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना को लेकर शोक जताया है। एक्स पर पीएमओ ने लिखा कि हृदयविदारक! उत्तर प्रदेश में झांसी के मेडिकल कॉलेज में आग लगने से हुआ हादसा मन को व्यथित करने वाला है। इसमें जिन्होंने अपने मासूम बच्चों को खो दिया है, उनके प्रति मेरी गहरी शोक-संवेदनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें इस अपार दुख को सहने की शक्ति प्रदान करे। *मुआवजे की घोषणा* महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के विशेष नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की झुलसने एवं दम घुटने से मौत हो गई। मंडलायुक्त बिमल कुमार दुबे ने बताया कि जिस वार्ड में आग लगी थी, वहां 55 नवजात भर्ती थे। 45 नवजात को सुरक्षित निकाल लिया गया। उनका इलाज चल रहा है। हादसे की सूचना मिलते ही करीब 15 दमकलें मौके पर पहुंच गईं। सेना को भी बुला लिया। सेना एवं दमकल ने मिलकर आग बुझाई। बच्चों को सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार दिया जा रहा है, वे जल्द ठीक हो जाएंगे। आज सुबह डिप्टी सीएम बृजेश पाठक मेडिकल कॉलेड पहुंच गये हैं। झांसी मेडिकल कॉलेज हादसे में शिकार परिजनों को शासन द्वारा पांच लाख रुपये की सहायता की घोषणा की गई है। घायलों के परिजनों को पचास-पचास हजार की सहायाता मिलेगी। *परिजन बोले- अस्पताल प्रशासन की लापरवाही* मेडिकल कॉलेज के शिशु वार्ड (एसएनसीयू) में पहले धुआं उठा, किसी को कुछ समझ नहीं आया और देखते ही देखते शिशु वार्ड में आग की लपटें उठने लगीं। वहीं, इस हादसे ने अस्पताल की व्यवस्था की भी कलई खोल दी। चाइल्ड वार्ड में आग लगने के बावजूद सेफ्टी अलार्म नहीं बजा। बच्चों के परिजन के मुताबिक, अगर समय से सेफ्टी अलार्म बज जाता तो इतनी बड़ी घटना नहीं होती। परिजनों का कहना था कि यह अस्पताल प्रशासन की लापरवाही है। समय-समय पर सेफ्टी अलार्म समेत अस्पताल की अन्य व्यवस्थाओं की जांच होती रहनी चाहिए थी, ताकि आपात स्थिति में बचाव किया जा सके। शिशु वार्ड से बाहर निकलने का एक ही गेट था, लेकिन हादसे के वक्त गेट पर आग की लपटें उठ रही थीं। ऐसे में जो लोग बाहर थे, वो भी बच्चों को बचाने के लिए अंदर नहीं जा सके। *बच्चों को लेकर बदहवास भागते नजर आए परिजन* NICU वार्ड में लगी आग लगने के बाद परिजन अपने नवजात शिशुओं के जले हुए अवशेषों को लेकर भागते नजर आए। बेहद परेशान करने वाले दृश्यों ने विचलित कर दिया। महिलाओं की चीख-पुकार साफ तौर पर वीडियो में सुनाई दे रही थी।
Playboy turned Humanitarian Kamal Muhamed recognised among Top 10 Authors of 2024

Kamal Muhamed is among the list of Top 10 authors recognised for courages efforts and attempt. His maiden book Daring Prince Truth Revaled, in english an autobioraphy which took 6 long years of dedication for its completion. and was released on March 23rd 2024 by Dr.Mohanji his Childhood friend.( Humanitarian , Author & Spiritual Leader)

Kamal Muhamed, was born on September 8, 1964, in Kannur, a go-getter an artistic thinker and marketing enthusiast known for his resiliencec and determination.

Raised in a modest family, he pursued his vision of becoming a Human Rights activist and social worker, for serving underprivileged society, leaving school early to become self-reliant. Starting as a Sales Trainee at 21, with multinational he built a career across India Gulf and Middle East, and Africa overcoming challenges, including surviving Yemen’s war.

Kamal played an important role in OPERATION RAHAT’s mass evacuation in 2015 and during Covid 19 with selfless social activities for the community.

His Daring Prince Truth Revealed, is nominated for the 2025 Sahitya Sparsh Awards. A BOOK fully devoted to serve the needy and poor and Global Noble Causes the list of Top 10 Authors includes Legend Robin Sharma. Founder & Author The 5 am Club

Kamal a proven humble and down to earth Humanitarian & Social Activist attained various accolades naming a few in 2024, Dada Saheb Phalke Motivational Award, for Best Author & Social Activist, JCI Humanitarian Award & NCFC Best Humanitarian for Social Services from Nepal.

Kamal H. Muhamed is associated with AICHLS & NCNB( Member United Nations Global Compact) as Head of State, Wellmed Trip. Com Mauritius, Long Rock Hospitalities, an upcoming project to fulfill his young age dream .

He is also Well Wisher and supporter of Ammucare Charitable Trust.( Mohanji Foundation) He lives with His Arab Wife Leila Nasher and 3 Children Haroon, Maryam & Moosa at outskirts of Kochi.

After Author's recognition news was spread he was given a warm welcome by Surya Vanitha Library at his home town where he donated few books gifted by Dr.Mohanji on my request..

Daring Prince's Malayalam version is getting ready for Publication in early 2025 through renowned Olive Books. His advice always to young and startup entrepreneurs: embrace risk, learn, and never quit.

https://www.amazon.in/Daring-Prince-Revealed-Kamal-Muhamed/dp/8197046433?dplnkId=8d49bdef-7258-4d81-b64a-79bb119acdfd

https://hrcin.org/

https://ammucare.org/

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित 'सातवें राष्ट्रीय पोषण माह' का हुआ बेहतरीन समापन
लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में खाद्य एवं पोषण विभाग की ओर से 'पूरक आहार के माध्यम से बच्चों का स्वस्थ विकास सुनिश्चित करना ( Ensuring Healthy Growth in Children through Complementary Feeding)' विषय पर पिछले एक महीने से आयोजित 'सातवें राष्ट्रीय पोषण माह' का बेहतरीन समापन हुआ।

विश्वविद्यालय में दिनांक 1-30 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह आयोजित किया गया था, जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की गतिविधियों एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। समापन सत्र के दौरान मंच पर गृहविज्ञान विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष प्रो. यू.वी. किरण, कार्यक्रम की चेयरपर्सन एवं खाद्य व पोषण विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. नीतू सिंह, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. प्रियंका शंकर एवं आयोजन सचिव डॉ. माधवी डैनियल उपस्थित रहीं। सर्वप्रथम प्रो. नीतू सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया। इसके पश्चात डॉ. प्रियंका शंकर ने सभी के समक्ष राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत आयोजित कार्यक्रमों की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया।  

गृहविज्ञान विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष प्रो. यू.वी. किरण ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य समाज कल्याण के हित में कार्य करना है, क्योंकि वह शिक्षा किसी उपयोग की नहीं जो मनुष्य को स्वार्थी बनाये। दूसरी ओर विद्यार्थियों को स्वयं में कौशल क्षमता का विकास करना चाहिए, जिससे समाज को सभी क्षेत्रों में प्रतिभावान युवा पीढ़ी मिल सके। समापन सत्र के दौरान राष्ट्रीय पोषण माह के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को मंचासीन शिक्षकों द्वारा पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ. माधवी डैनियल द्वारा किया गया। समस्त कार्यक्रम के दौरान मानव विकास एवं परिवार अध्ययन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. शालिनी अग्रवाल, डॉ. अनु राम कैलाश मिश्रा, डॉ. पद्मिनी पाण्डेय, विभिन्न शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

इंस्टाग्राम ने 18 साल से कम उम्र के यूजर्स के  अकाउंट्स की बढ़ाई सुरक्षा

डेस्क:– इंस्टाग्राम ने 18 साल से कम उम्र के यूजर्स के लिए नई प्राइवेसी और सुरक्षा सुविधाओं की घोषणा की है, जिसमें अकाउंट्स को 'टीन अकाउंट्स' में बदलने की प्रक्रिया शामिल है। अब से सभी किशोर यूजर्स के अकाउंट डिफॉल्ट रूप से प्राइवेट होंगे, जिससे केवल उन्हीं लोगों को संपर्क करने की अनुमति होगी जिन्हें यूजर फॉलो करता है और परमिशन देता है। Meta की यह पहल किशोरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए की गई है, खासकर उन चिंताओं के बीच जो सोशल मीडिया के दुष्प्रभावों को लेकर बढ़ी हैं।

नए नियमों के तहत, 16 साल से कम उम्र के यूजर्स केवल अपने माता-पिता की अनुमति से अपने अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स में बदलाव कर सकेंगे। इंस्टाग्राम ने एक नया मॉनिटरिंग टूल भी पेश किया है, जिससे माता-पिता अपने बच्चों के अकाउंट पर नज़र रख सकेंगे। इस टूल की मदद से वे देख सकेंगे कि उनके बच्चे कितनी देर तक इंस्टाग्राम का उपयोग कर रहे हैं और किससे बातचीत कर रहे हैं। यह कदम माता-पिता को अपने बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों को बेहतर तरीके से समझने और नियंत्रित करने में मदद करेगा।

*सोशल मीडिया पर बढ़ती चिंताएं*

मेटा की यह घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है। पहले से ही Meta, TikTok और YouTube के खिलाफ सैकड़ों मुकदमें दायर किए गए हैं, जिसमें आरोप लगाया गया है कि ये प्लेटफार्म बच्चे और किशोरों की मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। पिछले साल, अमेरिका के 33 राज्यों ने मेटा पर अपने प्लेटफॉर्म के संभावित दुष्प्रभावों के बारे में जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया था।

*जानें, क्या है The Kids Online Safety Act ?*

इस साल जुलाई में, अमेरिकी सीनेट ने दो महत्वपूर्ण ऑनलाइन सुरक्षा विधेयकों को आगे बढ़ाया, जिनमें The Kids Online Safety Act और The Children and Teens' Online Privacy Protection Act शामिल हैं। ये विधेयक सोशल मीडिया कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य करेंगे कि उनके प्लेटफार्मों का बच्चों और किशोरों पर क्या प्रभाव पड़ता है।

*18 साल से कम उम्र के इंस्टाग्राम यूजर्स के लिए उपयोग सीमाएँ*

नई सुरक्षा सुविधाओं के तहत, 18 साल से कम उम्र के इंस्टाग्राम यूजर्स को प्रतिदिन 60 मिनट के उपयोग के बाद एप बंद करने की सूचना दी जाएगी। इसके अलावा, डिफॉल्ट स्लीप मोड सक्रिय होगा, जो रात के समय एप को बंद कर देगा। ये सभी उपाय किशोरों के लिए एक सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

बता दें कि इंस्टाग्राम की यह नई पहल न केवल यूजर्स की सुरक्षा बढ़ाएगी, बल्कि माता-पिता को भी उनके बच्चों के डिजिटल अनुभव को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने का अवसर प्रदान करेगी। यह कदम सामाजिक मीडिया पर बच्चों के स्वास्थ्य और सुरक्षा के प्रति एक सकारात्मक दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है।